काफी हाउस Vikash Kumar द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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काफी हाउस

आज विक्रम ने बहुत हिम्मत करके वर्षा से काफी पर चलने के लिए पूछ ही लिया लेकिन वर्षा ने आज तो किसी बहाने से विक्रम को टाल दिया, पर जब उसने अगले दिन भी इसी बात पर जोर दिया तो वर्षा इस बार मना न कर सकी। शाम सात बजे काफी हाउस पर मिलने का उसने वादा किया। अब विक्रम को चैन कहां था मन सायं कालीन के काफी हाउस के स्वप्न के सपने सजा रहा था।
दिन भर इसी उधेड़बुन में बीता कि आज वह क्या पहन कर वर्षा के सामने जाये उसने कई बार आलमारी में तह किये गये कपड़ों को उल्टा- पल्टा और अन्त में एक ग्रे कलर के साथ ह्वाइट धारीदार टीशर्ट और एक ब्लू जींस उसने निकालकर उसे एक बार फिर से अच्छी तरह से प्रेस किया भलिभांति उसने एक-एक क्रीच को बैठाया और घड़ी ने जैसे ही छः बजाया वह तैयार होने लगा, तैयार होकर वह नियत समय से बीस मिनट पुर्व ही वह काफी हाउस पहुंचकर बड़ी बेसब्री से वर्षा का इंतजार करने लगा। और उसकी निगाह बार-बार घड़ी की सूइयों पर जाकर टिक जाती। कहते है इन्जार में बड़ा आनंद है अब इसका सुख तो उससे ही पूछिये जिसने कभी किसी का बड़ी बेसब्री से घंटों इंतज़ार किया हो और आज इस समय उसी सुख का आनंद प्राप्त करने के लिए विक्रम नियत समय पूर्व ही काफी हाउस पहुंच गया था। और इतंजार करते करते जब सात बीस बज गये तब जाकर हौले हौले काफी हाउस की तरफ आते हुए काया पर पड़ी। ह्वाइट डिजाइनर फ्राक सूट में वर्षा किसी परी से कम नहीं लग रही थी विक्रम की नजर के साथ- काफी हाउस में जितने भी पुरुष-स्त्री उस समय काफी हाउस में मौजूद थे सबकी दृष्टि एकटक वर्षा पर टिकि रह गयी। वर्षा अपने अधरों पर एक भीनी मुस्कान लिए विक्रम के पास आकर खड़ी हो गयी विक्रम अभी भी वर्षा को एकटक निहारे जा रहा था। वर्षा के मुख से हैलो विक्रम शब्द सुनकर उसका ध्यान भंग हुआ उसने बड़े अदब के साथ वर्षा को बैठाया। और उसने वेटर को बुलाकर उसे दो हाट काफी का आर्डर दिया साथ ही उसने वर्षा की भी उसने आर्डर के लिए वर्षा की राय भी जाननी चाही, विक्रम ने काफी के साथ और क्या मंगाया जाए जब वर्षा से जानना चाहा तो उसने कहा जो आपको पसंद हो।

विक्रम ने वेटर से कहा, "जो आपके यहां सबसे बेहतरीन डिश हो वो ले आओ।" विक्रम की नजर रह रह कर वर्षा पर जा कर टिक जा रही थी। हालांकि काफी हाउस में और कुछ करने को था नहीं वर्षा की नजर भी यदा कदा विक्रम पर चली जाती और जब दोनों की नजरे एक साथ मिल जाती जाती तो दोनों इधर उधर देखने लगते। इस बीच वेटर दो प्लेटों में वहां की फेमश मलाई रोल लेकर आ गया। डिश वाकई में काफी लजीज था वर्षा एक बाइट लेने के बाद ही बोल पड़ी वाओ इट्स अमेजिंग। पर विक्रम तो किसी अलग ही दुनिया में था उसका सारा ध्यान उस अमेजिंग दृश्य में था जो ठीक उसके सामने था। और जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं।