मेरी जिंदगी है तु - 5 Ziya Bagde द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरी जिंदगी है तु - 5

जब अंश अपनी नजरे उठा कर सामने देखता है , तो उसे खुशी और एक्सइमेंटे दोनों होती हैं , उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नही होता है , की जिस लड़की को वो पूरी दुनिया भर मे ढुंढता रहा वो उसे अचानक से ऐसे मिल जायेगी।


अंश निवी में इस तरह से खो जाता हैं , की उसे किसी बात का कुछ ध्यान ही नही रहता है , उसका ध्यान निवी की आवाज से टूटता है , जो बोलती हैं , सर आपने मुझे बुलाया था , अंश अपने सेंस मे बापस आकर बोला यस मिस तो निवी अपना नाम बताते हुए बोली सर मेरा नाम निवी है ।

तो अंश अपने मन में खुश होकर बोला हाँ मुझे तुम्हारा नाम पहले से ही पता है , फिर अंश अपनी मुस्कुराहट छुपाते हुये... बोला यस मिस निवी में आपसे इन डिजाइन के बारे में जानना चाहता हूँ , की आपने इन्हे ही डिजाइन क्यों किया है।

तो निवी उसे बताते हुए बोली सर ये जो डिजाइन हे , जो आशु की तरह दिख रहा हैं , वो मैने दो प्यार करने वाले......... वो उसे बताने लगती हैं , मगर अंश का ध्यान उसकी किसी भी बातो में बिल्कुल नही था।

" बो तो बस उसके चेहरे को बड़े ही प्यार से देखे जा रहा था , निवी का ध्यान बिल्कुल भी अंश पर नही होता है , वो तो बस उसे अपनी डिजाइन के बारे में बताये जा रही थी ।

वो उसे सब समझाने के बाद अंश को देख कर बोली सर तो आपको कैसे लगे.. अंश उसे देख कर बोला बहुत ही अच्छे निवी उसकी बात सुन खुश हो जाती हैं।

फिर वो अंश से बोली सर अगर और कुछ जरूरी काम ना हो तो क्या अब मे जा सकती हूँ , अंश का मन तो नही था , उसे जाने देने का मगर उसे उसको जाने को बोलना ही पड़ता है।

उसके जाने के बाद अंश अपनी चेयर से टिक कर बैठ जाता है , और अपनी आँखे बन्द करता है , तो उसे निवी का सुंदर चेहरा दिखाई देने लगता हैं ।

फिर वो खुद से मुस्कुरा के बोला आखिर तुम मुझे मिल ही गयी ..... मैने बहुत लंबा इंतजार किया है , तुम्हारा पर अब जब तुम मुझे मिल गयी हो......!!!

" तो मे तुम्हे अब खुद से दूर नही जाने दूंगा , अब मे तुम्हे अपने पास संभाल के रखूँगा... !!!

निवी जैसे ही अंश के केबिन से बाहर निकलती हैं , और अपने केविन मे जाती है , सब अपनी हैरान नजरों से उसे देखने लगते है , उन सबको तो यही लगा था , की जरूर निबी बॉस के केविन से रोते हुए बापिस आयेगी।


मगर यहाँ तो बिल्कुल उल्टा ही हुआ... निवी तो बिल्कुल जैसे गयी थी , बैसे ही बापिस आयी..... ! जरा सी भी उदास या परेशान नजर नही आयी ।

निवी वापिस आकर अपने केबिन पर जाकर अपना काम करने लगती हैं , बही दोनों बहन अपना स्कूल खत्म होने के बाद घर आ जाती है , और अपने कामो मे लग जाती हैं , रिद्धि को गेमिंग का बहुत शौक था , उसने तीन साल की उम्र में ही एक गेम बनाया था।

" जो दिखने में तो काफी आसान लगता था , और काफी अच्छा था , जिसे एक गेमिंग कंपनी ने उसे ऐसे ही 2 करोड़ मे खरीद लिया था , मगर जब उसने उसे खरीदा था , तब उसने सोचा नही था, की सिंपल सा दिखने बाला बहा गेम लोगो को इतना ज्यादा पसंद आयेगा....!!!

फिर तो उस कंपनी के मालिक ने रिद्धि से और भी गेम बनाने के लिए कहा ..... मगर रिद्धि ने उसे साफ मना कर दिया... और उसने उसके बाद खुद की ही एक गेमिंग कंपनी खोल ली... जो आज उचाईया छु रही हैं , बही सिद्धि को अपनी मोम की तरह ही जुलरी डिजाइन का शौक है।


और वो भी जुलरी डिजाइन करती हैं , वो घर मे रहकर ही अपना काम करती हैं , निवी को भी अपनी बेटियों की काविलियत के बारे में सब पता है , मगर उसने कभी भी उन्हे किसी चीज के लिए मना नही किया.... निवी को हमेसा से यही लगता था । की उसकी बेटियों मे ये सब गुण उसके पिता के कारण ही आये थे । जरूर ही उनके पिता कोई जीनियस होगे।


उसे उस इंशान से कोई शिकायत नही थी , बल्कि वो तो उसकी एहसान मंद थी , की अगर उस दिन उसके साथ वो सब नही हुआ होता और उसकी मामी उसे उसके ही घर से नही निकाली होती तो.... आज वो जो ये लाइफ अपनी बेटियों के साथ जी रही है।


वो कभी नही जी पाती....और नाही मामा - मामी के पास रहकर अपनी बच्चियों को बचा पाती...... सिद्धि कुछ सोच कर रिद्धि से बोली रिद्धि मुझे लगता है , अगर हम घर पर ही बैठ कर अपने लिए किसी अच्छे पापा की तलास करेंगे.... तो हमे कभी भी मोम के लिए एक परफेक्ट लाइफ पाट नर नही मिल पाएंगा....!!!


तो रिद्धि बोली आप बिल्कुल ठीक बोल रही हो.... दी मुझे हमने लगभग सारे ऐप मे और बेब साइड मे सारी प्रोफाइल देख लिए मगर हमे उनमे से कोई भी पसंद नही आया... तो क्यों ना हम घर से बाहर निकल कर किसी को ढुंडे.... इस बात पर दोनों ही खुश हो जाती है।



बही जब ऑफिस टाइम खत्म होता है , तो निवी अपनी कार लेने पार्किंग एरिया में जाती है , ठीक उसी वक़्त अंश भी अपने ड्रायवर का वेट करने बहा खड़ा हो जाता हैं , उसे जैसे ही निवी दिखती है , निवी को देख उसके फेस पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती हैं।

और वो निवी को देख बोला मिस निवी जब निवी ये आवाज सुनती है , तो पीछे पलट कर देखती है , और अपने सामने अंश को देख बोली ओ हलो सर अंश भी मुस्कुरा कर बोला हलो मिस निवी आप घर जा रही हो.... निवी मुस्कुरा कर बोली हाँ.... तो अंश बोला आइये मे आपको आपके घर छोड़ देता हूँ....!!!


तो निवी मुस्कुरा कर बोली थैंक यू सर पर मे घर जा सकती हूँ , फिर वो उसे कार के तरफ इशारा करते हुए बोली मे अपनी कार से आयी हूँ... अंश कार को देख बोला ओह आई एम सॉरी मुझे लगा... आप अकेले ही हो तो निवी मुस्कुरा कर बोली ये मेरी कार है , मे रोज इसी से आती हूँ....!!!

फिर वो अंश को बाये बोल अपनी कार लेकर बहा से चली जाती है । अंश उसे जाते हुए देख मुस्कुरा देता है , तभी उसका असिस्टेंट उसकी कार लेकर आता है , और अंश को ऐसे मुस्कुरराते देख वो हैरान हो जाता है , क्युकी उसने आज से पहले कभी भी उसे ऐसे मुस्कुराते हुए नही देखा था ।


फिर अंश भी कार में बैठ कर चला जाता हैं , आज उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी थी । जो शिवम भी साफ देख पा रहा था , उसे तो समझ ही नही आता की उसके बोस को हुआ क्या है , कही उसके बोस पागल तो नही हो गये... वो अपनी सोच के हिसाब से ही सब इमेजिन करने लगता है।

बही जब निवी घर पहुँचती हैं , तो उसकी दोनों बेटी उसके पास आकर उसके गले लगा जाती हैं , और बड़े ही प्यार से उसे बोली मोम आप आ गये... निवी भी दोनों के गालो को किस कर बोली हाँ मे आ गयी.....!!!


फिर दोनों बहने बोली आप जाकर फ्रेस हो जाओ ....... हमने आज आपके लिए आपका फेवरिट खाना बनाया है , आलू के पराठे ये सुन की उसकी बेटियों ने उसके लिए उसके फेवरेट आलू के पराठे बनाये है , वो दोनों को गले से लगा लेती हैं , और दोनों के माथे को चूम कर बोली आप दोनों बैठो.... हम अभी आये.....!!!


कुछ ही देर में निवी भी आ जाती है , फिर सब साथ मे मिल कर डिनर करते है , डिनर करते हुए ही , लीला जी बोली मुझे तुम सब से कुछ बात करना है , निवी बोली हाँ... बुआ बोलो तो लीला बोली मुझे एक केस के सिल सिले मे कुछ दिनों के लिए बाहर जाना होगा..... तो तुम सब ध्यान से रहना और मेरी गेर मौजूदगी में कोई शैतानी नही समझे तुम तो सिद्धि बोली ठीक है ।

बड़ी बुआ मगर आप जल्दी ही आ जाना हमे आपकी याद आयेगी.... तो बुआ दोनों बच्ची के सर पर प्यार से हाथ फेर कर बोली और मुझे भी तुम तीनो की याद आयेगी..... बोल कर वो दोनों को गले लगा लेती है।


फिर वो सब अपने कमरे में सोने चले जाते हैं।