नक़ल या अक्ल - 14 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 14

14

पुड़िया

 

सोनाली को नन्हें के साथ पढ़कर इस बात का यकीन हो रहा है कि वह भी इस पेपर को पास कर सकती है I वहीँ रिमझिम के मन में यह बात, अब भी उफान मार  रही है कि ‘उसकी माँ के साथ ऐसा क्या  हुआ थाI  उसे पता है,  नाना नानी से तो पूछना  बेकार है,  वे दोनों उसे कुछ नहीं बताने वाले हैं,  मगर फिर भी मैं तो पता करकर रहूँगीI’  वहीं दूसरी और राधा के माँ बापू को चिंता हो रही है कि  शादी अगले महीने की बोल तो दी,  मगर अभी इतना पैसा नहीं है कि शादी के साथ साथ अच्छा दहेज़ भी दें दें I

 

पार्वती  ने अपने पति बृजमोहन  को  समझाते हुए कहा,

 

तुम जाकर समधी जी से बात करो कि हम ब्याह तो कर देंगे,  मगर दहेज़ आराम से दिवाली के बाद  ही  दे पाएंगेI  बड़की की सादी  में पहले ही बहुत  पैसा  खर्च हुआ है और अभी एक और बैठी है और फिर एक छोरा भी हैI  ज़मीन का एक टुकड़ा और एक दुकान बची है,  इस बार खेती भी अच्छे से नहीं हुई,  ऐसे में ब्याह में मुश्किलें तो आएगी हीI” बृजमोहन के माथे पर बल पड़ गएI  “मुझे नहीं लगता, वो लोग  मानेंगेI मगर कोशिश करकर देखता हूँ I”

 

“नहीं मानेंगे तो हम ब्याह अपने हिसाब से करेंगेI”  उसकी माँ ने मुँह बनाते हुए कहाI  अपने माँ बाप की बात सुनकर राधा की छोटी  बहन सुमित्रा सोच रही है, ‘जब लोग दूसरे के घर की बेटियाँ ले लेते है तो फिर दहेज़ क्यों माँगते हैं I पता नहीं,  किसने यह दहेज़ प्रथा शुरू की होगीI’

 

 

रात  को जब निहाल का परिवार खाना खाने बैठा तो उन्होंने किशोर की तरफ  मुँह करते हुए कहा,

 

तेरा ससुर आया था I  वह यह सुनकर, अपने बापू का मुँह ताकने लगाI

 

क्या कह रहें थें ? यह सरला की आवाज़ है I

 

यही की  पैसे की तंगी है,  अभी सिर्फ ब्याह कर पाएंगे,  दहेज़ बाद में  दे देंगेI

 

अरे !! यह क्या बात हुईI  अगर दिक्कत  थी  तो उस दिन  खुलकर  कहते I  आज क्यों कह रहें हैं I  उसने एक रोटी उनकी  थाली में  रखते हुए कहाI

 

तो क्या हो गया माँ,  दहेज़ बाद में आता रहेगाI

 

बाद में  कौन देता है और अगर दहेज़ अभी नहीं देना तो जो दो लाख की बात हुई थीं,  वही शादी में  दे देतेI अब दोनों भाई अपने माँ बाप का मुँह ताकने लगेंI

 

ऐसे क्यों देख रहें हो?  सभी लेते हैंI  उसने अब फिर चूल्हे पर पक रही रोटी की तरफ ध्यान देना शुरू कर दियाI

 

“देखो !! सरला हम भी किसान है और वो भी किसान है और फसल  इस साल कुछ खास अच्छी नहीं हुई तो इसलिए वे भी अपनी जगह गलत  नहीं है और तू याद कर, उस दिन भी वो टाल ही रहें थें वो तो हमने ज़ोर दिया तो मान गएI  अब लगा होगा कि नहीं कर पाएंगे  तो बोल दिया I

 

तो ठीक है,  शादी दिवाली के बाद कर देते हैंI  किशोर ने सुना तो खाना वही छोड़कर छत पर चला गयाI  उसके बापू ने उसे रोका भी मगर वह नहीं रुकाI 

 

देखा! आपने यह लड़का अपनी जोरू के पीछे घूमने की पूरी तैयारी में हैI  किसी ने माँ की बात का कुछ जवाब नहीं दिया पर काजल खाने के थाली लिए छत  पर चली गईI 

 

 

सोनाली अपनी बड़ी बहन निर्मला के साथ अपनी छत पर सो रही हैI  उसका ध्यान भी आकाश की तरफ हैI अब उसने  अपनी बहन से पूछा,

 

दीदी  जीजा जी तुझे कितना प्यार करते हैं I

 

यह क्या  सवाल है I

 

बता  नI

 

उतना ही करते है, जितना एक पति अपनी पत्नी को करता है I उसने अब सोनाली की तरफ से करवट  बदल लीI

 

मैं  तो प्रेम विवाह  करूँगीI  यह सुनकर वह ज़ोर से हँसीI

 

बापू के होते हुए हो गया, प्रेम विवाह I

 

बापू मुझे बहुत चाहते है और जब उनका दामाद पुलिस में  होगा तो उनकी छाती  चौड़ी  हो जाएगीI

 

भगवान तेरी यह मुराद  पूरी करें,  अच्छा अब सो जा!! उसने आँखे बंद कर लीI  मगर उसके दिल में अब भी सोनाली का वो सवाल गूँज रहा है कि जीजाजी तुझसे कितना प्यार करते हैंI  ‘अब मैं  इन लोगों को क्या बताओ कि सच्चाई क्या हैI’  उसकी आँख से एक आँसू ज़मीन पर गिर पड़ाI

 

 

रात  के ग्यारह  बजे है,  पूरे गॉंव में  सन्नाटा पसरा हैI  गली के नुक्कड़ में दो तीन  कुत्ते भोंक रहें हैं I निहाल  और काजल तो सो चुके हैं,  मगर किशोर की आँखों में  नीदं नहीं है। वह आसमान  को देख रहा है,  उस  पता है,  आज अमावस्या  है इसलिए चाँद नहीं निकलेगा। उसका ध्यान  उसकी राधा में  ही लगा हुआ है। वही दूसरी ओर राधा भी किशोर के बारे में  सोच  रही है। उसका  बुखार तो उतर गया,  मगर उसका पेट ठीक नहीं चल रहा है। कई बार उसे उल्टियाँ  हो चुकी  है। अब डॉक्टर ने दूसरी  दवाई  शुरू कर दी है। उसका मन है कि किशोर उसके पास आए और उसका हाथ पकड़कर बैठा रहें या फिर किसी तरह वो उसके पास पहुँच जाए। जहाँ इस गॉंव की छत पर किसी न किसी की आँखों से नींद गायब है,  वही गॉंव की गलियों से भी दो जागती आँखे अपना मुँह ढके कहीं जा रही है। अब उसके कदम  तालाब के पास बने बरगद के पेड़ के पास आकर रुक गए हैं । तभी वहाँ  पर एक आदमी आया और उससे कहने लगा,

 

यह ले भाई,  बड़ी मुश्किल से मिली है। उसने उसे  एक पुड़िया का पैकेट पकड़ाते हुए कहा।

 

उसने पैसे पकड़ायें और पुड़िया का पैकेट पकड़ते हुए कहा, “ मुझे फिर लाकर दियो।“

 

इससे एक महीना तो निकल जायेगा। फिर देखता हूँ,  वह उसे सलाम कहकर वहाँ से चला गया ।

 

अब किशोर छत के छज्जे पर खड़ा  नीचे देख रहा है,  तभी उसे कोई आता दिखाई दिया, मगर अँधेरा ज़्यादा होने की वजह से वह उसका चेहरा नहीं देख  पाया।। उसने एक स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी में  उसे देखने की कोशिश की तो उसे जमींदार का मंझला लड़का बिरजू दिखा।  यह बिरजू  इतनी रात  को क्यों  घूम रहा है।

 

वह दबे पाँव घर आया और धीरे से दरवाजा खोलकर अंदर घुसा और जल्दी से अपने कमरे में जाकर कुण्डी लगा ली। फिर पैकेट से एक पुड़िया को मुंह में डालते हुए कहा,  “मज़ा आ गया!!!”