इसके बाद इन्सपेक्टर धरमवीर ने दिव्यजीत सिंघानिया को उसके विला से गिरफ्तार कर लिया, फिर उसे पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन लाया गया,तब सिंघानिया ने इन्सपेक्टर धरमवीर से पूछा...
"मुझे किस जुर्म में गिरफ्तार किया जा रहा है"
"आपकी पत्नी देविका सिंघानिया के खून के जुर्म",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"ये आपसे किसने कहा कि मैंने उसका खून किया है",दिव्यजीत सिंघानिया ने पूछा....
"अब आप सब कुछ सच सच बता दें तो आपके लिए ठीक रहेगा,क्योंकि मुजरिम के मुँह से सच्चाई कैंसे उगलवानी है ये हमें अच्छी तरह से पता है",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"जब मैंने कह दिया कि मैंने उसका खून नहीं किया है तब भी आप मेरे पीछे पड़े है",दिव्यजीत सिंघानिया बोला....
"लगता है आप आसानी से अपना मुँह नहीं खोलेगे",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"जब मैंने कुछ किया ही नहीं है तो मैंआपको क्या बताऊँ",दिव्यजीत सिंघानिया बोला....
"ओह...तो आपने कुछ नहीं किया",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"जी! नहीं! मैंने कुछ नहीं किया",दिव्यजीत बोला...
"अच्छा! तो ये बताइए रघुवीर कहाँ हैं",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"रघुवीर...मैं क्या जानू कि वो कहाँ है,वो पहले मेरे यहाँ काम किया करता,वो मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ,मैं तो ना जाने कब से उससे नहीं मिला,लेकिन आप मुझसे उसके बारें में क्यों पूछ रहे हैं",दिव्यजीत बोला...
"क्योंकि वो आपका साथी है और जितनी लड़कियाँ अब तक लापता हुईं हैं उन सभी में आपका और रघुवीर का ही हाथ है,बताओ क्या किया तुमने उन लड़कियों के साथ",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"कौन सी लड़कियांँ....ये आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा",
दिव्यजीत ने जैसे ही ऐसा कहा तो इन्सपेक्टर धरमवीर ने एक झन्नाटेदार झापड़ उसके गाल पर रसीदते हुए कहा...
"वही लड़कियाँ जिनका तूने रघुवीर के साथ मिलकर मर्डर किया है,बता उनकी लाशें कहाँ जलाईं तूने..कहाँ छुपाई तूने,नहीं तो अभी झापड़ ही बस पड़ा है,इससे और भी कुछ ज्यादा बुरा हो सकता है तेरे साथ"
"वो सब रघुवीर ने किया है,मैंने तो बस उसका ये राज छुपाया है सबसे",दिव्यजीत बोला...
"झूठ बोल रहा है तू,तू भी सभी कत्लों में बराबर का भागीदार है",इन्सपेक्टर धरमवीर ऊँची आवाज़ में बोले...
"लेकिन मैं सिर्फ़ उसे लड़कियाँ लाकर देता था,बाकी उनका खून तो वो ही करता था" दिव्यजीत सिंघानिया बोला....
जब दिव्यजीत सिंघानिया ने ऐसा कहा तो इन्सपेक्टर धरमवीर ने कान्स्टेबल से कहकर सतरुपा को वहाँ बुलवा लिया और जब सतरूपा को दिव्यजीत के सामने लाया गया तो वो उसे देखकर नाटक करते हुए बोला....
"अरे! देविका! तुम ठीक तो हो ना हो,कहाँ चली गई थी मुझे छोड़कर",
"सिंघानिया! तुझे अच्छी तरस से मालूम है कि ये देविका नहीं है,तू अच्छी तरह से जानता है कि ये कौन है", इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
तब सिंघानिया गुस्से से बोला....
"हाँ! मैं जानता हूँ कि ये कौन है,ये बार डान्सर सतरूपा है,मैं उस बार में अक्सर जाया करता था,जहाँ ये नाचती थी,देविका को मारने के बाद मैंने सोचा था कि मैं इसे देविका बनाकर अपने घर ले आऊँगा,लेकिन तुमलोगों ने मेरे सारे प्लान पर पानी फेर दिया,वो तुम्हारे दोस्त डिटेक्टिव करन ने पहले ही इसे देविका बनाकर मेरे सामने खड़ा कर दिया"
"मतलब तुमने ही देविका को मारा है,बताओ...क्यों मारा तुमने उसे और कैंसे मारा,कहाँ छुपाई उसकी लाश तूने" इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा....
"तुम लोगों को उसकी लाश मिलनी तो नामुमकिन है",सिंघानिया बोला...
"तो क्या तूने उसकी लाश को जला दिया,दफ्न कर दिया,किसी गहरी खाई में फेंक दिया या फिर तूने उसे किसी गहरी नदी में फेंक दिया",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"मैंने ये सब कुछ भी नहीं किया",सिंघानिया बोला....
"तो फिर क्या किया तुमने उसकी लाश के साथ....बता नहीं तो अभी तुझे उलटा लटकवाकर उगलवा लूँगा तेरे मुँह से" इन्सपेक्टर धरमवीर गुस्से से बोले....
"मैंने उसकी लाश की बिरयानी बना दी",सिंघानिया बोला...
"क्या बक रहे हो तुम! पागल हो गए हो क्या"? इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"मैं सच कह रहा हूँ,जो पिछले साल सतवीर सिंह की पार्टी हुई थी,तब मैंने जो बिरयानी बनाई थी वो देविका की लाश से ही बनाई थी,उस बिरयानी पर मुझे उस रात बहुत तारीफ़ मिली थी,देविका ने मेरे साथ बेवफाई की थी इसलिए उसे उसकी सजा तो मिलनी ही थी",दिव्यजीत सिंघानिया बोला....
"तू इन्सान है या जानवर",इन्सपेक्टर धरमवीर गुस्से से बोले...
"मैं इन्सान ही हूँ क्योंकि वो बिरयानी मैंने नहीं खाई थी,रघुवीर और पार्टी में जो लोग आएँ थे उन्होंने ही खाई थी",सिंघानिया मुस्कुराते हुए बोला....
"तू तो एक नम्बर का दरिन्दा निकला",इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"दरिन्दा मैं नहीं रघुवीर है,वो अगर एकाध हफ्ते तक किसी इन्सान का माँस ना खाएँ तो वो पागल सा होने लगता है",सिंघानिया बोला....
"और तू उसकी इस दरिन्दगी में उसका साथ क्यों देता रहा"?,इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"क्योंकि उसने पहली बार मेरी मदद की थी,तब से वो मेरा राजदार है,मैं उसे इन्सानों का माँस खिलाता हूँ और वो इसके बदले में मेरी वफादारी निभाता है",
दिव्यजीत सिंघानिया की बात सुनकर अब इन्सपेक्टर धरमवीर का माथा भन्ना गया था और गुस्से में आकर उन्होंने फिर से एक झन्नाटेदार झापड़ दिव्यजीत के दूसरे गाल पर रसीद दिया और उससे बोले....
"तेरे पास सबकुछ है,इतनी दौलत ,इतनी शौहरत,तो फिर तुझे और क्या चाहिए था जो तूने ऐसा किया"
"मुझे बेवफाई पसंद नहीं है,जो भी लड़की बेवफाई करती है तो मैं उसे रघुवीर के हाथों मरवा देता हूँ क्योंकि बेवफाई तो रघुवीर को भी पसंद नहीं,जितनी लड़कियों को रघुवीर ने मारा है आज तक वे सब किसी ना किसी से बेवफाई कर रहीं थीं,वो सब सजा के लायक थीं " दिव्यजीत सिंघानिया बोला...
"तू किस तरह का इन्सान है,पागल है क्या"? इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"हाँ! मैं दुनिया की सभी बेवफा औरतों को मरवा दूँगा",दिव्यजीत सिंघानिया चीखा...
"लेकिन जिज्ञासा तो बेवफा नहीं थी,फिर तूने उसे क्यों मारा",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"किसने कहा कि वो बेवफा नहीं थी,उसके पेट में मेरा नहीं किसी और का बच्चा था,उसका वो प्यार सब दिखावा था,असल में तो उसे मेरी दौलत से प्यार था,वो इतने सालों तक मेरे साथ झूठे प्यार का नाटक करती रही,लेकिन वो किसी और को चाहती थी,वो बच्चा भी उसी इन्सान का था मेरा नहीं",दिव्यजीत सिंघानिया बोला...
"लेकिन जिज्ञासा की सहेली अनामिका ने तो कुछ और ही कहा था" इन्सपेक्टर धरमवीर बोले....
"अनामिका मुझसे बदला लेना चाहती थी,इसलिए उसने मेरे बारें में झूठी अफवाहें फैलाईं",दिव्यजीत बोला...
"किस बात का बदला",इन्सपेक्टर धरमवीर ने पूछा...
"क्योंकि! वो मुझे पसंद करती थी और मैंने उसके प्यार को एसेप्ट नहीं किया था,मैं तब जिज्ञासा को चाहता था,उस बात का बदला",दिव्यजीत सिंघानिया बोला...
अभी इन्सपेक्टर धरमवीर की पूछताछ खतम नहीं हो पाई थी कि उनका फोन बज उठा और उन्होंने फोन उठाया तो पता चला कि रघुवीर को बस स्टाप से गिरफ्तार कर लिया गया है,वो अपने गाँव जा रहा था,ये सुनकर इन्सपेक्टर धरमवीर बोले...
"उसे फौरन पुलिस स्टेशन लाओ"
और फिर कुछ देर के बाद रघुवीर भी इन्सपेक्टर धरमवीर के सामने था....
क्रमशः...
सरोज वर्मा...