कंगन - 2 Ashish Bagerwal द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कंगन - 2

पद्मा का मन नहीं लगने के कारण वह कुछ समय के लिए मामा के घर चली गई, जहां उसे पता चला कि वह गर्भवती है। घर के सभी सदस्य खुश हुए वह यह खुशी अपने पति तक भी पहुंचाना चाहती थी, इसलिए उसने एक पत्र लिखा।
पत्र जब पति के पास पहुंचा तो उसने पत्र लिखकर पदमा को वचन दिया कि वह जल्द ही घर आएगा और उसकी इच्छा अनुसार उसे कंगन पहनाकर वापस बच्चे होने तक वहीं रुकेगा। यह बात सुनकर पदमा काफी उत्साहित हुई और उसका बेसब्री से इंतजार करने लगी।
मामा-मामी के घर में उसका मन लग जाता था ,क्योंकि उसके भाई बहन उसका मन बहलाते रहते थे।
धीरे-धीरे पदमा के सब्र का बांध टूटने लगा तथा उसने एक चिट्ठी अपने पति को लिखी तथा उनसे जानने की कोशिश करी की अभी तक वो क्यों नहीं आए?
कई दिनों तक पदमा को चिट्ठी का जवाब नहीं आया, अब तक पदमा एक बेटी की मां बन चुकी थी। एक दिन जब डाकिया आया और उसने चिट्ठी पदमा को दी और उसने काफी उत्साहित होकर चिट्ठी खोली। जब उसने चिट्ठी पड़ी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, चिट्ठी में लिखा था -
पद्मा जी,
यह पत्र भारतीय सेना की तरफ से हैं आपके पति विक्रम सिंह जी बडे ही बहादुर थे, उन्होंने अकेले ही दुश्मनों के दांत खटे कर रखे थे परन्तु एक दिन तूफानी रात में वह और उनके साथ चार जवान जंगल की तरफ गए तथा वापस नहीं लौटे। हम ने जांच करवाई परंतु उनका कोई पता नहीं चला हम अभी भी जांच और कार्रवाई कर रहे हैं। जैसे ही उनका कोई पता चलेगा हम तुरंत आपको सूचना देंगे।
यह पढ़ते ही पद्म बिलक-बिलक कर रोने लगी।
घर के लोगों ने उसे सांत्वना दी, पर सांत्वना से क्या होने वाला था।
कहते हैं ना समय से बढ़कर कोई मरहम नहीं, वही पदमा के साथ हुआ धीरे-धीरे करके 20 बरस बीत गए उसकी बेटी भी बड़ी हो गई तथा उसका भी विवाह कर दिया गया, परंतु अभी तक कोई सूचना उसको प्राप्त नहीं हुई कि उसका पति जीवित हैं या मर चुका। पदमा अभी केवल 40 वर्ष की थी परंतु वक्त की मार से बहुत ही बुजुर्ग दिखाई देती थी, उसने अपने ही दम पर बेटी की परवरिश व शादी करी।
एक दिन पदमा बीमार हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे बताया गया कि उसे टीबी की बीमारी है और वक्त काफी कम है, अपेक्षाकृत लोग यह सुनकर काफी दुखी हो जाते हैं पर पद्म यह सुनकर हंसने लगी। सबको लगा कि पद्म पागल हो गई है लेकिन पदमा ही जानती थी कि वह क्यों हंस रही है।
एक दिन गांव में एक अजनबी शख्स आया, जिसके शरीर पर काफी चोट के निशान थे, उसने खुद को विक्रम सिंह बताया और गांव वालों को यह भी बताया कि अभी तक वह कैसे जिंदा है
विक्रम सिंह - उस रात तूफान बहुत तेज था तो हम जंगल से आ रहे थे तभी हमारा पैर फिसलने के कारण हम गहरी खाई में गिर गए जहां हमें काफी चोट लगी तथा हम कोमा में चले गए। जहां हम और हमारे साथीयो का 20 वर्ष तक आयुर्वेदिक औषधियां से इलाज हुआ।गांव वालों को कोई परेशानी ना हो इसलिए वहां के मुखिया जी ने सेना को कोई सूचना नहीं दी, तथा जब हमें होश आया तब हम यहां आए।
पदमा को जब यह सूचना मिली तो वो खुशी के मारे हंसने लगी, और तभी उसे हार्ट अटैक आया और वह मर गई।
अब उसका पति उसे कंगन रो-रो कर पहना रहा था, और गांव की महिलाएं अपने कंगन इसलिए तोड़ रही थी क्योंकि वह ऐसी प्रथा के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रही थीं।
यह बात सुनकर रिपोर्टर की आंखों में भी आंसू आ गए।