पिशाच - 2 HARSH PAL द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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पिशाच - 2


Part 2
आगे....
उसकी लाल आंखें थी चेहरा भयानक लग रहा था वह भयानक भयानक आवाज में चिल्ला रही थी मुझे देखकर वह भयानक आवाज में बोली चले जाओ यहां से क्यों इन लोगों के चक्कर में अपनी मौत को बुलाते हो मैं एक को भी नहीं छोडूंगा सबको मार डालूंगा
मैंने डरते हुए कहा:- क्यों... क्यों मार डालोगे सबको क्या दुश्मनी है तुम्हारी सब से और इस लड़की के पीछे क्यों पड़े हो क्या बिगाड़ा है इसने तुम्हारा।
पिशाच:- मैं इस लड़की के पीछे पड़ा नहीं मुझे लगाया गया है मुझे इस लड़की के पिता ने लगाया है
मैंने चौककर कहा:- लड़की के पिता ने यह कैसी बातें कर रहे हो तुम।
पिशाच अचानक मेरे पास आया और ठंडी आवाज में बोला :- हां पिता ने। और उसने मेरे गले को पकड़ कर पीछे की तरफ मुझे धकेल दिया मेरा सिर दीवार से टकरा गया और मैं बेहोश हो गया जब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि सोना मेरे पास बैठी मेरे बालों पर हाथ फेर रही है अब वह नॉर्मल लग रही थी सोना ने कहा :- अब कैसी तबीयत है तुम्हारी
मैंने कहा:- अब कुछ अच्छा महसूस हो रहा है
सोना:- पर तुम बेहोश कैसे हुए
मैं सोचने लगा शायद सोना को इसके बारे में कुछ पता नहीं है उसे समय उसका शरीर उसके बस में नहीं था वह तो पिशाच के वश में था इसलिए सोना ऐसा पूछ रही है मैंने कहा:- कुछ नहीं बस फिसल गया।
आज कितने दिनों बाद सोना ने ऐसी बात की मैं यह देखकर खुश था और यह सोच सोच कर पागल हो रहा था कि अगर पिशाच की बात सच है तो क्या सच में सोने के पिता ने पिशाच को सोने के पीछे लगाया है मगर वह ऐसा क्यों करेंगे सोना तो उनकी बेटी है वह क्यों अपनी बेटी के पीछे ऐसे पिशाच को लगाएंगे मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैंने सोचा जरूर कुछ ना कुछ राज जरूर है मैं कमरे में लेट रात होने का इंतजार कर रहा था कुछ देर में दिन ढल गया और रात हो आई मैंने खिड़की से देखा दूर शमशान में वही तांत्रिक साधना कर रहा है मैं घर के बाहर आया और उसे तांत्रिक के पास जाने लगा मैं वहां पहुंचा और तांत्रिक को सारी बात बताई और कहा :- बाबा अब तो पिशाच ने सोना के पिता की जान भी ले ली अब क्यो पीछे पड़ा है? क्यों वह उसे लड़की के शरीर को नहीं छोड़ता ?क्यों उसे आजाद नहीं करता ?क्या चाहता है वह? मैंने रोते हुए कहा:- मेरी सोना का कैसा हाल बना रखा है ना खाती है ना पीती है बस सारा सारा दिन कमरे में उदास बैठी रहती है अब क्या करूं कुछ समझ नहीं आता मैंने गंभीर स्वर में पूछा:- बाबा क्या आप मुझे पिशाच और सोना के पिता के बारे में कुछ बता सकते हैं
पिशाच कहता है कि वह स्वयं नहीं आया उसे सोना के पिता द्वारा सोना के पीछे लगाया गया है बाबा कृपया इस रहस्य से पर्दा हटाइए
तांत्रिक बोला :- बेटा सोना के पिता बहुत लालची इंसान थे परंतु उन्होंने पिशाच को सोने के पीछे नहीं लगाया यह सब बातें अनजाने में हुई उन्होंने तो यह षड्यंत्र अपने छोटे भाई को मारने और उसकी संपत्ति छीनने के लिए रचा था परंतु उसे दिन सोना ने पहले ही उसे टोटके पर पैर रख दिया और पिशाच सोने के पीछे पड़ गया लालच में आकर सोना के पिता अपने ही विनाश का कारण बने तांत्रिक ने मुझसे कहा बेटा मैं तुम्हें सलाह देता हूं कि तुम इन सब से दूर रहो नहीं तो तुम भी मारे जाओगे पिशाच बहुत ताकतवर है वह किसी को नहीं छोड़ेगा सोने के पिता को उनके कर्मों की सजा मिली अब सोने के पिता के कर्मों की सजा उनका पूरा परिवार भुगतेगा
मैंने कहा:- नहीं बाबा अपनी सोना को छोड़कर मैं कहीं नहीं जाऊंगा मैं इतना कह कर वहां से चला आया घर आकर देखा कि सोने की मां जमीन पर पड़ी है और उनका सिर फटा हुआ है फर्श पर खून फैला है पास ही खून से कुछ लिखा है "सोना अब तुम्हारी बारी"- पिशाच,
यह सब देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया मेरे पैर जम गए एक जगह जड़ हो गया माथे पर पसीने की बूंद लुढ़कने लगी सोना पास बैठी मुस्कुरा रही थी उसके दांतों पर खून लगा था मालूम हो रहा था कि उसने दांतों और नाखूनों से अपनी माता की हत्या कर दी नाखून खून में सने थे उसका चेहरा भयानक लग रहा था यह सब देख में स्तंभित रह गया अचानक सोना का शरीर अकड़ने लगा उसकी आंखें पलट गई चेहरा सूख गया
मैंने चिल्ला कर कहा:- क्या बिगाड़ा है सोना ने तुम्हारा क्यों इसकी जान के पीछे पड़े हो
पिशाच:' लौट जा बच्चे मैं तुझे नहीं मारूंगा मेरा काम मे विघन मत डाल इसी में तेरा भला है वरना तू भी मर जाएगा
मैने चिल्लाकर कहा:- नहीं मैं अपनी सोना के बिना कहीं नहीं जाऊंगा अगर तुम सोने को मारना चाहते हो तो उससे पहले तुम्हें मुझे मारना होगा पिशाच नहीं बच्चे मैं तुझे नहीं मार सकता मैं क्यों नहीं मार सकते
पिशाच ने कहा :- क्योंकि तू मेरा पोता है हां मैं तेरा दादा हूं बच्चे तेरा दादा
इतना कहते ही एक काली परछाई सोना के शरीर से निकाली और सोना बेहोश हो गई आकृति मेरे सामने आ खड़ा हो गयी मैं देख कर चौक हो गया मैं चिल्लाते हुए कहा:- दादाजी आप
पिशाच :- हा मेरे बच्चे
मैंने कहा:- लेकिन दादा जी आपकी मृत्यु तो बहुत साल पहले ही हो चुकी है अभी तक आपको मुक्ति नहीं मिली पिशाच:- नहीं बेटे तुम्हारे पिता ने मेरा पिंडदान नहीं किया और मैं इधर-उधर भटकता रहा लोगो को सताता रहा मैंने कहा :- दादाजी मैं आपके हाथ जोड़ता हूं सोना को छोड़ दीजिए
पिशाच:- बेटा आज तुम्हारे प्रेम ने एक पिशाच को जीत लिया वह तांत्रिक में ही था जो बार-बार तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा था बेटा मेरा पिंडदान करो और इस पिशाच योनि से मुझे मुक्त कर दो मैंने कहा दादा जी आप चिंता मत कीजिए मैं ऐसा ही करूंगा आपको मुक्ति अवश्य मिलेगी इसके बाद दादाजी धुआ बनकर उड़ गए इसके बाद हमने सोना की माता का देह संस्कार किया और दोनों का पिंडदान किया लेकिन कभी-कभी दादाजी की हो भयानक सूरत याद आती है और हमें सोने नहीं देती
लेखक:- हर्ष पाल
कहानी :- अब तुम्हारी बारी