कहानी जिंदगी की माया द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कहानी जिंदगी की

मनु की उम्र कोई 18की रही होगी,जब वो सारी दुनिया मुठ्ठी में कर लेना चाहती थी। सुंदर सूरत और सीरत के साथ दिमाग भी उसने अच्छा खासा पाया था,दादा दादी के दिए हुए संस्कारों से ओत प्रोत मनु इतनी प्यार लगती थी की किसी के भी दिल को भा जाती थी। मनु का सपना प्रोफेसर बनने का था,पढ़ना उसे खूब भाता था। अभी बीए का रिजल्ट आया ही था की अगली ही शाम छोटे चाचा रिश्ता लेकर घर आए,लड़का सरकारी नौकरी में है अच्छा घर है।पिता भी ओहदेदार है। हमारी मनु का रिश्ता मांग रहे हैं।
हमारे समाज में सबसे दुखद ये हे की लड़का अगर सरकारी कर्मचारी है तो मान लीजिए वो सर्वगुण संपन्न है फिर उसके बारे में ज्यादा जानने की आवश्यकता
नहीं होती है। और लड़के के पिता का दहेज मांगने का जन्मसिद्ध अधिकार तो जग जाहिर है। होना भी चाहिए ,आखिर बेटा सरकारी अधिकारी है,मनु को देखने लड़के वाले आए,लड़की सबको पसंद आ गई।लड़के ने भी मनु को देखा और देखते ही हां बोल दिया,बोलता भी क्यों नहीं इतनी प्यारी और सर्वगुण संपन्न लड़की मिल रही है वो भी गाड़ी भर दहेज के साथ और क्या चाहिए था।
मनु ने अपने माता पिता को बोला की वो पढ़ना चाहती है। उसके सपने कुछ और थे परंतु माता पिता ने ये कह कर समझा दिया की लड़का अधिकारी है वो पढ़ाई करने से तुम्हे मना नहीं करेगा। जब मनु ने लड़के से बात की तो लड़के ने अपने अच्छे व्यक्तित्व का परिचय देते हुए कहा कि तुम खूब पढ़ना जॉब भी करना मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।में तुम्हारा हमेशा साथ दूंगा।
मनु ये सब सुन कर बहुत खुश हुई।मन ही मन उसने अपने ईश्वर को धन्यवाद किया।आखिर शादी की रात आ गई मनु बहुत सारे दहेज के साथ विदा हो कर अपने ससुराल आ गई।एक नई जिंदगी में पहला कदम आंचल में खूब सारे सपने संजोए हुए।
शादी को एक ही दिन बीता था की ये क्या,सास दहेज के समान में नुक्स निकाल रही,ससुर शराब की बोतल लिए बैठा था। मनु को सारे घर का काम समझा दिया था,अधिकारी पति,माफ कीजिए इन जनाब का नाम मैंने आपको नही बताया अभी तक, तो मनु के पति का नाम था मनोहर।मनोहर अपने नाम पर खरा उतरता था,बड़े ही मनोहर थे ये शक्ल से मोहल्ले की सारी लड़कियां मोहित थी जनाब पर। जी तो मनोहर कि एक शादीशुदा बहन थी उनके तीन छोटे छोटे बच्चे भी इन्ही के घर में रहते थे।दीदी को बच्चे संभाले में परेशानी आती थी इसीलिए मनोहर की मम्मी ही बच्चे देखती थी।अब वो भी मनु की ही जिमेदारी थी।बड़े बच्चे को स्कूल भेजने से छोटे बच्चे की पोटी धोने तक। मनु समझ चुकी थी की गलत घर में आ गई है। पर अभी एक उम्मीद बाकी थी मनोहर,
अनपढ़ संस्कारहीन लोगों के साथ गाली और तानो के साथ भी उसने रहना कबूल किया,क्योंकि मनोहर ने एक अच्छे व्यक्तित्व का परिचय उसको दिया था। भारतीय नारी अपने पति के प्यार के बदले कुछ भी बर्दास्त कर लेती है ये एक सत्य बात है। पर ये क्या जब भी वो मनोहर के पास होती मनोहर की आंखो में उसके जिस्म की भूख के अलावा और कुछ भी मनु की नजर नहीं आता। बात करना तो शायद अधिकारी साहब को आता ही नहीं था वो तो सिर्फ प्रेक्टिकल वर्क पर ध्यान देते थे। मनु गोरी चिट्ठी दूध सी धुली, अधिकारी के घर में सब काले कलूटे,गाली गलोच करने वाले, मनोहर के हाथ तो मलाई लग गई थी।
मनु समझ चुकी थी , मनोहर ने शादी से पहले जो रूप दिखाया था वो झूठा । असली रूप तो अब उसके सामने आया है। मनु हर पल मर रही थी धीरे धीरे,उसकी भावनाएं उसके सपने सब कही दफन हो गए थे।अब वो सास के घर की नौकरानी थी,माता पिता के घर की इज्जत,( जिसे लोट कर वापस घर आने की इज़ाजत नही थी),पति के लिए कुक और उसके थकान मिटाने का सामान। ठगी गई थी ये बच्ची ,अपने सपनो की गठरी उसने कहीं गढ्ढे में दफन कर दिया था। आज २०साल गुजर चुके हैं शादी को और मनु एक जिंदा लाश बनकर ढोए जा रही है उन लोगों को जिन्होंने उसे सिर्फ धोखा दिया।
क्या होगा मनु का और मनु जैसी और लड़कियो का जो इन झूठे धोखेबाज दोहरे किरदार वाले लोगों के हत्थे चढ़ जाती है। क्या परमात्मा उन्हें कभी माफ करेगा,जिन्होंने ईश्वर के दिए हुए इतने सुंदर जीवन को बिगाड़ने का पाप किया है?