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सरोगेट मदर - 1

                                                                  सरोगेट मदर  


Part 1 - सरोगेट मदर एक लड़की की कहानी है जिसने कम उम्र में ही अपनी सौतेल माँ और सौतेले भाई के लिए सरोगेसी का फैसला लिया   

 

किशन एक  कारखाने का सिक्योरिटी गार्ड था  . कारखाना किसी छोटे शहर में ही था  . उसकी  आमदनी ज्यादा नहीं थी फिर भी मियां बीबी का गुजारा हो जाता था  .  एक साल पहले उसकी शादी हुई थी और उसकी पत्नी गर्भवती थी  . किशन अपनी गार्ड की ड्यूटी समाप्त कर कुछ समय कारखाने में बिताता और मशीन के बारे में जानकारी लेता  . जल्द ही उसने मशीन चलाना सीख लिया  . एक दिन  मालिक ने उसे गार्ड की जगह मशीन ऑपरेटर की नौकरी दे दिया  . 


वह ख़ुशी ख़ुशी घर आया और उसने पत्नी से यह शुभ समाचार दे कर कहा “ अब मेरी पगार बढ़ जाएगी  . “ 


उसी रात  किशन की पत्नी को लेबर पेन हुआ और उसने एक बेटी को जन्म दिया  .नर्स ने आ कर इसकी सूचना दी और साथ में यह भी कहा “ तुम्हारी पत्नी की हालत सीरियस है , हमलोग उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं  . “  . 

 कुछ पल के लिए वह  सोचने लगा कि बेटी लक्ष्मी है , मेरा प्रमोशन हुआ  . पर कुछ पल के बाद ही डॉक्टर ने कहा “ हमलोगों को बहुत अफ़सोस है कि हमारी पूरी कोशिश के बावजूद हम माँ को नहीं बचा सके  . आपकी बेटी स्वस्थ है , अभी एक दो दिन हमारी निगरानी में रहेगी फिर आप उसे घर ले जा सकते हैं  . “ 


इस दुखद समाचार को सुनकर किशन के परिवार के अन्य सदस्य आये  . उसके माता पिता का देहांत पहले ही हो चुका था , उसके गांव से उसका छोटा भाई आया  . किशन की ससुराल से उसकी सास और छोटी साली गौरी आयी थी  . किशन के ससुर का  देहांत हो चुका था  . पत्नी की अंतिम क्रिया समाप्त होने  के बाद उसका भाई गाँव वापस चला गया क्योंकि वह वहां खेती करता था  . उसकी सास और साली किशन के साथ रह रहीं थीं  . किशन फैक्ट्री से वापस आ कर घर पर बेटी गंगा के साथ कुछ पल गुजारता और फिर अपने कमरे में सोने चला जाता   . वह अपनी पत्नी को  याद कर उदास रहा करता और अक्सर बंद कमरे में दारू पीने लगा था  . कभी कभी वह बाहर से भी पी कर आया करता   . 


एक दिन उसकी सास ने कहा “ ऐसे कब तक चलेगा ? आखिर मैं और गौरी  कब तक मुन्नी की देखभाल करेंगे ? गंगा को प्यार से घर में मुन्नी कहते थे सब  .  मुन्नी की माँ को गुजरे  एक साल हो गया है ,  उसकी बरखी कर तुम अपनी शादी कर लो  . मैं कब तक यहाँ बैठी रहूंगी , वैसे भी मैं ठहरी पका आम न जाने कब टपक जाऊं  . मेरे बाद गौरी का भी कोई नहीं रहेगा  . तुम गौरी से ही शादी कर लो आखिर वह माँ जैसी ही है और वह  मुन्नी की देखभाल करती आयी  है और आगे भी करेगी  . मेरे सिर से भी बोझ उतर जाएगा और मैं चैन से मर सकूंगी  .  “


गौरी वहीँ खड़ीसब सुन रही थी , वह बोली  “ मैं अब सब के लिए बोझ बन गयी हूँ  . वापस गांव जा कर खेतों में मजदूरी कर अपना पेट पाल लूंगी  . “ 


“ पेट तो सभी जीव जानवर भी पाल लेते हैं  . पर औरत के लिए दुनिया में अकेले जीना बहुत कठिन होता है बेटी  . “  गौरी की माँ ने कहा 


“ क्यों किशन , मैंने  कुछ गलत तो नहीं कहा है ? मुन्नी को माँ की जरूरत है और तुम्हें जोरू की  . गौरी से ब्याह कर तुम्हारी दोनों जरूरतें पूरी हो जाएँगी  . “ 


“ ठीक है , फिलहाल रहने दें  . समय आने पर देखेंगे  . “  किशन बोला 


देखते देखते दो साल और गुजर गए  .किशन की सास बीमार रहने लगी  .  इस बीच किशन की शादी गौरी से हुई और कुछ ही महीने बाद गौरी गर्भवती हुई  . उसे  एक बेटा  हुआ पर उसके पहले ही उसकी माँ का निधन हो गया था  . इधर किशन का घर में पीना बंद हो गया था पर बाहर से हर आठ दस दिन पर वह पी कर आया करता  . गौरी दोनों बच्चों , गंगा और अपना बेटा मुन्ना , की देखभाल कर रही थी  . हालांकि गंगा की अपेक्षा अपने बेटे की तरफ उसका ज्यादा प्यार होना स्वाभाविक था फिर भी गंगा को उसने नजरअंदाज नहीं किया था  . गंगा को भी अपनी सौतेली माँ से अभी तक कोई शिकायत नहीं थी  . 


समय मुठ्ठी में रखी रेत के सामान फिसल रहा था  . लगभग पंद्रह  साल बीत गए  . शराब पीने की आदत के चलते किशन का लीवर जवाब दे चुका था और उसकी मृत्यु हो गयी  . अब घर के खर्चे की जिम्मेवारी गंगा पर आनी  थी क्योंकि गौरी गाँव से  अनपढ़ आयी थी  . गंगा ने कुछ समय पहले ही कॉलेज में दाखिला ली थी  . किशन की जगह फैक्ट्री के मालिक ने टाइम ऑफिस में गंगा को नौकरी दी  . गंगा कम उम्र से ही एक जिम्मेदार औरत बन गयी  . वह अपनी माँ और छोटे भाई की जरूरतों पर  पूरा ध्यान रखती , कभी शिकायत का मौका नहीं देती थी  . 


इधर कुछ दिनों से गंगा अपने एक सहकर्मी के झूठे प्रेम जाल में फंस गयी थी  . दोनों  की शादी हुई  . गंगा की माँ  इस शादी के चलते बहुत नाराज थी  .  एक साल के अंदर ही उसे एक बेटा हुआ  . गंगा की किस्मत में ख़ुशी नहीं लिखी थी  . उसका आदमी पहले से ही शादी शुदा था पर उसकी पत्नी माँ बनने में सक्षम नहीं थी  . कुछ महीने बाद ही वह बेटे को ले कर गंगा को छोड़ कर भाग गया  . गंगा को बहुत दुःख हुआ पर वह कुछ नहीं कर सकी  . 


इधर कुछ वर्षों के उपरान्त गौरी की तबीयत ख़राब रहने लगी थी  .  मुन्ना  बारहवीं पास कर दूसरे शहर में जा कर इंजीनियरिंग पढ़ना चाहता था  . गंगा  कंपनी से एडवांस ले कर माँ का इलाज करवा रही थी  . पर गौरी इतने से संतुष्ट नहीं थी , वह बोली “ मुन्ने की पढ़ाई का प्रबंध तुम्हीं को करना है  . “ 


“ माँ , मुन्ना अगर कम्पटी कर जाता तो किसी तरह उसकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई  हो जाती पर डोनेशन दे कर उसे पढ़ाने की मेरी हैसियत नहीं है  . “ 


“ मैं कुछ नहीं जानती हूँ  . तेरा सगा भाई होता तब तो तुम किसी तरह इंतजाम जरूर करती  . “ माँ ने कहा 


यह सुन कर उसे बहुत दुःख हुआ क्योंकि उसके मन में सौतेली माँ या भाई के प्रति कोई दुराव या बुरी भावना नहीं थी  . उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि भाई की पढ़ाई के लिए कहाँ से पैसों का इंतजाम करे  . इस बीच अपनी माँ की इलाज के वह निकट के बड़े शहर में गयी थी  . वहां किसी क्लिनिक में एक विदेशी गोरे दंपत्ति को देख कर उसे आश्चर्य हुआ  . उसने उनके वहां आने का कारण पूछा तो पता चला कि वे सरोगेट मदर की तलाश में आये थे  . तब तक गंगा को सरोगेट मदर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी  . वहां उसे पता चला कि वह दंपत्ति किसी औरत की कोख उधार ले कर बच्चा पैदा करना चाहता है और इसके बदले में कोख देने वाली को लाखों रुपये मिलेंगे  . यह एक नेक काम है जिसमें दोनों पार्टी की भलाई है  . हमारे देश में पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम रुपयों में सरोगेट मदर मिल जाती हैं इसलिए ये यहाँ आते हैं  .  दरअसल सूचना देने वाला एक एजेंट या दलाल था  . उसने उस गोरे का नाम थॉमस बताया  . 


गंगा ने सरोगेट मदर बनने की इच्छा जताई  . एजेंट ने फर्टिलिटी क्लिनिक वाले और थॉमस  दंपत्ति से सम्पर्क कर दोनों  को अगले दिन क्लिनिक में बुलाया  . पहले डॉक्टर ने  गंगा से उसके बारे में पर्सनल जानकारी लेने के लिए पूछा “ तुम पहले भी माँ बन चुकी हो या नहीं ? कोई सिजेरियन ऑपरेशन हुआ था ? प्रेगनेंसी के दौरान शुगर की शिकायत तो नहीं थी ? तुम्हारा बच्चा नार्मल हुआ था उसे किसी तरह की शिकायत तो नहीं थी ? तुम्हें अन्य कोई इन्फेक्शन तो नहीं है ? डिलीवरी के बाद बच्चे पर तुम्हारा कोई हक़ नहीं होगा  . आदि  “ 


गंगा के उत्तर से संतुष्ट हो कर डॉक्टर ने उसके और थॉमस दंपत्ति के कुछ टेस्ट लिए . फिर अगले दिन उन्हें  बुलाया  . दूसरे दिन गंगा को सरोगेट मदर के लिए सारी  शर्तें समझायी गयीं -  सरोगेसी के लिए उसे बीस लाख रुपये मिलेंगे , दस लाख एडवांस और दस लाख डिलीवरी के बाद  . स्टिलबॉर्न डिलीवरी होने से उसे सिर्फ दो लाख और मिलेंगे  . पूरी प्रेगनेंसी के दौरान उसे निरंतर डॉक्टर की निगरानी में रहना होगा  . उसके विशेष आहार , दवा आदि का खर्च थॉमस उठाएगा  . एग्रीमेंट पर दोनों पक्षों  से साइन करवाया गया  . 


गंगा ने डॉक्टर और थॉमस दंपत्ति से कहा “ मेरी सरोगेसी की बात  यहाँ मौजूद लोगों के अलावा अन्य किसी को नहीं पता होनी चाहिए , मेरे घर में भी किसी को नहीं   . उम्मीद है मेरी इस छोटी सी शर्त मानने में आपलोगों को कोई एतराज नहीं होगा   . “ 


“ ठीक है , हमलोग किसी को नहीं बताएँगे   . वैसे भी आमतौर पर प्राइवेसी के सख्त  नियम भी हैं  . “ 


गंगा को काफी रुपये मिले  . उसने अपने छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए रूपये दिए  . कुछ रुपये उसने अपनी सौतेली माँ की इलाज में खर्च किये   . उसकी माँ बहुत खुश थी कि सौतेली बेटी ने भी उसके और सौतेले भाई की सभी जरूरतें पूरी की   . 


क्रमशः

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