कोई तुमसा नहीं - 3 Mahi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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कोई तुमसा नहीं - 3

श्रीजा सीडीओ पर खड़ी उन्हें बिना किसी भाव के देख रही थी वह पांचो आपस में हंसी मजाक कर रहे थे, अभी उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि श्रीजा उन्हें देख रही है।
तभी इशिता की नजर सामने खड़ी श्रेजा पर जाते हैं.. वह अपने चेहरे पर नकली मुस्कान सजातेेेे हुए बोली " श्रेजा तुम वहांं क्यों... खड़ी हो आओ हमारे साथ नाश्ताा करो। "

अब जाकर सभी का ध्यान श्रेजा की ओर गया, श्रेजा को देखते ही उनके चेहरे की मुस्कान एक पल में ही गायब हो गई , श्रेजा बिना किसी की ओर ध्यान दिए चुपचाप डाइनिंग टेबल पर आकर नाश्ता करने लगी उसने एक बार भी सर उठाकर किसी की और नहीं देखा था, वहीं उन सभी की नजर सिर्फ श्रेजा पर थी...।

श्रेजा के बैठते ही इशिता उसे नास्ता सर्व करने के लिए अपनी जगह से उठने लगी लेकिन.. इससे पहले की इशिता अपनी जगह से खड़ी हो पाती श्रेजा ने खुद अपनी प्लेट में खाना निकाल लिया.. यह देखकर वह लोग और भी हैरान हुए क्योंकि श्रेजा कभी भी खुद से खाना तक नहीं निकलती थी।
" दी आप ठीक है ना? " इनाया ने श्रीजा से पूछा।
बदले में श्रीजा ने कोई जवाब नहीं दिया जिससे इनाया थोड़ा उदास हो गई, इनाया को उदास देखकर श्रेयांश को श्रीजा पर बहुत गुस्सा आया।
" इनाया तुम चुपचाप अपना नाश्ता करो तुम्हें इस बेशर्म लड़की से बात करने की कोई जरूरत नहीं है। "
श्रेयांश ने गुस्से से कहा कभी-कभी तो श्रेयांश को सच में श्रेजा पर ताज्जुब होता था कि श्रीजा इतना सब करने के बाद भी इतनी आराम से कैसे रह सकती है बिना कोई गिल्ट बिना कोई शर्म के।
श्रेयांश तुम्हें ऐसी बात नहीं करनी चाहिए वह तुम्हारी बहन है" इशिता श्रेयांश को शांत करते हुए बोली।
इतने में श्रेजा की बुआ जो कब से श्रेजा को ही घूरे जा रही थी उसने कहा " इशिता श्रेयांश बिल्कुल सही कह रहा है उसे घटिया हरकत के लिए इस लड़की ने अभी तक माफी नहीं मांगी. वैसे भी इसकी माफी मांगने से अब कुछ नहीं होने वाला, और तुम इसे बचाने की कोशिश मत करो अभी तक तो सभी को पता चल चुका होगा इसने क्या किया है"

उन लोगों की फालतू बातें सुनकर श्रेजा के कान पक गए थे उसे अब समझ आ रहा था कि इस नॉवेल की श्रेजा असल में पागल साइको कैसे हो गई थी।
खैर अभी वह किसी से भी लड़ना नहीं चाहती थी उसने श्रेजा की बेस्ट फ्रेंड के बारे में पढ़ा था नाश्ता कर कर वह उसी के पास जाना चाहती थी क्योंकि उसे अपनी दोस्त से कुछ जरूरी बात करनी थी।

यह सोचते हैं उसने जल्दी से नाश्ता खत्म किया और अपना हैंडबैग लेकर वहां से जाने लगी की तभी पीछे से शुभम ने उसे रोक लिया " कहां जा रही हो तुम? " शुभम ने श्रेजा के पास आते हुए पूछा उसे डर था की कही उसकी बेटी फिर से कुछ गड़बड़ ना कर दे। वही आरना को उनका ऐसे टोकन बिल्कुल भी पसंद नहीं आया एक तो पहले से ही उसका मूड इतना खराब था, और शुभम का चेहरा देखकर और भी ज्यादा खराब हो गया शुभम के कैरेक्टर को आरना शुरुआत से ही पसंद नहीं करती थी क्योंकि उसे लगता था की सारे मुसीबत की जड़ यही बुढ़ा है ना यह इशिता से शादी करता और नाही इनाया यहां पर आती।
" मैंने पूछा तुम कहां जा रही हो तुम मुझे जवाब क्यों नहीं दे रही? "
शुभम ने इस बार अपनी आवाज थोड़ी ऊंची करते हुए पूछा।
" मैं अपने दोस्त से मिलने जा रही हूं। " श्रेजा ने सिर्फ इतना जवाब दिया और शुभम की बात सुने बगैर ही वहां से चली गई।
मेंशन से निकलने के बाद श्रेजा ने टैक्सी लिया और कुछ ही देर बाद उसकी टैक्सी एक छोटे से फ्लैट के सामने आकर रुकी, उसने बिना देरी किये टैक्सी वाले को पैसे दिए और उसे फ्लैट के अंदर चली गई फ्लैट के अंदर पैर रखते ही उसके पैर के नीचे चिप्स का खाली पैकेट आ गया आरन
ने अपनी नजरें पूरे कमरे में दौड़ाई तो उसकी नज़रें हैरानी से फटी की फटी रह गई... क्योंकि उसे रूम में बहुत ही ज्यादा गंदगी फैली हुई थी हर जगह चिप्स के पैकेट और डस्ट ही डस्ट था साथ इस कमरे में एक अजीब सी स्मेल भी आ रही थी इन सब के बीच बिस्तर पर एक लड़का मुंह के बाल शर्टलेस लेटा हुआ, श्रेजा को सब देखकर उल्टी करने का मन कर रहा था, " आखिर इतनी गंदगी में कोई कैसे इतनी आराम से सो सकता है? "
वह मन ही मैन खुद से बुदबुदाई.. फिर उसे याद आया कि ये इंसान तो खुद श्रेजा से भी बड़ा आलसी था।
"ओह गॉड कहां फंस गई मैं"

नीचे पड़े सभी चीजों से बचते बचते श्रेजा उसे लड़के के पास पहुंची जो बहुत ही सुकून की नींद सो रहा था श्रेजा का मन उसे हाथ लगाने का बिल्कुल भी नहीं हुआ उसने बेड के बगल में रखें टेबल से पानी का जग उठाया और सारा का सारा पानी उसे लड़के के मुंह में उड़ेल दिया।
"कौन है बे " वह लड़का एक झटके से चिल्लाते हुए उठ बैठा कभी उसकी नज़रें सामने गुस्से से घूरती हुई श्रेजा पर गयी पहले तो उसे कहां पर देख कर उसे यकीन नहीं हुआ पर जल्द ही उसे एहसास हुआ कि उसी ने उसे इस तरह उठाया है।
" यह क्या किया तुमने मेरी इतनी अच्छी नींद खराब कर दी? "
वह शिकायती लहजे में बोला।
" पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुमने अपने कमरे का क्या हाल बना रखा है मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा है कि यह रूम है या कबाड़खाना। "
श्रेजा ने भी उस पर बिगड़ते हुए कहां।
"पर मुझे ऐसे में ही नींद आती है "


"ठीक है यह सब छोड़ो सत्यम मुझे तुमसे कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी है? " इस बार श्रेजा ने थोड़ा सीरियस होते हुए कहां उसकी बात सुनकर सत्यम थोड़ा कंफ्यूज हो गया।

सत्यम श्रेजा बेस्ट फ्रेंड, जो भी श्रेजा के साथ उसके ही कॉलेज में पड़ता है.. सत्यम एक अनाथ लड़का है स्कॉलरशिप की बदौलत उसे कॉलेज में एडमिशन मिला खुद का खर्चा उठाने के लिए वो पार्ट टाइम जॉब करता है सत्यम ने हमेशा श्रेजा का साथ दिया था जब किसी को भी यकीन नहीं हुआ था कि श्रेजा बेकसूर है तब सिर्फ सत्यम नहीं श्रेजा का साथ दिया था सिर्फ श्रेजा के लिए उसने रोम जैसे खतरनाक इंसान से भी लड़ाई किया था, श्रेजा और सत्यम बचपन से एक दूसरे को जानते थे शुरुआत में श्रेजा बिल्कुल सत्यम को पसंद नहीं करती थी.. बचपन में हमेशा सत्यम उसके आगे पीछे घूमता रहता था और उससे बात करने की कोशिश करता था हमेशा उसे अपना दोस्त का कर पुकारता था धीरे-धीरे श्रेजा को भी उसकी आदत हो गई और वह भी उसे अपना एक अच्छा दोस्त मानने लगी, उन दोनों की दोस्ती बहुत पक्की थी सत्यम ने अंत तक उसका साथ दिया था, सत्यम का सपना एक सफल डॉक्टर बनना था वह एक अच्छा डॉक्टर बनकर गरीबों का मुफ्त में इलाज करना चाहता था। अगर श्रेजा उसकी लाइफ में नहीं होती तो शायद वह ऐसा कर भी पाता क्योंकि जब रोम ने श्रेजा से शादी कर कर उसे टॉर्चर करना शुरू किया था तब वह हमेशा उसे रोम से बचाने की कोशिश करता था लेकिन श्रेजा की मन में एक वहम था कि एक न एक दिन रोम भी उससे प्यार करने लगेगा इसलिए वह कभी भी सत्यम के साथ रोम के कैद से नहीं भागी, अंत में रोम ने सत्यम को श्रेजा के सामने ही गोली मार दी थी... सत्यम ने श्रेज का इतना साथ दिया था कि श्रेजा कभी भी उसका एहसान नहीं चुका सकती थी आरना को शक था की शायद सत्यम श्रेजा से प्यार करता है लेकिन नॉवेल में अभी तक यह रिवील नहीं किया गया था।



आरना को सिर्फ और सिर्फ सत्यम पर भरोसा था इसलिए वह यहां पर उसे मदद मांगने आई थी।


" मदद? कैसी मदद चाहिए तुम्हें लवी? "
सत्यम हैरानी से पूछता है।
आरना ने एक गहरी सांस ली और उसके बिस्तर पर बैठते हुए बोली..." मैं चाहती हूं कि तुम मेरे लिए कोई फ्लैट ढूंढ लो जो हमारे कॉलेज के नजदीक हो और तुम्हारी तरह मैं भी पार्ट टाइम जॉब करना चाहती हूं क्या तुम मेरी मदद कर दोगे? "
श्रेजा ने एक तक उसके चेहरे को निहारते हुए पूछा।
एक पल के लिए तो सत्यम उसकी बात सुनकर हैरान ही हो गया था क्योंकि वह भी बहुत अच्छे से जानता था कि श्रेजा को यह सब करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था श्रेजा को तो मिडिल क्लास लोगों से अलग ही प्रकार की दुश्मनी थी, इस बार सत्यम भी समझ नहीं पा रहा था कि श्रेजा की मन में आखिर चल क्या रहा है।

पर उसने कुछ सोचते हुए कहा " ठीक है परसों तक हो जाएगा। "
उसकी बात सुनकर वह आरना बडबडाते हुए बोली "मतलब मुझे कल तक उन लोगो को झेलना ही पड़ेगा। "

" किन लोगों को लवी? "
सत्यम ने पूछा।