तूं मेरी मोहब्बत हों ?? - 5 Muskan Gupta द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तूं मेरी मोहब्बत हों ?? - 5

तुम हमारे उपर इल्ज़ाम लगा रहें हों.... दिव्यांश...।

जो सच्च है वहीं बता रहा हूं....

ओ रियली...! तो जरा हम भी सुने की ऐसा क्या सच्च हैं हमारे बारे में..! ईशाना दिव्यांश की आंखों में आंखें डाल कर बोली...।

दिव्यांश कुछ ना बोल कर उस की आंखों से नजरें हटा लेता है...।

क्यों अब बताते क्यों नहीं हो की हमने ऐसा क्या कर दिया है। जो तुम हम पर ये इल्ज़ाम लगा रहें हों....!!

मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी हैं...! तुम जाओ यहां से...!

अरे बताओ तो हमने कौन सा धोखा दिया है तुम्हें....!

ये तुम खुद से पूछो की तुमने मेरे साथ क्या किया है।

हमे नहीं पता हैं दिव्यांश तुम क्यों ऐसा बोल रहे हो....!! आखिर अचानक से तुम्हें हों क्या गया है। दिव्यांश तुम तो हम से प्यार करते थे ना।

तुम जैसी लड़की से प्यार दिव्यांश कपूर के इतने बुरे दिन भी नहीं आए हैं। तुम जैसी लड़की किसी के भी प्यार के लायक नहीं होती है।

दिव्यांश...! ईशाना चिल्लाते हुए बोली।

दिव्यांश ने कुछ नहीं कहां वो वैसे ही उसकी तरफ पीठ किए हुए खड़ा रहा।

तुम ने हमारे चरित्र पर सवाल किया... तुम्हारी इतनी हिम्मत...! ये बोल कर ईशाना दिव्यांश को अपनी तरफ घुमाते हुए उसके गाल पर तमाचा मारने ही वाली होती है कि दिव्यांश उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे गुस्से में घूरने लगता है....!!

तुम्हारी कैसे हिम्मत हुई बिजनेस मैन दिव्यांश कपूर पर हाथ उठाने की ये गलती कभी गलती से भी मत करना समझी तुम....!! ये बोल कर दिव्यांश उसका हाथ एक दम से झटक देता है।

ईशाना दिव्यांश का ये रूप देख कर हैरान रहें जाती है....!!

इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नही है सारी की सारी गलती मेरी है...! जो मैंने तुम्हें अपने पास आने दिया। मैं भूल गया था कि तुम जैसी लड़की की जगहा वही होती है....! कैसे मैंने ये गलती कर दी कैसे...! दिव्यांश अपने बालों पर हाथ रखते हुए चिल्लाते हुए बोला..।

तुम्हारा मतलब क्या है दिव्यांश तुम हमें अपनी लाइफ में लाकर पछता रहें हों....! पर तुम ये भूल रहें हों दिव्यांश कपूर की तुम आए थे हमारे पास हम नहीं गए थे।

भूल तो तुम रही हों ईशाना गुप्ता की कौन किसके पास आया था...! जब से तुम मेरी लाइफ में आई हों तब से तुमने मेरी लाइफ बर्बाद कर दी है।

हमने बर्बाद की वो भी तुम्हारी लाइफ जरा हमारी आंखों में आंखें डाल कर बोलो ये बात ईशाना दिव्यांश को अपनी तरफ करते हुए बोली।

हमने तुम्हारी लाइफ नहीं बर्बाद की हैं दिव्यांश कपूर बल्कि तुमने हमारी लाइफ बर्बाद की हैं याद है या याद दिलाऊ....!!

हां मुझे सब याद है उस दिन को कैसे भूल सकता हूं वो वही दिन था जब तुम जैसी बचलन लड़की मेरी लाइफ में आई थी...!

दिव्यांश...! ताड़ाक.....!!

....….…...….....

इसी बीच अचानक से दिव्यांश की घबराहट के कारण आंखें खुल जाती है....! वो पूरी तरहां से पसीने से लथपथ था सांसें तो सो की स्पीड मे चल रही थी.... वो हांफते हुए अपने बिस्तर पर बैठ जाता हैं...! और बगल मे रखे पानी के गिलास को उठा कर जल्दी से पूरा पानी पी लेता है....।

दिव्यांश पानी का गिलास रख देता है...! वो एक नजर दिवाल पर लगी घड़ी पर नज़र डालता जिसमें रात के 2 बज रहे थे।

वो अपने सर को बैड पर से टेक लगा कर उपर छत की तरफ देखते हुए अपनी आंखें बंद कर लेता है वो अपने माथे पर हाथ रखते हुए अपनी भौंहें एक दुसरे से मिलाते हुए बोला : एक साल हो गए हैं उस हादसे को हुए...! पर फिर भी अभी तक मैं तुम्हें भूल नहीं पाया हूं..., और शायद कभी भूल भी नहीं सकता हूं...!

ये बोल कर दिव्यांश अपने बैड से उठ जाता है..., और खिड़की के पास जाके अपने रॉय ब्लू नाईट सूट में से एक मेहगी सिगरेट अपनी बगल वाली पॉकेट से निकालता है और अपने मुंह में रख लेता है...फिर वो अपनी दुसरी पॉकेट से एक गोल्ड का लाइटर निकालता है और उससे अपनी सिगरेट जलाता है...!!

दिव्यांश सिगरेट को एक बार बड़ी सी सांस मे लेता है... और फिर जल्दी से अपने मुंह और नाक से सिगरेट का धुआं निकलता है...!! दिव्यांश सिगरेट को दुसरी बार अपने मुंह में लेता है और आसमान की तरफ देखते हुए एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोला : ये आसमान कितना लकी है....! वो अपने चांद के पास तो हैं...! चाहे कुछ भी हों जाए आसमान कभी उसका साथ नहीं छोड़ता है...! और एक मैं हूं जिसने अपने चांद का ख्याल छोड़ो उस को हमेशा के लिए खो दिया है।

आखिर क्यों – क्यों मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है...! लाइफ में ऐसा इंसान क्यों आता है। जो शायद हमारी किस्मत में नहीं होता है ...!

वक्त बीत गया पर ऐसा लगता है..., जैसे कल की ही बात है। जब तुम मेरी लाइफ में आई थी.., क्यो किया तुमने मेरे साथ ऐसा..., माना की गलती मेरी थी मुझे ऐसे तुम पर इतना बड़ा इल्ज़ाम नहीं लगाना चाहिए था...! पर तुमको भी तो मुझे ऐसे छोड़ कर नहीं जाना चाहिए था ना...!

तुम जानती हो ना की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं....! पर फिर भी तुम मुझे छोड़ कर चली गई। मैंने कितना ढूंढा तुम्हें इन एक साल में ऐसा एक पल भी नहीं था। जिस दिन मैंने तुम्हें याद ना किया हों...! क्या कभी तुम मुझे माफ कर पाओगी ईशाना...! काश मैं तुम से मिल पाता ईशाना। काश...! काश...! मैं तुम को बता पाता की तूं हां सिर्फ और सिर्फ तूं मेरी मोहब्बत हों।

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संस्कृति हॉस्पिटल....

इधर ईशाना भी खिड़की के बाहर खाली और अंधेरी रोड़ को ही एक टक देखे जा रही थी..... उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस रोड़ के अंधेरे का साया ज्यादा घना है..., या उसकी जिंदगी पर जो अंधेरा है वो....!

ईशाना खिड़की से टेक लगाए ही बोली : आखिर किस काले कलम से भगवान ने हमारे जीवन की कहानी लिखी है। ज़िन्दगी में जिसको अपना समझती हूं। वहीं हमे दर्द दे जाता है...!

हमारे आज तक के जीवन में सिर्फ दो आदमी आए और वहीं हमारे जीवन की बर्बादी के कारण हैं...! एक ने हमें सपने दिखा के हमारा जीवन बर्बाद कर दिया और दुसरे ने हमसे जीवन भर की प्यार की कसमें खा कर हमें बीच रास्ते में छोड़ दिया।

हमें अभी भी वो दिन याद है.... जब एक साल पहले हम अपने बॉयफ्रेंड तन्मय और अपनी छोटी बहन कनिका के साथ लखनऊ से पूणे आए थे।

हम कितने सपने लेकर आए थे यहां....., पर हमें क्या पता था कि यहीं से हमारे जीवन की बर्बादी शुरू हो जाएगी।


"आखिर ऐसा क्या हुआ था, ईशाना और दिव्यांश के बीच में , जो ये दोनों अलग हो गए।" ये सब जानने के लिए पढ़ते रहीं.... तूं मेरी मोहब्बत हों💞💫

यार प्लीज़ अपनी समीक्षा देना ना भुले प्लीज़ 🙏 धन्यवाद 🙏


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To be continue.....

मुस्कान 🙂