मनोज रिक्शावाला Anjana Mondal द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मनोज रिक्शावाला

तपती धुप मे 40 साल का मनोज रिक्शा चलाकर जा रहा था उसके रिक्शे मे 2 यात्री बैठे हुए थे। मनोज पसीने से पूरी तरह से भीग चूका था गले मे पहने हुए गमछे से वो अपना पसीना पोछ रहा था ओर यात्री को अपनी मंजिल की ओर ले जा रहा था। जब यात्री अपने मंजिल पर पहुंच जाते तब रिक्शे का किराया देकर वहाँ से चले जाते थे ।

मनोज इतनी मेहनत इसलिए करता था क्युकी अपनी बेटि की शादी धूमधाम से कराना चाहता था।अभी उनकी बेटि की उम्र 5 साल थी ।मनोज अपनी प्यारी बेटि से बहुत प्यार करता था। जब भी रिक्सा चलाकर घऱ लौटता था तब अपनी प्यारी सी गुड़िया के लिए खिलोने नये कपडे लाकर देता था।

एक साधारण इंसान होकर भी अपनी बेटि को राजकुमारी जैसा रखता था।मनोज हर रोज रिक्शा चलाने जाता था कभी कमाई ज्यादा होती थी कभी ना के बराबर होती थी। तपती धुप मे रिक्शा चलाना आसान बात नहीं था।गर्मी से हालत ख़राब होने लगती है इतना मेहनत एक ईमानदार ओर जिददी इंसान ही कर सकता है।

एकदिन की बात है मनोज रिक्शा चलाता हुआ अपने यात्री को धुंड रहा था हलकी हलकी बारिश भी हो रही थी
तभी सामने से 60 साल का एक आदमी रिक्शा मे चढ़ता है ओर अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ता है उनके हाथों मे काले रंग का एक बेग भी था।

वो आदमी थोड़ा परेशान भी दिख रहा था तभी मनोज उस आदमी से पूछता है साहब आपको कहाँ जाना है वो आदमी बातो को अनसुना कर देता है जैसे लग रहा था कोई बात उस इंसान को परेशान कर रहा हो। मनोज फिरसे वही सवाल दोहराता है साहब आपको कहाँ जाना है। वो आदमी थोड़ा घबड़ाया ओर बोला घऱ लेकर चलो मुझे ।। वो आदमी चुपचाप रिक्शे मे बैठ हुआ था ओर चिंता मे डूबा हुआ था।मनोज रिक्शे को खींचते हुए अपनी मंजिल की तरफ लेकर जाता है।

जब उस आदमी का घऱ आता है तब जल्दबाजी से रिक्से से उतरता है ओर पैसे देकर घऱ के अंदर चला जाता है। मनोज जब अपने रिक्शे की तरफ मुड़ता है तो देखता है उस इंसान ने अपना काले रंग का बेग रिक्से मे भूल गया था।।मनोज उस बेग को उठाता है ओर उस आदमी को देने के लिए जब दरवाजे के पास पहुँचता है तो उनके कदम अपने आप रुक जाते है क्युकी अंदर से जो आवाजे आ रही थी उसे सुनकर मनोज को यकीन नहीं हो रहा था मनोज खड़ा होकर उनकी बाते सुनने लगता है वो आदमी अपनी पत्नी से केह रहा था हमारी बेटि के शादी के लिए अभी तक पैसे जमा नहीं हुए है। बैंक मे भी पैसे नहीं है। अभी हमारी बेटि की शादी कैसे कराएँगे।

बाराती को क्या खिलाएंगे अगर पेसो की वजह से हमारी प्यारी बेटि की शादी ना कर पाए तो समाज मे हमारी बहुत बदनामी होगी।। तभी उस आदमी की पत्नी रोते हुए केहती है आप चिंता मत करिये भगवान सब कुछ ठीक कर देंगे अगर हमारे बेटि की किस्मत मे खुशियाँ लिखी है तो भगवान हमारी मदद करेंगे।

मनोज उन दोनों की बाते बाहर से सुन रहा था तभी मनोज दरवाजे की घंटी बजाकर बेग को बाहर मे रखकर चला जाता है। जब वो आदमी दरवाजा खोलता है ओर बाहर देखता है मनोज वहाँ से चला गया था।।

मनोज रिक्शा चलाता हुआ जा रहा था ओर उस आदमी की बातो को याद कर रहा था एक लड़की के पिता कितना मजबूर होता है अपनी बेटि के शादी के लिए अगर पैसे ना हो तो कितने मुश्किल हालातो का सामना करना पड़ता है।।मनोज घऱ जाता है ओर अपनी बेटि को प्यार से गले लगाता है ओर सोचता है मुझे उस आदमी की मदद करनी चाहिए क्युकी मे भी एक बेटि की पिता हूँ एक बेटि के शादी के वक़्त एक पिता कितना संघर्ष करता है समाज तो अच्छे खाने की तारीफ़ करेंगे पर एक पिता अपनी जिंदगी की पूरी कमाई अपनी बेटि के शादी मे खर्च कर देता है वो कोई नहीं देखता है। ससुराल वाले दुल्हन के साथ साथ सोना चांदी दहेज़ भी साथ लेकर जाएंगे ससुराल वालों की मांग पूरी करने के लिए एक पिता अपना ज़मीन जायदाद गिरवी रखकर ससुराल वालों की मांग पूरी करता है ये कोई नहीं देखता है।।

मनोज फैसला करता है रिक्सा चलाकर जितने पैसे मिलेंगे वो पैसा उस आदमी को दे आएगा।। मनोज दिन रात मेहनत करके रिक्शा चलाता है ओर जितने भी पैसे मिलते है वो जमा करने लगता है थोड़ी ही दिनों मे मनोज के पास 30 हज़ार रूपये जमा हो जाते है सब पैसा एक काले बेग मे डालकर उस आदमी से मिलने जाता है।

मनोज जब उस आदमी के घऱ के सामने पहुँचता है तब सोचता है क्या वो आदमी मेरे पैसे लेंगे ये सोचते हुए मनोज दरवाजे की घंटी बजाता है दरवाजे के अंदर से वो आदमी निकलता है उस आदमी की आँखों मे निराशा थी मनोज पेसो से भरा हुआ बेग उस आदमी को देते हुए बोलता है ये पैसे आपके लिए लाया हूँ उस दिन जब आप मेरे रिक्से मे सवारी किये थे तब आपका बेग मेरे रिक्से मे रह गया था उस बेग को लौटाने जब आपके घऱ के सामने पंहुचा तब मेने आपकी बाते सुन ली थी आपकी बेटि की शादी के लिए आपको पेसो की जरुरत थी।।

वो आदमी हैरानी से मनोज की तरफ देखते हुए सोचता है एक साधारण रिक्सा वाला होकर भी कितना बड़ा दिल है इसका मेने अपने तकलीफ के बारे मे इसे कुछ भी नहीं बताया फिर भी इसने मेरी मदद करने के बारे मे सोचा ओर मेरे लिए पैसे लेकर आया है आजकल जरुरत के समय अपने भी पराये बन जाते है ओर ये एक पराया होकर भी अपनापन निभाया है।वो आदमी रोते हुए मनोज को गले से लगा लेते है ओर केहते है तुम सचमे भगवान हो मेने तुम्हे अपने हालात के बारे मे कुछ नहीं बताया फिर भी तुम मेरी मदद करने के लिए इतनी मेहनत करके पैसा इकठ्ठा किया सचमे तुम बड़े दिलवाले हो।।

मनोज उस आदमी से केहता है लोगो की मदद करना ये मेरा फर्ज़ है आप एक बेटि के पिता है शादी के वक़्त एक पिता को कितनी मुश्किल हालातो को सामना करना पड़ता है अगर मेने आपकी थोड़ी मदद कर दी तो मे खुदको बहुत भाग्यशाली मानूंगा मेरा मनुष्य जीवन सार्थक हो जाएगा।

मनोज की बाते सुनकर वो आदमी मनोज को गले से लगा लेता है ओर केहते है सचमे तुम एक ईमानदार इंसान हो तुम कोई साधारण इंसान नहीं हो तुम्हारी सोच ओर तुम्हारे कर्म तुम्हे महान बनाता है।जब तुम मेरी बेटि के शादी मे आने का वादा करोगे मे ये पैसे तभी लूंगा।।

मनोज केहता है ठीक है साहब मे आपके बेटि की शादी मे शामिल होने के लिए तैयार हूँ अभी मे चलता हूँ मेरी बेटि घऱ पे मेरा इंतजार कर रही होगी।

मनोज रिक्सा चलाता हुआ घऱ जा रहा था आज उसके चेहरे पर अलग चमक थी। मनोज जब घऱ पहुँचता है तो अपनी बेटि से केहता है आज तुम्हारे पिता ने एक बहुत बड़ा काम क्या है। एक दुखी पिता की मदद करके आज मेने पुण्य कमाया है।

कुछ दिन बाद उस आदमी की बेटि की शादी धूमधाम से हो रही थी। मनोज एक गरीब आदमी था उसके पास पहनने के लिए अच्छे कपडे नहीं थे मनोज एक पुराना शर्ट पहनता है ओर गले मे गमछा डालकर शादी मे जाता है। शादी मे बहुत मेहमान आए हुए थे।

मनोज शादी मे मेहमान के बिच जाकर बैठता है इतने लोगो के बिच बैठकर उसे कुछ अजीब भी लगता है मनोज की नजर उस आदमी को ढूंढ़ती है तभी वो आदमी आता है ओर मनोज को अपने साथ ले जाता है ओर अपनी बेटि से मिलवाता है बेटि इन्हे प्रणाम करो आज इनकी वजह से तुम्हारी शादी धूमधाम से हो रही है अगर सही वक़्त पर इन्होने मेरी मदद ना की होती तो शायद ये घऱ गिरवी रखना पड़ता।

दुल्हन मनोज को प्रणाम करती है मनोज केहता है बेटि मे इस लायक़ नहीं हूँ तुम्हे आशीर्वाद दे सकूँ फिर भी इस गरीब की तरफ से मे तुम्हे एक रामायण की किताब देता हूँ इसे संभालके रखना बेटि। तभी पंडितजी दुल्हन को मंडप मे बुलाते है मनोज वहाँ से जाने लगता है तभी वो आदमी केहता है कहाँ जा रहे हो मनोज मेरी बेटि की शादी नहीं देखोगे क्या।।

मनोज केहता है मे एक साधारण इंसान मे कैसे ओर ज्यादा यहाँ रुक सकता हूँ तब वो आदमी मनोज को गले से लगाकर केहता है किसने कहाँ तुम एक साधारण आदमी हो इस महफ़िल मे जितने भी लोग आए हुए है तुम सबसे ख़ास हो।तभी पंडितजी कन्यादान के लिए लड़की के पिता को बुलाते है।

वो आदमी मनोज को अपने साथ मंडप लेकर जाता है ओर केहता है मेरी बेटि का कन्यादान मनोज करेगा।।मनोज चौक जाता है ओर केहता है साहब आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हो मे कैसे कन्यादान कर सकता हूँ मे एक गरीब रिक्शावाला हूँ ओर कन्यादान करने का अधिकार एक लड़की के पिता का होता है।।

तभी वो आदमी केहता है तुम एक साधारण रिक्शावाला नहीं हो तुमने जिस दिन मेरी मदद की थी तब मेने सोच लिया था मेरी बेटि का कन्यादान तुम्हारे हाथों हो तुम अगर मेरी बेटि का कन्यादान करोगे तो मेरी बेटि का जीवन धन्य हो जाएगा।।मनोज रोने लगता है अपने गमछे से आंसू पोछते हुए कन्यादान करता है।।

शादी धूमधाम से संपन्न हो जाती है बेटि के बिदा के वक़्त दुल्हन मनोज का पेड़ छूकर आशीर्वाद लेती है। मनोज दूल्हा ओर दुल्हन को आशीर्वाद देता है ओर केहता है सदा ख़ुश रहो।उसके बाद दुल्हन बिदा होकर अपने ससुराल चली जाती है।।

मनोज उस आदमी से केहता है साहब एक साधारण रिक्सेवाले को आज आपने इतना सन्मान दिया है मे इसके लायक़ नहीं था।। तभी वो आदमी मनोज से केहते है जिस इंसान का दिल बड़ा होता है वो इंसान सन्मान के लायक़ होता है मे अपने आपको बहुत खुसनसीब समझता हूँ आज एक महान इंसान की हाथों से मेरी बेटि का कन्यादान हुआ है। इंसान को हमेसा दुसरो की देने की भावना मन मे होने चाहिए समाज मे ऐसे लोग बहुत कम है जो दूसरे से लेने की नहीं देने की सोच रखते है।।

( भगवान ने हमें इतनी खूबसूरत जिंदगी दी है इस खूबसूरत जिंदगी को सार्थक बनाने के लिए हमेशा लोगो की मदद करनी चाहिए। जिनका दिल बड़ा होता है ऐसे लोग मरने के बाद भी हमेशा लोगो के दिलो मे जिन्दा रेहते है। दयालु बनिए ओर लोगो की मदद कीजिये धन्यवाद )

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