Nagmani ka addbhut rahashya - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

नागमणि का अद्भुत रहस्य (भाग - 5)

रंजीत बस उस घने जंगल में बेतहाशा भाग रहा था और नाग उसका पीछा छोड़ने को बिलकुल तैयार नहीं था। रंजीत को ऐसा लगने लगा की शायद उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा गुनाह कर दिया है और उस गुनाह की सज़ा देने स्वम् काल उसके पीछे पड़ गए हों।

अब आगे.....

"भटक रहे हैं दर-बदर, इन काली घनी रातों में,
पाना है नागमणि को, हर मुमकिन हालातों में।।"
-"उर्वी"🖋️🖋️

भागते भागते रंजीत के दिमाग़ में कोई ख्याल आया और उसने अपनी गति अचानक और बढ़ा दी। नाग और रंजीत के बीच फासला इतना बढ़ गया था की अब रंजीत नाग की आँखों से ओझल हो चूका था लेकिन अभी भी नाग ने उसका पीछा नहीं छोड़ा था।

रंजीत भाग कर जलाशय के समीप पहुँच कर रुक गया, उसने अपने बैग से कमल की डंडी निकाली और उसे अपने मुँह में दबा कर जलाशय में अंदर प्रवेश कर गया। रंजीत जलाशय में इतना गहरा गया जहाँ वो आराम से पानी के भीतर बैठ सके। अब रंजीत पानी के अंदर बैठ गया और सिर्फ कमल की डंडी पानी के बाहर निकली थी जिससे वो लम्बे समय तक पानी के अंदर बैठ कर साँस ले सके।

अब तक जलाशय का जल भी शांत हो चूका था। नाग भी जलाशय के पास पहुँच कर रुक गया क्यूंकि इसके आगे उसे रंजीत की कोई भी खबर नहीं लग रहीं थी। नाग ने जलाशय के किनारे जहाँ रंजीत ने अपना बैग छोड़ा था वही चक्कर काटने लगा। रंजीत को पानी में खड़े खड़े लगभग एक घंटे होने को आये थे लेकिन नाग अभी भी रंजीत के बैग के पास ही चक्कर काट रहा था जैसे उसे पता हो की रंजीत कही आस पास ही है।

अब रंजीत से पानी के अंदर रहना बर्दास्त नहीं हो रहा था, रंजीत का दिमाग़ अभी भी तेज़ी से बचने के उपाय ढूंढ रहा था। रंजीत ये बात भली भांति जानता था की अगर नाग को इस बात का पता चल गया की वो पानी के अंदर छुपा है तो उसे पानी के अंदर आने में जरा सा भी समय नहीं लगेगा। ऐसी स्तिथि में रंजीत का बचना मुश्किल हो जायेगा क्यूंकि नाग से ज्यादा फुर्ती रंजीत पानी में नहीं दिखा सकता था।

रंजीत को बचपन में सीखी एक विद्या का ध्यान आता है जिसे उसने आज तक कभी प्रयोग नहीं किया था। अब उसे बस मौके की तलाश थी कि जैसे ही नाग का ध्यान दूसरी तरफ हो वो अपनी अगली तरकीब आजमा सके। रंजीत को इसके लिए भी ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, कुछ ही देर बाद नाग वहाँ पड़े रंजीत के बैग से कुछ दूर जंगल कि तरफ बढ़ चला।

रंजीत ने मौका देखते ही जलाशय में अपनी जगह पर खड़े होकर हाथ की अंजुली में थोड़ा सा जल लिया और आँखे बंद करके कोई मन्त्र मन ही मन पढ़ना शुरू कर दिया।
इधर नाग को भी जलाशय में हुई पानी की हलचल से रंजीत के पानी में होने का आभास हो गया था। नाग तेज़ी से पलट कर जलाशय की और लपक चूका था और कुछ ही पलों में जलाशय में प्रवेश करने वाला होता है। इधर रंजीत ने मन्त्र पूरा होते ही अंजुली का जल जलाशय के जल में वापस गिरा दिया।

रंजीत ने एक बहुत बड़ा दाव खेला था और उसका परिणाम क्या होगा उसे इसका जरा भी भान ना था। नाग अब तक जलाशय तक पहुँच चूका था और जल में प्रवेश करने वाला था लेकिन तभी उसे जैसे किसी बिजली का झटका सा लगा हो। नाग ने दुबारा से पानी में प्रवेश करने के लिए अपना फन पानी से संपर्क किया और फिर से उसे तेज़ बिजली का झटका सा लगा। अब नाग को और अधिक गुस्सा आ चूका था, पहले छुपे हुए शत्रु से नाग को उतना गुस्सा नहीं आया था जितना शत्रु को सामने देख कर भी उस तक ना पहुँच पाने से हो रहा था।

दरअसल रंजीत ने बचपन में अपने दादाजी (मुखिया) से बहुत सी तंत्र विद्या सीखी थी पर कभी उन्हें इस्तमाल नहीं किया था, आज उन्ही की सहायता से रंजीत ने जल को अभिमंत्रित कर दिया था। अब नाग चाह कर भी जल में प्रवेश नहीं कर पा रहा था, यह देख कर रंजीत की जान में जान आयी।

नाग का तो अब गुस्से से बुरा हाल था, पहले ही मणि खोने का क्षोभ उसे था और अब शत्रु के सामने होने के बाद भी कुछ न कर पाने का गुस्सा। अब उस नाग के मुँह से ज़ोर ज़ोर से फूफ्क़ारने की आवाज़ आने लगी थी और वो कभी कभी गुस्से में अपना सिर ज़मीन पर पटकता।

कभी कभी ऐसा लगने लगता जैसे नाग ने दम तोड़ दिया हो लेकिन फिर कुछ पलों के बाद वो पुनः गुस्से में फन तान कर खड़ा हो जाता। रंजीत ने सुन रखा था की जिन साँपो के पास मणि होती है अगर उनसे मणि दूर हो जाये तो वो ज्यादा देर ज़िंदा नहीं रह पाते लेकिन बिना मणि के वो कितना देर जिन्दा रह सकते है या आज ख़ुद अनुभव कर रहा था।

नाग कभी गुस्से में फुफकार छोड़ता कभी गुस्से से ज़मीन पर अपना फन पटकता और कभी ज़मीन पर लोटना शुरू कर देता। यह क्रम काफ़ी देर तक यूँही चलता रहा और जब भी नाग पानी में घुसने को कोशिश करता जल के अभिमंत्रित होने की वजह से उसे झटका सा लगता। कुछ समय बाद नाग ज़मीन पर बिलकुल निढाल सा पड़ गया, रंजीत इस असमंजस में पड़ गया कि नाग के प्राण उसका शरीर छोड़ चुके है या वो थक कर शांत हुआ है।

अब रंजीत को नागमणि अपनी होती प्रतीत होने लगी थी। कुछ समय इंतजार करने के बाद रंजीत ने धीमे धीमे अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू किये। जैसे ही रंजीत ने अपने कदम बढ़ाये पानी में हुई हलचल से नाग फिर से उठ खड़ा हुआ और ज़ोर ज़ोर से फुफकार मरने लगा। रंजीत ने अपने कदम वापस खींच लिए क्यूंकि वही रुकने में ही उसकी सलामती थी।

अब तक आधी रात का समय हो चूका था लेकिन नाग वहाँ से जाने को तैयार नहीं था और ना ही रंजीत मणि वापस करना चाह रहा था। रंजीत ने ठान लिया था कि जब इतना रिस्क उठा लिया है तो मणि तो हर हाल में हासिल कर के रहेगा। नाग का वही क्रम जारी रहा, बीच बीच में कुछ देर के लिए शांत जरूर हो जाता था पर उसके बाद पुनः उसी शक्ति के साथ फुफकार मारना शुरू कर देता।

कुछ समय शांत रहने के बाद इस बार नाग ने अपने मुँह से फुफकार के साथ साथ एक अजीब सी आवाज़ निकालनी शुरू कर दी। रंजीत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि नाग ऐसा क्यूँ कर रहा है, उसने सोचा शायद अब उसके प्राण निकलने वाले हो इसलिए तड़प की वजह से नाग ऐसी आवाज़े निकाल रहा है। कुछ समय ऐसा करने के बाद सच में नाग बिलकुल शांत हो गया, रंजीत के चेहरे पर अब हल्की सी मुस्कान तैर गयी।

कुछ देर इंतजार करने में बाद एक बार फिर रंजीत ने अपने कदम बढ़ाये, लेकिन इसबार कोई हलचल नहीं हुई। रंजीत कुछ आश्वस्त होने के बाद दूसरा कदम भी आगे बढ़ाता है लेकिन अभी भी नाग बिलकुल शांत ही पड़ा रहता है। अब रंजीत को यकीन हो गया की नाग के प्राण पखेरू उड़ चुके है।

रंजीत आगे बढ़ते हुए अपनी कामयाबी पर ख़ुश हो रहा था, अभी जलाशय के किनारे से कुछ दूरी का फासला ही बचा था कि झुरमुटों से कुछ आहट सी महसूस हुई। रंजीत अपनी जगह पर रुक गया और झुरमुटों कि तरफ ध्यान केंद्रित कर दिया। अब सरसराहँटों की आवाज़ और बढ़ चुकी थी, इधर नाग भी अपनी जगह पर फिर से फन काढ़ कर तैनात हो गया था।

रंजीत की आँखे एक दम से बड़ी हो गयी, उसने देखा जंगल की तरफ से जलाशय तक बहुत से साँप चलते चले आ रहे है। सभी साँपो ने आकर जलाशय को घेर लिया, रंजीत ने अपने कदम वापस खींच लिए।

रंजीत ने देखा जलाशय के चारों तरफ अनेक प्रकार के साँप एकत्र हो चुके थे, कुछ तो ऐसी प्रजाति के साँप थे जिनके बारे में ना तो आज तक रंजीत ने कभी देखा और ना कभी सुना था।

कहाँ से आ गए इतने साँप?
क्या मणि वाले नाग ने उन्हें अपनी मदद के लिए उन्हें बुलाया था?
क्या नाग ने जो आवाज़ की थी वो मदद के लिए थी और उसे सुन के इतने साँप एकत्र हुए थे?

To be continued....

-"अदम्य"❤

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