~कोई ख्याल बचा कर रखो प्रीतम ~
इरादे उम्मीदों के, सख़्त लगते हो,
तुम मुझे मेरा, बुरा वक्त लगते हो
होठों पर नज़र, नहीं जाती है क्या,
माथा चूम कर, क्यू गले लगते हो.
यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा देखने में,
इंसान तो भले लगते हो.
तुम्हे क्या पता, दिल कहतें हैं इसे ,,
तुम जो खिलोने, बेचने लगते हो.
सच्चा इश्क़ ही तो, मांगा है मैंने,
हर बार ये क्या, सोचने लगते हो.
उदास हो कर कहते हैं, अलविदा,
जब तुम ये, घड़ी देखने लगते हो.
के कुछ पहेलियां भी, समझा करो,
तुम मतलब, क्यों पूछने लगते हो.
कोई ख्याल बचा कर, रखो प्रीतम ,,
तुम तो बस, कलम ढूढने लगते हो..
~मेरे बिना ~
रहना, कहना, सहना मेरे बिना,,,
कैसा लगेगा तुझे मेरे बिना...
~जी चाहता है ~
बहुत कुछ बताने को जी चाहता है,
हां सब कुछ बताने को जी चाहता है.
तुझे पिरोता हूं रोज शब्दों के ख्यालों में,
अब तुझको पन्नो में उतारने को जी चाहता है.
तुझे देख कर भी तरसती है आंखे मेरी,
तुझे जी भर के देखने को जी चाहता है.
शराब और पानी सब को आजमाया,,
अब, तेरे होठों से प्यास बुझाने को जी चाहता है.
दूरियां बर्दाश्त नहीं बाद करीब से देखने के,
अब तुझको गले लगाने को जी चाहता है.
बाद तेरे जाने के सूनी हो गई है बांहें मेरी,
अब तुझको बांहों में भरने को जी चाहता है.
बिस्तर पर लेट कर भी आती नहीं नीदें मुझे,
सोते हुए तुझमें खो जाने को जी चाहता है.
कब तक रखे हम तुझको अपने ख्यालों में,
अब मुझको तेरे खयालो में आने को जी चाहता है.
मेरे कमरे की दीवारों पर लगा दूं तस्वीरें हमारे साथ की,
तेरे साथ जीने, तेरे साथ मर जाने को जी चाहता है.
~उदासी रक्स करती जा रही है ~
अदाओं से जान जा रही है,
तेरी ख़ुशबू दिल बहका रही है
नज़रे हैं या ज़ाम-ऐ-शराब,,
देखते-देखते नशा चढ़ती जा रही हैं.
ये तेरा चांद सा मुखड़ा और तारो से चमकती बालियाँ,
माथे की बिंदी तो दिल जला रही है.
तेरी मुस्कुराहट के आगे फीका है सब,
तिल तेरे चेहरे को बुरी नज़र से बचा रही है.
तेरे लब किसी को चूमें तो वो संवर जाये,
ये किस्सा मेरी ये शर्ट बता रही है.
तेरे कलाई का कंगन खनके तो दिल धड़के,
तेरे पैरो की पायल तो आग लगा रही है.
तेरी खूबसूरती तुझपर लिखी किताब का एक हिस्सा है,
सलवार सूट तेरे बदन की लिखावट दर्शा रही है,
लूप पर लगी है एक कैसेट तेरे नाम की,
और ये इश्क़ रक्स करती जा रही है.
~प्रीतम~
बैठा जब जब संग उसके हसीन मुझे कई शाम मिले,
प्रीतम तब प्रीतम नही रहा प्रीतम को कई नाम मिले.
वो एक शख्स के इर्द गिर्द थी मेरी दुनिया,,
वो जब गया तो कई लम्हें, कई यादें, कई आंसू इनाम मिले.
~हवा का झोंका ~
जब तुम मेरे साथ सड़क पे मेरा हाथ पकड़ कर चलती थी,
तब ऐसा महसूस होता था की मैं तुम्हारे साथ अपनी सारी सदियां गुजार हूं,
मगर तेरे जाने के बाद ये एहसास हुआ मुझे,,
की तुम तो हवा का वो झोंका हो .... जो पसीने से तर-बतर बदन को ठंडा करके गायब हो जाती हो.
~मेहरबानी ~
मेरे बदन पे तेरी निशानी बहुत है,
तू मयस्सर थी मेरे हर मु-आमले में ये मेहरबानी बहुत है.
वैसे बरसात तो बहाना है तुझे याद करने का,,
असल में मेरी आंखों का पानी बहुत है.
~शब्दों की बारात ~
मैं शब्दों की बारात लाऊंगा,,,,
तुम अपनी ग़ज़ल को घूंघट में रखना..