Pyar ki ek anokhi dasta - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार की एक अनोखी दास्ताँ - 1

ये कहानी हैं आरोही के एक तरफा प्यार कि चलिए फ़िर इस कहानी के सफर मै माँ जल्दी करिये मेरी ट्रेन छूट जाएगी मेरी माँ आते हुए काव्या तुझे कितनी बार बोला है कही जाना हो तो पहले से बताआ दिया कर मेरी प्यारी माँ आपको तो पता में भूल जाती हुँ चीजे sorry ना मां बोली ठीक है आगे से याद रखे कर लोव उ मां आगे से याद राखुंगी ठीक मां मैं चलती हू मैने माँ के पैर छुये और घर से निकल गयी । अरे sorry मे तो आप लोगो को बताना भूल गयी मैं कौन हू ,मेरा नाम है काव्या शर्मा मै दिल्ली में रहती हू b.sc third year कि स्टूडेंट हू आज हम कॉलेज tour पर जा रहे है कल ही हमे प्रोफेस र बोला जिनको आना है वो आ सकता हैं summar vacation मै तो हम कहा पीछे रहने वाले वो भी शिमला मैं , वैसे भी कॉलेज का last year था फिर कहा ऐसा मौका मिलता फिर मैने मेरे दोस्तो साथ चलने plan बनाया और कॉलेज का last year यादगार बनाये , आज मैं यही जाने के लिए निकल रही हू। कॉलेज मैं काव्या तु आज फिर time pe नही आई, मैं बोली sorry सवी यार जल्दी नही उठा पाई सवी मेरी कॉलेज की best friend चल यार अब और देर मत कर मैने चल यार और फिर हम दोनों कॉलेज बस पर बैठ गये और बस चल दि अपनी मंजिल की ओर खूब मस्ती करते हुए। और अगले दिन हम शिमला आ गये शिमला में हम सभी स्टूडेंट को hotel मे रहना था और एक रूम मैं दो बच्चो को रहना था मैं और savi ek ही रूम रहे सभी स्टूडेंट ने अपने अपने room aur किसके साथ रहना है डिसाइड कर लिया , फिर सभी स्टूडेंट ने अपने अपने room key 🔑 ली और अपने अपने रूम में चले गये में और सवी भी अपने room में चले गये फिर हम fresh हुए और खाना खाया फिर बाते करने लगे तभी मेरे घर फोन आया तो मे बात करने के लिए जैसे हि बालकनी पे आई सामने का नाज़रा देख कर में अचंभित् रहा गया सामने पहाड़ बादल से धके हुए चारो तरफ हरियाली वो देख कर एक अलग सुकून अहसास हुआ ऐसा अहसास तो दिल्ली मे कभी महसूस नही कर पाते maine घर से कल उठाया तो माँ का call था माँ से बात करी और फोन 📱 रखा दिया और थोड़ी देर यही बैठे गयी तभी थोड़ी देर बाद सवी भी वह आगयी बालकनी का nazara देख कर उस का भी हाल मेरी तरहा था 😂😂 वो तो खुशी से उछलने लगी। फिर हम दोनों ने थोड़ी बाते करी और सोने चले गये अगले दिन हमे टीचर घुमाने ले जा रहे थे मैं और सवी जल्दी जल्दी तैयार होने लगे और जाने के लिये तैयार हो गये हम ने local train गुमने गये हम लोगो ने पूरे दिन खूब घुमे घूमते घूमते हमे शाम हो गयी और होटल जाने के लिये हम ने bus पाकर ली और कुछ time बाद हम hostel पूछ गये मैंने जैसे ही apne बैग bagstand se निकालने लगी तभी मेरे bag👜 sath ek डायरी आ के घिर गयी, मुझे लगा हमारे batch मैं से किसी की होगी तो मे उस डायरी को अपने बाग मे रखा लिया और बस से उतर गयी होटल जाने के बाद मैने सभी student से पूछा की ये डायरी उनकी तो नही है, सभी का जवाब दिया की ये डायरी उनकी नही है फिर मैं उस डायरी को अपने साथ अपने होटल रूम मै ले आई। Room मे आ कर mein aur सवि fresh हुए और अपना dinner किया और कुछ time बाद मेरी मां का call आया तो मे बात करने के लिये balcony मे चली गयी मां से बात करने मे time लग गया मे जब रूम पे आई तो सवी सो गयी थी में भी सोने के लिये बेड पर लेती पर मुझे नींद नही आ रही थी क्युकी मे बस मे सोते हुए आई थी room में नेटवर्क नही आ रहे थे तो कुछ फोन मे देख नही सकती थी तभी मेरा ध्यान मेरी bag मे रखी डायरी पर गया, मैने उस डायरी को निकला और खोलने की सोची पर मेरे मान मे आया की किसी की डायरी ऐसे देखना सही नही है फिर कुछ time के लिये में डायरी रख कर बालकनी में चली गयी पर मेरे दिल नहीं मान रहा था फिर मैने सोचा क्या पता जिसकी ये डायरी हो उसका address डायरी मे लिखा हो यह सोच कर में डायरी ले कर बालकनी पे आ गयी मैने सोचा की डायरी में address लिखा हो तो में इस डायरी उनको दी सकती हु ये सोच मैंने डायरी जिसे हि खोली उसमे एक लड़के की फोटो लगी थी फिर मैंने जैसे हि दूसरा page पलटआ तो उसमे नाम लिखा था आरोही राजपूत। Mujhe कुछ समझ नही आ रहा की इस डायरी में लड़के की फोटो kya कर रही है मुझसे raha नहीं गया मैने डायरी को पड़ने का सोच और मैने डायरी आगे पड़नी चालू करी अब आगे।

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