रूही रूही क्या कर रही हो तुम?
हा अम्मी आई यही हु छत पे कपड़े सुखा रही हु अम्मी
अम्मी: नीचे आ देख तेरी बुआ आई हे.
( बूआ का नाम सुनते ही रुही के खिलखिलाते खूबसूरत चेहरे पर से मुस्कान जैसे गायब हो जाती हे)
वह मायूस सा चहरा लेकर नीचे आई
उसकी मायूसी देखकर बूआ बोली
देख में तेरे लिए क्या लाई हु कितनी बढ़िया ड्रेस हे ना ये!
मुझे देखते ही पसंद आ गई तो सोचा अपनी होने वाली बहु के लिए ले जाऊ
(उसकी बाते सुनकर रूही ने कुछ नाराज़गी से कहा)
तो फिर आप इस ड्रेस को संभाल कर रखे अपनी होने वाली बहु के लिए क्योंकि मै तो आपकी बहू बनने से रही. मेने आपको कितनी बार कहा हे की मे किसी और से प्यार करती हु फिरभी आप जबरदस्ती मेरी सादी आपके बेटे के साथ क्यों करना चाहती है?
बूआ: बदतमीज़ लड़की तेरा रिश्ता बचपन मे ही मेरे बेटे के साथ
जोड दीया था
रूही: मां आप बुआ को समझाए ना में ये सादी नहीं करना चाहती.
तभी रूही के पिताजी आ जाते हे रूही के गाल पर तमाचा जड़ देते है
वह रूही से कहते हे ये सादी तो होकर रहेगी
रूही रोते हुए: पापा समीर मे क्या बुराई हे? हमारी बिरादर का हे, अच्छा कमाता हे, अच्छा घर और गाड़ी हे, उसके मां बाप भी इतने भले हे इससे अच्छा और क्या चाहिए एक पिता को अपनी बेटी के लिए. वैसे भी बुआ का लड़का तो कमाता भी नही हे. ना ही उसके पास खुदका घर तो फिर...
( उसके बाद रूही कुछ बोले उससे पहले उसके पिताजी ने उसे दूसरा तमाचा जड़ दिया)
रूही के पिता: भले वह जाकर तुम्हे दूसरे के घर के बर्तन मांजने पड़े लेकिन तुम्हारी सादी वही होगी क्योंकि मेने अपनी बहन को वचन दिया था की मे तुम्हारी सादी उसके बेटे से कराउगा.
रूही: आपके लिए आपका वचन बडा या बेटी कि खुसिया?
रूही के पिता: मेरा वचन
( यह कहकर रूही के पिता वहा से चले जाते हे और रूही रोती रह जाती हे)
बूआ मुस्कुराते हुए कहती हे उस समीर से कई ज्यादा तुमसे मेरा बेटा प्यार करता हे वह तुम्हे बहुत खुश रखेगा अब मन भी जाओ. वैसे भी तुम मानो या ना मानो यह सादी तो होकर ही रहेगी.
(यह कहते हुए बुआ भी वह से चली जाती हे. रूही अपनी मा के गले लगकर रोने लगती हे)
रूही की मां: बेटी अब समीर को भूल जाने मे ही तेरी भलाई है. ये रिश्ता अपने मन से अपनाले. वरना तू खुश नही रह पाएगी.
(6 महीने बाद)
(पूरा घर जगमगा रहा हे. बेंदबाजा की आवाज से पूरा महोल्ला गुंज रहा हे. रूही अपने कमरे में दुल्हन के जोडे में उदास होकर बैठी हे)
तभी खिड़की खटखटाने की आवाज आई ओर रूही का ध्यान खिड़की पर गया. वह खिड़की खोलती हे तो सामने समीर खडा था. उसे देखकर रूही खुश तो होती हे पर तुरंत बाद ही उसके चहरे पर घबराहट दिखाई देती हे.
रूही: तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम यह से वापस चले जाओ कोई देख लेगा तो जिंदा नहीं छोड़ेगे तुम्हे, प्लीज समीर यहां से वापस जाओ.
समीर: में तुम्हे लेने आया हु चलो मेरे साथ हम कही दूर चले जायेंगे.
रूही: तुम जानते नही हो मेरे पापा को वो मार डालेंगे तुम्हे यहासे जाओ तुम.
समीर: रूही तुम चलो मेरे साथ मेने सब इंतेजाम कर लिया हे हमे यहा से...
(आगे कुछ बोले उससे पहले दरवाजा खटखटाने की आवाज आती हे. समीर खिड़की से बाहर चला जाता हे. रूही दरवाजा खोलती हेे. सामने उसके पिताजी खड़े थे)
रूही: पापा आप
रुही के पिता: बेटी में तुमसे कहना चाहता था कि
( हिचकिचाते हुए)
रूही: बोलिए न पापा क्या कहना चाहते है?
पिताजी: बेटी मेरा वचन जिंदगीभर निभाना. ओर अपने पापा से नफरत मत करना.
रुही: मुझे पता हे पापा की आप मुझसे बहुत प्यार करते हे में आपसे कभीभी नफरत नही कर सकती.( रूही अपने पिताजी के गले लग जाती हे ऑर रोने लगती हे)
पिताजी: अब चलो नीचे सादी का मुहुर्त हो गया है
रूही अपने पिताजी का हाथ पकड़कर मंडप में आती हे
विवाह की सभी रसम समाप्त होती हे.
वैवाहिक जोडा सभी बडो के आशीर्वाद ले रहा हे. तभी अचानक से रुही नीचे गिर जाती हे.
सभी को लगा सायद सादी की थकावट से रूही बेहोश हुई लेकिन रुही के हाथ में से कुछ गिरा जो उसके पिताजी उठाते हे.
वह एक जहर की छोटी बोतल थी ओर एक चिठ्ठी थी जिसमे लिखा था
पापा मेने जिंदगीभर आपका वचन निभाया