अधूरा इश्क़ Ankit Kumar द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अधूरा इश्क़

मै करन बोल रहा हूँ मेरी भी कुछ खवाइशे थी दुसरो की तरह जो पूरी ना हो पाई, कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अर्मान थे जो अधूरे रह गए। एक शादी शुदा लड़की से प्रेम करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई । उसके अतीत ने मुझे उसके करीब ला दिया, उसके दर्द ने मुझे रुला दिया । उसकी हसी ने मुझे उसका दीवाना बना दिया। तो कहानी शुरू होती है जब मै दो साल पहले कविता से मिला
हमारी मुलाकात फेसबुक पे हुई , हेलो हाय से बात शुरू हुई
तो हम नॉर्मल दोस्त बन गए। धीरे धीरे बात आगे बढ़ती गई हम एक दूसरे के साथ घंटो बात करने लगे दिन रात का पता ही नही चलता था। हम दोनों मे काफी चीजे एक जैसी थी स्वभाव भी, बात हुई तो पता चला कविता शादी शुदा थी उसने प्रेम विवाह किया था घर से भाग के तो उसके माता पिता उससे नाराज थे उनसे बात चित नही होती थी, शादी के बाद पति ने भी धोख़ा दे दिया उसका व्यवहार बदल गया, मार पिट करने लगा, कविता को कही आने जाने नही देता घूनघ्ट मे रखता था,ना किसी से मिलने देता था। ना बात करने देता था।
कविता से बर्दास्त नही हुई ये ज्यादती तो वो घर से भाग के अपनी मासी के पास चली गई दिल्ली मे वहा उसने सांस ली खुली हवा मे अपने पैरो पर खड़ा होने की सोची, वहा वो कम्प्यूटर सीखने लगी। कविता वहा खुश थी तभी उसका पति पीछा करते करते उसके पास वहा आ गया उस से माफी मांगने लगा बोलने लगा मुझे माफ कर दो मै दोबारा ऐसी गलती कभी नही करूँगा उसने कविता को पुरा विश्वास दिला दिया कि वो दोबारा उसके साथ दुर्व्यवाहर नही करेगा उसे खुश रखेगा वो उसके बातो मे आ जाती है और बिना बताये अपनी मासी को अपने पति के साथ उसके घर आ जाती है, उसके कुछ दिन बाद उसका पति फिर उसे मारने पिटने लगता है इस बार वो अपने माता पिता को फोन करती है और सारी आपबिती बता देती है। उसके पिता उसे अपने पास बुलाते है और उसको नर्सिंग कॉलेज मे नाम लिखवा देते है दो साल मे कविता नर्स बन जाती है और किसी हॉस्पिटल मे काम करने लगती है। इधर कविता के घर वाले इसकी दूसरी शादी कराने का विचार करते है और लड़का देखते है उसकी शादी के लिए।इधर कविता का पति उसे ढूँढता हुआ आ जाता है इसके पीछे और मिलके फिर से माफी मांगने लगता है। कइ महीनों तक पीछा करने के बाद कविता का दिल पिघल जाता है कि उसका पति दोबारा उसके साथ ऐसा वैसा कुछ नही करेगा। वो अपने माता पिता से विदा लेके उसके पति के पास आ जाती है। कुछ दिन बाद फिर से उसका पति उसे मारने लगता है, किन्तु इस बार कविता मा बनने वाली होती है और मजबूर हो जाती है वो अपने पति को छोड़ कर कही जा भी नही सकती है। उसे जल्लील होना पड़ता है। दर्द सहना पड़ता है।
दस पंद्रह साल ऐसे ही निकल जाते है कविता दो बच्चो की मा बन जाती है। एक दिन उसका पति बीच सड़क पे उसे मारने पिटने लगता है और कविता कि सहने कि शक्ति जवाब दे जाती है वो अपनी इज्जत बीच सड़क पर नीलाम होने के बाद सारी शर्म खत्म हो जाती है और वो इस जुल्म का जवाब देने का ठानती है। पुलिस मे जाती है और अपने पति के खिलाफ केस दर्ज कराती है। पुलिस के कारण कविता थोड़ा अच्छा महसूस करती है उस दिन के बाद से कविता के उपर उसका पति हाथ नही उठाता है । कविता अपने प्रेम विवाह के फैसले पर रोती रहती है, वो किसी से बात नही करती, घूट घूट के जीती है ससुसराल वालों के ताने और अपने माता पिता से अलगाव उसे अंदर ही अंदर खाने लगता है वो बीमार रहने लगती है मानसिक तनाव कि वजह से आत्महत्या तक के ख्याल आते है उसे।
इसी दौरान करन उसे मिलता है जैसे भगवान नया जीवन दे रहे हो दोनों अच्छे दोस्त बनते है । एक दुसेरे से हर बात बताते है कुछ नही छुपाते । धीरे धीरे ये दोस्ती प्यार मे बदल जाती है।
करन को कविता बहुत अच्छी लगने लगती है वो खूबसूरत तो थी ही अंदर से भी बहुत अच्छी थी उसका सादा पन भा गया था उसे। किन्तु धीरे धीरे कविता कि खामिया दिखने लगी उसका हर छोटी बात पे प्लटना पहले तो करन को लगा कोई बात नही छोटी मोटी बात है वो नजरंदाज करता है पर उसे क्या पता था एक दिन ये चीज उस पर भारी पड जायेगी,किन्तु प्यार जब परवान चढ़ने लगता है तब दोनों तन मन से एक होने कि सोचते है ,समय बिताने का मन बनाते है और कही जाने कि योजना बनाते है करन खुशी से पागल हो जाता है अविवाहित है तो पहली बार किसी लड़की के साथ घूमने जाना उसको रोमांचित कर देता है। वो कविता को लेकर बहुत सारे सपने देख लेता है कविता भी उसके सपने साकार करने का प्रण लेती है और दोनो बहुत खुश होते है जब बाहर जाने का समय हुआ तो करने रेलवे स्टेशन पर कविता का इंतेजार करने लगता है जाने का समय हो जाता है। करन इस से पहले कविता को नही देखा था बस फोन पे बात होती थी आज एक दुसरे से मिलने वाले थे बहुत इंतजार करने के बाद कविता का फोन आता है और वो आने से मना कर देती है। करन ये बात सुन के सदमे मे चला जाता है वो सोचने कि कोशिस करता है अचानक से क्या हो गया तो कविता बोलती है मै अपने पति को धोख़ा नही दे शक्ति उसके दो बच्चे है घर वालो को क्या मूह दिखाएगी वो अपनी मजबूरिया बताने लगती है जिस पति से नफरत करती थी अचानक से पति प्रेम जागृत हो जाता है।
दुनियादारी कि बात करने लगती है उसका यूँ पलट जाना अपने फैसले पर वो भी कुछ समय पहले , करन को हिला देता है उसकी पूरी दुनिया उजड़ जाती है सपने टूट जाते है, प्यार से विश्वास खत्म हो जाता है। खुद के साथ धोख़ा हुआ महसूस करता है। जिस देवी को सच्चाई और अच्छाई कि मूरत समझता था आज वो उसका सब कुछ छीन लेती है। आँखों मे आँसू और दिल मे दर्द लेके वो घर चला जाता है। प्यार पे से उसका विश्वास उठ जाता है और ये प्रेम अधूरा रह जाता है । वो एक ही बात दोहराता है जो चीज अपनी नही उस पे क्या हक जताना। जो भी हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा होगा, पर इसमे कुछ भी अच्छा नही था एक सीधे साधे लड़के का जीवन बर्बाद हो गया। और ये इश्क़ अधूरा रह गया।