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मुम्बई - पार्ट 1


मुंबई ...

अखिर क्या व्याख्या है हमारे मुंबई की।

मेरे मुंबई को यू तो सपनों की नगरी से जाना जाता है। ये नगरी में इंसान कभी भूखा नहीं रहेगा लेकिन रहने को छत नहीं है।यहां की मानो बाकी शहरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजी से चलती है।

आज मे बताती हु आपको मेरी कहानी....
मेरा अब तक का सफर...
तो चलो चलते है ये सफर की ओर...।

एक लड़की थी दीवानी सी, मुंबई नगरी पर वो मरा करती थी.
उसे कुछ बनना था, अपना नाम बनना था, और उसे लगता था कि वो सब कुछ मुंबई जाके की पा सकती है।

वो मे थी,
मे गुजरात के रहने वाली हु मेरे गाँव का नाम है khedbhramha. (Sabarkantha)

2003 में हम हमेशा के लिए मुंबई रहने आ गए थे। मेरी खुशी का तो मानो ठिकाना नहीं था, मुजे लगा अब तो सब कुछ हो जाएंगे, मेरा सपना भी पूरा हो जाएगा. 🤩😛🫣 मुंबई में लोग क्या सपने लेके आते है. अच्छा ऐक्टर, अच्छा सिंगर शॉर्ट में कला के क्षेत्रों में अपना नाम कमाने आते है।

बचपन से ही मेरी रूचि ऐक्टिंग में रही थी, मुजे कोई हीरोइन नहीं होना था पर कला के रंगमंच पर अपना नाम भी लिखवाना था। एक कलाकार को क्या चाहिए होता है, बस एक तालियों की आवाजें उसमे उसकी मेहनत सफल हो जाएगी.

मेरे स्कुल के दिनों में नाटक में अपना पात्र निभाया करती थी, जब स्टेज पर पाव रखती थीं एक सुकून मिलता था। कभी मेने कॉमेडी की तो कभी रुला दिया, उस वक़्त लगा की बस यही है मेरे जीवन का उद्देश्य, कि मुजे एक कलाकार बनना है।

तो यही एक सपने को मन में संजोते हुए में मुंबई की ओर खुशी खुशी चली आई। मेरा पूरा परिवार मुंबई में बस गया। मुजे अजीज था वो तो वहीँ गुजरात में था, मेरे मामा का घर, जहां मेरी नानी मेरे सारे नखरे उठा या करते थे।

2003 मंगलवार था September month था और उस दिन गणपति बप्पा के विसर्जन का दिन था। फिर पाव रखें बोरीवली स्टेशन पर, भाई यहां लोगों को मेने चलते नहीं भागते हुये देखा, ट्रेन का शोर तो मेरे कानो में बजने लगा, वडा पाउ....ki आवाजें तो मुजे ज्यादा सुनाई दे रही थी। ये तो मेरे गाव से कितना अलग है महसुस किया मेने, यहां तो खडे रहने को जगह है ही नहीं.।🤔

मे आसपास का माहोल देखा किसी के पास समय था ही नहीं..फिर में पहुंची जहां हमने अपना गुजारा करना था भाई. 🤣🤣
एक छोटी सी रूम थी बाथरूम था और शौचालय कॉमन था,
😪😪😪😪

और मे अकेले गाना गा रही हूँ...

ये क्या हुआ, केसे हुआ, कब हुआ,......
ये ना सोचो.....
हमने जो देखा था सुना था,....जाने क्या बताये वो क्या था...

😅🤣🤣🤣🤣🤣

मेरे सपनों में जो शहर था मुंबई वो तो सच्चाई से विभिन्न था मेरे दोस्त, हमारे नाजुक दिल को जो धक्का लगा हम क्या ही बताये. 😃😃😃

सवाल पर सवाल करते रहे अपनी अम्मा से उनका सर खा गए। हमें तो भाई नानी की याद सताने लगी, हर शनिवार को मामा के घर जाना, वहां छुट्टियों में जलसा करना। कहा मेरा गाव राजा भोज, कहा मुंबई नगरी में हम गंगू तेली.
🫰🫰🫰🫰🫰🫰



आगे की कहानी ....Next part में। 😅😅😅🤗🤗



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