Love Contract - 3 M K द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Love Contract - 3

अब हम अपनी कहानी पर आते है ,

अरुण मितल ( रिवान के पिता जी ) - जो एक नंबर के लालची आदमी , पैसों का घमंड , गरीबों को कुछ न समझने वाले लेकिन शहर के बहुत बड़े बिजनेसमैन में गिने जाते थे ।

' फोन पर बात करते हुए रिवान बेटा तुम एयरपोर्ट पहुंच गए ?
ड्राइवर तुम्हे लेने गया है तुम परेशान मत होना ।
वो तुम्हे पहचानता है ख़ुद तुम्हारे पास पहुंच जाएगा ।

रिवान ड्राइवर का इंतेज़ार कर रहा था ,
' विराज ' - क्या बात है मेरे शेर ? आज तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान वो भी इतना कातिलाना , यूएस में तुम्हे तो जोक्स सुनाकर हंसाना पड़ता था और यहां तो बिना वजह के तुम हंसे जा रहे हो .... तुम मुझसे ज्यादा बेहतर कॉमेडी कर लेते फिर भी तुम्हे हंसी नहीं आता था आज लगता है भाभी जी की यादों में अभी से ही खो गए ।

' रिवान ' - मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है शायद उसे भी पता चल गया होगा कि मैं उससे मिलने उसके शहर में अा गया हूं , इन हवाओं का अपना रुख बदलना उसके एहसासों को पास ला रहा है और मैं पता नहीं क्यों उसके तरफ गांव में खींचा चला जा रहा हूं और मेरे होठ पर उसका नाम आने से ही मुस्कुरा रहा है ।

दिल तो करता है मैं अभी इन हवाओं के साथ बहता चला जाऊं और उसके गालों को मैं चुपके से चूम लूं ... मेरे आंखें अब और इंतेज़ार नहीं कर सकता है । मेरे कदम जाने क्यों मेरे घर के तरफ नहीं उस गांव के तरफ बढ़ना चाह रहा है । वो भी तो 15 साल से इसी उम्मीद में होगी कब मैं उसके पास आऊंगा और अपना वादा पूरा करूंगा उसको अपना बनाकर ।

' विराज ' - कुछ सोचते हुए भाई फिर तुम यहां ड्राइवर का इंतेज़ार क्यों कर रहा चलो न चलते है भाभी से मिलने आखिर मैं भी तो देखूं वो दिखती कैसी है जिसकी तुम इतनी तारीफ किए जा रहे हो .... जो कभी लड़कियों के हाय , हेल्लो का रिप्लाइ नहीं किया आज एक लड़की का तारीफ इतने प्यार से कर रहा । मैं तो कहता हूं भाई रिवान
तुम अंकल से बात कर लो तुम्हे बिजनेस मैन नहीं बहुत बड़ा शायर बनना है वो भी अपनी चुहिया के लिए ।
वैसे भाभी का नाम क्या था ??

' रिवान ' - मैं तो उसे चुहिया ही बुलाता था लेकिन उसका नाम था " आदिया " ।

आगे कुछ बोलता उससे पहले एक आदमी आकर सर चलिए आपका कार अा गया .... सभी आपका बेसब्री से इंतजार कर रहे है घर पर ।

रिवान और विराज दोनों कार में बैठ जाते है जब ड्राइवर ने
कार स्टार्ट कर रिवान के घर के तरफ मोड़ा तो रिवान ने कहा अंकल आप कार आगे से राइट ले लेना ।

ड्राइवर अंकल ( सोचते हुए ) - ' रिवान बाबा उधर तो पहाड़ों से घिरा गांव ' समल पुर ' है जो फूलों के लिए जाना जाता है उधर आपका क्या काम ???
अगर घर पहुंचने में देर हुए तो बड़े साहब मुझ पर बहुत गुस्सा करेंगे मेरी नौकड़ी भी जा सकती ।

अंकल आप चिंता मत कीजिए ऐसा कुछ नहीं होगा मैं हूं न
आप ले लो उस गांव के तरफ ।

जैसे ही गांव के करीब गया कार , रिवान् कार के खिड़की से झांक कर देखने लगा ... मन ही मन आज भी इस गांव की वैसी ही हालत है जैसा 15 साल पहले था .... कच्ची सड़के फूलों से सजा ये गांव । रिवान के मन में चल रहा सवाल क्या मुझे पहचान पाएगी मुझे या वक़्त के साथ भूल गई होगी ???

बहुत डर भी लग रहा उससे मिलने से ...

विराज अपना फोन जींस के पॉकेट से निकाल फूलों की तस्वीर कैद करने लगा .... रिवान सच में यार ये तो गांव बहुत खूबसूरत है इसीलिए भाभी भी इतना ही बोला था
रिवान विराज के बात को बीच में काटते हुए , भाई तुम हर वक़्त ये बात बोला मत कर यार तुमको तो पता है पापा को
ये सब पसंद नहीं ।

तुम्हारे अलावा ये बात किसी और को पता भी नहीं लगनी चाहिए ।
सॉरी यार आगे से ध्यान रखूंगा मैं ये गलती न करूं ।

आदिया भी आज सबल पुर गांव में अाई थी और अपने मां के पसंद के सारे फूल लाई थी ... आज उसकी मां का वर्षी था साल में इस गांव में आदिया दो बार आया करती थी ।
चुपके से अा कर घर के पास मां के नाम से फूल छोड़ जाती थी । घर के अंदर जा नहीं सकती थी और न किसी को कुछ बोल सकती थी सब लोग समझते थे अपने मम्मी पापा के जाने के बाद वो भी इस दुनिया से चली गई ।

आज फिर अपना वेश बदलकर फूल बेचने के बहाने अाई थी वैसे यहां कोई उसे पहचानता नहीं था फिर भी ख़ुद को छुपा कर लोगों के नजर से बचा करती थी ।

ऐसा क्यों करती थी ???

रिवान कुछ और नजदीक पहुंचा तो मन ही मन मुझे ऐसा क्यों लग रहा जैसे वो मेरे आस पास कहीं हो ...
बस कुछ ही दूरी पर हूं उससे मैं ...

कार को रुकवा कर रिवान उतर जाता है फिर एक घर के तरफ बढ़ा ... ये पेड़ इतना बड़ा हो गया आश्चर्य से रिवान
बोला ...

कुछ देर और आगे बढ़ा और एक घर के सामने रुका उस घर से शायद उसका पुराना रिश्ता हो ... खड़ा हो कर उस घर को बिना पलके छपकाए उस घर को खड़ा होकर देख रहा था ।

विराज क्या हुआ भाई ??
यहां क्यों ठहर गए आगे चलो न वो देखो कितना सुन्दर फूल दिख रहा है ....

रिवान बिना कुछ जवाब दिए बस वहीं खड़ा - खड़ा मुस्कुराते हुए कुछ सोच रहा था ।

' वक़्त कहां से कहां पहुंच गया
लेकिन उसकी यादें ऐसे है मेरे पास जैसे कल ही की बात है
तुम और तुम बस मेरी आशिक़ी हो '






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