काला आदमी Ramesh Desai द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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काला आदमी

" मुझे तौलिया दे दो, प्लीझ! "

रीना ने अपने नौकर को आवाज देकर आदेश दिया.

उसी वक़्त जोनास कमरे के भीतर दाखिल हुआ.

सौतेली मा की आवाज उस के कानो से टकराई.

बाथरूम का दरवाजा अध खुल्ला था. उस में से एक हाथ दिखाई रहा था.

जोनास ने अपनी मा के हाथों में तौलिया थमा दिया.

कुछ देर बाद वह तौलिया भर बाथरूम से बाहर आई.

ड्रेसिंग टेबल के पास खड़ी रहकर दूसरे तौलिये से अपना बदन पोछती रीना ने अपने सौतेले बेटे को कहां :

" इस तरह मुझे मत देखो. तुम्हारा बाप वह देख नहीं पायेगा.. "

" उन्हें कभी पता नहीं लगेगा! " जोनास ने ठंडे कलेज़े उत्तर दिया.

कुछ पल बाद रीना ने खुद गुजारिश की :

" जोनास! मेरे हाथ नहीं पहुंच रहे हैं. जरा मेरी पीठ और कमर को पोंछ दो. "

मा बेटे का वार्तालाप सुनकर राजु चकित हो गया.

जोनास ने उस की युवा मा को आगोश में लेकर उस के होंठ चूम लिये इतना ही नहीं उस के अछूत अंगो के साथ छेड खानी पर उतर आया.

राजु आगे पढ़ नहीं पाया.

उस की आंखो के सामने एक दृश्य उभर आया

वह राजु आज की तरह पोर्न फिल्मे देखने का आदि था.

' Blow Hot Blow Cold ' विदेशी फ़िल्म के बारे में उस ने काफ़ी कुछ सुना था. उस की लंबाई उम्र के हिसाब के कुछ ज्यादा थी. Is लिये उसे यह फ़िल्म देखने का मौका मिला था. फ़िल्म 18 साल के ऊपर के लोगों के लिए थी लेकिन उस के लिये कोई समस्या नहीं थी.

नायिका का अर्ध नग्न शरीर देखकर वह बहक सा गया था.

गर्मी के दिन थे. रात को भी गर्मी तेज थी. सिर के ऊपर पंखा चल रहा था जिस का कोई गर्मी पर प्रभाव नहीं था.

राजु सो नहीं पा रहा था. बगल में पिता जी सोये हुए थे. और उन की पड़ोश में मेरी सौतेली मा सोइ हुई थी.. तीव्र गर्मी की वह ब्लाउज निकाल कर सोइ हुई थी. ब्रा के भीतर से उस के यौवन कबूतर बाहर निकलने के लिये फ़फ़ड रहे थे.

यह देखकर राजु अपने होंश हवास खो बैठा. वह मा को लिपट गया. उस को चुंबन किया. उस के ऐसे बर्ताव से मा भड़क गई. उस ने बेटे को ' काला आदमी ' शब्द से पुरस्कृत किया.

उस के बाद राजु को अपने किये पा काफ़ी पछतावा हुआ था. ' काला आदमी ' शब्द उस के जहम को कीड़ा बनकर चुभ रहा था.

उपन्यास के इन किरदारों ने राजु के जख्मो को कुरेद दिया.. और उस की आंखो में गंगा जमना छलक रही थी.

कितने साल बीत गये थे. राजु बड़ा होता गया. और वह सब कुछ समजने के लिये परिपकव हो गया. फिर भी लोग उसे 15 साल के राजु की तरह पहचानते थे. खुद उस के दोस्त ने भी उसे ' काला आदमी ' की बिरादरी में बिठा दिया था.

" वाह.. गुरु फोगट में राधा के देह की ज्याफत करने का अच्छा रास्ता निकाला हैं!! "

उस की बात सुनकर राजु हचमचा गया था.

उस की मा तो उस से भी आगे बढ़ गई थी.

" साफ साफ क्यों नहीं बोलता. तुम राधा को अपनी रखैल बनाना चाहते हो!! "

मा की ऐसी बेबुनियादी बात सुनकर राजु चीख उठा.

" नहीं! नहीं!! राधा मेरी बहन हैं. मा की कोख से जन्म नहीं लिया तो क्या हो गया. भले हम लोगों के बीच खूनका रिश्ता नहीं हैं. लेकिन हमारे बीच भाई बहन का रिश्ता हैं. उसे अपने पिता के अमानुषी व्यवहार से बचाने के लिये ही
घर में लाना चाहता हूं. "

" जो बेटा अपनी मा के साथ बदसलूक कर सकता हैं वह एक पराई लड़की की क्या रक्षा करेगा? "

यह सुनकर राजु का गुस्सा बेकाबू हो गया.

उस ने मा को कसकर तमाचा रसिद कर दिया.

मा ने उस का एक अलग रूप का प्रदर्शन किया.. और ' काला आदमी... काला आदमी चिल्लाती हुई अपने कमरे में दौड़ गई.

उस ने राय का पहाड़ बना दिया था. और राधा घर से बाहर निकल गई थी.

अतीत की यादें पुन : जाग पड़ी.

अच्छे नसीब से राजु को पालघर में बदली हुई.

जिंदगी में पहली बार माता पिता से दूर होने का मौका मिला तो वह खुश हो गया. माता पिता का घर उसे कैद सा लग रहा था.

पालघर जाते समय रास्ते में राजु ने उस की बीवी विभा को 15 साल के राजु की हरकत के बारे में अवगत करा दिया. विभा मानस शास्त्र की स्टूडेंट थी. उस ने राजु को समजाया था.

" शायद यह विदेशी फ़िल्म देखने का नतीजा था. लेकिन हकीकत में आप मा के प्यार को तरस रहे थे.. कौन सा बच्चा यह नहीं चाहता की मा उसे गले लगाये,, प्यार की बौछार करें. "

" आप तो सेक्स से बिल्कुल अज्ञात थे. आप के व्यवहार को इस बिना पर आप की मा आप को माफ कर सकती थी. लेकिन उन्होंने उल्टा रस्ता अपनाकर आप को गुन्हेगार की बिरादरी में रख दिया. "

विभा की सोच पर राजु आफरीन हो गया. उस ने अपनी बीवी की सोच को लेकर उस की तारीफ की. उस के सहवास में ' काला आदमी ' शब्द उस के जहम से हट गया.

कुछ ही दिनों में मा बाप भी साथ रहने पालघर आ गये

उन की पड़ोश में राधा नाम की लड़की रहती थी. उस की सादाई राजु को छू गई थी.

दोनो के बीच आत्मीयता बन गई. राजु ने राधा को अपनी बहन का दरज्जा दिया था.

' राधा '

याद आते ही राजु चीख उठा.

उस की मा गंगा बाई ने उसे अच्छी तरह से पाला पोषा था. उस को सब कुछ देने का प्रयास किया था.

पिता शंकर लाल जुआरी एवं अदके शराबी थे.

कीचड़ में कंवल खिलते हैं.

राजु यह बात जानता था.

राधा के घर में काफ़ी गंदगी थी.

वह फूल की तरह खिलती जा रही थी.

शंकर लाल की नियत ख़राब थी. वह अपनी ही बेटी पर अत्याचार करने से वाज नहीं आता था.

राजु उस को अपने पिता की नियत से बचाना चाहता था.

लेकिन वह लाचार था, मजबूर था!!

बाप के घर में ही बेटी असलामत थी. यह देखकर राजु का दिल जल रहा था. वह बेहद संवेदनशील था. वह किसी का दुःख देख नहीं पा रहा था.

उस ने राधा को समझाने के अथाग प्रयास किये. उस के पिता को भी समजाने का प्रयास किया. लेकिन शंकर लाल भूखे शेर जैसे थे. उस पर किसी की बात का कोई असर नहीं होता था.

राजु ने अपनी आंखो से अपनी मा को उन की बाहों में देखा था. वह यह बात झेल नहीं पाया था.

उस को ' काला आदमी ' कहने वाली मा कितनी हद तक गिर गई थी.

राजु उस की मा के अवैध रिश्तों से अवगत था. यह बात मा जानती थी.

चोर कोतवाल को दंडने वाली बात थी. उस ने गंगा बाई के कानो में राजु के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

पहले पहल तो गंगा बाई को 15 साल के राजु की बातों पर विश्वास आया था.

लेकिन एक मा भला बेटे के बारे में झूठ क्यों बोलेगी?

इस सवाल ने गंगा बाई का दिमाग़ फिरा दिया.

और वह राजु की मा की गोद में बैठ गई.

राजु को अविश्वास की नजरो से देखने लग गई..

उन का बदला हुआ रवईया देखकर राजु का दिल टूट सा गया.

भाई बहन के पवित्र रिश्ते पर कीचड़ उछालने वाले समाज के प्रति राजु काफ़ी नाराज था.

पिता के संकर्जे से भागने वाली राधा को देखकर उस का अतीत जिवंत हो गया. उस के फ़टे हुए वस्त्रो से दिखाई दे रहे यौवन कुंभ को देखकर पलभर चलित हो गया. लेकिन राधा के प्रति के लगाव को उस के भीतरी दुश्मन को मार भगाया. भाई के प्यार की जीत हुई. वह फिर से जेंटल मैन बन गया..

" राजु भाई! क्या करू? माली खूद ही बाग को उजाड़ने पर तुला हो तो क्या करू. मेरा जीना हराम हो गया हैं. "

" राधा! तुम हिमत रखो. सब कुछ ठीक हो जायेगा. हताश होने से कुछ नहीं होगा. "

" शैतान के घर में इज्जत की रखवाली कैसे करू? "

राधा ने उस की बीवी की मौजूदगी में ही अपना दुखड़ा रोया था. यह सुनकर उसे भी ताजुब के साथ दुःख हुआ था.

" क्या एक बाप बेटी के साथ ऐसा कर सकता हैं? "

" विभा! ऐसे मुआमले में कोई क्या कर सकता हैं? मैं राधा की यह हालत झेल नही सकता. उस के प्रति के प्यार और लगाव मानो पिछले जन्म की देन हैं. मुझे बार बार एक ही ख्याल आता हैं. उसे अपने घरमे ही सहारा दे दू. "

" आप की सोच सही हैं. बेचारी को सहारा मिल जायेगा. लेकिन तुम्हारे मात पिता इस बात के लिये कभी तैयार नहीं होंगे. "

मा की मौजूदगी में ही राजु ने यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया था.

सुनकर मा ने आसमान सर पर उठा लिया था.

" साफ क्यों नहीं बोलता! तु राधा को रखैल बनाकर घर में लाना चाहता हैं. "

उस की निजी दोस्त सुंदर ने भी कैसा मतलब निकाला था!

विभा की अनुपस्थिति में राजु ने दूसरी लड़की से संबंध जोड़ने की केवल बात कहीं थी.

लेकिन उस बात को लेकर उस ने कैसा सोच लिया था.

" फोगट में राधा से मौज करने का अच्छा रास्ता ढूंढ लिया हैं. "

मात पिता की इच्छा के खिलाफ राजु राधा को अपने घर ले आया था.

मा उसे मानसिक रूप से टोर्चर करने से वाज नहीं आती थी.

सुंदर ने राधा को अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास किया था जो विफल साबित हुआ था.

लेकिन वह राधा के कान भरने पर सफल हुआ था.

और राधा घर छोड़कर चली गई थी.

उस के जाने से राजु बिल्कुल टूट सा गया.

अपने भीतर के ' काले आदमी ' ने राधा को मुझ से छिन लिया.

और एक दिन तालाब के किनारे उस की सड़ी हुई लाश बरामद हुई.

वह देखकर राजु हतोत्साह हो गया.

उस के मौत में सारी दुनिया की गंदगी समा गई थी.

दूसरे दिन अखबारों की लाइन चमक उठी थी.

समाज सेवक का चोला पहनकर सुंदर ने राधा की इज्जत लुंट कर मौत के घाट उतार दी थी.

समाचार सुनकर राजु बावला सा बन गया था. उस ने भीगी हुई आंखे पोंछकर रेडियो ओन किया.

" रोना कभी नहीं रोना
चाहे टूट जाये कोई खिलौना "

सचमुच राजु का दिल टूट गया था. विभा के दिल को भी चोट आई थी.

राधा उस के दाँपत्य जीवन को अकबंध रखकर दूसरी दुनिया में चली गई थी.

सचमुच दोनो का प्यारा खिलौना टूट गया था.

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