बहुत दूर चलने के बाद रांझा एक मस्जिद के पास पहुँचा जो मक्का और यरूशलम के मस्जिद जैसा ही खूबसूरत था। भूख और ठंड के मारे उसका बुरा हाल था और वह बहुत थका हुआ था। उसने अपनी बाँसुरी निकाली और बजाने लगा।
उसके संगीत से आसपास जादू सा होने लगा। कुछ लोग सुनकर अपना होश खो बैठे और कुछ उसकी तरफ खिंचे चले आए। पूरा गाँव उसके आसपास जुट गया। अंत में मुल्ला आया जो झगड़ालू किस्म का था।
रांझा को देखते ही वह कहने लगा, “लंबे बालों वाला यह काफिर कौन है? यहाँ ठगों के रहने के लिए जगह नहीं है। अपने बाल पहले कटवाओ ताकि तुम ख़ुदाई जगह पर रूकने के काबिल हो सको।”
रांझा ने मुल्ला को जवाब दिया, “लंबी दाढ़ी से तो तुम शेख की तरह लगते हो फिर भी शैतान की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हो? मेरे जैसे बेकुसूर यात्रियों और गरीब फकीरों को दूर क्यों भगाते हो? तुम कुरान अपने सामने रखते हो फिर भी तुम्हारे मन में इतना भेदभाव भरा है। तुम गाँव की महिलाओं को गलत राह दिखाते हो; तुम तो गायों के बीच में साँढ जैसे हो।”
मुल्ला ने पलटकर जवाब दिया, “मस्जिद ख़ुदा का घर है और तुम्हारे जैसे शैतान को इसमें रहने का कोई हक नहीं है। तुम नमाज अता नहीं करते, लंबे बाल और मूंछें रखते हो। ऐसे आदमी को तो हम पीट कर भगाते हैं। कुत्तों और तुम्हारे जैसे भीखमंगों को तो चाबुक से मारा जाना चाहिए।”
रांझा ने मुल्ला से कहा, “ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों को माफ करे। ऐ अक्लमंद इंसान, ये बताओ कि शुद्ध क्या है और अशुद्ध क्या? गलत क्या है और सही क्या? नमाज किन चीजों से बनता है, यह कैसे अता किया जाता है और यह किसके लिए शुरू हुआ था?”
मुल्ला ने तीखे तेवर के साथ जताया कि वह मज़हब के सिद्धांतों से अच्छी तरह वाकिफ है। उसने कहा कि नमाज़ उनके लिए है जिनको खुदा पर यकीन हो और यह पाक रूहों को मुक्ति की ओर ले जाता है। लेकिन, मुल्ला ने कहा, “रांझा जैसे अनैतिक आदमी को ईमानदारों के समूह से अपमानित कर बाहर निकाला जाना चाहिए।”
मुल्ला की नैतिकता पर भाषण और चालाकी भरी ये बातें सुनते ही रांझा जोर-जोर से हँसने लगा। उसको हँसते देख आसपास खड़े लोग चकित रह गए और हो सकता है कि उनमें से कुछ खुश भी हुए हों। गुस्से से मुल्ला लाल हो गया।
उसने रांझा से कहा, “खुदा को याद करो। मैं आज की रात तुमको मस्जिद में गुजारने की छूट देता हूँ लकिन ऐ मूर्ख जाट तुम सबेरे अपना सर ढँक कर यहाँ से निकलोगे या मैं चार आदमियों को बुलाकर धक्के मारकर तुमको बाहर करूँगा।”
रांझा उस रात को मस्जिद में सोया और सुबह की पहली किरण के साथ ही आगे यात्रा करने के लिए निकल पड़ा। उस समय चिड़िया चहचहा रही थी, किसान अपने बैलों को लेकर खेतों की तरफ निकल रहे थे और लड़कियाँ दूध के बर्तन धोने की तैयारी में लगी थी। घर की महिलाएं अनाज कूटने में लग गई थी और उनकी आवाज सुनाई दे रही थी।