और उसने - 18 Seema Saxena द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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और उसने - 18

(18)

“अच्छा अच्छा यह बात है । हमें तो पता ही नहीं कि हमारी शादी के इतने साल के बाद हमें आज इस बात के बारे में पता चलेगा वो भी तुमसे और उस समय जब मैं तो बुड्ढी होने को आई तब, कि तेरे पापा मुझे मिस करते हैं। हे भगवान यह मुझे पहले क्यों नहीं पता चला ?” यह कहकर मम्मी जोर से खिलखिला कर हंसने लगी।

“मम्मी जरा देखो न कितने सारे फूल आंगन में खिल गए हैं। हम रोज पौधों में पानी लगाते लेकिन यह फूल खिले तभी जब आप आई हैं। इससे यह भी पता चलता है कि जब आप हंसती हो ना तो हमारे घर में फूल खिल जाते हैं।“ मम्मी के आने से मानसी अपने पेट का दर्द बगैरह सब कुछ भूल गई है । उसे कुछ याद ही नहीं रहा है कि उसकी बहुत तबीयत खराब हुई ।

अलका ने जैसा उसको बताया, ठीक वैसा ही किया उसने और उन बातों को ही अब भी फॉलो कर रही है । वह उससे कुछ ठीक भी महसूस कर रही है । अब कोई टेंशन ही नहीं है क्योंकि मम्मी आ गयी हैं और अब मम्मी से हंस बोल रही है तो उसे और भी अच्छा लग रहा है। वैसे भी हम अगर किसी चीज के बारे में टेंशन करते हैं, तनाव पालते हैं तो वह चीज और भी तकलीफ देती है, बहुत परेशान करती है लेकिन हम जैसे ही उस चीज को भूलने लगते हैं उस तरफ से अपना दिमाग हटकर किसी और बात पर अपना दिमाग लगा लेते हैं तो हमारे दिमाग से सारे तनाव दूर हो जाते हैं और खुशी हमारे मन में घर करने लगती है।

अलका की मम्मी अगले दिन ट्रेन से भाई के साथ दिल्ली चली गई और अलका घर में ही रुक गई । अब तो मानसी की मम्मी भी आ गई हैं इसलिए चिंता की कोई बात ही नहीं है। अलका की मम्मी ने मानसी और उसकी मम्मी को कह दिया है कि जब तक वह लौटकर ना आए, तब तक वह अलका का ख्याल रखें और हो सके तो उसे अपने ही घर में रखें, वह अकेले घर में रहकर क्या करेगी? कहीं डर जाए या कुछ और हो जाये, वह अभी इतनी बड़ी भी नहीं हो गई है ? अल्का की मम्मी यह सब कह कर गयी हैं और अल्का ने मानसी के घर रुकने को हां भी कर दी है लेकिन वह अपने ही घर में रुकी रही । बस खाना खाने के लिए मानसी के थोड़ी देर के लिए घर पर आई है, फिर वह अपने ही घर में है । क्या हुआ अलका को आज अचानक से, वैसे तो वो कभी अपने घर में नहीं रहती है, उसकी मम्मी होती है तब नहीं रुकती है, आज अचानक उसे अपने ही घर में क्यों इतना अच्छा लग रहा है कि वह घर से निकल कर आ ही नहीं रही है? मानसी ने मन में सोचा । हो सकता है उसे घर में कोई काम हो या फिर खाली बैठकर कोई सिलाई कढ़ाई कर रही हो, पढ़ तो पक्का नहीं रही होगी क्योंकि पढ़ने में तो उसका मन लगता नहीं है लेकिन हां सिलाई कढ़ाई में तो वह खूब होशियार है इसमें तो कोई दो राय है ही नहीं। तो हो सकता है कि वह कुछ कपड़े सिलने में लगी हो इसलिए नहीं आ रही, शांति से बैठ कर काम कर रही हो। चलो मैं ही मिल कर आती हूं, उसे देख आती हूँ, कोई बात नहीं है वह नहीं आ रही है तो न आने दो । मानसी ने अपनी मम्मी से कहा कि मैं अलका के घर जा रही हूं और मैं वहीं पर उसके साथ ही रुक जाती हूँ बाद में फिर मैं अलका को यहां पर अपने साथ लेकर आ जाऊंगी। हो सकता है वह सिलाई वगैरह कर रही हो या कोई और घर का काम ।“ उसने अपनी मम्मी को समझाया ।

“ठीक है बेटा तू चली जा, देख ले जाकर कि क्या कर रही है वो अपने घर में अकेले ? आ क्यों नहीं रही ? वरना तो वह यहीं पर ही रहती थी।“ मानसी की मम्मी चिंता करते हुए बोली ।

“हाँ मम्मी यही तो मैं भी सोच रही हूं।“ यह कहते हुए मानसी अलका के घर चली गई।

दरवाजे की कुंडी अंदर से बंद है । उसने दरवाजा खटखटाया, “अलका दरवाजा खोल मैं हूँ मानसी ।“

अल्का ने अंदर से ही कहा, “रुक, अभी आती हूँ मानसी।“ अलका ने आकर दरवाजा खोल दिया मानसी उसके पीछे पीछे उसके साथ उसके कमरे में ही चली गई, क्या कर रही थी अल्का, तू अकेले बोर नहीं हो रही है क्या ? तभी वहां पर अचानक से उस लड़के को देखकर मानसी हैरत में पड़ गई। वो चौक गई अचानक से उसे यहाँ कमरे में देखकर । अरे यह यहाँ ? यह घर के अंदर कैसे आ गया ? इसलिए अलका हमारे घर नहीं आई । मानसी ने मन ही मन सोचा । तभी अलका बोलने लगी, यार आज मैं घर में अकेली हूँ ना, तो मैं सच में बोर हो रही,इसलिए मैंने इसको अपने घर पर बुला लिया ।“ उसने उस लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

“हम्म ! ठीक किया बुला लिया लेकिन मुझे लगता है कि मम्मी के पीछे नहीं बुलाना चाहिए । जब मम्मी होती ना तभी बुलाती तो ज्यादा अच्छा रहता । मानसी ने कहा तो अल्का बोल पड़ी, “लेकिन अगर मम्मी घर में होंगी तो क्या वह इसको अंदर घर में आने देंगी?

“ जब तुझे पता है तेरी मम्मी इसको अपने सामने घर में नहीं आने देंगी तो तूने पीछे से फिर क्यों बुलाया है इसको? यह गलत बात है ना?” मानसी ने हल्के से अलका के कान में कहा।

“ठीक है तू अपनी बातें अपने पास ही रख, तू बहुत बड़ी समझदार है ना, मैं तो जैसी हूं बस मुझे वैसा ही रहने दे। अच्छा तुझे कोई काम है तो बता दे वरना फिर तुम जाओ, बाद में मैं तेरे घर में आती हूं ।“ अलका ने बड़ी बेरुखी के साथ मानसी से कहा । अलका की बातें सुनकर मानसी को ऐसा लग रहा है कि उस लड़के को देखकर शायद अल्का के दिमाग पर कुछ जादू का सा असर हो गया है ? क्या ऐसा होता है कि किसी लड़के के चक्कर में या किसी लड़की के चक्कर में अपनी दोस्ती को, अपनी यारी को, अपने बचपन के साथी को भुला दिया जाए या उसके साथ इतनी बेरुखी के साथ बात की जाये।

मानसी को बहुत बुरा लग रहा है । वो बड़े उदास मन से अपने घर पर वापस आ गई है, उसके घर से बाहर निकलते ही अल्का ने दरवाजे की कुंडी फिर से लगा ली, मानसी अपने घर पर आ तो गई है लेकिन उदास होकर एक तरफ को बैठ गई। मम्मी ने पूछा, “क्या हुआ बेटा ? तू उदास क्यो है ? अलका क्यों नहीं आई ?” उन्होने एक साथ इतने सारे सवाल कर दिये ।

अब वो मम्मी को क्या बताएं ? क्या मम्मी को सच बता दे ?नहीं सच कैसे बता सकती हूं ? अगर अलका बदल गई है तो मैं थोड़ी ना बदली हूँ ? मैं उसकी कोई बात नहीं बता सकती हूँ, वो तो मेरी सच्ची दोस्त है, बचपन की दोस्त है, वह गलत अभी कर रही है तो मैं उसे समझा दूंगी लेकिन मैं उसकी ऐसी कोई बुराई नहीं करूंगी जिससे उसकी बदनामी हो, “मम्मी अलका अपने घर में सिलाई कर रही है, उसकी मम्मी उसके लिए तकिए के कवर वगैरह सिलने को दे कर गई है ना, तो बस उसी काम में लगी हुई है।“

“लेकिन उसकी मम्मी ने तो कहा है कि उसे अपने घर पर ही रखना और फिर वह अकेले क्यों कर रही है, तू ही वहाँ पर बैठ जाती ।“ मम्मी को अल्का की चिंता साता रही है ।

“मम्मी आप चिंता क्यों करती हो? वो शाम को आ जाएगी, मैं भी अभी थोड़ी देर में चली जाऊँगी।“

मानसी ने अपनी मम्मी से कह तो दिया लेकिन उसे सच में अलका की बहुत फिक्र हो रही है, उसे लग रहा है कि जल्दी ही वह लड़का उसके घर से निकल कर चला जाए, कहीं कुछ गलत ना हो जाए उसके साथ में । वह घबरा रही है पता नहीं क्यों उसे सब कुछ बहुत गलत लग रहा है । थोड़ी ही देर के बाद अलका उसके पास आई दौड़ते हुए और उसके गले लगते हुए बोली, सॉरी मानसी, यार मैं क्या करती, उस समय मेरा दिमाग फिर गया, मेरी बुद्धि को कुछ हो गया और आजकल मुझे कुछ हो भी जाता है शायद उसे देखते ही मैं सिर्फ उसकी हो जाती हूं और सारी दुनिया से दूर चली जाती हूँ, फिर मुझे उसके सामने कोई और न दिखाई देता है और न ही अच्छा लगता है। मानसी मुझे माफ कर दे यार,।” अल्का ने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा ।

“लेकिन यह गलत बात है ना तेरी मम्मी ने तुझे कहा है ना कि तू मानसी के घर पर ही रहना फिर तूने क्यों उस लड़के को अपने घर पर बुलाकर बिठाया? क्यों किया है यह सब कुछ?” मानसी नाराजगी भरे लहजे में बोली ।

“यार मानसी, मैं क्या करूं? मेरा खुद पर ही मेरा बस नहीं रह गया है मैं बेबस हो गई हूँ ।“

“चल ठीक है फिर तू देख ले तुझे जो सही लगता है तू वही कर क्योंकि मैं तुझे क्या समझाऊं क्योंकि मैं तुझसे बड़ी तो हूँ नहीं, तू ज्यादा समझदार है ।“

“हां मानसी मैं तुझसे बड़ी और समझदार तो हूं लेकिन मेरी समझदारी सब गायब हो जाती है, उसके सामने मैं बिल्कुल ही नासमझ बन जाती हूं दीवानी सी हो जाती हूँ मानसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अल्का की इन बातों को क्या जवाब दें ?

अलका फिर उसके घर में ही बैठी रही । अल्का ने साथ में ही खाना खाया और रात को भी मानसी के साथ ही सोयी । अगले दिन सुबह वह अपने घर चली गई । शायद वह लड़का फिर आया होगा, मानसी ने मन में सोचा लेकिन वह आज उसके घर नहीं जाएगी ऐसा सोचकर वह घर पर ही पढ़ाई करती रही लेकिन उस दिन अल्का फ्रेश होकर, तैयार होकर मानसी के घर आ गई । वह पूरा दिन मानसी के घर पर ही रही ।

अगले दिन उसकी मम्मी और भाई को आना है तो उसने कह दिया कि अब मैं घर की साफ सफाई करूंगी क्योंकि मम्मी आ रही हैं और अब मैं खाना भी बना कर रखूंगी तो चाची जी आप परेशान मत होना । मुझे कुछ जरूरत होगी तो मैं आ जाऊँगी ऐसा कहकर वो अपने घर चली गयी ।

उसके जाने के बाद मानसी सोचने लगी कि अगर वह लड़का आ गया तो कहीं कुछ झगड़े बगैरह ना हो जाए, कहीं कुछ गलत ना हो जाए, मानसी के मन में डर बैठा हुआ है ।

जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही होने लगता है, दुनिया में सब कुछ मन के अनुसार होता चला जाता है क्योंकि हमारा मन हर बात को भाँप लेता है और शायद ऐसा ही हुआ। उस दिन मानसी अलका के घर नहीं गई । अल्का की मम्मी की ट्रेन रात को आनी है इसलिए वो लड़का आज फिर मानसी के घर आ गया है । आज वह दोनों आराम से घर में बातें कर रहे और मानसी बाहर से चक्कर लगा लगा कर वापस लौट आती । कि थोड़ी ही देर बाद अल्का के घर से बहुत तेज तेज शोर-शराबे की आवाजें आने लगी । देखा तो अभी दोपहर के 1:00 बज रहा है । अलका के घर में उसके भाई की आवाज कहां से आ रही है, उनकी ट्रेन तो शाम को आनी है, मानसी भागती हुई अलका के घर पहुंची देखा तो उसका भाई और मम्मी दोनों आए हुए हैं । भाई बुरी तरह से चीख रहा है और अलका जोर जोर से रो रही है । वह लड़का जो अल्का से मिलने के लिए आया है, भाई ने उसको कालर से पकड़ कर जमीन पर गिरा दिया और गुस्से में भरकर साइकिल की चैन निकालने लगा, वो लड़का जल्दी से उठकर बाहर की तरफ भागा । यह देख अल्का का भाई उसके पीछे पीछे भागा एक हाथ में साइकिल की चैन है और दूसरे हाथ में फल काटने वाला चाकू । उसने सड़क पर चलते एक सब्जी वाले के ठेले से चाकू उठा लिया । मानों अल्का के भाई के सर पर कोई दानव या भूत सवार हो गया है । छोटा सा शहर होने के कारण सड़क पर ज्यादा लोग नहीं हैं लेकिन जो भी देख रहे हैं, वे भी उन दोनों के पीछे पीछे भागने लगे हैं शायद उस लड़के को बचाने की नियत से या तमाशा देखने के लिए । लेकिन वे लोग भी भागते हुए चले आ रहे हैं । लोग देखने लगे हैं और लोगों की भीड़ लगने लगी है और मानसी और अल्का एक दूसरे का हाथ थामे दोनों साथ-साथ घबराए हुए उसके पीछे पीछे चले जा रहे हैं । उन्हें डर लग रहा है कि न जाने भाई क्या करेंगे ? अब क्या होगा कमलनयन का? उसे कैसे बचाया जाये ? अब वे लोग उसके घर के पास पहुंच गए हैं । चार बहनों का अकेला भाई कमलनयन । अपने भाई की चीखें और भीड़ का शोरशराबा सुनकर उसकी चारों बहनें घर के बाहर निकल के आ गयी है कि क्या हो गया? क्या हो गया भाई को? उसी वक्त अलका के भाई ने उसकी बहनों के सामने ही कमलनयन के पेट में वह लहराता हुआ चाकू घुसेड दिया । खून का एक फब्बारा सा आया और सीधे अलका के मुंह पर गिरा । वहां पर बहुत भीड़ लग गई, मानसी बुरी तरह से घबरा गयी है और अलका यह सब देखकर एकदम बेहोशी की हालत में हो गई है उसके शरीर की सारी शक्ति पता नहीं कहां चली गई है । मानसी ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए घर की तरफ ले जाती हुई बोली, “तू अभी चुपचाप से यहाँ से चल । उसका चेहरा बुरी तरह से खून से लथपथ हो गया है । वह बेजान सी होकर मानसी का हाथ थामे खींचती चली जा रही है और जो भीड़ है वह अलका के भाई को हटाने में लगी हुई है। लेकिन अलका के भाई के सर पर तो कोई भूत सवार हो गया है, वह किसी भी तरह से उसे छोड़ने के मूड में नहीं है, वो बराबर चाकू से उसके पेट पर बार करता जा रहा है और आखिरी बार उसने उसकी गर्दन पर किया और उसकी गर्दन कट कर एक तरफ को लटक गयी । वहाँ पर सभी का बहुत बुरा हाल हो रहा है । पूरे मोहल्ले की भीड़ लग गई है । मानसी तो अलका को लेकर अपने घर की तरफ चली आई है लेकिन अलका घर पर आते ही बेहोश हो गई। उसे बाद में पता चला कि पुलिस आ गई और अलका के भाई को अरेस्ट करके ले गई। पल भर में क्या से क्या हो गया ? अभी तक तो सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा । अलका हँस बोल रही । उससे बातें कर रही । उसके साथ मुस्कुरा रही । वो कितनी खुश लग रही और अपने आने वाले जीवन के हसीन सपने बुन रही । ख्वाब उसकी आंखों में तैर रहे । खूबसूरती उसके चेहरे पर खेल रही । उसकी सुंदरता निखरती चली जा रही । दुनिया की सारी खुशियां उसकी झोली में भर गई । पंख लगाए अल्का आसमान में बिचर रही कि अचानक से सब खून खच्चर हो गया । सब खत्म हो गया, सब खत्म हो गया है और अब कुछ भी नहीं बचा है । क्षणिक आवेग में आकर उसके खुद के भाई ने अपने हाथो उसका जीवन उजाड़ दिया और खुद भी बर्बाद हो गया ।

क्रमशः...