"इति सी खुशी"
लेखक =भवानी शंकर सोनी
एक मेला ,, जहां लगी है भीड़ लोगो की ।भीड़ में एक परिवार भी है , जिनकी ये कहानी है।
यह गरिमा है।
गरिमा: सुनो ,,,,ये देखो,,,,कितना सुंदर सोफा है।
ये है भरत गरिमा के पतिदेव।
भरत : हाँ ,,,, बहुत सुंदर है,,,,,
गरीमा: चलो देखते है।
भरत: यही से देखलो ,,,, हमे खरीदने तो है नही।
गरिमा: खरीदने नही है तो क्या,,,, देख तो सकते है,,, देखने के पैसे थोड़े ही है।।
चलो बच्चो,,,,
ये री और यो,,, री इनकी बेटी [7 साल)और यो इनका बेटा(12साल)
गरिमा बच्चो को लेकर अंदर चली जाती है,,,,
री: वाओ ,,,,मम्मा कितना सॉफ्ट है ये सोफा।।
यो: मम्मा ये पलँग देखो,,,,,कितना सुंदर है।
गरिमा: हाँ,,,, यही पलँग लेंगे।।।।
री :: मम्मा ,,,,,ये ड्रेसिंग देखो।
गरिमा: भैया ,,,, ये ड्रेसिंग कितने की है।
भैया: मेम,,,40000 की ,,,,, 15% डिस्काउंट है।।
गरिमा:ये पलँग?
भैया: 60000 का
यो: मम्मा ,,,,, रेट का टोकन सब पर लगा रखा है।
री: मम्मा,,,,,, ये देखो कम्प्यूटर टेबल ,,,,,कितनी सुंदर है,,, मुझे तो यही लेनी है।
गरिमा: हां,,, कितनी प्यारी लगेगी मेरी बेटी।
भरत बाहर खड़ा ,,, जेब मे रखे कुछ रुपए को मसल रहा,,,,कितनी अच्छी चीजें है ,,,,, सबको पसन्द भी है ,,, लेकिन ये गरिमा भी न खामखा बच्चो को सपने दिखा रही,,,,उसे पता है,,,, मेरी हालत खराब है,,,, लेकिन फिर भी,,,,, बच्चो को ऐसी चीजे दिखा रही जो मै खरीद नही सकता।।
उसका दिल पिस्ता है , जब परिवार चीजो को तरसता है,,,,,
गरिमा': भरत अंदर आओ ,,,,,देखो तो सही,,,कितना शानदार फर्नीचर है।
भरत गरिमा के पास जाता है और धीरे से कहता है: हमे जो चीज लेनी नही,,,, उसे देखना क्यो,,??
गरिमा: तुम भी न,,,,,,सपने बड़े करो,,,,,जब सपने बड़े करोगे ,,,,तो ही कुछ आगे बढ़ पाओगे।
भैया': कैसा लगा मैडम,,।
गरिमा: सारा फर्नीचर बढ़िया हैं,,,,, कुछ रोज बाद आप से ही लेकर जाएंगे। क्यो जी (भरत को पुछतीहै।
भरत भी हाँ में सर हिला देता है।
भैया: ये लीजिए मैडम हमारी दुकान का कार्ड, मेला 2 रोज का है। फिर हम आपको दुकान में ही मिलेंगे,,,,आना जरूर।
भैया से कार्ड लेकर गरिमा आगे बढ़ जाती है,,,,, भरत जेब मे जितना था,,,, वो गरिमा को दे देता है।
री: मम्मा मुझे झूला झूलना है, वो वाला।
यो: मम्मा मुझे तो सारे झूले झूलने है।
गरिमा: भया कितने का है टिकट।
भैया: 150 का। मैडम जी।
गरिमा: ये 150 का । चारो के लिए नही पूछा । दो बच्चो का बताओ।
भया: मेडम एक का 150,दो का 300।
गरिमा: मेले के नाम पर लूट मचा रखी।चलो बच्चो ,,कुछ और देखते है ।
री यो: मम्मा हमे तो यही खाना है, प्लीज प्लीज, प्लीज।
भरत: खिला दो न बच्चे इतना प्यार से कह रहे है,।
गरिमा: पैसे की कद्र ही नही,,, झूला दो भया, सेठ जी कह रहे है।
भरत: बस फटाफट झूले झूलो और घर चलो,,देखो अंधेरा होने को है।
गरिमा: मेले का मज़ा लेना शुरू ही किया है,,की कहने लगे घर चलो,,,,,,हम तो आराम से चलेंगे,,,,क्यो बच्चों,,
री यो: हाँ,,,मम्मा आज तो फूल पार्टी।
गरिमा: तुम इतना डरते क्यो हो,,, घर वही रहेगा,,,थोड़ा घूमो फिरो मस्ती लो,,,सिर्फ फोन,घर,नोकरी,,,, ये भी कोई जीना है,,,,,,,,,
भरत: डर नही लगता,,,,फिक्र है सबकी,,,,,रोज कितने अपराध होते है,,,,,कल को कोई ऊंच नीच हो गई तो क्या करेंगे,,,,,,लोग तो मुझे ही मूर्ख कहेंगे । समय से जाना ,समय से आना ,आज के टाइम में यही अच्छा है,,,,
गरिमा: ये फोन ने तुम्हारा कर दिया दिमाग खराब,,,,दिन भर पता नही क्या क्या देखते रहते हो।
चिंता मत करो में हु तुम्हारे साथ,,,,,,अगर कोई ऊंच नीच हुई तो मैं अकेली काफी हु,,,,,4 पांच गुंडों को तो युही चिर के फेंक दु,,,,,,,,
तुम मेला देखो,,, कितना सुंदर है,,,,किंतने प्यारे प्यारे बच्चे है,,,,,,वो देखो कितनी सुंदर लड़की,,,
भरत की चिंता फुर हो जाती है,,वह मुस्कुराते हुए गरिमा की बताई दीशा में देखने लगता है,,,
गरिमा: हम्म्म्म,,,,,,,लड़की का नाम लिया ,,,,मुस्कान आ गई लाड साब के चेहरे पर,,,,,,
हम साथ है,,,,,इसलिए बोर हो रहे है,,,,,,लड़किया देखने का मौका जो नही मिल रहा था।
भरत गुस्से से: गरिमा तुममे शर्म नाम की चीज है कि नही,,,,,जो मुँह में आया बक दिया,,,,,
गरिमा: क्या गलत कहा मेने,,,एक तो मुस्कान लाई तुम्हारे चेहरे पर,,,,भगवान ने आंखें दी है तो देखो,,,बाकी तुम्हारी मर्जी।,,,,बोरिंग मेन।
गरिमा भी बच्चों के साथ झूले खाने चली जाती है,,,
भरत कुछ देर मेले में रौनक देखता,,,फिर मोबाईल खोल लेता है,,,,,जिसमे
उसके पास नेगेटिव न्यूज और चेनल्स की भरमार है,,,,
भरत: पता नही लोग कैसी कैसी पोस्ट लगा देते है,,,पुलिस कोई कार्यवाही नही करती,,,,,,कार्यवाही न सही रिपोर्ट करने पर 5 से10 हजार का चालान ही करदे,,,,,कमसे कम कचरा तो बन्द हो।
भरत को मोबाइल्या रोग हो चुका है,,
असल मे दोष उसका नही,,,,आज भागते लोगो के पास वक्त ही नही इंसानों के लिए,,,और खाली लोगो का टाइम पास बन गया है मोबाइल।
उसकी तरह जाने कितने लोग वास्तविक दुनिया से टूट चुके है,,,ओर सोसल मीडिया की दुनिया से जुड़ चुके है।
हंसी खुसी गरिमा जो पास था, सब बच्चों की खुशी पर लगा देती है।
अगली सुबह
कॉलोनी में सुबह सुबह किट पिट की आवाज शुरू है... चलिए देखते है, आखिर माजरा क्या है।
मै तंग आ गयी हु इस जिंदगी से, रोज एक ही घिसी पिटी कहानी , सुबह से शाम तक कोहलू में बैल की तरह पिसते रहो, ये भी कोई जिंदगी है, सुबह उठो नास्ता , फिर बर्तन ,फिर दोपहर का खाना, फिर रात का खाना , फिर बर्तन ।ऊपर से लाड साब के ताने सुनो।
क्या क्या सपने देखे थे, और क्या मिला।
पता नही मेरे पापा को क्या पसन्द आया तुममे ।
जो यहां लाके पटक दिया।
कितने अच्छे रिश्ते आये थे, एक से बढ़कर एक ,लेकिंन पता नही कौनसा जादू कर दिया तुम्हारे घर वालो ने पापा पर ,,,जो तुम पसन्द आये।
काम के न काज के दुश्मन अनाज के।
वही मेले वाली गरिमा है :.. .., बड़े बड़े सपने थे इनके,,, लेकिन सब चकनाचूर हो गए।
भरत से शादी के बाद।
वैसे एक इंसान को जीने के लिए जितनी जरूरत होती है, वो सब कुछ है ,1 घर दो बच्चे और एक गूँगा पति, सॉरी गूँगा नही ,कम बोलने वाला और चुप चाप सुनने वाला ।
वैसे लड़कियों को ऐसा ही पति चाहिए ....
भरत: ठीक है मै निकलता हु ,,बच्चो को स्कूल छोड़ कर उधर से ऑफिस चला जाऊँगा।
गरिमा : ऑफिस ,
नोकरी करते हो गार्ड की और बोलते हो ऐसी शान से ...ऑफिस ।
जैसे कोई बड़े साब हो।
जिंदगी रोज बीत रही है, कुछ करो आगे बढ़ो।
नही तो युही एक दिन घिसते घिसते मर जाओगे ।
भरत अनसुना कर बाहर निकलता है। बच्चो को पुरानी सी बाइक पर बिठा कर स्कूल छोड़,,,,,ड्यूटी पर चला जाता है।
कुछ देर पहले,,,
गरिमा: कितना ,,,अच्छा मेला था,,,,मजा आ गया,,,,
भरत:: मेले में वो मजा कहाँ,,,जो तुम में है।
गरिमा: लाइन मार रहे हो।
भरत: लाइन नहीं पूरा का पूरा खुद मर रहा हु,,,,तुम पर,,,
गरिमा: अच्छा जी,,,,कभी कभी बड़ा प्यार आ जाता है,,,,
भरत: हमे तो रोज ही प्यार आता है।
गरिमा: प्यार को छोड़ो ,,ये tshirt देखो ,मेने खास तुमारे लिए मेले से ली,,,,,,कितनी सुंदर है,,,,,तुम्हे केसी लगी पहन के दिखाओ,,,,,
भरत: tshirt ,,,,नही मुझे तो तुम्हे ,,,,,,पहनना है,,,,
कहकर गरिमा को गले लगा लेता है,,,,,,
गरिमा: बच्चे बैठे है,,,,,देख रहे है,,,चलो जाओ,,,,,
भरत:: कभी कभी तो ये नशीला मौसम आता है,,, उसमे भी नखरे,,,,,,,
गरिमा: मेने क्या नखरे किए,,,,अब क्या बच्चो के सामने बेशर्म हो जाउ,,,
भरत: भरत धीरे बोलो ,,,बच्चे सुन रहे है,,,,
पूरे मुड की ऐसी तैसी करदी,,,,,।
गरिमा:क्या ऐसी तैसी करदी,,,,,,अच्छा भला प्यार किया उसका ये सिला दिया,,,,,,
भरत: कब,,,
गरिमा:रात में,,,,,भूल गए।
भरत: रात गई बात गई।
गरिमा:तुम्हारा कितना भी करो तुम्हे तो सन्तुष्टि आती ही नही।
भरत: तुम्हारे हाथ मे भी कितना पैसा देदो,,, तुम्हे सन्तुष्टि आती है,,,
गरिमा गुस्से में: इतनी कितनी गडिया लाकर देदी ,जो ये बात कह रहे,,,,,,
भरत समझ गया उसने बात गलत छेड़ दी। वह वहाँ से निकलने लगता है,,,,
गरिमा:
मै तंग आ गयी हु इस जिंदगी से, रोज एक ही घिसी पिटी कहानी , सुबह से शाम तक कोहलू में बैल की तरह पिसते रहो, ये भी कोई जिंदगी है, सुबह उठो नास्ता , फिर बर्तन ,फिर दोपहर का खाना, फिर रात का खाना , फिर बर्तन । ऊपर लाड साब के ताने सुनो।
क्या क्या सपने देखे थे, और क्या मिला।
पता नही मेरे पापा को क्या पसन्द आया तुममे ।
जो यहां लाके पटक दिया।
कितने अच्छे रिश्ते आये थे, एक से बढ़कर एक ,लेकिंन पता नही कौनसा जादू कर दिया तुम्हारे घर वालो ने पापा पर ,जो तुम पसन्द आये।
काम के न काज के दुश्मन अनाज के।
ऑफिस पहुंचने के बाद भरत सोच में पड़ जाता है....
बस एक बार किस्मत बता दे कि मैं क्या करूँ की कामयाब हो जाऊं , मेहनत तो में भी करता हु मजदूर भी करता है, सेठ भी करता है, लेकिन फल सबका अलग अलग, वाह रे जिंदगी ।
जिस दिन मुझे मेरी मंजिल का रास्ता मिल गया ,मैं गरिमा को बता दूंगा की मैं भी बहुत कुछ कर सकता हु..
लेकिन क्या करूँ की किस्मत खुल जाए , न तो पढ़ाई में होशियार और न इतना पढ़ा कि कोई बढ़िया नोकरी लग जाये।
कोई बड़ा बिजनेस करू तो पैसा ज्यादा चाहिए, छोटा करू तो मुनाफा कम पिसाई पूरी।
हाँ बिजनस छोटा हो या मोटा मालिक तो खुद होंगे।
चलो कोइ छोटे बिजनस के बारे में जानकारी नेट पर ढूढते है। फोन ऑन कर कुछ देर सर्च करने के बाद।
कोई भी धन्दा करो लेकिन कामयाब होंगे, ये पता नही । इसलिए अभी नोकरी करूँगा दो पैसे जमा करूंगा। फिर देखेंगे।
बस ,भरत का रोज का यही काम है।
शाम के 7 बजे है भरत दिन भर भविष्य ,कामयाबी और वर्तमान पर डिबेट कर घर आया है ।
आते ही गरिमा ने बोलना शुरू किया,,
गरिमा: आपके भाई ने कार ली है पता है वो भी 15 लाख की ..ओर एक आप है जो कभी 15000 एक साथ नही दिए मुझे शॉपिंग के लिए।
एक आपका भाई दिन भर कमाता है और एक तुम हो पता नही क्या करते हो दिन भर। लोग रात दिन तरक्की कर रहे है और मेरी किस्मत देखो ।
सुबह लगती हु नाश्ता रोटी बर्तन कपड़े सफाई फिर शाम को वही , फिर अगले दिन वही नरक सी जिंदगी करदी ।सादी करके आयी थी तो तुम्हारी माँ ने क्या क्या कहा था। हमारे घर काजू बादाम घी के भंडार भरे।
भरत की तरफ देखते हुए कहती है.....कहा गए भण्डार ?? मां पिताजी थे तब तक तो फिर भी ठीक था ।
अब तो लगता है गरीबो की जिंदगी जी रही हु। वो सीता, गीता ,बबिता को देखो कितनी काली कितनी गन्दी रहती है, उनके हाथ का तो मुझे खाना न भाये लेकिन इनकी किस्मत देखो पति ऐसे मिले है लाख पचास हजार तो युही उड़ा देती है।
एक मेरे है ,दिन भर मोबाइल बस ओर कुछ नही। जिंदगी में आगे भी बढ़ना है या सिर्फ युही कटनी है।
भरत चुप चाप बैठा अपना फोन चला रहा। और गरिमा की बातों को इग्नोर कर देता है।
भरत सोचता है भगवान भी न किसी को कितना देता है ,,किसी को खाली रख देता है।
मेरा तो ऐसा हाल कर दिया कि रोटी की जरूरत ही नही तानो से ही पेट भर जाता है।
जो सुबह सुना वही अचार के साथ शाम को सुना दिया। रोज की यही झिक झिक।
और कम्बल ओढ़ अपने फ़ोन में पोर्न चला लेता है।
क्या मस्त जीवन का मजा लेते है ये अंग्रेज ।
हम साले मर रहे है, तड़प रहे, भाग रहे ,रुपया, पैसा, सोना ,घर ,गाड़ी के पीछे।
आनन्द नाम की चीज ही नही, नरक है रे जिंदगी।
तभी गरिमा भरत को खाना, खाने के लिए बुलाती है।
आजाओ लाड़ साहब खाना खा लो,,, ठंडा हो रहा है।
भरत : मुझे भूख नही है।
गरिमा : भूख कहा से होगी लाड साब को, बाहर चारा चर के आए होंगे । कभी हमारे लिए भी ले आया करो।
हमारा कभी नही सोचते , कभी बीबी बच्चों को भी बाहर का खिलादे । नहीं इनको परवाह ही नही ,मुझे तो लगता है इन्हें ये याद भी रहता है या नही ,इनके कोई बीबी बच्चे है भी या नही।
गरिमा की किट- किट को वो म्यूट पर कर,
चुप चाप आके खाना खा लेता है।
कुछ देर बाद दोनों पति पत्नी बिस्तर पर लेटे है, लेकिन दोनों के बीच दूरी है।
भरत अपना हाथ गरिमा की पीठ पर रखता है और धीरे धीरे सहलाना शुरू करता है,।
लेकिन गरिमा कोई प्रतिकिरया नही देती।
फिर भी हिम्मत कर,
भरत उसके करीब आ जाता है ।
गरिमा अपना फोन निकालती है,और वाट्सप स्टेटस भरत को दिखाती है,,,,,,
गरिमा: ये देखो बबिता ने नया हार बनवाया,,,,कितना मस्त है।
भरत: हां,,,, इसका पति 2 नम्बर का काम करता है ,,,,,
गरिमा दूसरा स्टेटस दिखाती है
गरिमा : ये देखो गीता ,,,,,, इसका घर कितना मस्त है,,,,
भरत: घर जैसा घर है,,, क्या खास है,,,,,, बन्द चारो तरफ से ,,,ताजी हवा भी नही आती होगी,,,मेरा तो दम घुट जाए ऐसे घर मे।
गरिमा अगल स्टेटस दिखाती है।
गरिमा: ये देखो तुम्हारे भैया भाभी,,,,, साथ मे गाड़ी,,,,,एकदम नई ,,,,,
भरत: हाँ ,,अछि है।
भरत मन मे सोचता है,,,,लोग वैसे भी बहुत दिखावा करते है,,,,,, लेकिन अब ये वाट्सप फेसबुक आ गया,,,, जलाने की कोई कसर बाकी नही रहेगी। गोइंग टू शिमला, माई न्यू कार, वेडिंग ड्रेस, my हाउस, फार्म हाऊस, अंदर की बात नही बताते।
कि जैसे तुम दुखी हो वैसे हम भी किसी दुख से ग्रसीत है,।
नो चाइल्ड, नो लव हसबेंड, बीमारियों ने घेर रखा है, मेरा पति नशेड़ी है, दिन भर गालिया खाती हु फिर भी तुम्हे जलाने को स्टेस्टस लगाती हु।
गरिमा: भैया का एक पैर भी खराब है,,,, फिर भी देखो,,,,, पता नही तुम कब तरक्की करोगे।
भरत: अपना टाइम भी आएगा ,,,,बस तुम प्यार लुटाती रहो।
भरत गरिमा को कस कर अपने आगोश में भर लेता है।
गरिमा : ये करवालो इनसे। सारे संसार की हवस इनमे भरी पड़ी है ।प्यार नाम की चीज ही नही ,,बीवी बच्चो के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत ही नही इनमे।
अपना ध्यान अगर फालतू चीजो की जगह, अगर पैसे कमाने मै लगाते तो आज इस शहर के सबसे अमीर आदमी होते।
भरत हाथ दूर कर पीछे सरकता है। गरिमा उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब कर लेती ही। और उसके हाथ को अपने सीने पर रख लेती।
गरिमा: कुछ बोल दो तो मुह कर लेंगे बैंगन सा।
भरत मुस्कुराता है गरिमा भी मुस्कान देती है और कहती है: चिपक कर सो जाओ लेकिन हाथ फेरने के अलावा कुछ नही करना।
भरत उदास मन से हा कहता है, और कुछ देर उसे सहलाता रहता है, भरत को लगता है जैसे वो किसी लाश को सहला रहा हो।जब तक मेरे मन मुताबिक प्यार नही मिलेगा मैं आगे कैसे बढूंगा, पता नही।
कब आंख लग जाती है पता ही नही चलता।
गरिमा आपको बुरी लगने लगी होगी।
लेकिन वो दिल की बुरी नही, गरीब परिवार से थी मिडिल में आ गयी। सपने हाई क्लास के थे टूट गए।
सपने.......सपने कितने सुंदर होते है।
आपके भी होंगे मेरे भी। लेकिन अगर सपने खुद पर बुने तो शायद पूरे हो जाये। लेकिन जो सपने दुसरो के ऊपर बुने जाते है यकीनन अधूरे रह जाते है। भरत के सपने कुछ और गरिमा के कुछ और.......लेकिन दोनों के अधूरे........
अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर।
भरत दोनो बच्चो योगेश उर्फ -यो और रितिका उर्फ -री के साथ नाश्ता कर रहा है।
इनके नाम आधे इसलिये पड़े क्योंकि दोनों भाई बहन एक दूसरे का नाम अधूरा लेते थे, तो माँ बाप ओर मेने भी यही कहना शुरू कर दिया..यो रि।
री: पापा आपको पता है भैया ने i फ़ोन 12 मैक्स प्रो चलाया।
भरत भोला बनते हुए : अच्छा ये क्या होता हो।
री : अरे पापा आप तो उल्लू हो। आपको नही पता i phone 12 मैक्स प्रो बहुत op फोन है, आपको मालूम है कितनी गड्डियां लगती है तब आता है। i फ़ोन मैक्स प्रो 12।
भरत: कितनी??
री : एक लाख... इतने में तो अपन एक मकान ही तैयार कर वाले।
यो: आपको पता है i फ़ोन कितना स्मूथ चलता है, लोग फोन ऐसे ही नही लेते पहले देखते है ,उसका केमेरा कैसा है वो कितना स्मूद चलता है।
री: पापा आपको पता है कोई कोई तो अपनी हड्डियां बेच कर i फ़ोन 12 मैक्स प्रो लेता है।
यो: हड्डिया नही बेचता ,किडनी बेचता है।
री : हा वही, पापा कोई तो किडनी बेच कर i फ़ोन 12 मैक्स प्रो लाता है।
भरत बच्चो की बात से हँसी रोक नही पाता।
भरत: री तुम्हे कैसे पता कि किडनी बेचता है, या हड्डी बेच के i फोन लाते है।
री: मेने फ़ोन में देखा था, पापा अगर कोई दिल बेचदे तो कितने रुपये आएंगे।
री ने हस्ते हुए कहा ,लेकिन इस बार भरत की आंखे सहम गयी ,की एक छोटी बच्ची क्या कह गयी। पैसा दिल से बड़ा।
री हँसते हुए: पापा अगर दिल बेच दिया तो ....उसका हो जायेगा काम तमाम।
सभी हसने लगते है।
गरिमा भी सब सुन रही थी ,जो अब टेबल के पास खड़ी थी।
गरिमा: री बेटा अपना टाइम भी आएगा ।
एक दिन हम भी हर चीज खरीद पाएंगे और संसार की सारी खुशियां हमारे पास होगी ।
लेकिन तब ,जब यो कमाने लगेगा।
तुम्हारे पापा से मुझे कुछ उम्मीद नही।
यो: मैं बनुगा कलक्टर,,,,गुंडों बदमाशो को लुटूंगा और खूब पैसा लाऊंगा ,, पब्लिक को कभी तंग नही करूँगा।
जो भी लाऊंगा आपको और पापा दोनो को आधा आधा दूंगा।
गरिमा: पापा क्या करेंगे पेसो का, इन्हें तो पेसो से प्यार ही नही।
भरत: बच्चो के सामने तो कुछ लिहाज करो , भगवान की दया से बहुत कुछ है। अगर उसमे खुश रहे तो काफी है।
गरीमा सोचती है, बेटा तो बेटा होता है,, माँ की हर ख्वाहिस पुरी करने के लिए बेटा जी जान लगा सकता है। लेकिन एक पति अपनी पत्नी के लिए ,कभी नही।
गरिमा मुँह बनाते हुए कहती है :3 साल हो गए आप बाहर घूमाने ले जाने वाले थे क्या हुआ।
भरत : बस थोड़ा सेट हो जाय उसके बाद।
गरिमा: सेट कब होंगे, हमारे मरने के बाद ... भरत को घूरते हुए....एक महीने बाद बच्चो की छुटियां है तुम कैसे ले जाओगे , मै नही जानती लेकिन इस बार जाएंगे जरूर।
यो: हां पापा ले जाओ ना, सब बच्चे अपनी फेमली के साथ घूमने जाते है।
री: मैं तो जिंदगी में कभी घूमने नही गई, पापा ले जाओ न ।
भरत : जिंदगी ,,,,,, इतनी कितनी बड़ी होगई तुम, हु।
री को भरत गोद मे उठा लेता है।
री: पापा ले जाओ न पलीज , बर्फ वाली जगह , मुझे वो जगह बहुत अच्छी लगती है, मैं और यो बर्फ से खेलेंगे,,, प्लीज। मेने जिंदगी में कभी वो जगह नही देखी।
भरत हंसते हुए कहता है।
भरत: ठीक है, इस बार पक्का हम सब घूमने जाएंगे।
बच्चे खुशी से ताली बजाते है।
भरत ऑफिस के लिए निकल पड़ता है। एक पल गरिमा को कोसता है, सारी दुनिया मे मेरे लिए यही एक नमूना बना था,,,,,,, किट किट किट ,,,दिन भर।
लेकिन बच्चो की खुसी याद कर सोचता है,शायद गरिमा सही है, मै ही नालायक निकक्मा हु, जो अपने परिवार के लिये कुछ नही कर पा रहा।
जोश और क्रोध से उसकी आंखें लाल है उनमे आग है। पूरी दुनिया को आग लगादे इतनी।
लेकिन जैसे ही एक प्रेमी जोड़े को देखता है, अगले ही पल.. जोश कि आग शांत हो जाती है,
वह सोचता है।
क्या खुशी सिर्फ चीजो और घूमने से मिलती है या जो मै सोचता हूं,प्यार के बारे में , वह खुसी है।मै आज तक ये समझ नही पाया कि इंसान धरती पर क्यो आया।
रोज की किट किट सुन अब मुझे नफरत हो गयी इंसान की जिंदगी से।
इन पशुओ को देखो, न भुत का पछतावा न वर्तमान की चिंता , खाने की व्यवस्था ऊपरवाले ने करदी ,मस्त लाइफ , जिसे चाहा उसके पीछे हो लिए।
कुत्ते को देख कर कहता है.,,,,,,यदि पुनर्जन्म होता है तो मै अगले जन्म में कुत्ता बनूँगा ,,,,, लेकिन कुत्ते को गन्दगी खाता देख ,,,,,, मुह बनाकर कहता है,, कुत्ता तो नही बनुगा,,,,, फिर बैल को देख कर कहता है। अगर पुनर्जन्म होता है तो मै तो बैल ही बनुगा।
लेकिन बैल का खाना देख ,,,,
ओहो इतनी बदबू,,,,
मैं बनूगा चिड़या,,,,, लेकिन फिर कीड़े मकोड़े खाने पड़ेंगे।,,,, नही कीड़े नही,,,,मांसाहारी नही बनुगा।
मै तो इंसान ही बनुगा,,,
लेकिन कैसा,,,, पुलिस वाले को देख कर ,,,,
हुम्,,,, पुलिस ही बनूँगा,,,,, लेकिन उसकी तनख्वाह से क्या होगा,,,,,,ज्यादा के लिए रिस्वत लेनी होगी, आत्मा और भावना की हत्या करनी होगी।ईमानदार बना तो नेता जीने नही देंगे और बेईमानी की तो आत्मा जीने देगी।
पुलिस वाला तो ,,,,,,कभी नही,,,, ,,पिछले साल मेरा एक्सीडेंट हुआ, मेने 100 नम्बर पर कॉल किया।
तुरन्त पुलिस आयी, हमे थाने ले गई, जहाँ उलटा पुलिस मेरे ही गले पड़ गई।जबकि जिसने मुझे टक्कर मारी वो फूल नशे में था।वो भी 2 अक्टूबर को।
Fir दर्ज करने के बदले कहने लगे,तुमने सामने वाले से मारपीट की है,,, उसने तुम्हारे खिलाफ पहले एप्लिकेशन देदी इसलिए अब तुम पर केस होगा तुम फसोगे,,, हँसी भी आई और दुख भी हुआ ,जब 100 नम्बर पर कॉल करने पर आई पुलिस ने कहा,,,,,,की उन्होंने मुझे मारपीट करते अपनी आंखों से देखा।
किंतने लोग है जो पुलिस कि गन्दी छवि के कारण,पीड़ित होते हुए भी fir तक दर्ज नही करवाते।
वो भुआ जी के देवर के लड़के को जब उसी की पत्नी ने जहर दे दीया था , कितनी भीड़ इकट्ठी हुई मोर्चरी पर, लेकिन उसके लिये नही । सिर्फ समाज के नाम पर तमासा देखने। लड़के के बाप ने थोड़ी सी आवाज ऊंची क्या की। पुलिस वाले ने कैसे झिड़क दिया। उस भोले बाप का दर्द में समझ रहा था।
लेकिन समाज के पंच तमाशा देख रहे थे। पिता ने ह्त्या करना fir में लिखवाया तो पुलिसवालों ने तुरंत डराना शुरू कर दिया , 302 लगवा रहे हो ,साबित तो कर दोगे ना, नही तो उल्टा तुम्हारे गले आ जाएगी।
हत्या हुई, नही हुई भगवान जाने , लेकिन fir सिर्फ मर्ग बन कर रह गई।
कुछ पुलिस वालों के कारण कानून की इज्जत है, वरना पुलिस वालो ने तो कानून को वेश्या बना रखा है।
खैर पुलिस वाले से हर कोई वाकिफ है,,, तभी तो रोज फिल्मो में इनकी बेइज्जती होती है।और वो कुछ बोल भी नही पाते।
नही पुलिस वाला कभी नही,,,,,, उसकी नजर अस्पताल पर पड़ती है,,,,मै तो डॉक्टर बनुगा।
तनख्वाह तो इसमें भी फिक्स है,,,लेकिन फिक्स से क्या होता है,,,,,,,,डॉक्टरों की तो दीवारे भी सोने की होती है, फिर भी मरते आदमी से फीस लेना नही भूलते,,,,, ये इतने पैसो का करते क्या है,, क्या इनकी पेसो की भूख खत्म नही होती, कहि ये भी कोई नशा तो नही,,,
सरकारी हसपताल में इलाज हो तो भी घर मिलने बुलाते है, मां के ऑपरेशन के लिए , डॉ के घर पर पापा के साथ गया था ,तब कैसे डराया उसने ,,कितना खतरनाक ऑपरेशन है, किसी बड़े हॉस्पिटल में इलाज करवाए। 1000 रपए पापा ने उसकी तरफ बढ़ाए तो वो क्या बोल था ,,,,भिखारी समझ रखा है,,,क्या है ये,,, और 5000 करते ही फाइल आगे करके कहा,,,,इसमें रखदो,,,,,हो जाएगा ऑपरेशन,,,,,, हां माँ को ठीक तो कर दिया,,,,, बस यही खुसी की बात है।
खैर मैं डॉक्टर बना तो,,,, किडनी चोर डॉक्टर बनूँगा,,,, हंसते हुए कहता है।
हसपताल के बाहर बुढ़िया को रोते देखता है,,,,
भरत : क्या हुआ अम्मा???
बुढ़िया: अपना घर बेच कर इन कुत्तो का घर भर दिया,,,,
अब कहते है ,,, हम कुछ नही कर सकते।
मेरे पति को खा गए,,,, बच्चों की छत भी छीन ली।।।
भरत: थाने जाओ अम्मा,,,
बुढ़िया:: काला कोट, सफेद कोट , खाखी, इन तीनों से भगवान किसी का पाला न पडाये,।
सब के सब लुटेरे है,,,,,,,मैं गरीब लाचार इनसे लड़ नही सकती ,,, बस आते जाते इन को गालियां औऱ बदुआए दे जाती हु।
कीडे पड़ेंगे कीड़े। वन्स खत्म हो जाएगा इनका, भगवान इनको औलाद न दे, दे तो बीमार दे, ये सारे पापी कुमोत मारे जाएं।सब के सब।
कहते कहते बुढ़िया ,,,आगे निकल जाती है।
भरत: पागल हो गई लगता है।
नही पागल नही ,,, सच ही तो कह रही ,,,, न्याय , दया धर्म ,नाम की चीज ही नही रही ,,,,, सब पैसे के पीछे भाग रहे है।
भरत: बात तो सही है, वकील और जज भी तो बिकते है।
अरे भूल गया ,
मुझे भी भागना था,,
कहाँ था मैं,,,, डॉक्टर ,,,
हाँ डॉक्टर ,,,,,, यदि गलती से विदेश चले गए तो,,,, माँ बाप का त्याग करना होगा,,,,, ये मुझसे नही होगा।
मै डॉक्टर नही बनुगा,,,,मै तो नेता ,,,,,, नही वो चोर है,, उससे बड़ा हरामी कोई नही, इनका काम है जनता की भावनाओ से खेलना और माल दबाना, ये फिल्मी सितारों से बेहतर अभिनय जानते है।।
आम पब्लिक तो सिर्फ घुट घुट कर जीते आ रही है।
पहले राजा के राज में,
फिर मुगलो के राज में,
फिर अंग्रेजो के राज में,
अब नेताओ के राज में।
इन सब मै एक चीज कॉमन है,,
फुट डालो और राज करो।
सिर्फ सत्ता परिवर्तन हुआ है,और कुछ नही।
मोरल ऑफ स्टोरी : चाहे, नेता बनो या सितारा,डॉक्टर बनो या पुलिस, जमादार बनो या चौकीदार,। ऐश करना है तो बईमान ही बनना पड़ेगा,,, ईमानदारी के फतवे से दुख के सिवाय कुछ नही मिलता ,,,,
वैसे अगर इंसान के जीवन मे पैसा नही होता तो,,,,सब कितने अच्छे से रहते,,,,,, न कॉम्पिटिशन होतो,, न ये बेकार की भाग दौड़। आजाद पंछी की तरह सब मस्त गगन में उड़ते।न ईर्ष्या न घमंड सब अपनी मस्ती में मस्त रहते।
मस्ती समझते है न आप??
इस सुंदर जीवन मे भागदौड़ ओर तनाव की जिम्मेवार है ये सुविधाएं ,,,,ये दिखावटी चीजे ,जो ईर्ष्या को जन्म देती है ,,,, औऱ ईर्ष्या तनाव को,,,,,,,।
सोचने वाली बात है कि हम धरती पर हम आए ही क्यो?????
पैदा हुए,,,, कुछ दिन मजे किये,,,,, फिर पढ़ाई की टेंशन।
फिर नोकरी की टेंशन।
फिर बीवी की ख्वाहिशो की टेंशन।
बच्चो की पढ़ाई और उनकी शादी की टेंशन।
फिर पोता पोती के भविष्य की टेंशन।
इसी टेंसन में जीवन पूरा।
पापा का।
दादा का।
अमीर का।
गरीब का ।
सब का।
यही तो चक्र है,,,,,,बकवास लाइफ।
मै कुछ अलग करूँगा।
सोचते सोचते भरत ऑफिस पहुंचता है।
भरत अभी गार्ड है, कभी वो सेल्समेन है ,कभी कुछ तो कभी कुछ ववास्तव में उसकी नोकरी और भविष्य अभी तय नही।
जब तक माता पिता थे तो उनकी पेंसन एक बहुत बड़ा सहारा थी। लेकिन अब हालात थोड़े मुश्किल है।
हो सकता है समय के साथ वो उबर भी जाये लेकिन उसकी सुई तो पोर्न पर अटक गई है, जो शायद उसकी कामयाबी में रुकावट का काम कर रही हो।
भरत तय करता है, इस बार सबको घूमाने ले जाऊँगा चाहे कुछ भी हो, इससे शायद उसे भी खुसी मील जाए।
वो तय करता है, अगले महीने सबको घुमाने ले जाएगा।
अब इनसे मिलिए .....
ये झींगा सिंह है। भरत का दोस्त हमदर्द।इसकी सेक्योरिटी गार्ड की एजेंन्सी है, भरत को इसी ने नोकरी दी,लेकिन किस्मत इसकी भी कुछ खास नही,
झींगा आज सिक्योरिटी गार्ड एजेंसी चलता है.. लेकिन कल तक इसका राजस्थान में बहुत बड़ा जेवेल्लरी शोरूम था...
झींगा: अरे भाई हाँफते हुए क्यो आ रहे हो.;...
नोकर: सेठ जी पुलिस आयी है...
पोलिस चोरी का माल खरीदने के इल्जाम में झींके को पकड़ कर ले जाती है..
उधर नौकर मौका पा माल साफ कर देता ...
जब झींगा वापस आता है , उसे पता चलता है नौकर ने उसके साथ धोखा किया तो वो दुखी होता है...
तब एक लड़की झींगे को प्यार मकहोबत के चक्र में फसा बाकी माल ले जाती है.. झींगा बिचारा प्यार का मारा सड़क पर आ जाता है।
शनघर्ष ही जीवन का दूसरा नाम है और आज देखो
भगवान की कृपा से इसके सब ठाठ बाठ है।
आज झींगे की सिक्योरिटी एजेंसी टॉप एजेंसी में आने लगी है..झींगे की एक खासियत और है,,,
जैसे जैसे वो पैसा बनाता है वैसे वैसे उसके जेवर बढ़ते है,, जैसे चैन अंगूठी वगेरा वगेरा....
कमी है तो सिर्फ एक लडक़ी की।
भरत झींगा को आवाज देता है।
भरत: ए झींगे।
झींगा: कोन है बे। किसकी हिम्मत हो गई मुझे झींगा कहने की।
भरत: मैं हु।
झींगा: तू है, ......तू है.... तो ठीक है, नही तो अब तक खून की नदियां बहा देता।
बोल क्या काम था।।
भरत : कुछ नही, बस ऐसे ही यार की याद आयी तो चला आया।
झिगा: यार मतलब के बिना तू सकल न दिखाए, काम क्या है वो बोल।
भरत : कुछ खास नही बस अगले महीने सैलेरी दो महीने की साथ औऱ 15 दिन की छुट्टी।
झींगा: गांव बसा नही भिखारी पहले आ गए।
भरत: ए झींगे , क्या बोला बे , फिर बोल,
तेरा झींगा लाला करता हु।
झींगा: क्या झींगा-झींगा करता है, भाई मेरी इज्जत की धज्जियां क्यो उड़ाता है, लोग मुझे कितने प्यार से झींगा जी, झींगा सिंह जी बुलाते है, और तू सीधा झींगे, तू क्या है, दोस्त है कि दुश्मन।
भरत: दुश्मन। एक छोटा सा काम बोला , उसमे भी ना नुकर।
मै तेरी भाभी को कश्मीर ले जा रहा हु, उसकी मौसी के पास, जिनके दो लड़कियां है, शादी लायक।
मेने सोचा तेरी बात चलादु लेकिन तू तो झींगा जी बन गया।
झींगा: दुनिया के लिये झींगा जी, तेरे लिए झींगे , झिंगहिया ,जाघिया , जो तू बोले तू तो मेरा यार है। तेरा काम सबसे पहले होगा। हजार रुपया बोनस के साथ।
अब तो खुश।
भरत: हां ठीक है।
झींगा': लेकिंन मेरी बात मत भूलना।
भरत: कोनसी?
झींगा: इतनी देर मै भूल गया। जा नही होगा तेरा काम।
भरत: कौनसी, ओह वो शादी वाली।वो तेरी नही मेरी बात है,नही ,मेरा मतलब बात मेरी है लेकिन बात तेरी शादी की करनी है, वो बात मैं नही भूलूंगा।
झींगा सर पकड़ कर,ठीक है तू पैसे ले जाना बस झींगे को मत भूलना।
हंसता मुस्कुराता भरत
शाम को घर के लिए निकलता है।
भरत सोचता है।
कहाँ था मै। हाँ
वैज्ञानिक ,,,,,,, हँ
मैं वैज्ञानिक बनुगा,,,अगले जन्म में , न बेईमानी न रिश्वत,,, मैं कुछ नया इनवेंट करूँगा।
जैसे ,,,,ऐसी, ,,,फ्रीज,,,,,मोबाइल,,,,,,
लेकिन उसमें मजा क्या होगा,,,,,
लोगो को उसका नशा होगा,उनकी परेशानी ओर बढेंगी
लेकिन मेंरे पास तो पैसा ही पैसा होगा।
नही मै ऐसा बनुगा जो लोगो की भावना समझे,,,
उनके ,दुख दर्द दूर कर सके,,,,
मै बनूँगा ,,,,, बाबा।
नही आज ज्ञान की जगह धर्म को भी धंधा बना दिया।
ये भी,,,,, वैसा हो गया,,,, गन्दा है पर धन्दा है,,,,
पैसा ईमान एक साथ मिल ही नही सकता।
भगवान अगले जन्म मुझे इंसान बनाना।
लेकिन ईमानदारी ,, दया धर्म मेरे खून में मत डालना,,,
प्लीज ,,,,
नही तो में कुछ नही कर पाऊंगा।
अगर ये न कर पाओ तो,,,,,,उस दुनिया मे भेजना जहां सब मेरी भावनाओ से चलते हो।
सोचते है भरत घर पहुंचता है।
गरिमा दरवाजा खोलती है।
भरत: गुड न्यूज।
इस बार हम सब कश्मीर घूमने जायेगे ।
सभी खुश। वाओ , मजा आ गया।
गरिमा जो सुबह तक उसे कोष रही थी, उसका तो चेहरा गुलाब की तरह खिल गया।
बिस्तर पर
री :मम्मा में तो कश्मीर में मस्त मस्त तैयार होउंगी ,खूब मजे करूँगी।खूब बर्फ से खेलूंगी
यो: मै वहाँ खरीदूंगा गन,,औऱ मारूँगा आतंकवादियों को।
गरिमा: कश्मीर घूमने जा रहे है, बॉर्डर पर नही।
भरत सोचता है, बॉर्डर सरहद ,हर देश एक दूसरे पे राज करना चाहता है।
या इंसानी फितरत ही ऐसी है। मैं बड़ा मैं बड़ा।
जाने इन आतंकवादियों को क्या मिलता है आतंक फैला कर।
आतंकवादी हो या अपराधी, इनकी मुख्य जड़ है नशा
,शराब ,अफीम,हेरोइन पता नही किंतने नशे है,,,जो इंसान के विवेक को मारने का काम करते है,,,जब तक ये बन्द नही होंगे,,,,अपराध कतई बन्द नही होंगे।
कितने देश , कितने धर्म, कितनी जातिया ,पूरी धरती बंटी पड़ी है,,,,,,सब कहते है हम महान,,,हमारा देश महान,,,,हमारा धर्म महान ,,,हमारा मजहब महान,,, सिर्फ नफरत भरी है दिलो में, ।नफरत वन होती दिलो में तो सब कहते ,,,आप भी महान हम भी महान।हम सब एक समान।
भरत जेब मे हाथ डालता है पैसे निकालता है।
भरत : री , ये लो बेटा ये आपकी नई ड्रेस के लिए
री : थैंक्यू पापा,
भरत : ये लो, ये यो के लिये।
री पैसे लेकर मम्मा को देती रहती है।
भरत: ये मम्मा की ड्रेस के लिए।
भरत के हाथ मे अभी भी कुछ पैसे बचे है।
सारे री की तरफ करता है, ये लो बेटा क्या पता कम पड़ जाए।
री खुशी से फूली नही समा रही, पर पापा का खाली हाथ देख पूछती है।
री: आपके लिए,,,,,
भरत: मेरे पास तो वैसे भी बहुत सारे नए कपड़े पड़े है।
री' : सब नए पहनेंगे और आप पुराने , ऐसे नही चलेगा।
भरत:अरे बेटा, प्रेस करवाते ही नए हो जाएंगे।
री: नही ऐसे नही चलेगा, मैं अपनी गुल्लक से आपको नई ड्रेस लाकर दूंगी। पता है कौनसी।
गरिमा: ओहो बेटी को बड़ा प्यार आ रहा है पापा पर।
री: दोनो को लाकर दूंगी।आपको भी पापा को भी।
भरत मुस्कुराते हुए पूछता है: कौनसी??
री: वो फ़िल्म है ना। .... नाचो रे न न नाचो रे(rrr)उसमे जो हीरो ने टाई वाली पहनी है ,वही।
भरत: अच्छा।
भरत सोचता है, बचपन मे क्यों पापा, बहन को ज्यादा प्यार दुलार करते थे, कितना ख्याल रखती थी वो पापा का, पापा के लिये हरपल तैयार, बिल्कुल दादी की तरह।
पाप :भरत पानी लाना,,,
आवाज के साथ ही पानी लाने जाता।।
तभी बहन पीछे से आ जाती।
बहन: गिलास मुझे दे,,,पापा को पानी मे दूँगी,,
भरत: नही,,, मै देदूँगा अपने आप,,,तू जा तेरा काम कर,,,
बस वो रोने बेथ जाती,,फिर पापा चिल्लाते,,,भरत गुडी को देदे ग्लास,,,, तू मत लाना,,, मैं उसी के हाथ से पानी पिऊंगा।
बस इतना सुनते ही,,बहन मुस्कुराते हुए मेरे हाथ से ग्लास छीनकर पापा के पास पहुँचजाति।
मै बहन को कितना चिढ़ाता था, पापा की चमची कहता था, उसे बुरा भी नही लगता था
पापा छूटी वाले दिन आँगन में बिस्तर पर बैठे आवाज देते थे,,
पापा: भरत यहाँ आ बेटा पैर दर्द कर रहे है,,,
भरत: पापा ,,,आज सन्डे है,,, अभी साइकिल निकाली है,,एक चक्कर काट कर,,,,,
मेरी बात खत्म नही हुई ,बहन खाना छोड़कर आ गई,,,
बहन: भाई तुम जाओ ,पैर में दबा दूंगी,,,,
पापा : गुडी ,तू नही ,, लड़कियां तो माँ होती है ,तू पैर नही दबाएगी ,,,उधर हो बेटा।
बहन: माँ , होती है ना। पांव इधर करो,,,, बच्चे की तकलीफ माँ ठीक नही करेगी तो ,,,कौन करेगा,,, चलो पांव इधर करो,,,, मैं मां हु ना,,, आपने ही कहा।
पापा झूट बोलते हुए: अरे मेरी माँ, पाँव ठीक हो गए,,,तू इधर आ ,,,,सर दर्द हो रहा है,,, सर दबा दे,,,,, आ,,,,आ,,,आ
वो भी क्या दिन थे,
बहन कब बड़ी हुई , कब शादी हुई, कब उड़ कर विदेश में बस गई।समय का पता ही नही चला। अब तो री ही मेरी मां है मेरी बहन और प्यारी बेटी।
एक पुरुष को अपनी माँ से मिलने वाला प्रेम,बहन से मिलने वाला स्नेह जब प्रकृति छीन लेती है ,तो उसे ।
वापस बेटी के रूप में लौटा देती है ।
गरिमा को ही देखलो ,,,इसने अपने पिता का ख्याल तो रखा ही होगा,,,,लेकिन अपने ससुर की जो सेवा की उसके लिए तो इसकी दाद देनी होगी।
पर ये मेरा खून क्यो पीती है ये समझ नही आया।
गरिमा की आवाज आती है।
तुमहै समझदार बनाने के लिए
गरिमा : आज बिना फोन कहाँ खो गए ,।इधर देखो बच्चे सो गए।
भरत हड़बड़ाते हुए: कहि नही,,।
गरिमा: फिर पास आ जाओ , दूर क्यो हो पड़े।
भरत गरिमा को गले लगाते हुए कहता है: i लव यू।
गरिमा ' : मखन लगाने की जरूरत नही,
और भरत को कस कर पकड़ लेती है।
आज हां भरने मात्र से भरत को दिल खोल कर प्यार मिलता है। समझ गए। भाई पलँग तोड़।।
भरत: बाकी सब धोखा है, यही आनंद सबसे चोखा है।
समय बीतता है।
और वक़्त आ जाता है ...कश्मीर घूमने का।
घर के सभी सदस्य पैकिंग शुरू कर दे है, और कर भी लेते है।
तभी भरत मुह उतारे घर आता है।
गरिमा: क्या हुआ आज मुह क्यो लटका है।
भरत: कुछ नही ।
गरिमा: हम जा रहे है ना।... आज की ही बात हुई थी।
भरत: नही इस बार नही... अगली छुट्टियों में देखेंगे।
री: पापा ये गलत बात है।
यो: हमने तो सारे दोस्तो को बता दिया... स्कूल से भी छुट्टी ले ली ...
री: क्या पापा हो आप भी ... मुह बनाते हुए कहती है।
गरिमा: मुझे पता था...तुम एन वक्त पर यही कहोगे... तुम्हे तो हमारी खुसी बर्दाश्त नही होती.... कितने अरमानो से पेकिंग की ... कितने खुश थे सब ,,,,, लेकिन तुम ....सब अरमानो को खुरच कर नमक भर दिया...कैसे आदमी के पीछे मेरे बाप ने मुझे भेज दिया.... किसी काम का नही... खुश होने ही नही देता।
भरत: क्या हुआ??
गरिमा: क्या हुआ ।। आग लगादी ,,,, और पूछते हो क्या हुआ।
घुमाने का कह कर... एन मोके पर कह दिया नही जाएंगे।
भरत : कब।
री: अभी तो कहा था।
भरत: ओह वो... वो तो में फ़ोन पर बात कर रहा था।
ये देखो नया ब्लूटूथ ईयरफोन लाया हूँ। झींगे का फ़ोन था,,कह रहा था गोआ चले ,,, मेने कहा अगली छुटियो में।
यो: क्या हो रहा समझ नही आ रहा।
हम जा रहे है , या नही।
भरत री को गोदी में उठा कर जोर से कहता है "हम जा रहे है.." चलो...
री भरत के कान में बोलती है।
री: आपको तो उल्लू बनाना भी नही आता।
भरत: बनाया ना अभी।
री: मैं नही बनी।।
आपका इयरफोन कनेक्ट नही है ,,, वो टू टू बोल रहा है... और हसने लगती है।
भरत: कई दिन से तुम्हारी मम्मी की डांट नही सुनी तो एनर्जी डाउन थी,,, बस रिचार्ज करने के लिए ऐसा किया।
सभी निकल पड़ते है कश्मीर को...
लोग कहते है कश्मीर जनत है, जनत तो नही लेकिन उसकी खूबसुरती जन्नत सी लगती है...पूछो क्यो?? अरे भाई जन्न्त तो मरने के बाद देखेंगे... और मरने के बाद किसी ने वापस आकर बताया नही की जन्नत कैसी है।
जैसे बाकी शहर ब्लैक एंड व्हाइट है तो कश्मीर कलरफूल है, जहाँ बाकी शहर मानव निर्मित लगते है वही कश्मीर आज भी प्रकृति निर्मित दिखता है, उसकी सुंदरता......वाह भाई वाह ,
खैर...... भरत गरिमा का ये हनीमून टूर भी कह सकते है। दोनों बहुत खुश है लेकिन खुस होना और खुश रहना बड़ा अंतर है। सफर की तो सारी व्यवस्था थी लेकिन भरत को चिंता थी ऊपर कितना खर्च होगा जेब मे थे कुछ पैसे दिन निकालने थे 7 ।। तो हिसाब से ही चलना पड़ेगा ।
बस में बैठी गरिमा भरत से कहती है: होटल में कमरे तो बुक करवा रखे है न तुमने।
भरत :नही होटल ऑनलाइन महंगा पड़ता है। 1500 एक रूम बच्चों का अलग से रूम लो। वही चल के देखेंगे।
गरिमा: काम कर के भी अधूरा किया , आगे कमरे न मिले तो क्या करेंगे, अनजान जगह कहा रुकेंगे।
भरत उसे शांत रहने को कहता कि आगे उसका एक दोस्त है वो सारी व्यवस्था करवा देगा।
बस स्टैंड पर रुकती है , भरत उतरते ही अपने दोस्त को फ़ोन करता है। उसे जवाब नही देता और रात उन्हें स्टेण्ड पर ही बितानी पड़ती है।
गरिमा: आप के भरोसे रहे तो पता नही आगे क्या क्या दिन देखने पड़ेगे। है प्रभु अब तुहि सहारा है।
अगले सुबह एक बच्चा उन्हे नींद से जगाता है।
बच्चा: साब ओ साब,उठो सुबह हो गयी । सस्ता सुंदर रूम चाहिए तो बोलो साब।
भरत: कौंन ।
गरिमा: सस्ता कमरे वाला आपका दोस्त।
बच्चा: साब में छोटू, आगे बाजार में मेरा ,मकान है, उससे सस्ता और बढ़िया कमरा आपको कहि नही मिलेगा।
भरत: अच्छा, कितना किराया।
छोटू: साब खाली 500 में फुल फेमली।
भरत खुश है लेकिन गरिमा नाखुश।
भरत और भी ज्यादा खुस है कि एक रात का किराया बच गया और अब सस्ता कमरा मिल गया।
भरत: गरिमा चले क्या....
गरिमा: तुम जानो.... मुह फुलाते हुए कहती है।
लड़का: कितने दिन रुकेंगे साब।
भरत: यही कोई 7 रोज।
लड़का : 2500 रुपये एडवांस दो... बीच मे किट पिट न हो इसलिए।
गरिमा: हमने कमरा देखा भी नही और तुम किट पिट की बात कर रहे हो..... जरूर दाल में कुछ काला है।
लेकिन भरत खुसी खुसी उसे पैसा दे देता है , लड़का उन्हें घर की तरफ ले चलता है और रास्ते मे उन पेसो से राशन का सामान ले लेता है। कमरे में पहुचने के बाद मियां बीवी का दिमाग चकरा जाता है। पुराना सा बदहाल कमरा जाने कब गिर जाए। भरत को लड़के पर गुस्सा आता है और वो अपना पैसा वापस मांगता है
भरत: कहा झोपड़े में ले आया,, 420 करली हमारे साथ।।
लेकिन गरिमा उसे इसारे से शांत करती है, और समझातीं है , इनके परिवार की हालात ठीक नही औऱ उसने पेसो का सामान भी ले लिया।
गरिमा: ठीक ही है कमरा,,, औऱ फिर इतने से पेसो में मिलेगा भी क्या....... ताजमहल।
भरत मन मार के रह जाता है।
लड़का कहता है :साहब पैसा ले लिया लेकिन आपको एक स्किम और दूंगा। 500 रुपये में दोनों टाइम भरपेट खाना !!
भरत फिर खुस होता है लेकिन इस बार गरिमा कहती है :मै पहले रसोई देखूंगी , खाना चेक करूँगी... उसके बाद फाइनल कहूंगी।
गरिमा रसोई की तरफ बढ़ती है रसोई कच्ची होते हुए भी बड़ी साफ सुथरी थी, जिसमे एक बूढ़ी औरत खाना पका रही थी। खाने की खुशबू काफी शानदार थी। बूढ़ी अम्मा कहती है -कौन हो बिटिया और यहाँ क्यो आई हो,
गरिमा: अम्मा हम दिल्ली से आये है यहाँ घूमने,आपका बेटा हमे यहाँ ले आया।
अम्मा हंसते हुए कहती है -- पागल बना रही है मुझे..बेटा तो कब का गया राम जी के पास...
आंसू की धार टपक पड़ती है आंखों से ,दूसरे पल ही चेहरे पे मुस्कान लाते हुए कहती है ।पोता लाया होगा तुझे।
गरिमा अम्मा की दर्द भरी मुस्कान से सहम जाती है और हां में सर हिला देती है।
अम्मा: बड़ा होशियार है ये, जब भी किसी चीज की तंगी होती है कही से यात्रिओं को ले ही आता है दो पैसे भी ले लेता है उनसे तो क्या गलत करता है। यहां कोई धर्मशाला थोड़ी है जो मुफ्त में सब मिल जाये ।
भरत गरिमा को आवाज लगाता है,
यहाँ आओ ,देख लिया झोपड़ी कैसा लगा यहाँ रहोगी या पैसे लेकर चले।
गरिमा : ठीक है कुछ दिन यही रुकेंगे ,नही कुछ दिनों बात है यही रुकते है।
भरत: सोच लो फिर मुझ पर मत चिल्लाना ।
गरिमा : सोच लिया सब ठीक है।
री: पापा पापा कहाँ लाये हो , इससे तो अपना घर ही ठीक था।
यो: अगर रात को ऊपर गिर गया तो हो जायेगा सबका काम
री: तमाम
गरिमा बच्चो को चुप रहने का इशारा करती है।
अम्मा:
अम्मा: नाश्ता तैयार है बच्चो ,हाथ मुँह धो कर आ जाओ।
बोलते हुए अम्मा अपनी ब्लाउज की जेब से एक चमचमाती डिब्बी निकालती है ,उसमे से कुछ चीज निकाल कर नास्ते में मिला देती है।
सभी मिल नास्ता शुरू करते है।
गरिमा: इतना स्वादिष्ठ खाना.....
भरत: ला जबाव।
बच्चे:दादी आपको मिलता है लाइक। अंगूठे का इशारा कर कहते है।
खाना खत्म करते ही सबकी आंखे बंद हो हो जाती है चारो तरफ अंधेरा।
अंधेरा......
रोशनी ....
रोशनी से सबकी आंख खुलती है।
वाह ...चारो तरफ जगमग रोशनी बड़ा सा महल नुमा कमरा सबके बदन पे रेशमी कपड़े । जाने कोई राजमहल में आ गए हो।
सब एक दूसरे की तरफ देखते है। और एक साथ बोलते है ....ये कहा आ गए हम .....ये सपना है या हकीकत।
री :पापा मुझे तो लगता है हमारा किडनेप हो गया है।
यो : पागल किडनेप होते तो मम्मी के पास इतना सोना कहा से आता , औऱ देख पापा के सर पे ताज कितना फनी लगता है ।
दोनों बच्चे हँसते है।
गरिमा और भरत एक दूसरे की तरफ देखते है। और सोचते है कि ये कोई सपना है या जादू टोना,,,, गरिमा भरत को चिकोटी काटती है। भरत धीमि चीख के साथ दर्द जाहिर करता है।
सपना तो नही , हाँ ये कोई जादू ही है हम तो अम्मा के घर मे थे तो ये महल में कहा से आ गए।
तभी वहा एक दासी आती है।
महारज की जय हो ,,मंत्री जी(रंम्भा) आपसे मिलना चाहते है।
भरत गरिमा की और इशारा कर के पूछता है, कुछ समझ आया, गरिमा न में इशारा करती है।
भरत: आप कौन।
दासी : महाराज मै आपके निज कश की दासी हेमा ।
भरत :तो मै कौन?
दासी:आप बॉलीवड परदेस के महाराज भरत शाह।
भरत: लेकिन हम तो कश्मीर में थे , यहाँ कैसे आये ।
दासी: महाराज कश्मीर कहाँ है मै नही जानती, लेकिन बचपन से आपकी सेवा में हु ,इतना जानतीं हु। मंत्री जी मिलना चाहते है, आज्ञा हो तो उन्हें भेज दु।
भरत: भेज दो। आज्ञा है।
दासी :जो आज्ञा।
दासी मंत्री को भेजती है,, मंत्री एक महिला है जिसके साथ सैनिक और सेनापति विक्रम है, जो अथाक जेवर, सोना, हिरे ,मोती लेकर आते है। जैसे ही वो कमरे में आते है।
गरिमा सब कुछ भूल उस खजाने को देखने लगती है। जैसे कोई सपना सच हों गया वो खड़ी होती है।
उसके बदन पे पड़े गहनो का वजन उसे महसूस होता है।
खुसी के मारे हसने लगती है , सब अब उसे देखने लगते है।
मंत्री रम्भा : महाराज। जनता की मेहनत रंग लाई , आपके पुर्वजो का खजाना मिल गया , ये सुरूवात है आगे और कितना मिले कह नही सकते।
आज्ञा हो तो इसे राज खजाने में रख वादे।
गरिमा: नही इसे यही रखे।
भरत : हुक्म की तालीम हो ...और कुछ देर के के लिए हमे अकेला छोड़ दो..तकलिया
मंत्री सामान वही रकवा कर चली जाती है।
गरिमा : ये तकलिया कहा से सीखा।
भरत: युही एक फ़िल्म की याद आ गई। हँसते हु कहता है.. .. बाला है बाला, शैतान का साला,,,
गरिमा अब पागलो की तरह : मेरा सपना सच हो गया में महारानी बन गयी मेरे पास सोना ही सोना है। मैं सब कुछ खरिद लुंगी । कार ,गाड़ी, फर्नीचर,बंगला ac सब होगा ।मेरे पास अपना हेलिकॉप्टर और एरोप्लेन भी होगा।
भरत: अभी तक ये पता नही चला हमारे साथ हुआ क्या?? और हम कहा आ गए है।
तुम लग गई बेफकूफा वाली हरकते करने ।
गरिमा : जहा भी आये हो। पर सच यही है की मै रानी तू मेरा राजा, अब शुरू होगी अपनी कहानी । चलो बच्चो बाहर चले, देखे तो जरा कौनसी दुनिया मे आ गए हम ,,,,,और चलते है... शॉपिंग करने i फ़ोन 12 मैक्स प्रो लेने।
बच्चे और रानी खुशी खुसी महल का आनन्द लेते है। नाचते गाते धूम मचाते है।
भरत के पास एक दासी आती है।
दासी : महाराज आपके नहाने का समय हो गया चलिए।
भरत एक टक उसे घूरता है जैसे स्वर्ग की अप्सरा आ गयी हो।।
दासी : महाराज चलिए।
भरत: कहाँ।
दासी: हमारे साथ हरम में।
भरत सोचता है।अब हरम क्या है, चलो देखते है।
भरत दासी के साथ चल पड़ता है।
आगे एक बड़ा पानी का हौद बना है , जिसे हरम कहते है, वहाँ दो दासिया और है,लेकिन दोनो ने मुह ढंक रखा है।
भरत: ये आप सब ने मुह क्यो ढक रखा है।
दासी: महाराज आपकी आज्ञा से।
भरत: अच्छा ,तो अब हटा दो इसे। कोरोना तो कब का गया।
दासी: जो आज्ञा महाराज।
दोनो महिलाए एक एक कर नकाब हटा देती है।
एक से बढ़ कर एक सुंदरी भरत उन्हें देख हैरान हो जाता है।
भरत सोचता है ,, जादू है , या सपना लेकिन है बड़ा सुंदर।सच कहती है गरिमा, अब बस जी भर कर जीना है।अब आनंद ही आनंद है,,,,छि ,छि, ये मैं क्या सोचने लगा।
दासी: महारज किस रानी से नहाना पसन्द करेगे ।
भरत :रानी।
दासी :हाँ महाराज हम सभी आपकी रानिया है। आप जिससे नहाना चाहे ,वही आपको नहलायेगी।
भरत : क्या, रानी नहलाएगी ??
भरत के मन मे खुसी से ढोल नगाड़े बजने लगते है।
वाह वाह, क्या लाइफ हो गई। मेरे सारे अरमान पूरे होने वाले है,,,,,,धम धमा धम।
भरत: तुम कौन ?
दासी: महाराज मै सबसे छोटी रानी इलियाना हु।
इतना कह कर नकाब हटाती है। मास्क के पीछे विदेसी बाला।
भरत : तुम तो विदेसी हो।
(किती सुंदर है।)
इलियाना: महाराज मै यही की हु, बस रूप में थोड़ी अलग हु।
भरत: तो फिर आज तुम ही नहलाओ ...
इलियाना भरत का हाथ पकड़ उसे हरम में ले जाती है, दोनो अब हरम में है , एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले, हरम के पानी की खुश्बू से दोनों को मदहोश हो रहे है।
भरत की नजर बाहर खड़ी रानियों पर पड़ती है, दोनो उन्हें देख मुस्कुरा रही थी।
भरत शर्मा जाता है ।और उन्हें वहां से जाने को कहता है।
भरत: आप दोनो अब जाइये , हमे अकेला छोड़ दे।
दोनो रानिया चली जाती है।
भरत सोचता है, की जो वो इलियाना के साथ कर रहा है वों सही है?या गलत?? क्या ये मन मे ढोल नगाडे बजना मेरी नीचता के प्रमाण है,,,,,
लेकिन मुझे प्यार चाहिए था ..... गरिमा का,,जो मन मुताबिक मिला नही, जैसे गरिमा को कभी धन, मन मुताबिक मिला नहि।
मुझे इलियाना और दूसरी रानियों मिली तो गरिमा को भी तो खजाना मिल गया।
तभी इलियाना उसे चूमने लगती है।
भरत सोच में , मै यहाँ का राजा नही , न ही ये मेरी रानी ,ये गलत है।
लेकिन ये दौलत भी तो हमारी नही, गरिमा तो उसे उड़ाने के लिए निकल पड़ि , जब वो मजे ले सकती है तो फिर मै क्यो इतना सोचु।
जो प्यार ये मुझे दे सकती है वो गरिमा कभी नही दे सकती।
उसे दौलत मुबारक । मुझे.....
इलियाना: कहां खो गए महाराज।
भरत: क्या सच मे तुम मेरी रानी हो।
इलियाना: हां महाराज... हम सभी आपकी ब्याहता रानिया है। एक भी रानी फ़र्ज़ी नही। लेकिन आज आप ये सब क्यो पूछ रहे है।
पहले तो कभी आपने ऐसा नही पूछा??
भरत : बस ऐसे ही , ,,ये निशान(कंधे पर बना निशान देखता है)..... टेटू है ,,,,, क्या तुम खुश हो,,,,, मेरे साथ।।।
इलियाना:- महाराज ये राज मोहर की तरह राज निशान है, जो सभी रानियों के शरीर पर है।.....हम सभी आपके साथ बहुत खुश है,,,,, महाराज ।
इलियाना भरत को फिर से चूमने लगती है।
भरत आपा खो देता है,
,, औऱ दोनो एक दूसरे के प्यार में दुब जाते है।
भरत:बाकी सब धोखा है बस यही प्यार चोखा है।
भरत का भी सपना जैसे सच हो गया हो। जिस पोर्न के पीछे वो पागल था । जिस तरह बिना रोक टोक प्यार उसे चाहिए था,,,, वो उसे मिल चुका है, सपना अब हकिकत बन चुका था।
वो भी अब नाच रहा हंस रहा कूद रहा , पागलपंथी उसके सर चढ़ के बोल रही थी।
उधर ।
गरिमा और बच्चो को सजाने मैं दासियो ने पलके बिछा दी, सभी अपने लिए नए कपड़े देख रहे है।
री: मुझे कोई भी ड्रेस अछि नही लगी मम्मी।
यो:मम्मी मुझे तो ये राजा वाले पसन्द आ गए। मै तो यही पहनूंगा।
री : मम्मी मुझे रेड फ्रॉक चाहिए ।कह कर रोने लगती है।
तभी एक दासी उसे लाल फ्रॉक लाकर देती है। री भी उसे खुशी खुसी पहन लेती।
गरिमा भी तैयार हो जाती है।
गरिमा: चले मार्केट।
री: हां चलो ।
सभी महल से बाहर निकलते है।
जहाँ रथ तैयार खड़ा है ,जिसमे बैठ सभी बाजार जाते है।
चारो तरफ बाजार में रौनक ही रौनक।
आश्चर्य,,,,, यहाँ के लोग।
यहाँ अंग्रेज दुकानदार है, अफ्रीकी खरीदार, भारतीय दुकानदार है, चाइनीज खरीददार है।
एक अंग्रेज के पास रुकते है। जो चुडिया बेच रहा है।
गरिमा: ये चुडिया कैसे दी,,,,
री:-ममा इंग्लिश बोलो
अंग्रेज: 3 का जोड़ा है ....महारानी जी।
यो : आइला इसको हिंदी आती है।
री: मम्मा एक मेरे लिए भी,,,,
अंग्रेज: ये लीजिए राजकुमारी ,,,, आपके लिए प्यारी प्यारी छोटी छोटी चुडिया,,,,
री: आपका देश कौनसा है।।
अंग्रेज : देश नही होता इधर,,,,राज्य होता,,, ये पूरा धरती एक राज्य है, आपका ,,, और हम आपकी प्रजा।।
गरिमा: आपकी दुकान में पंखा, कूलर कुछ नही, कैसे रहते है।
अंग्रेज: पँखा होता; लेकिन ये कूलर क्या होता।
री: कूलर ठंडी हवा फेंकता।
यो: किधर पँखा... हमको दिखाता ।
अंग्रेज छत पर लटके कपड़े के पंखे को हिला कर हवा खिलाता है,
गरिमा : इधर लाइट नही होता,,,,,,, मेरा मलतब यहाँ बिजली नही है।
अंग्रेज: बिजली पहले होता ,,, अब दूर चला गया ,, हमको उसका याद आता।।।
री: दूर कहाँ गया।
अंग्रेज :उसकी शादी हो गया।।। वो हमसे 20 कोस दूर चला गया।,,,,, हमको उसका बहुत याद आता।।।
यो: तुम्हारा पँखा को दिन भर ऐसे हिलाना पड़ता ,फिर तुम्हारा बाकी काम कैसे होता।
अंग्रेज: पहले बिजली करता सारा काम , अब हमको करना पड़ता है। हमको बहोत याद आता ,,,ए बिजली।
गरिमा: पैसे नही हमारे पास, आप ये चांदी का सिक्का रखलो।
अंग्रेज: रानी जी मजाक करता हो ,,,, 3 पैसे का एक पैसा देता हो।2 पैसा और दो।
गरिमा: कांच की चूड़ियों के बदले चांदी का सिक्का दिया। फिर भी दिल नही भरा,, गजब लूट मचा रखी है,, यहां के लोगो का जीना मुश्किल कर रखा होगा तुम जैसे लोगो ने।
री: मम्मा...
गरिमा: मैं तुम्हे अब एक फूटी कौड़ी भी नही देने वाली।।
यो: मम्मा अब आप रानी हो,,,,, गोदाम सोने से भरा है ,,,, और आप दो पेसो के लिए झिक झिक करते हों।
री: देदो मम्मा, क्या पता यहां की करन्सी यही हो।
पैसे दे गरिमा चुड़िया ले , हल्की मुस्कान के साथ आगे खरीददारी करने चल पड़ती है।
धीरे धीरे उन्हें समझ आ जाता है कि यहाँ कि करन्सी, सिल्वर और गोल्ड है,।
आगे चौपाल में पहुंचने पर देखते है, जैसे गांव की चौपाल में मेला लगता था , पुरानी फिल्मों में , वैसे ही मेला लगा है।
लोग नाच रहे है , गरिमा वही रुक कर सभी को देखती है,
गरिमा: ये लोग कोई त्योहार मना रहे है।
सारथी' : महारानी जी , यहाँ तो रोज ही उत्सव है। जब जी चाहा आनंद ले लिया।
गरिमा जनता के घरों में पहुंचती है, देखती है, कुछ भी सुविधा नही फिर भी ये इतने खुश कैसे है, शायद , नही यकीनन इन्होंने कुछ देखा ही नही ,फिर ये कैसे जानेंगे कि असली सुख है क्या, इन्हें तो सिर्फ बाते करने और नाचने गाने से सुख मिलता है,,, मूर्ख कहीं के।।
राज्य और बाजार में दिन भर घूमने के बाद भी उन्हें कुछ खास पसंद नही आता।लेकिन फिर भी कुछ खरीददारी करते है।
शाम को घर आने के बाद
री:मम्मी यहाँ तो कुछ अच्छा मिलता ही नही, सिर्फ उतनी ही चीजे है। जो हमे हमारे घर पर मिलती थी।
यो: न मोबाइल है न गेमिंग है, न कार न ऐसी ।
गरिमा: सोना तो बहुत है। लेकिन हमारे शहर जैसी चीजो के बिना सब अधूरा लगता है।
तभी मंत्री रम्भा वहा आती है ।
रम्भा: महारानी जी की जय हो।
महारानी जी सुना आप बाजार गए।...... किसी चीज की आवश्यकता थी तो हमे हुक्म दे देते ।
गरिमा: जिस चीज की जरूरत होगी हम खुद ले लेंगे। लेकिन यहाँ कुछ ऐसा है ही नही , जो हम ले ।
री: ये तो बोरिंग जगह है।
रम्भा : राजकुमारी आप बताए कि हम ऐसा क्या करे कि ये जगह intresting हो जाये।
गरिमा: क्या कहा आपने।
रम्भा: जी आपको जिस चीज की जरूरत हो, या जिससे आनन्द मिलता हो।वो हम उपलब्ध करवाएंगे।
गरिमा: आपने intresting कहा? आपको इंग्लिश आती है।
रम्भा : जी महारानी ।महाराज की कृपा से हमे कई भाषाए आती है।
गरिमा: क्या हमें यहाँ ac और कार मिल जाएंगे ।
रम्भा: जी महारानी। हम सब उपलब्ध करवा देंगे। बस आप का हुक्म होना चाहिए । बताइए ac कार कितने मंगवाने है।
गरिमा: लेकिन कहाँ हमे तो नही दिखे।
रम्भा: आप बाजार गए, लेकिन ये हन्ता के पास मिलेंगे। में मिलेंगे। बस आप मात्रा बताइये।मैं मंगवा दूँगी।
गरिमा: अच्छा। अब ये हन्ता कौन है।
मंत्री: यहाँ की चौकीदार।
री: चैकीदार के पास माल है।
यो: री कुछ तो गड़बड़ है।
गरिमा; कुछ गड़बड नही है, आप मंगवादो।
री: दो i फोन 12 मैक्स प्रो भी लाने है।
यो: एक ps5 भी।
गरिमा : फिर 5 ac और एक कार ऊपर से खुलने वाली।
यो::मम्मा थार।
गरिमा: थार क्या है।
यो: गाड़ी, मम्मा हमारे लिए थार मंगवादो।
गरिमा: एक थार भी लादो, छोटे राजा के लिए।
री: मम्मा एक मेरे लिए भी, लम्बरगिनी।
गरिमा: इसकी भी इच्छा पूरी कर देना,, अब पैसा बहुत है,(भरत को याद कर , मन मे कहती है) लेकिन मुझे प्यार चाहिए।
रम्भा : जो आज्ञा रानी जी, कल तक सब सामान आ जायेगा ।
रात में गरिमा भरत एक ही बिस्तर पर लेटे है।
गरिमा: कैसा रहा आपका दिन, कुछ समझ आया ये कोनसी जगह है।
भरत: दिन तो शानदार रहा मेने तो कभी सपने में भी नही सोचा था । कि अपनी भी कभी ऐसी जिंदगी होगी। हां ,जगह का तो पता नही लेकिन ऐश ही ऐश। लगता जैसे स्वर्ग में आ गए हो।
तुम बताओ तुम्हारा दिन कैसा रहा।
गरिमा: बस पूछो मत , इतना सोना के अगर बिछाना शुरू करू तो पूरी दिल्ली को ढांक दु । जो चीज चाहे तुरन्त खरीद लू जैसे कोई भी सपना हो सच कर सकती हूं। यहाँ का मंत्री थोड़ी अलग लगती है, कहती है जो चाहे मंगवालो, मेने ac कार मंगवाई कल आ जाएगी। कहती है हन्ता के पास मिलेगी , जो यहाँ की चौकीदार है।
भरत: सच इस दुनिया मे। विश्वास नही होता। सबके सपने यू चुटकी में सच हो रहे है।
गरिमा: हां सच मे, कमाल की दुनिया है ,सच कहूँ तो आज मैं बहुत खुश हूं।
भरत : मैं भी।
गरिमा खुश होती है , औऱ भरत को गले लगा लेती है। भरत का आज प्यार से मन भर गया था । लेकिन अगर वो मना करता तो गरिमा को बुरा लगता फिर भी बुझे मन से उसने गरिमा को अपने आगोश में समा लिया।
अगले दिन
गरिमा का मंगवाया सामान आ जाता है।
गरिमा: अभी भी आश्चर्य है, इस जमाने मे भी ये सब उपलब्ध है।
री: मम्मी i फ़ोन 12 मैक्स प्रो तो मंगा लिया लेकिन इसमें डाटा ही नही है।
यो: हा मम्मी, ac मंगवाली लेकीन लाइट ही नहि है।
दोनो बच्चे हस्ते है।
गरिमा: मै आगई हु ना, अब सब कुछ ठीक कर दूंगी।
गरिमा: वैसे ये सन कोनसा है।
मंत्री: ये आधुनिक दौर है। सन 2022।
गरिमा : फिर तो आप भारत देश को भी जानते होंगे।
मंत्री : जी हां , हमारे अलावा सभी देश आधुनिक दौर जी रहे है। महाराज को आधुनिकता पसन्द नही इसी लिए हम सभी वर्षो से पुराने दौर पुराने परिवेश में जी रहे । हमारा देश आज भी प्रदूषण मुक्त है। यह पृथ्वी से मात्र1000 फ़ीट दुरी पर, एक अदृश्य ग्रह है, जो भारत की धरती से दिखाई नही देता है। इस जगह पर एक क्षत्र महाराज का राज है। इएलिये इसे राज्य कहते है। देश नही।। ....... मैं भी केसी मूर्ख हु,,, जो आप जानती है वही बता रही हु।
गरिमा: आप लोगो का दिल नही करता की हम भी वैसे ही जिये जैसे धरती के लोग जीते है।
मंत्री: इच्छा होती है लेकिन मेरे एक की इच्छा होने से क्या होगा।। यहाँ की जनता धरती के बारे मे नही जानती, यदि आप जनता को बताए और जनता का साथ लेकर परिस्थितियों को बदलना चाहे तो बदल सकती है ।
यदि आपकी इच्छा हो।
गरिमा : ठीक है, मैं जनता और महाराज दोनो से बात करूँगी।
उधर हरम में भरत भी खुश है ,अपनी इस जिंदगी से। शर्बत है सबाब है पकवान है। उसे और क्या चाहिये था।
इलियाना: महाराज सांझ होने को है, हरम को छोड़ अब राज दरबार मे पधारिये।
भरत: आज हॉलिडे है।
इलियाना : नही महाराज , आज हाफ डे हो गया , वही बहुत है, ।प्रजा के प्रति आपकी जिमेदारी है उसे निभाना जरूरी है।
भरत : अच्छा , फिर चलो राज दरबार भी देख लेते है।
लेकिन तुम इंग्लिश बोली, इंग्लिश आती है तुम्हे।
इलियाना : जी महाराज यहाँ सभी को कई प्रकार की भाषा बोलनी आती है।
भरत: लाजबाव।यकीन नही होता मगर ये सच है। अद्भुत, आश्चर्य।
तो चले राज दरबार मे।
इलियाना: महाराज हमारी सिमा हरम तक है, राज दरबार मे केवल महारानी जा सकती है।
भरत : ऐसा क्यों।
इलियाना : आपके ही नियम है महाराज, केवल महारानी ही आपके साथ रह सकती है, बाकी रानियों में से केवल वही रानी आपके साथ रेगुलर रह सकती है, जब उसकी सन्तान राज्य की उत्तराधिकारी बने ।
भरत: पता नही मै भी कैसे कैसे नियम कायदे बनाता रहता हूं।
कहता हुआ चल पड़ता है दरबार की और।
राज दरबार मे , भरत वहाँ के लोगो देख आष्चर्य चकित होता है, वाह यहाँ तो हर देश के प्राणी है ,अद्भुत।
इलियाना की तरह यहां हर देश के लोग है, वाह वाह
झींगा....
झींगे ने अपनी सिक्योरटी एजेंसी से खूब पैसा कमाया ,,,अब उसे बेच होटल खरीदा.... मेंलेकिन अनुभव की कमी के चलते वो होटल चला न पाया, और एक बार फिर कंगाल हो गया.....
रात में
गरिमा : आज इतने सुस्त क्यो लग रहे हो।पूरे दिन दिखाई नही देते ,रहते कहाँ हो,।
भरत घबराते हुए: इतना बड़ा महल, राज पाट देख कर खुस हो जाता हूं,
यकीन ही नही होता कि मैं राजा बन गया, खुद को यकीन दिलाने के लिए, यहां से वहाँ भटकता रहता हूं, जाने कोनसी दुनिया मे आ गया हूं।
गरिमा: ये दूनीया नही, ये एक अलग अदृश्य ग्रह है, जो धरती की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। यहां कोई सुविधाएं नही है।
ac मोबाइल गाड़ी आ गए, लेकिन न बिजली है, न नेटवर्क न पेट्रॉल, । मेरा मन है इन लोगों को भी धरती वाली सुख सुविधा मिल जाए तो मजा आ जाए। फिर चारो और तुम्हारी जय जय कार होगी। बड़ा मजा आएगा।
तुम नही जानते इस पूरे ग्रह पर सिर्फ तुम्हारा राज है,,और इस ग्रह को राज्य कहते है,,, कहते है तुम्हारा आदेश है, की इस राज्य मे आधुनिकता नही आनी चाहिए। इसलिए बिचारे पिछड़े हुए है।
भरत: मेरा आदेश।।पता नही मैं भी कैसे कैसे आदेश निकालता रहता हूँ।
गरिमा : हाँ,,,, तुम्हारा आदेश,,,अब मेरे लिये एक आदेश जारी कर इस जगह को भी दिल्ली मुम्बई सा बनादो। यहाँ पैसा बहुत है लेकिन दिल नही लगता, वो दिल्ली वाला मजा नही।
भरत : जैसा तुम कहौ , कल बॉलीवुड का नाम बदलकर होलीवूड कर दूंगा। और दिए को बुझा कर लाइट ऑन कर दूंगा।
अगले दिन दरबार मे।
भरत : मंत्री जी कल आपसे महारानी ने राज परिवर्तन की बात की थी , उसे तुरंत प्रभाव से लागू कर बॉलीवुड को होलीवूड बना दिया जाए।
रम्भा: महाराज क्षमा चाहती हु। हड़बड़ाहट से निर्णय लेना उचित नही।
एक बार जनता के बीच जा कर उनसे रुबरु हो उनकी राय ले , एक दम से माहौल परिवर्तन लाभदायक होगा या हानिकारक। कह नही सकते , इसलिए आपसे विनती है, जनता से रुबरु हो उसके बाद फैसला ले ।
मै महारानी की आज्ञा को काटना नही चाहती लेकिन जनता का भला राजा का कर्तव्य है।
भरत : ठीक है , तो चला जाए जनता के बीच।देखे क्या है जनता की राय।
भरत परिवार सहित रथ पर सवार होकर अपने राज्य में धूमने निकलते है।
भरत सोचता है।
वाह कितनी सुंदर प्रकृति का नजारा , हवा में भी खुशबू, कश्मीर को जन्नत कहते है लेकिन,असली जन्नत ये है।
कुछ दूर पशु पक्षियों के साथ खेलते बच्चो को देख कर सोचता है। जहाँ इतना प्रेम है वहाँ संसाधनो की कमी , ये गलत है, अब मेरे पास कैश की कमी नही सबको ऐश करवा दूंगा।
प्रजा राजा को देख मुस्कुरा कर अभिनन्दन करती है। राजा की जय जय कार होती है पुष्प वर्षा होती है ।
राजा राज्य के बाजार के बड़े चौक में खड़े है।
मंत्री कहती है। महाराज के राज में आपको यदि कोई दुख तकलीफ हो, या किसी चीज की कमी हो तो बताये।
एक बुजुर्ग आगे आता है औऱ कहता है: महाराज की तीसरी पीढ़ी देख रहा है बूढ़ा ,भगवान की कृपा से हम आपके राज में बहुत खुश है, न अन्न की कमी न धन की कमी। महाराज की जय हो।
भरत: फिर भी किसी चीज की कमी हो तो कहे ।
एक युवा आगे आता है: महाराज जीने के लिए रोटी कपड़ा मकान की आवश्यकता है। जो आपके और आपके पूर्वजो की कृपा से सबके पास है। इन चीजों के बाद प्रजा चाहती है उनके पास एक राजा हो जो न्यायप्रिय हो जिसका राज अपराध मुक्त , भय मुक्त हो । जो आपका राज्य है इसलिये आपकी प्रजा हर प्रकार से सन्तुष्ट है। महाराज की जय हो ।
महारानी : क्या किसी महिला को कुछ चाहिए । तो वो निःशनकोच बताये।
एक महिला आगे आती है।
महारानी महाराज की जय हो: आपके राज में हर महिला शिक्षित है, भय मुक्त है, पर्दा जरूर ले लेकिन सभी महिलाये इसे लाज का प्रतीक मानती है। इसलिये सन्तुष्ट है । माहवारी के दिनों में परेशानी होती थी जिसे बड़ी रानी ने सूती पेड देकर बिल्कुत खत्म कर दिया। महारानी की जय हो।
एक बुजुर्ग महिला आगे आती है।
हमारे अहो भाग्य जो इस धरती पर जन्म लिया , परमातमा से विनती है हर बार इसी धरा पर जन्म दे। जय हो।
भरत: किसी जाति किसी धर्म मजहब ,के व्यक्ति को कोई परेशानी हो तो बताये।
मंत्री: महाराज, जाती ,धर्म,मजहब पृत्वी ग्रह पर है, यहाँ ये सब नही है । यहाँ सब एक है।एक मे सब है।
भरत: क्या सच मे, कमाल है।
फिर तो यहां हमेशा शांति रहती होगी।
सेनापति : जी महाराज, यहां सब काम, क्रोध, लोभ, मोह,ईर्षा, द्वेष मुक्त है।
तभी तो यहाँ , सेना ,सिपाही नाम मात्र है, न अपराध है, न भरस्टाचार है,।
जनता आपस मे बाते करती है जाती धर्म मजहब ये क्या है ?ये महाराज नई चीज लाये है। लेकिन हम ये जानते नही तो क्या कहे। यही कहते है महाराज हम सब खुश है। हा महाराज हम सब खुश है । हमे कुछ नही चाहिए।
हकीकत भी यही है।
जनता: हम सभी खुश है, हमे किसी चीज की कमी नही, महाराज की जय हो।
यो: किसी बचे को कोई समस्या हो तो मुजे बताये।
एक बच्चा आगे आता है ,कहता है युवराज आपके हाथ वाला खिलौना मुझे भी चाहिये।
भरत यो के हाथ मे मोबाइल देखता है। और खुशी खुसी उसे देने को कहता है।
बच्चा फोन हाथ मे लेके खुश होता है बहुत से बच्चे उसे देख कर खुश होते है। अब सभी बच्चे फोन की जिद करते है।(हमे भी चाइये)
भरत : मंत्री हमारे राज के सभी बच्चो को फोन दिलाया जाए। और नेटवर्क ओर लाइट की व्यवस्था की जाए।
मंत्री: महाराज इतनी जल्दी निर्णय ले लिया।
भरत: हम महाराज है और मेरा निर्णय ही मेरा शासन है। आज्ञा का पालन हो जल्दी से जल्दी।
मंत्री: महाराज जल्दी विकास करवाना है , तो हमे हन्ता की मदद लेनी होगी और उस पर खूब धन लुटाना होगा।
भरत: हन्ता कौन?
सेनापति: भूल गए महाराज ।यहाँ की रक्षक, चोकीदार और जादूगरनी।
भरत: अच्छा ,तो लुटाओ उस पर,लेकिन काम फटाफट होना चाहिए।
भरत: गरिमा ,अब खुश हो तुम ।
गरिमा : हां, बहुत।
भरत: अब ये विकास की बागडोर तुम्हारे हाथ मे है, तुम जो करना चाहो जैसा करना चाओ करो।
मंत्री जी, सेनापति जी, अब विकास के लिए जो भी निर्देश होंगे महारानी देगी,।आज से हम सिर्फ आराम करेंगे। अब से हम नाम के राजा और रानी जी होगी काम की राजा, हमारे आदेश की आवशकता नही, महारानी के हर आदेश की पालना तुरन्त होनी चाहिए।
मंत्री सेनापति: जो आज्ञा महाराज।
गरिमा: सेनापति ये हन्ता महल में लाइट फिटिंग ,और मोबाइल टावर किंतने दिनों में शुरू कर देगी ,।
सेनापति: महारानी जी ,हन्ता काम नही करती, वो एक एनर्जी बूस्टर की तरह आम आम आदमी से काम करवाएगी,,, उसके पास कई शक्तियां है,, उसकि शक्ति से एक आदमी एक दिन में महल का काम कर देगा।
गरिमा: फिर तो हन्ता से मिलना पड़ेगा,,,,
मंत्री: हम मिल नही सकते ,,,सिर्फ उनकी आवाज सुनाई देती है
गरिमा: अच्छा, फिर फटाफट से करवा दो।
भरत सोचता है,
वाह कितना अच्छा राज है मेरा, न जाती, न धर्म , न देशों की सीमाएं, न अपराध न भरस्टाचार, सारी प्रजा खुस।
ये देश तो मेरे मन मुताबिक है।अगले जन्म का सोचा था ,लेकिन ऊपर वाले ने इसी जन्म में दिखा दिया।
राजा के आदेश के बाद,
महल लाइट से जगमग करता है, जनता देख हैरान ,,,,,वाह महारज तो राज्य का नक्शा ही पलट देंगे,,,,अंधकार और दिए से मुक्ति।
री यो और राज्य का भविष्य ,,मोबाइल और pc ps5 में मस्त हो गए।
राज्य में विकास की गंगा बहने लगी , हर हाथ में मोबाइल हर घर मे बिजली, सड़के, बिल्डिंग, महाराज की कार को देखने के बाद राज्य के युवाओं ने राज्य में ऐसे ओर साधन मंगवाने की मांग की।
तो गरिमा ने बस, कार औऱ हेलीकॉप्टर के भी ऑर्डर दे दिए ।
राजा हरम में मस्त और रानी विकास में व्यस्त , पैसा पानी की तरह बहाया खजाना भी कम होने लगा। राज्य अब शहर का रूप लेने लगा।
लोग मोबाइल ,टीवी देख, लोग धर्म बनाने लगे, जाती भी बंनाने लगे। सुविधाओ का आनन्द लेने लगे
युही काफी समय बीत गया।
झींगा
अब झींगे ने फ़ूड स्टाल खोली और अपनी माँ की बताई रेसिपी बेचने लगा... इस बार उसकी किस्मत चमक गयी.. फिर से जेवलरी , गाड़ी , बंगला सब हो गया...हाथ में सिगार बदन पर व्हाइट ड्रेस.....
लेकिन कब तक....
अब उसने रेसिपी में नए नए प्रयोग करने शुरू किये.. कस्टमर बीमार पड़े ..एक मर गया.. केस और मुआवजे के चककर में फिर वही जीरो पर आ गया..
लेकिन कब तक
राज्य अब शहर बन चुका था। खेती बाड़ी पशुपालन करने वाला युवा अब जागरूक हो गया उसे अब राजदरबार में नोकरी चाहिए थी।राज्य में पहली बार अनाज की फसल कम हुई। मंत्री चिंतित थी।
महाराज को बताने के लिए ,मंत्री सेनापति को साथ ले महाराज के पास जाती है।
सेनापति: महाराज खजाना खाली हो रहा है। अन्न के भंडार इस बार बहुत कम भरे । युवा पीढ़ी खेतो और पशुपालन के काम को छोड़ अब सिर्फ नोकरी चाहता है।
भरत: टेक्स लो नोकरी दो ऐसा ही होता है।
मंत्री: महारज टेक्स तो लेते ही है लेकिन उससे ये सब नही हो पायेगा।
भरत: तो दुगना लगान लो।
या जो तुम्हे उचित लगें वो करो ,हम हरम में जा रहे है, हमे परेशान न करे, कोई काम हो तो महारानी से सम्पर्क करें।
भरत हरम में पहुंचता है।
वहा तीनो रानियाँ लड़ रही है,मै जाउंगी राजा के साथ , नही मै जाउंगी ।
भरत लड़ो मत तीनो एक साथ आ जाओ ।
सभी रानिया राजा पर टूट पड़ती है। अब रोज का यही भरत एक रानिया अनेक ।
गरिमा दिन भर, विकास मे व्यस्त, यहाँ से रोड़ निकाल दो, यहाँ पाइपलाइन बिछा दो, यहाँ मॉल बना दो , यहाँ पार्किंग लॉट बना दो
दिन भर के काम की थकान से अब गरिमा न मुकुट पहनती है, न जेवर। उसे लगता है ये सब उस पर बोझ है, जैसे घर मे रहती थी वैसे ही साधारण कपड़ो में रहने लगी है।
वह सोचती है, यहाँ कोई कमिटीइतर नही है, किसे दिखाऊ महल ,किसे जलाऊ जेवर दिखा कर।
कौन करे मेरी गाड़ी की तारीफ,मजा नही है
साधारण जीवन ही अच्छा है।
री यो ,,बस मोबाइल और गेम में व्यस्त न पढ़ना न लिखना,,,,नहाना और खाना भी अब मजबूरी लगने लगी है,उन्हें।
सोने चांदी से कुछ दिन गरिमा को खुसी मिली, ac से तो बाहर का वातावरण अच्छा है, ताजी खुशबूदार हवा, महल से वो घर अच्छा, इसमें तो भरत और बच्चो को काफी देर ढूंढना पड़ता है , तब जाकर मिलते है। गाड़ी से ज्यादा मजा तो भरत की खटरा बाइक में आता था।साथ तो होते थे।
मजा आ रहा है तो सिर्फ जनता की सेवा में, ।
एक रात गरिमा भरत बिस्तर पर है।
गरिमा भरत को छूती है , भरत झटके से उसे दूर करता है। क्या दिन भर हवस भरी रहती है।
गरिमा: यही प्यार तो तुम चाहते थे, मिल रहा है तो नाटक और मेरा डायलॉग मुझी पर चिपका रहे हो।
जानते हो आज में हर प्रकार से खुश हूं। अब मेरे पास पैसा बहुत है , लेकिन अब मुझे सिर्फ प्यार चाहिए भरत।।
भरत: प्यार बहुत कर लिया , अब मुजे सिर्फ पैसा चाहिए ये देश चलाने को जनता को खुश करने को। रही बात प्यार की तो.........
गरिमा: तो क्या,
एक बार फिर भरत से लिपट जाती है , और उसे चुमने लगती है।
भरत: दूर हटो मुझे ये सब पसंद नही।
गरिमा: ओह, अब मैं कह रही हु तो भाव खा रहे हो।
भरत: समय समय की बात है , पहले तुम एक रानी थी , लेकिन अब तुम्हारे अलावा 3 और रानिया है । हर दिन एक अलग रानी।
गरिमा पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा।
गरिमा: ये क्या कह रहे हो भरत ।
भरत : मैं कहना तो नही चाहता लेकिन सच यही है। मै जब तुम्हारे साथ अकेला था तो तुमारे लिए तरसता था , लेकिन अब हर रोज रानिया मेरे लिए तरसती है।
गरिमा पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा।
गरिमा: क्या कहा,,,,बेशर्म आदमी,,,,तुम मेरे भरत नही हो, जिसे मैं कितना भी डांटती वो कभी भी गलत नही करता। और तुम्हें ये सब करते जरा भी शर्म नही आई।
भरत :शर्म कैसी, जैसे ये धन दौलत सब हमारे थे तूमने उसका आनंद लिया , वैसे ही वो रानिया मेरी थी मेने भी जीवन का आनन्द लिया।
गरिमा: मेरे दिल मे तुमने इतनी आग लगादी की,,,मेरा बस चले तो तुम्हे अभी चिर कर फेंक दु,,,, लेकिन ये मैं चाहते हुए भी कर नही सकती। तुम कुत्ते हो,,,कमीने हो,,,,,,वासना के भूखे भेड़िये हो।
भरत: मैं करू तो वासना ,,,तुम करो तो कामना,,,,,
तुम शादी के बाद से मेरे आगे रोज अपनी कामनाओ का जिक्र करने लगी,,,,जितना में सक्षम था उतनी मेने पूरी की,,,,लेकिन जो कामना मेरे बस से बाहर थी उसके लिए तुमने मुझे रोज ताने दिए,,,,मै सुनता रहा क्योंकि मै जानता था,,,,की तुम्हारे तानो का जवाब मुह से देने पर सिर्फ विवाद बढेगा,,,,, तुमने दुसरो की कामयाबी देखी,,,,,तो तुम्हे उनके अवगुण भी सही लगे,,,,लेकिन मुझे लगता है पैसे की कमी के अलावा मुझमे कोई अवगुण नही ,,,फिर भी इतनी बाते क्यो सुन रहा हु,,,,,,क्योकि में कलह नही चाहता,,,,,क्या मेने तुम्हारे साथ कभी जबरदस्ती की तुम्हारी मर्जी के खिलाफ,,,,,, क्या मेने तुम्हे ताने मारे ,,,,,,
गरिमा: रोज ही तो ताने मारते थे ,,,,उसकी बीवी ऐसी ,,,,उसकी बीवी वैसी,,,,,,तुम ऐसी,,,,तुम्ही से सीखा मेने।
भरत: हाँ ,वो शुरू में मैने कहा था ,,,लेकिन उसके बाद कभी नही,,,,,
गरिमा : कहा तो था ना,,,,,अब मुह काला करलिया,,,,एक सवाल मेरा भी है,,,,
तुम अपनी हवस के लिए दूसरी के पास चले गए ,,,,अगर मै किसी दूसरे के पास चली जाती तो तुम्हे कैसा लगता,,,,,,
भरत: गरिमा,,,,,
गरिमा: सिर्फ कहने भर से आग लग गई।।।
तुम तो सिर्फ एक पहलू को देख रहे हो,,,,,,स्त्री और धन में अंतर नही कर पा रहे हो,,,,,मैं तड़पी हु,,,जली हु रातों में भविष्य की चिंता में,,,,सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे बच्चो के भविष्य की चिंता में वो तुम कभी नही देख सकते।
भरत:वर्तमान मे दुखी होकर भविष्य की चिंता करना सबसे मूर्खतापूर्ण काम है,,,,,क्या तुम्हें भविष्य पता था ,,की हम इस राज्य में आएंगे,,,,,इस राज्य के सुख भोगेंगे,,,,,,या इस राज्य का तुम,,,,हाँ तूम रानी बनकर विकास करवाओगी,,,,,,,रहि बात दूसरी स्त्री की तो जिस तरह तुम मेरी पत्नी हो ,उसी तरह वो सब भी मेरी पत्नी है,,,
गरिमा: आपने शादी की थी उनसे,,,,,गिफ्ट में मिल गई शादी शुदा ,,,तो क्या पत्नी हो गई।।
भरत : सोना,,चांदी,,,हीरा,,मोती ये भी तो गॉड गिफ्ट की तरह ही था,,,,फिर वो हमारे कैसे हो गए,,,,क्या हमने एक बार भी विरोध किया ,,,हमने एक बार भी किसी से कहा कि हम यहाँ के राजा रानी नही है ।
गरिमा : चुप हो जाओ,,,,,बन्द करो बकवास,,,,मेरा सर फट रहा है।
गरिमा के आंसू निकल आते है। वो वहा से उठ कर दूसरे कमरे में जाने लगती है।
एक पल रुकती है , सोचती है भरत उसे रोकेगा लेकिन रोकता नही।
वो चली जाती है।
भरत और गरिमा दोनो अलग अलग कमरे में है।
आज रात दोनो पुरानी यादों में खो जाते है।
वही दुख ,मिडिल क्लास जिंदगी, वो दिन भर की नोक झोक । भरत का चुप रहना, गरिमा का ताने मारना बच्चो के साथ हँसी मजाक।
पुरानी यादें दोनो के सामने चल रही है ,,,,दोनो एक दूसरे को कोसते है,,,,, फिर अपने किये पर सोचते है ,,,,और अंत मे एक दूसरे के दर्द को समझने की कोशिस करते है।
अगली सुबह
भरत अपनी वासना और गरिमा अपने लालच का अहसास होता है, इसलिए एक दूसरे से नजर भी नही मिलाना चाहते। सामने होते हुए भी दोनो नजर नीचे कर निकल जाते है,,,गरिमा जा रही राजकोष की ओर और भरत हरम की ओर , हरम में रानिया भूखे भेड़िये की तरह भरत पर टूट पड़ती है। भरत को आज कुछ भी अच्छा नही लग रहा। वो खुद को पशु समझने लगा है। उसे खुद से नफरत हो गयी , और आज तो रानियों में युद्ध छिड़ गया इस बात पर की उत्तराधिकारी कौन बनेगा। हर रानी खुद की संतान को युवराज बनाना चाहती है। भरत वहाँ से पीछा छुड़ा कर दरबार की तरफ जाता है।अब उसका भी मन इस प्रेम से ऊबने लगा है। लेकिन फिर भी ज़बरदस्ती निभा रहा है कहि कुछ मन मे न रह जाये।
उधर गरिमा के लिये सेनापति खजाना लाता है।
सेनापति विक्रम: महारानी जी इस बार दुगने टैक्स से खजाना फिर भरने लगा है। आप खजाने की प्रति निस्फिकर रहे। जल्द ही यह भर जाएगा। हम इम्पोर्ट एक्सपोर्ट के लिए प्रयत्न कर रहे है। जीससे हमारे राज्य को खूब मुनाफे की संभावना है।
गरिमा: तकलिया
सेनापति वहाँ से चला जात है।।।
जो गरिमा कल तक इस खजाने को देख कर हंस रही थी, वो आज रो रही है, भगवान को कोस रही है, चिल्ला रही है , यहाँ से जाना चाहती है। लेकिन ये सम्भव नही। वो करे तो क्या करे।
री औऱ यो माँ का ये हाल देख नही पा रहे थे। वो भी अब इस राज पाट से ऊब गए, जहां माता दुःखी हो वो जगह भला उन्हें कैसे पसन्द आती। उन्हें भी अपने घर जाना था। फिर से मम्मी पापा का पुराना प्यार और तकरार देखनी है।
दोनो भाई बहनों ने तय किया कि वो वापस घर जाने का रास्ता ढूंढेंगे।
वे वहां से निकल पड़ते है। अपने घर जाने की मंजिल की तलाश में।
दरबार मे जनता अपनी मांगों के साथ नारे लगा रही है।
जो लोग कुछ समय पहले खुश थे ,आज वे सभी दुखी है।
वही बूढा कहता है: महाराज आपके राज में चोरों लुटेरो ने आतंक मचा रखा , नशे की लत में लिपटे लुटेरो ने हम लोगो की बहन बेटियो का घर से निकलना दूभर कर दिया है।
कानून सोने,चांदी, हीरो से अपनी आंखें बंद किये है।
भरत सेनापति से पूछता है, लगता है सर्वनाश की मूल जड़ शराब,अफीम ,हेरोइन की पहली खेप पहुंच गई।
सेनापति: नही महाराज,,,ये तो जनता का मेहनत ,,,,और मोबाईल से मिली जानकारी का कमाल है,,,की नशे का आविष्कार इतनी जल्दी हो गया।
वही युवा महाराज ये हिन्दू हम मुसलमानों की जमीनों पर कब्जा कर रहे है।वही बुढ़िया ये मुसलमान हमारे मन्दिरो पर कब्जा कर रहे है और नाम हमारा लगा रहे है। वही महिला sir आपके राज में हम अल्पसंख्यक ईसाइयो को न तो सुरक्षा मिल रही न सुविधा। मैं चाहती हु हमे आरक्षण मीले। वही बुजुर्ग आरक्षण पर अधिकार दलितों का है। जय भीम। नारा ए तदबीर अल्लाह हु अकबर। जय श्री राम।हर हर महादेव।वाहे गुरु द खालसा।वही बच्चा सर हमे विदेश जाना है पढ़ने के लिए लेकिन देश मे कोई सुविधा नही।
या तो आप व्यवस्था सुधरे या इस्तीफा दे।
भरत: मेने आपकी सारी बाते सुनी उन पर गौर भी किया । जल्द से जल्द हर समस्या का समाधान होगा।
हर हर महादेव।
वही बुढ़िया हमारा राजा हिन्दू है वो हमरा पक्ष लेगा।
वही युवा महाराज भले ही आप हिन्दू हो लेकिन हम भी इस देश के वासी है अगर कुछ गलत हुआ तो खून की नदियां बहेंगी। वही बुजुर्ग हमने भी चुडिया नही पहनी ईट से ईंट बजा देंगे।
महाराज मुर्दाबाद मुर्दाबाद । महाराज मुर्दाबाद मुर्दाबाद।
के नारे लागते हुए भीड़ वहाँ से निकल जाती हैं
भरत: कितना शांत राज्य था ,बिल्कुल मेरे मुताबिक । लेकिन मेने हालात बिल्कुल धरती जैसे कर दिए।
जात ,,धर्मों ने पांव पसार लिए,,,अपराध भरस्टाचार पनप चुका है,,,,एक लापरवाही आग लगा देगी राज्य में। क्या करूँ की सब पहले जैसा हो जाए।
पहले घर चलाता था तब भी इतनी ही परेशानी नही थी। राज में सब कुछ है लेकिन परेशानी वही।जीवन का दूसरा नाम ही सँघर्ष है । चाहे वो फ़टे हाल हो या मालामाल।
लड़ना पड़ेगा, निर्णय भी लेना होगा। परिणाम के लिए भी तैयार रहना होगा। राजय को सुविधाएं देने के लिए बढ़िया कदम उठाए । लेकिन सब कुछ उल्टा हो गया।
सुबह दासी भरत को बुलाने आई।
महाराज हरम आपका इन्तजार कर रहा है।
भरत हरम की तरफ उदास मन से चल पड़ता है।
भरत : नही अब और नही।
रानी 1: क्यो महाराज।
भरत: अब से राजा की एक ही रानी होगी। जैसे मेरी गरिमा।
रानी: हम सब भी आपकी रानिया है। हमारा भी विवाह हुआ है।
भरत: मानता हूं। लेकिन मेरे सामने विवाह नही हुआ।
रानी 3: विवाह के बाद भी वर्षो तक रानियों के हरम में आप आनन्द ले रहे है।आज अचानक सब भूलने का कारण
आज ये हरदय परिवर्तन कैसे।
भरत: हमने , आज ये जाना औऱ समझा कि भले ही हमारे राज में सब खुश थे । लेकिन हमारी रानियों के साथ नाइंसाफी हुई।
रानी: नाइंसाफी नही महाराज । इन्ही रानियों कि एक सन्तान को आप राजा चुनेगे।
भरत: राजा.... हां... अब से राजा में नही बनाऊँगा।
राजा बनाएगी जनता।
रानिया: क्या कह रहे है महाराज।
भरत : हां आज से आप मेरी कैद से आजाद है। और अपनी संतान को , योग्य बनाइये । ताकि भविष्य में होने वाले चुनाव से जनता को एक योग्य राजा मिले।
रानी3: वाह राजा जब तक मन लगा, पास रखा। अब एक पल में दुत्कार दिया।
भरत: आप गलत न समझे, मै गलत था जिसका मुझे एहसास हुआ। कि मैने वर्षो तक आपको गुलामो की तरह इस्तेमाल किया। अब आप भी महल की हकदार है, यही रहे। अपने लिये योग्य वर ढूंढे। उनसे आपका विवाह हो इसकी जिम्मेदारी मै लेता हूं।
दोनो हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हु।
अलविदा मुझ पापी को क्षमा करें।
तीनो रानिया: जैसी आपकी इच्छा महाराज, ।
इतना कह तीनो गायब हो जाती है।
भरत: ये क्या हुआ , ये तीनो कहाँ गई।
आंखे मलता है,
पता नही क्या हुआ, कहि कोई भूत तो नही थी ,,क्या में इतने दिनों से भूतो के साथ रास रचा रहा था।
डरकर वहाँ से भाग जाता है।
रात में भरत गरिमा के कमरे की तरफ जाता है और गरिमा भरत की तरफ। दोनो रास्ते में टकराते है।
गरिमा: अंधे हो , भगवान ने दो बड़ी बड़ी आंखे दी देखने के लिये। लेकिन लाड साब तो अपनी धुन में मस्त। भले ही किसी का सर फूटे या पैर टुटे.... कहते कहते गरिमा रो पड़ती है।
भरत उसके पैरों में गिर पड़ता है : गरिमा मुझे माफ़ करदो मै अपनी वासना में चूर तुम्हारा विस्वास तोड़ा मै माफी के लायक तो नही लेकिन फिर भी तुम्हे विश्वास दिलाता हूं , भले ही मर जाउ पर तुम्हारे प्रेम को कभी चोट नही पहुंचने दूंगा।
मै सिर्फ तुम्हारा हूं।और तुम्हारा रहूंगा।
गरिमा: माफी तो मुजे मांगनी चाहिए। तुम्हे तन की वासना थी तो मुझे भी धन की वासना थी। उस वासना में मैं इतनी अंधी हो गयी कि अपने पति को संभाल न पायी।
भरत: दोषी हम दोनो है।हमे ही एक दूसरे को माफ करना है। मुझे अपनी गन्दी मानसिकता का अहसास हो गया , इसलिए अब मुझे इस दुनियां से निकलना है।वापस घर चलकर मैं तुम्हे खुश रखने के लिए मेहनत में कोई कसर नही रखूंगा, लेकिन फल कैसा मिलेगा ये भगवान पर निर्भर है।
गरिमा: फल जैसा भी मिले मुझे उसमे खुसी होगी,, उसके अलावा मुझे और कुछ नही चाहिए , मानसिकता केवल तुम्हरी ही खराब नही थी,,, मैं भी इस कुंठित मानसिकता की शिकार हु,, मै जान गई यदि प्रेम नही तो पैसा किसी काम का नही,,,,मुझे भी वापस अपने घर जाना है।फिर से वही पुराना जीवन जीना है,प्लीज मुझे ले चलो भरत।
भरत गरिमा को अपने करीब लाता है,,,औऱ कहता है:
ये क्या है,,,,,टेटू,,,,,,
गरिमा: हाँ, मेले में बनवाया था,,,तुमने आज देखा,,,
भरत: हाँ, लेकिन मेरा ध्यान पहले इस पर क्यो नही गया।
गरिमा: कुछ खास है इसमें??
भरत: तुम्हे जानकर हैरानी होगी,,,,लेकिन ये सच है ,,,,, जिन 3 रानियों के बारे में मैने तुम्हे बताया,,उनके भी यही टेटू इसी जगह था।।
गरिमा: अब भूल जाओ उन्हें,,,तुम उनकी बात करते हो तो मेरे अंदर आग लग जाती है।
भरत मना करने पर भी जो आज हरम में उसके साथ हुआ वो गरिमा को बताता है।
आंखों में पानी लिए ,हंसते हुए गरिमा कहती है:
क्या भूतो के साथ मुह काला करके आए हो,,,
भरत: भूत थी ,,औरत थी या सपना मुझे नही पता ,,बस जो हुआ तुम्हे बताना था ,,अब से सिर्फ तुम्हारी बात होगी, तुम्हारे अलावा किसी की नही।
दोनो खुशी से गले लग जाते है।
झींगा....
उसने कपड़े बेचना शुरू किया... कपड़े बेचने की कला इतनी बढ़िया की 500 की चीज 1500 में बेच देता.. उसका ये धंधा भी चल पड़ा.... और फिर वही ठाठ हाथ में रोलेक्स ....गले में 50 तोला..
लेकिन कब तक....
उसने कपड़े की दुकान और मिल खरीद ली... लेकिन एक रात शार्ट शर्किट से फेक्ट्री और मिल जल जाती है... भारी नुकसान . बैंक उसकी सम्पति जब्त कर लेती है....
फिर वही कंगाली... लेकिन कब तक..
उधर बच्चे पूरे राज्य में घूमने के बाद भी कोई रास्ता नही खोज पाते।
री: यो तुम्हे वो अम्मा याद है जिन्होंने हमे खाना खिलाया।
यो: वो,,,,, हां वो याद है।
री : वो बच्चा, अम्मा, दोनो यही है, जब पिछली बार बाजार में भीड़ इकठी हुई थी तब वो दोनों यही थे,ऐसा मुझे लगा , शायद हम उन पर गौर नही कर पाए ।
यो : चलो ढूंढे।
दोनो ढूंढने लगे लेकिन हाथ कुछ नही लगा।
दरबार मै।
भरत प्रजा से: प्रजा की जो भी समस्या है ….उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो इसलिए निरन्तर उस पर काम हो रहा है
जनता: क्या हो रहा है , हमे तो कुछ नही दिखता।
भरत: हिंदुस्तान में जो विकास 70 साल में हुआ, वो में आपको इतनी जल्दी दे रहा हूं, फिर भी आपको सब्र नही, रुको जरा,,, दिखेगा,, लेकिन थोड़ा सब्र रखे।
जनता: ये याद है ,लेकिन जो हमे इतने साल इन चीजों से वंचित रखा, वो कुछ नही।
भरत: वंचित रखा , हां रखा,,,लेकिन जो अब दे रहा हु पता नही आपको पचेगा या नही ।
सिर्फ प्रजा के लिए,
मै एक घोषणा और करना चाहूंगा।
आज से इस राज्य से परिवार वाद को खत्म कर।राजा बनाने की नई प्रकिरिया शुरू होगी।
जिसमे प्रजा एकमत होकर अपना राजा चुनेगी।
चाहे वो रंक हो या राजा, अब से योग्यता के आधार पर ही राज चलेगा।
सेनापति ,,,,राज्य में मतगणना वाले चुनाव की तैयारी करो, इसके बारे में यदि कोई सलाह लेनी हो तो मंत्रीजी से ले ले।।
धन्यवाद।।
जनता: महाराज तो रोज नए नए आइटम ला रहे है,,,महाराज है तो बढ़िया,,,लेकिन अगला राजा मैं बनुगा।
मै बनुगा राजा,, मै, बनुगा राजा , इन शब्दों से दरबार गूंज उठता है।
भरत सोचता है, कहि उसने अपने पैर पर ही तो कुल्हाड़ी नही मारली,,,,,या कहि आग में घी तो नही डाल दिया।
महाराज की घोषणा पूरे राज्य में फैलती है । बाजार में भीड़ के बीच महाराज की घोषणा सुनाई जाती है।
री औऱ यो वही मौजूद होते है।
इस बार उन्हें अम्मा भीड़ में दिखती है।
बच्चे अम्मा को आवाज लगाते है,,,आवाज सुन अम्मा वहाँ से निकल लेती है।
बच्चे उसे पकड़ने के लिए भागते है।
अम्मा आगे बच्चे पीछे।
कुछ देर की भाग दौड़ के बाद बच्चे अम्मा को पकड़ने में कामयाब होते है।
बच्चे अम्मा को महल के हाल बताते है। और घर जाने की जिद करते है।
अम्मा:he guys,why you following me..
यो: अम्मा इंग्लिश, और अंग्रेज हिंदी,, पता नही और क्या क्या देखना होगा।
री: हमे घर जाना है।
अम्मा : what घर?? Speak english।
यो: we want to go our house return.. please help us..
अम्मा: take a cab and tell about rajmahal . He will drop you...
री: no rajmahal ,india ,dehli.
Mahal is dirty , my mamma crying.
अम्मा: ओह india,, you want to go earth...
Ok ,,,,
For go back home first solve puzzle...Then I drop you in india.
री यो: please tell us,,,, and thanks for helping।
अम्मा: listen,, don't forget it..Solve it,,,then your mamma will be happy.
जो उथल पुथल हुआ।
उसे सुधारो।
सेनापति रहे कंवारा
मंत्री का हो राजा संग विवाह।
जब बिगड़ी बनने लगेगी
राजा की होगी चहू और जयजयकार
तब मेरा करना तुम आह्वान।
पहुँचाऊगी तुमको तुम्हारे द्वार।
3 रोज में हल करो तो ठीक
वरना कई वर्ष ओर करने पड़ेंगे यही व्यतीत।
मुझे बुलाने का मन्त्र : हन्ता अम्मा ,हन्ता अम्मा, मान जाओ न रूसा रूसी छोड़ो , घर छोड़ आओ न।
री : हन्ता,,,,
यो,,: हन्ता जादूगरनी,,,, क्या तुम ही,,,,हन्ता जादूगरनी।
अम्मा: yes,, i am the great
,,हन्ता,,,हन्ता,,,,हन्ता हन्ता हन्ता
इतना कह बुढ़िया गायब हो जाती है।और एक चेतावनी भरी आवाज गूंजती है।
यदि उसके कहे अनुसार काम हुवा तो सब कुछ ठीक हो जायेगा,लेकिन ध्यान रहे ये बात सिर्फ तुम्हारे परिवार औऱ अम्मा के बीच ही रहनी चहिये।
अब बच्चे पहेली की चिंता करते घर पहुंचे।
भरत गरिमा भी घर वापास जाने की चिंता में खोए रहते है...
तभी री और यो उनके पास आते है , और बुढ़िया वाली बात बताते है.
री: पापा ..पाप हमे घर जाने का रास्ता मिल गया.
भरत: क्या ... उदास और दबी सी आवाज में पूछता है
यो : हां पापा , आपको याद है जब हम कश्मीर गए थे तब हमे एक बुढि दादी मिली थी??
गरिमा: हां याद है, उन्ही के घर से हम यहां पहुंचे है|
री: ममी क्या आप जानते हो वो ....
यो: वो दादी भी यही है ...और वही हन्ता जादूगरनी है।
री: पापा यहाँ सब हिंदी बोलते है,,,,एक हन्ता अम्मा ही इंग्लिश बोलती है।
He guys why you following me,,,,take cab,,,,go,,,rajmahal,,,
री की ये बात सभी को हंसा देती है।
भरत: क्या बात कर रहे हो बच्चो??
यो: यहाँ अंग्रेज हिंदी और दादी इंग्लिश बोलती है,,,,मुझे तो यही रहने का मन करता है,,,,,
री: भैया ,,हमारी स्कूल की पढ़ाई का क्या,,,,यहाँ बहोत रह लिए अब घर चलो।
गरिमा : क्या ये सच है.......... हो न हो वही हन्ता दादी अब हमे हमारे घर पहुंचा सकती है|
भरत:क्या सच में... मुझे यकीन नही हो रहा की हम वापस घर जा सकते है?? बच्चो .... वो दादी तुम्हें कहा मिली?? ओर तुम्हारी उनसे कोई बात हुई?
री: हाँ हम मीले उनसे और उनसे बात भी हुई......
यो: उन्होंने हमे घर जाने का रास्ता भी बताया..
गरिमा: [खुश होतये हुए] सच .... कोनसा रास्ता है हमे भी बताओ??
यो: एक पहेली है .... सेनापति रहे कंवारा, राजा की हो मंत्री से शादी.... ऐसा ही कुछ था..
भरत: कुछ था से तुम्हारा क्या मतलब... क्या तुम्हे सही से याद नही..??
री:याद तो था ..लेकिन अब भूल गए..
गरिमा: ये क्या किया बच्चो इतनी जरूरी चीज कैसे भूल गए तुम ... अब क्या होगा..
भरत: एक काम करते है... उस बुढ़िया के पास चलते है..
री: लेकिन पापा.... वो दादी तो गायब हो गयी..
गरिमा : क्या मतलब गायब हो गई??
यो: मम्मी वो हमे पहेली बता कर गायब हो गई, उन्होंने कहा जब तुम पहेली हल कर लोगे और फिर मुझे पुकारोगे तो मै तुम्हे तुम्हारे घर पहुंचाने आउंगी..
भरत: ये तो बड़ी समस्या हो गयी...लेकिन अगर तूम पहेली याद करने की कोशिश करो तो शायद हमे समाधान भी मिल जाए....
यो:
जो उथल पुथल हुआ उसे सुधारो।
उथल पुथल।
री: उथल पुथल कहि यही तो नही नया दौर और पुराना दौर।
यो: अरे हां मुझे लगता है ,तुमने बिल्कुल सही पहचाना है।
बच्चे काफी देर कोशिश याद करने की कोशिश करते है .. तो लगभग उन्हें याद आ जाता है जिसे भरत गरिमा अच्छे से याद कर लेते है||
भरत गरिमा एक साथ: उथल पुथल को सही करना , सेनापति की शादी नही होने देनी, मंत्री की शादी राजा से करवानी, ये बात सिर्फ हम चारो के बीच रहनी चाइये,और समय भी सिर्फ 3 दिन का ही दिया है।
भरत गरिमा अब सवालो को सुलझाने के बारे में सोचने लगे
की उथल पुथल जो हमने की वो कैसे ठीक करेंगे और सेनापति को शादी से कैसे रोकेंगे ??
और मंत्री की शादी राजा ,यानी भरत से कैसे हो, वो भी तो यहा से जाना चाहता है?
सभी महल से निकलते है उथल पुथल को ठीक करने,
तभी कानो में आवाज आती है, एक औरत और पुरुष की...
सभी आवाज की दिशा में जाते है..
वहां मंत्री और सेनापति एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए अपने प्यार का इजहार कर रहे है...
सेनापति : मेरी रंम्भा आज तो पूर्णिमा का चांद लग रही हो।
रंम्भा :कब तक युही छुप छुप के मिलते रहेंगे ... कब करेंगे शादी ...
सेनापति: बस थोड़ा इन्तजार औऱ ....फिर जल्द ही करेंगे शादी]
रंम्भा : सच ।लेकिन कब।
सेनापति: तू मेरी भिंडी में तेरा आलू,,, जल्द होगी शादी की तैयारी चालू।
ये देख सभी चिंता में..... अब हमे मंत्री ओर सेनापति को एक दूसरे से दूर करना होगा.. और भरत को मंत्री से प्यार करना होगा....लेकिन भरत तो सिर्फ गरिमा का है न???
लेकिन क्या पता शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाए...
उधर आम चुनाव शुरू हो चुके है, सभी अपने नेता का जोर शोर से प्रचार कर रहे, जिंदाबाद ,मुर्दाबाद के नारे लग रहे है...
री ,यो ,ने जिमेदारी ली है , रंभा और सेनापति के बीच फुट डालने की और एक दूसरे के करीब न आने देने की...
री : सेनापति क्या आपको पता है,,,रंम्भा का महाराज के साथ चक्कर चल रहा है,,,,
सेनापति: नही राजकुमारी जी ,,,,चकर ,,,, कैसे।
यो: वो आपको धोखा दे रही है,,, राजा से प्यार करती है,,,हमे तो बताते हुए भी शर्म आती है,,,,।
सेनापति : आपको गलतफहमी हुई है,,,राजकुमार,,,रम्भा ऐसी नही,,,,रंम्भा क्या इस राज्य की कोई महिला ऐसी नही ,,,,,क्योकि धोका यहाँ सबसे बड़ा पाप मानते है।
री: आधुनिकता आने से पहले,,,,
यो: आधुनिकता की लहर चल रही है ,,,,,क्या पता रंम्भा को भी हवा लग गई हो।
री: रंम्भा की वजह से रोज हमारे माता पिता लड़ते है है।
सेनापति: नही ,,ऐसा नही होता।
कह कर चल पड़ता है,,,,
बच्चे रंम्भा के पास पहुंचते हैं।
यो: मंत्री जी , कब कर रही है शादी,,,,
मंत्री: शादी,,,किससे ,,,को कैसे पता चला,,,
री: दीवारों के भी कान होते है,,,,
मंत्री हस्ते हुए : अच्छा।
यो: लेकिन सेनापति लगता छिछोरा है,,,
मंत्री: ऐसा नही बोलते।
री: क्यो नही बोले,,,,
वो बोलता है,, तू मेरी भिंडी में तेरा आलु,,,,
यो: क्या बताओ क़भी ,,,आलू हुआ है भिंडी का जो आपका होगा।
हां प्याज कहता तो फिर भी मान लेते।
री: आलू गोभी के साथ, पालक के साथ ,मटर के साथ।
छि, छि खुद आलू बनकर ,,,आपको अकेला छोड़ जाएगा ,,,,प्याज के साथ।
यो: आलू को छोड़ो ,,,प्याज को ढूंढो,,,,
मंत्री: ऐसा नही होता प्यारे बच्चो,,,,,
री: हमारा काम सचेत करना था,,,, आगें आपकी मर्जी।
यो: आधुनिकता की हवा चल रही है,,,,,कहि धोका मत खा लेना।
गरिमा भरत महल से बाहर पुहंचते है... काम बहुत तेजी से चल रहा है विकास का ..अधूरी बिल्डिंग अधूरी सड़के, सड़को पर दौड़ते कुछ घोड़े ओर कुछ गाड़िया ... बस कुछ रोज में सब बदल जाएगा..
अपराध ,लूट , भरस्टाचार ,गुड़ागर्दी, जातिवाद धर्म मजहब वाद ये तो यहां पनप चुका है.....लेकिन हमे ये सब रोकना है...
भरत: सिपाही ये सब काम रुकवादो,.. सिपाही
सिपाही: क्या हुआ महाराज ..
भरत: अब हम नही चाहते की हमारा राज्य आधुनिक हो, ...हम चाहते है सब कुछ पहले जैसा हो जाए..
एक मजदूर: महाराज , बड़ी जल्दी बदल गए ... आप सारे भौतिक सुख ले रहे है लेकिन जब जनता तक सारी सुख सुविधा पहुंचने लगी तो आप काम रुकवाने आ गए ..
मजदूर की बात सुन राजा के आस पास औऱ लोगो की भीड़ जमा हो जाती है....
भरत: जिसे तुम सुविधा कहते हो ... वो बड़ी समस्या न ले आये केवल इसलिये मैं ये सब रुकवाना चाहता हु... कुछ समय पहले तक सब ठीक था... लेकिन जब से बदलाव लाने की सुरुवात की है . ... तबसे सारा माहौल बदल गया..
दूसरा आदमी : माहौल नही बदला..... प्रजा को हक मिला तो राजा की नियत बदल गयी...
सभी राजा के खिलाफ नारे लगते है ..भरत को परिवार सहित वापस आना पड़ता है...
महल आने पर गरिमा भरत को मंत्री रंभा को प्रपोज करने को कहती है....
गरिमा:अगर हमे घर वापस जाना है तो आपको रंम्भा को पटा कर उससे शादी करनी होगी...
भरत :गरिमा ये क्या कह रही हो.... अभी ताजा ताजा रानियों वाला किस्सा खत्म हुआ है और तुम मुझे एक नई मुसीबत में डाल रही हो... नही में ये नही कर सकता
गरिमा: अच्छा जी,मन में तो लड्डू फुट रहे... पता नही कबसे इस पल का इन्तजार कर रहे हो..आज मौका दे रही हु तो एक्टिंग कर रहे हो.
भरत: अब तुम ये क्या कह रही हो. .. पिछली गलती के लिए... हमने एक दूसरे से माफी मांगली ... ओर माफ भी कर दिया.. फिर भी ... मुझ पर शक??
गरिमा: अब में तुम्हारी ठरक पहचान चुकी हु.... बन्दर कितना भी बुढा क्यो न हो जाए गुलाटी खाना नही भूलता...
भरत: फिर तुम भी घर जा कर क्या करोगी, यही बैठी रहो सोने चांदी और हिरे मोतियों के बीच...
इतना कह भरत जाने लगता है..
गरिमा : क्या हुआ,,बुरा मान गए, मै तो मजाक कर रही थी... मुस्कुरा कर कहती है..
भरत: मजाक..... मैं तो हरम में जाने वाला था......
गरिमा को गुस्सा आता है , पास पड़ी चीज उठा कर भरत की तरफ फेंकती हैं , भरत बाल बाल बच जाता है....
भरत:पगली मै भी तो मजाक ही कर रहा था....[उसे गले लगा कर कहता है]
गरिमा : ऐसा मजाक मुझे बिल्कुल पसन्द नही, अगर अब ऐसा कहा तो पहले तुम्हारी जान लुंगी , फिर खुद को खत्म कर लुंगी..
भरत:तुम करो तो मजाक, मै करू तो बुरा लग जाता है..
गरिमा: अब बस करो, तुम सिर्फ मेरे हो, मै सिर्फ तुम्हारी ... लेकिन यहाँ से निकलने के लिए हमे ,ये सब नाटक करना होगा...
[इतना कह भरत को कस के गले लगा लेती है]
.
अगले दिन ,,,
सेनापति प्रताप मंत्री रंम्भा से मिलने जाते है।
बच्चे उन्हें देख तुरन्त ये बात गरिमा को बताते है।
री:मम्मा सेनापति मंत्री से मिलने जा रहा है,,,, हाथ मे गुलाब लेकर,,,, शक के बीज तो हम ने बो दिए,,,पानी आप देदो।
गरिमा: अरे वाह बेटी तू तो चतुर लोमड़ी बन गई कैसे,,,,
री,: आपके सीरियल काम आएंगे ,मम्मा
गरिमा: वेरी गुड,, लेकिन अब हमें सेनापति को रोकना होगा। औऱ लगानी होगी आग।
यो:क्या करे।।।कैसे करे।
गरिमा: यो तुम मंत्री को कहो, उसे महाराज ने हरम में बुलाया है। और री तुम सेनापति को मेरे पास भेजो।।
भरत: फिर ।।
गरिमा: फिर क्या,,,, तुम मंत्री को प्रपोज करो,,, मै सेनापति को,,,,,
बच्चे मुह पर हाथ रख कर:; मम्मा ये क्या कह रहै हो आप।।।
गरिमा: ओहो,,, बड़ी शर्म आ रही है,, मम्मा के लिए,,, लेकिन बाप की करतूतों से शर्म नही आती।।
भरत: गरिमा ।
गरिमा: क्या है,,,
भरत: तुम समझी नही,,,
गरिमा : क्या नही समझी,,,, आदमी करे तो वाह वाह,, औरत करे तो थू थू।।
भरत: मै तो आवारा लगता हूँ, लेकिन तुम सीधी सादी भारतीय नारी ,, एक पराए मर्द पर डोरे डालोगी तो कैसी लगोगी।
गरिमा: अभी तुमने मेरे जलवे देखे नही,,ये देखो न्यू ड्रेस ,,और हाई हील।
सभी के मुँह पर हाथ और एक साथ हंसी फुट पड़ती है। बच्चे सेनापति की तरफ भागते है।
गरिमा भी बच्चो के पीछे भागती है।
रास्ते मे सेनापति दिखता है।
बच्चे उसके पास रुकते है।
री: सेनपती जी ,,
सेनापति: हां राजकुमारी जी।
री: आपको रानी जी बुला रही है अपने कक्ष में।
गरिमा सेनापति को देख तुरन्त अपने कमरे की तरफ वापस मुड़ जाती है और कमरे में खड़े भरत से कहती है।
गरिमा: सेनापति आ रहा है,, जल्दी तुम दूसरे कमरे में जाओ।।।
भरत: तुम्हारे इरादे नेक नही लग रहे, एक गैर मर्द के लिये पति को कमरे से निकाल रही ।।।
गरिमा: कैसा पति,, 4 चूहे खा बिल्ली हज को चली।। मै ये सब शौक़ से नही मजबूरी में ,अपने घर जाने के लिए कर रही हु।
भरत: मुझे तो नही लगता,,,,
गरिमा : हां मेरा दिल आ गया सेनापति पर उसे सच में पाने के लिये ये सब कर रही हु।
अब खुस ,,,, जाओ अब ,,, जल्दी।
भरत को बाहर भेज देती है।
उधर बच्चे मंत्री के पास पहुंचते है।
री: मंत्री जी , महाराज आपको बुला रहे है, चलिए।
री, यो मंत्री का हाथ पकड़ उसे खिंच कर ले जाते है , महाराज के कक्ष की ओर।
जहां सेनापति ने अभी अंदर प्रवेश किया ही है।
गरिमा ने वेस्टर्न ड्रेस और हाई हील पहने है , और दरवाजे के पास ही खड़ी है।।
सेनापति : महारानी जी ,बुलाया आपने??
सेनापति की आवाज सुन गरिमा चौंक जाती है, और घबराहट के कारण , सेंडिल का बेलेन्स नही बना पाती ,, और गिरने लगती है कि,,,,, सेनापति उसे अपने दोनों हाथो से सम्भाल लेता है।।
तभी री और यो मंत्री को लेकर कमरे में पहुंचते है,,,, मंत्री महारानी को सेनापति की बाहों में देख कर सन्न रह जाती है।
री यो , महाराज को कमरे में नही पाकर , मंत्री को खींचकर हरम की और ले जाने की कोसिस करते है।
मंत्री ,,, कुछ बोलना चाहती है ,,,, पर दोनों बच्चे उन्हें खींच कर दूर ले जाते है।
मंत्री: ये प्रताप महारानी के पास क्या कर रहा है,,,
यो: आपको नही पता,,
मंत्री : नही ,;
यो : सेनापति रानीजी से लव करता है, और इनसे शादी करना चाहता। आलु गोभि मिल जाएंगे,,,करदेंगे भिंडी का पत्ता साफ।
री: सेनापति के कारण हमारे मम्मा पापा अलग हो गए है।।। उदास मुँह बना कर कहती है।
मंत्री: ये नही होना चाहिए,,, ये सेनापति गलत कर रहा है।।
री : शायद इसलिए महारज ने आपको बुलाया है।
कुछ ही देर मे सब हरम में पहुंच जाते है,,,,जहाँ भरत उन्ही का इन्जार कर रहा ।।।
भरत: आओ रंम्भा।
यो: पापा इन्हें सच पता चल गया।।।
भरत हड़बड़ा जाता है ,,, कोनसा सच
री: यही की महारानी ,, अब हमारी मम्मी बनकर नही रहना चाहती ,,,, और सेनापति से शादी करना चाहती है,,,,,
यो: अब हमारी मम्मी कौन बनेगी,,,,,,रोते हुए कहता है।
री: रंम्भा क्या तुम मेरी मम्मी बनोगी,,,,,
उधर।।
गरिमा खुद को सम्भालती है,
गरिमा: सेनापति , बेशर्म , क्या तरीका है ये,,,, बिना नॉक किये अंदर आ गए,,,,और मुझे इस तरह क्यो पकड़ रखा है,,,,, छोड़ो।
सेनापति: क्षमा महारानी,,, युवराज ने कहा आपने बुलाया इसलिए ,,, जल्दबाजी में आया ,,,, औऱ यहाँ पहुंचा तो अपनी माता को गिरते हुए देखा,,,,,,,, भला अपनी माता को बचा कर मेने कुछ गलत किया।।।
गरिमा सोचती है, क्या कहूं इसे ,इसने तो माता बना लिया।।।
गरिमा: ठीक है, तुम जाओ ,,, मुझे परेशान न करो ,,,,
सेनापति : जो आज्ञा।।।
गरिमा : सुनो ,,,, जाते वक्त महाराज को मेरे पास भेजना,,,,, वो हरम में होंगे।।।
सेनापति: जो आज्ञा।
सेनापति हरम की तरफ चल पड़ता है,,,,
उधर
मंत्री: राजकुमारी जी ,,,महारानी ही आपकी माँ है,,औऱ हमेशा रहेंगी,,,,, हमारे राज्य में कभी कोई अलग नही होता।।।
भरत: लेकिन अब हो रहे है,,,,,
यो: मुझे मम्मा चाहिए ,,,,,,कह कर मंत्री से लिपट जाता है।।।
मंत्री: आप रोइये मत सब ठीक हो जाएगा।।।
री भरत को इशारा करती है सेनापति आ गया।।।
भरत रोने लगता है मुझे,,,गरिमा चाहिए,,,मुझे गरिमा चाहिए,,,,,और रोते रोते रंम्भा को गले लगा लेता है,,,,,
रंम्भा राजा का दुख देख,,, उन्हें सीने से लगा लेती है।।सेनापति को हरम में प्रवेश करता देख,, बच्चे छुप जाते है,,,,,, और भरत भी अब गरिमा की जगह रंम्भा रंम्भा करने लगता है।
ये देख सेनापति को गुस्सा आता है।
सेनापति: रंम्भा ये सब क्या है।।।
भरत: वही जो आप हमारे साथ कर रहे है।
रंम्भा: तुम्हे जरा भी शर्म नही आई प्रताप ,,,,, मां जैसी महारानी के साथ ये सब करते हुए।।।।
सेनापति: मेने क्या किया महारानी जी के साथ,,,,,
री: हमने अपनी आंखों से देख लिया सेनापति,,,, तुम गद्दार हो,,,,,,
सेनापति: क्या देखा।
रंम्भा: हमने तुम्हे, कुछ देर पहले ,अपनी इन्ही आंखों से महारानी के साथ ,,रंगरेलियां मनाते देखा है।।।
सेनापति : रंम्भा जबान को लगाम दो।।।
तैश में सेनापति रंम्भा को चांटा जड़ता है,,,, रंम्भा की आंखों से आंसुओ की धार निकलती है,,,,,और वो वहाँ से रोते हुए भाग जाती है।।।
कुछ देर के लिए सन्नटा
और सेनापति भी वहां से चला जाता है।।।
बच्चे मंत्री ओर सेनापति को दूर रखने के साथ,अलग करने में कामयाब होते है..,,,,,,,,
अगली सुबह,,,,,,
दासी: महाराज की जय हो।।
गरिमा: कहो,,क्या कहना है।
दासी: सेनापति ,, और मंत्री दोनो ही महल में नही है,,,, फिर आज का दरबार कैसे लगेगा।
भरत: क्या,,,,, कहा गए दोनो।
दासी : मालूम नही महाराज,,,, लेकिन मेने मंत्री को रात्रि में रोते हुए महल से जाते हुए देखा था।
गरिमा: ठीक है ,,, तुम सैनिक को भेजो उन्हें ढूंढने के लिए,,,, तब तक बिना मंत्री सेनापति के बगैर ही काम चलाएंगे।।।
दासी: जो आज्ञा।
भरत: तकलिया।।
गरिमा: लगता है ,, हमारी स्किम काम कर गई।।लेकिन एक ही।।
भरत: हमारी स्किम के चकर में बिचारो का दिल टूट गया।।. ।
गरिमा:-रंम्भा भी चली गयी अब ,,,,,, पहेली हल करने का समय भी निकल रहा,,,अब कल का दिन है सिर्फ उसमे , नई मंत्री से ब्याह करवाये ,,, नया सेनापति कंवारा लाये।।। जो होना अब असम्भव है।।। गई 3 साल की।
प्यार में दरार लाने से सभी खुश थे,,,लेकिन रंम्भा के भाग जाने से वे चारो निराश हो जाते है|
उधर झींगा
इस बार मोबाइल रिपेयर करना शुरू करता है... ग्राहकों की भीड़ दिनों दिन बढ़ती है .. तो स्टाफ रखता है.... आज उसकी दस दुकान है, जल्द ही वो अपना मोबाइल लॉन्च करने वाला है... उसकी दिनों दिन बढ़ती कामयाबी और दौलत को देख उसकी ऑफिस की कर्मचारी उससे शादी कर लेती है... वो इतना खुश होता है की शादी में दुनिया जहां का पैसा लगता है.... राजा रजवाड़ो की तरह उसका विवाह होता है.... लेकिन बेहिसाब दौलत लुटाने व मोबाइल प्रोजेक्ट पर ज्यादा ध्यान देने एक बार फिर सब गड़बड़ हो जाता है। ...
उसका प्रोजेक्ट मोबाइल आने से पहले ही रुक जाता है..... फिर वही फकीरी .. लेकिन कब तक..
उसकी पत्नी उसके हालात देख उसे खूब खरी खोटी सुनाती है....
वो घर से दुखी हो निकलता है.....
और तभी
एक गाड़ी उसे कुचल देती है.. कुछ देर मातम होता है, कुछ उसकी किस्मत की दाद देते है तो कुछ कोसते है...
थोड़ी देर बाद..
उसे दफना दिया जाता है.
कुछ रोज बाद जब झींगे की पत्नी को उसकी पॉलिसी मिलती है तो वो हैरान होती है की उसने 10 करोड़ की पॉलिसी अपनी होने वाली पत्नी के लिए ले रखी थी... लेकिन उसमे एक शर्त थी की पैसे उसकी पत्नी को तभी मिले जब वो 5 करोड़ उसके अंतिम संस्कार में लगाए.... वो जिस ऐसो आराम को कभी लगातार कायम नही रख सका उसे वो मरने के बाद अपनी कब्र पर कायम रखना चाहता है...
उसकी पत्नी इमोशनल हो उसकी इच्छा पूरी करती है.. महल नुमा कब्र में उसकी जीवनी भी लिखवाती....एक इंसान जिसके लिए पैसा सच में हाथ का मेल था..
आज दरबार मे मंत्री कि अनपस्थित में दरबान दरबार शुरू करता है।
।
दरबार: जिस घड़ी जिस पल का हमे इन्तजार था....वो घड़ी आ गयी है... सारे मतो की गणना हो चुकी है... और हमे हमारा नया राजा मिल गया है.. महाराज से अनुरोध करूँगा ... की वो अपने हाथो से इस बन्द लिफाफे को खोले और नए महाराज की घोषणा करे...
गरिमा: जाइये महाराज..
भरत: जहां जाना था वहां अब हम कभी नही जा पाएंगे....
गरिमा: हां वो तो है.. लेकिन अब यही हँसी खुसी रहेंगे...
री: वैसे भी अब यहाँ औऱ वहां में कोई अंतर नही रहा....
यो: ये जगह भी अब हमारे शहर जैसी हो गयी है.... बस आपका राज पाट छीन गया...
गरिमा: फिर से वही जिंदगी जियेंगे ...
लेकिन जैसा हमने यहाँ का माहौल बना दिया है... उससे हम नही सभी लोग परेशान रहेंगे.... सभी भागेंगे सुख के लिये....जो सुख कुछ समय पहले इन सब के घरो में बस्ता था.... वही अबसे इन सबकी तलाश बन जाएगा...
भरत: जैसी भगवान की मर्जी...
दरबान : आइये महाराज...
गरिमा भरत को जाने का इशारा करती है...भरत उखड़े मन से खड़ा हो कर दरबान से लिफाफा लेता है... अपने किये पर पछतावा करता है... क्यो मेने इस स्वर्ग सी दुनिया को आदुनिकता का पाठ पढ़ाया... ये अब जीवन भर जलेंगे.. और मेरी तरह कुछ नही कह पाएंगे......... भरत की आंखे नम है, कांपते हाथो से लिफाफा खोलता है. पर्ची निकाली... नाम था ...
सेनापति विक्रम...
भरत: आज से आपके नए महाराज होंगे सेनापति विक्रम....
जनता महाराज विक्रम जिंदाबाद के नारे लगाने लगती है...
प्रजा में उत्सव का माहौल..
गरिमा भरत बच्चे सभी सोच में पड़ गए... राजा विक्रम बना तो उसकी शादी रम्भा से होनी थी .. लेकिन हमने तो उनके बीच दरार दाल दी....रंभा तो चली गयी... मतलब जो सही होने वाला था उसे हमने उल्टा कर दिया...सबके मन में पछतावा था....
दरबान सेनापति से आग्रह करता है, वो आकर जनता को सम्भोदित करे......सेनापति.. सेनापति....
लेकिन सेनापति नदारद है..
सब उसे ढूंढते है ... लेकिन कोई खबर नही.
अब क्या होगा..
दरबान: महाराज अब क्या करे.. क्या उपविजेता को राजा घोषित करे...
भरत: इतनी जल्दबाजी क्यो.. जब तक सेनापति का पता नही चलता हम ही राजा रहेंगे...
प्रजा: कितने दिन महाराज ....10 दिन 20 दिन..
भरत: जब तक विक्रम न मिले तब तक..
प्रजा: मतलब अब आजीवन आप ही राजा रहेंगे..
भरत: कहना क्या चाहते हो??
प्रजा: नतीजो का ज्ञान आपको था..मरवा दिया होगा..
प्रजा: सत्ता चीज ही ऐसी है ,,एक बार नशा हो गया तो छूटेगा नही..
गरिमा":ये आप सब क्या कह रहे है... महाराज ने ही तो आपको नया राजा चुनने का मौका दिया था...
प्रजा: मौका दिया.... सपना दिखाया.. लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए और अपना राज कायम रखने के लिए..
प्रजा: महारज मुर्दाबाद मुर्दाबाद ..
माहौल खराब जनता खूब हल्ला मचा रही .. कुछ लोग तो राजा को मारने के लिये आगे बढ़ रहे.. वो भरत तक पहुंचते ..... और जैसे ही उसे मारने वाले होते है ... एक आवाज आती .. रुक जाओ.... रुक जाओ. सभी पीछे देखते है... सेनापति विक्रम ,रंभा के साथ वहा पहुंच चुका है...... और दोनों ने शादी भी कर ली है।
सभी सेनापति को देख प्रसन्न होते है औऱ चारो ओर महाराज विक्रम की जय जय गूंज होती है..
भरत का परिवार एक दूसरे की तरफ देखता है... विचार करता है... जिसे हमने रोकना चाहा वो रूका... लेकिन बाद में हमे उसका पछतावा भी हुआ.....लेकिन विधाता ने हमारी गलती को सुधारा... मंत्री सेनापति का विवाह करवा दिया... राजा की जय जय कार चारो और है... इसका मतलब भगवान भी हमारे साथ है.... सब के चेहरे पर मुस्कान है....
विक्रम मंच पर पहुँचता है...
भरत गरिमा आगे बढ़ विक्रम से क्षमा मांगने की कोशिश करते है.. लेकिन विक्रम उन्हें ऐसा करने से मना करता है....
[जब विक्रम रम्भा को तमाचा मारता है, तो रंम्भा दुखी हो महल से भाग कर आत्महत्या करने जाती है.. विक्रम रंम्भा के आंसू और आंखों का दर्द याद कर तड़प उठता है...विक्रम याद करता है जैसे महरानी को मेरी बांहों में देख रंम्भा को गलतफ़हमी हुई,,,,,, कहि वैसे ही रम्भा को राजा की बाहों में देख में भी तो गलतफहमी का शिकार तो नही हुआ.....
अपनी गलती का अहसास कर रंम्भा को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है,,
काफी ढूंढने पर भी रंम्भा उसे नही मिलती,,,, थक हार वो टावर पर चढ़ता है मरने के लिये ,,,
टावर पर चढ़ने पर उसे रंम्भा सामने वाली बिल्डिंग में चढ़ती दिखाई देती है।
टावर से तार तोड़ कर वो बिल्डिंग में अड़ा देता है और रंम्भा जैसे ही बिल्डिंग से कूदने वाली होती है.. विक्रम तार से लटकता हुआ जाता है और रंम्भा को बचा लेता है....
दोनो ही एक दूसरे पर विश्वास न करने के लिये माफी मांगते है.. वही से सीधे मन्दिर जा कर शादी कर .. महाराज का आशीर्वाद लेने महल पहुंचते है]
विक्रम: जो हुआ अच्छा हुआ... जो हो रहा अच्छा हो रहा..... जो होगा अच्छा ही होगा..
प्रजातन्त्र की जय हो..
दरबान: अब नए महाराज नया सेनापति घोषित करेंगे..... जिनका नाम इस लिफाफे में बन्द है..
दरबान लिफाफा विक्रम को देता है वह उसे खोल नाम पड़ता है..
विक्रम:हमारे नए सेनापति होंगे..... बाबा ,,,बाल बर्मचारी केसव महाराज...
बाल बर्मचारी नाम सुनते ही भरत का परिवार फुला नही समा रहा.... सब ठीक हो रहा... हमारे घर जाने के
रास्ते खुल रहे ...आल इज वेल..
विक्रम: सभी भाई बहनों का धन्यवाद करता हु....की आप सभी ने मुझे राजा चुना....लेकिन में राजा बनकर खुस नही ...
प्रजा: क्यो महाराज क्या हुआ...
गरिमा: मुझे लगता है सब गड़बड़ कर देगा...
विक्रम: आज हम जाग गए आधुनिक हो गए... क्या आप खुस है ..... नही... कल तक हम कितने खुश थे... न टीवी था.. न मोबाइल... न गाड़ी थी... न बंगला.. न जात पात थी.... न धर्म थे न मजहब.... थी सिर्फ खुशी.... मन की शांति .......अपने राजा से प्रेम...भक्ति थी 1 ईश्वर की।
प्रजा: आज शुविधा है... हस्पताल है... कॉलेज है.... थाना है....पैसा है...... नोकरी है.... कल तक धूप में जलते थे.... आज बिजली है...हवा के लिए कूलर पंखे रोशनी के लिए लाइट...
विक्रम:: हॉस्पिटल...हु..... बीमार कितने बढ़े....... ये देखो.. कॉलेज...ज्ञान तो पहले भी था..... अब तो सिर्फ तर्क वितर्क है....थाना...न्याय तो पहले भी था... अब तो रिस्वत खोरी है...भले ही कल बिजली न थी.. पर दिया तो था..पंखी थी ....हमारी सुविधा से पर्यावरण पर कितना असर पड़ेगा...... ये आप सोच भी नही सकते है.....
विक्रम टीवी चालू करता है और फ़िल्म का सिन दिखाता है.. जिसमे अपराध , भरस्टाचार, हॉस्पिटल कॉलेज मे ...इलाज ओर शिक्षा के नाम पे लूट , धर्म मजहब जाती, के नाम पर लड़ते लोग....उपकरण , फेक्ट्री से होता प्रदूषण.. काटते जंगल.. मरते जानवर......गंदी नदिया... तड़पती मछलियां....वगेरह दिखाता है....
विक्रम: ये ही है हमारा भविष्य...क्या आप इसे स्वीकार करते है..
प्रजा: आपने सिर्फ गलत चीज को चुन कर हमे दिखाया.......सिर्फ इसलिए कि हमारा भविष्य अंधकार मय हो ... हमे तुम्हारे जैसा राजा नही चाहिए...
और एक पत्थर उठा विक्रम के सर पर मारता
है.......तभी भिड़ में से एक बूढा आदमी आगे आता है जो आधुनिकता के पक्ष में था ...और उस लड़के को एक तमाचा जड़ता है...सभी उन दोनों पर नजर गड़ाए है।
बूढा: नही चाहिए हमे कुछ भी.....हम पहले जैसे थे ठीक थे.... मै बूढा हो गया लेकिन कभी बच्चे पर हाथ नही उठाया.. आज उठाना पड़ा.. क्योंकि मेने गलत चुना.... कल तक पूरे राज्य में लोग भाइयो की तरह रहते थे.. आज मन में सिर्फ बेर भरा है , सिर्फ मै , मेरा जानते है.... मेरा दोस्त हम 60 साल साथ रहे . ... हर सुख दुख में.. लेकिन अब वो बीमार है...हमारा धर्म अलग हो गया...मैं हिन्दू हो गया.. वो मुस्लिम हो गया,,,,मेरी आत्मा रोइ ... तड़पी लेकिन में उससे नही मिल पाया .... आज भीड़ में वो भी खड़ा था,,, मै भी,,, लेकिन हमने नजर तक नही मिलाई....मै कल मरता आज मरु ... लेकिन जब तक जियूँ मुझे मेरे पहले वाले दिन लोटा दो महाराज....
इतना कह वो रोने लगता है.. तभी सामने से उसका वही दोस्त आकर उसे गले लगा लेता है.....दोनो एक स्वर में कहते है ...... ये हमने क्या कर दिया मेरे... भाई....
महिला: कल तक हम सब महिलाए भी कितनी खुश थी...एक साथ हंसती खेलती बोलती थी..मजाक का कभी कोई बुरा नही मानती.... आज कोई दलित हो गई,,कोई ब्रामण हो गई,,,कोई सिया तो कोई सुन्नी हो गई।
अब से सोच सोच कर बोलना पड़ता है....कहि कोई बुरा न मान जाए,,,,,दिन भर अपनी बड़ाई और दूसरों को नीचा दिखाने की बाते दिमाग मे चलती रहती है
बच्चे: हम जिस राजा को पिता मानते और जो राजा हमे पुत्र की तरह प्यार करता था ..जिसने कभी भी छुआ छुत नही रखी,,,,, आज मेंने दलित बनते ही उस पर पत्थर मार दिया,,,,,... तो ऐसी मूर्खतापूर्ण आदुनिकता नही चाहिए हमे....,,,हम कितनी जल्दी भुल गए,,,हम सब एक है,,एक मे सब है।
वो अपने मोबाइल को फेंक देता है..
विक्रम: जैसे मेरा मन दुखी है... वैसे ही आप सबी का मन कहि न कहि दुखी है... अगर आप इन सुविधाओ का बहिस्कार करते है और पहले जैसा राज्य पुनः चाहते है , तो एक स्वर में कहे .... बहिष्कार हो...
कोई नही कहता..
विक्रम: बहिष्कार हो...
दोनो बूढ़े: बहिष्कार हो...
बच्चा: बहिष्कार हो।
भरत परिवार: बहिष्कार हो..
कुछ देर शांति.
प्रजा एक स्वर में ... बहिष्कार हो... बहिष्कार हो... बहिष्कार.. हो
विक्रम: आप सभी की एकता देख मन प्रसन्न हो गया,,,,, मैं चाहता हु ,सभी कार्य रोक दिए जाए....और फिर से सब कुछ पहले जैसा कर दिया जाए...
बाल बर्मचारी[बुढ़िया का पोता] महाराज में आपका नया सेनापति... मै आपको बताना चाहता हु... की मेरी दादी हन्ता सब कुछ पहले जैसा कर देगी ... इसके लिए उनका आवाहन करना होगा...
भरत गरिमा: सब पहेली हल हो गयी...
री ,यो: समय आ गया है दादी अम्मा को बुलाने का...
भरत परिवार एक स्वर में जोर से... दादी अम्मा दादी अम्मा आ जाओ न जल्दी से एक पैसा दो मान जाओ न
दादी अम्मा दादी अम्मा आ जाओ न..
बाल ब्रम्हचारी: ये कौनसा मन्त्र कह दिया तुमने..,,हन्ता अम्मा की जगह दादी अम्मा को क्यो बुलाया मूर्खों।
चलो भागो ,,,.. सब जान बचाने के लिए भागो.... छुप जाओ... भागो ... वो आती ही होगी.....
वही बूढ़ीया विशाल भूतनी के रूप में वहाँ आती है ओर तबाही मचाती है....
सबको काटना शुरू कर देती है...जिसे भी काटा वो राक्षस बन जाता है..... प्रजा ... मंत्री... विक्रम....बाल बर्मचारी, एक एक कर .. सब राक्षस बन गए..
भरत का परिवार बचने के लिए इधर उधर भागता रहा,,,
लेकिन जहाँ भी जाते है, शैतानो को पाते है।
जब बचने को कोई जगह नही बची तो महल के ऊपर गुम्बद पर चढ़ जाते है...
लेकिन एक एक कर सभी राक्षस वहाँ भी पहुंच जाते है और उन्हें चारो तरफ से घेर लेते है..
भरत एक रस्सी के सहारे बच्चों को महल के बाहर कूदा देता है,
तभी बुढ़िया,,,हमला कर भरत गरिमा को काट कर भूत बना देती है,,,,
भूत बनी गरिमा ,,चिलाती है,,,, भागो बच्चो भागो।
लेकिन बुढ़िया एक ही छलांग में बच्चो के सामने पहुंच जाती है
..
और री यो पर झपटा मारती है...
यो: आपने पहेली दी हमने हल करदी.
री: अब हमे घर पहुंचाओ....
बूढ़ी हँसते हुए.. ,,what the fk,, ,,you idiots,,,,,,,, its पार्टी टाइम।
यो: ,प्लीज हमे घर ले चलो,,,,,,,
अम्मा: घर.......है,,,,,है,,,,,है,,,कैसा घर चूजों... अब तुम तुम मेरा शिकार बनोगे और मेरी भूख शांत करोगे....
और बड़ा मुह खोल दोनो को निगल जाती है....वे सिर्फ चीखते रह जाते है।
चीख़ के साथ सभी उठ खड़े होते है
उसी बुढ़िया का हँसता चेहरा सामने है.....बुढ़िया हंसती है....जैसे ही उसकी हँसी की आवाज सुनाई पड़ती है...
भरत का परिवार ,,,दुबारा जोर से चिल्लाता है...
हाथ में पंखी लिये बुढ़िया ....मुस्कुराते हुए पूछती है...
बुढ़िया: कोई बुरा सपना देखा क्या??
भरत का परिवार खुद को उसी झोपड़े में पाते है.....
री: क्या वो सपना था ....
यो:या ये सपना है....
बुढ़िया: तुम थके हुए थे...नास्ता करते ही आंख लग गयी..किसी गहरे सपने में खो गए थे क्या...
गरिमा भरत को चिमटी काटती है.....
भरत: आआआ
बुढ़िया: क्या हुआ??
गरिमा: हाँ .... हाँ मै सपने में खो गयी थी.....
भरत: मै भी...
बच्चे: हम भी...
बुढ़िया: एक दूसरे के सपने में चले गए थे क्या...... जो इतना डारे हुए हो.....
भरत : पता नही....
गरिमा: चलो बाहर घूमने चले.....
सभी एक स्वर में .... हां चलो,,,,,
सभी वहाँ से निकल पड़ते है....
बुढ़िया: डर गए लगता है.....बच्चे है,,,
रास्ते में सभी सपने की चर्चा करते है....
भरत: मैं सपने में राजा बन गया था.....
गरिमा: मैं रानी....बहुत अमीर रानी... क्या तुमहारे पास 3रानिया थी??
भरत:हां 3 रानिया थी,,, लेकिन हैरानी सभी के पास तुम्हारे जैसा टेटू भी था।क्या तुमने अपने सपने सच किये .... खजाने से....
री: क्या आपको पहेली मिली....??
यो:दादी भूत बनी आपके सपने में.....
सभी एक स्वर में... हा यही तो हुआ था हमारे सपने में इसका मतलब हम सब ने एक ही सपना देखा...
गरिमा: या ये कोई जादू था...
शाम को सबी झोपडी में वापस आते है..... लेकिन आज किसी को नींद नही आ रही ... देर रात को सबकी आंख लग जाती है....... आज भी वही सपना ,,,, लेकिन इस बार वे अदृश्य है,,, वे सभी राज का माहौल पहले जैसा पाकर खुश है, विक्रम और रंम्भा मिलकर अच्छे से प्रजा का ख्याल रख रहे है।
सभी कहते है
आखिर हम कामयाब हुए , हमारे राज में फिर से सुख शांति कायम हो गई।
सुबह दादी पानी डाल कर उठाती है...
आज नींद अछि आयी.... मन को सुकून देने वाला सपना आया....भरत कहता है|
सभी हां में सर हिलाते हुए हमें भी,,,,
गरिमा:,,वहा अब सब कुशल मंगल है, ,,
बाकी के दिन सभी हँसी खुशी घूमते है...कश्मीर
जल्द ही समय आ जाता है घर जाने का....
सभी दादी से विदाई लेते है....
छोटू: साहब फिर आना.... और यही रुकना...
दादी:ये तो यही आएंगे.... कितना ख्याल रखा है मेने...
भरत: हाँ दादी.... सही कहा आपने..
री: दादी आपकी याद आएगी..
यो: फिर मिलेंगे....
गरिमा: चलते है दादी....फिर मौका मिला तो यहाँ जरूर आएंगे........
सभी वहां से निकल पड़ते है अपने घर की ओर....
घर पहुंच कर एक बार फिर सपने की चर्चा होती है...
वो हंसते है....रोते है .....कभी डर कर सहम जाते है...
घर का माहौल अच्छा हो गया.... सब खुश है..... लेकिन कब तक...
भरत :यह सन्तो की वाणी सच है।
कोई तन दुखी कोई मन दुखी कोई धन दुखी..लेकिन जहाँ प्रेम है वे सुखी ही सुखी,,,अब जान गये आदुनिकता दिखावे की दुनिया के पीछे भागना महा मूर्खता है...और हवस एक मानसिक बीमारी।
हमे हमेसा खुश रहना चाहिए,चाहे परिस्थिति केसी भी हो, वही परम् आनन्द है।
गरिमा :ये जिंदगी है मेरे दोस्त उतार चढ़ाव,संघर्ष , उथल पुथल जिसका दूसरा नाम है....जिसे प्रेम और आनंद की नाव में सवार होकर जीत या पार किया जा सकता है।
एक महीने बाद फिर वही झिक झिक .....गरिमा का अब एक नया ताना है ..काश के सपने से वापस ही न आते...और मै वहाँ रानी बनी रहती.....भरत भी जवाब देता है... हां,, वहां की 3रानिया भूल गयी क्या ।
कीच कीच अब भी होती है ..
,लेकिन अब तकरार मीठी होती है...उस सपने ने अंदर की नफरत ,ईर्ष्या ,लालच,खत्म कर दी ,,,,, अब मन मे सिर्फ प्रेम भरा है.....
भरत , गरिमा ,और बच्चो ने अब मोबाइल से दूरी बना ली,,,,,जितनी जरूरत उतना ही काम लेते है,,,वर्तमान में जीते है।
जिस भरत की दुनिया,,घर ,नोकरी,और फोन में व्यस्त थी ,अब उसका बड़ा फ्रेंड सर्किल बन चुका है,,,,,,जहां कहि भी उसे उदास व्यक्ति मोबाइल चलाते हुए दिखता,,,बस वो उसे हंसाने पहुँच जाता।
आप सब सोच रहे है,,झींगा के साथ क्या हुआ,,
अभी उसकी वही सिक्योरिटी एजेंसी है,,,,और उसका भविष्य हम देख चुके है,,,,,,जो सिर्फ आप और मै जानता हूं ,,,,किसी से बताना मत,,,ठीक है।।
वैसे जो होनी है वह अटल है।
खैर अपने को क्या करना
गरिमा ,भरत अपनी जाने, झींगा अपनी जाने और रंम्भा,विक्रम अपनी जाने।
लेकिन यह तो सच है , सपना कैसा भी हो अपना होता है..और उन दोनों ने अपने सपने जी लिए....
कितने प्यारे , कितने, अच्छे, कितने सचे, कितने झुटे ,कितने डरावने, कितने लुभावने होते है ये सपने। काश सब के सपने युही सच हो जातें।
जो सबको "इति सी खुशी" देकर उनकी जिंदगी बदल देते है.....
टाटा बाय बाय... सीयू... खत्म..the end..