प्यार-प्यार शादी-वादी Your Dreams द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार-प्यार शादी-वादी

प्यार-प्यार शादी-वादी

जब सभी लोग फलों के रस से बनी पूंश नामक हल्की शराब पी चुके , तो हमारे माता - पिता ने फुसफुसाकर आपस में कुछ बातें कीं और वे हमें उस कमरे में अकेला छोड़कर बाहर चले गए । मेरे पिता ने जाते - जाते फुसफुसाकर मुझसे कहा , ' चल , आगे बढ़ और उससे बात कर । ' - ' अरे बाऊजी , अगर मैं इससे प्यार नहीं करता हूं , तो कैसे जबरदस्ती मैं इससे यह कह सकता हूं कि मैं तुम्हें चाहता हूं । ' ' यार ! तुझे इससे क्या लेना - देना है । बेवकूफी मत कर । जरा दिमाग से काम ले । ' यह कह कर मेरे पिता ने कहर भरी नजर मुझ पर डाली और कमरे से बाहर चले गए । तभी उढ़का हुआ दरवाजा खुला और किसी उम्रदराज औरत का हाथ कमरे में आया और उसने मेज पर रखी हुई मोमबत्ती उठा ली । अब कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया था । मैंने सोचा , ' खैर चलो , अब जो होगा , देखा जाएगा । ' इसके बाद मैंने थोड़ी चालाकी बरतते हुए कहा , ' जोया , यह अंधेरा मुझे भला लग रहा है आखिर अब हम अकेले हैं और अपने मन की बात कह सकते हैं । अंधेरा मेरे चेहरे पर झलक आई शर्म को छुपा रहा है । यह शर्म का अहसास मेरे मन में इसलिए पैदा हुआ है , क्योंकि अपनी भावनाओं के कारण इस समय मेरा दिल जल रहा है । उसमें जैसे आग भड़क रही है । ' यह कहकर मैं चुप हो गया । उधर जोया का दिल इतनी जोर जोर से धड़क रहा था कि उसकी आवाज मुझे भी सुनाई दे रही थी ...। उसका बदन भी बुरी तरह से कांप रहा था और यह कंपकंपाहट उस बेंच से होकर , जिस पर हम बैठे हुए थे , मुझ तक भी पहुंच रही थी । यह बेचारी लड़की भी मुझसे प्यार नहीं करती थी , बल्कि यह तो मुझसे वैसे ही नफरत करती थी , जैसे कोई कुत्ता उस छड़ी से नफरत करता है , जिससे कभी - कभी उसे सजा दी जाती है । हालांकि मुझे तब तक बहुत से पुरस्कार और पदक मिल चुके थे , फिर भी उस समय उस लड़की के सामने मैं एक वैसा ही वनमानुष बना बैठा था , जो असभ्य , अशिष्ट और गंवार होता है । मैं भारी थोबड़े वाले , बड़े - बड़े रोयों वाले किसी बदसूरत जानवर वाले जुकाम और अकसर पी जाने की तरह लग रहा था । लगातार चलने वाली शराब की वजह से मेरी नाक फूली हुई थी और मेरा थोबड़ा लाल - भभूका बना हुआ था । मैं इतना ढीला - ढाला और आलसी हो चुका था कि भालू भी मेरे सामने ज्यादा फुर्तीला और ज्यादा चालाक दिखाई देता और मैं कितना नीचे गिर चुका था , उसके बारे में तो कुछ बताया ही नहीं जा सकता । कभी मैंने इसी जोया से , जिससे अब मेरे रिश्ते की बात चल रही थी , रिश्वत भी खाई थी । उससे अपने मन की बात कह कर मैं चुप हो गया था , क्योंकि अब मुझे इस लड़की पर दया आ रही थी। आ रही थी । ' चलिए , बाहर बगीचे में चलते हैं । मैंन उससे कहा , ' यहां घुटन महसूस हो रही है । ' हमारे माता पिता उस कमरे के बाहर ही खड़े हुए थे और हमारी बातचीत सुनने की कोशिश कर रहे थे । हमें बाहर निकलता देख वे जल्दी से बरामदे के एक कोने में जाकर खड़े हो गए । हम घर से बाहर निकल आए और घर के सामने बने बगीचे में एक पगडंडी पर चलने लगे । जोया के चेहरे पर चांद की रोशनी चमक रही थी । मैं बेवकूफों की तरह उसे घूर रहा था । मैंने उसके चेहरे पर झलक रहे लावण्य व मधुरता को महसूस किया फिर एक गहरी सांस भरी और उससे कहा , ' लगता है , नर कोयल गा रहा है , अपनी मादा को लुभा रहा है । पर , मैं भला किसी को क्या लुभा सकता हूं । ' जोया का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने अपनी नजरें झुका लीं शायद उसे पहले ही यह बता दिया गया था कि उसे मेरे सामने किस तरहका अभिनय करना है । हम दोनों बगीचे के उस पार नदी किनारे पहुंच गए थे । हम दोनों बेंच पर बैठ गए और नदी में लहरों की अठखेलियां देखने लगे । नदी के उस पार सफेद गिरजाघर चमक रहा था और गिरजाघर के पीछे लगे पेड़ों के उस पार जमींदार कुलदारफ की बड़ी - सी हवेली झलक रही थी । इसी हवेली में वह क्लर्क बलनीत्सिन रहता है , जिसे जोया पूरे मन से चाहती है । बेंच पर बैठ कर जोया ने अपनी निगाहें उस हवेली पर टिका दी । मुझे जोया पर फिर दया आई । ' हे खुदा । हे ईश्वर , हमारे मां - बाप को स्वर्ग में भेजना । लेकिन कम - से - कम एक हफ्ता उन्हें जरूर नरक में रखना । ' ' मेरी जिंदगी सिर्फ एक इनसान की ताबेदार है । सिर्फ वही इनसान मेरी खुशी की जिम्मेदारी ले सकता है । ' मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ' कहा , ' उस लड़की के लिए मेरे मन में एक खास जगह है , एक खास अहसास है । सच - सच कहूं तो मैं उसे मोहब्बत करता हूं । मैं बुरी तरह से उसके इश्क में डूबा हुआ हूं । उससे बेहद प्यार करता हूं । सवाल यह है कि वो मुझे चाहती है या नहीं ? अगर वो मुझे नहीं चाहती , वो मुझसे प्यार नहीं करती तो समझिए मैं बरबाद हो जाऊंगा । मैं मर जाऊंगा और जानती हैं वह लड़की कौन है ? आप ही हैं वो खास इनसान मेरे लिए क्या सचमुच ऐसा हो सकता है कि आप भी मुझे प्यार करें ? बताइए न ? क्या आप भी मुझे चाहती हैं ? ' ' जी , आपको ही चाहती हूं ' जोया ने बुदबुदाकर होंठों ही होंठों में कहा । उसकी यह बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गया , क्योंकि मुझे लग रहा था कि मेरी बात सुनकर उसकी आंखों में आंसू आ जाएंगे । वह रोएगी और फिर धीरे से इनकार कर देगी , क्योंकि वह किसी और को चाहती है । मैं उसकी इस मोहब्बत से ही उम्मीदें लगाकर बैठा हुआ था । पर अब मामला खटाई में पड़ गया था । वो अपने मां बाप की इच्छा की मुखालफत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी । ' जी , मैं भी आपको ही चाहती हूं । ' जोया ने फिर से दोहराया और फूट - फूटकर रोने लगी । ' नहीं , ऐसा नहीं हो सकता । ' मैंने घबराकर कांपती हुई आवाज में कहा । मैं इतना घबरा गया था कि मैं यह नहीं समझ पा रहा था कि मुझे अब उससे क्या कहना चाहिए , ' जोया , यह सच है क्या ? कहीं मेरी बात पर यकीन करके ही तो आपने हामी नहीं भर दी । मेरी बातों पर जरा भी विश्वास नहीं कीजिए । ओ खुदा ! यह क्या हो गया ? जोया मैं यकीन करने लायक नहीं हूं । मुझे आपसे जरा भी प्यार नहीं है । वह तो मैंने यूं ही कह दिया था । मुझे सारे जमाने की बद्दुआएं लगें , अगर मैंने सच कहा हो । मुझे यकीन है कि आप भी मुझसे प्यार नहीं करतीं । प्यार - व्यार ये सब बेकार की बातें हैं । मैं बदहवास होकर बेंच के चारों तरफ भागने लगा था ' अरे ये सब मजाक है , जोया । ये प्यार - व्यार , ये शादी - वादी सब फालतू की चीजें हैं । जमीन - जायदाद के मामले हैं ये सब औरइन्हीं मामलों की वजह से हमारा रिश्ता तय किया जा रहा है । आपसे शादी करने से तो बेहतर है कि में अपने गले में एक भारी पत्थर लटका लूं । उन्हें आखिर क्या हक है कि वो हमारी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करें । वो लोग हमें अपना गुलाम समझते हैं . क्या ? जब मर्जी हुई , जिस किसी भी खूंटे से बांध दिया । नहीं , हम ये शादी नहीं करेंगे , चाहे कुछ भी हो जाए । हमने अभी तक उनकी सारी बातें मानी थीं , पर अब मैं नहीं मानूंगा । मैं अभी जाकर उनसे कहता हूं कि आपसे शादी नहीं कर सकता । बस , बात खत्म हो जाएगी । ' अचानक ही जोया ने रोना बंद कर दिया और एक पल में ही उसकी आंखें सूख गई । उधर मैं अपने जुनून में बोलता ही जा रहा था , ' मैं अभी उन्हें बता दूंगा । आप भी कह दीजिएगा । आप उन्हें बता दीजिए कि आप मुझे कतई नहीं चाहती हैं और बलनीत्सिन से प्यार करती हैं । आप कह दीजिए कि शादी करूंगी तो बलनीत्सिन से ही ...। मेरे साथ चलते - चलते जोया अचानक हंसने लगी थी । वो बड़ी खुश दिखाई दे रही थी । ' आपको भी तो किसी और लड़की से प्यार है । ' एक हाथ से अपना दूसरा हाथ सहलाते हुए जोया ने कहा , ' आप मोहतरमा देबे से प्यार करते हैं । ' ' हां , आप ठीक कह रही हैं मैं देबे को ही चाहता हूं । हालांकि वह हमारे धर्म की • नहीं है , वह बहुत पैसेवाली भी नहीं है , पर वह बहुत नेक और दयालु लड़की है । बेहद समझदार है । बस , इसी वजह से मैं उसे चाहता हूं । चाहे मेरे घरवाले मुझे कितनी भी गालियां दें , पर मैं यदि शादी करूंगा , तो उससे ही उसे तो मैं अपनी ज़ान से भी ज्यादा चाहता हूं । उसके बिना , मैं जी नहीं सकता । अगर मेरी शादी देबे से नहीं होगी , तो मैं जीते जी मर जाऊंगा । चलिए , चलते हैं और इन बाजीगरों को बता देते हैं कि हम ये शादी नहीं करेंगे । मैं आपका शुक्रगुजार हूं कि आपने मेरी बात मान ली है । ' हम दोनों के दिल बल्लियों उछल रहे थे । हम खुशी से पागल हो गए थे । मैं बार - बार जोया को शुक्रिया कह रहा था और जोया भी खुशी से मेरे हाथों को चूम रही थी । हम दोनों एक - दूसरे को नेक और ईमानदार बता रहे थे । • फिर जोया ने मेरे सिर और मेरे गालों को चूमना शुरू कर दिया । मैं बार - बार उसके हाथ चूम रहा था । मैं उसके • एहसान के तले इतनी बुरी तरह से दब गया था कि सारी • तमीज भूलकर मैंने उससे लिपटना शुरू कर दिया था । • कहना चाहिए कि एक - दूसरे से मोहब्बत न होने का यह इजहारइतना खुशगवार इजहार था कि वह हमें मोहब्बत के इजहार से ज्यादा जरूरी लग रहा था । हम घर की तरफ चल पड़े , ताकि अपने - अपने मां - बाप को अपने इस फैसले की जानकारी दे सकें । ' अरे , वो हमें गालियां ही देंगे न , हमारी पिटाई कर देंगे । ' मैं बड़े जोश में बोल रहा था , ' हद से हद हमें घर से निकाल देंगे , पर हम खुश तो रहेंगे न । ' हम घर पहुंचे , तो देखा कि हम दोनों के माता पिता वहीं दरवाजे परहमारा इंतजार कर रहे थे । हमारेखुशी से चमकते चेहरे देखकर उन्होंने तुरंत नौकर को बुलाया और शैम्पेन की बोतल लाने को कहा । पर मैंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया । जोया भी चिल्ला रही थी ...। आखिर उस दिन शैम्पेन की बोतल नहीं खुली । पर , आखिर हमारी शादी कर दी गई । आज हमारी शादी की रजत जयंती है । हम पिछले पच्चीस साल से एक - दूसरे के साथ हैं । शुरू - शुरू में जिंदगी की गाड़ी बड़ी मुश्किल से खिंची । मैं रोज ही जोया को गालियां देता था , उसे डांटा करता था ...। बाद में अपनी हरकत पर दुखी होकर और जोया पर तरस खाकर मैं उसे प्यार करता था । एक - एक करके हमारे बच्चे पैदा हो गए । और फिर हमें एक - दूसरे की आदत पड़ गई । इस वक्त मेरी प्यारी जोया मेरी पीठ के पीछे खड़ी हुई है कंधों पर हाथ रख मेरे गंजे सिर को चूम रही है ।