मेरी अधूरी सी कहानी - 2 भूपेंद्र सिंह द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी अधूरी सी कहानी - 2








अगली सुबह।

प्रीतम ने सुधीर को कॉल किया और कॉल रिसीव होते ही बोला - " उस बिला की क्या खबर है? मुझे हर हाल में वो बिल्ला चाहिए।"

सुधीर - " भाई वो कह तो रहा था की आज ग्यारह बजे तक आ जायेगा।"

प्रीतम - " तूं इस वक्त कहां है?"

सुधीर - " भाई हम लोग इधर फॉर्म हाउस में हैं।"

प्रीतम - " ओके मैं वही आ रहा हूं। तुम्हारे पास।"

इतना कहकर प्रीतम ने कॉल कट कर दिया और तेजी से घर से बाहर निकला और अपनी गाड़ी लेकर फार्म हाउस में चला गया।

इधर प्रिया और पिंकी दोनों एक्टिवा से अपनी बेकरी की शॉप की और निकल पड़ी।

रास्ते में एक फार्म हाउस के आगे प्रिया ने एक्टिवा रोकी और अपने हाथ में पकड़े पार्सल को देखते हुए बोली " ये पार्सल इसी जगह डिलीवर करना है।"

पिंकी एक्टिवा से उतरते हुए - " एड्रेस तो यही था ना?"

प्रिया - " अरे हां एड्रेस यही है। मैं शॉर हूं। तूं दो मिनिट रुक मैं अभी पांच मिनिट में आती हूं।"

इतना कहकर प्रिया फार्म हाउस की और बढ़ गई।

पिंकी वहीं एक्टिवा पर बैठकर प्रिया के वापिस आने का इंतजार करने लगी।

फार्म हाउस अंदर से पूरी तरह सुनसान पड़ा था। प्रिया ने अंदर जाकर देखा तो अंदर अंधेरा सा छाया हुआ था। सबकुछ ऐसे नजर आ रहा था की जैसे कोई चांदनी रात हो?"

प्रिया इधर उधर नजर दौड़ाते हुए बोली " हेलो जहां पर कोई है क्या? ये मावा केक किसने मंगवाया था। कोई है क्या जहां।"

लेकिन किसी को कोई भी आवाज नहीं आई।

प्रिया पार्सल सोफे पर रखते हुए गुस्से में - " खुद ले लेंगे। पहले तो सामान मगवा लेते हैं और फिर बाद में मौके पर गायब हो जाते हैं।"

प्रिया फिर जोर से बोली - " मैने पार्सल सोफे पर रख दिया है उठा लेना।"

इधर फॉर्म हाउस के एक बंद कमरे में एक और सोफे पर प्रीतम बैठा सिगरेट के कश भर रहा था। उसके सामने सुधीर और निशांत बैठे थे।

सुधीर - " भाई शायद बाहर कोई आवाज दे रहा है?"

प्रीतम - " तेरे कान बज रहे हैं। उस बिला की बता क्या खबर है?"

निशांत - " बॉस वो मुंबई आ रहा है।"

आर्यन खड़ा होते हुए - " गुड।"

इधर प्रिया सोफे के पास खड़ी अपने आप से - " क्या करूं? वापिस चली जाऊं क्या? चली ही जाती हूं। खुद उठा लेंगे। अब जहां पर कोई है ही नहीं तो फिर इसमें मैं क्या कर सकती हूं।"

इतने में प्रिया दूसरी और एक बंद कमरे पर नजर दौड़ाते हुए बोली " कमरे मे से किसी की आवाज आ रही है। क्या करूं देखू क्या? देख ही लेती हूं। शायद कोई अंदर हो?"

इतना कहकर प्रिया ने अपने कदम उस बंद कमरे के दरवाजे की और बढ़ा दिए।

इधर प्रीतम दरवाजे की और बढ़ते हुए बोला " बिला के स्वागत की तैयारी करो। जब जनाजा उठेगा तब ऊपर कमल के फूल डालना।?"

इतना कहकर प्रीतम ने तेजी से दरवाजा खोला और वो अचानक से सामने से आ रही प्रिया से टकरा गया और वे दोनों नीचे फर्श पर गिर गए। आर्यन नीचे गिर गया और प्रिया उसके ऊपर। प्रिया का चेहरा प्रीतम की छाती पर था। प्रिया के लंबे बालों ने प्रीतम के चेहरे को ढक लिया था। अचानक से इतना कुछ होते देख प्रीतम भी शॉक्ड था। उसे तो ये भी मालूम नहीं था की वो लड़की है कौन? अगले ही पल प्रीतम ने खुद को संभाला और फिर प्रीतम प्रिया के बालों में से एक लंबी सांस भरते हुए बोला - " आहा क्या खुशबू है?"

प्रिया ने अपना सर ऊपर किया और प्रीतम भी प्रिया को देखकर हैरान रह गया। प्रीतम को भी अब याद आ गया की ये वही लड़की है जो उस दिन बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रही थी।

प्रीतम अपनी आईब्रो ऊपर करते हुए प्रिया की आंखों में आंखे डालकर बोला - " अब ऊपर से खड़ी भी हो जाओ। कितनी हेवी हो तुम। बच्चे की जान ही लोगी क्या?"

प्रिया खड़ी होकर अपनी नजरें नीचे करते हुए बोली - "प्लीज सॉरी।"

इतने में प्रीतम ने लेटे लेटे अपना हाथ प्रिया की और बढ़ाते हुए कहा " इट्स ओके। अब मुझे खड़ा करो?"

प्रिया कुछ गुस्से में बोली - " देखो तुम्हारे हाथ पांव है। तुम खुद खड़े हो सकते हो?"

प्रीतम को आजतक किसी ने भी तुम नहीं कहा था लेकिन आज प्रिया उसे सरेआम तुम कह रही थी लेकिन फिर भी प्रीतम के चेहरे पर गुस्से का कोई निशान नहीं था सिर्फ एक हल्की सी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर नज़र आ रही थी।

अगर कोई और प्रिया की जगह होता तो प्रीतम उसका वहीं पर काम तमाम कर देता।

प्रीतम खड़ा होते हुए - " ठीक है मत खड़ा करो। मैं खुद ही खड़ा हो जाऊंगा। वैसे तुम्हें मेरा शुक्रिया अदा करना चाहिए।"

प्रिया गुस्से में - " किस बात का?"

प्रीतम - " कमाल है। अब ये भी बताना पड़ेगा क्या? मैने तुम्हें फर्श पर गिरने से बचाया है। अब सोच कर देखो अगर मैं नहीं होता तो तुम्हारा सर फर्श से जा टकराता और तुम्हारे चोट लग जाती। चोट लग जाती तो खून निकल जाता। और खून निकल जाता तो तुम्हें दर्द होता , दर्द होता तो तुम चिलाती, और तुम चिलाती तो मेरे कान फट जाते और कान फट जाते तो..........।"

प्रिया बीच में ही - " बस बस बहुत हो गया। अब ज्यादा लेक्चर देने की जरूरत नहीं है।"

प्रीतम अपना चेहरा दुसरी और करते हुए - " वैसे तुम अगर थैंक्स नहीं बोलना चाहती तो मत बोलो बट मेरी तरफ से वेलकम है।"

प्रिया - " मुझे जरूरत नहीं है आपके वेलकम की? आप अपना वेलकम अपने मुंह में ही रखिए मुझ तक पहुंचाने की कोशिश मत कीजिए और वैसे भी मैं कब से आवाज़ें दे रही थी। अगर तुम अंदर थे तो आवाज नहीं दे सकते थे क्या?"

प्रीतम सोफे पर पड़े हुए पार्सल को देखते हुए " तुम तो उसे गला गला फाड़कर बुला रही थी जिसने ये मावा केक का ऑर्डर दिया था। मैने तो दिया नहीं फिर मैं क्यों जवाब दूं।"

प्रिया अपने हाथ प्रीतम के गले के पास गुस्से से घुमाते हुए " तुमसे तो बहस करना ही बेकार है।"

प्रीतम अपनी आईब्रो ऊपर करते हुए- " मेरा गला घोंट दोगी क्या?"

प्रिया - " अगर जरूरत पड़ी तो।"

ये सुनकर प्रीतम ने अपनी आईब्रो और भी ऊपर कर ली।

इतने में सुधीर वहां पर आते हुए बोला " भाई वो दरअसल मैने ही ये केक का ऑर्डर दिया था।"

प्रीतम ने एक जोरदार थपड़ सुधीर के गाल पर जड़ दिया और बोला " ये लड़की कब से आवाज दे रही थी। देखो तो सही कैसे इस लड़की का चेहरा गुस्से से लाल हो गया है। इसे जवाब नहीं दे सकते थे क्या?"

सुधीर - " भाई वो आपने ही तो मुझे रोका था और कहा था की तेरे कान बज रहे हैं।"

ये सुनकर प्रिया गुस्से से प्रीतम को घूरने लगी।

प्रीतम - " अरे मजे क्या मालूम था की सच में बाहर कोई गला फाड़ रही है।"

प्रिया गुस्से से अपनी अंगुली प्रीतम के आगे करते हुए - " तुम्हें तो मैं देख लूंगी.....।"

प्रीतम - " मुझे देख तो रही हो।"

प्रिया अपनी आंखें बंद करते हुए - " हे महादेव आज किस इंसान से मिलवा दिया।"

इतने में सुधीर बीच में ही बोल पड़ा - " सॉरी मैम गलती हो गई, हमें आवाज देनी चाहिए थी। प्लीज सॉरी।"

प्रिया सुधीर की और देखते हुए - "इट्स ओके।"

प्रीतम अपना सीना चौड़ा करते हुए - "वैसे अब इसे माफ कर दिया है तो मुझे भी माफ कर दो।"

प्रिया गुस्से से - " कभी नहीं। तुम्हें तो मैं सबक सिखाकर ही रहूंगी।"

हालांकि प्रिया जैसी लड़कियां दिन रात प्रीतम के आगे पीछे चक्कर काटती रहती थी लेकिन आज प्रीतम को प्रिया के साथ मस्ती करने में बड़ा मजा आ रहा था।

इतने में फार्म हाउस के दरवाजे के पास से पिंकी की आवाज आई - " प्रिया जल्दी आ। कितना टाइम लगा दिया तूने। जल्दी चल। हम लेट हो जायेंगे।"

प्रिया प्रीतम को घूरते हुए पिंकी के पास चली गई। लेकिन पिंकी की नजरें अब प्रीतम पर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

प्रिया पिंकी का हाथ पकड़ते हुए " अब तुझे क्या हो क्या? जल्दी चल जहां से?"

पिंकी प्रीतम की और देखते हुए " यार क्या मसल्स है इस लड़के के बिलकुल वरुण धवन की तरह। कितना हैंडसम है ये।"

प्रिया पिंकी का हाथ पकड़कर उसे फॉर्म हाउस से बाहर ले जाते हुए " अब जल्दी चल । सारा दिन बस लड़कों की बातें। कभी काम की बात भी कर लिया कर।"

प्रीतम अब भी मुस्कुराहट के साथ प्रिया को देख रहा था। प्रिया धीरे धीरे प्रीतम की आंखों से ओझल हो गई।

प्रीतम सोफे पर बैठते हुए - " प्रिया। कुछ तो बात है इस लड़की में। एक नंबर की गुंडी है ये लड़की नकचढ़ी।"

सुधीर - " भाई आप इस लड़की का नाम जानते हैं? मैने तो केक ऑर्डर किया था फिर भी मैं इस लड़की का नाम नहीं जानता।"

इतने में प्रीतम को कुछ याद आया और वो तेजी से पार्सल की और देखते हुए बोला " मावा केक। इसका मतलब ये लड़की बेकरी में काम करती है क्या?"

सुधीर - " पता नहीं बॉस। मैने तो ये केक ऑनलाइन मंगवाया था?"

प्रीतम खड़ा होते हुए - " ठीक है अब छोड़ो इसे। और जल्दी चलो। वक्त रेत की तरह मुठ्ठी से फिसल रहा है। ग्यारह बजे वाले है और बिल्ला के भी आज बजने वाले हैं।"

इतने कहकर प्रीतम तेजी से फॉर्म हाउस के बाहर निकल गया और उसके पीछे पीछे निशांत और सुधीर भी।

एक बिल्डिंग की छत पर प्रीतम रेलिंग को पकड़कर लगातार सामने की और घूरे जा रहा है उसकी आंखों में देखने पर नफरत और दर्द साफ नजर आ रहा है लेकिन ये दर्द उसे किसने दिया है इसकी कोई खबर नहीं है। इतने में उसके पीछे बिला और उसके तीन चार आदमी आकर खड़े हो जाते हैं। एक और खड़ा सुधीर बोलता है " भाई बिला आ गया है।"

बिल्ला जो की लगभग चालीस वर्षीय मशहूर गुंडा है।

प्रीतम अपने पीछे नज़र दौड़ाता है तो बिला प्रीतम की और बढ़ते हुए बोलता है " कमाल है। खुद मुंबई का डॉन मुझे बुला रहा है। ये बात कुछ हजम नहीं हो रही है। खुद मुंबई के इतने बड़े डॉन प्रीतम खुराना ने मुझे जहां पर बुलाया है। कमाल है प्रीतम खुराना के भी बुरे दिन आ गए क्या जो उसे मुझ जैसे छोटे मोटे गुंडों की जरूरत पड़ने लगी?"

प्रीतम अपनी गर्दन एक और टेढ़ी करके उस पर अपना हाथ फेरते हुए - " अपनी बकबास बंद करो। प्रीतम खुराना के बुरे दिन कभी नहीं आने वाले। अब चुपचाप सूरज शर्मा की वो जमीन उसे वापिस दो। मैं जानता हूं की तुमने उस जमीन के झूठे कागजात बनवाए हैं। "

बिला हंसते हुए " सारी दुनिया जानती है की मैने वो जमीन उस सूरज शर्मा से हड़पी है लेकिन "कोई" चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है।"

प्रीतम - " लेकिन मैं कोई में नहीं आता।"

बिला हंसते हुए - " जानता हूं मैं की तुम बहुत कुछ कर सकते हो। चलो एक डील करते हैं वो पूरी बीस हेक्टेयर जमीन है। हम दोनों मिलकर उसे आधी आधी कर लेते हैं। उस बूढ़े सूरज शर्मा को तो मार डालेंगे और फिर हम दोनों ऐश करेंगे। मैं अपनी उस जमीन पर एक फैक्ट्री बनवाऊंगा और तुम उस जमीन का जो कुछ करना चाहो वो कर लेना। सोच लो मिस्टर प्रीतम साहब फायदे का सौदा है। ऐसी डील बार बार नहीं मिलने वाली।"

प्रीतम पलटकर रेलिंग को पकड़ते हुए एक गहरी जहरीली मुस्कुराहट में बोला " डील मंजूर है।"

प्रीतम के इतना कहते ही बिला के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई तभी प्रीतम अपनी मुट्ठियां भींचते हुए बोला " प्रसाद दो और अमर करो ( मार दो।)"

प्रीतम के इतना कहते ही तीन चार गोलियां चली और बिला के आसपास खड़े आदमी धड़ाम से जमीन पर गिर गए। एक ही सेकंड में इतना कुछ होता देखकर बिला हैरान रह गया और उसका दिल किसी ट्रेन की स्पीड की तरह धड़कने लगा।

बिला ने इधर उधर देखा तो सुधीर और निशांत ने अपनी गन अब बिला पर ही तान रखी थी और बस वो प्रीतम के एक इशारे का इंतजार कर रहे थे।

बिला का ने अपने कदमों के पास अपने मरे पड़े आदमियों की और देखा और वो थर थर कांपने लगा। प्रीतम कुछ बोलने ही वाला था की बिला भागकर प्रीतम के पैरों में गिर गया और रोते हुए गिड़गिड़ाने लगा " प्रीतम भाई मुझे माफ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मेरी तो औकात भी नहीं है की मैं आपके साथ डील करूं। प्लीज भाई मुझे माफ कर दो। मुझे मारना मत। प्लीज भाई मुझे मारना मत। मैं मरना नहीं चाहता। प्लीज भाई प्लीज मुझे माफ कर दो। मैं आपके सामने हार मानता हूं। मैं अपनी जान की भीख मांगता हूं भाई।"

इतने में प्रीतम ने सुधीर की और इशारा किया और सुधीर ने हां में सिर हिलाते हुए अपने पांव मेज पर पड़े एक बैग की और बढ़ा दिया।

सुधीर ने बैग की चैन खोलकर कुछ कागजात बाहर निकाले और फिर बिला की और बढ़ाते हुए बोला " चुपचाप साइन कर और सूरज शर्मा की जमीन उसके नाम कर।"

बिला ने तेजी से कागज पकड़े और सभी कागजात पर साइन कर दिए।

बिला खड़ा होते हुए बोला "भाई आपका काम हो गया।"

इतना कहकर बिला वहां से जाने लगा। प्रीतम अपनी गर्दन ऊपर करते हुए बोला " मैने तुझे जाने के लिए कहा क्या? प्रीतम की जिंदगी में बिना अनुमति के ना ही तो कोई आ सकता है और ना ही जा सकता है।"

प्रीतम की बात सुनकर बिला वहीं रुक गया और पलटकर प्रीतम एक चेहरे की और एकटक देखने लगा जिसे पढ़ पाने में वो असमर्थ था।

प्रीतम अपनी आंखें बंद करते हुए बोला " तूने कितने ही लोगों की जमीनें हड़पी हैं, कितनी किडनैपिंग की है , कितने घरों की इज्जत लूटी है, कितने घरों के चिराग बुझाए हैं। और तुझे लगता है की मैं तुझे ऐसे ही जाने दूंगा।"

बिला अपने हाथ जोड़ते हुए बोला " भाई मुझे माफ कर दो। प्लीज मेरी जान बख्श दो भाई।"

प्रीतम अपनी गर्दन एक और टेढ़ी करते हुए - " चल भाग जहां से। आज तुझे प्रीतम ने एक मौका दिया। "

ये सुनकर बिला हैरानी से प्रीतम के चेहरे की और देखने लगा जिसे पड़ पाने में वो सक्षम नहीं था।

प्रीतम अब गुस्से में जोर से बोला " मैने कहा भाग।"

बिला ने इधर उधर नजर दौड़ाई और तेजी से वहां से भागने लगा। इससे पहले की बिला सीढ़ियों तक पहुंच पाता। प्रीतम ने तेजी से अपनी गन निकाली और एक गोली चला दी। बुलेट बिला के सर के आरपार हो गई और वो धड़ाम से वहीं गिर गया।

प्रीतम अपनी गन अंदर डालते हुए बोला " प्रीतम कभी किसी को मौका नहीं देता चाहे वो अपने हो या पराए। अब जल्दी सूरज शर्मा के पास चलो।"

सुधीर ने चुपचाप हां में सिर हिला दिया। सुधीर ने जमीन के सारे कागजात बैग में डाले और फिर वे तीनों नीचे उतरे और गाड़ी लेकर सूरज शर्मा के बंगले की और जाने लगे।।

सतनाम वाहेगुरु।।