सेक्स: एक शुद्ध ऊर्जा Nirmal Rathod द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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सेक्स: एक शुद्ध ऊर्जा

हमारे तथागतित पंडित पुरोहितों और हमारे समाज ने जिसको ईश्वर का दर्जा दिया है वह माता - पिता के कारण समाज में ब्रह्मचर्यकी नपुंसकता का फैलाव हुआ है, हर मनुष्य का जन्म सेक्स पर आधारित है, और मैं मानता हूं कि सेक्स एक पूजा है , सेक्स एक स्वतंत्रता है और गुलामी से आजादी तक जाता हुआ रास्ता है। में मानता हूं की हर बच्चे को अपने माता-पिता के सामने सेक्स करना चाहिए क्योंकि समाज में ब्रह्मचर्य के सिद्धांत को तोड़ने का एक यही उपाय है। कामवासना कोई पाप तो नहीं अगर पाप होती तो तुम न होते पाप होती तो ऋषि-मुनि न होते पाप होती तो बुद्ध महावीर न होते पाप से बुद्ध और महावीर कैसे पैदा हो सकते हैं? पाप से कृष्ण और कबीर कैसे पैदा हो सकते हैं? और जिससे कृष्ण, बुद्ध और महावीर, नानक और फरीद पैदा होते हों, उसे तुम पाप कहोगे? जरूर देखने में कहीं भुल है। क्या आपको मन में एक विचार आया की कृष्ण कन्हैया के पास 16000 रानी थी तो कृष्ण कन्हैया ब्रह्मचर्य का पालन करते होंगे? हिंदू मानते हैं कि 40 दिनों तक भोजन करने से शरीर में वीर्य का निर्माण होता है , यह सब बच्चो को डरानी की कोशिश है, हमारे शरीर में प्रतिदिन प्रति समय वीर्य का निर्माण होता है, मैं मानता हूं कि पहली तो बात ही है कि ब्रह्मचर्य आता है थोपा नहीं जाता और ब्रह्मचर्य जीवन का निचोड़ है, पहले भीतर से जीना तो शुरू करो ब्रह्मचर्य आ जाएगा। सेक्स ज्ञानपूर्णता और जागरूकता है,स्त्री और सेक्स दोनों ही मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं,कामवासना एक ऊर्जा है आपकी कामवासना शरीर के उपर प्रवाहित होने लगी तो आप ज्ञानी, कौशल्या से भरपूर धन से भरपूर और वही कामवासना नीचे प्रवाहित होने लगी तो सेक्स हो जाएगा सेक्स से एक समाधि तक जाता हुआ रास्ता है। संभोग के किन्हीं किन्हीं क्षण में तुम्हें परमात्मा का अनुभव होता है जब पुरुष को अपने होने का पता न चले, स्त्री को अपने होने का पता ना चले यह रोचक ,आनंदित समय होता है,यह एक बहुत ही रोचक और विवादास्पद विषय है। लोगों के बीच इस विषय पर अलग-अलग मत होते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि सेक्स एक अच्छा माध्यम है जिससे व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है, वहीं दूसरे लोग इसे नकारते हैं और यह मानते हैं कि यह एक ऊर्जा की खपत है, किंतु समाज में हो रहे हैं बलात्कार को मिटाने का एक ही उपाय है पुरुष और स्त्री पास लाव , एक दूसरे से परिचित होने दो, पश्चिम के तट पर निश्चित रूप से स्त्री अर्धनग्न बैठी हुई और वहीं से पुरुष गुजरते हैं तब भी पुरुष स्त्री को दिखता नहीं है क्योंकि पश्चिम में स्त्री और पुरुष एक दूसरे से परिचित है पुरुष और स्त्री ने अपने कामवासना का स्वागत कर दिया था।

स्त्री केवल एक नारी शरीर नहीं है, बल्की उसमे तत्वों का समूह है जिसे औरत कहा जाता है। वह न केवल मानव की सृजनशीलता को प्रतिष्ठित करती है, बल्की उसकी संतुष्टि, सुरक्षा और स्वतंत्रता में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि एक समान वातावरण में स्त्री को सम्मान और प्रेम मिलता है, तो वह पूर्णतः दया और सहानुभूति को प्रकट करती है। सेक्स एक प्राकृतिक क्रिया है जिसमें दो लोगों के बीच मनोबल का संघर्ष होता है। इसमें दो व्यक्ति एक दूसरे के कंपनियन का आनंद लेते हैं, जिससे उन्हें सुख और खुशी की अनुभूति होती है। कई वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि सेक्स करने से व्यक्ति में हारमोंस उत्पन्न होते हैं, इसलिए यह मनोदशा और स्वास्थ्य को भी सुधारता है। यदि इसे सही ढंग से और सही संबंध में किया जाए तो यह विशेष तौर पर प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान कर सकता है।

सेक्स एक पावरफ़ुल ऊर्जा है। यदि एक व्यक्ति नियमित रूप से सेक्स करता है तो उसे ऊर्जा की कमी नहीं होती है और वह स्वस्थ रहता है। यह भी मान्यता है कि सेक्स से व्यक्ति को मानसिक ऊर्जा मिलती है, जिससे उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। विचारशीलों का मानना है कि सेक्स योग्य अभ्यास का हिस्सा है और इसे सही ढंग से करने पर व्यक्ति को मनोबल-संतुलन, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास की ऊर्जा मिलती है। सेक्स में उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा को कुंडलिनी शक्ति कहा जाता है, जिसे जग्रत भी किया जा सकता है। यह कुंडलिनी ऊर्जा विभिन्न तंत्रिक और योगिक पद्धतियों के द्वारा संचालित की जा सकती है और इससे अद्भुत प्रभाव देखा जा सकता है। सेक्स एक माध्यम है जिसके माध्यम से हम अपने संबंधों को विश्लेषण कर सकते हैं और अधिक प्रणवित हो सकते हैं। सेक्स के माध्यम से, हम अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को पहचान सकते हैं। इसके साथ ही, ओशो ने सेक्स को एक ध्यान और मेधावी अनुभव के माध्यम के रूप में बताया है। यह एक मौलिक ज्ञान है, जो हमें अपने वास्तविक स्वरूप को जानने और स्वयं को पूर्णतः अनुभव करने की क्षमता देता है।

हमारा समाज एक नास्तिकता के विचार से भरा हुआ, बहुत ही डरा हुआ और मरा हुआ है, सेक्स एक शुद्ध ऊर्जा है और परमात्मा हर बच्चे को कामवासना से भर के सजा के भेजता है। सेक्स एक क्षण है इस क्षणमे मनुष्य परमात्मा से मिलता है।