Aur Usne - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

और उसने - 2

(2)

“जस्ट मेंरे पीजी के बराबर में ही रहती हैं, मुझे भी आज ही पता चला, अभी मेरी थोड़ी तबीयत खराब है न, तो मैंने मम्मा से कहा, तो फिर उन्होंने कहा कि वहां पर मेरी बचपन की फ्रेंड की छोटी बहन रूची आंटी अभी शिफ्ट हुई हैं और वह तुझे लेने आ जाएंगी, तू उनके घर चली जा, उनके हस्बैंड को ही मैंने अभी दिखाया है, मुझे कोई टेस्ट कराने की जरूरत नहीं हुई । उन्होने दवाई बगैरह के पैसे भी नहीं लिए क्योंकि वह हॉस्पिटल में डॉक्टर है, मतलब उनका अपना खुद का हॉस्पिटल है।” मानसी ने कबीर को समझाया।

“अरे वाह, यह तो अच्छी बात है लेकिन तू फिर भी उनके घर नहीं जायेगी, क्या पता वहाँ तुझे अच्छा ना लगे या तू एडजस्ट न कर पाए और तेरी तबीयत भी ठीक नहीं है ! या कुछ प्रॉब्लम हो, या फिर मन न लगे, पहली बार जो जायेगी ! तू मेरे साथ आ रही है और बस आ रही है, मैंने कह दिया तो कह दिया ।” कबीर पूरे अधिकार के साथ बोलता चला जा रहा है ।

“कबीर यार देख जिद्द मत कर, मैं वैसे ही बहुत परेशान हूं तबीयत ठीक नहीं लग रही है, ऊपर से तू परेशान किये जा रहा है, तू रुक, मैं तुझे फोन करती हूँ, मैंने तुझे कहा ना मैं रुचि आंटी के साथ ही जाऊँगी और कितनी बार कहूँगी।“ मानसी थोड़ा चिडचिढ़ाते हुए बोली।

उसके सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है और मुँह का टेस्ट भी थोड़ा कड़वा कड़वा सा लग रहा है। उसने सुबह से कुछ खास खाया पिया भी नहीं है। ब्रेकफास्ट में बस एक ब्रेड पर थोड़ा सा बटर लगा कर खाया है । उसे इस समय चाय पीने का बहुत मन कर रहा है लेकिन दूध नहीं होने से वह चाय भी नहीं बना रही है, अब दूध लेने कौन जाये ? फिर सोचा चलो ब्लैक कॉफी बना कर पी लेती हूँ, उसने उठने की कोशिश की, लेकिन उसके शरीर में इतना दर्द है कि उठने का मन ही नहीं हुआ। अकेले होने के कारण से उसे थोड़ी घबराहट भी हो रही है और तबीयत खराब होने की वजह से उसे एक तरह का वहम मन में हो रहा है कि क्या हो गया है मुझे? कहीं मैं संक्रमित तो नहीं हो गई हूँ, कल मैं सबके साथ कैब में ऑफिस गई, वहां रास्ते में मुझे कहीं कोई संक्रमण लग गया हो ? आज के दिन ही यह अचानक से लॉकडाउन भी पड़ गया,  मैं यहां पी जी में बीमार पड़ी हुई हूँ, वहाँ मेरी सब सहेलियाँ अपने घर पहुंच गई होंगी, यार मैं क्या करूं? मुझे तो लगता है मेरी किस्मत ही खराब है, वरना कहीं ऐसा भी होता है कि ऐन टाइम पर मुझे बुखार आ गया, और मुझे रुकना पड गया । हे ईश्वर, मुझे भी घर जाना है, अपनी मम्मी के पास, अपने पापा के पास, कितने दिनों से उनको देखा भी नहीं है, सारी तकलीफें ईश्वर तू मुझे ही क्यों दे देता है। उसने हाथ जोड़कर प्रार्थना की । मैं बीमार हो गई, और घर नहीं जा पाई, अब मैं क्या करूं? वाकई मैं बहुत बदकिस्मत हूँ । इतने दिनों के बाद उन लोगों के साथ में रहने का मौका मिलता, कितने दिनों से न घर जा सकी और न ही अपने मम्मी पापा से मिल पाई हूँ। यह सोचते-सोचते वो रो पड़ी।

ऊपर से अब यह कबीर परेशान कर रहा है कि मैं आ रहा हूँ । बेकार में ही बताया मैंने इसको, अगर मैं रूचि आंटी के साथ उनके घर नही जाऊंगी तो मम्मी परेशान होंगी या फिर मुझे मम्मी को ही नहीं बताना चाहिए,पहले ही कबीर से बात कर लेती। अब मम्मी पापा भी जिद करेंगे कि तू रुचि आंटी के साथ जा, वैसे कबीर भी सच ही तो कह रहा है कि पता नहीं उनके घर पर तुझे अच्छा लगा कि नहीं लगा, तेरा मन लगा कि नहीं लगा । मैं पहली बार उनके घर पर जाऊंगी । मैंने बचपन में देखा है उनको, कितने साल गुजर गए तब से अब तक, पहले तो बहुत प्यार से बोलती, घर पर अगर आ जाती तो फिर सुबह से लेकर शाम तक उसके घर पर ही रहती । मम्मी के साथ बातें करती रहती, सबके साथ खाना पीना खाती और उनका बेटा जो उससे थोड़ा ही बड़ा रहा होगा, वह सब के साथ में मिलकर खेलता रहता । कितना मोटू सा उनका बेटा, खाता ही रहता सब कुछ, यह सोच कर दर्द में भी उसकी हंसी का फव्वारा फूट पड़ा और मानसी सोचते-सोचते खुद ही हंस पड़ी ।

आँटी तो घर पर आते ही अपना रोना शुरू कर देती, कि उनकी सासु माँ उनको कितना परेशान करती हैं, वो अपने छोटे से बेटे को साथ लेकर अकेली कहाँ रहे इसलिए उनके साथ ही रहना पड़ता है । पति बाहर जॉब करते हैं, वह साथ में ही नहीं रहते । वे आर्मी में डॉक्टर है और आर्मी में डॉक्टर होने की वजह से उनको हमेशा घर से बहुत दूर बाहर रहना पड़ता है और वे अपने बच्चे को साथ लेकर सास-ससुर की सेवा करने के लिए उनके साथ रहती हैं, रहती क्या हैं यह समझो, मजबूरी का नाम महात्मा गांधी ।

अब क्या उसके पति रिटायर हो गए, या फिर वो सरकारी जॉब छोड़ दी ? जो यहां पर अपना हॉस्पिटल बनाकर प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर दी है ? वो कितना सोच रही है । एक-एक बात को लगातार सोचे जा रही है । कितना तेज सिर में दर्द है फिर भी वह सोचे जा रही है । चलो ब्लैक कॉफी बनाती हूँ, अकेला मन क्या करें ? वो तो सोचता ही रहेगा । कोई साथ में होता तो उससे बात करके थोड़ा सा मन बहल जाता, जब तबीयत सही नहीं होती है तो फिर ऐसे ही प्रॉब्लम्स आ जाती है। हम दुखी होते हैं, हम परेशान होते हैं और हम किसी का सहारा ढूंढते हैं, कोई ऐसा हमारे साथ हो जो हमारा ख्याल रख सके, हमें समझ सके।

कबीर उसका बहुत अच्छा दोस्त है, कितना ख्याल रखता है, हमेशा उसके बारे में सोचता है, जब भी कोई भी आज तक प्रॉब्लम हुई है तो हमेशा वही तो सॉल्व करता आया है । इस शहर में उसके सिवाय और कोई है भी तो नहीं उसका । कितना प्यारा है कबीर और आज मैं उसे मना कर रही हूँ कि वह ना आए।

मम्मा ने फंसा दिया है, आंटी को कैसे मना करूंगी मैं या फिर मम्मी को कैसे मना करूंगी, क्या करूं ? समझ में नहीं आ रहा है ? कबीर अपना ही है कॉलेज के टाइम से वह हमेशा साथ रहता है । अब यहाँ ऑफिस में भी साथ ही आना जाना होता है । मानसी लगातार सोचे जा रही है ।

मैं कबीर के साथ ही उसके घर चली जाती हूँ । चलो मम्मा को फोन करके मना लेती हूँ कि मम्मा मैं रुचि आंटी के घर नहीं जा रही हूँ। मेरी तबीयत ठीक हो जायेगी,मुझे नॉर्मल सा वायरल ही तो हुआ है बस । मैं अपनी फ्रेंड के घर चली जा रही हूं, मम्मी को नहीं बताऊंगी कि मैं कबीर के घर जा रही हूँ। बोल दूंगी कि मेरी ऑफिस की एक लड़की यही पर पास में रहती है उसके घर चली जा रही हूँ लेकिन मम्मी से झूठ बोलना ठीक नहीं है, कौन सा मम्मी यहां पर आ रही है देखने के लिए इतनी दूर से, हाँ यही करती हूँ । ऐसे ही सवाल जवाब खुद से करते करते उसने मम्मी को फोन मिलाया ।

“ हेलो मम्मी ।“

“हाँ बेटा, अब आप कैसे हो ? ठीक हो या नहीं ?” मम्मी के शब्दों में चिंता झलक रही है ।

“हाँ मम्मी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ और डॉक्टर ने भी तो नॉर्मल सा वायरल ही बताया है । मैं ठीक हो जाऊंगी आप मेरी बिल्कुल फिक्र मत करो लेकिन मम्मी मैं रुचि आंटी के घर नहीं जाना चाहती, पता नहीं वह कैसे रखेगी, मैं कभी उनके घर नहीं गई, शायद वहाँ पर मेरा मन ही न लगे ?” मानसी ने मम्मी को समझाया।

“हाँ बेटा, तुम सही कह रही हो लेकिन अब जब प्रॉब्लम है और तबीयत खराब है तो यहाँ पर तू परेशान नहीं हो जायेगी ? अकेले क्या करेगी ? पीजी में कोई लड़की भी नहीं है । फिर लॉक डाउन भी लगने वाला है, तू कहीं बाहर भी नहीं जा सकती है । कैसे भी हो तुम रुचि आँटी के घर ही चली जाओ, वहाँ तुम अच्छा महसूस करोगी।“ मम्मी ने एक ही सांस में सब समझा दिया ।

“हाँ मम्मी आज रात 12:00 बजे से लॉकडाउन लगेगा, उससे पहले मैं ऐसा करती हूँ कि मेरे पास में जो एक फ्रेंड रहती है न, मैं उसके घर चली जाती हूँ । वह भी इस समय अपने रूम में अकेली है, उसके साथ में जो दूसरी लड़की थी वह अपने घर चली गई है । तो उसे भी मेरा साथ मिल जायेगा । मैं उसे यहां अपने पीजी में इसलिए नहीं बुला रही हूँ कि फिर मेरे ऊपर उसकी भी रिस्पांसिबिलिटी आ जायेगी, तबीयत खराब होने से मैं सब कुछ सही से मैनेज नहीं कर पाऊँगी । अगर मैं उसके घर चली जाऊंगी ना तो फिर वो मुझे सही से संभाल लेगी । तो फिर मम्मा बोलो, मैं उसके पास चली जाऊं न ?”

“अरे बेटा तू कैसी बातें करती है मैंने क्या इसलिए रुचि आंटी को इतना सर्च मार के फोन मिलाया ? वह तो बहुत अच्छे से तेरी केयर करेंगी, तू अभी बीमार है क्या तुझे कुछ समझ में नहीं आता है ?” मम्मी कुछ झींकते हुए उससे बोली ।

“हाँ मम्मा मुझे सब समझ आता है, लेकिन मैं पहली उनके घर पर जाऊंगी, मुझे उनके घर में अगर अच्छा नहीं लगा तो मैं उनसे कुछ कह भी नहीं पाऊंगी, अपनी फ्रेंड के घर जाऊंगी तो उससे मैं सब कुछ कह सकती हूँ । उसके साथ कोई अहसान भी नहीं होगा सारा खर्च हम दोनों आपस में बांट लेंगे । वो और हम दोनों एक साथ रहेंगे तो उसका भी मन लग जायेगा । यह भी तो सोचो दो प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएंगे, ।“ मानसी ने मम्मी को समझाने की कोशिश की ।

“ ठीक है अगर तू ऐसा सोचती है तो क्या करूं ? अपनी फ्रेंड के घर चली जा । तू खुद ही देख ले, सोच ले जैसा सही लगे वैसा कर ले और रुचि आँटी को अब तुम ही मना कर दो बेटा, मैं नहीं कर पाऊँगी, वैसे अभी परेशानी का समय है तो कैसे भी करके काटना ही पड़ेगा न ।“

“ जी मम्मा, आप मुझे एक बात बिलकुल सच सच बताओ, आप मुझसे नाराज तो नहीं होगी ना ?” मानसी ने पूछा।

“नहीं मैं बिल्कुल नाराज नहीं हूँ वैसे मैं क्यों नाराज होंऊँगी, अगर तू वहां पर सुख से रह रही है या जहां तुझे अच्छा लग रहा है, तुझे पता है मैंने तुझ पर विश्वास करके तुझे इतनी दूर जॉब करने के लिए भेजा है । तू इतना अच्छा जॉब कर रही है सब कुछ सही से संभाल रही है । मैं समझती हूँ कि तू बहुत होशियार है और मुझे विश्वास है कि मेरी बेटी सबसे ज्यादा समझदार है।“ उन्होंने उसको बहुत प्यार से समझाया और बेटा, अपना ख्याल रखना । कहते हुए मम्मी ने फोन रख दिया ।मम्मी की आवाज से ऐसा लग रहा कि वे बहुत परेशान हैं ।

मैं आंटी से क्या कहूँ यार, वे आ जायेगी तो मना करते अच्छा नहीं लगेगा । एक तो वे उसका पी जी ढूंढ़ते ढूंढ़ते परेशान होगी और फिर मैं उनके साथ जाने से मना कर दूँ । मानसी बहुत असमंजस में फंस गई है, उसने बेकार ही कबीर को फोन किया । उसने तो यह सोच कर कबीर से बात की,कि मन थोड़ा हल्का हो जायेगा लेकिन उसे नहीं पता कि वह उसे अपने साथ ले जाने के लिए जिद करने लगेगा, और साथ लेकर ही जायेगा । एक तो तबीयत नहीं सही है और ऊपर से यह टेंशन, शरीर में इतना दर्द हो रहा है, क्या करूं ? चलो कोई बात नहीं, आँटी आ रही है तो आने दो या फिर जो पहले आ जाता है उसके साथ जाना ही पड़ेगा। बाद में सारी चीजों को हैंडल कर लेंगे । लगभग आधा घंटा बीत गया है । वह ब्लैक कॉफी बनाकर पी चुकी है, तभी कबीर आ गया लेकिन अभी तक रूचि आंटी नहीं आई हैं।

हालांकि उसने अपने कपड़े बैग में नहीं रखे हैं, बस कॉफी पीकर आराम से लेटी हुई है कि दरवाजे पर नाँक हुआ, देखा तो कबीर है ।

“अरे कबीर तू इतनी जल्दी आ गया ?”

“ इतनी जल्दी ? जरा घड़ी तो देख पहले, पूरा पौना घंटा हो गया है जब तुझे मैंने कॉल किया, तबसे लेकर अब तक ।”

“हाँ वाकई कबीर तू सच्ची कह रहा है ।“ उसने अपनी नजर घड़ी की तरफ घुमाते हुए कहा ।

“छोडो यह सब और यह बताओ तुमने ऐसे हालात में अपनी तबीयत कैसे खराब कर ली?”

“कुछ नहीं यार, बस थोड़ा बुखार हो गया है, इसलिए ही मैं घर नहीं गयी ।”

“तू तो पागल है जो इतने में घबरा गई । घर चली जाती, कुछ नहीं होता । एयरपोर्ट पर चैक होता भी तो कुछ कुछ करके सही हो जाता। तुझे वायरल ही तो हुआ है । अब यहां अकेले फँस जायेगी, क्या पता कब तक का लॉक डाउन रहेगा और तेरी यह रुचि आँटी कौन है ? तूने कभी पहले इनका जिक्र भी तो नहीं किया?”

“हाँ आज ही मुझे पता चला, मैंने अभी तुझे बताया तो कि यह मम्मी के बचपन की सहेली की छोटी बहन हैं । अभी कुछ दिनों पहले ही यहां पर शिफ्ट हुई हैं । मैं भी तो आज ही मम्मी से पहली बार सुन रही हूँ उनके बारे में कि वे यहाँ रहती हैं।”

“यार होने दे । तेरी मम्मी की बचपन की सहेली हैं या कोई और क्या फर्क पड़ता है। तू ऐसा कर सामान पैक कर और यहाँ से चल मेरे साथ।” कबीर ने बड़े अधिकार के साथ कहा।

“ठीक है, मैं बात कर लेती हूं और रुचि आँटी को आने से मना करती हूँ वे यहाँ आकर खामख्वाह क्यों परेशान हो?” यह कहकर वो फोन मिलाने लगी ।

मानसी ने फोन मिलाया लेकिन फोन बराबर इंगेज जाता रहा और कट गया । फोन के कटते ही उधर से घंटी आने लगी देखा तो रुचि आंटी का ही फोन है। लगता है आंटी शायद इधर आ गई हैं और उसके घर की लोकेशन पूछने के लिए फोन कर रही हैं। यह सोच कर उसने फोन उठा लिया, वाकई उसका आईडिया एकदम सच निकला । रुचि आंटी यही पूछ रही हैं कि मानसी मैं नीचे बिल्डिंग के कंपाउंड में आ गई हूँ, तुम बता दो किधर हो या फिर तुम नीचे आ जाओ वे बड़े प्यार से बात कर रही हैं।

क्रमशः...

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