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सपने
सभी का घ्यान निहाल की तरफ है, किशन उसे लगातार उठने के लिए कह रहा है और वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी कर रहा है, मगर उससे हिल भी नहीं जा रहा। अब गिनती की आवाज़ बढ़ती गई, 7 8 9 तो वह एकदम से उठा, और 10 फिर धड़ाम गिर गया। सभी तमाशाई ने तालियाँ बजानी शुरू कर दी। राजवीर ने सोनाली को देखा तो वह मुस्कुरा रही है, उसे निहाल पर तरस आ रहा है, मगर यह एक खेल था, जिसमे वो हार गया। राजवीर के पास एक सुन्दर शक्ल के साथ साथ मजबूत शरीर भी है, उसने जो बॉडी बनायी है, जिसे स्थानीय भाषा में डोले बोलते है, उसकी तो गॉंव की हर लड़की दीवानी है। किशन ने निहाल को उठाने में मदद की, मगर उसने उठने से इंकार कर दिया। राजवीर ने एक नज़र ज़मीन पर गिरे निहाल पर डाली और अपने दोस्तों के साथ वहां से चला गया। फिर सोनाली और मीना के पीछे बाकी की भीड़ भी हटती गई ।
अब किशन और सोमू भी वही बैठ गए। निहाल लम्बी लम्बी साँसे लें रहा है। किशन ने उससे कहा, अगर उस कमीने रघु ने सरपंच का नाम न लिया होता तो बाजी हम जीतते।
नन्हें भैया!! बस थोड़ा और ज़ोर लगा लेते तो इस राजवीर को हरा देते।
अब निहाल ने अपनी सांस को काबू में करते हुए कहा, “अभी बहुत मौके मिलेंगे, उसे हारने के।“ उसकी बात सुनकर दोनों हँसने लगें। “चलो घर चलते हैं।“ सोमू और किशन तो अपने घर की तरफ निकल गए तो वहीं निहाल भी अपने घर के अंदर दाखिल हुआ तो देखा कि उसकी बहन काजल माँ के साथ खाना बनाने में मदद रही है। बड़ा भाई किशोर बाबा के साथ खेतो से वापिस लौटा है। “नन्हें जल्दी से हाथ मुँह धो लें खाना तैयार है।“ “माँ कितनी बार कहा है, काजल को पढ़ने दो, उसके दसवीं के बोर्ड है।“ उसकी माँ सरला चिढ़ते हुए बोली, “अरे !! थोड़ा सा हाथ बटा लेगी तो कौन सी आफत आ जाएगी।“ उसके बापू लक्ष्मण प्रसाद ने निहाल के चोटिल चेहरे को देखकर पूछा, “ किससे दो हाथ करकर आया है?“ “किसी से नहीं बापू, वो दोस्तों के साथ ही मस्ती कर रहा था।“ अब वह भी उनके साथ खाना खाने बैठ गया।
सरला ने अपने पति लक्ष्मण प्रसाद को एक रोटी पकड़ाते हुए पूछा, “सुनो !!! किशोर के ब्याह के बारे में क्या सोचा है? सोचना क्या है, पंडित जी को कहकर दिवाली के बाद की तारीख निकलवाते है। क्यों किशोर ?” किशोर थोड़ा झिझकते हुए बोला, “जैसा आप लोगो को ठीक लगे।“ “अरे !! भैया तो शरमा गए काजल ने उसका मज़ाक उड़ाया ।“
माँ बापू तो नीचे बरामदे में सो गए और ये तीनों भाई बहन छत पर सो गए। मदमस्त हवा चल रही है, आसमान में पूरा चाँद है। निहाल चाँद में सोना का चेहरा देख रहा है, गेहुँआ रंग , बड़ी-बड़ी आँखे। कमर से भी लम्बे बाल। नाक के पास एक छोटा सा तिल। “नन्हें !! हाँ भाई !! मुझे पता है, तेरी आज उस राजवीर से लड़ाई हुई है।“ उसकी नज़र अब भी चाँद पर है। “देख !!” अब उसने चारपाई उसके पास कर दीं, “माँ बापू को तुझसे बड़ी उम्मीदें है, किसी छोरी के चक्कर में उन्हें निराश मत कर दियो, राजवीर का बापू जमींदार है, करोड़ो की ज़मीन लेकर बैठा है, हम आम किसान है, इसलिए उस राजवीर से पंगा लेना ठीक नहीं है।“
“भाई !!! आप परेशां न हो, मुझे अपनी जिम्मेदारी का एहसास है और इस राजवीर को तो एक दिन सबक सिखाकर ही दम लूँगा।“ उसने जोश के साथ कहा। “नन्हें भैया, सोना भाभी के चक्कर में कितनी पिटाई खाने का ईरादा है,” वो न बनती तेरी भाभी काजल, यह फालतू की बातें, इसे न कहाकर, उसका बाप गिरधर सिंह बड़ा ही चालाक और धूर्त आदमी है और उसकी बेटी भी वैसी है। उसके यह कहने पर निहाल ने उसे घूरा, मगर कहा कुछ नहीं, बस करवट बदलकर सो गया।
उनका गॉंव जिला ग़ाज़ियाबाद में आता है, वहाँ पर दो तीन कॉलेज है, एक लड़कियों का और एक लड़कों का और एक में दोनों पढ़ने आते हैं। सोनाली लड़कियों के कॉलेज में पढ़ी है तो वही निहाल राजवीर उसके दोस्त हरिया और रघु लड़कों के कॉलेज में। क्योंकि जब वो स्नातक पास करकर निकले, तब जाकर यह तीसरा कॉलेज बना था। इन तीनों को ही यू.जी.सी. से मान्यता मिल हुई है, इसलिए दिल्ली यूनिवर्सिटी जाने का खयाल उसके मन में नहीं आया उसने सोचा ज़रूर, मगर फिर फीस का ध्यान रखते हुए यही एडमिशन ले लिया। अब सोमेश का दाखिला मुरारीलाल कॉलेज में हो गया है, जिसमे लड़के लड़कियाँ दोनों जा रहें हैं, मीना को लड़कियों के कॉलेज में जाता देखकर सोमेश बोला, “नन्हें भैया. काश यह भी मेरे कॉलेज में आ जाती।“ “तो क्या हुआ, उसके पास ही तो है। अच्छा, तू अपने कॉलेज जा, मुझे अपने कॉलेज से सर्टिफिकेट लेने हैं।“
वह अंदर गया तो ऑफिस की लाइन में उसे राजवीर दिख गया तो उसने लाइब्रेरी जाना ही ठीक समझा। वहाँ गया तो एक किताब लेकर बैठ गया, तभी अपने सामने अंकुश को देखकर वह मुस्कुराया तो वह उससे बताने लगा, “निहाल यह पुलिस का पेपर लाइब्रेरी की किताबें पढ़ने से नहीं होगा, तुझे उसके लिए कोचिंग भी लेनी पड़ेगी।“ “मैं अपनी मेहनत से ही इस पेपर को क्लियर कर लूँगा।“ उसका ज़वाब सुनकर अंकुश चुपचाप एक किताब पढ़ने लगा।“ अपने सर्टिफिकेट लेकर, वह सोमेश के साथ वापिस गॉंव की ओर चल दिया। दोनों बस में बैठे हुए हैं,
भैया !! आपका वो जिगरी दोस्त कमलेश कहाँ है?
ग़ाज़ियाबाद में कोचिंग ले रहा है इसलिए वहीं कमरा लेकर रह रहा है।
क्या मुझे भी कोचिंग लेनी चाहिए।
अभी तुम कॉलेज के साथ साथ इसकी तैयारी करते रही, कॉलेज में भी अटेंडेंस बहुत ज़रूरी है।
आप ठीक कहते हो, आप तो मेरे आदर्श हो। निहाल हँसा, “यह बेकार की बातें है।“
अब उसकी नज़र बस के कोने पर गई तो उसने देखा कि सोनाली अपनी सहेली रिमझिम के साथ बैठी हुई बतिया रही है। अब उसके पास की सीट खाली हो गई तो वह सोमेश को वही बैठा छोड़कर उस सीट पर बैठ गया, सोनाली ने अब उसका मज़ाक बनाते हुए कहा, “रिमझिम कल राजवीर ने किसी की बहुत मरम्मत की, “ “तुम मेरा नाम ले सकती हो।‘ निहाल की आवाज है, अब उसने रिमझिम को सारी बात बताई तो वह हमदर्दी जताते हुए निहाल को बोली,
क्या मिस्टर नन्हें, अगर आप जीत जाते तो हमारी सोना के साथ झूले पर बैठने का आनंद लेते।
मैं हार गया तो क्या, मैं उस राजवीर को भी बैठने नहीं दूंगा।
फिर मार खाने का ईरादा है, क्या? सोनाली ने उसे घूरा।
“न लड़ाई होगी और न ही वो बैठेगा।“ उसने इतने विश्वास के साथ कहा तो दोनों उसका मुँह देखने लग गई और तभी बस वाले ने ब्रेक लगा दी।