आखरी सङक (गोफ-ए-साया) DINESH SUTHAR द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आखरी सङक (गोफ-ए-साया)

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चल्तलिकेजातन

नया हॉरर उपन्यास

:आख्विउी
सड़क

परशुराम शर्मा

/ ५५५४६ सा ि (

कुछ अनकही, कुछ अनसुनी

बड़ी मुद्दत के बाद किसी नये उपन्यास की शुरुआत कर रहा हूँ। कोरे कागज का कत्ल के बाद यह सिलसिला
कुछ थम सा गया था, जैसे कोई स्पीड ब्रेकर सामने आ गया हो और गाड़ी वहीं अटक गयी हो। 75 वर्ष की आयु
है, कभी भी पूरा ब्रेक लग सकता है। पर यकीन जानिये, अब कुछ ऐसा जुनून सवार हुआ है कि जब तक साँस
चलेगी, मेरी कलम चलेगी। मैं जानता हूँ, सूर्य अस्त होता है तो फिर उगता है और उसे एक नयी सुबह कहा जाता
है। जानता था, पर अहसास अब हुआ है। मैं अस्तांचल में चला गया था। अब उदयांचल का नया सवेरा है और
ऊर्जा का भंडार तो रहा है। पर यह ऊर्जा मैं विभिन्‍न कोणों से विभिन्‍न लोगों के मुख से अपनी महिमा बखान करने
में नष्ट नहीं करूँगा।

कुछ लोग ऐसा करते हैं, अपने खिड़की के झरोखे से खुद को महिमा मंडित करके हवा छोड़ते हैं। वे समझते
हैं कि वह ऑक्सीजन है ,पर मेरी नजर में वह कार्बन डाइऑक्साइड है। एक महान लेखक तो तमाम उम्र मेरे पीछे
हाथ घोकर पड़े रहें। पता नहीं उन्हें क्या खुजली या फोबिया था, जो ढके-छुपे शब्दों से मुझ पर हमले करते रहे।
बेशक मेरा नाम नहीं लिखते थे। मुझ पर हमले करना उन्हें अच्छा लगता था। ऐसा हमला तभी होता है जब कोई
किसी से डरता है। बहरहाल, न तो मैं तुरेंबाज हूँ, न हमले बाज। पर बाज जरुर हूँ। ऊँची उड़ाने मरना मेरी आदत
में शुमार है। हारता भी हूँ तो भी हार नहीं मानता। क्योंकि हर हार एक अनुभव लेकर आती है और पता चल जाता
है कि कहाँ चूक हुई।

अब मैं आखिरी सड़क पर हूँ। इसका अर्थ यह न निकाले कि उप्र की आखिरी सड़क है। नहीं जनाब, यह तो एक
नयी सुबह की सड़क है। अलबत्ता इस नॉवेल का शीर्षक 'आखिरी सड़क' है। इसके शीर्षक से ही अंदाजा होता है
कि यह मेरा कोई नया हॉरर नम्बर है। पर मैं इसे हॉरर नम्बर नहीं, अपने जोशीले दिमाग का बम्पर नम्बर कहूँगा। मैंने
अपने साठ वर्ष की लेखकीय जीवन में बहुत कुछ लिखा। शायद ही ऐसा कोई विषय हो जो मुझसे छूट गया हो।
इसलिये मुझे रात-दिन अपने सब कॉन्शियस माइंड यानी अवचेतन मन के भंडार को खंगालना पड़ा। उसी से पूछा,
क्या शेष रह गया बाबू ? उसका जवाब था आखिरी सड़क तो अभी बाकी है। अब मंधन शुरू हो गया। मैं छोटी-
मोटी पगडंडियों पर चलता उस आखिरी सड़क की तलाश में निकल पड़ा। अब वह आखिरी सड़क आपके हाथों में
है। वैसे भी मैं पैदल मार्च करने वाला लेखक हूँ। एक-एक कदम बढ़ूंगा। मेरे हर कदम के साथ आप भी बढ़ेंगे। मैं
चलूँगा तो आप चलेंगे, मैं रुकूंगा तो आप रुकेंगे। अन्यथा मेरा लिखना बेकार सांवरे। प्रभु का आशीर्वाद लेते हुए
अब यह राही उस सड़क पर चलने के लिये तैयार है, जहाँ दहशत है, वहशत है, नफरत है, प्यार है। आग है, पानी
है। पतनाला है, सागर है। तूफान है, सन्नाटा है। रोशनी है, अंधेरा है और मेरे अल्फाज की चाशनी है।

उपन्यास के बारे में कुछ भी नहीं बताऊँगा। वह तो आपके हाथ में है। मुझे क्या बताना ? बतायेंगे तो आप
ही बतायेंगे। और भाई लोगों, बताना जरूर कि यह अदना सा अदीब कुछ फितना कर गुजरा है या ऐंवे ही कलम
घिसकर औंधा हो गया है। लेखक अमित खान का शुक्रिया अदा जरूर करूंगा, जिन्होंने बड़े प्रेशर के साथ मेरी सीटी
बजा दी। यह कहकर कि ऐसा लिखिए जैसा पहले कभी न लिखा हो। अब जब एक लेखक ने ही मेरी सीटी बजा
दी, तो जवाब में हॉर्न बजाना मेरे लिये लाजमी है। कोशिश की है, बाकी आप बतायेंगे।

-परशुराम शर्मा

:आख्विउी
सड़क

पीपल की छैया रे
बाबुल की गलियाँ रे
छोड़के जाणा एक दिन
लौटके आणा ना

पीपल का एक विशाल वृक्ष, वृक्ष की शाख पर झूला, झूले पर चार लड़कियाँ । एक थोड़ी मोटी, एक
पतली लम्बी, तीसरी ठिगनी और चौथी जो झूले पर खड़े होकर पेंग बढ़ा रही है । वह बेहद ही खूबसूरत, चंचल
चितवन कोकिला कण्ठ है । आवाज में सुर है, ताल है ।

गौरी गा रही है, उसी ताल के साथ झूला भी झूल रही है, जैसे वह भी गौरी का दीवाना हो ।

पीपल की छैया रे (झूला आसमान की जानिब)

बाबुल की गलियारे(झूला नीचे आता)

छोड़के जाणा एक दिन(झूला सेंटर में)

लौट के आणा ना

हो रे लौट के आणा ना(झूला नीचे)

एक तरफ झूले की मूवमेंट, दूसरी तरफ गौरी का सुरीला कण्ठ । वह झूले की दोनों रस्सियाँ पकड़े खड़ी पेंग
दे रही थी । बाकी तीनों लड़कियाँ झूले पर बैठी थी । गौरी का साथ कोरस में गाकर दे रही है ।

अमुआ की डाली रे

सावना की हरियाली रे

छोड़ के जाणा एक दिन

लौट के आणा ना

गाते हुए गौरी की जुल्फें हवा में लहरा रही थी । उसकी कलाइयों में पड़ी हरी चूड़ियाँ भी संग-संग खनक रही
थी । उसके जिस्म से कच्चे आमों की खुशबू भी संग-संग बह रही थी । उसके मोतियों जैसे दाँत चाँदनी की तरह

चमक रहे थे । वह चौदह बरस की दामिनी थी । न जाने किससे टकरा जाये । जिससे टकराएगी वह जिंदा
बच भी पायेगा कि नहीं ।

चौदह बरस में गजब उठान था. । गौरी का जोबन सीने की गोलाइयाँ ठोस मखमली थी । उनकी माँ उन्हें
छूकर मखमली ही कहती है । कमर पतली कसी हुई, जैसे नागन बलखाती है । गर्दन सुराहीदार न कहते हुए
देवदार शब्द गौरी के ज्यादा करीब महसूस होता है । देवदार का तना पतला होता है और ऊपर फूल पत्तियों की
खुश्बू दूर तक फैली होती है । उसके दायें दूघ जैसे गोरे गाल पर एक नन्हा सा काला तिल था, जिसे देखकर
दादी कहती थी, 'नजर न लग जाये गौरी को ।' वह गौरी को इसी वजह से रोज काला टीका लगा देती थी |
पर गौरी अल्हड़ थी । बेहद चंचल थी और पंगेबाज भी थी । गाँव के कई लड़कों की पिटाई कर चुकी थी |
गुस्सा ऐसा कि नाक पर चढ़कर बोलता था और नाक बेहद खूबसूरत सुतवा थी । आँखें नीलकमल जैसी अनुपम,
जिनमें बिल्लौर जैसी चमक थी । गोलमटोल चेहरा था ठोढ़ी थोड़ी लम्बी थी, जो उसके चेहरे को एक अजीब
सी शक्ल दे देती थी । न तो चेहरा लम्बा दिखता था, न गोल । पर जो भी दिखता था, कमाल दिखता था |

गौरी ने इस समय काले रंग की छींटदार फ्रॉक पहनी हुई थी । उसके कानों में हो झुमके थे । बायीं कलाई
में एक कड़ा था, जिसे वह गुरुद्दारे से लेकर आयी थी । गुरुद्वारे के ग्रंथों ने उसे खुद दिया था और वह उसे गुरु
साहब का प्रसाद समझकर हर समय अपने पास रखती थी । यह कड़ा चूड़ियों के साथ मिक्स था |

आकाश पर सावन की घटायें घिरे लगी । वैसे भी सावन का ही महीना था और ऐसे झूले हर गाँव में दिख
जाते थे. । गौरी की फ्रॉक हवा में उड़ रही थी और उस वजह से उसकी मांसल जंघाओं का बांकपन दिख जाता
था ।

पीपल की छैया रे,

बाबुल की गलियाँ रे

छोड़के जाणा एक दिन

लौट के आणा ना

एक टीले पर बैठ ढाई-तीन फीट का बौना गोलू, गौरी पर से अपनी निगाह नहीं हटा पा रहा था । गौरी की
आवाज उस तक पहुँच रही थी और वह भी कोरस की शक्ल में गा रहा था ।

अमुआ की डाली रै
सावन की हरियाली रे
छोड़के जाणा दिन
लौट के आणा ना

गौरी अपनी सहेलियों के साथ हैँसती हुई गाँव की गलियों से गुजरकर अपने घर की चौखट पर पहुँचती है ।
दरवाजा खुला है ।
"जरा रुकियो वहीं !" बाहर चबूतरे पर बैठी उसकी माँ पार्वती ने आवाज दी |
पार्वती मुस्कुराकर घर के अंदर जाती है और अंदर से एक थाली में लड, रोली और कवावा-काजल लेकर आती
है । थाली गौरी के सिर पर तीन बार घुमाकर माँ पहले तो उसकी नजर उतारती है, फिर रोली से उसका तिलक
करती है । थाली चबूतरे पर रखकर काजल की डिबिया उठाकर गौरी को काजल लगाती है । फिर उसकी बायीं
कलाई पर कलावा बाँघधती है, बलाइयाँ उतारती है और उसे अपने हाथों से लड्डू खिलाती है ।

"ये नौटंकी क्या है अम्मा !" गौरी ने नाक को सिकुड़ते हुए कहा |

"तेरा गोणा हुआ है ।" माँ बोली ।

'गोणा क्या 7"

"तेरा ब्याह पक्का हो गया है ।"

"सच्ची " गौरी खुश होकर बोली ।

"हाँ ! मैं क्यों झूठ बोलूँगी !"

"अम्मा, तेरे मुँह में घी-शक्कर !" गौरी ने थाली से एक लड्डू उठाया और अपने हाथ से एक लड्डू खिंलाया ।

अरे, तू इतनी खुश क्यों हो रही है ?"

थाली में और भी लड्डू रखे थे । अम्मा शायद सुबह से वह लड्डू बाँट रही थी । गौरी ने लड्डू एक पॉलीथिन के
थैले में डाले और वहाँ से कुलाचे मारती चली सारे गाँव में ढिंदोरा पीटने ।

पीपल को छैया रे
बाबुल की गलियाँ रे
छोड़के जाणा एक दिन
लौट के आणा ना

"अरी सुन भुलरिया !" गौरी ने अपनी एक सखी को रोका |

गुलरि्या सिर पर घास का गट्टर रखे हुए थी । पहले तो गौरी ने गुलरस्या का गट्टर गिराया, फिर उसके मुंह में
लड्डू डाल दिया और बोली, "मेरा ब्याह होणे वाला है जानेमन !"

"ऐसी की तैसी तेरी जानेमन की बच्ची !" गुलरिया ने लड्डू थूक दिया ।

गौरी वहाँ से आगे दौड़ पड़ी । रास्ते में कलुआ पहलवान मिला जो लकड़ी का गटर उठाये हुए था ।

"काका, पै लागूं !" गौरी बोली |

"जीती रहो बेटी ।" कलुआ बोला |

"जरा मुँह खोलो!" गौरी ने थैले से लड्डू निकाला ।

"अरे ला, औ खिला दे ।"

कलुआ ने मुँह खोल दिया और गौरी ने उसके मुँह में लड्डू डाल दिया । वह एक बार में ही पूरा लड्डू सटककर
बोला, "पर यह तो बता, यह किस खुशी में ?"

"मेरा ब्याह पक्का हो गया  ?"

"है... और तू... !" हैरानी से कलुआ के दोनों हाथ फैल गये और गटर से नीचे आ गिरा ।

गौरी ने एक बुजुर्ग महिला के पाँव छूए, जो लठिया हाथ में लिये गुजर रही थी ।
"जीती रह बेटी !"

"दादी, ले लड्डू खा !"

"किस खुशी में खिला री 7"

"पहले मुँह तो खोल ।"

बुढ़िया ने मुँह खोला, गौरी ने उसमें लड्डू डाल दिया ।

"मेरा ब्याह पक्‍का हो गया ।" इतना कहकर गौरी आगे के लिये चौकड़ी मार गयी ।

"ससुरी को शरम भी न आती । अपने ब्याह पक्का होने के खुद ही लड्डू खिला रही ।"

"मॉ्ड्न जमाना है दादी !" एक लड़का बोला । वह पास से गुजर रहा था ।

"चुपकर । तुझसे ना पूछ रही मैं । ससुरों को निकर डालनी तो आवै ना, अर मॉडर्न हो गये ।"

इस तरह गौरी बहुत से लोगों को लड्डू खिलाते हुए गोलू के झोपड़ी में जा पहुँची । गोलू उस वक़्त रोटी सेंक
रहा था. । वह अकेला ही रहता था. । दो साल पहले घूमता-घामता इस गाँव में आ गया था. । अपने को
अनाथ बताता था. । बहुत कम बोलता था । उसके पास एक सीटी की होती थी, जिसे वह तब बजाता था जब
बहुत गुस्से में होता था । सिटी एक डोरी से बंधी होती थी, जो उसके दायीं साइड में ललटकती रहती थी, जिस्म
का रंग काला था. । नाक बड़ी थी और अंँखें बिल्लियों जैसी थी । गोलू ने गौरी को बताया था कि वह रात
को अंधेरे में भी देख लेता है. । अंधेरे में ही उसकी गौरी से पहली मुलाकात और जन-पहचान हुई थी । बार-
बार उसकी आँखों के सामने वह दृश्य आ जाता था. । जब गौरी अंधेरे के ठोकर खाकर गिरी थी कि गोलू ने उसे
सम्भाल लिया । ठोकर तो लग गयी थी, तब वह गौरी का हाथ पकड़कर उसके घर तक छोड़ने गया था । इस
वक़्त वह तवे में रोटी सेंक रहा था. । लकड़ी की आग का चूल्हा था और वह आलथी-पालथी मारे बैठा था ।
आँखों के सामने गौरी से मुलाकात का फ़्लैश चमका तो एक गहरी साँस लेकर बड़बड़ाया, "आई लव यू गौरी !"

"पता है मुझे कि तू मुझसे बहुत प्यार करता है ।"

गौरी की आवाज सुनकर वह उछल पड़ा । उसके हाथ में आटे की गुंथी रोटी थी, जिसे वह फैलाकर गोल
कररहा था ।

"गौरी, तू... !" उसका मुँह खुला तो फट से एक लड्डू उसके छोटे से मुँह में ठूँस दिया ।

गोली तवे पर रोटी डालने जा रहा था ।

"गोली ! मेरा ब्याह पक्का हो गया है । इसी खुशी में लड्डू खिला रही हूँ ।" इतना कहकर गौरी वापस
मुड़ी ।

गोलू का हाथ तवे पर रोटी डालने के लिये बढ़ चुका था, पर रोटी नहीं स्वयं उसका हाथ गर्म तवे से चिपक
गया । कच्ची रोटी फर्श पर गिर गयी ।

गौरी के शब्द सुनकर वह स्तब्ध हो गया था । हाथ की जलन का अहसास तब हुआ जब हाथ काला पड़ गया
था । गौरी जा चुकी थी ।

गोलू अपना जला हुआ काला हाथ देख रहा था |

फिर उसकी आँखों में पानी उतर आया | लू मुँह में, पानी आँखों में । अजीब सा मंजर था. । उसके पास
माउथ ऑर्गन भी था, जिस पर अक्सर वह एक ही धुन बजाता था ।

गाजे-बाजे के साथ गाँव में बारात आ चुकी थी । बारात आ गयी तो गाँव वाले बारात देखने उसी तरफ चल
पड़े, जिघर से बारात आ रही थी ।

बैंड की घुन पर नशेड़ी डांस कर रहे थे । दूल्हा घोड़ी पर सवार था. । सेहरा सजा हुआ था । वह गुलाबी
सूट पहने हुए था । गोलू भी बारात देख रहा था. । किसी बाराती की निगाह उस पर पड़ी और दो-तीन नशेड़ियों
ने गोलू को बैंड पर डांस करने के लिये जबरदस्ती खींच लिया । वे गोलू को नचाने की कोशिश कर रहे थे और
गोलू हाथ छुड़ाकर भागने के चक्कर में था |

"नाच, गोलू नाच !" कुछ आवाजें बुलंद हुई, "इन ससुरों को बता दे कि इनसे बढ़िया नाच जानता है ।"

"नाच गोलू, नाच ! छज्जे से गौरी बारात देख रही है । तुझे नाचता देख बहुत खुश होगी ।"

"सच्ची में !" गोलू बोला |

"हाँ, और नहीं तो क्या !" गौरी की एक सहेली बोली । गोलू नाचने लगा |

गौरी सज-घजकर हाथों में मेहन्दी लगाये दुल्हन के सुर्ख जोड़े में स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी । वह सचमुच
में बारात देख रही थी और गोलू को नाचते देख खुश हो रही थी ।

बारात विक्रमगढ़ से आई थी । वह गाँव एक पहाड़ी पर आबाद था |

वह नहीं जानती थी कि एक पुरुष का एक स्त्री के प्रति प्यार कैसा होता है । वह तो यही समझती थी कि
गोलू भी उसे वैसा ही प्यार करता है, जैसे उसकी सहेलियाँ करती हैं । गोलू माउथ ऑर्गन बहुत अच्छा बजाता
था और अक्सर गौरी को माउथ ऑर्गन पर एक फिल्‍मी घुन सुनाया करता था । वह धुन थी, बहुत प्यार करते हैं,
तुमसे सनम !

अगले दिन गौरी की विदाई हुई । सारा गाँव उमड़ पड़ा था और सबकी आँखें नम थीं । पर गौरी खुश थी ।
वह सबसे गले मिली । माँ तो फफक-फफककर रो पड़ी ।

"चुप करो अम्मा ! ब्याह हुआ है । यह तो खुशी की बात है । तुम काहे टसुवे बहा रही हो !"

"खुशी में भी आँसू आ जाते हैं बिटिया!" माँ ने रोते हुए कहा और उसे कुछ नसीहत देने लगी कि ससुराल में
कैसे अपना धर्म निभाना है ।

गाँव की यह पहली विदाई थी, जिसमें दुल्हन एक बार भी नहीं रोयी, पर गौरी सबकी प्यारी थी । सबकी
राज दुलारी थी ।

गौरी की आँखें गोलू को तलाश रही थी । वह नजर नहीं आ रहा था पर माउथ ऑर्गन की धुन दूर से आती
सुनाई दे रही थी । गौरी को ऐसा लगा जैसे उसकी आँखें नम हो गयी है ।

बारात विदा हो गयी । गौरी चली गयी और चला गया गोलू भी । उसके बाद गोलू को किसी ने गाँव में नहीं
देखा । वह कहाँ गया, किसी को पता नहीं था ।

दूसरी घटना यह थी कि गौरी भी कभी अपने गाँव नहीं आयी ।

उसके गाँव वालों ने तोहमत लगाई कि गौरी अपने किसी प्रेमी के साथ भाग गयी थी । वह कहाँ गयी, गाँव
में किसी को पता नहीं था ।

न गौरी का पता चला, न गोलू का ।
समय अपनी गति से चलता रहा. । वह किसी के लिये कभी नहीं रुकता । किसी से पूछकर भी किसी की
मौत नहीं आती ।

गौरी के घर वालों को विश्वास था कि गौरी किसी प्रेमी के साथ नहीं भागी । उसके साथ कोई हादसा हुआ
है । शायद उसे मार दिया गया । उन्होंने इसकी रिपोर्ट भी लिखवाई थी, पर कोई नतीजा नहीं निकला । गौरी
का कुछ पता नहीं चला ।

सदमे में गौरी के माँ-बाप भी चल बसे । गौरी उनकी एक ही संतान थी । घर में और कोई नहीं था । दादी
भी अधिक दिन तक नहीं रही ।

दुनिया तो फानी है । मुसाफिर आते-जाते रहते हैं । परमात्मा का यह खेल सदियों से चला आ रहा है और
सदियों तक चलता रहेगा । कोई मरता रहेगा, कोई जीता रहेगा । इंसान की मृत्यु ही तो उसकी आखिरी सड़क
है ।

किकेको

चौदह बरस बाद

सूर्यास्त होते ही एक हैवी ट्रक हाईवे के एक पहाड़ी मोड़ पर नमूदार होता है । ट्रक हर तरफ से कवर्ड है ।
बिल्कुल पैक । उसकी दोनों साइड में दो बैनर लगे हैं, जो रात में भी न्योन साइन की तरह चमकते हैं । बैनर पर
लिखा है, 'विराट फिल्म्स' । नीचे कम्पनी का फोन नम्बर और दूसरी डिटेल छोटे अक्षरों में है ।

यह 'विराट' हाईवे नम्बर 98 पर प्रकट हुआ था. । हर तरफ खामोशी थी । केवल ट्रक के इंजन की आवाज
गूँज रही थी । ड्राइविंग सीट पर एक दाढ़ी वाला गंजे सिर का आदमी बैठा ट्रक चला रहा था और ट्रक में एक
फिल्‍मी गाना स्पीकर पर चल रहा था । ड्राइवर के बराबर में पैसेंजर सीट पर एक मरियल सा दुबला-पतला शख्स
बैठा हुआ था, जो गैलिन वाली काली पतलून पहने था और सिर पर काला हैट सजाये हुए था । यह एक फेल्ट
हैट थी । उसकी आँखों पर नजर आ चश्मा था, जिसका फ्रेम काला था । उसने शर्ट भी काली ही पहनी हुई थी,
लेकिन उसके जिस्म की रंगत गोरी थी । नाक थोड़ी छोटी चीनियों जैसी चपटी थी । होंठ पतले और कानों में
सोने की बाली थी । गले में सोने की एक चेन भी लटक रही थी । अचानक उसके मोबाइल पर रिंगटोन आई ।
उसने गाने का स्पीकर ऑफ किया और फोन कॉल रिसीव की |

"हाँ, बोल !" वह फोन पर बोला ।

"कहाँ तक पहुँचे आप लोग ?" दूसरी तरफ से पूछा गया ।

अभी हमने एक कस्बा पार किया है । क्यों रे ?" उसने ड्राइवर से पूछा, "क्या नाम है 7"

"सुलेमान !" ड्राइवर बोला ।

"अबे ओ, मोटे सुवर ! तेरा नाम नहीं पूछ रहा । अरे, होल्ड रख, पूछकर बता रहा हूँ ।" फिर उसने ड्राइवर
से जोर से पूछा, "मैं उस कस्बे का नाम पूछ रहा हूँ, जिसे हमने पार किया है ।"

"नारायणपुर ।" ड्राइवर बोला, "सीधघा-सीधा पूछा कर । आधा सवाल कुकर पूछ रा?"

"साले, एक दूँगा कान के नीचे ।" हैट वाला पुर्यया ।

ट्रक ड्राइवर ने ट्रक रोक दिया । अपनी खोपड़ी पर एक हाथ मारा ।

"ओय, होगा तू प्रोडक्शन वाला !" गंजा बोला, "एक पसली है नहीं और हाथियों की जुबान बोलता है ।
तेरे बाप का नौकर हूँ क्या । मैं इस ट्रक का मालिक हूँ । समझता क्या है !"

ड्राइवर के तेवर बदलते देख प्रोडक्शन वाला थोड़ा नर्म पड़ गया |

"सॉरी बॉस !" वह बोला ।

तभी पीछे से हॉर्न बजा | वह एक लक्ज़री कार थी जो ट्रक के पीछे आ रही थी । ट्रक ड्राइवर ने ट्रक आगे
बढ़ा दिया ।

"क्या चल रहा है बॉस !" कुछ गड़बड़ है क्या ?" दूसरी तरफ से फोन पर पूछा गया ।

"नहीं रे ! यह तो चलता रहता है । कभी शेर, चूहे पर कभी चूहा, शेर पर । हम नारायणपुर पार कर चुके
हैं । जनरेटर हमने मेज दिया था ।"

"हाँ, वह पहुँच गया ।" दूसरी तरफ से उत्तर मिला, "नारायणपुर से आपको पचास किलोमीटर और चलना
है | मैं आप सबका डिनर तैयार करवाता हूँ । सीधे पतली घाटी पहुँचता है ।"

"ठीक !" उसने फोन काट दिया ।

"यहाँ से पतली घाटी पचास किलोमीटर दूर है ।" प्रोडक्शन वाला बोला |

ड्राइवर ने जवाब दिया, "जाणता हूँ ।"

"अपुन समझ नहीं पा रहा । पतली घाटी भी कोई नाम है क्या?"

"वहाँ तेरे जैसे पतले मच्छर होंगे, इसलिये उसका नाम पतली घाटी पड़ा होगा ।"

प्रोडक्शन वाले का रिएक्शन गया, फिर उसने एक सिगरेट निकाली ।

ट्रक के पीछे एक लक्ज़री एसी मर्सडीज कार चली आ रही थी |

लाइटर जला और एक खूबसूरत लड़की ने सिगरेट सुलगाई, जो मर्सडीज की अगली पैसेंजर सीट पर बैठी
थी । उसके बाजू में ड्राइवर बैठा था, जो पी कैप लगाये था । वह क्लीन शेव्ड नौजवान था. । एकदम गठीला
जिस्म था. । वह गोल्फ की ब्लू टी-शर्ट पहने हुए था । नीचे ब्लैक जीन्स थी । दायीं कलाई में सोने का ब्रेसलेट
था. । साथ ही कलावा बंधा हुआ था. । गले में एक लॉकेट था, जो सोने का था. । वह लॉकेट टी-शर्ट के
बाहर घूम रहा था, जिसमें माता की तस्वीर लगी हुई थी । पायल ने सिगरेट सुलगाईं तो उसका रिएक्शन गया ।

"तुम भी लोगे ?" बराबर में बैठी खूबसूरत पायल ने खनकती आवाज में पूछा ।

"एक सुड्टा म्हारे को भी मिलेगा क्या?" टूक ड्राइवर सुलेमान ने अपना तोहमद खुजाते हुए था ।

"अबे रहने दे ! फिर तू सारी रात ट्रक न जाने कहाँ-कहाँ चलाता रहेगा । या कहीं रुककर हमें रुलाएगा |"

"ऐसी बात ना है शंकर बास !" ड्राइवर बोला, "चरस, गांजा तो म्हारा खानदानी शौक है । मेरा बाबा तो
चिलम भरकर पीता था । अर पी के मस्त हो जावे था । फेर भोले-भोले गाता रहता । सगले गाम वाले भूतनी
के वहीं चौपाल पे आ जावे थे ।

शंकर उसे अपनी सिगरेट थमाता है और फिर दूसरी निकालकर जलाता है ।

मर्सडीज की पिछली सीट पर शीवाज रीगल की बोतल प्रोड्यूसर खन्ना खोलता है. । सीट के आगे टाप
खोलता है और दो पैग बनाता है ।
"विपुल भाई ! फिलहाल अपने पास कितना रोकड़ा कैश है ?" खन्ना, विपुल को पैग बताने हुए बोला ।

"बरोबर, एक खोखा तो है साई !" विपुल ने जवाब दिया ।

"चलेगा । इघर लोकल लोगों का कैश पेमेंट करना पड़ेगा  ।"

"क्या बात बोलते साई ! सब जगह ऑनलाइन हो जाता है ।"

विपुल मोटा धुलथुल बदन औसत कद का इंसान है । फिल्में फाइनेंस करना उसका घंधा है । वह गुजराती,
मारवाड़ी है और हमेशा सफेद सूट पहनता है । गले में टाई भी झूलती रहती है । उसकी रंगत गेहुआ है । हल्की
मूंछ-दाढ़ी है, जो अधपकी है । आधी सफेद, आधी काली । चेहरा गोल भरा हुआ । प्रोड्यूसर विराट खन्ना
है, जो देखने में सामान्य आदमी है । वह जीन्स की नेकर और सैंडो पहने हुए है । सीने पर काले बाल है । रंग
गोरा-चिट्टा, आयु करीब पैंतीस वर्ष के पारे में ।

"वैसे अपनी फिल्म सुपर-इपर होगी ।" विराट पैग पीते हुए बोला ।

"टाइटिल ही जबरदस्त है ।" इस बार अगली पैसेंजर सीट पर बैठी पायल चहककर बोली, "आखिरी
सड़क ।" उसने सिगरेट का गहरा कश लिया ।

"तैडम, चरस की बू आ रही है ।" ड्राइवर ने नागवार स्वर में कहा, "थोड़ा गाड़ी रोक लूँ ।"

"तेरे पिछवाड़े में घुसेड़ दूँगी सिगरेट !" पायल भड़ककर बोली, "गाड़ी चला चुपचाप !"

ड्राइवर खामोश हो गया । उसने कार की खिड़की खोल दी ।

इस मर्सडीज के पीछे पूरा काफिला था । दो लक्ज़री कारों के बाद दो वैनिटी वैन चली आ रही थी । उसके
ठीक पीछे एक लक्ज़री #0 बस थी । इन सब गाड़ियों के शीशे बन्द थे । एक ट्रक, तीन करें, दो वैनिटी वैन
और एक बस | सातों वाहन हाईवे पर एक-दूसरे को फॉलो करते हुए चल रहे थे ।

शाम ढल रही थी । काफिला बिना रुकावट के पहाड़ी सड़क पर बढ़ता रहा ।

सड़क के अनेक मोड़ों से गुजरता काफिला । दूसरी लक्ज़री कार ऑडी में मेकअप मैन सुरेश चोटी वाला अपनी
खुली चोटी बाँघ रहा है । उस गाड़ी में भी पैग चल रहे हैं ।

"अबे, चोटी वाले ! चोटी क्यों बाँध रहा है ?" कोरियोग्राफर जोजफ फर्नाडीज ठहाका मारकर बोला |

"भूत-प्रेत निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै ।" आर्ट डायरेक्टर डैनी का ठहाका और भी बुलंद था ।

"चुप रहो हरामखोर !" मेकअप मैन सुरेश चोटी वाला अपने गले में पड़ी माला माथे पर लगाता बोला |
माला में बजरंग बली की छोटी-सी मूर्ति लटकी थी, "नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान । चार मुजा रक्षा करो,
बजरंगी बली हनुमान ।"

"दौरा पड़ गया इसे ।" जोजफ बोला |

"चढ़ गयी दादा को ।" डैनी ने हँंसकर कहा ।

"हरामखोरों, लुगाई बाजों ! यह हनुमान जी का मंत्र है कि इसे बोलते ही भूत-प्रेत तो दूर की बात, काली
भी पीछे हट जाती है ।"

"पर चोटी के, चोटी क्यों बाँध रहा है ?" डैनी ने पूछा ।

"एनर्जी स्टोर कर रहा हूँ । तुम क्‍या जानो बागड़ बिल्‍्लो !"

"इंजन फेल हो गया मेकअप दादा का. ।" जोजफ ने हँसकर कहा ।

"बैटरी चार्ज कर रहा है ।" डैनी ने अपना पैग खाली करते हुए बोतल उठा ली |

पीछे आने वाली बस से गाने बजाने की आवाजें आ रही थी ।

"सुन ओ आर्ट डायरेक्टर डैनी ! तुझे कुछ गाने की आवाज सुनाई दे रही है ?"

"अबे, मुझसे बात कर । मैं कोरियोप्राफर हूँ ।" जोजफ बोला ।

"कोई गाना नहीं गा रहा । झींगुर सीटी बजा रहे हैं । वह, टू, श्री सी... ।" जोजफ हाथ हिलाकर डांस
करता है. । डैनी ठहाका मारकर हैंसता है । कार का ड्राइवर खिड़की खोलता है ।"

"तेरे को क्या हो गया रे ।" जोजफ ड्राइवर से बोला, "खिड़की क्यों खौली ?"

"गाने की आवाज तो मुझे भी सुनाई दी सर जी !"

"अबे ओय ! पीछे बस में जो ठलुवे आ रहे हैं, वह हुल्लड़ मचा रहे हैं । साले चीख-चीखकर गा रहे हैं ।
मोहम्मद रफी की ऐसी-तैसी मार रखी है उन्होंने । सालों के पास साउंड सिस्टम भी है ।" डैनी ने कहा, "बन्द
कर खिड़की !"

बस में एक शख्स माइक लिये गा रहा है । बाकी बस कोरस में गा रहे हैं ।

"तू कहाँ ये बता, इस नशीली रात में  । माने ना मेरा दिल दीवाना ।"

मर्सडीज में विराट ठहाका मारकर हँस रहा था ।

"विपुल भाई ! आपके लिये पूरा इंतजाम करके लाया हूँ । वैसे पतली घाटी में जोबन की कई फिगर है ।"

प्टूँ |"

"अपना डायरेक्टर अब्बास फाड़ डायरेक्टर है ।"

"सामान भी ।" विपुल ने धीरे स्वर में कहा ।

"आपने देखा है !"

"एक बार ।”

"विलाशा हीरोइन कैसी है 7"

"अब्बास की फेवरेट हीरोइन है ।"

हीरोइन विलाशा की वैनिटी के बेडरूम में अब्बास और विलाशा नग्नावस्था में है । दोनों एक-दूसरे पर अपनी
जवानी का जोश आजमाने में व्यस्त हैं ।

"विलाशा को तो पहली बार मैं ही आपके पास लायी थी ।" पायल ने सिगरेट ऐश ट्रे में कुचलते हुए कहा |

"पायल, तुम्हें अपना मैनेजर ऐसे ही तो नहीं बनाया मैंने !" विराट खन्ना बोला ।

"घण्टा !" पायल बोली, "मैं भी तो हीरोइन बनना चाहती थी ।"

"मेरी जान, तुम अब भी हीरोइन हो ! बड़ी-बड़ी हीरोइ़नों को उंगलियों पर नचाती हो ।"

"पर मुझे कौन नचायेगा ? क्या यार, लानत इस फ़िल्म इंडस्ट्री पर । साले, सब मर्द हरामी !" अंतिम
वाक्य वह धीमे स्वर में बोली  । इस पर ड्राइविंग करने वाला गबरू पट्टा जीतेश मुस्कुराता है । अंधेरा फैल
गया । सबने अपनी गाड़ियों की हेडलाइट जला दी ।

"क्यों रे जीतेश, मुझसे शादी करेगा ?"
"शादी एक बार होती है ।" जीतेश ने जवाब दिया ।

"तेरा मतलब है मैं कई शादियाँ कर चुकी हूँ !"

"नहीं, मेरा यह मतलब नहीं था । मैं खुद कई शादियाँ कर चुका हूँ ।"

तभी ब्रेकों के शोर की आवाज सुनाई देती है ।

आगें जाने वाला ट्रक एक जगह रुक जाता है | उसकी हेडलाइट की रोशनी में सड़क पर एक बैरियर दिखाई
देता है । बैरियर के ठीक बीच में एक बोर्ड लटक रहा है ।

बोर्ड पर खतरे का खोपड़ी वाला निशान बना है । नीचे लिखा है-

'आखिरी सड़क'

यह वर्जित क्षेत्र है । कृपया आगेन जाये ।

आगे खतरा है ।

"अपनी फिल्‍म का टाइटिल क्या है ?" सुलेमान बड़बड़ाया ।

"आखिरी सड़क ।" शंकर ने जवाब दिया ।

सुलेमान अपनी लुंगी खुजाने लगा ।

पीछे आने वाला काफिले की गाड़ियों के ब्रेकों का शोर गूंजता है । वृक्षों पर बैठे परिंदे फड़फड़ा उड़ते हैं ।

"वैनिटी कैसे रुक गई ?" वित्ाशा का रिएक्शन ।

"थोड़ा तुम भी जोर लगा लो. । खुदा कसम आज तो तेरी जवानी तेरह बरस की लग रही है ।"

"नहीं, चौद्ह बरस !"

"चौदह क्यों ?"

"चौदह बरस में पहली बार घोड़ी बनी थी  ।"

"तो बन जा चौदह बरस की ।"

"अब्बास ! जरा पूछ तो लूँ । कहीं हम मंजिल पर तो नहीं पहुँच गये ।"

विलाशा वैनिटी से अटैच इण्टरकॉम का बटन दबाती है ।

"मैं देखूं क्या लफड़ा है ।" सुलेमान बोला ।

"हाँ, देखकर आ । कहीं हम पतली घाटी तो नहीं पहुँच गये । हो सकता है, यह फ़िल्म का ओपनिंग शॉट
हो और इसे उन लोगों ने डिज़ाइन किया हो । "सुलेमान नीचे उतरकर बैरियर तक पहुँचा ।

"मका, कोई है ?" उसने जोर से पूछा, "अबे यू बैरियर किन्‍ने टॉग दिया?"

कोई जवाब नहीं मिलता । सुलेमान ने बैरियर के दोनों सिरे चेक किये । बैरियर को उठाने के लिये एक तरफ
हैंडल लगा हुआ था, जिसे घुमाकर उसे खोला जा सकता था, लेकिन बैरियर के दूसरे सिरे पर के मोटी चेन द्वारा
एक बड़ा ताला लटक रहा था, जिससे वह एक तरह से लॉक था । ताला खोले बिना बैरियर को हैंडल से घुमाकर
नहीं उठाया जा सकता था |

तब तक पीछे आने वाले वाहन भी रुकने लगे थे । वे हॉर्न बजा रहे थे । अब ट्रक से शंकर प्रोडक्शन वाला
भी नीचे उतर आया था ।
बैरियर के एक साइड में एक केबिन बना हुआ था । सुलेमान उसी केबिन की तरफ बढ़ा, लेकिन केबिन पर
ताला जड़ा हुआ था ।
शंकर प्रोडक्शन वाले ने लोकेशन इंचार्ज को फोन मिलाया । लेकिन फोन आउट ऑफ कवरेज बता रहा था |

रात चाँदनी नहीं थी, या फिर चाँद अभी तक आसमान सीने पर दस्तक देने नहीं उतरा था. । मुमकिन हो कि
अमावस्या की रात हो. । पर यह फिल्‍मी लोग क्या जाने अमावस्या क्‍या होती है । इनकी तो हर रात चाँदनी
होती है ।"

अब्बास अपने सगल में व्यस्त था. । तभी वैनिटी के इण्टरकॉम पर बजर बजा । विलाशा ने हाँफते-हाँफते
एक हाथ से रिसीवर उठाया । इण्टरकॉम फोन पर दूसरी तरफ उसका बॉडीगार्ड शम्मू था ।

"तैडम, सारी गाड़ियाँ रुकी हुई है । मैं वैनिटी से उत्तरकर देखूँ, क्या माजरा है ।"

"हाँ, देखो !" विलाशा ने उत्तर दिया ।

बॉडीगार्ड के होलेस्टर में एक रिवॉल्वर झूल रही थी । उसने एक बार रिवॉल्वर को थपथपाया और वैनिटी ने
नीचे उतरा । शम्मू का डील-डौल छः फुट था. । जिस्म झुका हुआ था. । चेहरा सुता हुआ था. । नाक पर
क्रेक का निशान था. । अंँखें छोटी-छोटी थीं  । उसने कॉटन का रेड कलर जैकेट पहना हुआ था । उसके कान
चेहरे की बनावट के हिसाब से थोड़े ज्यादा चौड़े और लम्बे थे । उसने भी पी कैप पहनी हुई थी और उसने फोन
को इयरफोन से जोड़ा हुआ था |

दूसरे लोग भी अपने वाहनों से उतर रहे थे ।

"साला, फोन भी नहीं लग रहा!" शंकर बड़बड़ाया ।

तभी उसके फोन पर रिंगटोन आयी । शंकर ने स्क्रीन पर नम्बर देखा, "जी सर !" वह बोला ।

"क्या चल रहा है वहाँ ?"

"सर, रोड पर एक बैरियर ने रास्ता ब्लॉक किया हुआ है और उसे खुलवाने की कोशिश चल रही है... । हाँ
जी, केबिन है, पर वहाँ ताला पड़ा हुआ है । यहाँ कोई नहीं है ताला खोलने वाला ।"

यह फ़ोन विराट खन्ना का था ।

"लैौरियर ने रास्ता ब्लॉक किया है ।" खन्ना ने कहा, "और उसे खोलने वाला कोई नहीं है ।"

"अगर वहाँ कोई नहीं है तो उनसे बोल खन्ना, वे खुद खोल लें ।"

"एक मिनट !"

"हाँ शंकर !" फोन पर, "तुम लोग बैरियर खुद क्यों नहीं खोल देते !"

"सर, उस पर भी ताला पड़ा है । मोटी चेन है जो एक बड़े ताले से लॉक है । ताला भी साला अलीगढ़
यूनिवर्सिटी का बना है ।" शंकर ने जवाब दिया ।

"अलीगढ़ यूनिवर्सिटी ! उल्लू के पट्टे, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में ताले नहीं बनते ।" खन्ना चीखा, "नेता बनते
हु गए

"पर यूनिवर्सिटी में तालाबंदी हो जाती है ।" विपुल ने तुक्का मारा, "जहाँ मैं पढ़ता था, वहाँ कई बार
तालाबंदी हुई नी साई !"

"मेरा मतलब अलीगढ़ की एक फेमस कम्पनी का ताला है, जिसे कोई माहिर चोर ही तोड़ सकता है या ताले
वाला ।"

"अबे, मुझसे बड़ा चोर कौन है !" खन्ना बोला, "जब मैं प्रोडक्शन वाला था तो सबसे बड़ा चोर कहलाता
था ।"

कार में बैठे सबका रिएक्शन ।

"चढ़ गयी साहब को !" ड्राइवर बड़बड़ाया ।

"सर, यहाँ एक सरप्राइज भी है. । आखिरी सड़क का सेट लगा है । आप जरा डायरेक्टर से मालूम करें
फ़िल्म में कोई शॉट ऐसा तो नहीं, जिसमें रोड ब्लॉक हो । बैरियर गिरा हो और बैरियर पर एक बोर्ड टंगा हो, जिस
पर लिखा हो, 'आखिरी सड़क' !"

हैं, बैरियर पर बोर्ड " खन्ना चौंका ।

"और बोर्ड पर लिखा है, आखिरी सड़क ।"

खन्ना ने तुरंत फोन काटकर अब्बास को फोन लगाया । अब्बास ने फोन काट दिया । वह सेक्स की आखिरी
सड़क पर हॉफ रहा था. । दो-तीन बार घण्टी बजने के बाद उसने फोन उठाया ।

"हाँ, बोल !" अब्बास ने कहा ।

"क्या फ़िल्म की स्क्रिप्ट में कोई ऐसा सीन है, जब सड़क पर बैरियर पड़ा हो और उस पर बोर्ड टंगा हो । बोर्ड
पर लिखा हो, आखिरी सड़क ।"

"हाँ, हैतो । फिर !"

"तो लाइटें लगवाऊँ | क्रेन ट्रक ट्राली ।"

"मतलब 7"

"मुझे लगता है, उन लोगों को आपने बताया होगा कि ऐसा कोई सीन है जहाँ रोड ब्लॉक होती है, बैरियर पर
बोर्ड टेंगा है, जिस पर लिखा है आखिरी सड़क ।"

"चूतिये, पागल हो गया है क्या ?" अब्बास ने झल्लाकर कहा |

"क्या हुआ ?" विलाशा बीच में बोल पड़ी ।

अब्बास ने उसे चुप रहने का इशारा किया ।

"तो तुम विलाशा के साथ हो ।" खन्ना ने नागवार स्वर में कहा |

"तो, पर तू क्या बकवास कर रहा है ।" तुझे शूट के तौर तरीके नहीं मालूम क्या !"

"यहाँ सड़क पर बैरियर पड़ा है जो खोत्ना नहीं जा सकता और उस पर बोर्ड टंगा है, जिस पर लिखा है आखिरी
सड़क ।" इतना कहकर खन्ना ने फोन काट दिया |

"त्हाट !" अब्बास उछल पड़ा, फिर जल्‍दी से कपड़े पहनने लगा |

"क्या हुआ ?"

"कुछ गड़बड़ लगती है ।" अब्बास ने जवाब दिया और जल्दी से कपड़े पहनकर उठ खड़ा हुआ |

अब्बास का कद औसत हिंदुस्तानी जैसा था. । फ्रैंच कट दाढ़ी रखता था. । उम्र चालीस-पैंतालीस के
ट्रमियान थी । वह रेड कलर का ट्रैक सूट पहने हुए था । विलाशा ने भी अपने वस्त्र पहनने शुरू कर दिये ।

दोनों एक साथ वैनिटी से बाहर निकले ।
"विलाशा, तुम अपनी वैनिंटी ने रहो । मैं देखता हूँ ।"
अब्बास आगे बढ़ा । विलाशा वैनिटी में बैठ गयी ।

अचानक एक बौना इंसान बैरियर के दूसरी तरफ नमूदार हुआ । उसने हाफ पैठर पहनी हुई थी । उसका
चेहरा एकदम तरबूज की तरह गोल था और काला था । उसे देखते ही सुलेमान और शंकर का रिएक्शन गया ।
बौने के एक हाथ में लालटेन थी, जो रोशन थी |

बौने ने तुरंत सीटी बजाई |

"अबे, क्यों सिट्टी-पिट्टी गुम कर रहा है !" सुलेमान बोला, "बैरियर खोल वरना गाड़ दूँगा जमीन में  ।"

बौने ने फिर सीटी बजाकर उन्हें वापस लौटने का संकेत दिया ।

"पांगा, बहरा है के ?" सुलेमान आस्तीन चढ़ाने लगा ।

वह बैरियर के ऊपर कूदकर दूसरी ओर जाना ही चाहता था कि शंकर ने रोक दिया |

"काम मत बिगाड़ ! क्या पता, वह क्या बला है ! सीटी मुझे भी बजानी आती है । प्रोडक्शन के समय
उसकी जरूरत पड़ती है ।"

"तू सीटी बजा के क्या झाड़ उखाड़ लेगा  ।"

शंकर ने जेब से सीटी निकाली, फिर शंकर ने भी सीटी बजा दी । अब सीटियों का जवाब सीटी से मिलने
लगा । बौना भी सीटी बजा रहा था और शंकर भी सीटी बजा रहा था. । तब तक वहाँ कुछ और लोग जमा हो
गये थे । खन्ना, विपुल और अब्बास भी आ गया था. । सब हैरान थे । विलाशा नहीं आयी थी, पर उसका
बॉडीगार्ड आ गया था ।

अचानक अब्बास का फोन बजा ।

'क्या हो रहा है सरजी ! गाड़ियाँ क्यों रोक दी ?"

"यहाँ सड़क पर एक बैरियर लगा है, जिस पर एक बोर्ड चमक रहा है । बोर्ड पर लिखा है, आखिरी सड़क ।"

"तो शॉट रेडी है क्या; आऊँ ?"

"आ जाओ ! देखते हैं, क्या उखाड़ते हो !"

अब फ़िल्म का हीरो माथुर कुमार अपनी वैनिटी से उतरा और आगे बढ़ने लगा । फिर वह विलाशा की वैनिटी
को खोलकर अंदर चला गया ।

सीटी पर सीटी बजती रही । सबके रिएक्शन जाते रहे और फिर बौने ने हँसते हुए दाँत निकाले और आगे
बढ़कर बैरियर का ताला खोला । हैंडल घुमाकर बैरियर उठाया, फिर सीटी बजाकर आगे जाने का इशारा
किया । सब लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में चले गये । अब्बास अपनी बीएमडब्लू में बैठ गया । बीएमडब्ल्यू में
पहले से डी०ओ०पी०(कैमरामैन) के अतिरिक्त डॉक्टर बासु भी बैठा था । वे दोनों कार से नहीं उतरे थे । अब्बास
अपनी सीट पर बैठ गया ।

"त्हार हैपन सर ?" डी०ओण्पी० ने पूछा ।

अब्बास ने कोई जवाब नहीं दिया । वह खामोश रहा और सिगरेट पीने लगा । डी०ओ०्पी० हरीश पाठक
भी खामोश हो गया ।

"कोई प्रॉब्लम हो तो मैं हाजिर हूँ ।" डॉक्टर बासु बोला ।

"यहाँ कोई बीमार नहीं पड़ा है डॉक्टर बासु ! सब ठीक है । गाड़ी मूव करो ।"

"पर कोई कह रहा था कि बैरियर से रोड ब्लॉक है और उस पर 'आखिरी सड़क' बोर्ड टँगा है ।"

"इट्स फनी जोक ! वेलकम करने का तरीका । शायद यहाँ सबको पता चल चुका है कि यहाँ पतली घाटी
में आखिरी सड़क की शूटिंग होने जा रही है ।"

काफिला फिर से चल पड़ा, लेकिन बस जैसे ही वहाँ पहुँची । बैरियर फिर बन्द हो गया और बस वहीं रुक
गयी । बस में चिल्ल-पों मच गया । अब बौना सीटी बाज भी वहाँ से गायब था ।

शंकर का असिस्टेंट तौसीफ बस से बाहर टहल रहा था । ड्राइवर अपनी सीट पर बैठा था । बस में दो आर्टिस्ट
लड़कियाँ थीं । वे लोग उतर-उतरकर नीचे आ रहे थे ।

तौसीफ ने शंकर को फोन किया, पर फोन नॉट रीचेबल आ रहा था. । दो-तीन बार ट्राई करने पर भी फोन
कनेक्ट नहीं हुआ । तब तौसीफ ने लोकेशन कंट्रोलर दीपक को फोन लगाया । उसका फोन मिल गया ।

"भाईजान, यहाँ सड़क पर बैरियर पड़ा है ! बाकी गाड़ियाँ तो निकल गयी तो निकल गयी, हम फँस गये ।"

"कौन सी सड़क पर हो ?" पूछा गया ।

"यह तो पता नहीं ।"

"कहीं तुम लोग शीतल घाटी की तरफ तो नहीं चले गये ?"

"क्या मतलब, शीतल घाटी ?"

"टीकमगढ़ में शीतल घाटी के लिये एक रोड कटती है । टीकमगढ़ में ही पतली घाटी है । शीतल घाटी में
आगे जाकर रोड ब्लॉक है । बैरियर उसी पर लगा होता है । आगे जाना मनाद्दी है. । देखो तो, क्या उस पर
आखिरी सड़क का बोर्ड लगा है ?"

"हाँ ।" तौसीफ ने जवाब दिया, "लेकिन माजरा कया है ?"

"वहाँ एक गाँव है और गाँव की सीमा तक सड़क जाती है । यह पूरा गाँव एक महामारी की चपेट में आ गया
था । पूरे गाँव वासी उस महामारी की वजह से मारे गये । कोई नहीं बचा ।" दीपक बता रहा था, "तभी से
रोड ब्लॉक कर दिया गया । वह वर्जित क्षेत्र है ।"

"पर क्‍यों 7"

"कहा जाता है कि उस गाँव में वे लोग अब भी रहते हैं, जो मर चुके हैं ।"

"क्या 7" तौसीफ की फट गयी ।

"क्या कह रहे हो भाईजान ?" उसने पूछा ।

"वहाँ भूतप्रेतों का वास है । जो उस सड़क पर जाता है, वह जिंदा वापस नहीं लौटता । कई हादसे हो चुके
हैं, इसलिये सड़क को ब्लॉक किया गया है ।" दीपक ने बताया ।

"तो दूसरी गाड़ियाँ कैसे निकल गयी ? हमारी ही बस रुकी हुई है ।”

"ओ गांड ! यह तो बहुत बुरा हुआ । बैरियर कैसे खुल गया ?"
"पता नहीं ! पर अब बैरियर लगा है । हम क्या करें 7"

"फौरन वापस लौटो और उस जगह आओ जहाँ से यह सड़क करीब है । फिर दूसरी सड़क पर चलते हुए यहाँ
पहुँच जाओ | मैं टीकमगढ़ के पुलिस कमिश्नर को फोन करता हूँ कि हमारी यूनिट उस रोड पर चली गयी है ।
शायद वह सुरक्षा की कोई माकूल व्यवस्था कर दें । अच्छा, वापस मुड़ो | मैं फोन रखता हूँ ।"

फोन कट गया |

तौसीफ ने ड्राइवर से कहा कि बस चापस मोड़ ले । सबको बस में बैठ जाने के लिये कहा । यह बात उसने
किसी को नहीं बताई किं माजरा क्‍या है ! वरना पूरी बस में दहशत का आलम पसर जाता । बस कुछ दूर तक
रिवर्स गियर में चली, फिर उसे मोड़ने की जगह मिल गयी और बस वापस मुड़ गयी ।

बस में बैठे लोग तौसीफ से तरह-तरह के सवाल कर रहे थे ।

"चुप बैठो सब लोग ।" तौसीफ ने सहमे स्वर में कहा पर खौफ उसके चेहरे से साफ झलकता था ।

अब उनमें खुसुर-फुसुर चल रही थी ।

सवाल यह था कि सब गाड़ियाँ जिस रोड पर जा चुकी थी, उस रोड पर वह क्यों नहीं जा रहे हैं ।

'नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान,
चार भुजा रक्षा करें, बजरंग बली हनुमान ।'

चोटी वाला जोर-जोर से मंत्र पढ़ रहा था ।

वहाँ एक माइल स्टोन दिखाई दे रहा था, जिस पर 5 किलोमीटर लिखा था ।

तब ड्राइवर बोला, "भाई लोगों, इसे चुप कराओ !"

मेकअप मैन चोटी वाला दहाड़ा, "मैं तुम्हारी रक्षा कर रहा हूँ उल्लू के पट्टों ! मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहा
है कि यह इलाका भूत-प्रेतों का है. । वरना अब तक हम लोकेशन पर पहुंच गये होते  ।"

"भूत-प्रेत ।" कोरियोग्राफर जोजफ ने ठहाका मारा ।

डैनी भी हँस पड़ा ।

"अबे, हमसे बड़ा भूत कौन सा है ! और ये देख !" डैनी एक रिवॉल्वर निकालता है, "अब अगर चुप नहीं
हुआ तो तेरा भूत बना दूँगा  ।" डहैनी ने उसकी कनपटी पर रिवॉल्वर सटा दी । चोटी वाला चुप हो गया, पर
उसके होंठ अब भी हिल रहे थे । चेहरे पर दहशत का काला साया मंडरा रहा था. । मेकअप मैन बनने से पहले
वह तांत्रिक हुआ करता था खुद उसका बाप बहुत बड़ा तांत्रिक था. । फिर उसके होंठ बन्द हो गये । वह आँखें
बंद कर ध्यान की मुद्रा में बैठ गया. । अगली गाड़ी इनसे खासी दुर निकल चुकी थी । उसकी बैक लाइट भी
नजर नहीं आ रही थी ।

"तुझे कया हो गया. ?" डैनी ने ड्राइवर से पूछा, "रफ्तार बढ़ा । हमें अगली गाड़ी की बैक लाइट नजर नहीं
आरही ।"

"रफ्तार बढ़ा रहा हूँ, पर बढ़ ही नहीं रही । एक्सीलेटर पर पूरा दबाव डालकर देख लिया । ठहरो, मैं गाड़ी
चेक करता हूँ ।" उसने गाड़ी रोक दी और गाड़ी से उतरकर गाड़ी का बोनट खोल दिया |
अभी वह गाड़ी के इंजिन में झांक ही रहा था कि एकाएक कड़कड़ाहट की जोरदार आवाज सुनाई दी और सड़क
के किनऐे खड़ा एक बड़ा सा चुक्ष कड़कड़ाकर टूटता हुआ गाड़ी पर आ गिरा । अब आडी की लंका लग गयी |
अंदर बैठे हैनी और जोजफ की चीखे एक साथ गूँजी । अलबत्ता चोटी वाला अभी भी ध्यान मुद्रा में खामोश बैठा
उस माइल स्टोन को देख रहा था जिस पर .5 किलोमीटर लिखा था ।

ड्राइवर उछलकर पीछे हट गया । अन्यथा वह वृक्ष की चपेट में आ जाता | गाड़ी की छत टूट गयी थी ।
ड्राइवर की आँखें फटी की फटी रह गयी । उसने बमुश्किल गाड़ी के दरवाजे खोलकर जोजफ और डैनी को बाहर
निकाला ।

चोटी वाला चीखा, "गाड़ी से बाहर मत निकलो । अंदर ही रहो । बाहर मेरा मंत्र काम नहीं करेगा ।"

"अबे, नीचे उतर ! वरना गाड़ी के अंदर ही पिचक जायेगा ।" डैनी चीखा, "यह सामने माइल स्टोन पर 5
लिखा है । हम 5 किलोमीटर दूर हैं ।"

"पिचकेगा कोई नहीं, पर तुमसे चिपक जायेगा वह । अंदर मंत्र का कवच बन चुका है । मैं कहता हूँ गाड़ी
में आजाओ ।"

"कौन चिपकेगा बे हमसे ?" जोजफ के स्वर में थोड़ी लड़खड़ाहट थी ।

"भूत !" चोटी वाला बोला, "तुम लोगों को गाड़ी से बाहर निकालने के लिये उसने पेड़ गिराया है ।"

कुछ पल के लिये सन्नाटा पसर गया ।

"एक बात तो सुनो ।" अचानक ड्राइवर ने कहा, "बीएमडब्ल्यू, जिसमें अब्बास साहब बैठे थे, वह हमें
ओवरटेक करके पहले ही आगे निकल गयी ।"

"अबे तुझे कुछ होश है भी या नहीं । गाड़ी इतनी धीमी चला रहा था कि दोनों वैनिटी भी तुझे ओवरटेक करके
आगे चली गयी ।" डैनी ने ड्राइवर से कहा ।

"जस्ट स्टॉप !" जोजफ बोला, "मुझे कुछ सोचने दो । कुछ सोचने दो मुझे । कुछ न कुछ गड़बड़ तो है ।"

डैनी और ड्राइवर, जोजफ की तरफ देखने लगे । जोजफ के गले में क्रॉस था । उसने क्रॉस को माथे से
लगाया ।

"त्गता है, यह भी किसी वहम का शिकार हो गया है ।"”

"अब क्या करें"

"अभी हम जिंदा हैं ।" अचानक जोजफ बोला ।

"क्या बोला तू ?" डैनी पुर्यया, "कौन मारेगा हमें ?"

"मेरा मतलब अभी बस का आना बाकी है । वह आती ही होगी । हम उसमें बैठ सकते हैं । कार को यहीं
रहने दें ।"

"हाँ, यह ठीक है । स्टैपनी खोक के जरा सामान तो निकाल ।" उसने ड्राइवर से कहा ।

ड्राइवर स्टैपनी खोलने के लिये मुड़ गया । उसने बड़ी मुश्किल से स्टैपनी को खोला और उसमें रखे सूटकेस
नीचे उतारे लगा ।

"गैं शंकर को फोन लगाता हूँ ।" डैनी ने शंकर को फोन लगाया, परन्तु वह नॉर्ट रीचेबल आ रहा था । दो-
तीन बार ट्राई करने पर भी फोन नहीं लगा । उसके बाद उसने खन्ना को ट्राई किया, पर वह भी नहीं मिला |
अब्बास का फोन भी नहीं लगा ।

डैनी बार-बार अलग-अलग लोगों को फोन लगाता रहा, पर किसी का फोन नहीं लगा |

"कॉल ही नहीं जा रही ।" डहैनी पहली बार सीरियस हुआ ।

"लोकेशन कंट्रोलर को फोन करो ।"

"मैं ट्राई कर चुका हूँ । वहाँ भी कॉल नहीं जा रही ।"

"ठीक है फिर हम बस का वेट कर लेते हैं ।" जोजफ बोला |

काफी देर इंतजार करने के बावजूद भी बस नहीं आयी | डैनी ने बस में बैठे प्रोडक्शन के असिस्टेंट को फोन
किया, पर वह भी नहीं मिला ।

"मुझे लगता है, बस नहीं आयेगी । इतनी देर में तो उसे आ जाना चाहिये ।" ड्राइवर बोला ।

"तो अब क्या किया जाये ?" हैनी ने पूछा ।

"पैदल मार्च करें । सुबह तक तो पहुँच ही जायेंगे ।"

तभी कार की हेडलाइट बुझ गयी और कार के अंदर भी अंधेरा छा गया ।

"अबे, यह क्या किया गुल्लू !"

ड्राइवर का नाम गुलशन था. । उसे सब लोग गुल्लू ही कहकर पुकारते थे । वह इंजिन के पास ही झुका
हुआथा ।

"तूने सप्लाई तो नहीं काट दी ?" जोजफ ने पूछा ।

"मैंने कुछ नहीं किया  । शायद पेड़ गिरे की वजह से कनेक्शन कट गये  ।"

अब वह सब अंधेरे में खड़े थे । सबने मोबाइल की टॉर्च जला ली |

"अब इस गाड़ी की रोशनी का करना भी क्या है ?" गुलशन बोला, "मैं तो चला ।"

"कहाँ चला ?"

"पैं वापस जा रहा हूँ । जरूर कुछ बड़ी गड़बड़ है । चोटी वाला ठीक ही कह रहा था. । हमें गाड़ी से नहीं
उतरना चाहिये था और गाड़ी अब कचूमर हो गयी ।"

"यार, ये क्या हो रहा है ?"

"निकल चल डैनी !"

"हम यूनिट को छोड़कर नहीं जा सकते ।" डैनी बोला ।

"उधर ही तो चलने को बोल रहा हूँ ।"

"और सामान ?"

"एक-एक बैग में कपड़े डालकर चलते हैं ।"

"आरे, यह गुल्लू कहाँ गया. ?" डैनी ने इधर-उधर देखा । गुलशन कहीं नजर नहीं आ रहा था ।

"शायद वह डर के मारे भाग गया ।" जोजफ बोला ।

"डरने की जरूरत नहीं  । रिवॉल्वर है मेरे पास । मैगज़ीन की फुल है । चलो ।"

"और इसका क्या होगा 7"

"किसका ?" डैनी ने पूछा ।
"चोटी वाला !"

डैनी गाड़ी की पिछली सीट तक पहुँचा ।

गाड़ी के अंदर अंधेरा था । उसने मोबाइल की टॉर्च से अंदर रोशनी डाली । चोटी वाला ध्यान मग्न था और
होंठों से कुछ बुदबुदा रहा था ।

डैनी ने दरवाजा खोला । उसने चोटी वाला की कलाई पकड़ी और उसे जबरदस्ती बाहर खींचा |

"साले, मेकअप क्या तेरा बाप करेगा !" डैनी गुर्यया ।

"बाप का नाम मत ले । बन्दर बना देगा तेरा ।" चोटी वाला अपना हाथ छुड़ाकर बोला ।

डैनी उसे खींचता हुआ जोजफ के पास ले आया ।

"चलो, तेज-तेज कदमों से ।"

बेबस चोटी वाला उसके साथ-साथ बढ़ने लगा ।

उन्होंने एक-एक बैग कन्थे पर लटकाया हुआ था

कि के कि

सुलेमान ने एकाएक पूरी पावर से ब्रेक न लगाये होते तो एक दुर्घटना घट जाती । चरस के नशे की वजह से
शंकर की पलकें बन्द थी । उसे झटका लगा तो पलकें धरथरा गयीं ।

"अबे, क्या हुआ ?" वह ऊँघते स्वर में बड़बड़ाया ।

"मका, आँखें खोल के देख के हुआ ।" सुलेमान ने उसे एक धौल मारी और शंकर पूरा जाग गया । शंकर
की आँखें पूरी खुल गयी । वह सीट से नीचे गिरते-गिरते सम्मला ।

"जिब मिलती नहीं तो ।"

"चुप ।" शंकर बोला । शंकर की निगाह उस बौने पर थी, जो सड़क के बीचोंबीच लालटेन लिये खड़ा था,
"अबे, यह तो वही बौना है, जिसने बैरियर खोला था । यह साला यहाँ कैसे पहुँच गया!"

सुलेमान उसी बौने को घूर रहा था. । वह हैडलाइट की रोशनी में नहाया हुआ था और लालटेन हिला रहा
था |

"कुचल दूँ साले को !" सुलेमान बड़बड़ाया |

"नहीं रे ! बच्चा ही तो है ।"

"बच्चा नहीं है, चच्चा है । ऐसी की तैसी इसकी ।"

सुलेमान ने पहले हॉर्न बजाया, पर बौना टस से मस नहीं हुआ ।

तभी बौने ने सीटी बजायी ।

"मैं साले को कुचल ही देता हूँ ।"

"रुक !" शंकर ने भी सीटी निकाली । सीटी बजायी | बौने ने फिर सीटी बजायी । शंकर सीटी का जवाब
सीटी से देने लगा |

"साले, इन दोनों सीटी बाजों ने दिमाग खराब करके रख दिया | । चल, नीचे उतर शंकरे । उस बौने कू
बोल हरियाणा का खून बहुत गर्म होवे है ।"

"तब तो वह सबसे पहले तेरा ही खून पीयेगा ।"
"के मतलब ?" सुलेमान ने इंजन बन्द कर दिया ।

"अबे, वो सीटी बाज भूत है !" शंकर ने कहकहा लगाया |

"मेरा भूत है । अरे, तू नीचे उतर के उसे सामणे से हटाता है कि तुझे पटक दूँ नीचे!"

शंकर ट्रक का दरवाजा खोलकर नीचे उतरा और जोर-जोर से सीटी बजाने लगा । बौना और शंकर आमने-
सामने पहुँच गये । दोनों सीटी बजा रहे थे । बौने के एक हाथ में लालटेन थी, दूसरे में सीटी । अचानक बौना
उछलकर ट्रक के नीचे घुस गया । लालटेन अब भी उसके हाथ में थी । शंकर वापस ट्रक में आकर बैठ गया |

"चल !" उसने प्रीन सिग्नल दे दिया ।

सुलेमान ने ट्रक का इंजन स्टार्ट किया और ट्रक चल पड़ा, लेकिन वह इस बात से बेकरार थे कि ट्रक की तेल
टंकी में आग लग चुकी है । ट्रक से आग के शोले उठने लगे । जैसे ही सुलेमान की तरफ थुआँ आया, उसने
ट्रक रोककर नीचे छलाँग लगा दी । शंकर भी नीचे कूद पड़ा | ट्रक घूं-धूं कर जल रहा था, फिर टायर फटने के
धमाके होने लगे और पूरा ट्रक आग की लपयटों में घिर गया । आग बुझाने का कोई साधन उनके पास नहीं था ।
उन्होंने जल्दी से अपने बैग उतार लिये ।

उनके सामने ट्रक जलता रहा । पटाखे फूटते रहे ।

"अबे, बड़ी मेहनत से बणाया था यू ट्रक मन्नै !" सुलेमान रोने लगा, "किसने आग लगायी ।"

शंकर कुछ नहीं बोला । वह चुपचाप सड़क के किनारे बैठकर नयी सिगरेट सुलगाने लगा ।

"तू भी सुड्टा मार ले ।" थोड़ी देर बाद शंकर बोला, "दिमाग शांत हो जायेगा ।" उसने सुलेमान को सिगरेट
थमा दी । सुलेमान सुट्टे मारने लगा ।

विपुल भाई को दारू चढ़ गयी थी ।

"खनने !" वह नशे में बोला, "मैं हीरोइन की वैनिटी में जाऊँगा । गाड़ी रुकवा !"

"विपुल भाई, अपने गाड़ी में भी तो एक हीरोइन है ।" खन्ना ने विपुल का कंधा धपकाते हुए कहा ।

"ठीक है, तो फिर उसे बोल मेरी गोद में आकर बैठे ।" विपुल और खन्ना ने गाड़ी रुकवा दी ।

"पायल, तुम पिछली सीट पर आ जाओ !" खन्ना ने कहा और गाड़ी का दरवाजा खोलकर नीचे उतर गया |
पायल उसका इशारा समझ गयी । वह भी नीचे उतरी, फिर पिछली सीट पर चली गयी । खन्ना ड्राइवर के
बराबर वाली पैसेंजर सीट पर बैठ गया । पीछे से किसी ने हॉर्न दिया | मर्सडीज आगे बढ़ गयी ।

इधर विपुल की गोद में पायल बैठी थी । उधर वैनिटी में मघुर, विलाशा पर सवारी गाँठ चुका था । खन्ना
ने गाड़ी के स्पीकर पर एक सेक्सी म्यूजिक बजाना शुरू कर दिया । विपुल ने पायल को दायें-बायें से चूमा फिर
पायल पलट पड़ी | अब वह दोनों आमने-सामने थे और विपुल ने पायल पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी थी |
उस वक़्त पायल एक मिनी स्कर्ट पहने हुई थी । उसे स्कर्ट उतारने में मिनट भी नहीं लगा विपुल तो पहले से तैयार
बैठा था. । उनके आगे प्रोडक्शन का ट्रक था । पीछे अब्बास की बीएमडब्ल्यू थी, पर आगे गाने वाले ट्रक की
बैक लाइट अब नजर नहीं आ रही थी । जीतेश ने उसे छूने के लिये स्पीड बढ़ा दी ।

"स्पीड मत बढ़ा जीतेश ! यह पहाड़ी सड़क है और इस पर खतरनाक मोड़ है । रफ्तार कम करो ।"

"ट्रक की बैक लाइट नजर नहीं आ रही है ।" जीतेश बोला ।
"कोई फर्क नहीं पड़ता । सड़क तो एक ही है । सुलेमान बहुत एक्सपर्ट ड्राइवर है. । अगर कहीं से दूसरी
सड़क कटती होगी तो वह रुक जायेगा । तुम बस अपनी ड्राइविंग पर ध्यान दो  ।"

"हाँ, ठीक है । मैं भी अपनी ड्राइविंग पर ध्यान देगा ।" विंपुल नशे की झोंक में कहा ।

"चढ़ गई साले को ।" खन्ना बड़बड़ाया ।

विपुल ने मर्सडीज की पूरी सीट खोल दी । अब वह बेड की शक्ल में नजर आ रही थी ।

"अंदर की लाइट ऑफ कर दे जीतेश । इसे फेंकना तो पड़ेगा ही । आखिर फाइनांसर जो है । बस डैश
बोर्ड की लाइट ऑन रख ।"

जीतेश ने गाड़ी के अंदर की लाइट ऑफ कर दी । विपुल के हाँफने की आवाज आ रही थी । वह कुत्ते की
माफिक भौं-भौं कर रहा था. । पायल भी उसका पूरा साथ दे रही थी । वह इस काम में एक्सपर्ट थी ।

कि कि की

पतली घाटी की लोकेशन का इंचार्ज दीपक था । वह तो आ चुका था, लेकिन बाकी यूनिट आखिरी सड़क
से आगे जा चुकी थी और किसी से भी फोन पर सम्पर्क नहीं हो पा रहा था. । वहाँ एकाएक हलचल सी मच गई
थी | दीपक से कुछ टेक्नीशिंयन और जूनियर आर्टिस्ट तरह-तरह ल सवाल करने शुरू कर दिये । दीपक यही
कहता रहा कि वे लोग रास्ते में डिनर के लिये रुक गये हैं । बस में बैठे सभी लोगों को उसने समझा दिया था कि
असलियत किसी को न बताये ।

"सब लोग डिनर की तैयारी करो ।" दीपक ने अपने असिस्टेंट से कहा ।

डिनर तो तैयार हो चुका है, पर कानाफूसी चल रही थी । पूरा एरिया रोशनी में नहाया हुआ था. । वहाँ
लाइटनिंग कर दी गयी थी । फुर्सत मिलते ही दीपक ने रामगढ़ पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी और सारा
विवरण उनको दे दिया । टीकमगढ़ में एक ही पुलिस स्टेशन था । कंट्रोल रूम रामगढ़ में था । रामगढ़ कंट्रोल
रूम से सूचना पुलिस कमिश्नर को पहुँचा दी गयी । वहाँ से फोन एसएसपी को गया और एसएसपी ने टीकमगढ़
थाने को अलर्ट कर दिया । लेकिन रात को पुलिस टीम ने उस तरफ सर्च करना मुनासिब नहीं समझा । इस पूरे
मामले को दिन की रोशनी में ठीक से हैंडल किया जा सकता था । या फिर यह पुलिस की लापरवाही थी ।
अगर पुलिस की गाड़ी रात को ही सर्च आपरेशन चला देती तो उन लोगों को मदद जाती जो आखिरी सड़क पड़
फैंस गये थे ।

किकेकि

"अब लोग चौकस रहना ।" चोटी वाला बड़बड़ाया, "यहाँ डाकू भी जंगलों में छिपे होंगे और शैतानी आत्मायें
भी हो सकती हैं ।"

"अबे, चुपकर !" डैनी ने उसे डाँट दिया, "डाकुओं को ऐसी-तैसी । वह हमसे कया लूट लेंगे ! दो-चार हुए
तो उनसे मैं अकेला ही निपट लुूँगा ।" उसने हाथ में रिवॉल्वर ली हुई थी ।

जोजफ खामोश था । तीनों पैदल-पैदल उसी तरफ बढ़ रहे थे, जिस तरफ उनकी यूनिट की गाड़ियाँ बढ़ी
थी |

"सुबह तक हम लोकेशन पर पहुँच ही जायेंगे ।"

तीनों के कंधों पर एक-एक बैग लटक रहा था ।
"ठीक है, जब तुमने फैसला कर ही लिया तो, सबसे आगे मैं चलूँगा ।" चोटी वाला लम्बे डग भर-भरकर
डैनी और जोजफ से आगे हो गया और सीना तानकर हनुमान चालीसा पढ़ता आगे-आगे चलने लगा |
के के के

"एक कुत्ता जाता है तो दूसरा आ जाता है ।" विलाशा ने बड़बड़ाते हुए कहा ।

"क्या बोला?" मधुर ने उसे पूरा ।

"कुछ नहीं ! तुम क्यों चढ़ गए मेरी वैनिटी में 7"

"अरे कुछ नहीं ! सिगरेट खत्म हो गई थी । तुम्हारे पास तो स्टॉक होगा । मैं ड्रग पेडलर को आर्डर देना भूल
गया था । मेरा स्टॉक खत्म हो गया ।"

"बहाने मत बनाओ ।" विलाशा ने उसे सिगरेट निकालकर दे दी ।

"कभी-कभी मुझे लगता है, सारी ही दुनिया नशे में है. ।" विलाशा ने भी एक सिंगरेट सुलगा ली, "पहले मैं
सोचती थी, हमारी फिल्म इंडस्ट्री का फैशन है यह । शुरू-शुरू में दिक्कत हुई, पर अब आदत पड़ गई । यार,
तुम्हें नहीं लगता हम लोग सिर्फ खिलौने हैं । जैसे हम कंप्यूटर और मोबाइल पर गेम खेलते हैं, वैसे ही हमें कोई
नचाता है और उसी नचाने वाले को हम परमात्मा या ईश्वर बोलते हैं. । वह जब चाहता है हमें गेम से डिलीट कर
देता है और नये खिलौनों को जन्म दे देता है !"

"पर कुछ खिलौने वह बेहद हसीन बनाता है. । जैसे तुम... ।"

मधुर ने उस वक्‍त ट्रैक सूट पहना हुआ था. । वह सूट रेड कलर का था. । वैनिटी का एसी बंद था और एक
खिड़की खोल दी गई थी । बाहर रात का अंधेरा फैला हुआ था |

"और भगवान भी कभी-कभी इतना बेबस हो जाता है । जब वह अपनी बीवी को भी नहीं बचा सका ।"

"भगवान की बीवी नहीं होती जान । वह इस ब्रह्मांड से बाहर रहता है ।"

"ज्ञान मत बघारों । रामक्या थे ?"

"मगवान थे । बोलो, जय श्री राम !"

"तो रावण उनकी पत्नी को कैसे उठा ले गया ? आज के जमाने में तो औरतों को उठाकर उनके साथ गैंगरेप
होता है । रावण ने सीता के साथ ऐसा कुछ नहीं किया  ।"

"यार, छोड़ो भी ! धर्म के मामले में चुप रहना ही ठीक होता है । इस्लाम में तो सिर कलम कर दिये जाते
हैं ।" मधुर ने अपने ट्रैक सूट का अपर उतारकर एक तरफ फेंका । उसका चौड़ा सुगठित सीना बाल रहित था ।
भुजायें बलशाली थी । शरीर को मांसपेशियाँ शेप में थी ।

"खिलौने बनाने वाले ने औरत को कितना मजबूर बनाया है । हर मोड़ पर एक कहानी है । कभी निर्मया की
कहानी है, कभी वह द्रौपदी बनती है और भरी सभा में उसका चीरहरण,... ।"

"तुम्हें हो क्या गया है?"

विलाशा बेड पर बैठी सिगरेट के कश मार रही थी और शून्य में निहार रही थी ।

"कम-से-कम हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में बलात्कार नहीं होते ।" मधुर बोला ।

"वह भी बलात्कार ही है मघुर ! हीरोइन बनने का नशा होता है और फिर दरिंदे उसका शिकार करते हैं ।
ग्लैमर की चकाचौंघ, करोड़ों रुपयों का लालच उसे मजबूर कर देता है ।"
"छोड़ो भी । ऐसी हजारों दास्तानें हैं । अगर तुम्हें मुझसे किसी तरह की आपत्ति है तो मैं उतरकर अपनी वैनिटी
में चला जाता हूँ । लेकिन प्लीज मूड ऑफ मत करो ।"

"मैं ऐसा मौका नहीं देती कि बाद में शूट पर प्रॉब्लम हो. ।" विलाशा ने सिगरेट ऐश ट्रे में कुचलकर अपनी
दोनों बाहें फैला दी ।

"ये हुई न बात ।" मधुर ने विलाशा को आगोश में लिया और एक गहरा चुम्बन लेते हुए बोला, "तुम बेहद
हसीन हो विलाशा और सभी हीरोड़नों में मेरी पहली पसंद हो ।"

विलाशा उस वक़्त नाइटी पहनें हुई थी ।

उसने मुस्कुराकर अपनी नाइटी की डोर खोल दी । बाकी काम मधुर ने पूरा कर दिया ।

दोनों वैनिटी आगे-पीछे चल रही थी । बीच में मामूली सा फासला था । दोनों की हेडलाइट में सड़क रोशनी
में नहा रही थी । मधुर का ब्वॉय ड्राइवर के बाजू में बैठा था । वह बार-बार खुली खिड़की से बाहर झाँक रहा
था |

"तू क्‍या देख रहा है. ?" ड्राइवर ने पूछा ।

"हमने ऑडी को ओवरटेक किया था. । पर वह पीछे सड़क पर दूर तक कहीं नजर नहीं आ रही है । जबकि
वह हमारे पीछे-पीछे मुश्किल से दस गज के फासले पर चली आ रही थी ।

आर, आ जायेंगे !"

"उसका ड्राइवर गुलशन मेरा दोस्त है । मैं उसे फोन लगाता हूँ ।" ब्वॉय ने गुलशन को फोन किया पर फोन
नहीं लगा |

"अपना फोन देना ।" ब्वॉय ने ड्राइवर से कहा ।

"डैश बोर्ड में रखा है ।"

ब्वॉय ने उससे भी ट्राई किया, पर फोन नहीं मिला |

"यार, यह हमारे फोन काम क्यों नहीं कर रहे हैं !" ब्वॉय ने बेचैनी से पहलू बदलते हुए कहा ।

"हो सकता है, यहाँ टावर प्रॉब्लम हो ।"

"पता नहीं क्यों, मेरे दिल की धड़कने तेज हो रही हैं ।"

ड्राइवर ने कोई जवाब नहीं दिया ।

गुलशन थोड़ी दूर तक तो दौड़ता रहा, फिर बुरी तरह हॉफने लगा और घीमे-धीमे चलने लगा । वह बार-बार
अपने फोन से कॉल मिला रहा था । कॉल नहीं लग रही थी ।

आसमान पर चाँद निकल आया था. । उसकी रोशनी में सड़क तो नजर आ रही थी, लेकिन दायें-बायें घने
जंगल और चड्टानें फैली हुई थी । वह जल्‍दी से जल्दी बैरियर तक पहुँच जाना चाहता था. । उसके दिमाग में
कुछ चल रहा था ।

चलते-चलते अचानक उसे अपने पास आहट-सी महसूस हुई । वह रुक गया । उसने दायें-बायें देखा, फिर
फुर्ती से पीछे मुड़ा । उसके ठीक पीछे-पीछे चन्द कदम के फासले पर एक मेड़िया था । मेड़िया भी रुक गया |
उसकी चमकीली आँखें, गुलशन पर टिकी थीं ।

अचानक मेड़िये ने मुंह उठाकर जोरदार आवाज निकाली । यह ऐसी ही आवाज थी जैसे कोई कुत्ता रो रहा
हो । गुलशन ने इधर-उधर देखा । वह किसी लाठी-इंडे या पत्थर को तलाश रहा था. । सड़क के किनारे उसे
कुछ पत्थर दिखाई दिये । उसने आगे बढ़कर एक पत्थर उठाकर मभेड़िये पर खींच मारा । उसी पल भेड़िये ने भी
उस पर छलांग लगा दी । पत्थर उसे नहीं लगा ।

गुलशन दौड़ पड़ा, लेकिन उसके पाँवों में अब जान नहीं थी । वह दौड़ते-दौड़ते गिर पड़ा और फिर मेड़िया भी
उस पर कूद गया । गुलशन उसे लात-घूँसे मारने लगा | वह मभेड़िये को लुढ़काकर एक बार फिर उठा, पर वह
बुरी तरह जख्मी हो गया था. | मेड़िये ने एक बार फिर छलाँग लगाई और गुलशन को दबोच लिया । गुलशन
बुरी तरह चीखने-चिल्त्ताने लगा, लेकिन वहाँ उसकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं था । दूर-दूर तक वीराना
फैलाहुआथधा ।

गुल्शन को बैरियर दिखाई दिया । वह गिरकर भी उसी तरफ सरकने लगा । हालांकि यह मेड़िया कद्दावर
नहीं था । गुलशन उसका मुकाबला कर सकता था । बशर्ते कि वह दौड़ते-दौड़ते धक न गया होता और उसकी
साँस पहले से फूली न होती ।

भेड़िया ने अपने तेज धारदार नाखूनों से उसका सीना चीर डाला और उसके बाद गुलशन की आखिरी चीख गूँज
उठी और उसका जिस्म ढीला पड़ गया । उसका संघर्ष खत्म हो चुका था ।

अब जो कुछ करना था, मेड़िया को करना था |

गुत्लशन का काम तमाम करने के बाद, मेड़िया उसके सीने से हट गया और फिर वह हुआ जिसे अगर गुलशन
देख लेता तो वैसे ही मर जाता । एकाएक मेड़िया पिछले दोनों पैरों पर खड़ा हुआ और देखते ही देखते इंसानी रूप
में आ गया. । यह छोटे कद का इंसान था |

वह कोई और नहीं, वही बौना था जिसने बैरियर खोला था । उसकी पीठ पर एक बैग फिक्स था । फिर
वह तेजी से दौड़ता हुआ सड़क से अलग एक दूसरे पहाड़ी रास्ते पर आ गया और कुलांचे मारता आगे बढ़ने लगा ।
वह शार्ट कट से उसी तरफ जा रहा था, जिधर से गुलशन दौड़ता आया था |

के के की

हीरोइन की वैनिटी से आगे कुछ फासले पर बीएमडब्ल्यू चल रही थी, जिसकी बैकलाइट को वैनिटी का ड्राइवर
फॉलो कर रहा था । उसके बराबर की सीट पर विलाशा का बॉडीगार्ड बैठा हुआ था. । विलाशा का ब्वॉय भी
वहीं बैठा था. | उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं था कि वैनिटी के बेडरूम में क्या हो रहा है । वह म्यूजिक
सुनने में मस्त थे । किसी को भी टेंशन नहीं थी । उधर बीएमडब्ल्यू, मर्सडीज जो फॉलो कर रही थी, जिसमें
खन्ना, पायल, विपुल मौजूद थे । पहाड़ी सड़क और रात का सफर । यूँ तो चाँदनी रात थी । सपाट पहाड़ मुंह
बाये खड़े नजर आ रहे थे । वैनिटी को मोड़ काटने में दिक्कत हो रही थी । लेकिन ड्राइवर बहुत एक्सपर्ट थे ।
सड़क इतनी संकीर्ण भी नहीं थी कि वैनिटी को मुश्किलें पेश आतीं, फिर भी बहुत सावधानी के साथ ड्राइविंग की
जारहीथी ।

ठाक-ठाक... तड़ाक-तड़ाक... तड़-तड़ ।
तभी ऐसी आवाज़ें वातावरण में गूँज उठीं ।

"आगे कुछ हुआ है ।" वैनिटी के ड्राइवर ने कहा ।

आगे जो कुछ हुआ, वह बड़ा खौफनाक था. । बीएमडब्ल्यू के सामने से पत्थरों की बरसात गाड़ी पर हो रही
थी । पत्थर विंड स्क्रीन से टकरा रहे थे । फिर एक झाड़ भी पत्थरों के साथ आया और बीएमडब्ल्यू के ड्राइवर
का हाथ स्टेयरिंग से बहक गया । एक तरफ खाई थीं, दूसरी तरफ नुकीली चड्टानें थीं । ड्राइवर को एक ड्राइविंग
सेंस होती है । वह कोशिश करता है कि गाड़ी को लेफ्ट में दाब कर रखे । भुवन ने लेफ्ट में ही स्टेयरिंग काटा |
लेफ्ट में चट्टानें थीं । गाड़ी एक जोरदार घमाके के साथ चट्टानों से टकरा गयी । हालांकि उसने ब्रेक भी लगा दिया
था, पर तब तक कबाड़ा हो चुका था । गाड़ी की विंड स्क्रीन चकनाचूर हो गयी थी । एक नोकीली चट्टान विंड
स्क्रीन तोड़कर अंदर घुस आयी थी और कैमरामैन हरीश पाठक के चेहरे से कुछ ही इंच फासले पर थी । हरीश की
चीख निकल गयी । अब्बास का सिर गाड़ी की अगली सीट से टकराया । बासु अपनी सीट से उछलकर कार के
दरवाजे से टकराया ।

फिर बड़े-बड़े पत्थर टूटकर गाड़ी पर गिरने लगे ।

"फौरन नीचे उतरिये सर!" ड्राइवर भुवन चीखा और खुद भी ड्राइविंग सीट खोलकर नीचे कूद पड़ा |
कैमरावैन की साइड वाला दरवाजा एक चड्टान से चिपक गया था. । वह उस दरवाजे को खोलने की कोशिश कर
रहाथा |

"इस तरफ से ।" भुवन चीखकर बोला |

मुवन ने फुर्ती से पिछली सीट का दरवाजा भी खोल दिया ।

"अबे, ये कया कर दिया तूने ?" डायरेक्टर अब्बास जोर से चीखा तो उसे खाँसी का घस्का उठ गया । वह
बुरी तरह खाँसने लगा ।

"मजबूरी थी सर ! अगर मैं लेफ्ट में नहीं काटता तो हम खाई में होते । सामने से पथराव हो रहा था ।"

उसने अब्बास को नीचे उतारा । फिर डॉक्टर वासु को उतारा । उसके बाद ड्राइवर उनका जरूरी सामान बैग
वैगरह उतारे लगा ।. उसे शंका थी कि कोई बड़ी चड्टान गाड़ी को चकनाचूर कर सकती है । उसने जल्‍दी से
स्टैपनी खोली और उससे भी सूटकेस बाहर निकालने लगा |

"आप लोग पीछे हट जायें । पीछे !" मभुवन चिल्लाया । वह एक बड़ी चट्टान को अपनी जगह से खिसकते
देख रहा था. । वे न सिर्फ पीछे हटे, बल्कि उल्टे पैरों भागने लगे । पीछे से वैनिटी आ रही थी । वह चीखते-
चिल्लाते हाथ उठाकर वैनिटी की तरफ बढ़े । जोर से वैनिटी के ब्रेक चीखे और वह रुक गयी ।

बड़ी चट्टान ने बीएमडब्ल्यू को तहस-नहस कर दिया था । उनके चेहरों से हवाइयाँ उड़ रही थी । गाड़ी का
इंजन बन्द हो गया और उसकी हेडलाइट भी ऑफ हो गयी ।

विलाशा की वैनिटी के पीछे मघुर वाली वैनिटी थी । वह भी आकर रुक गयी । सब घाड़-घाड़ नीचे उतर
गये । लेकिन विलाशा और मधुर नहीं उतरे । वे वैनिटी में ही थे ।

"ऐसा लगता है. । बाहर कुछ गड़बड़ है. । चीख-पुकार की आवाजें आ रही हैं ।" विलाशा ने कहा ।
उसकी मॉँसल जँघाओं को मधुर ने मजबूती के साथ पकड़ा हुआ था और वह कुत्ते की तरह हॉफ रहा था । वैनिटी
का बैडरूम अंदर से बन्द था |
सब लोग बीएमडब्ल्यू के पास खड़े थे । अब वैनिटी भी आगे नहीं बढ़ सकती थी । वह चूँकि मोड़ काटकर
रुकी थी और अचानक सामने हादसा हो गया था इसलिये वह तिरछी हो गयी । वरना वह भी बीएमडब्ल्यू से जा
टकराती । उसका अगला हिस्सा खाई की तरफ था । अगर तीन फुट आगे जाती तो सीधा खाई में समा जाती ।
जरूरी सामान मुवन ने पहले ही गाड़ी से निकाल लिया था ।

अब्बास दूसरी वैनिटी के पास आया । वह पहली वैनिटी के ठीक पीछे रुकी हुई थी । ड्राइवर अभी भी
अपनी जगह पर था ।

"यह मधुर कया सो रहा है अंदर 7" अब्बास ने ड्राइवर से पूछा ।

"साहब वैनिटी में नहीं है ।" ड्राइवर ने जवाब दिया ।

"फिर कहाँ 7"

"वह अगली वैनिटी में हैं ।" ड्राइवर ने जवाब दिया |

अब्बास समझ गया । उसने आगे पूछताछ नहीं की |

"और वह तीसरी ऑडी कार वही है जो हमारी गाड़ी के पीछे थी ।"

"उसे हमने ओवरटेक कर दिया । वह बहुत सुस्त ड्राइवर है । बहुत धीमे ड्राइव कर रहा है ।" ड्राइवर ने
जवाब दिया, "आती ही होगी ।"

तभी कैमरामैन हरीश, ड्राइवर के पास आया |

"अब क्या किया जाये ?"

"अब गाड़ियाँ आगे नहीं जा सकतीं । सिर्फ एक गाड़ी पीछे है । उसे आने दो, फिर कोई फैसला करेंगे ।"
अब्बास बोला |

"पर हमसे आगे खन्ना साहब की गाड़ी भी तो है और प्रोडक्शन ट्रक भी है जो सबसे आगे चल रहा है ।"

"फ़क ! पता नहीं क्‍या हो रहा है ।" अब्बास सड़क के किनारे एक पत्थर पर सिर थामकर बैठ गया |

फिर वह चीखा, "अरे, एक सिगरेट दो मुझे जलाकर ।"

ड्राइवर जानता था कि अब्बास कौन-सी सिगरेट माँग रहा है ।

मर्सडीज एक झटके से रुक गयी । खन्ना अगली सीट पर ड्राइवर के बराबर में बैठा था । दोनों ने एक-दूसरे
को देखा था । पिछली सीट पर जन्नत की सैर हो रही थी । विपुल के हाॉफने की आवाज आ रही थी । पिछली
लक्ज़री सीट फैली हुई थी । उसने बेड का आकार घारण कर लिया था ।

मर्सडीज की हेडलाइट एक पेड़ को दिखा रही थी । यह एक विशाल वृक्ष था जो सड़क पर गिरा हुआ था और
आर-पार तक फैला हुआ था । उसकी शाखाएँ भी दायें-बायें हवा के साथ हिल रही थी ।

न तो खन्ना ने ड्राइवर से कोई सवाल किया, न ड्राइवर ने कुछ पूछा । दोनों ही एक साध गाड़ी से नीचे उतरे ।
मर्सडीज की अंदर की लाइट पहले से ही ऑफ थी | दोनों दायें-बायें से चलते हुए उस पेड़ के पास आये और पेड़
की एक शाख पर बैठकर शुन्य में निहारने लगे ।

"क्या बात है, आप इतना खामोश क्यों हैं ?" ड्राइवर जितेश बोला ।
"पता नहीं क्यों मेरा दिल तेज-तेज धड़क रहा है । हमारे फोन ठप्प हैं. । हम किसी से मदद भी नहीं माँग
सकते और न तो हम पीछे जा सकते, न आगे बढ़ सकते । इस पेड़ को दस-पंद्रह मजदूर मिलकर भी नहीं हटा
सकते । इसे काटा तो जा सकता है, हटाया नहीं जा सकता ।"

"लेकिन अगर यह पेड़ सड़क पर गिरा हुआ था तो हमसे आगे जाने वाला ट्रक क्यों नहीं रुका ।"

"यही तो मैं सोच रहा हूँ । ट्रक के निकल जाने के बाद यह पेड़ यहाँ गिरा है । क्‍या तुम्हें नहीं लगता कि यह
गिरा नहीं, गिराया गया है ? और अगर गिराया गया है तो किसने गिराया और क्यों गिराया ?"

"॥बीएमडब्ल्यू आती होगी । हमें उसका वेट करना चाहिये ।"

तभी उन्हें कुछ आवाजें सुनाई दी, जैसे पहाड़ टूटकर गिर रहे हों । खन्ना उछल पड़ा ।

"पीछे कुछ हुआ है !" उसने कहा, "मुझे लगता है, डाकुओं ने हमें घेरा... ।"

खन्ना पीछे की तरफ जाने ही वाला था कि ड्राइवर जितेश चीखा, "सर, हमारी गाड़ी पर भी मलबा गिर रहा
हु |

कब खन्ना लपककर मर्सडीज के पास आया । ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोलकर उसने अंदर देखा |
विपुल कुत्ते की तरह हाँफ रहा था । पायल की निगाह खन्ना पर पड़ी ।

"नीचे उतरो कपड़े पहनकर । गाड़ी कब्र में समाने वाली है । क्या तुझको नजर नहीं आ रहा है । हरामखोरों
इतनी पीते क्यों हो । एक तो चरस, ऊपर से शराब ।" खन्ना ने उन्हें दो-चार गालियाँ सुनायी और दोनों ने जल्दी
से कपड़े पहने । फिर गाड़ी से नीचे उतर गये ।

"जितेश, गाड़ी से जरूरी सामान उतार ले ।"

"जी सर !"

"मैं पीछे देखता हूँ । वहाँ कुछ हुआ है । तुम लोग जरूरी सामान के साथ पीछे आ जाओ ।"

"कैश भी है ।" विपुल बोला ।

"वह सूटकेस जितेश पे आयेगा ।"

"पर हमें जाना कहाँ है ?" पायल ने पूछा ।

"पहाड़ टूटकर गिर सकता है । देख नहीं रहे हो । पीछे बीएमडब्ल्यू है, वैनिटी है. । शायद वहाँ कुछ हुआ
है |"

तब तक विलाशा और मधुर भी वैनिटी के नीचे उतर आए थे और दोनों वैनिटी के ड्राइवर, ब्वॉय और विलाशा
का गार्ड भी नीचे आ गये थे । सब उस जगह पहुँचे जहाँ बीएमडब्ल्यू फेंस गयी थी । किसी भी सूरत में वैनिटी
उसे ओवरटेक नहीं कर सकती थी । मलबा अब भी गिर रहा था । तब तक खन्ना भी वहाँ पहुँच गया ।

"और तुम यहाँ कैसे ?" अब्बास ने पूछा ।

"हमारी गाड़ी भी तबाह हो गयी है ।" खन्ना ने मायूसी से कहा, "अब हम फँस गये है. । हमारी गाड़ियाँ न
आगे जा सकती हैं, न पीछे ।"

"चैनिटी रिवर्स में जा सकती है. । बड़ी सावधानी से चलना होगा ।" अब्बास बोला, "क्यों, क्या कहते
हो ?" उसने वैनिटी के दोनों ड्राइवर से पूछा ।

"पीछे बैकलाइट में यह सम्भव नहीं है. । हम यहाँ से यूटर्न नहीं ले सकते । पहाड़ी सड़क है और मोड़ भी

खतरनाक है । अगर हमने बैक गियर का इस्तेमाल किया तो खतरा है । वैनिटी या तो खाई में गिर जायेगी या
फिर चट्टानों से भिड़ जायेगी ।" मधुर की वैनिटी का ड्राइवर नायडू बोला, "और वैनिटी अब आगे भी नहीं जा
सकती ।"

पीछे-पीछे जितेश, पायल और विपुल भी वहाँ पहुँच गये । दो लोग सूटकेस उठाये हुए थे । सब लोग एक
जगह जमा थे और किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे हो गया और अब क्या किया जाये |

तरह-तरह के विचार रखे जा रहे थे ।

"सब लोग दोनों वैनिटी में बैठ जाये  ।" थोड़ी देर में खन्ना ने ऐलान किया, "सिर्फ मैं और अब्बास बाहर
रहें ।"

सब लोग दोनों वैनिटी में बैठ गये । अब सब खामोश थे. । सभी एक-दूसरे की सूरत देखकर नकली
मुस्कुराहट फेंक देते ।

"क्या लगता हैं. 7?" खन्ना ने अब्बास से सवाल किया |

"तुम्हारी मर्सडीज के आगे प्रोडक्शन का ट्रक भी आ रहा था. । पर तब कोई पेड़ नहीं गिरा था. । इसका
मतलब पेड़ को बाद में गिराया गया । हो सकता है, उसे पहले से काटकर रखा गया हो और फिर गिराया गया
हो । यह किसी एक का काम नहीं हो सकता । हमारी गाड़ी पर पथराव करने वाला भी कोई एक आदमी नहीं
होगा । फिर ऊपर से चट्टान भी गिरायी गयी । मेरे ख्याल से यह किसी डाकू गिरोह का काम है, जिसने हम
सबको घेर लिया है । ट्रक को इसलिये जाने दिया क्योंकि क्योंकि उसमें उसके मतलब का सामान नहीं था |
डाकुओं ने पूरी रैकी की है । हमारी ही यूनिट का कोई आदमी उनसे मिला हुआ है । मेरा यकीन है कि उनके
निशाने पर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, हीरो-हीरोइन फाइनेंसर होने चाहिये । बाकी लोग इसलिये फैँस गये क्योंकि
वह हमारे साथ हैं ।"

"मैं भी यही सोच रहा हूँ ।" खन्ना बोला, "अब क्या किया जाये ?"

"हमारे पास कुछ हथियार तो हैं ही ।"

"क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम आगे सड़क पर पैदल-पैदल निकल चलें  । डाकू जब तब यहाँ पहुँचेंगे,
हम निकल चुके होंगे ।"

"इतना आसान नहीं है । जिन लोगों ने यहाँ अम्बुश लगाकर हमें रोका है, क्या वह हमें आगे जाने देंगे ?"

"इस जगह ही कौन-सा हम सेफ हैं ।"

"हमारे पास दो वैनिटी है । उसके अंदर जाने का लॉक भी रिमोट से खुलता है । हम उसमें सेफ रह सकते हैं ।"

"वे इसका भी इलाज जानते होंगे ।"

"ठहरो भाई ! मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है । मुझे कुछ सोचने का वक्‍त दो । साला, फोन भी ठप्प
है । शायद यहाँ टावर ही नहीं है ।"

"डाकू हमारा फोन ब्लॉक नहीं कर सकते ।"

"क्या मतलब ?" अब्बास चौंका ।

"कोई दूसरा चक्कर भी हो सकता है. ।" खन्ना के स्वर कॉप रहा था ।

अब्बास खामोश था. । खन्ना भी खामोश हो गया |

दोनों चाँदनी रात को घूर रहे थे ।

उस वक़्त रात के बारह बज रहे थे, जब जोजफ, डैनी और चोटी वाला पैदल मार्च करते हुए उस जगह पहुँच
गये, जहाँ दोनों वैनिटी और बीएमडब्ल्यू मौजूद थी । उस वक़्त खन्ना परेशान-सा सड़क पर टहल रहा था । वह
खासा बेचैन था, क्योंकि प्रोडक्शन तो उसी का था. । पायल ने उसकी परेशानी भाँपी तो वह भी उसके पास आ
गयी । वे सब लोग दोनों वैनिटी में मौजूद थे । वैनिटी ठीक हालत में थी । अगली वैनिटी की हेडलाइट्स ऑन
थी. | उसमें मधुर था, अब्बास था, ड्राइवर था. । विपुल और डीओपी हरीश मौजूद था । मधुर का ब्वॉय भी
उसी में था. । वह लोग जाग रहे थे । ऐसे में नींद भला किसे आती । वैनिटी का एसी चालू था । तभी वहाँ
तीन आदमी नमूदार हुए । खन्ना ने उन्हें आते देख लिया था । रात चाँदनी थी । उन्हें दूर से ही पहचान लिया
था | वह दोनों जोजफ, डैनी और चोटी वाला थे |

जैसे ही पास आये, चोटी वाला जोर से चिल्लाया -

"नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान,

चार मुजा रक्षा करे, बजरंबली हनुमान ।"

इस बार किसी ने उसे नहीं टोका, क्योंकि उसके दोनों साथी कुछ थके मांदे और सहमे हुए थे ।

"यहाँ रुकना खतरे से खाली नहीं है । खन्ना साहब, आप लोग क्यों रुक गये ?" चोटी वाला, खन्ना से
मुखातिब था ।

"तुम लोगों की गाड़ी कहाँ है ?" खन्ना ने पूछा ।

हैनी ने सारा हाल बयान कर दिया ।

"और आप लोग ?" जोजफ ने पूछा ।

खन्ना ने सारी रामायण सुना दी ।

"मेरी बात मान लो आप लोग !" चोटी वाला लरजते स्वर में बोला, "यह हादसे ऐसे ही हुए हैं । हमें इस
आखिरी सड़क पर रोकने के लिये ही हुए हैं । अगर यहाँ कोई रुका तो एक के बाद एक सब मारे जायेंगे । वह
हमें घेर रहे हैं ।"

"कौन 7"

जवाब में चोटी वाला हनुमान चालीसा पढ़ने लगा |

उनकी आवाजें सुनकर वैनिटी से कुछ और लोग भी नीचे उतर आये ।

"वहाँ तो तू कह रहा था, गाड़ी में ही बैठे रहना, वरना मारे जायेंगे ।" डैनी ने चोटी वाला से कहा ।

"उस वक़्त मैं ध्यान लगाकर देखना चाहता था कि माजरा क्या है, लेकिन तुम लोगों ने ध्यान तोड़ दिया |
अब रात के बारह बज चुके थे । शैतानी ताकतें बस जागने ही वाली हैं । वह सीधा इसी जगह अटैक करेंगी और
फिर न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी । मैं कहता हूँ, निकल चलोइस मनहूस जगह से  । यह सारा काम शैतानी
ताकतों का है ।"

"मेरे ख्याल से चोटी वाला ठीक ही कह रहा है ।" जोजफ ने उसका समर्थन किया ।

"हुम सब एक साथ पैदल-पैदल चलेंगे ।" चोटी वाला बोला, "आगे मैं रहूंगा और पीछे जोजफ ।"

थोड़ी देर तक बहस चलती रही । वह किसी फैसले पर नहीं पहुंच पा रहे थे ।

अचानक विलाशा ने कहा, "अब मेरी बात सुनो सब लोग | मैंने अब तक आपमें से किसी को नहीं बताया
था. । इसलिये नहीं बताया कि कहीं आप लोग डर न जाये । चोटी वाला ठीक कह रहा है । इस जगह शैतानी
चक्कर है । मैंने एक बौने को वैनिटी के आसपास मंडराते देखा, फिर वह गायब हो गया । वह शायद हमारा
मुआयना कर रहा था । शायद वह कोई गंदी आत्मा है और वह अपने साथ दूसरी शैतानी आत्माओं को लेकर कभी
भी यहाँ पहुँच सकता है । बेहतरी इसी में है कि हम लोग यहाँ कुछ लोगों जो छोड़ दें, जो सामान की हिफाजत
करेंगे. । उन्हें हिदायत कर दें कि वह वैनिटी से बाहर न निकलें  । मेरा बॉडीगार्ड बहुत दिलेर और हिम्मत वाला
है । उसके पास गन भी है । वे अगली वैनिटी में लाइटें ऑफ करके चुपचाप से अंदर रहेंगे । हो सकता है, मेरा
वहम हो और चोर-डाकू ताक में हो । बौना उनका साथी हो ।"

"ऐसा है तो हमें विलाशा की बात मान लेनी चाहिये ।" अब्बास ने फैसला किया । उसके बाद तैयारी शुरू
हो गयी । वहाँ जिन लोगों को रहना था, उनमें दोनों वैनिटी के ड्राइवर थे ताकि जरूरत पड़ने पर वह गाड़ी चला
सकें । उनके साथ विलाशा का बॉडीगार्ड था । दोनों वैनिटी के ब्वॉय थे । वह पाँच लोग थे ।

मधुर का ब्वॉय भी गन रखता था और निडर जवाब पट्टा था । विलाशा ने अपनी पिस्टल अपने ब्वॉय को थमा
दी । उसके पास दो पिस्टल थी । एक उसने अपने शोल्डर बैग में रख ली ।

"वह जरूर डाकुओं का ही गिरोह होगा ।" खन्ना बोला, "ये लोग अक्सर बड़ी हस्तियों का किडनैप कर लेते
हैं फिर फिरौती की बड़ी रकम माँगते हैं । उन्होंने इसलिये यह जाल बिछाया है ।"

"यही मैं समझाना चाहती थी ।" विलाशा बोली, "उनका आदमी रेकी करके गया है । वह आते ही होंगे ।
आगे कोई न कोई आबादी या गाँव जरूर होगा । हम वहाँ सुरक्षित रहेंगे ।"

अब उन लोगों ने जल्दी-जल्दी अपना सामान समेटा और चल पड़े । सबके कन्धों पर एक-एक बैग लटक
रहा था. । विपुल भाई के पास एक खोका कैश था । उसे साथ में ले जाना ठीक नहीं था । रास्ते में लूटपाट हो
सकती थी । उसे विलाशा के वैनिटी के सेफ्टी बॉक्स में रख दिया गया । यह बॉक्स बिना रिमोट के नहीं खुल
सकता था. । उसमें विलाशा की भी कुछ कैश और ज्वैलरी रखी हुई थी ।

वे लोग सड़क पर पैदल-पैदल चलने लगे ।

विलाशा के वैनिटी में पाँच लोग मौजूद थे । लाइट ऑफ कर दी गयी थी । दरवाजों को लॉक कर दिया
गया था. । यह दरवाजे बहुत मजबूत थे और उनका लॉक भी रिमोट से खुलता था । वैनिटी का पूरा सिस्टम
कंप्यूटराइज्ड था. । वैनिटी की ड्राइविंग सीट की एक खिड़की को आधा खोलकर रखा गया था, ताकि बाहर की
हवा अंदर आती रहे । /#(८ बन्द था । इस खिड़की के पास विलाशा का बॉडीगार्ड शम्भू बैठा था ।

लगभग आधा-पौन घण्टा बीता होगा कि शम्भू को बाहर सड़क पर कोई रोशनी चमकी । वह रोशनी हिल रही
थी. | रोशनी करीब आती जा रही थी । शम्भू ने सबको खामोश रहने का इशारा किया । कोई सिगरेट पी रहा
था । उसे तुरंत सिगरेट बुझाने को कहा ।

उसकी नजरें उसी पर टिकी थी । वह एक बौना था, जिसके कन्ये पर लालटेन झूल रही थी । वह विलाशा
की वैनिटी के आगे निकलकर पिछली वैनिटी की तरफ चला गया, जिसमें कोई नहीं था ।
अचानक पिछली वैनिटी का इंजन स्टार्ट हुआ और उसकी हेडलाइट ऑन हुई  । वह वैनिटी तेज रफ्तार से
विलाशा की वैनीटी पर बाज़ की तरह झपट पड़ी ।

वैनिटी सड़क पर पहले से ही तिरछी खड़ी थी और ठीक सामने गहरी खाई थी ।

"नीचे उतरो सब !" शम्भू चीख पड़ा ।

पर उसके कहने से पहले ही पिछली वैनिटी ने विलाशा वाली वैनिटी पर जोरदार टक्कर मार दी । फिर भी
विलाशा की वैनिटी का ड्राइवर नीचे कूद पड़ा था, क्योंकि वह पहले से ड्राइविंग सीट पर दरवाजे के पास बैठा था
और जैसे ही पिछली वैनिटी का इंजन स्टार्ट हुआ उसने छलाँग लगा दी थी । वह छलाँग उसने अंगेरे में लगायी ।
सड़क पर पैर फिसल गया और फिर उसकी चीख दुर तक फिजा में गूँजती चली गयी । वह गहरी खाई की ओर
अपनी अंतिम यात्रा तय कर रहा था |

बाकी लोग तो उतर नहीं पाये और वैनिटी खाई में चली गयी । पीछे वाली वैनिटी ठीक खाई के सामने रुक
गयी । उसका इंजन चालू था. । उसका दरवाजा खुला | वैनिटी अचानक स्टार्ट हो गयी और पहली वाली
वैनिटी के साथ खाई में जा गिरी ।

थोड़ी देर बाद वही बौना सड़क पर दिखाई दिया । उसके कंधे पर लालटेन लटक रही थी । उसने सीटी
बजायी | वैनिटी वालों को हाथ हिलाकर विदा किया और आगे बढ़ गया |

बौने के पैरों में फौजी किस्म के लॉन्ग बूट थे, जिनकी आवाज सड़क पर इस तरह गूँजने लगी, जैसे कोई फौजी
जवान मार्च करता हुआ आगे बढ़ रहा हो |

वह एक ऊँची चट्टान पर चढ़कर बैठ गया । फिर उसने अपनी जेब से माउथ ऑर्गन निकाला और उस पर मुंह
सटा दिया |

अब वातावरण में माउथ ऑर्गन की खूबसूरत घुन से पूरी वादी गूंज रही थी ।

सबसे आगे चोटी वाला चल रहा था । सुनसान सड़क, . चाँदनी रात और हर तरफ वीराना था । वह हनुमान
चालीसा जोर-जोर से बोल रहा था. । सबने अपना जरूरी सामान बैग में भर लिया था और सबके कंधों पर बैग
लटक रहे थे । पीछे हैनी था, उसके बाद खन्ना, अब्बास थे । फिर मधुर और हरीश पाठक चल रहे थे । सब
खामोश थे । डॉक्टर बासु के साथ विलाशा चल रही थी । सबसे अंत में जोजफ चल रहा था ।

मंजिल का पता नहीं था, पर यकीन था कि वह पतली घाटी की तरफ ही बढ़ रहे थे । मोबाइल की टॉर्च
रोशन थी ।

"हम सुबह तक पतला घाटी पहुँच जायेंगे ?" खन्ना बोला ।

"हाँ " अब्बास ने जवाब दिया ।

विराट फिल्‍्स यूनिट के वे पहले ऐसे दो इंसान थे, जो आखिरी सड़क के अंतिम छोर पर सबसे पहले पहुँचे
थे । शंकर और सुलेमान ।

सुलेमान लाल कुर्ता और नीला तहमद पहले हुए था । शंकर गैलेस की काली पतलून में था । ट्रक जल जाने
के बाद उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा था । पहले तो उन्होंने पीछे आने वाली गाड़ियों का इंतजार किया |
करीब एक घण्टा सड़क के किनारे बैठे रहे । अपना कुछ जरूरी सामान उन्होंने जलने से बचा लिया था. । एक-
एक बैग उनके पास था, जिनमें उनके कपड़े, टूथब्रश, तौलिया, साबुन था. । शंकर के बैग में सिगरेट के पैकेट
और एक गांजे का पाउडर भी था. । इसके अलावा उसे जमा खर्च की डायरी भी थी । वह बैठे-बैठे ऊंघने लगे
और एक-दूसरे से उनके सिर टकराने लगे ।

जब नशा थोड़ा ढीला हुआ था तो सुलेमान ने पटपटाकर आँखें खोली । चाँद ढलान पर था. । कभी-कभी
बादलों में भी सरक जाता था । तरे टिमटिमा रहे थे । झींगुरों की सीटियों की आवाज कानों में पड़ रही थी ।
दूर-दूर तक वीराना ही वीराना था. । शंकर बैठे-बैठे सुलेमान की गोद में लुढ़क गया |

सुलेमान अपने जले हुए ट्रक को देख रहा था |

"चल उठ ! इब कुछ ना बचा ।" सुलेमान ने शंकर का सिर अपनी गोद से उठाया ।

"हम कहाँ हैं ?" शंकर अँखें मलकर बड़बड़ाया ।

"नरक में ना हैं । इबी जिंदा हैंगे !" सुलेमान ने जवाब दिया, "यू बौणा अगर दोबारा दिखाई दिया तो इसकी
नाड़ तोड़ दूँगा मैं । आग उसी साले ने लगायी । वह ट्रक के नीचे घुसा था । उसने किसी तरह फ्यूल टैंक तोड़कर
उसमें अपनी लालटेन घुसेड़ दी होगी ।"

"पर अब क्या करें 7"

"मरता क्‍या न करे और करवा क्या न करें ।"

शंकर उठ खड़ा हुआ |

"हैग सिंगाल अपणा ।" सुलेमान ने अपना बैग भी कन्थे पर लटकाते हुए कहा |

शंकर ने भी बैग लटका लिया । दोनों पैदल-पैदल उस दिशा में बढ़ गये, जिधघर वह जा रहे थे ।

"झशायद हम मंजिल के करीब हैं ।" शंकर बोला ।

"मेरी समझ में जे बात ना आ री कि जो गाड़ियाँ म्हारे पीछे आ रही थी, वह क्यूँ न आयी !" सुलेमान बोला ।

"क्या पता उनके साथ भी ऐसा ही कोई हादसा हो गया हो, जैसा हमारे साथ हुआ है ।"

"मुझे भी यही लागे है. ।" सुलेमान बोला, "इस बौने ने बैरियर खोल के हमें फँसा दिया । अगर बैरियर न
खोलता तो हम वहीं रुके रहते । यू हादसा तो न होता | मेरा ट्रक तो न खाक होता । पर छोड़ेँगा न बेटा इब
तुझे मैं !"

"सुलेमान ! कहीं ऐसा तो नहीं कि हम किसी गलत सड़क पर मुड़ गये और यह सड़क पत्नी घाटी की तरफ
न जाकर कहीं और जाती हो ।"

"मुझे भी नू ही लागे । पर जिब मूसलों में सिर दिया तो ओखली से काहे घबराना ।"

"अबे, उल्टा मत बोल !"

"क्या उल्टा बोला ?"

"अबे, ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या घबराना, यह है सही मुहावरा  ।"

"तेल लेने गया तेरा सही मुहावरा । यह सोच कि अगर हम पतली घाटी न पहुँचे तो कहाँ पहुँचेंगे ।"

"मेरा बाप ज्योतिषी नहीं था ।" शंकर बोला ।
इसी तरह की बातें करते पैदल-पैदल सड़क नापते हुए दोनों आखरी सड़क के आखिरी छोर पर पहुँचे । एक
गेट आया, जिस पर लिखा था, विक्रम गढ़ । गेट के नीचे एक चबूतरा बना था और पीछे कुछ घर नजर आ रहे
थे, जहाँ वह विक्रम गढ़ के चबूतरे पर बैठ गये ।

फिर उन्हें नींद आ गयी । दोनों वहीं लुढ़क गये ।

टीकमगढ़ पुलिस स्टेशन का एस०एच०औओए देवेंद्र पाण्डे एक दबंग, दिलेर ऑफिसर था. । जब से वह
टीकमगढ़ में पोस्टेड हुआ था तब से टीकमगढ़ में नाममात्र के अपराध होते थे. । यह देवेंद्र पाण्डे के काम करने का
स्टाइल था. । जब भी वह किसी पुलिस स्टेशन का चार्ज संभालता तो इलाके के जयारम पेशा लोगों की सूची
माँगता था और फिर इनकाउंटर की बाढ़ सी आ जाती थी. । कुछ मारे जाते, कुछ भाग जाते । पूरा इलाका
जयारम से पाक साफ हो जाता था ।

टीकमगढ़ कोई बड़ा कस्बा नहीं था, इसलिये वहाँ एक ही पुलिस स्टेशन था, जिसे कोतवाली कहाँ जाता
था. । यह इलाका रामगढ़ की सीमा में आता था । रामगढ़ जिला था । पुलिस कमिश्नर, एसण्एस०्पी० वगौरह
बड़े ऑफिसर रामगढ़ में थे । कमिश्नर ने एस०्एस०्पी० को फोन किया कि कोई फिल्‍मी यूनिट रास्ता भटककर
आखिरी सड़क वाले क्षेत्र में एंटर हो गयी है । वह वर्जित क्षेत्र में फैंस सकती है, लिहाजा तुरंत फ़ोर्स मेजकर उनकी
मदद की जाये । रामगढ़ के कंट्रोल रूम से देवेंद्र पाण्डे से सम्पर्क किया । नतीजतन दो पुलिस गाड़ियाँ मौके पर
पहुँच गयी थी । लेकिन यह गाड़ियाँ दोपहर एक बजे तक वहाँ पहुँची थीं । उसकी वजह यह थी कि पाण्डे जी
पहले से वांटेड कुछ मुजरिमों की तलाश में किसी दूसरे लोकेशन पर बिजी थे ।

दोनों गाड़ियाँ आगे-पीछे बैरियर के सामने रुक गयी | बैरियर अब भी बन्द था. । उस पर बोर्ड लटक रहा
था ।

'आखिरी सड़क'

पाण्डे अपनी गाड़ी से उत्तरा । पिछली गाड़ी से भी जवान उतरे । पाण्डे के साथ दो सब-इंस्पेक्टर मार्च करते
हुए बैरियर के पास आ गये । पाण्डे ने इधर-उधर देखा, फिर उसकी निगाह एक इंसानी जिस्म पर फोकस हो
गयीं । यह जिस्म बैरियर से दूसरी तरफ सड़क पर औधे मुंह पड़ा था । फिर पाण्डे की निगाह पैन हुई और केबिन
की तरफ घूम गयी । केबिन पर ताला पड़ा था ।

पाण्डे ने आगे बढ़कर बैरियर को चेक किया, फिर बैरियर पर चढ़ गया और दूसरी तरफ उतर गया ।

वह औँधे मुँह पड़े इंसान के पास पहुँचा । पहली ही नजर में वह समझ गया था कि वह इंसान जिंदा नहीं है ।
उसके आसपास खून फैला हुआ था ।

तब तक एक सब-इंस्पेक्टर बैरियर के दूसरी साइड से पथरीले रास्ते पर चलता दुसरी तरफ पाण्डे के पास आ
गया ।

"इसे सीधा करो जसवंत !" पाण्डे बोला |

जसबवंत ने लाश को पलटा ।

वह गुलशन था । उसका सीना बीच से किसी धारदार हथियार से चीर दिया गया था. । उसकी आँतें बाहर
निकल रही थी. । सीने के ऊपरी भाग काफी फटा हुआ था और कलेजे का एक हिस्सा मौजूद था । किसी ने

उसका कलेजा काटकर निकालकर लिया था |

"देरी डेंजरस मर्डर ।" पाण्डे बड़बड़ाया ।

"यह मर्डर नहीं है सर !" जसवंत ने काँपते स्वर में कहा । "फिर क्या है ?"

"किसी जंगली जानवर का काम लगता है ।" जसवंत ने जवाब दिया ।

पाण्डे लाश पर झुक गया ।

"इसकी तलाशी लो ।"

सब-इंस्पेक्टर ने उसकी तलाशी ली । तलाशी में उसकी आईडी, मोबाइल फोन और एक वॉलेट बरामद
हुआ | वॉलेट में दो-दो हजार के दस नोट पड़े थे । एक पाँच सौ का नोट भी था. । उसका ड्राइविंग लाइसेंस
भीथा |

"इसका नाम गुलशन कुमार था. ।" सब-इंस्पेक्टर ने फोटो से उसकी शक्ल मैच करते हुए कहा ।

"किसी तरह बैरियर खोलने का प्रबंध करो । चाहे इसे तोड़ना ही क्यों न पड़े और एम्बुलेंस को फोन कर दो ।"

बैरियर पर लटका ताला तोड़ दिया गया । बैरियर खोल दिया गया ।

"केबिन का ताला भी खोलो ।" पाण्डे बोला |

तभी एक दीवान, पाण्डे के पास आया |

"एक बात कहूँ सर !"

॥ हें कहो |"!

"बेहतर यही होगा कि हम यहीं से वापस लौट जाये । लाश को यहीं पड़े रहने दें ।"

"तुम जैसे लोगों की वजह से ही पुलिस महकमे की नाक कटती है ।" पाण्ड़े ने नागवार स्वर में कहा ।

"पासवान ठीक कह रहा है सर !" जसबवंत ने दबी जबान में कहा |

"वजह 7"

"यह सड़क एक गाँव में जाकर खत्म होती है । सुना है कि यह गाँव भूत-प्रेतों का गाँव है ।"

"मैंने भी सुना है ।" पाण्डे ने कहा, “लेकिन पुलिस वाले से बड़ा कोई भूत-प्रेत नहीं होता । फिलहाल
इसकी लाश केबिन में डाल दो । उसका ताला भी तोड़ दो । हमें तहकीकात के लिये इसी आखिरी सड़क पर
आगे बढ़ना है. । एम्बुलेंस लाश ले जायेगी । मार्क करो यहाँ, जहाँ लाश पड़ी है और इसका फोटो लो  ।"

किसी में हिम्मत नहीं थी, जो पाण्डे का ऑर्डर मानने से इनकार कर देता । केबिन का ताला भी तोड़ दिया
गया । लाश के फोटो उत्तारे गये । निशान लगाकर लाश केबिन में डाल दी ।

"एक सिपाही यहाँ तैनात रहेगा ।" पाण्डे ने कहा ।

एक सिपाही की ड्यूटी वहाँ लगा दी गयी ।

शेष सभी पुलिस वाले दोनों गाड़ियों में सवार होकर सड़क पर बढ़ चले । पुलिस की गाड़ियाँ आखिरी सड़क
पर बढ़ती हुई ठीक उस जगह पर रुकी जहाँ एक ऑडी कार एक बड़े वृक्ष के नीचे पिंचकी हुई थी ।

"देखो, उसमें कोई लाश तो नहीं पड़ी ।" पाण्डे बोला ।

सब-इंस्पेक्टर जसवंत ने गाड़ी से उतरकर उस गाड़ी को चेक किया और गाड़ी का पूरा मुआयना करके वापस
लौट आया |
"कोई नहीं है सर !" जसवंत बोला ।

दोनों पुलिस गाड़ियाँ आगे बढ़ गयी । फिर एक जगह उन्हें फिर रुकना पड़ा । यहाँ पर दो वैनिटी गाड़ियाँ
खाई में उल्टी पड़ी दिखाई दे रही थी और एक बीएमडब्ल्यू चट्टान के नीचे पिचकी हुई थी । अब सब नीचे उतर
गये । थोड़ी दुर नीचे एक और गाड़ी खड़ी थी, जिसके सामने एक पेड़ गिरा हुआ था ।

"दुरबीन !" पाण्डे ने जसवंत से कहा ।

जसवंत गाड़ी में रखी दूरबीन उठा लाया ।

सड़क के किनारे खड़े होकर पाण्डे ने दूरबीन से नीचे गहरी खाई में देखा । वैनिटी तो नजर आ रही थी, पट
इंसान का कोई वजूद नहीं था । दोनों वैनिंटी उल्टी पड़ी थी ।

"मुमकिन है, वे लोग उन दोनों वैनिटी में फँँसे हों ।"

सूचना मिली कि बीएमडब्ल्यू में कोई नहीं है । पुलिस वालों के चेहरों पर हवाइयाँ उड़ रही थी । सबको
मालूम था कि आखिरी सड़क पर जाने वाला जिंदा वापस नहीं लौटता ।

"जरा रामगढ़ कंट्रोल रूम को फोन लगाकर पूछो कि इस यूनिट में कुल कितने आदमी है, जो रास्ता भटककर
इस तरफ आ गये |

जसबवंत ने अपने मोबाइल फोन से रामगढ़ कट्रोल रूम का फोन नम्बर पंच किया, लेकिन फोन कॉल नहीं
गयी । दो-तीन बार कोशिश के बावजूद भी कॉल नहीं लगा ।

"फोन नहीं मिल रहा ।" जसवंत बोला ।

"वायरलेस सेट से बात करो ।" पाण्डे ने सपाट स्वर में कहा ।

जसबंत ने वायरलेस सेट से ट्राई किया, परन्तु वह भी ठप्प पड़ा था. । उसने यह सुचना पाण्डेको दी ।

"अजीब बात है. । हमारी वायस्लेस फ्रीक्वेंसी को कौन ब्लॉक कर सकता है ! इम्पॉसिबल !"

फिर मर्सडीज को भी तलाश लिया गया । दोनों गाड़ियाँ तबाह हो चुकी थीं ।

दीवान कुछ कहना चाहता था, पर फिर चुप हो गया |

कुछ देर तक पाण्डे कुछ सोचता रहा ।

"चलो वापस !" अंत मे उसने फैसला किया, "यहाँ से गाड़ियाँ निकालना वन-विभाग का काम है । रेक्‍्यु
आपरेशन होगा ।"

रास्ते में पाण्डे ने जसवंत से अटपटा सवाल किया |

"क्या तुम मूत-प्रेतों पर यकीन करते हो. ?"

"सबूत हमारे सामने है सर !" जसवंत ने जवाब दिया, "मैं तो चाहता था, हम उसी जगह से वापस लौट जाएँ
जहाँ पहली कार देखी थी । क्या पता, हमारे साथ भी कोई हादसा हो जाता ।"

पाण्डे ने कोई जवाब नहीं दिया. । एम्बुलेंस आ गयी थी. । शव उसमें डाल दिया गया. । टीकमगढ़
कोतवाली पहुँचकर उसने अपनी रिपोर्ट रामगढ़ के हेडक्वार्टर को भेज दी ।

गुलशन का शव पोस्टमार्टम के लिये मेज दिया गया था । उन्हें केवल एक ही लाश मिली थी ।

कि के कि

जब वह जागे तो सुबह हो चुकी थी । पहले सुलेमान की आँख खुली, फिर उसने शंकर को जगाया | कुछ
चीलें उनके ऊपर उड़ रही थीं, जो उन्हें मुर्दा समझकर नीचे उतरने की तैयारी में थी । कुछ गिद्ध पेड़ों की शाख पर
बैठे इशारों-इशारों में एक-दूसरे को कुछ बता रहे थे ।

शंकर थोड़ी देर तक आँखें मलता रहा, फिर इधर-उधर देखने लगा ।

"हम कहाँ आ गये 7" शंकर ने सुलेमान से पूछा ।

"विक्रम गढ़ !" सुलेमान ने जवाब दिया ।

"विक्रम गढ़ ! यह कौन सी जगह है ?"

"ये वो जगह है जहाँ पर खुदा नहीं  ।" सुलेमान ने शायराना अंदाज में कहा, "खुदा होता तो म्हारा ट्रक न
जलता... ।" सुलेमान रोने लगा ।

"अब रो मत । मैं नया ट्रक खरीदवा दूँगा ।"

"चुप साले ! चरसी यार किसके, दम लगाये और खिसके ।"

"अरे, हम विक्रम गढ़ कैसे पहुँच गये ! हमें तक पतली घाटी जाना था ।"

सुलेमान थोड़ी देर रोता रहा । फिर उसने अपने आँसू दायें हाथ की आस्तीन से पोंछे ।

"एक बार वह बौना मुझे नजर आ जाये । बस एक बार!"

"सुन तो !" शंकर ने सुलेमान का कंघा थपथपाया |

"सुन रहा हूँ ।" सुलेमान ने भर्राये स्वर में कहा |

"इधर कुछ मकान दिख रहे हैं ।"

"वही तो विक्रम गढ़ है. ।"

"चल, चलते हैं । वहाँ हमें मदद मिल जायेगी ।"

दोनों उठ खड़े हुए । सड़क का अंतिम छोर लोहे के एक बड़े गेट पर जाकर समाप्त हो गया । गेट के दायें-
बायें दो कच्ची सड़कें मुड़ गयी थीं । पर वह जिस लोहे के विशाल गेट पर पहुँचे, वह एक हवेली का गेट था ।
हवेली के चारों तरफ बुलंद चारदीवारी थी | गेट खुला हुआ था पर कोई इंसान नजर नहीं आ रहा था |

सुलेमान ने गेट बजाया |

"कोई है ?" उसने जोर से आवाज दी । आवाज इको होकर वापस लौट आयी, पर जवाब नहीं मिला |
जब उन्हें कुछ भी जवाब नहीं मिला तो दोनों गेट में दाखिल हो गये । गेट से कंक्रीट की सड़क आगे गयी थी, जो
इमारत के मेन गेट तक गयी थी । इस सड़क के दोनों तरफ खर-पतवार, झाड़-झंखाड़ और जंगली घास उगी हुई
थी. । कुछ सूखे वृक्षों के ठूंठ भी नजर आ रहे थे । हवेली चारों तरफ से चारदीवारी से घिरी हुई थी । चारदीवारी
खासी बुलंद थी, जैसे आमतौर पर पुराने जमाने के किलों की होती है ।

दोनों कंक्रीट की सड़क पर आगे बढ़ते हुए हवेली के मुख्य द्वार तक पहुँच गये । बड़ा दरवाजा जिसका रंग-
रोगन फीका पड़ गया था और उस पर धूल जमी थी, वह खुला हुआ था । उस पर कोई ताला नहीं था । सुलेमान
ने भारी दरवाजा धकेला तो दरवाजा चर्र-मर करता हुआ खुल गया । ऐसा लगता था जैसे वह काफी असें बाद
खोला गया हो ।
दोनों खरामा-खरामा हवेली में दाखिल हो गये । एक गलियारे से गुजरकर वह हॉल नुमा कमरे में पहुँचे,
जिसमें फर्नीचर थी । कालीन शानदार था, लेकिन उस पर धूल जमी हुई थी । अब वह दोनों हवेली का मुआयना
करने लगे । कई जगह जाले पड़े थे ।

सुलेमान और शंकर हवेली के ग्राउंड फ्लोर पर थे और एक दरवाजा चेक कर रहे थे । ऐसा लगता था जैसे
बरसों से उस हवेली में कोई नहीं रहता, वरना कालीन पर धूल न जमी होती और जाले न पड़े होते । हॉल एक
ड्राइंगरूम जैसा था । बराबर-बराबर दो दरवाजे थे । एक को सुलेमान ने खोला, दूसरे को शंकर ने । शंकर एक
बड़े किचन में आ गया जहां गैस सिलिंडर और खाना पकाने के बर्तन-चूल्हा वगैरह रखे थे । उन पर भी धूल जमी
हुई थी । सुलेमान ने जो दरवाजा खोला वह एक बड़ा बाथरूम था. । उसने टोटी चलाई तो पानी आ गया ।
नलके के पानी से उसने मुँह पर छपाके मारे और प्यास भी बुझाई । शंकर किचन से निकलकर एक राहदारी में बढ़ने
लगा । सुलेमान भी पीछे-पीछे आ गया । राहदारी में सबसे पहले एक कमरे का दरवाजा नजर आया । उस पर
ताला पड़ा हुआ था. उसके बाद एक बड़ा स्टोर रूम था, जिसमें कुछ सामान बोरों और सन्दूकों में बन्द पड़ा था ।
अगला दरवाजा अंदर से बन्द था. । शंकर की हार्टबीट बढ़ गयी । उसने दरवाजे पर हाथ रखा । दरवाजा अंदर
से बन्द था. । वह सुलेमान के आने का इंतजार कर रहा था. । । सुलेमान भी वहाँ पहुँच गया । सुलेमान ने
कुछ पूछना चाहा तो शंकर ने उसे खामोश रहने का इशारा किया । फिर उन्होंने अपने बैग एक जगह रख दिये ।

"अंदर कोई है ।" वह फुसफुसाकर बोला ।

"कहीं वही बौना तो नहीं !" सुलेमान के नथुने फड़कने लगे, "अबे, तू डर क्यों रहा है है । जो भी होगा, देख
लेंगे । क्या पता हवेली का मालिंक हो. !"

सुलेमान ने दरवाजा नॉक कर दिया, "कोई है ?" उसने पूछा, "दरवाजा खोलो ।"

थोड़ी देर में अंदर से आहट सुनाई दी । सुलेमान ने दरवाजे से कान लगा दिये । आहट दरवाजे की तरफ आ
रही थी । दरवाजा खुला तो सामने पायल खड़ी झूम रही थी । वह या तो नींद की झोंक में थी या नशे में ।

सुलेमान उसे देखकर उछल पड़ा । शंकर की आँखें चौड़ी हो गयीं ।

"क्या है सुलेमान, सोने दे !" इतना कहकर पायल ने दरवाजा बंद कर दिया । लेकिन सुलेमान ने देख लिया
था कि अंदर बेड पर विलाशा भी लेटी है ।

"यह तो साला, खोदी चुहिया, निकला पहाड़ !" सुलेमान बोला ।

"अबे, खोदी चुहिया, निकला पहाड़ नहीं, खोदा पहाड़, निकली चुहिया । अबे, मुहावरा ठीक से बोला
कर ।"

"चुहिया दो, दो । मुहावरा गया तेल लेने । ये ससुरी हमसे पहले यहाँ कैसे पहुँच गयी ।"

"पूछ लें !" शंकर ने कहा ।

"अबे नहीं यार, हीरोइन है अंदर ! बिगड़ गयी तो मेरी शामत आ जावेगी । चल, आगे देखते हैं । या
इलाही, यह माजरा क्या है । साला, माजरा है भी तो इलाही कहाँ हैं !"

दूसरा दरवाजा अंदर से बन्द नहीं था । शंकर ने धीरे से दरवाजा खोला तो हैँस पड़ा ।

"अबे, यहाँ तो अपनी ही यूनिट के लोग सो रहे हैं । खन्ना साहब और विपुल भाई खर्रटे ले रहे हैं ।"

"जे तो कमाल हो गया । ये तो हमसे पीछे थे ।"
"यह तो सोचने वाली बात है । ये यहाँ पहले कैसे पहुँच गये ?"

"मतलब यह हुआ कि सगली यूनिट आ ली यहाँसी ।"

"सबको एक साथ जगाता हूँ ।" शंकर तीसरे दरवाजे के पास पहुँचकर बोला ।

उसने जेब से सीटी निकाली । यह सीटी एक डोरी से बंधी हुई थी । दरवाजे के पास खड़े होकर उसने सीटी
बजानी शुरू कर दी । अभी वह तीसरी ही सीटी बजा पाया था कि दरवाजा खुला और एक हाथ बाहर आया, फिर
शंकर के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा ।

शंकर कलाबाजी खाकर सुलेमान के कदमों में जा गिरा । शंकर की आँखें चौड़ी हो गयी । वह नजरें उठाकर
सामने देखने लगा । सामने आखिरी सड़क का हीरो मधुर खड़ा था । उसके जिस्म पर इस समय केवल अंडरवियर
था |

"क्यूं मारा सर ?" शंकर ने हकलाकर पूछा ।

"हम लोग थके-हारे यहाँ आकर सोये हैं और तू हरामखोर सीटी बजा-बजाकर हमारी नींद में खलल डाल रहा
है ।" मधुर गुर्राया, "अबे, हमने तो तुम दोनों की नींद में खत्नल्त नहीं डाला  । पत्थर के गेट वाले चबूतरे पर सो
रहे थे न तुम दोनों ।"

"हाँ जी, हाँ जी !" सुलेमान ने सिर हिलाया ।

"हमने तो तुम दोनों को नहीं जगाया । अब इससे पूछ, यह सीटी क्यूँ बजा रहा है ?"

"अभी इसका एक मड़या भी है । वह भी सीटी बाज है । अगर वह मुझे दिख गया तो...  । उसने मेरे ट्रक
में आग लगा दी थी सर जी !"

"देखा था हमने ।"” मधुर बोला, "सड़क पर जला खड़ा है. ।" मधुर ने कहा, "अब जाओ यहाँ से । तुम
भी कोई कमरा तलाश करके सो जाओ । यहाँ ऊपरी मंजिल में कमरे ही कमरे हैं ।" इतना कहकर मधुर ने
दरवाजा बंद कर दिया ।

सुलेमान और शंकर ने फिर किसी का दरवाजा नहीं खटखटाया । अलबत्ता वह पूरी हवेली का निरीक्षण कर
आये । हवेली दो मंजिला थी और पुरानी तर्ज बनी थी । छतें ऊँची थीं । ऊपर एक गुम्बद जैसी गुमटी भी थी,
जिसपर छत का दरवाजा था. । छत में एक चबूतरे पर पानी की बड़ी टंकी भी लगी हुईं थी । प्रत्येक फ्लोर पर
तीन-तीन बैडरूम और एक-एक ड्राइंगरूम था, लेकिन ऊपर के फ्लोर के ड्राइंगरूम ग्राउंड फ्लोर के ड्राइंगरूम से
छोटे थे । प्रत्येक फ्लोर पर किचन और फ्लोर भी थे । बिजली के स्विच बोर्ड भी थे । सुलेमान ने एक स्विच
ऑन किया, लेकिन वह नहीं जला |

"इस तरह कहीं से भी बिजली की लाइन नहीं आ रही है । दूर-दूर तक कहीं भी बिजली के तार नहीं दिख
रहे ।" सुलेमान बोला, "फेर यह बल्ब और स्विच बोर्ड का यहाँ क्या काम है 7"

"अबे, घनचक्कर ! हवेली में जनरेटर होगा ।"

सुलेमान छत की दीवार से लगी एक मोटर पर झुक गया ।

"मेरे को नू लागे, यह मोटर पानी ऊपर टंकी में चढ़ाने के लिये लगी है ।"

शंकर ने कोई जवाब नहीं दिया | वह छत की मुंडेर से गाँव देख रहा था. । छत काफी बड़ी थी और चार
फुट की चारदीवारी से घिरी हुई थी । सुलेमान छत का पूरा राउंड लगाकर शंकर के पास आकर खड़ा हो गया |
"गाँव में कोई दीख न रहा ।" सुलेमान बोला, "अरे ! देख तो, उ बरगद के पेड़ के नीचे कोई बैठा है दीखे ।"

"अबे, उ मूर्ति है । शंकर भगवान की ।" शंकर बोला ।

"तू भगवान कब से हो गया 7"

"एक काम करते हैं. । गाँव का चक्कर लगाकर आते हैं. । तब तक यह लोग भी आ जायेंगे ।"

"ऊपर देख... खेत है । सीधी नुमा खेत । और एक सोता भी दीख रा. । ससुरे कहीं ढोर डार भी न दीख
रहे । चीलें और गिद्ध पेड़ों पर बैठे दीख रहे हैं ।"

"आ !" शंकर गुमटी की ओर बढ़ गया ।

दोनों ग्राउंड फ्लोर पर आये फिर हवेली से बाहर निकल गये । लोहे का गेट पार करके वह एक कच्ची सड़क
पर बढ़ने लगे । यह गाँव की तरफ जा रही थी । हवेली की चारदीवारी खासी ऊँची थी । वह पुराने जमाने की
किले जैसी दीवार थी । पच्चीस-तीस फुट ऊँची । उस पर लाल रंग पुता हुआ था । कच्ची सड़क चारदीवारी
के साथ-साथ सटी हुई थी । आसपास कुछ टूटे-फूटे खंडहर नुमा घर नजर आये । सुलेमान ने आगे बढ़कर एक
घर का दरवाजा खोला । दरवाजा टूटकर उसके ऊपर ही आ पिरा ।

"अबे, छेड़छाड़ मत कर !" शंकर ने कहा, "बस देखना है । करना कुछ नहीं ।"

"पर देखने के हैं ? तैने गाँव के मकान न देखे के 7"

"अबे, देखना यह है कि यहाँ रहता कौन है?"

"बावली के, जिब हवेली में ही कोई न रहता तो इस गाँव में कया तेरा फूफा रहता होगा । कोई होता तो
इबलो सामणे ना आ जाता, "चल वापस, खाने-पीने का इंतजाम करते हैं ।"

दोनों हवेली में आ गये ।

"यार, एक आइडिया आ रहा है ।" शंकर बोला ।

"क्या 7"

"जब यहाँ कोई रहता ही नहीं तो हवेली सहित सारे गाँव पर कब्जा कर लें । इसे शूटिंग के लोकेशन के लिये
किराये पर दिए करेंगे ।"

"मूल गया क्या, रात के हुआ और इनकी गाड़ियाँ कहाँ हैं । वे तो कहीं नजर नहीं आयी | न मर्सडीज, न
बीएमडब्ल्यू, न वैनिटी ।"

"वे भी हमारी तरह पैदल-पैदल चलकर आये होंगे ।"

"इसका मतलब उनकी गाड़ियों के साथ भी कोई हादसा हुआ... ।" सुलेमान ने अनुमान लगाया ।

जब वह हवेली के ड्राइंगरूम में पहुंचे तो जितेश किचन के दरवाजे से बाहर निकला | उसने एक स्टील का
गिलास पकड़ा हुआ था. । पर शंकर उसे देखकर ठिठक गया |

"इस तरफ क्या देख रहा है 7?" जितेश बोला, "तुम दोनों बाहर गेट वाले चबूतरे पर सो रहे थे न!"

"हाँ ।" शंकर बोला |

और रास्ते में तुम्हारा जला हुआ ट्रक खड़ा है ।"

आरे, वो तो ठीक है, पर तुम्हारी गाड़ियों कहाँ गयीं ?"

जितेश ने सारांश में सारा वृतांत सुनाने के बाद कहा, "चाय पिंयोगे 7"

"चाय का सामान है वहाँ ?" शंकर ने पूछा ।

"हाँ ! पाउडर वाला दूघ भी है । मैं चाय बनाकर पी रहा हूँ । उसके बाद लंच की तैयारी करेंगे । यहाँ स्टोर
में बहुत सा खाने-पीने का सामान पड़ा है. । आटा, दाल, चावल सबकुछ; और कुछ मोमबत्तियों का भी स्टॉक
है । दो लालटेन भी है । केरोसिन की केन भी है ।"

"मैं पहले चाय बनाता हूँ ।"

तभी पायल अपने कमरे से निकलकर अंगड़ाई लेती अब ड्राइंगरूम में आ गयी |

"गाड मॉर्निंग !" उसने कहा ।

"गुड़ मॉर्निंग डियर !"

"चाय मैं बनाती हूँ । आप लोग दूसरे लोगों को जगा दो ।" पायल किचन की तरफ बढ़ गयी । शंकर
उसके पीछे-पीछे किचन में आ गया । वह किचन में रखा सामान चेक करने लगा । एक कनस्तर में आटा था ।
एक अचार का मतबन भी था । घी-तेल सबकुछ मौजूद था ।

सारा सामान चेक करने के बाद वह चूल्हे की तरफ पलटा ।

"एक काम करते हैं. । चाय के साथ नाश्ता भी तैयार कर लेते हैं. ।" शंकर ने कहा, "सब लोग रात से ही
मूखे होंगे ।"

"हाँ, मैं भी यही सोच रही थी ! तुम बाहर सफाई करवाओ । यहाँ का काम मैं सम्माल लूँगी ।"

"ठीक है ।" शंकर बाहर आ गया |

तब तक मधुर भी नहा-घोकर ट्रैक शूट पहने ड्राइंगरूम में आ गया था । शंकर दूसरे लोगों को जगाने के लिये
फर्स्ट फ्लोर पर पहुँच गया । उसने बारी-बारी सब दरवाजे खुलवा दिये ।

"सब लोग नहा-घोकर ड्राइंगरुम में आ जाओ ।" शंकर बोला, "नाश्ता तैयार हो रहा है ।"

फर्स्ट फ्लोर पर मुवन, डैनी, डॉक्टर बासु, हरीश पाठक अलग-अलग कमरों में मौजूद थे । सेकंड फ्लोर
डायरेक्टर अब्बास के बेडरूम का दरवाजा खुला था. । अब्बास उस वक़्त बाथरूम में था. । अगले दरवाजे को
नॉक किया तो चोटी वाला की आवाज सुनाई दी |

"जै बजरंगबली की । आ जाओ, दरवाजा खुला है ।"”

शंकर अंदर गया तो चोटी वाला फर्श पर बैठा योगा की एक्सरसाइज कर रहा था. । बाथरूम में शॉवर चलने
की आवाज आ रही थी ।

शंकर ने बाथरूम की तरफ देखा |
"आ गये तुम दोनों भी ।" चोटी वाला बोला, "जोजफ नहा रहा है ।"
"मैं स्नान कर चुका ।"

ड्राइंगरूम में आ जाओ | नाश्ता तैयार हो रहा है. । अब्बास साहब को भी लेते आना. ।" इतना कहकर
शंकर वापस चला गया |

सभी जाग चुके थे । उसने नाश्ते की सीटी बजा दी ।

"नाश्ता तैयार है ।" वह सीटी बजाता नीचे उतरने लगा । नीचे जितेश और सुलेमान सफाई में लगे हुए थे ।
मधुर किचन में जाकर अपने लिये चाय बना रहा था. । पायल परंठेसेंक रही थी ।
विलाशा अपने बेडरूम के वॉशरूम में थी ।

शंकर ग्राउंड फ्लोर पर आ गया । वह पायल का हाथ बंटाने लगा |

मघुर चाय लेकर बाहर ड्राइंगरूम में बैठ गया । ड्राइंगरूम में दो बड़े सोफे और चार कुर्सियाँ पड़ी थीं । उनकी
सफाई कर दी गयी थी । वहाँ कोई सेंट्रल टेबल नहीं थी । किचन में शंकर ने सीटें निकाल लीं  । एक रैक में
स्टील की थालियां, चम्मच इत्यादि सामान पड़ा था ।

"जिसे अचार देना हो, दे देना । मैं तो नहीं खाती ।" पायल बोली |

शंकर दो प्लेटों के नाश्ता लगाकर किचन से बाहर निकला । उसने इधर-उधर देखा फिर बोला, "क्या यह
मुनासिब होगा सर कि सब लोग कालीन पर बैठ जायें ।"

"उसकी जरूरत क्या है ? सब अपनी प्लेटें लेकर अपने रूम में चले जायें ।" मधुर बोला और उसने शंकर से
एक प्लेट ली और अपने रूम की तरफ चला गया । उसकी देखा-देखी सबने वैसा ही किया, लेकिन खन्ना और
अब्बास वहाँ बैठे थे ।

"अरे शंकर !" अचानक सुलेमान बोला, "दो आदमी नजर ना आये । जोजफ और चोटी वाला ।"

"पर मैं उन्हें इन्फॉर्म कर आया था. ।"

"देख के आ । कहीं फिर से सो गये हों । मैं सर्व करता हूँ । साथ में जितेश भी है ।"

शंकर ऊपर की घुमावदार सीढ़ियाँ चढ़ने लगा । वह सेकंड फ्लोर पर पहुँचा | चोटी वाला के कमरे का
दरवाजा तो खुला था, पर वह दोनों कमरे में नदारद थे । शंकर को छत की तरफ से कुछ आवाजें सुनाई दी ।
वह छत के लिये सीढ़ियाँ चढ़ने लगा |

कि के की

चोटी वाला ने जोरदार नारा लगाया, "नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हतुमान....  ।"

बाकी का मंत्र जोजफ ने पूरा किया, "चार मुजा रक्षा करे, बजरंगबली हनुमान !"

चोटी वाला की निगाहें गाँव का निरीक्षण कर रही थी । चोटी वाला को एक टूटा-फूटा मंदिर भी दिखाई
दिया ।

हर तरफ वीराना ही वीराना था ।

जोजफ उसके ठीक दायें बाजू में पड़ा था । वह भी गाँव की तरफ ही देख रहा था ।

"बलि के बकरों को पहले खूब खिलाया-पिलाया जाता है ।" चोटी वाला का स्वर खोया-खोया सा था |
वह छत पर खड़ा था ।

"क्या बात है ?" जोजफ ने कहा, "क्या सोच रहे हो ?"

"जोजफ ! यह गाँव देख रहे हो । मुझे याद आ रहा है, मैंने किस अखबार या टीवी न्यूज में ऐसे गाँव का
जिक्र देखा है । गाँव का नाम तो याद नहीं आ रहा, पर इतना जरूर याद है कि एक गाँव जो अब गैर आबाद है,
एक महामारी गाँव में फैली थी और सब लोग मारे गये । फिर उस गाँव में भूत-प्रेतों का बसेरा हो गया । उस
गाँव में कोई नहीं आता । जो आता है वह लौटकर जिंदा नहीं जाता ।"

"अगर ऐसा है तो जिन लोगों ने गाँव की रिपोर्टिंग की वे लोग जिंदा वापस कैसे ललौट गये ।" जोजफ का
सवाल था ।
"क्या बच्चों जैसी बातें कर रहे हो ! आज ऐसे-ऐसे कैमरे हैं, जो मीलों दूर से तस्वीरें उतार सकते हैं ।"

"तुम कहना क्या चाहते हो. ?"

"यही वह गाँव है, जिसकी न्यूज़ मैंने देखी थी । उसमें ऐसी ही किसी हवेली का जिक्र था. । एक मिनट,
मुझे याद करने दो  ।"

चोटी वाला एक जगह आलथी-पालथी मारकर ध्यान मुद्रा में बैठ गया ।

थोड़ी देर बाद उसने अँखें खोली |

"नहीं, ध्यान में नहीं आ रहा है, पर हवेली का जिंक्र जरूर था ।" चोटी वाला यह कहते हुए उठ खड़ा हुआ ।

जोजफ भी गाँव देखने लगा ।

हर तरफ अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था । हवा में खनक थी, जो शीतलता लिये बह रही थी । गर्मी का
मौसम था, लेकिन वहाँ लेश मात्र भी गर्मी नहीं थी ।

"सवाल यह है कि हम पतली घाटी क्यों नहीं पहुँच पाये ।" जोजफ बड़बड़ाया ।

"दूसरा सवाल यह है कि हम इस सड़क पर कैसे आ गये ?" यह आवाज शंकर की थी |

जोजफ ने पलटकर देखा ।

"और सवाल यह भी है कि वह खतरनाक बौना कौन है, जिसने बैरियर खोला था और उसी ने हमारा ट्रक रोका
था ।"

"नाश्ता तैयार हो गया ?" चोटी वाला ने पूछा ।

"हाँ, तैयार हो गया !" शंकर ने जवाब दिया ।

"तो चलो, नीचे चलते हैं. । सवालों में उलझने से कोई फायदा नहीं । अब आ ही गये हैं तो सवालों के
जवाब भी मिलेंगे ।" चोटी वाला रहस्यमय अंदाज में बोला ।

के के की

सब लोग नाश्ता लेकर अपने-अपने कमरों में चले गयें. । अलबत्ता खन्ना और अब्बास बैठक वाले हॉल में
बैठे थे ।

"शायद हम रास्ता भटककर इस गाँव में आ गये ।" अब्बास कह रहा था, "हम लोकेशन पर नहीं पहुँच
पाये ।"

"और किसी को फोन भी नहीं कर सकते ।" खन्ना ने कहा ।

"लेकिन वे लोग जरूर कुछ न कुछ करेंगे और हमें तलाश कर लेंगे ।" अब्बास का इशारा लोकेशन पर मौजूद
टीम की तरफ था, "मैंने सुना है कि हम किसी गैर-आबादी वाले गाँव में आ गये हैं ।"

"सही सुना है ।" खन्ना ने जवाब दिया ।

"क्यों न हम किसी आदमी को भेजकर वैनिटी वाले को भी यहीं बुला लें ।"

"बेहतर तो यह होगा कि हम सब ही वैनिटी तक पहुँच जायें । सब लोग दोनों वैनिटी में बैठकर वापस जा
सकते हैं ।" खन्ना बोला |

"सबकी सलाह ले लेते हैं ।" अब्बास ने पूछा |
"उसकी जरूरत क्या है. ! प्रोड्यूसर मैं हूँ । सबका पर डे चढ़ रहा है । पैकेज वालों का पेमेंट भी मुझे ही
करना है. । इसलिये जिधर हकूँगा उधर ही चलेंगे; और फिर यु आर द कैप्टेन ऑफ द शिप !"

"बात तो ठीक है । यह जगह देखने में ही मनहूस लग रही है ।" अब्बास ने कहा ।

"छोड़ो भी अब्बास ! अब यहाँ घर तो बसाना नहीं है ।" खन्ना उठ खड़ा हुआ, "मैं प्रोडक्शन वाले से बात
करता हूँ ।"

खन्ना, शंकर के पास चला गया, जो किचन में था ।

"दोपहर का लंच क्या बनाये ?" शंकर बराबर में खड़ी पायल से पूछ रहा था |

"ये बता तूने कब से नहीं ली ।" पायल ने अपनी प्लेट रखते हुए शंकर से पूछा ।

"नहीं, अबी लेने-देने का चक्कर नहीं रे बाबा ! पहले शूट तो शुरू हो । पतली घाटी में देखूंगा ।" शंकर
ने जवाब दिया, "और वैसे कुछ न मिला तो तुम तो हो ।"

"विलाशा का मूड सेट कर ।" पायल ने कहा ।

"उसके पंगे में नहीं पड़ंगा । फ़िल्म की हीरोइन है वह ।"

"अबे, उल्लू के चर्खे ! चोर मादर ! मैं इस लेने की बात नहीं कर रही  । यह तो तुम सब हरामियों का
डेली रूटीन है । फ़िल्म इंडस्ट्री में कोई लड़की बची है तुम लोगों से | मैं सुट्टे की बात कर रही थी | मेरा स्टॉक
खत्म हो गया ।"

"दे दूँगा । उसकी फिक्र मत करो । वैसे यहाँ मांग के पौधे के जंगल भी हैं । मुझे उतारनी आती है ।"

तभी खन्ना की एंट्री हुई ।

"शकंर !" खन्ना ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "सब लोगों को खबर कर दो कि सब पंद्रह मिनट के
भीतर ड्राइंगरूम में आ जायें ।"

"ओके बॉस !"

"और पायल, तुम मेरे साथ आओ !" खन्ना वापस मुड़ा । पायल भी उसके पीछे-पीछे चल दी ।

कि के की

हवेली के ड्राइंगरूम में सब आ चुके थे । केवल विलाशा नहीं आयी थी । शंकर ने बताया कि उसकी तबीयत
कुछ ठीक नहीं है ।

बासु एकदम उठा ।

"पैं देखता हूँ । "

"नहीं, अभी इधर ही रुको । पाँच मिनट बाद चले जाना ।” अब्बास ने उसे रोक दिया |

खन्ना ने थोड़ा ऊँची आवाज में बात की ।

"हम लोग रास्ता भटककर गलत दिशा में आ गये हैं । इस गाँव में इंसान नुमा कोई चीज दिखाई भी नहीं
पड़ती । इस हवेली का मालिक कौन है, हमें पता नहीं  । यहाँ दीवारों पर न किसी की तस्वीर है, न कोई रिकॉर्ड,
जिससे हम अंदाजा लगा सकें ।"

"डॉट डिस्टर्ब टाइम !" अब्बास ने खन्ना को रोकते हुए कहा ।

"सो गाइस, हमने फैसला किया है कि हम आधे घण्टे बाद वापस उसी सड़क पर चल देंगे, जिधर से हम आये
थे । कोई सवाल नहीं । आप लोग तैयारी कर लो । हमारी गाड़ियाँ बेशक खराब हो गयी हैं, पर हमारे पास
दो वैनिटी वैन ठीक-ठाक पोजीशन में हैं. । हम वहाँ तक पैदल जायेंगे । फिर वैनिटी में बैठकर लोकेशन तक
पहुंचेंगे । दैट्स इट । अब आप तैयारी कर लें ।"

किसी ने कोई सवाल नहीं किया |

आधे घण्टे बाद वे लोग हवेली के मुख्य द्वार से बारी-बारी आगे-पीछे बाहर निकले । विलाशा को मधुर
सहारा दिये हुए था । उसे हैंगओवर भी था और वोमिटिंग भी हुई थी । डॉक्टर बासु ने उसे दवा दे दी थी ।

सब लोग कंक्रीट की सड़क पर बढ़ते-बढ़ते अचानक रुक गये । हवेली का मेन गेट बंद था. । वह लोहे का
मजबूत दरवाजा था |

"गेट किसने बन्द किया !" अब्बास ने पूछा ।

किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया ।

थोड़ी देर बाद सुलेमान आगे बढ़कर बोला, "के पता गेट खुला है । किसी ने ऐसे ही उसके पत्ते भेद दिये हैं ।"

"देखकर आ !" खन्ना ने कहा ।

सुलेमान गेट के पास पहुँचा । उसे खोलने की कोशिश की, पर वह इस तरह जाम था कि सूत भर भी नहीं
हिलाया जा सकता था । वे लोग अब किसी भी तरीके से बाहर नहीं निकल सकते थे ।

सुलेमान चारदीवारी की ऊँचाई आँखों से नाप रहा था, पर उस चारदीवारी पर चढ़ने के कोई जुगाड़ समझ नहीं
आ रहा था. । उसका नहीं, सबके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था और उनका चेहरा जैसे मुरझा गया जैसे
सबके चिराग बुझ गये हों ।

सुलेमान वापस लौट आया |

"कुछ गड़बड़ है ।" खन्ना ने कहा ।

"नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान !" तभी चोटी वाला चिल्लाया ।

"चार मुजा रक्षा करे, बजरंगबली हनुमान !" चोटी वाला ने तेजी के साथ दौड़ लगायी । वह गेट की तरफ
भागाजारहा था ।

"इसे क्या हो गया ?" अब्बास बड़बड़ाया ।

"वह कल से ही अजीब-अजीब हरकतें कर रहा है ।" डैनी बोला ।

चोटी वाला लोहे के गेट पर मुक्के बरसाने लगा ।

"उस पार तू, इस पार मैं । खोल दरवाजा, नहीं तो भस्म कर दूँगा ।

नाड़ तोड़े नरसिंह, बल तोड़े हनुमान

चार भुजा रक्षा करे, बजंरगबली हनुमान ।"

चोटी वाला मंत्र फूँकता रहा और गेट पर लात-पूँसे बरसाता रहा, पर गेट ज्यों का त्यों बन्द था । चोटी वाला
वहीं गेट के पास बैठ गया ।

"क्या करें ?" खन्ना सहमे स्वर में बोला । सवाल उसने अब्बास से किया था ।

तभी विलाशा रोने-चिल्लाने लगी । सबने रियेक्ट करके उसकी तरफ देखा । विलाशा को जैसे दौरा पड़
गयाथा ।

"मधघुर, उसे अंदर ले जाओ !" खन्ना ने कहा, "डॉक्टर बासु, तुम भी उनके साथ जाओ । उसकी तबियत
ठीक नहीं है ।"

विलाशा की आँखें बंद होने लगीं । वह मधुर पर झूल गयी । मधुर ने उसे सम्माला और हवेली के अंदर ले
जाकर कालीन पर लिटा दिया । विलाशा के मुँह से झाग निकल रहा था ।

डॉक्टर बासु हमेशा अपने इमरजेंसी किट साथ रखता था. । विलाशा शायद बेहोश हो गयी थी । बासु ने
उसका चेकअप किया फिर एक इंजेक्शन लगा दिया ।

"इसे बैडरूम में ले चलो !" बासु बोला ।

मधुर ने विलाशा को कन्धों पर उठा लिया और उस कमरे में ले आया जहाँ वह रात को ठहरी थी । उसने
विलाशा को बेड पर लिटा दिया ।

विलाशा अभी भी बेहोश थी ।

"इसे क्या हुआ डॉक्टर 7" मधुर ने पूछा ।

"कुछ घबराने की बात नहीं है । डिप्रेशन में अक्सर ऐसा हो जाता है । या हो सकता है, इस किस्म के दौरे
पहले मी पड़ते रहे हों ।"

"कुछ दौरा नहीं साले !" अचानक विलाशा बोल पड़ी |

उसकी आँखें पट से खुल गयीं  । आँखें ज्यादा ही फैल गयी थी और वह उन दोनों को बारी-बारी घूर रही
थी । बासु उस पर झुका हुआ था ।

अचानक उसने डॉक्टर बासु के सीने पर एक लात दे मारी । बासु लड़खड़ा गया ।

"चल, भाग जा यहाँ से !" विलाशा गुर्ययी, लेकिन उसके मुँह से जो फटी-फटी आवाज निकल रही थी, वह
विलाशा की नहीं थी । यह एक अजनबी आवाज थी ।

"विलाशा !" मधुर ने प्यार से उसकी बिखरी जुल्फों को संवारने की कोशिश की । विलाशा ने तुरंत उसका
हाथ काट खाया । मधुर बड़ी मुश्किल से अपना हाथ छुड़ा पाया । वह बेड पर ही बैठा था ।

विलाशा ने दोबारा झपड्टा मारा तो मधुर उछलकर पीछे हटकर फर्श पर खड़ा हो गया |

"विलाशा, क्या हुआ तुम्हें ?" मधुर ने हिम्मत करके पूछा ।

"मैं विलाशा नहीं हूँ कुत्ते !" वह नागिन की तरह फुंकारकर बोली, "सबको मार डालूँगी मैं!"

विलाशा बेड पर बैठकर झूमने लगी और हृंकरें भरने लगी |

मधुर ने डॉक्टर बासु की तरफ देखा |

डॉक्टर बासु ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया । अपना किट उठाया और खौफजदा होकर दरवाजे से बाहर
निकल गया । मधुर एक निडर इंसान था ।

उसने अपनी कलाई देखी, जहाँ विलाशा ने काट खाया था. । कलाई से अब खून टपकने लगा था । उसे
विलाशा की यह हरकत देखकर गुस्सा आ गया और उसने विलाशा के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया ।

"साली, एक्टिंग कर रही है !" मधुर बोला, "मैं तुझसे बड़े वाला हूँ । मार-मार के खाल में भूसा भर दूँगा ।"

विलाशा एकदम से बिफरी शेरनी की तरह पलटी और मधुर पर मुँह से पिचकारी की शक्ल में वोमिटिंग कर
दी । मधुर पर शर्ट गंदी हो गयी । विलाशा की आँखें खून के रंग जैसी सुर्ख हो रही थी ।
अचानक विलाशा ने अपने दोनों हाथ के पंजे फैलाये ।

यह एक्लिंग नहीं थी । वह बेहद भयानक लग रही थी । उसके हाथ में एक खंजर था ।

अब मधुर दो कदम पीछे हट गया । विलाशा किसी शेरनी के अंदाज में बेड पर बैठी पर तौतल् रही थी ।
जैसे ही उसने छलाँग लगायी, मधुर उछलकर पीछे हटा और दरवाजे से बाहर हो गया | तुरंत ही उसने दरवाजा
बंद कर दिया |

किक

डॉक्टर बासु हाफता-काँपता हवेली के ड्राइंगरूम में आया | वे लोग अब भी बाहर थे । बासु ने किट एक
तरफ फेंकी और बाहर आ गया । वह किसी से कुछ नहीं बोला | चुपचाप एक तरफ बैठ गया । उधर चोटी
वाला गेट पर ही बैठ गया था । उसका सिर धीरे-धीरे हिल रहा था ।

किसी के मुँह से अब कोई आवाज नहीं निकल रही थी ।

"किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. ।" अब्बास सबको खामोश देखकर बोला ।

"डरने की जरूरत है ।" अचानक पीछे से आवाज आयी । उन्होंने पलटकर देखा । मधुर खड़ा था । उसकी
कलाई से खून टपक रहा था ।

"डॉक्टर बासु !" मधुर बोला ।

"आं !" बासु चौंका |

मधुर ने अपना हाथ आगे कर दिया |

"ठीक है !" डॉक्टर बासु उठ खड़ा हुआ । फिर उसने मधुर के हाथ पर पट्टी कर दी ।

"आप सब लोग हवेली के अंदर आ जायें और सब एक जगह रहें ।" मधुर ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा और
खुद आगे बढ़ गया. । वह सीधा लोहें के गेट के पास पहुँचा ।

जोर से बोला, "नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान...  । उसके बाद क्या है चोटी वाला ?"

चोटी वाला ने गर्दन घुमाई, "चार भुजा रक्षा के, बजरंगबली हनुमान !"

"मेरे साथ आओ ।" मधुर बोला ।

क्यों, मेकअप करना है क्या ?"

"हाँ ! पर मेरा नहीं, विलाशा का करना है ।"

"पर मेकअप का सामान तो है ही नहीं ।"

"सामान भी हो जायेगा । चलो तो सही ।"

मधुर ने उसका हाथ पकड़ा । उसकी जख्मी कलाई देखकर चोटी वाला का रिएक्शन गया ।

"तुम तंत्र-मंत्र जानते हो ?" मधुर ने पूछा ।

"हाँ, जानता हूँ; और यह भी जानता हूँ कि हमें भूत-प्रेतों ने घेर लिया है । पर मेरी बात पर कोई यकीन ही
नहीं करता ।"

"मैं करता हूँ । आओ मेरे साथ ।"

चोटी वाला उठ खड़ा हुआ ।
सभी लोग हवेली के ड्रॉइंगरुम में आ चुके थे । चोटी वाला अपने थैले को कन्घे पर लटकाये मधुर के साथ
उस बैडरूम में बढ़ रहा था, जिसमें विलाशा मौजूद थी । पीछे-पीछे विराट खन्ना आ गया ।

दरवाजे पर पहुँचते ही चोटी वाला का रिएक्शन गया ।

"आप लोगों में से कोई अंदर नहीं जायेगा ।" चोटी वाला ने कहा, "किसी बदरूह की गंघ आ रही है ।"

"गंघ !" खन्ना चौंका, "बदरूह की गंघ !"

"वह गन्ध आप लोगों को महसूस नहीं हो सकती ।" चोटी वाला दरवाजे पर कान लगाकर बोला, "हम
तांत्रिक बदरूहों की गंध को महसूस कर लेते हैं । तभी तो मैंने सबको चेताया था । यह गन्ध रात को तेज हो जाती
है । लेकिन बुरी आत्मा दिन में भी हमत्ता कर सकती है । मैं हरगिज इस तरह न आता । मुझे डैनी और जोजफ
खींचकर ले आये । मेरी बात को हर किसी ने मजाक में लिया | पीछे हट जाओ । कोई यहाँ नहीं आयेगा |
वह अंदर मौजूद है ।"

"पर वहाँ तो विलाशा है ।" खन्ना ने कहा ।

"विलाशा नहीं, कोई और है । प्लीज, मधुर आप भी ।"

"हाँ, ठीक है. । आइये खन्ना साहब !"

"अब दो बातें होंगी । या तो आपको मेरी लाश मिलेगी । या उस बदरूह को यहाँ से जाना होगा ।"

मधुर ने खन्ना के हाथ पकड़कर पीछे खींचा |

"आइये खन्ना साहब ! मधुर जो अपना काम करने दें ।"

"पर माजरा क्‍या है ?"

"पैं बताता हूँ, आइये !"

"उसे अंदर जाने दो... हम... ।" खन्ना की बात पूरी होने से पहले ही मधुर उसे ड्राइंगरूम में ले आया |

चोटी वाला ने दरवाजा खोला और कमरे में दाखिल होकर दरवाजा अंदर से बन्द कर दिया |

थोड़ी देर में चोटी वाला की गर्जना सुनाई दी |

बेडरूम, ड्राईंगरूम से सटा हुआ था ।

नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान

यह चोटी वाला की गर्जना थी |

अब्बास ड्राइंगरूम में बेचैनी से टहल रहा था । उसकी बीएमडब्ल्यू का ड्राइवर भुवन उसके करीब आकर खड़ा
होगया ।

"आप पोशान न हो । जो होगा, देखा जायेगा ।" मुवन ने अब्बास को ढांढस बंधाया |

तभी चीख-पुकार धमा-चौकड़ी की आवाजें आने लगी । यह आवाजें विलाशा के बेडरूम से आने लगी ।

'छोड़ दे उसे गौरी !" चोटी वाला चीखकर बोला, "मैं तुझे मुक्ति दिला दूँगा । वरना बजरंगबली हनुमान
तुझे सातवें आसमान पर पटक देंगे । मैं बजरंगबली का भक्त हूँ । तू मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकती ।"

फिर मारधाड़ की आवाजें आने लगीं |

कुछ लोगों ने उस तरफ बढ़ना चाहा ।

"कोई वहाँ नहीं जायेगा ।" मधुर दीवार बनकर खड़ा हो गया । सब रुक गये । उनके चेहरे घुआँ हो रहे
थे । पायल तो थर-थर काँपने लगी ।

"क्या हो रहा है विलाशा के साध ?" पायल काँपते स्वर में बोली और फिर रोने लगी ।

"जितेश, उसे सम्माल ।" खन्ना ने कहा ।

पायल खड़ी-खड़ी काँप रही थी ।

"मुझे विलाशा की मदद के लिये जाने दो । व्यह मुझे बुलाया रही है ।" पायल ने रोते हुए कहा |

जितेश ने मजबूती से उसका हाथ पकड़ लिया |

पायल का सिर घूमने लगा ।

"जाना पड़ेगा सबको ।" वह बोली और हाथ छुड़ाकर उछलकर बेडरूम की तरफ भागी ।

"उसे किसी बेडरूम में बन्द कर दे ।" खन्ना जोर से चीखा ।

जितेश ने लपककर पायल को दबोच लिया फिर उसे कन्धे पर उठा लिया और एक-दूसरे बैडरूम में ले
आया । उसने पायल को बेड पर लिटाया ।

"जितेश ! हम सब मारे जायेंगे ।" पायल रोते हुए बोली ।

"कुछ नहीं होगा । कुछ नहीं... ।" जितेश उसके पास ही बेड पर बैठ गया ।

थोड़ी देर बाद विलाशा के कमरे से आवाजें आनी बन्द हो गयीं । हर तरफ खामोशी का आलम पसर गया ।

कुछ देर बाद ही दरवाजा खुला और चोटी वाला बाहर आया । उसकी आँखें लाल सुर्ख हो रही थी । जो
कुर्ता उसने पहना हुआ था, वह तार-तार हो रहा था ।

चोटी वाला ने दरवाजा बाहर से बन्द किया और ड्राईंगरूम में आ गया । सब उसकी तरफ देख रहे थे ।

"मधुर जी !" थोड़ी देर में वह बोला, "वह आपको बुला रही है ।"”

"क... कौन 7"

"विलाशा !"

"मैं उस कमोरे में नहीं जाऊँगा ।” मधुर ने जवाब दिया ।

"अब वह ठीक है । कोई बड़ा हंगामा होने से बच गया । मैंने गौरी से वादा कर लिया है कि उसे मुक्ति
दिला दूँगा ।"

"गौरी कौन ?" खन्ना ने सवाल किया ।

"वह गौरी की ही रूह थी, जो विलाशा के अंदर आ गयी । उसकी रूह का इस हवेली से पुराना रिश्ता है और
यहाँ पूरी तरह उसका राज है । उसने मुझे सारांश में सबकुछ बताया ।"

"क्या बताया ?" सुलेमान ने पूछा ।

"यह एक दर्दमरी दास्तान है. । सब लोग बैठो मैं सुनाता हूँ । लेकिन विलाशा के कमरे में मधुर के अलावा
कोई और नहीं जायेगा ।"

"ओके, ओके ! अब बताओ तो, यह गौरी का कया किस्सा है ?" अब्बास ने अपनी फ्रेंच कट दाढ़ी खुजाते
हुए कहा ।

"आज से चौदह साल पुराना वाकया है । गौरी चौदह बरस की थी । बहुत हसीन रही होगी । विलाशा
जैसी । शादी के बाद वह दुल्हन बनकर इसी गाँव में आयी थी । एक बौना इंसान गोलू उसे बेहद प्यार करता
था, जो उसी के गाँव में कहीं से आकर बस गया था, लेकिन गौरी प्यार का अर्थ ही नहीं समझती थी ।"

चोटी वाला कुछ पल के लिये रुका |

फिर गहरी साँस लेकर बोला ।

"इस गाँव में एक पुरानी प्रथा चल रही थी । गाँव में कोई दुल्हन आती थी तो उसे पहली रात बिताने के लिये
जमींदार के हवेली में मेजा जाता था । उस वक़्त जमींदार अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर देता था । वे
जानते थे कि कया होगा, पर कोई विरोध नहीं कर सकता था । किसी में उसका विरोध करने की हिम्मत ही नहीं
थी । उस समय हवेली में उसके खास लठैत भी रहते थे । चौदह बरस की गौरी को यहाँ लाया गया और फिर
जो हुआ वह बहुत भयानक था । वह चीखती-चिल्त्ताती रही । बहुत खून बह गया था । जमींदार उसे बेरहमी
से सारी रात रौंदता रहा और गौरी मर गयी । जमींदार ने उसकी लाश इसी हवेली के प्रांगण में गाड़ दी । बाद में
यह अफवाह उड़ा दी गयी कि गौरी अपने किसी पूर्व प्रेमी के साथ भाग गई । उसका पूर्व प्रेमी बौना गोलू भी उसी
गाँव में आ बसा था । उसे गौरी की मौत का पता चला तो उसने बड़ा भयानक इंतकाम लिया  ।"

चोटी वाला कुछ रुका । गहरी-गहरी साँसें लेने लगा ।

"गोलू, गौरी की मौत का जिम्मेदार पूरे गाँव वालों को मानता था. । उसने एक दिन पानी की सप्लाई करने
वाली टैंकी में जो इस गाँव के एक सोते में बनी है और वहीं से पूरे गाँव को पानी की सप्लाई आती है, गोलू ने उसमें
जहर घोल दिया और जहर की वजह से गाँव में सब लोग मारे गये । जिसे बाद में महामारी का रूप दिया गया |
गोलू ने भी जान दे दी । उसने आत्महत्या कर ली ।

"त... तो क्या वह बौना... ।" सुलेमान कुछ कहते-कहते रुक गया ।

"हाँ ! जब उसने बैरियर खोला तो मुझे गन्ध महसूस हो गयी थी । वह जिंदा शख्स नहीं है. । एक रूह
है । गंदीरूह ।"

ओ... गॉड... !" जोजफ ने अपने क्रॉस को माथे से लगाया । डीओपी हरीश की पतलून ही गीली हो गयी
थी | वैसे भी वह हार्ट पेशेंट था । उसका दिल बैठने लगा ।

और सुलेमान की तो फूँक ही सरक गयी ।

"फिर गौरी और गोलू ने किसी को भी इस गाँव में नहीं आने दिया ।" चोटी वाला बोला, "और यह गाँव भूतों
के गाँव के रूप में मशहूर हो गया । यहाँ जो भी आता है, जिंदा वापस नहीं लौटता । बहुत से लोग तो हवेली में
दबे खजाने की वजह से यहाँ आते हैं । मैंने इस किस्म की न्यूज़ पहले भी देखी थी ।"

इतना कहकर चोटी वाला खामोश हो गया ।

उसने अपनी खुली चोटी की गाँठ बाँधदी ।

"मधुर सर !" विलाशा को इस वक़्त आपकी जरूरत हैं. । अकेली नहीं रहनी चाहिये । आप घबराइये
मत, सब ठीक है ।"

मधुर उठ खड़ा हुआ और विलाशा क बेडरूम में चला गया ।

"फिलहाल विलाशा से कोई कुछ पूछताछ नहीं करेगा । उन्हें पता ही नहीं है कि क्या हुआ ? और मैं अकेला

सेकंड फ्लोर के बेडरूम में रहूँगा । जोजफ, तुम हैनी के साथ एडजस्ट हो जाना ।"
"अब सवाल यह है कि क्या हम लोग यहाँ सेफ हैं ?" खन्ना ने सवाल किया |

"मैं आप लोगों को बचाने के लिये जान की बाजी लगा दूँगा । वह बौना अब भी हवेली के बाहर हम सब पर
नजर रखे है । लोहे का गेट उसी ने बन्द किया है ।"

"अब अगर वह दिखाई दिया तो मैं उसे गोली से उड़ा दूँगा ।" डैनी होलेस्टर में टंगी अदनी रिवॉल्वर थधपथपाते
हुए बोला |

"जो मर चुका हैं उसे तोप भी नहीं मार सकती । अब मेरी बात सुनिये । हवेली के बाहर कोई भी शख्स कदम
नहीं रखेगा । मैं इस हवेली को चारों तरफ से बाँघता हूँ । शायद स्टोर में मुझे कुछ लोहे की कीलें मिल जायें ।
मैं हवेली को कीलक दूँगा । फिर कोई गंदी रूह अंदर नहीं आ पायेगी । नाड़ फेरे नरसिंह, बल तोड़े हनुमान ।
चार भुजा रक्षा करे, बजरंबली हनुमान । जब तक मैं जिंदा हूँ, किसी को डरने की जरूरत नहीं ।" इतना कहकर
चोटी वाला हवेली की राहदारी में मुड़ गया ।

"चलो, हम लंच की तैयारी करते हैं. ।" शंकर ने डर के माहौल को खत्म करने की कोशिश की, "सुलेमान,
तू में साथ आ । हम किचन का काम देखते हैं. । पहले सबको एक-एक कप चाय पिलाते हैं ।"
सुलेमान खामोशी के साथ उठ खड़ा हुआ | दोनों किचन में चले गये ।

मुझसे शादी कर ले जितेश ! मैं फ़िल्म इंडस्ट्री छोड़ दूंगी । यह बहुत ही गंदी दुनिया है । यहाँ सब ड्रगिस्ट
हैं । हजारों लड़कियाँ बर्बाद होकर कोठे पर पहुँच गयी हैं । कुछ होटलों में सप्लाई होती हैं । न जाने क्या-
क्या सपने देखकर वह भागकर मुम्बई आ जाती हैं  । मैं भी ऐसे ही आयी थी हीरोइन बनने । बहुतों ने मुझे नंगा
किया फिर खन्ना को मुझ पर तरस आ गया । उसने मुझे अपना मैनेजर बना दिया, लेकिन गंदगी फिर भी खत्म
नहीं हुई । पायल रोते-रोते कह रही थी । उसका सिर जितेश की गोद में था । जितेश उसकी जुल्फों को संवार
रहा था. । उसने कोई जवाब नहीं दिया ।

"बोल न जीतू ! मुझे निकाल इस गंदगी से ।"

"मैं खुद कौन सा पाक साफ हूं !" जितेश बोला, "मैं भी तो हीरो बनने आया था, फिर इसी इंडस्ट्री में कॉल
ब्वॉय बन गया । इस इंडस्ट्री की जो हीरोइन बूढ़ी हो चुकी हैं । वह तक मुझे कॉल करती हैं । अच्छे पैसे मिल
जाते हैं । फिर मेरी इस इंडस्ट्री में जान-पहचान हो गयी । मैंने विलाशा को भी एक फ़िल्म दिलवायी थी । वह
मेरे पसंद की हीरोइन आज भी है । लेकिन अभी मधुर और अब्बास उसकी बजा रहे हैं । वह बहुत हॉट हीरोइन
हैं । बिस्तर पर पूरा मजा देती हैं । साहसी पोर्न स्टार भी फेल हैं उसके सामने ।"

"अरे, छोड़ न यह बातें !" पायल ने कहा, "हम दोनों इंडस्ट्री छोड़कर घर बसा लेंगे ।"

"तुम बहुत अच्छी हो पायल !"

जितेश ने पायल को बाँहों में ले लिया |

"आज के बाद चरस-गांजा, सुट्टा सब बन्द ।"

"हाँ, बन्द ! तेरी कसम, बन्द !" पायल ने जितेश के होंठों पर अपने काँपते अधर चिपका दिये । पहले
अधरों-अधरों में बात होती है फिर जिस्म मुलाकात करते हैं और इश्क का सारा बुखार उतर जाता है ।"

पति-पत्नी बनने के लिये एक-दूसरे पर विश्वास, एक-दूसरे के प्रति समर्पण, एक-दूसरे से बेपनाह मोहब्बत ।
तू मेरी दुनिया है, मैं तेरी दुनिया । इसके सिवा कुछ नहीं  । बेलौस मोहब्बत ही हँसते-खेलते उम्र के आखिरी
पड़ाव तक का सफर करती है और फिर रूह इस फानी दुनिया से चंद दिनों की चाँदनी में नहाकर न जाने किस दुनिया
में चली जाती है |

पर अब यह बेलौस मोहब्बत खोजे नहीं मिलती । सब छल्तावा सा बन गया है । न पति वफादार है, न पत्नी
वफादार है और इस इंडस्ट्री में तो वफ़ा नाम की कोई चीज ही नहीं है । कितनी शादियाँ, कितने तलाक रोज होते
हैं । सिंजोफ्रेनिया की शिकार परवीन को क्या मिला, सिर्फ तड़यती मौत ।

बीएमडब्ल्यू का ड्राइवर भुवन पहले पुलिस महकमे में था । एक इनकाउंटर केस में वह ससपेंड हो गया था ।
उसके बाद उसने पुलिस की नौकरी में वापसी नहीं की । उसने कुछ फाइनेंस का जुगाड़ करके एक फ़िल्म बनायी
थी, जिसमें विलाशा को ही हीरोइन लिया था । फ़िल्म का डायरेक्टर भी अब्बास ही था. । उसकी फ़िल्म बुरी
तरह फ्लॉप हो गयी और वह सड़क पर आ गया । उसके बाद से अब तक वह अब्बास का ड्राइवर था ।

ड्राइंगरूम में छाई खामोशी उसे अखर रही थी । मुवन चुटकुले और दो अर्थी शायरी सुनाने में पारंगत था ।
उसने माहौल को हल्का करने के लिये एक चुटकुला सुनाया ।

"झराबियों की कितनी किसमें होती हैं, कोई गिनती नहीं कर पाया । शराबी कुछ भी कर सकता है ।" भुवन
ने कहा । उसके बाजू में हैनी बैठा हुआ था ।

"हैनी भाई, सुनो ! एक बार क्या हुआ, दो शराबी फुल टुल्ली होकर बार से निकले । दोनों दोस्त थे । एक
शराबी बोला, 'यार, जब भी हम पीकर सड़क पर आते हैं तो कोई न कोई लफड़ा जरूर होता है ।' दूसरा शराबी
बोला, 'वह इसलिये होता है क्योंकि हम तो नशे में होते हैं । सामने से कोई आ रहा होता है तो उससे टकरा जाते
हैं और पंगा हो जाता है ।' दोनों ने तय किया कि आज कोई पंगा नहीं होना चाहिये । किसी ऐसी सड़क पर
चलते हैं जिसमें पूरी तरह वीराना हो । कोई आता-जाता नहो ।

"जैसे आखिरी सड़क !" हैनी बोला ।

"समझ वो आखिरी सड़क ही है । अब होता यह है कि दोनों शराबी सुनसान सड़क पर चले जा रहे थे । उन्हें
खुशी थी कि आज कोई नहीं टकराएगा । आज कोई पंगा नहीं होगा । फिर एक शराबी चलते-चलते सड़क
की साइड में आ जाता है और सीधा एक दरख्त से जा टकराता है, तब वह बड़बड़ाता है, 'हो गया पंगा । साला,
यहाँ भी कोई टकरा गया ।'

उसने चुटकुला सुना तो दिया, पर कोई हैंसा नहीं  । सिर्फ डैनी मुस्कुराकर रह गया ।

भुवन ने आगे कोई चुटकुला नहीं सुनाया ।

"हैनी भाई, आप फ़िल्म इंडस्ट्री में आने से पहले क्या करते थे 7"

"मैं आर्मी सीक्रेट सर्विस में था । पेंटिंग और आर्ट डायरेक्शन का शौक था, इसलिये मैंने आर्मी से रिटायरमेंट
ले लिया और इंडस्ट्री में आ गया ।"
"मैं पुलिस क्राइम ब्रांच में था ।" भुवन बोला ।

"पता है ।"

जब लंच की प्लेट उन्हें शंकर ने थमाई तो भुवन बोला, "हैनी भाई ! चलो, छत पर चलकर लंच करते हैं ।"

दैनी का रिएक्शन गया ।

"कुछ खास बातें भी कर लेंगे । चले !"

"चलो ।"

दोनों अपनी लंच प्लेटें लैकर हवेली की छत पर आ गये । कुछ चिड़िया वहाँ चहक रही थी । भुवन ने रोटी
के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्हें फेंक दिये ।

"मैं चिड़ियों को खूब दाना-पानी देता हूँ ।" भुवन ने कहा, "यह बहुत शुभ होता है ।"

"मैं तो बांद्रा में चला जाता हूँ । वहाँ स्टेशन के पास एक तालाब है ।"

"जानता हूँ । बहुत से लोग वहाँ परिंदों को दाना खिलाते हैं ।" भुवन उसकी बात काटकर बोला । कुछ
देर की खामोशी के बाद उसने कहा, "हैनी भाई, यहाँ पर गन सिर्फ दो आदमियों के पास है । या तो आपके
पास या तो मेरे पास ।"

"नहीं । विलाशा के पास भी एक माउजर है ।" डैनी ने उसकी जानकारी ठीक की ।

"आपको क्या लगता है, यह भूत-प्रेत होते हैं ?" भुवन ने पूछा ।

"मैं नहीं मानता । सब दिमाग का वहम होता है ।"

"तो फिर यहाँ क्या चल रहा है 7"

डैनी ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया |

फिर उसने गहरी साँस लेकर कहा, "पता नहीं, पर आर्मी का एक वाकया मुझे याद है, जिसकी तफ्तीश मुझे
ही करनी पड़ी थी । और मुझे अफसोस है कि मेरी रिपोर्ट के बाद एक फौजी लेफ्टिनेंट का कोर्टमार्शल हो गया
था. । उसके बयान के कोई साक्ष्य नहीं थे । सिवाय एक डेडबॉडी के, पर उसे उसे आधार नहीं माना जा सकता
शा

"पुरा किस्सा क्‍या था ?" भुवन ने पूछा ।

"हुआ यूं कि पाकिस्तान के जम्मू सेक्टर की बॉर्डर पर सीज फायर था । वहाँ पहले गोलीबारी हुई थी । फिर
सीज फायर कर दिया गया था. । हमारे जवान अपनी पोजीशन पर अलर्ट थे । लेफ्टिनेंट रावत ने भी पोजीशन
ली हुई थी । उसका बयान था कि आधी रात के समय उसने तीन कबाइलियों को अपनी तरफ आता देखा |
उसने उन्हें रुकने की चेतावनी दी । जब वह नहीं रुके तो फायर खोल दिया । वह तीनों मारे गये, लेकिन वह
अपने बयान के सबूत नहीं दे सका । जाँच में वहाँ सिर्फ एक कबाइली का शव मिला और रावत ने इत्तेफाक से
इसी कबाइली के शव पर पोजीशन ली हुई थी । उसके फायर खोलते ही दोनों तरफ से दोनों तरफ से फायरिंग
शुरू हो गयी । इस तरह सीज फायर के उल्लंघन में उसका कोर्ट मार्शल हो गया । कुछ जवानों का मानना था
कि वह तीनों कबाइली दरअसल कबाइलियों के भूत थे ।" इतना कहकरडैनी खामोश हो गया |

९40९ 5/5]/5९ [

"इस तरह के कई मामले मेरी सर्विस के दौरान भी सामने आये, पर वह फर्जी थे । मूत-प्रेतों की आड़ लेकर
क्राइम किया गया था. । आम तौर पर तेली यही काम करते हैं । इन तेली-तांत्रिकों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो
तंत्र-मंत्र की आड़ में अपराध करते हैं ।"

कुछ देर तक दोनों खामोश रहें ।

फिर मुवन ने खामोशी तोड़ी ।

"जो कुछ चोटी वाला ने हमें बताया, वह क्या हो सकता है 7"

"मेरे ख्याल से उसने मुझे डराने के लिये कोई मनगढंत कहानी सुनाई है ।" डैनी ने जवाब दिया |

"एब्सोल्यूटली, यु आर राइट !" भुवन बोला, "मैं भी इसी एंगल से सोच रहा हूँ ।"

"हमने उठा-लटक और तोड़फोड़ चीख-पुकार भी सुनी है, जिसमें औरत की आवाज भी शामिल है । चोटी
वाला के कपड़े भी फटे हुए थे ।"

"सिजोफ़ेनिया !" भुवन बोला, "सिजोफ्रेनिया के पेशेंट को इस किस्म के दौरे पड़ते हैं । वह अपने आपे में
नहीं रहता । परवीन बाँबी का किस्सा तो याद होगा । वह ऐसी ही हरकतें करती थी । मार-पिटाई भी करती
थी । विलाशा सिजोफ्रेनिया की पेशेंट हो सकती है । उसने मधुर पर भी हमला किया जा । डॉक्टर पर भी,
चोटी वाला पर भी किया ही होगा | अब सवाल यह है कि चोटी वाला ने इसे भूत-प्रेत का रंग क्यों दिया  ।"

"यह बात मेंरे जेहन में भी थी । मेरे ख्याल से वह अपना रुआब गाँठना चाहता है । हमें डराना चाहता है ।
विलाशा ने उसके साथ भी मारपीट की होगी । सिर्फ उसका दौरा खत्म हो गया होगा और चोटी वाला को मौका
मिल गया ।"

"उसने मनगढंत कहानी क्यों सुनाई ?"

"एक मिनट !" डैनी ने मुवन को आगे कुछ कहने से रोका, "इसमें एक पेंच है. । इस मनगढंत कहानी का
एक हिस्सा वह बौना भी है, जिसने बैरियर खोत्ता था और जिसने सुलेमान का ट्रक रोका था. । हमारी थ्योरी के
अनुसार भूत-प्रेत का अस्तित्व होता ही नहीं तो फिर वह बौना भी जिंदा इंसान है । उसे चोटी वाला से कैसे जोड़ा
जा सकता है । मान लिया विलाशा सिजोफ्रेनिया की पेशेंट है, जिसका फायदा चोटी चाला उठाना चाहता है,
पर सवाल यह है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है । क्या वह सिजोफ्रेनिया का ट्रीटमेंट जानता है?"

"हालाँकि यह इन्वेस्टिगेशन की चीज है ।" भुवन ने जवाब दिया, "पर मेरी सोच यह कहती है कि चोटी वाला
जानता था कि विलाशा सिजोफ्रेनिया की पेशेंट है और वह यह भी जानता है कि इस किस्म के पेशेंट को कैसे काबू
किया जाता है, लेकिन उसने अपनी मनगढंत कहानी में उस बौने को भी भूत साबित करने की कोशिश क्यों की ?"

"इसी सवालों के जवाबों तलाशने की कोशिश कर रहा हूँ ।" डैनी ने उत्तर दिया ।

दोनों लंच करना तो भूल ही गये थे । फिर उन्होंने लंच किया और किसी नतीजे पर न पहुँचकर नीचे आ गये ।
चोटी वाला लंच के बाद अपने बेडरूम में जा चुका था । मधुर भी विलाशा को बाँहों में समेट चुका था । उसने
लंच लेने से इनकार कर दिया था. । शंकर और सुलेमान स्पॉट ब्वॉय का काम कर रहे थे ।

इस समय हवेली में जितने लोग थे, उनकी संख्या 5 थी |

. विराट खन्ना (प्रोड्यूसर)

2. अब्बास (डायरेक्टर)

3. मधुर (हीरो)

4. विंलाशा (हीरोइन)

५. शंकर (प्रोडक्शन वाला)
6. सुलेमान (ड्राइवर)

7. पायल (खन्ना की मैनेजर)
8. भुवन

9, डैनी (आर्ट डायरेक्टर)
0, जितेश (ड्राइवर)

]7.. जोजफ (कोरियोप्राफर)
2. हरीश (डीओपी)

73. डॉक्टर बासु

]4. चोटी वाला (मेकअप)
5. विपुल भाई (फाइनेंसर)

हवेली में कुल बैडरूम नौ थे । चोटी वाला सेकंड फ्लोर के एक बैडरूम में अकेला था । सेकंड फ्लोर पर
ही दूसरे बेडरूम में सुलेमान और शंकर थे । सेकंड फ्लोर के तीसरे बैडरूम में डैनी और जोजफ थे । वह पाँच
शख्स सेकंड फ्लोर पर थे । हवेली के फर्स्ट फ्लोर पर अब्बास अपने ड्राइवर मुवन के साथ था । दूसरे बैडरूम
में डॉक्टर बासु के साथ कैमरामैन हरीश था । तीसरे बैडरूम में खन्ना और विपुल थे । प्राउंड फ्लोर पर मधुर
अकेला एक बैडरूम में था. । दूसरे में विलाशा और पायल थी । तीसरे में जितेश था. । जितेश वाले कमोरे में
सबका सामान रखा था ।

पायल इस वक़्त जितेश वाले बैडरूम में थी ।

मधुर, विलाशा वाले बैडरूम में था । उसने अपनी शर्ट चेंज कर ली थी । लंच हो चुका था और दोपहर के
दो बजे रहे थे ।

अब्बास अपने फोन पर फिर से ट्राई मार रहा था ।

"समझ नहीं आ रहा भुवन, हम सबके फोन क्यों नहीं लग पा रहे । न हम कॉल कर पा रहे हैं, न कॉल आ
रही है । इमरजेंसी सिस्टम भी काम नहीं कर रहा है. नेट सर्विस भी ठप्प है ।"

"बहुत से संस्थानों में जम्पर लगा होता है । वहाँ भी ऐसा होता है ।" भुवन ने जवाब दिया ।

"तो क्‍या यहाँ जम्पर लगे हैं ?"

"अंदाजा है ।"

"रोड पर भी ?"

"हो सकता है । अगर कोई बहुत बड़ा प्लान है तो या टावर नहीं है ।"

"प्लान मीन्स ?" अब्बास चौंक पड़ा ।

"हो सकता है, इस इलाके में डाकुओं का कोई गिरोह हो और एडवांस टेक्निक से लैस हों और उसने पूरी
प्लानिंग के तहत हम सबका किडनैप कर लिया हो ।"
अब्बास, भुवन को घूरने लगा ।

"हम तो अपनी गलती से रास्ता भटककर इस तरफ आ गये । फिर यह किडनेपिंग कैसे हो सकती है ।"

"ऐसे ही बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब मुझे नहीं मिल पा रहा है । कड़ियाँ बिखरी हुई है । एक बार
ठीक से जुड़ जाये तो कोई सॉल्यूशन निकल सकता है ।"

रात को जनरेटर ऑन कर दिया गया । वे लोग तेल का कम-से-कम इस्तेमाल करना चाहते थे । डिनर में
सब इकट्ठा हो गये । विलाशा अब ठीक थी और हँस-हँसकर बात कर रही थी । उसे किसी ने नहीं बताया था
कि उसे दौरा पड़ा था । मुवन, हैनी और चोटी वाला के अतिरिक्त सबके चेहरे उतरे हुए थे ।

चोटी वाला ने हिदायत दी कि किसी भी सूरत में कोई भी हवेली से बाहर नहीं निकलेगा । हवेली के दरवाजे
को हम अंदर से बन्द कर लेंगे ।"

उसके बाद सब एक-दूसरे को गुड़ नाइट कहकर अपने-अपने बैडरूम में चले गये ।

रात के लगभग दो बजे होंगे, जब माउथ ऑर्गन की एक धुन बजने लगी । जो जाग रहे थे, उन्होंने सुनी ।
सोने वालों में खन्ना, विपुल, अब्बास, जोजफ वगैरह थे । जो जाग रहे थे, वह थे - हैनी, सुलेमान, चोटी वाला ।

विलाशा, मधुर की बातों में थी । दोनों एक ही लिहाफ में थे और नग्नावस्था में थे । वह सेक्स की भूख
मिटा चुके थे । यही आलम पायल और जितेश का था । वह अभी-अभी धककर पसीने-पसीने होकर आधे मुँद
पड़े हुए थे ।

सबसे पहले सुलेमान उठ बैठा | उसने शंकर को जगाया |

"क्या है ? सोने दो, बहुत धका हूँ ।"

"मर साले !" सुलेमान बड़बड़ाया  । वह उठकर बैडरूम के खिड़की के पास आ गया. । उसने खिड़की
खोलकर बाहर देखा । बाहर चाँदनी रात थी । सुलेमान, हवेली के बाहर देख रहा था. । तभी उसे वही बौना
दिखाई दिया, जो माउथ ऑर्गन बजाता हुआ धीरे-धीरे चल रहा था. । उसके कंधे पर रोशन लालटेन लटक रही
थी ।

उसे देखकर सुलेमान का खून खौल गया । उसे यह ध्यान ही नहीं रहा कि चोटी वाला ने बौने के बारे में क्‍या
कहा था |

सुलेमान अपने कमरे से बाहर निकला । उसने किचन से एक चाकू उठा लिया और हवेली के सदर दरवाजे की
तरफ चल पड़ा । हवेली का ड्राइंगरूम रोशन था ।

सुलेमान सदर दरवाजा खोलकर बाहर आ गया । वह एक निडर इंसान था. । वह किसी को साथ नहीं ले

गया. । अकेला ही बाहर निकला । माउथ आऑर्गन की घुन बजना बन्द हो गयी ।
किक की

जब शंकर उठा तो उसने सुलेमान को गायब पाया । सुबह हो चुकी थी । उसे सबके लिये बेड टी बनानी
थी । उसने सुलेमान को आवाज दी, पड़ कोई जवाब नहीं मिला | तब शंकर ग्राउंड फ्लोर पर आया । अभी
तक सब अपने कमरों में सो रहे थे, लेकिन मुवन ड्राइंगरुम में बैठा था और हवेली का दरवाजा खुला था । शंकर
ठिठक गया. । अब शंकर को शक हुआ कि सुलेमान शायद बाहर गया है ।

"तुमने सुलेमान को देखा ?" उसने भुवन से पूछा ।

"सॉरी ! अब वह जिंदा नहीं है । मैं उसे बचा लेता, पर उस तक पहुँचने में मुझे देर हो गयी । उसकी लाश
हवेली के पिछले हिस्से में एक पेड़ के नीचे पड़ी है ।"

"व्हाट !" शंकर बड़बड़ाया, "म... मगर... |”

"बाकी तो मुझे कुछ नहीं मालूम !" भुवन ने उसकी बात काटकर कहा, "जितना मालूम है बता देता हूँ ।
मैं रात भर सोया नहीं  । करीब दो-तीन बजे मैंने माउथ ऑर्गन की धुन सुनी । यह घुन बाहर से आरही थी । मैं
हवेली की ड्राइंगरूम में आया तो उसका दरवाजा पहले से खुला था । मैं बाहर आ गया । चाँदनी रात थी ।
मैंने यह जानने के लिये कि माउथ ऑर्गन कौन बजा रहा है, हवेली का एक राउंड लिया । फिर मुझे पिछले
हिस्से में सुलेमान नजर आ गया, जो औंधे मुँह पड़ा था और उसकी गर्दन काट दी गयी थी । वह मर चुका था ।

शंकर काँपने लगा । सुलेमान उसका जिगरी यार था ।

शंकर लड़खड़ाते कदमों से बाहर निकला । भुवन उसके साध-साध निकल पड़ा । दोनों उस जगह पहुँचे जहाँ
सुलेमान की लाश पड़ी थी । शंकर उसकी लाश देखकर रोने लगा ।

मुवन ने उसका कंधा धपथपाया ।

"आओ चले, अभी किसी को मत बताना ।"

वह शंकर को लेकर वापस आ गया ।

"चाय बनाने में मैं तुम्हारा साथ दूँगा ।" मुवन बोला और दोनों किचन में चले गये ।

"मगर वह बाहर निकला क्यों ?" शंकर ने पूछा |

"मुझे नहीं मालूम !" भुवन ने जवाब दिया ।

दूसरी लाश हवेली में ही बरामद हुई । वह चोटी वाला की लाश थी । चोटी वाला अपने कमरे में फर्श पर
पड़ा हुआ था । किसी ने उसका पूरा सीना चीर-फाड़ दिया था, जैसे किसी जंगलीजानवर का काम हो ।

सबसे पहले यह लाश मुवन ने ही देखी थी । बाकी लोग तो चाय पीने ड्राइंगरूम में आ गये थे । भुवन ने
उन्हें जगाकर बुला लिया था । फिर जब वह चोटी वाला के कमरे में पहुँचा तो दरवाजा खुला मिला और फर्श पर
खून फैला हुआ था । चोटी वाला चित्त पड़ा था. । उसका बदन अर्धनग्नावस्था में था और उसका सीना चीर-
फाड़ दिया गया था. । मारने वाला उसका कलेजा भी काटकर ले गया था ।

मुवन तेजी से वापस पलट पड़ा । अब किसी से कुछ छुपाना मुनासिब नहीं था । दो कत्ल हो चुके थे ।
विलाशा और मधुर के अलावा सब लोग ड्राइंगरूम में आ गये थे । शंकर ने उनकी चाय पहुँचा दी थी ।

"आप लोगों को यह बताना जरूरी है कि हम सब किसी मुसीबत में फैंस गये हैं ।" मुवन बोला, "दो लोगों
का कत्ल कर दिया गया है ।"

उसके इन शब्दों ने बम के धमाके के काम किया । सब उछल पढ़ें । विपुल और खन्ना के हाथ से चाय के
कप ही छूटकर कालीन पर बिखर गये । जोजफ के हाथ में जो कप था, उसकी प्लेट काँपने लगी । अब्बास ने

कप एक साँस में खाली कर दिया । शंकर तो चाय सर्व करने के बाद किचन में बैठा रो रहा था । मुश्किल से
उसने चाय बनाकर सर्वकी थी |

"चोटी वाला की लाश उसके रूम में पड़ी है. । दूसरी लाश सुलेमान की है जो बाहर पड़ी है ।" भुवन ने सारी
जानकारी दी, "मैं आप लोगों को अच्छी तरह समझाना चाहता हूँ कि आप हिम्मत न हारे । यह काम भूत-प्रेतों
का नहीं है । यहाँ कोई गैंग है जिसने हम सबका अपहरण कर लिंया है और इसकी जानकारी हमें दो आदमियों से
मिल सकती थी । उन दोनों का ही कत्ल कर दिया गया है ।"

"क... क्या मतलब ?" खन्ना ने थूक निगलते हुए कहा । उसकी आवाज गले में फँस-फैसकर आ रही
थी |

"चोटी वाला वह शख्स था, जिस पर सबसे पहले मेरा शक गया, क्योंकि उसने भूत-प्रेतों की मनगढंत कहानी
सुनाकर हमें डराने की कोशिश की ताकि अगर कोई मारा जाता है तो हम यही समझे कि वह भूतों का काम है ।
मेरा दूसरा शक सुलेमान पर गया । वजह साफ है । प्रोडक्शन का ट्रक सबसे आगे था और बाकी गाड़ियाँ उसी
को फॉलो कर रही थी । फिर वह इस सड़क पर क्यों मुड़ गया और हम सबको इस तरफ क्यों ले आया |

"'त... तो वह गैंग... क्या चाहता है ?"

"मुमकिन है, इस अपहरण के बाद फिरौती की शक्ल में मोटी रकम वसूल की जाये । प्रमुख रूप से यह मोटी
रकम चार लोगों के घरों से मिंल सकती है । मैं तो अकेला रहता हूँ । शादी नहीं की । न ही मेरा परिवार अमीर
है । वे किसान लोग हैं और गाँव में खेती-बाड़ी करते हैं । किसी को जानकारी भी नहीं होगी, शंकर प्रोडक्शन
वाला है, कोई अमीर आदमी नहीं | हैनी, जोजफ और हरीश भी मोटी आसामी नहीं है । सिर्फ विराट खन्ना,
विपुल भाई, विलाशा, मधुर, इन चार लोगों की फिरौती में मोटी रकम वसूल की जा सकती है । इनका प्लान
यही होगा, सबूत न रहे इसके एवज में वह बाकी सबको ठिकाने लगाने की कोशिश करेंगे ।"

"अगर उस गिरोह को ऐसा करना है ।" डीओपी हरीश ने कहा, "तो भूत-प्रेतों का ड्रामा रचने की क्या जरूरत
है ? अब तो हम फैँस ही गये हैं । वह सामने मी आ सकते हैं । किसी का कत्ल करने की जरूरत भी नहीं थी ।
अगर वे दोनों इस प्लान में शामिल थे तो उन्हें पैसा मिलना तय होगा |"

"नहीं, वह सामने नहीं आ सकते । क्योंकि इस गाँव के बारे में तो अफवाह फैलाई गयी है, वह समाप्त हो
जायेगी और उनका आगे का कारोबार ठप्प हो जायेगा । वे नहीं चाहते कि यहाँ मारे गये लोगों की तफ्तीश पुलिस
इस नजरिये से करे ।" मुवन ने उत्तर दिया ।

"फिरौती के बाद जब वह हमें छोड़ देंगे तो क्या तब पता नहीं चलेगा कि यहाँ डाकू रहते हैं हम उन्हें एक्सपोज़
भी कर सकते हैं । फिरौती का सारा भेद भी खुल जायेगा । भले ही वह हमें मार दें ।" यह बात अब्बास ने कही,
"नहीं मुवन, तुम्हारे इस नजरिये में दम नहीं है । यदि यह कोई गिरोह है तो हमारी गाड़ियाँ तबाह नहीं होती । हम
सीधे यहाँ पहुँच जाते ।"

"और दूसरी बात यह कि मैंने विलाशा का वह रूप देखा है जब उसने मुझे लात मारी थी । उसने मधुर का
हाथ भी काटा । उसे एक्टिंग करने की क्या जरूरत थी । क्या वह भी डाकुओं के गिरोह में शामिल है?"

मुवन ने इन एंगल से नहीं सोचा था । उसे जवाब न देते बन पड़ा ।

"अब जो हो चुका उससे आगे की सोचे तो बेहतर होगा ।" डैनी बोला, "हम यह मानकर चलें कि हम सबकी

जान खतरे में है और हमें खुद को बचाना है ।"

थोड़ी देर के लिये खामोशी छा गयी ।

फिर खन्ना ने खामोशी तोड़ी ।

"सबसे पहले तो उन लोगों को दफनाने का इंतजाम करो । यहाँ कुदाल-फादड़े भी होंगे । वे जैसे भी थे,
हमारे यूनिट के सदस्य थे  ।"

कुदाल-फावड़े मिल गये जो हवेली के बाहर जनरेटर वाले स्टोर में रखे हुए थे । चोटी वाले कि लाश को एक
बोरे में डालकर लाया गया, क्योंकि लाश बहुत वीमत्स थी । दोनों लाशों को हवेली के पिछले वाले हिस्से में

दफना दिया गया |
के के के

दिन में कोई उल्लेखनीय घटना नहीं घटी ।

शाम ढलते ही भुवन और डैनी छत पर आ गये |

"इन लोगों का अब भी यही ख्याल है कि भूत-प्रेतों का चक्कर है ।" भुवन बोला, "कल हम चोटी वाला
पर शक कर रहे थे ।"

"तैसे तुम्हारी बात में यह तो वजन है कि चोटी वाला और सुलेमान जरूर कुछ जानते थे, पर कोई फिरौती के
लिये हमारी किडनैपिंग करेगा, यह नहीं हो सकता । वैसे यह भी हो सकता है कि सुलेमान से अनजाने में यह गलती
हो गयी हो, जो हम इधर आ गये |"

"तो उसे क्यों मारा गया ?" मुवन ने सवाल उठाया ।

"रुको । अभी कोई फैसला करना ठीक नहीं होगा ।" डैनी बोला, "खन्ना साहब ने रात को पहरा लगाने
की बात की है । आज पहरे पर शंकर और जितेश हैं । पर हमें उनके भरोसे नहीं रहना चाहिये । हम भी रात को
चौकस रहेंगे । मैं छत से निगरानी रखूँगा और तुम... ।"

"मैं हवेली से बाहर रहूँगा ।"

"और यह बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिये ।"

"अगर आज रात कुछ न हुआ तो तुम्हारी बात का वजन बढ़ जायेगा ।" दोनों नीचे उतर आये, "वरना यह
लोग तुम पर ही शक करने लगेंगे ।" डैनी ने कहा ।

"साईं, मुवन मेरे पास भी आया था. । हमकों बोला था, उसका फ़िल्म फाइनेंस के वास्ते पर हमने उसको
फाइनेंस के वास्ते मना कर दिया ।" विपुल भाई, खन्ना से कह रहा था, "और तुमको फाइनेंस दिया  ।"

"तुम्हारी बात में दम है भाई ! लाशें भी सबसे पहले उसी ने देखी । और हाँ, मुझे ध्यान आ गया, यह
लोकेशन भी तो उसी ने सजेस्ट की थी । वह अपनी फिल्म की शूटिंग यहाँ कर चुका था ।"

"बस तो सारा मामला ही साफ है ।" विपुल ने कहा, "उसने डाकुओं की कहानी इसलिये गढ़ी ताकि हम यही
समझे कि हमें डाकुओं ने किडनैप कर लिया है और फिरौती माँगने वाले डाकू ही हैं । असल में पैसे की जरूरत उसे
खुद को है, क्योंकि वह पहले प्रोड्यूसर ही था । वह खुद सामने फ्रेम में नहीं आना चाहता ।"
खन्ना और विपुल अपने कमरे में डिसकस कर रहे थे ।

"लेकिन इसने सुलेमान और चोटी वाला का कत्ल क्यों कर दिया?"

"शायद वे दोनों इसके राजदार रहे हों ! क्योंकि सुलेमान ही तो हमें इस सड़क पर लेकर आया । जरा सोचो
तो, हम यहाँ फेंस गये । क्या हमारी यूनिट के दूसरे लोगों ने, जो लोकेशन पर हैं, पुलिस को सूचना नहीं दी
होगी ।"

"बरोबर दी होगी ।" खन्ना बोला ।

"तो पुलिस अब तक यहाँ क्यों नहीं आयी 7"

"वही तो मैं भी सोच रहा हूँ । क्या इसने पुलिस से भी सेटिंग की होगी ।" खन्ना सोच में पड़ गया ।

"नहीं, इस तरह पुलिस आती ही नहीं होगी । यहाँ ऐसी घटनायें घटती रहती होंगी । तभी तो बैरियर लगाया
गया है । प्रशासन और पुलिस ने तो पहले ही चेतावनी दी हुई है । इस तरफ आने वालों के साथ पहले जरूर
कुछ हादसे हुए होंगे । यह बात भुवन की जानकारी में थी । हो सकता है, यहाँ डाकुओं का गिरोह भी हो, जो
उसे सपोर्ट कर रहा हो. ।" विपुल भाई ने जवाब दिया |

"सवाल यह है कि हम अब क्या करें ?"

"कुछ करना ही नहीं साईं ! इसे अपना खेल तो पूरा करने दो । हम एक बार यहाँ से सही-सलामत निकल
जायें, चाहे फिरौती देकर निकलें  । कंप्लेन तो बाद में भी हो सकती है । इसकी हम बैंड बजा देंगे ।"

दोनों का डर काफी हद तक कम हो गया था ।

के के कि

छत पर खड़े हैनी ने मुवन को एक झाड़ी में छृपते हुए देखा । वह कुछ सोच रहा था । उसके दिमाग में भारी
हलचल थी | वह पूरे घटनाक्रम के तार जोड़ रहा था । फिर उसने कुछ फैसला किया और छत से नीचे उतरने के
लिये सीढ़ियाँ तय करने लगा । हवेली में गहरा सन्नाटा छाया हुआ था. । बल्ब रोशन थे । डैनी ग्राउंड फ्लोर
पर आ गया | ड्राइंगरुम में जितेश और शंकर कालीन पर बैठे ताश खेल रहे थे ।

आहट सुनते ही दोनों ने रियेक्ट किया | डैनी सामने खड़ा था. । उसके होलेस्टर में रिवॉल्वर झूल रहा था |

"मैं बाहर जा रहा हूँ ।" डैनी ने कहा ।

"बाहर तो भुवन मौजूद है ।" जितेश बोला ।

हैनी ने कोई जवाब नहीं दिया और हवेली के मुख्य द्वार से बाहर निकल गया । हवेली का मुख्य द्वार पहले से
खुला था, क्योंकि मुवन बाहर था और कमी भी अंदर आ सकता था । उस वक़्त रात के साढ़े बारह बज रहे थे ।

दैनी बाहर निकलकर चलता हुआ मुवन के पास पहुँचा । भुवन ने उसे आते देख लिया था |

जब वह पास आया तो मुवन ने उसे घीमी आवाज में पूछा, "तुम नीचे क्यों आ गये  ?"

"सौदा करना है !" डहैनी ने कहा ।

"सौदा ! कैसा सौदा ?" मभुवन झाड़ी से बाहर आ गया |

"जो खेल तुमने खेला है, उसमें फिफ्टी परसेंट मेरा भी होगा ।"

"मतलब ?"

"देख, तू भी पुलिस वाला रह चुका है और मैं आर्मी...  ।"

"सीक्रेट सर्विस में, यही बताने आया है ।" भुवन ने उसकी बात काटकर कहा ।

"मुझको बहकाने की कोशिश मत कर । सुलेमान और चोटी वाला तेरे ही आदमी थे, जो तेरे प्लान के बारे में
जानते थे । चोटी वाला को तुमने ही विराट प्रोडक्शन में काम दिलाया था ।"”

ला

"और सुलेमान तेरे प्रोडक्शन में काम कर चुका है ।" डैनी ने तल्ख स्वर में कहा ।

"तू कहना क्या चाहता है 7"

"इस गेम का आधा हिस्सा चाहिये मुझे । फिरौती के लिये तूने कितनी रकम फिक्स की 7"

"तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है?"

"वरना तेरा खेल खत्म कर दूँगा मैं ।" डहैनी ने अपनी गन होलेस्टर से निकाल ली ।

मुवन के हाथ में तो गन पहले से थी ।

"खेल खत्म करने से तेरा क्या मतलब है 7" भुवन का रिएक्शन गया ।

"गोली मार दूँगा तुझे । बोल, हाँ किना ?"

"तेरा शक बेबुनियाद है हैनी ! गन रख ले; और सुन, मैं भी इनकाउंटर स्पेशलिंस्ट रहा हूँ ।"

दोनों ने एक-दूसरे पर गन तान दी |

"बोल, हाँ कि ना ?" डैनी गुर्ाया ।

मभुवन ने कुछ सोचा ।

"देख हैनी, जो तू सोच रहा है अगर वह बात सच निकली तो, मैं तुझे आधा हिस्सा जरूर दूँगा  । इस
सिचुएशन में आकर हम आपस में न लड़े तो बेहतर होगा ।"

"ठीक है, अब मैं तेरे साथ हूँ ।" डैनी ने कहा और वहाँ से पलट पड़ा ।

"अभी ऊपर से चौकसी रखना ।" भुवन ने कहा ।

डैनी ने कोई जवाब नहीं दिया । वह पुनः हवेली की छत पर चढ़ गया । वह देखना चाहता था कि यहाँ भुवन
के मददगार कौन-कौन हैं. । हो सकता है, किसी और का भी कत्ल होने जा रहा हो । हो सकता है, उसका कोई
और भी राजदार हो ।

वह छत्त पर आ गया |

ड्राइंगरूम में जितेश और शंकर ताश खेल रहे थे ।

भुवन की निगाह गेट पर ही जमी हुई थी । वह अब भी उसी झाड़ी में दुबका हुआ था. । डैनी ने उसका
मूड ऑफ कर दिया था. । उसने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और लाइटर से उसे सुलगा दिया । अब वह
सिगरेट के गहरे-गहरे कश खींच रहा था, परन्तु निगाह बदस्तूर गेट पर ही जमी हुई थी । इससे पहले वह हवेली
की चारदीवारी का अच्छी प्रकार मुआयना कर चुका था । अंदर आने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था । वह स्योर
था कि अगर कोई हवेली में दाखित्न होगा तो इसी लोहे के गेट से अंदर आयेगा ।

उसने घड़ी में वक़्त देखा । रात का एक बज रहा था । अचानक उसे दूर से माउथ ऑँर्गन पर बजती घुन सुनाई
दी | घुन 'बहुत प्यार करते हैं, तुमसे सनम' बज रही थी । उसी समय भुवन ने लोहे के गेट को खुलते देखा और
उसके दिल की धड़कने तेज हो गयी । गन उसके हाथ में आ गयी |

गेट से उसने किसी को अंदर आते देखा । वह वही बौना था जिसका जिक्र चोटी वाला ने किया था । बौने
के कंधे पर लालटेन लटक रही थी | वह माउथ ऑर्गन बजा रहा था । गेट बंद हो गया । बौना धीरे-धीरे छोटे-
छोटे कदम रखता बढ़ रहा था. । भुवन अब उसे जिंदा ही पकड़ने को ठान चुका था. । बौना एक जगह आकर
ठिठक रुका । धुन बजनी बन्द हो गयी थी | बौने के पैरों में आर्मी बूट थे, जिनका ऊपरी हिस्सा उसके घुटनों
तक फेंसा हुआ था ।

बौना अपनी जगह से मुड़ गया और हवेली के पिछले हिस्से की तरफ जाने लगा । मभुवन झाड़ी से बाहर निकला
और उसने बौने का पीछा करना शुरू कर दिया । बौना चलता हुआ एक वृक्ष के नीचे चला गया । फिर अचानक
उसकी लालटेन बुझ गयी, फिर वह कहाँ गया भुवन को नजर नहीं आया | भुवन तेजी से उस पेड़ के नीचे आ
गया । हाथ में गन थामे वह व्यह इधर-उधर देखने लगा । बौना कहीं नजर नहीं आया । मुवन पेड़ के नीचे ही
खड़ा था. । अचानक कोई चीज उसके सिर पर गिरी । इससे पहले की वह कुछ समझ पाता एक रस्सी का फंदा
उसके गले में फिक्स हो चुका था, जो एक झटके में ही कस गया । भुवन की गन हाथ से छूट गयी । वह दोनों
हाथों से रस्से को पकड़कर उसकी गाँठ ढीली करने लगा लेकिन गाँठ पूरी तरह कस गयी थी । फिर रस्सा ऊपर
खींचने लगा और मुवन के पाँवों ने जमीन छोड़ दी । वह चीखना चाहता था, लेकिन गले से आवाज नहीं निकल
पा रही थी | वह छटपटाने लगा, पर अब कुछ नहीं हो सकता था |

कि के की

विलाशा गहरी नींद में थी जबकि मधुर विंडो के पास खड़ा था । उसने गेट में एंटर होते बौने को देख लिया था
और फिर मुवन को उसके पीछे मूव करते देखा । मधुर निडर इंसान था । वह समझ गया कि मुवन उस बौने को
जिंदा पकड़ना चाहता है । बौना माउथ ऑर्गन पर एक घुन बजाता हुआ अंदर आया था. । इसी घुन को सुनकर
मधुर विण्डो पर आ गया था. । बैडरूम की लाइट ऑफ थी | मुवन उस बौने का पीछा दबे कदमों से कर रहा
था. | रात चाँदनी थी । अचानक चाँद बादलों की ओट में हो गया था. । उस वक़्त बौना एक पेड़ के नीचे मूव
कर चुका था और उसकी लालटेन गुल हो गयी थी । आगे का दृश्य मधुर नहीं देख पाया कि वहाँ कया हुआ ?
उसकी समझ में यह भी नहीं आया कि मुवन वहाँ क्या कर रहा था ।

मधुर अब बाहर जाने के लिये दरवाजे की तरफ बढ़ा  । उसी समय विंलाशा के कराहने की आवाज सुनाई
दी । वह ठिठक गया |

"लाइट ऑन कर दो मधुर !" वह कराहती हुई बोली, "मुझे डर लग रहा है ।"

मधुर वापस पलटकर विलाशा के पास आ गया |

मधुर ने लाइट ऑन कर दी । विलाशा उठकर बैठ गयी । "यहाँ मेरे पास आकर बैठ जाओ । तुम खिड़की
से क्या देख रहे थे 7"

"कुछ नहीं । बाहर चाँदनी रात है न ।"”

"मैंने कोई संगीत सुना था, जैसे कोई माउथ ऑर्गन बजा रहा हो । क्या बाहर कुछ है ?"
"अरे नहीं, तुम्हारा वहम होगा ।"

मधुर बेड पर आकर बैठ गया । विलाशा ने अपना सिर उसकी गोद में रख दिया । मधुर उसकी जुल्फों से
खेलने लगा । उस वक़्त मधुर ने अंडर शर्ट और लोअर पहन रखा था । विलाशा ने धीरे-धीरे अपने हाथ बढ़ाये
और मधुर का लोअर उतारने लगी |

"लाइट ऑफ कर दूँ ।"

"हाँ, लाइट ऑफ करके मेरे पास आ जाओ |"

मधुर लाइट ऑफ करके विलाशा के पास आ गया । दोनों लेटकर एक-दूसरे की बाँहों में समा गये ।

"तुम बहुत सेक्सी और हॉट हो जान !" मधुर बोला ।

दोनों की साँसें एक-दूसरे की साँसों से टकराने लगीं और फिर वह तूफान की जद में आते चले गये ।

"काश कि मैं हॉट और सेक्सी न होती ।"

मधुर ने उसे बाँहों में कस लिया । वह सबकुछ भूलकर विलाशा में गुम हो गया ।

ताश खेलते-खेलते शंकर चौंका ।

"मुझे गैस की बू आ रही है । कहीं गैस सिलिंडर लीकेज तो नहीं कर रहा ।"

"देखकर आ | बू तो मुझे भी महसूस हो रही है ।"

शंकर उठकर किचन की तरफ बढ़ गया. । किचन में शंकर ने अभी रोशनी जलाई नहीं थी कि किंचन का
दरवाजा बंद हो गया । जितेश ने उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया ।

करीब दस मिनट तक जब शंकर बाहर नहीं आया तो वह उठ खड़ा हुआ और किचन की तरफ बढ़ा । ठीक
उसी समय बाधरूम में शावर चलने की आवाज सुनाई दी । जितेश बाधरूम की तरफ बढ़ गया । वह बाथरूम में
दाखिल हुआ, पर उसके अंदर पहुँचने से पहले ही शावर बन्द हो गया । उसने बाथरूम की रोशनी अभी तक ऑन
नहीं की थी | उसमें ड्राइंगरूम की रोशनी आ रही थी । यह कॉमन बाधरूम था ।

अचानक उसने आहट महसूस की । उसके पीछे कोई बाथरूम में आ गया था. । उसका मुँह खुला का खुला
और आँखें फटी की फटी रह गयीं । उसने चीखना चाहा पर आवाज गले में ही फँसकर रह गयी ।

जोजफ बैडरूम में अकेला था । उसके बैडरूम का साथी डहैनी था, जो कब वहाँ नहीं था । जोजफ की आँखों
में नींद नहीं थी । वह जाग रहा था और बार-बार क्रॉस को माथे पर लगा रहा था. । कमरे में रोशनी थी । उसने
लाइट ऑफ नहीं की थी, पर कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द किया हुआ था ।

ठक...ठक... ठक । दरवाजे पर दस्तक हुई ।

जोजफ एकदम चौंककर उठ बैठा और दरवाजे को घूरने लगा ।

"क... कौन ?" उसने हकलाकर पूछा ।

"दैनी ।" बाहर से भर्राई सी आवाज आयी |

उस वक़्त उसे इस बात का जरा भी ख्याल नहीं आया कि वह हैनी की आवाज नहीं थी । वह बेड से उठकर
दरवाजे की तरफ बढ़ गया; और फिर उसने दरवाजा खुला ही था कि एक खंजर उसके सीने में पेवस्त हो गया ।
जोजफ चीख भी नहीं पाया और लड़खड़ाकर खुले दरवाजे में गिर गया ।

की के की

हैनी टेस पर टहल रहा था । उसने भी माउथ ऑर्गन की धुन सुन ली थी । फिर उस बौने को भी देख लिया
जो गेट के अंदर आ रहा था. । बौने की मूवमेंट पर उसकी निगाह जमी थी । बौना पेड़ के नीचे चला गया और
उनकी लालटेन बुझ गयी | पेड़ के नीचे घना अंघेरा था । डैनी ने मुवन को उस तरफ जाते देखा और फिर भुवन
उसी लेड के घने साये में गडमड हो गया । डैनी को लगा वहाँ कुछ गड़बड़ होने वाली है । वह देखता रहा, पर
उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया  । उस वक़्त चाँद भी बादलों की ओट में चला गया था और हर तरफ अंधेरा फैल
चुका था. । अब डैनी को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. । डैनी इंतजार करता रहा कि शायद कुछ नजर आये, पर
कुछ नजर नहीं आया । वह खामोशी के साथ टैरेस के मुंडेर पर खड़ा रहा । अचानक उसे अपने पीछे सरसराहट
का अहसास हुआ | वह चौंककर पलटा, पर तबतक देर हो चुकी थी । किसी ने उसे टाँगों से पकड़कर मुंडेर की
दूसरी तरफ उछाल दिया था । डैनी की चीख गुूँजी, जो फिजा में विलीन होती चली गयी |

हवेली में सनसनी फैल गयी । एक ही रात में पाँच-पाँच लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था । किसी
को कुछ भी नहीं सूझ रहा था कि क्या करें ।

यह खबर सुनते ही कैमरामैन डीओपी हरीश को दिल का दौरा पड़ गया था । डॉक्टर बासु उसका चेकअप कर
रहा था. । हालाँकि उसके भी हाथ कॉप रहे थे । विपुल बेहोश हो गया । उसे भी बैडरूम पहुँचा दिया गया ।

दो लाशें बाहर पड़ी थीं । सबसे पहले मधुर ने जनरेटर ऑफ किया |

मुवन एक पेड़ पर फॉसी झूल रहा था. । फंदा उसके गले में लगा था और जुबान बाहर निकली हुई थी ।
आँखें पूरी खुली थी । उसकी गन कदमों तले बेजान पड़ी थी । दूसरी लाश डैनी की थी, जो हवेली के पिछले
हिस्से में औंधे मुंह पड़ी थी । उसका सिर तरबूज की तरह फट गया था. । एक गन अब भी उसके हाथ के गिरफ्त
में थी । ऐसे जैसे मरने के पूर्व उसने गन निकाली हो, पर कोई फायर नहीं कर पाया हो ।

तीसरी लाश किचन में थी । वह शंकर की लाश थी जिसका सिर काटकर गैस चूल्हे के पास ऐसे रखा गया
था जैसे उसका भेजा निकालकर कोई डिश बनाने की तैयारी हो. । सिर एक स्टील की प्लेट में रखा हुआ था,
जिसमें खून जमा हुआ था । इसे देखकर ही हरीश को उबकाई आयी थी, उसके बाद उसे हार्टअटैक का दौरा पड़
गया । चौथी लाश जितेश की थी, जो कॉमन बाथरूम में पड़ी थी । उसका पूरा सीना चीर दिया गया था और
उसका कलेजा काट लिया गया था. । यह भी वीमत्स दृश्य था. । उन सबके रौंगटे खड़े हो गये थे । सबकी
जुबान तालू से चिपक गयी थी । पाँचवीं लाश जोजफ की थी, जिसके सीने में खंजर पेवस्त था और वह दरवाजे
पर आँधे मुंह पड़ा था ।

अब जो लोग हवेली में जिंदा बचे थे, उनकी हालत मुर्दे से भी बदतर हो गयी थी । खन्ना ड्राइंगरूम में गुमसुम
बैठा था । अलबत्ता पायल, जितेश की लाश देखकर चीखें मारती अपने बेडरूम में घुस गई थी और उसने बैडरूम
का दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया था । विलाशा ने मधुर को कमरे से बाहर नहीं आने दिया । जिस वक्‍त खन्ना

ने दस्तक देकर दरवाजा खुलवाया था, विलाशा सो रही थी, लेकिन मधुर जाग गया था. । खन्ना ने उसे इशारे से
बाहर बुलाया । फिर खन्ना के कहने पर ही मधुर ने बैडरूम का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया था ।

"हमें लोहे के गेट को मुकम्मल तौर से बन्द करना है. ।"

"क्या मतलब ?"

"मैंने अपने तौर पर बहुत सी बातों का पता लगाया है । कल जब यहाँ दो मर्डर हुए तो मेरा पूरा दिन इसी
छानबीन में गुजरा । सबसे पहले तो मैंने यह मालूम किया कि क्या इस गेट के अतिरिक्त भी अंदर आने का कोई
रास्ता है. । पर ऐसा कोई जरिया नहीं है । इसका मतलब सिर्फ इसी गेट से अंद्र-बाहर आया-जाया जा सकता
है । कत्ल करने वाला इसी गेट से अंदर आता है और इसी से बाहर जाता है । वह रात को एक बजे के बाद आता
है, जब हम गहरी नींद में होते हैं ।"

इतना कहकर मधुर कुछ देर के लिये रुका ।

"और वह कोई और नहीं वही बौना है, जिसके बारे में चोटी वाला ने बताया था कि उसका नाम गोलू है ।
खास बात यह है कि लोहे का यह गेट इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से काम करता है । इसे रिमोट कंट्रोल से खोला और
बन्द किया जाता है ।"

"तुम्हें कैसे मालूम 7" खन्ना ने पूछा ।

"मैं फिल्मों में आने से पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर रह चुका हूँ । मैंने गेट चेक किया था । इसका मतलब बौने
के पास उसका रिमोट है । यह बौना बेहद खतरनाक, चालबाज और फुर्तीला है । मैं पिछली सारी रात जागता
रहा । विलाशा सो गयी थी । मैं खिड़की से बाहर देखता रहा । तब मुझे वह बौना गेट में दाखिल होता नजर
आया. । उसके कंघे पर लालटेन लटक रही थी और वह माउथ ऑर्गन बजा रहा था. । उसके अंदर आते ही गेट
बंद हो गया. । फिर चूँकि उसकी मूवमेंट का एंगल बदल गया, इसलिये मैं उसे नहीं देख पाया । वरना मैं मुवन
को मरने से बचा सकता था ।

भुवन की गन इस वक़्त मधुर के पास थी । डैनी की गन अब्बास ने अपने कब्जे में ले ली थी ।

"हमारा दुश्मन हमारी पहचान में हैं और हमारे पास गन भी है । अब उसे बच निकलने का कोई चांस नहीं देंगे,
जैसा भुवन ने किया । शायद भुवन उसे जिंदा पकड़ना चाहता था. । अब हमें ऐसा काम करना है कि वह गेट ही
न खोल पाये | चलिये मेरे साथ ।"

अब पूरी टीम का नेतृत्व मघुर ने सम्माल लिया था । वह सबको लोहे के गेट तक ले गया ।

"हमें इस गेट को पत्थरों से रोकना है ।" मधुर बोला ।

"कैसे ?"

"हवेली में कुछ जगह पत्थर रखे हैं, जिन्हें चबूतरा बनाने के लिये प्रयोग किया जाता होगा । हम उन पत्थरों
को उठा-उठाकर यहाँ रखेंगे और गेट पर एक दीवार खड़ी कर देंगे | गेट अंदर की तरफ खुलता है । जब कोई
उसे बाहर से खोलने की कोशिश करेगा तो गेट नहीं खुल पायेगा ।

"गुड़ आइडिया !" खन्ना बोला ।

"और जब बाहर से कोई आ ही नहीं पायेगा तो हमें मारेगा कौन ! मान गये मधुर, तुम वाकई हीरो हो ।"
अब्बास ने उसकी पीठ थपथपाई |

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काम तेजी से शुरू हो गया । पत्थरों की दीवार खड़ी करने में करीब दो घण्टे लग गये ।

"अब हमें एक काम और करना है ।" मधुर ने कहा ।

"क्या ?" खन्ना ने कहा |

"हवेली का चप्पा-चप्पा छान मारना है । पहले बाहर, फिर अंदर । मैं और अब्बास दायीं तरफ मूव करेंगे
और खन्ना साहब आप बासु के साथ बायें ।"

"एक मिनट ।" अब्बास ने उसे बीच में टोका, "तुम बासु के साथ मूव करोगे और मैं खन्ना के साथ । क्योंकि
गन तुम्हारे पास है या मेरे पास ।"

"ओके राइट !" मधुर मुस्कुराया, "हमें बारीकी से हर जगह की जाँच करनी है । हवेली में अंदर आने का
कोई रास्ता तो नहीं और यहाँ कोई छुपा हुआ तो नहीं है ।"

दो-दो के जोड़े में वह मूव कर गए ।

मधुर ने उनमें नया जोश भर दिया था. । अब उनके चेहरों पर दहशत के कोई चिन्ह नहीं थे ।

कि के के

पतली घाटी ।

शूटिंग लोकेशन का इंचार्ज दीपक था । बस तो आ गयी थी, लेकिन वे लोग नहीं आये थे जो गाड़ियों में और
वैनिटी में थे । दीपक के लिये यह बेहद परेशानी का सबब था ।

पुलिस ने जो जाँच की थी, उसकी रिपोर्ट दीपक को मिल गयी थी । उनकी जाँच के अनुसार वे सभी लोग मर
चुके थे, जो उस सड़क पर गये थे । दोनों वैनिटी खाई में गिरी पाई गयी, लेकिन जाँच दल खाई में नहीं उतरा ।
सिर्फ एक लाश उन्हें मिली थी जो ऑडी के ड्राइवर गुलशन की थी । वैनिटी के अलावा बीएमडब्ल्यू की भी रिपोर्ट
थी कि वह एक चड्टान के नीचे कुचली पायी गयी थी । मर्सडीज की भी रिपोर्ट थी, लेकिन प्रोडक्शन का सामान
लाने वाले ट्रक के बारे में कोई सूचना नहीं थी ।

स्थानीय पुलिस का मानना था कि उस सड़क पर जाने वाला जिंदा वापस नहीं आता । इसी नजरिये से
तफ्तीश की गई थी । अब स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था । दीपक ने यूनिट के प्रमुख लोगों
को बुला लिया । उनमें शंकर का असिस्टेंट तौसीफ उसके पास ही बैठा था । फिर लाइट मैन का इंचार्ज जनार्दन
आया | स्थानीय लोगों को दीपक ने इस मीटिंग में नहीं बुलाया था. । कुछ आर्टिस्ट और असिस्टेंट डायरेक्टर
गोपी भी आ गया । कैमरामैन का असिस्टेंट भी आ गया. । सब लोग एक हट के प्रांगण में बैठ गये ज़ जिनमें
चेयर्स पड़ी हुई थी । दोपहर का वक़्त था. । दीपक ने सबको वह रिपोर्ट सुनाई जो पुलिस महकमे की तरफ से
उसे मेल पर आई थी ।

"तो यह मान लिया जाए कि वह लोग खाई में... ।" तौसीफ ने घबराये स्वर में कहा |

"नहीं !"” दीपक ने उसकी बात काटी, "पुलिस को सिर्फ दोनों वैनिटी खाई में नजर आयी थीं । उन्होंने उसी
में खानापूर्ति कर दी और आगे जाने की हिम्मत नहीं दिखाई । उनकी रिपोर्ट में एक बीएमडब्ल्यू का एक्सीडेंट भी
था, लेकिन गुलशन के अलावा किसी का भी वह बरामद नहीं कर सके । इसका मतलब, वह सब लोग जिंदा हैं ।"

"अगर वह जिंदा हैं तो वापस क्यों नहीं लौटे ?" गोपी का सवाल था ।

"पता नहीं उन पर क्या गुजरी होगी ।"
"तुम कैसे स्योर हो कि वे लोग जिंदा हैं ।" एक आर्टिस्ट ने पूछा ।

"सुनो, मैं सबूत के साथ बात करूँगा । सबसे आगे प्रोडक्शन का ट्रक था. । उसके बारे में पुलिस रिपोर्ट में
कुछ भी नहीं है । ऑडी में डैनी और जोजफ थे । साध में चोटी वाला । उनकी गाड़ी का भी एक्सीडेंट हुआ ।
सिर्फ गुलशन का शव मिला, जो शायद एक्सीडेंट के बाद वापस भाग आया होगा. । बाकी तीनों लोग कहाँ
गये । यकीनन वे सब आगे गये होंगे और वहाँ तक आये होंगे जहाँ इस सड़क का आखिरी छोर है । उस इलाके
में इंटनेट और मोबाइल फोन नेटवर्क नहीं है ।"

"अब हमें क्या करना चाहिये ?" तौसीफ ने पूछा ।

"हमारे पास एक ही रास्ता बचा है ।"

"क्या 7?" गोपी ने पूछा ।

"मैं सभी एसोसिएशन को फोन लगाता हूँ और उन्हें हालात से आगाह करता हूँ । वे जरूर कुछ न कुछ करेंगे ।"

"यही मैं सोच रहा था. ।" तौसीफ ने कहा |

दीपक ने अब मुम्बई फोन लगाने शुरू कर दिये प्रोड्सर्ज़ इम्पा. वेस्टन इत्यादि को फोन किये  । डायरेक्टर
एसा० और सबसे एसा० सिन्हा को फोन किया । इसके अलावा कुछ नामचीन डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर को फोन
करके सारी इन्फॉर्मेशन दे दी ।

के के की

बॉलीवुड फिल्म नगरी मुम्बई का दिल है । सारी दुनिया में उसका डंका बजता है और उनमें से बहुत से मेंबर
ऑफ पार्लियामेंट बीबी है. । यह स्टार्स और ग्लैमर का संसार है और उनकी जायज माँग पर तुरंत सरकार एक्शन
भी लेती हैं ।

सिन्हा की तरफ से बॉलीवुड के दिग्गजों की तुरंत ही अ्जेंट मीटिंग बुलाई गयी । अभी फिल्‍मी संस्थाओं के
पदाधिकारी उसमें उपस्थित हो गये । सारा माजरा उनके सामने पेश कर दिया गया और तुरंत ही कार्यवाही शुरू
हो गयी । गृहमंत्रालय से लेकर पीएम हाउस तक उनके फोन घनघना उठे ।

इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्रालय एक्शन में आ गया । तत्काल ही गृह सचिव का फोन
टीकमगढ़ के पुलिस कमिश्नर को पहुँच गया ।

कमिश्नर दयाल के पास पहले से सारी रिपोर्ट थी ।

"सर ! उनमें से कोई जीवित नहीं बचा । सब गहरी खाई में समा गये ।"

"तो उनके शव क्यों नहीं खोजे गये ?" सचिव ने नाराजगी भरे स्वर में पूछा |

"यह वन विभाग का काम है. । उन्हें सर्च ऑपेरशन चलाना चाहिये था ।"

"तो सर्च ऑपेरशन क्यों नहीं हुआ ?"

"सर, इसकी जवाब तलबी वन विभाग से लटनी चाहिये । शायद रेस्क्यू ऑपेरशन के लिये उनके पास पर्याप्त
सामान नहीं होगा । हम तो उनकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं ।"

सचिव नव फोन काटकर वन विभाग के सीनियर पदाधिकारी को फोन लगाया दिया ।

"यस सर !"

"जो फ़िल्म यूनिट आखिरी सड़क पर फँस गयी है, उसका क्या रहा?"

"वह... क... कौन सी सर ?"

"नॉनसेंस, आपको अभी ससपेंड कर दिया जायेगा ।" सचिव ने उसे बुरी तरह हड़काया, "तुम लोग सरकारी
दामाद हो न. । मुफ्त का वेतन लेते हो और अय्याशियाँ करते हो. । जंगल के रिसोर्ट में तो तुम लोगों की खूब
पार्टियाँ चलती हैं ।"

"स... सर... मुझे केस की डिटेल तो बताइए ।"

"क्या टीकमगढ़ के पुलिस कमिश्नर ने एक फिल्‍मी यूनिट के खाई में गिर जाने की रिपोर्ट तुम लोगों को नहीं
दी 7"

"एक मिनट, मैं पता करता हूँ ।"

"पता करके हमें फौरन रिपोर्ट दो ।"

अब वह विभाग में हड़कंप मच गया । पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट उनकी फाइलों में दबी हुई थी । उसे
खंगाला गया । रिपोर्ट पहली बार सीनियर अधिकारी की टेबल पर पहुँची । उसने जल्दी-जल्दी रिपोर्ट पढ़ी और
फिर गृहमंत्रालय को फोन लगा दिया । सचिव ने उसकी कॉल रिसीव की ।

"रिपोर्ट मिल गयी सर !" उसने कहा |

"मिल गयी का क्‍या मतलब हुआ ? उस पर एक्शन क्यों नहीं हुआ ?"

"सर, उस घाटी में सर्च ऑपेरशन चलाने के लिये हमें हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी ।"

"तो आपने डिमांड की ?"

"नो सर ! हमने अभी तक एक्शन ही नहीं लिया ।"

"अब मेरी बात गौर से सुनिये । सेन्टर से एक टास्क फोर्स रवाना की जा रही है । वे लोग हेलीकॉप्टर से ही
आयेंगे और आपकी टीम से सम्पर्क कर लेंगे. । हम दो हेलीकॉप्टर कल सुबह तक रवाना कर देंगे । तुम लोग
अपनी टीम को रेडी रखो । तुम्हें उन लोगों की लिस्ट भी मिल जायेगी, जो आखिरी सड़क की तरफ गये हैं ।
उनमें से हर कोई मिलना चाहिये । जिंदा या मुर्दा । शायद वे लोग बीस-पच्चीस की तादाद में हैं ।"

"ओके सर !"

"उस पूरे इलाके का चप्पा-चप्पा छान मारो और स्थानीय पुलिस से सम्पर्क बताकर रखो । अगर उनकी
जरूरत पड़ी तो साथ ले लो | रेस्क्यू ऑपेरशन में किसी तरह की कोताही बर्दाश्तनहीं की जायेगी । समझे ?"

"जी सर !"

सचिव ने फोन काट दिया ।

अगली सुबह दो हेलीकॉप्टर राजधानी से कूच करने का फरमान आ गया । उनमें आठ कमांडो सवार थे, जो
इस तरह के ऑपेरशन के लिये एकदम फिट थे । उनके प्रत्येक कॉप्टर में चार-चार कमांडो थे । पैराशूट इत्यादि
की पूरी व्यवस्था कर दी गयी थी |

उन्हें टीकमगढ़ पहुँचना था ।

दीपक के पास मुम्बई से फोन कॉल आ गयी ।
सूचना दे दी गयी कि गृहमंत्रालय एक्शन में आ गयी है ।

"हरामखोर पुलिस वाले !" दीपक पुलिस वालों को गालियाँ देने लगा, "बिना पैसा खाये डकार ही नहीं
लेते । ये भी नहीं देखा कि उसमें बॉलीवुड के स्टार्स भी हैं । नामचीन प्रोड्यूसर, डायरेक्टर हैं. । इन सबको
नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिये । पता नहीं उन लोगों पर कया बीत रही होगी ।"

दीपक का सारा क्रोध पुलिस वालों पर फट गया ।

कि के की

हवेली की बाहरी दीवारें पत्थरों को तराशकर बनाई गयी थी | दायीं तरफ उसी दीवार से जुड़े दो कमरे थे, जो
शायद नौकरों के लिये बनाये गये थे । हवेली की मुख्य द्वार ही उन कमरों की पिछली दीवार थी । इनमें छत की
जगह टीन शेड पड़े हुए थे, जो ढलुआ थे ताकि बारिश का पानी न रुक सके । दोनों कमरों के दरवाजे खुले हुए
थे. । खन्ना एक कमरे में दाखिल हुआ । बराबर में दूसरा कमरा भी था. । बासु दूसरे कमरे को देखने लगा ।
इन दोनों कमरों में कबाड़ भरा पड़ा था. । कमरों की पिछली दीवार पर सामान रखने के लिये लकड़ी के फड्ों को
रखकर खांचे बनाये गये थे और इन खांचों में सामान पड़ा हुआ था. । एक में तो बिल्डिंग मटेरियल का सामान
था । सीमेंट के कड्टे, बजरी वगैरह बोरों में भरकर रखी गयी थी । खन्ना ने उन पर सरसरी निगाह डाली । कमरे
में एक चारपाई भी पड़ी थी, जिस पर एक गठरी रखी हुई थी ।

खन्ना ने गठरी को टटोलकर देखा । वह बिस्तर था । दीवार पर एक लालटेन भी रखी हुई थी । एक चीज
जो खन्ना ने महसूस की, वह यह कि वहाँ धूल नहीं जमी हुई थी । कमरा साफ-सुधरा था और बिस्तर पर भी धूल
नहीं थी । जबकि दूसरे वाले कमरे में धूल और जाले पड़े हुए थे । उस कमरे को बासु चेक रहा था । दोनों कमरे
आजू-बाजू में बने थे |

डॉक्टर बासु जिस कमरे को देख रहा था. । खन्ना ने भी वह कमरा देखा, लेकिन पहला वाला कमरा बासु ने
नहीं देखा था ।

"डॉक्टर बासु, आप इधर आओ !" खन्ना ने कहा ।

बासु उस कमरे से बाहर आ गया. । खन्ना उसे बराबर वाले कमरे में ले गया, लेकिन बासु की समझ में नहीं
आया कि खन्ना उसे यहां क्यों लाया है ।

"कुछ फर्क लगा ?"

"किस बात में ?"

"दोनों कमरों में ।" खन्ना ने कहा |

"नहीं, दोनों कमरे एक जैसे हैं । दोनों में कबाड़ और दूसरी जरूरत का सामान पड़ा है । शायद इनमें निर्माण

करने वाले मजदूर रहते होंगे ।"
"सो तो है । मैं यह नहीं पूछ रहा  ।"
"फिर 7"

"एक कमरा तो घूल-मिड़ी से अटा पड़ा है. । दूसरा एकदम साफ सुथरा है जैसे इसे अब भी कोई यूज़ करता
हो. । यहाँ एक लालटेन भी रोशनी के लिये टँगी है, जबकि दूसरे कमरे में नहीं है. । इन कमरों में जनरेटर का
कनेक्शन नहीं है. । अलबत्ता कमरों के सामने झाड़-झंखाड़ जरूर उगे हुए हैं । इन झाड़ों ने कमरे को सामने से
ढक दिया है । इसी वजह से यह अभी तक किसी को नजर नहीं आये ।"

"आप कहना क्या चाहते हैं ।"

"यहाँ कोई रहता है ।"

"रहने वाला अब कहाँ है 7"

"पता नहीं । "

'कहीं आप यह तो नहीं कहना चाहते कि वह बौना इसी कमरे में रहता है ?"

खन्ना ने झुककर चारपाई के नीचे देखा । नीचे एक संदूक पड़ा था. । संदूक पर बड़ा सा ताला लटक रहा
था । फिर उसे चारपाई के नीचे रखा कुछ और सामान मी नजर आया । एक बोरा और रखा था । खन्ना ने बोरा
बाहर खींच लिया । इस बोरे पर सुर्खी जमी हुई थी और दुर्ग आ रही थी ।

जो चीजें पहले नजर नहीं आयी थी, अब नजर आ रही थी. । कभी-कभी सामने रखी चीज भी नजर नहीं
आती । साइड की दीवार पर एक पर्दा खींचा हुआ था । बासु ने वह पर्दा हटाया तो दीवार पर कुछ चीजें टँगी
नजर आयी । यह हथियार किस्म की चीजें थीं । तलवार, खंजर, तीर-कमान, चाकू-छुरी, सबको दीवार पर
बड़े करीने से फिक्स किया गया था. । उनमें एक कोड़ा भी था |

"जरा देखना तो !" बासु ने कहा ।

खन्ना उस बोरे को खोल रहा था, जिससे दुर्ग आ रही थी और फिर उसे उबकाई सी आ गयी । उसने फौरन
बोरी बन्द करके खाट के नीचे सरका दिया. । यह कमरे शायद पहले किसी ने नहीं देखे थे या सम्भव है, इनके
दरवाजों पर ताले पड़े हों और इसे खोलने की जरूरत महसूस न की गई हो ।

खन्ना ने उठकर जब दीवारों पर टेंगे हथियार देखे तो वह फिर से चौंक पड़ा |

"अब इस बात में कोई शक नहीं रहा कि जिस बौने का जिक्र बार-बार आ रहा है, वह इसी में रहता है ।"

"लेकिन इस वक़्त वह कहाँ है ?" बासु का प्रश्न था ।

"वह मेन गेट के रास्ते बाहर भी आता-जाता होगा ।" खन्ना ने अंदाजा लगाया, "मुमकिन है, दिन में बाहर
रहता हो और रात को यहाँ ।"

"इसका मतलब वह इस वक़्त बाहर है. ।" बासु ने कहा, "और अब चूँकि गेट पर पत्थरों की दीवार चिन दी
गयी है, इसलिये वह अंदर नहीं आ पायेगा ।"

"बोरे में इंसानी कलेजे रखे हुए हैं ।" खन्ना बोला, "आओ, अब्बास और मधुर को खबर कर दें कि हमें एक
सफलता मिल गयी है ।"

दोनों कमरे से बाहर आ गये ।

मधुर और अब्बास जनरेटर वाले रूम में पहुँचे  । उन्होंने उसकी दीवारे अच्छी प्रकार चेक की । वहाँ से हवेली
के अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं था. । उस कमरे में कुदाल-फादड़े जरूर पड़े थे और कुछ पेंट्स के डिब्बे भी पड़े
थे ।

आगे झाड़-झंखाड़ के कंटीले पौधे उग आये थे, फिर भी वह उनमें रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ते रहें । हवेली
की बाहरी दीवार का हर हिस्सा उन्होंने चेक किया | उन्हें कोई ऐसी जगह नहीं मिली जहाँ से हवेली के अंदर जाया
जासके ।

"सवाल इस बात का है कि जब इमारत में दाखिल होने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है तो फिर वह अंदर कैसे
पहुँचता है ?" अब्बास ने पूछा ।

"वही रास्ता तो तलाश करना है । पिछली रात माना कि मुवन हवेली के बाहर था, पर अंदर तो जितेश और
शंकर पहरा दे रहे थे और दोनों ड्राइंगरूम में मौजूद थे ।"

"मेरे ख्याल से वह हवेली के मुख्य द्वार से ही अंदर आता-जाता है ।" अब्बास को अपने सवाल का जवाब
खुद ही मिल गया |

"कैसे ?"

"अब सुनो । सुलेमान और चोटी वाला का कत्ल हुआ तो सुलेमान मेन डोर खोलकर बाहर आ गया था ।
शायद यह उस बौने की चाल थी कि कोई हवेली का दरवाजा भीतर से खोले । उसने सुलेमान खुलवा लिया और
पिछली रात को दरवाजा खुला ही था. । मुवन खुद बाहर था. । उसने पहले मुवन का कत्ल किया फिर अंदर
चला गया ।"

दोनों बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे ।

"हवेली के पिछले हिस्से में नीम का एक बड़ा सा वृक्ष था, जिसके नीचे चबूतरा बना हुआ था । दोनों थके-
हारे से चबूतरे पर आकर बैठ गये ।

"पहले हमें यह फैसला करना पड़ेगा कि अब तक जितने भी कत्ल हुए हैं, वह इसी बौने ने किए हैं ।" अब्बास
ने सवाल खड़ा किया |

"और किसी का अस्तित्व हमें नजर भी तो नहीं आया ।" मधुर ने जवाब दिया, "लेकिन बौने का अस्तित्व हर
जगह है. । बैरियर खोलने से लेकर पिछली रात गेट में एंटर होने तक ।"

"तुम यह भी कहते हो कि गेट इलेक्ट्रॉनिक है तो क्‍या बौने के पास रिमोट है. ?"

"यकीनन ।"

"अब यह फैसला भी कर लेते हैं कि बौना जिंदा इंसान है या मुर्दा ।"

"रूहों को गेट के उस पार निकलने के लिये रिमोट की जरूरत नहीं पड़ती ।" मधुर बोला, "इसका मतलब
वह जिंदा इंसान है ।"

"नहीं, मैं तुम्हारे तर्क से सहमत नहीं हूं । शैतानी रूहें दो किस्म की होती है. । मसलन अगर ड्रैकुला को इस
हवेली में आना होगा और इस पर इलेक्ट्रॉनिक लॉक है तो उसे भी रिमोट की ही जरूरत पड़ेगी । शरीर आर-पार
नहीं निकल सकता । बिना शरीर वाली आत्मा आर-पार जा सकती है । जो रूहें किसी कारणवश अपना शरीर
फिर से भौतिक रूप में हासिल कर लेती हैं, जैसे ड्रैकुला । वह इंसानी खून पीकर अपने शरीर को जिंदा रखता
है । दूसरी रूह वह है जो इंसानी खाके में नजर तो आ सकती है, पर उसे छुआ नहीं जा सकता, जबकि ड्रैकुला
को छुआ जा सकता है ।" इतना कहकर अब्बास खामोश हुआ, "अब क्या कहते हो. ?" उसने मधुर से सवाल
किया ।

"मेरे ख्याल से बौना ड्रैकूला की नस्ल का प्रेत है. ।" मधुर बोला ।

"थोड़ी देर पहले तो तुम कह रहे थे वह जिंदा इंसान है ।"

"दोनों ही बातें हो सकती हैं ।" मधुर ने जवाब दिया ।

"इसका मतलब हम कंफ्यूज हैं और इसी वजह से हम किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहे हैं ।"

फिर खामोशी छा गयी ।

"डैकुला किस्म की रूहें । वो रात को ही जागती हैं । दिन का उजाला उन्हें लुंज-पुंज कर देता है ।"

"सूर्यास्त होते ही उनका शरीर जाग जाता है ।" अब्बास ने जवाब दिया, "इनमें से कुछ ऐसी ताकतवर रहें
भी होती हैं, जो दिन में भी काम कर सकती हैं. । यह अलग बात है कि दिन में उनकी ताकत कुछ कम होती है ।
अगर वह बौना प्रेत है, तो उसका मकसद साफ है । वह सब लोग जिन्हें उसने मारा है, उसे वह कब्र खोदकर अपनी
तरह बना सकता है. । उसने पहले भी ऐसा किया होगा । हम लोग उसके पहले शिकार नहीं हो सकते । यहाँ
और भी ऐसी गंदी रूहें होंगी । हो सकता है, उनके लिये हवेली में आना मना हो । वरना हमें चट करने में उन्हें एक
ही रात लगती और हमारी गोलियाँ उनका कुछ न बिगाड़ पाती । क्या वजह है जो इस तरफ कोई नहीं आता |
दीपक चुप तो नहीं बैठा होगा, फिर पुलिस हमें तलाश करते हुए यहाँ तक क्यों नहीं आयी ? इसका मतलब इस
किस्म के हादसे यहाँ पहले भी हो चुके हैं । इसलिये तो वह सड़क ब्लॉक की गयी और उस पर चेतावनी लिख दी
गयी । मेरा यकीन कहता है कि बौना यहाँ अकेला नहीं होगा  ।"

"और अगर यह मान लिया जाये कि बौना कोई प्रेत नहीं है तो ?" मधुर ने प्रश्न किया |

"तो उसकी हमसे क्या दुश्मनी है, जो उसने हमें यहाँ घेर लिया और सबको मारे जा रहा है । उसका जो भी
प्रयोजन है, वह अब तक तो सामने आ जाना चाहिये । मसलन अगर हमारा किडनैप फिरौती के लिंये किया गया
है तो वह सामने आ जाता । वह हमारे फोटो खींचता या वीडियो बनाकर उन लोगों को मेजता जहाँ से उसे फिरौती
की रकम मिल जाती । किसी को मारने से उसे क्या हासिल होने वाला है ?"

"मेरे ख्याल से फिरौती इसकी वजह नहीं हो सकती ।" मधुर बोला ।

"फिर !"

"किसी ने हम सबको खत्म करने का प्लान बनाया है । यहाँ पहले कुछ हादसे हुए होंगे, जैसे हमारी गाड़ियाँ
तबाह हों गयीं  । कुछ लोग मरे होंगे । कुछ अफवाहों ने हवा बनाई होगी कि इस गाँव में भूत-प्रेत है । सड़क
ब्लॉक कर दी गयी । कातिल ने इसी का लाभ उठाया ।"

"तुम यह कहना चाहते हो कि कातिल ने इतना तगड़ा इंतजाम किया. । फोन लॉक करने के लिये जम्पर
लगवाये । फोन का नेटवर्क जाम कर दिया और इस गाँव को भी खरीद लिया । हवेली भी उसने हासिल कर
ली । चट्टान जो बीएमडब्ल्यू पर गिरी वह उसी ने गिराई । पेड़ भी उसी ने काटकर डाला । ऑडी पर गिरने वाला
पेड़ भी उसी ने गिराया और वह भी सिर्फ एक आदमी ने । आदमी भी तीन फुट का । पगला गये हैं । क्या यह
सारा नेटवर्क बनाने में महीनों लगते हैं ।"

"हाँ तो ! लम्बे प्लान के लिये लम्बी तैयारी होती है । कई बरस भी लग सकते हैं ।"

"और अगर हम इस लोकेशन पर न आते तो क्या वह हमारे आने के इंतजार में यहाँ बरसों बरस बिताता ।"

"यह भी तो हो सकता है कि पूरी योजना बनाने के बाद उसी ने हमें यहाँ पहुँचने पर मजबूर किया हो. ।"

"एक काम करो. । यह एक्टिंग-वैक्टिंग छोड़ो, उपन्यास लिखना शुरू कर दो । लिखकर बताओ कि यह

प्लान कैसे बन सकता है ।"
"शायद मैं लिखने में कामयाबी हासिल कर लूँ ।"
"चलें !" अब्बास उठ खड़ा हुआ ।
फिर दोनों किसी नतीजे पर न पहुँचकर आगे बढ़ गए ।

खन्ना और बासु से सामना हुआ । वह दूसरी तरफ से चक्कर काटकर आ गये ।

"तुफ्हें इतनी देर कैसे हो गयी ।" अब्बास ने पूछा, "हम तो नीम के चबूतरे पर बैठे तुम्हारा इंतजार कर रहे थे ।"

खन्ना ने सारी बात बता दी ।

अब्बास ने मधुर की तरफ देखा । मधुर ने सहमति हिलायी और फिर वह उसी दिशा में चल पड़े, जहाँ से
खन्ना और बासु आये थे ।

खन्ना उन्हें उसी कमरे में ले गया, जो उसने देखा था । अब्बास औए मधुर ने कमरे ने निरीक्षण किया । जब
बोरे में रखे इंसानी माँस के लोधड़े देखे तो वह नाक बंद करके बाहर आ गये ।

"यह शैतानी रूहों का भोजन है ।" अब्बास बोला, "जिसे वह यहाँ जमा कर रहा है । आ गयी बात समझ
में । वह बाहर अपने साथियों को यह भोजन परोसेगा । और मेरा यकीन है कि उसने कब्रें, जो हमने बनाई उन्हें
भी खोदा होगा और सबके कलेजे निकालें होंगे ।"

अर्थात अब्बास ने मोहर लगा दी थी कि बौना प्रेत है ।

लेकिन मधुर का दिल अब भी यह मानने को तैयार नहीं था । वह मन ही मन सारे घटनाक्रम के तार जोड़ रहा
था ।

अब वह काम समाप्त करके हवेली के द्वार पर आ गये, लेकिन हवेली का दरवाजा अंदर से बन्द था । बारी-
बारी सबके रिएक्शन गये ।

"किसने बन्द किया इसे अंदर से ?" मधुर बड़बड़ाया ।

दरवाजा इतना भारी था कि उसे थपथपा कर बजाने से कोई लाभ नहीं होता | अगर उसे नॉक किया जाता तो
आवाज अंदर तक न जाती । पहले वहाँ एक साँकल रही होगी, जिसका कुंडा था पर साँकल नहीं थी ।

"अंदर चार लोग हैं ।" अब्बास बोला, "विलाशा, पायल, हरीश और विपुल भाई । दरवाजा इनमें से ही
किसी ने बन्द किया है ।"

"पाँचवा भी हो सकता है ।" मधुर बड़बड़ाया, "फिर वह दौड़ पड़ा  ।"

मधुर, विलाशा वाले कमरे के बाहर पहुँच गया । इस वक़्त उसके जेहन में एक ही बात थी । कोई हम में से
है, जो सबको मार डालना चाहता है और बौना उसी का साथी है । वह केवल विलाशा पर भरोसा कर रहा था और
वह ठीक उस बैडरूम के नीचे आकर रुका जिसमें वह विलाशा के साथ था । उसी बैडरूम की खिड़की से उसने रात
का मंजर देखा था. । लेकिन खिड़की पर लोहे की ग्रिल थी, इसलिये वह खिड़की के अंदर नहीं जा सकता था ।

उसने एक जम्प मारा और खिड़की की प्रिल को पकड़कर खुद को ऊपर उठाया । खिड़की बन्द थी । एक
हाथ से बैलेंस बनाकर उसने खिड़की को जोर-जोर से नॉक किया |

एक मिनट बाद ही खिड़की खुल गयी और विलाशा का चेहरा नमूदार हुआ |
"विली !" उसने हॉफते हुए कहा, "हवेली का दरवाजा किसी ने अंदर से बन्द कर दिया है ।"

"आं... किसने 7" विलाशा ने हैरानी से पूछा ।

"पता नहीं । तुम उसे खोल सकती हो । खोलो ।"

"एक मिनट ।"

"और अपना माउजर ले लो । कोई भी तुम्हें रोकने की कोशिश करे तो गोली चला देना ।"

"ओके, डॉट वरी !" विलाशा खिड़की से मुड़ गयी । मधुर नीचे उतर गया । मधुर के पीछे अब्बास और
खन्ना भी वहीं आ गये थे । डॉक्टर बासु दरवाजे के बाहर ही खड़ा था. । खन्ना ने उसे वहीं रहने की हिदायत दी
थी |

कुछ देर में ही विलाशा खिड़की पर दिखाई दी ।

"दरवाजे पर अंदर से एक बड़ा ताला पड़ा है । उसे खोला नहीं जा सकता ।"

"वहाँ हरीश, विपुल और पायल भी हैं । उनकी मदद लो  ।"

"वेट !" विलाशा फ्रेम से आउट हो गयी । वह दोबारा वापस आयी । वह बेहद घबराई हुई थी । चेहरे
पर दहशत बरस रही थी । वह कुछ बोलना चाहती थी, पर बोल नहीं पा रही थी ।

"क्या हुआ ?" मधुर ने चीख कर पूछा ।

"दो ततो मरे पड़े हैं और पायल दरवाजा नहीं खोल रही है ।"

क्या हुआ उनको ?"

"पर गये ।" विलाशा ने हकलाकर कहा, "शायद पायल मी ।"

उन सबकी कैँँपकँँपी छूट गयी ।

"क... किसी ने उन्हें... मार डाला ।"

"अपने कमरे का दरवाजा बंद रखो ।"

"हाँ, वह बन्द है. ।" विलाशा ने काँपते स्वर में कहा ।

"औओ गांड, अब !" खन्ना की टाँगें कॉपी और अब्बास ने अगर उसे सम्भाल न लिया होता तो वह घड़ाम से
नीचे गिर पड़ता । वह पसीने-पसीने हो रहा था ।

"विलाशा की जान खतरे में है. ।" मधुर ने कहा, "हमें किसी भी सूरत में अंदर जाना होगा ।"”

"मगर कैसे 7" अब्बास ने पूछा ।

"दरवाजा तोड़कर ।"

"पर दरवाजा बहुत भारी है । उसे कैसे तोड़ा जा सकता है ।"

"यहाँ कुछ कुदालें पड़ी हैं । अब्बास, मेरे साथ आओ ।"

"खन्ना तो कॉप रहा है ।" अब्बास, खन्ना को संभाले हुए था ।

"इन्हें नीम के चबूतरे पर लिंटा देते हैं ।"

अब्बास और मधुर ने मिलकर खन्ना को उठाया और नीम के चबूतरे पर लाकर लिटा दिया । उसके बाद उन्होंने
जनरेटर रूम से दो कुदालें उठा ली ।

"मैं कहता हूँ, यह भूत-प्रेतों का काम नहीं है ।" मधुर ने चीखते हुए कहा, "बौना अंदर ही है ।"

दोनों हवेली के मुख्य द्वार पर आ गये ।

तभी हवेली के अंदर से माउथ ऑर्गन बजने की आवाज सुनाई दी ।
धुन बज रही थी ।

'बहुत प्यार करते हैं, तुमसे सनम ।'

दरवाजे पर कुदालों का प्रहार शुरू हो गया |
कि के की

रेस्क्यू ऑपेरशन शुरू हो गया । दोनों हेलीकॉप्टर टीकमगढ़ पहुँच चुके थे । वे गूगल मैप द्वारा आगे बढ़ रहे
थे. । दोनों कॉप्टर वन विभाग के कंपाउंड में लैंड हो गये । वहाँ से एक गाइड को साथ लिया । उन्होंने किसी
प्रकार का विलम्ब नहीं किया । दोनों कॉप्टर एक-दूसरे को फॉलो करते हुए उस खाई के ऊपर पहुँच गये, जहाँ
से नीचे पड़ी वैनिटी नजर आ रही थी, पर वहाँ कॉप्टर लैंड करने की जगह नहीं थी । एक-दो चक्कर मारकर वह
ऐसी कोई जगह तलाश करते रहे, पर ऐसी कोई जगह नहीं दिखाई दी । अब दोनों कॉप्टर के कमांडोज रस्सियों
के सहारे खाई में कूद गये ।

वन-विभाग की दो गाड़ियाँ और दो पुलिस फ़ोर्स की गाड़ियाँ सड़क पर इस जगह पहुँच गयी थी, जहाँ से वैनिटी
खाई में गिरी थी । आगे जाने का रास्ता बीएमडब्ल्यू की वजह से ब्लॉक था. । गाड़ियाँ आगे नहीं जा सकती
थीं |

"मलबे से बीएमडब्ल्यू को निकाली ।" टीम कमांडर ने कहा, "ताकि आगे जाने का रास्ता खुल सके ।"

गाड़ियों में पत्थर तोड़ने के लिये हथौड़े और कुदालें भी थीं । फादड़े-बेलचे भी थे |

अधिकारी का आदेश पाते ही जवान नीचे उतरकर काम पर लग गया |

कमांडोज रस्सी के सहारे नीचे उतर चुके थे । दोनों वैनिटी का कचूमर निकल गया था. । कमांडो ने उनके
बन्द दरवाजे उखाड़ फेंके । एक वैनिटी बिल्कुल खाली थी । दूसरी वैनिटी में पाँच लोगों के शव क्षत-विक्षत
हालत में पड़े हुए थे ।

लाशों को बाहर खींचने का काम शुरू हो गया ।

हेलीकॉप्टर वापस मुड़कर एक समतल मैदान में लैंड हो गया, जो पहाड़ी के टॉप पर था । उन्हें जगह मिल
गयीथी ।

सभी कमांडोज के पास रेडियो सेट था, जो उनके हेलमेट में फिक्स था । यह बिल्कुल आधुनिक किस्म की
रेडियो फ्रीक्वेंसी वाले सेट थे, जो यहाँ काम कर रहे थे । कमांडोज अपनी रिपोर्ट दे रहे थे ।

कमांडोज की सूचना के अनुसार वहां पॉँच लोगों के शव के अतिरिक्त कोई शव नहीं था. । फिर भी वह
आसपास तलाश कर रहे थे । धीरे-धीरे शाम ढलने को अ गयी और अंधेरे की चादर पसरने लगी । शवों को
एक जगह रखकर उन्हें निकालने का काम अगले दिन के लिये छोड़ दिया गया । हेलीकॉप्टर कमांडोज को लेने के
लिंये पहुँच गये और रस्सियों के द्वारा ही उन्हें वापस कॉप्टर में चढ़ा लिया गया ।
कुदालों के लगातार प्रहार से उन्हें कुछ कामयाबी मिल गयी । दरवाजे में इतना बड़ा सुराख बन गया कि एक
आदमी अंदर जा सके । यह दिलेरी मधुर ने ही दिखाई । चबूतरे पर रेस्ट करने के बाद खन्ना भी वहाँ आ गया ।
उसे अकेले में डर महसूस हो रहा था ।

मधुर के हाथ में गन थी । उसने ड्राइंगरूम का निरीक्षण किया । वह बेहद चौकन्ना था. । जरा सी आहट
पाते ही एकदम टर्न करके दोनों हाथों से गन तान देता ।

ड्राइंगरूम में कोई नहीं था । हर तरफ खामोशी थी । फिर अब्बास ने बाहर से आवाजें दीं । मधुर ड्राइंगरूम
का चक्कर काटकर विलाशा के बेडरूम तक दबे कदम आगे बढ़ा । उसे लगा जैसे कोई उसे देख रहा है । वह
चौंक-चौंककर पलट जाता । पर वहाँ कोई नहीं था ।

उसने विलाशा के बेडरूम का दरवाजा नॉक किया |

"मैं मघुर ।" उसने कहा ।

अंदर आहट हुई |

फिर विलाशा ने दरवाजा खोला । उसके हाथ में माउजर था. । मधुर जल्दी से अंदर आ गया । साध ही
उसने दरवाजा बंद कर दिया ।

"वे दोनों... ।" विलाशा ने काँपते स्वर में कहा ।

"डरो मत, मैं आ गया हूँ ।"

"वह यहीं है, अंदर... ।" विलाशा बोली |

"जानता हूँ ।" मधुर बोला, "हमें हिम्मत से काम लेना है । अब हम उसे हवेली से बाहर निकलने का मौका
नहीं देंगे ।"

तभी अब्बास की आवाज सुनाई दी, "मधुर, मुझे अंदर खींचो | मैं फैंस गया हूँ ।"

बासु और जगह बनाने के लिये कुदाल चलाने लगा । एक प्रहार अब्बास के सीने के पास लगा था ।

"ऐ रुको... ! मुझे चोट लग सकती है ।"

मधुर और विलाशा दोनों ही वहाँ आ गये । मधुर ने ताले को देखा ।

"पीछे हटो अब्बास !" उसने कहा ।

अब्बास पीछे सरक गया । उसका सिर सुराख से अंदर आ गया था ।

"मुझे एक कुदाल दो ।" मधुर ने कहा, "मैं ताला तोड़ता हूँ ।"

अब्बास ने एक कुदाल अंदर सरका दी । मधुर ने कुदाल ले ली । विलाशा स्टोर रुम में पहुँची । उसने एक
ठोकर मारकर दरवाजा खोल दिया  । माउजर उसके हाथ में था. । उसने स्टोर रूम में एक सरसरी निगाह दौड़ाई
फिर उसकी निगाह एक हथौड़े पर पड़ गयी । वह इस वक़्त किसी की तौर पर खौफजदा नहीं थी । ऐसा लग
रहा था जैसे उस पर चण्डी सवार हो गयी हो । जब उसे अंदर कोई भी आहट महसूस नहीं हुई तो उसने अंदर कदम
रखा और हथौड़ा उठा लिया । हथौड़ा उठाकर वह हवेली के ड्राइंगरूम में आ गयी और ताले पर हथौड़े से प्रहार
करने लगी । कुछ ही देर में ताला टूटा गया ।

मधुर ने हवेली का दरवाजा खोल दिया

अब्बास, खन्ना और बासु लड़खड़ाते हुए अंदर आ गये । मधुर ने तुरंत हवेली का दरवाजा अंदर से बन्द कर

दिया । थोड़ी देर तक वह सब गहरी-गहरी सँसें लेते रहें ।

"विलाशा, तुम यहीं रहोगी । अगर वह बौना नजर आये तो बेधड़क उसे गोली मार देना । वह अंद्रही है ।
यह ताला उसी ने लगाया है, ताकि हम लोग अंदर न घुस सकें । अब्बास, हम दोनों हवेली का कोना-कोना छान
मरेंगे, आओ ।"

अब्बास, मधुर के साथ चल पड़ा |

खन्ना एक सोफे पर ढेर हो गया । बासु की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी । सबसे पहले मधुर और अब्बास ने
ग्राउंड फ्लोर की सर्चिग ऑपेरशन शुरू किया । ग्राउंड फ्लोर पर तीन बैडरूम थे । तीनों बैडरूम से अटैच बाथरूम
था. । इसके अतिरिक्त एक कॉमन बाथरूम, एक किचन, दो स्टोररूम थे ।

ग्राउंड फ्लोर पर एक बैडरूम में विपुल को रखा गया था । विपुल उस वक़्त बेहोश हो गया था । पहले वह
उसी बैडरूम में दाखिल हुए । विपुल बेड की बजाय फर्श पर पड़ा हुआ था । फर्श पर खून फैला हुआ था ।
विपुल का सिर तरबूज की तरह फट गया था और उसके आसपास खून का तालाब से बन गया था ।

विपुल उस वक़्त भी सफेद सूट पहने हुए था, जो इस वक़्त खून के धब्बों से सना हुआ था ।

"तुमने एक बात नोट की ।" अब्बास ने कहा ।

"जिस हथौड़े से विलाशा ताले पर चोट कर रही थी । उस पर खून लगा हुआ था | मैंने बाहर से देखा था ।

"क्या ! पर मैं तो नहीं देख पाया ।" मधुर बोला ।

"उस वक़्त तुम ताला तोड़ने में बिजी थे और मैं उस सुराख से तुम दोनों को देख रहा था, जिससे तुम अंदर
आये थे ।"

"इसका मतलब उसी हथौड़े की चोट विपुल भाई के सिर पर मारी गयी थी ।"

"यकीनन ऐसा ही हुआ होगा ।" अब्बास बोला ।

विपुल को बेड पर लिटाया गया था ।

"हाँ, और हत्यारे ने पहला वार बेड पर ही किया था । यह देखो ।"

बेड की चादर भी खून से रंगी हुई थी ।

बेड पर खून की लकीर भी बनी हुई थी ।

"फिर उसने विपुल को नीचे खींचकर गिरा दिया और ताबड़तोड़ प्रहार करके उसका पूरा सिर चकनाचूर कर
दिया । विपुल ऐसी पोजीशन में नहीं था जो उसका विरोध कर पाता ।"

मधुर ने बैडरूम से अटैच बाथरूम चेक किया । बाथरूम खाली थी |

"उसने वार करने के बाद हथौड़ा स्टोर रूम में रख दिया था. ।" मधुर बोला, "विलाशा हथौड़ा स्टोर से ही
लेकर आयी थी ।"

दोनों बैडरूम से बाहर आ गये । फिर वह दूसरे बैडरूम के दरवाजे पर आये आगे मधुर था. । वह गन ताने हुए
था. । उसने धीरे से दरवाजा खोला और फुर्ती से अंदर दाखिल होकर वापस दरवाजे की तरफ देखा । दरवाजे की
आड़ में कोई नहीं था । अब्बास अभी बाहर ही खड़ा था । वह राहदारी में इधर-उधर देख रहा था । फिर वह भी
अंदर दाखिल हो गया । यहाँ बेड पर हरीश चित्त पड़ा हुआ था. । उसकी आँखें खुली हुई थी । एकदम स्थिर
बाजू दोनों तरफ फैले हुए थे । उसके एक हाथ की मुट्ठी बन्द थी । एक हाथ की उंगलियों में उसने दो अंगूठी
पहनी हुई थी । गले में गणपति का लॉकेट था । उसकी जुबान बाहर निकली हुई थी ।

"इसे गत्ता घोंटकर मारा गया है । यह देखो ।" मधुर ने कहा ।

हरीश के गले में एक पतली नायलॉन की डोरी फँसी हुई थी, जो अब भी बंघी हुई थी ।

अब्बास ने बैडरूम का बाथरूम भी देख डाला । बाथरूम खाली था |

"क्या तुम्हें लगता है, वह हवेली में अब भी मौजूद है ?"

"सिवाय दरवाजे से बाहर निकलने का कोई रास्ता भी तो नहीं है ।"

"मुमकिन है, कोई और भी रास्ता हो ।” अब्बास बोला, "जो हमारी नजर में नहीं आ रहा है ।"

"पायल का कमरा देखते हैं । "

पायल फर्स्ट फ्लोर पर थी । ग्राउंड फ्लोर पर तीसरा बैडरूम विलाशा का था ।

दोनों फर्स्ट फ्लोर पर आ गये । पायल के बेडरूम का दरवाजा अंदर से बन्द था. । मधुर ने दरवाजा नॉक
किया । अंदर से कोई जवाब नहीं मिला |

"पायल !" मधुर जोर से चिल्लाया, "मैं मघुर । दरवाजा खोला ।"

"नहीं खोलूँगी ।" पायल ने अंदर से जवाब दिया, "तुम लोगों ने मेरे जीतू को मार दिया. ।"”

"पागल हो गयी हो. ।" अब्बास बोला, "दरवाजा खोला ।"

"तुम सब कातिल हो ।" पायल चीखी, "मैं दरवाजा नहीं खोलूँगी । मेरे जीतू को वापस लेकर आओ ।"

"मेरे ख्याल से उसे अकेला छोड़ देना ही ठीक रहेगा । उसे सदमा पहुँचा है । अभी वह ठीक है । जब उसे
भूख-प्यास लगेगी तो खुद ही दरवाजा खोलेगी ।"

"वह खन्ना की मैनेजर है. । खन्ना के कहने पर दरवाजा खोल देगी ।" अब्बास ने कहा, "हम दूसरे कमरे
देखते हैं ।"

दूसरे कमरों में अब कोई नहीं था । सब खाली पड़े थे । हर तरफ वीराना पसरा हुआ था । सेकंड फ्लोर पर
एक बड़ा स्टोर और था. । उसमें सामान भरा पड़ा था । एक-एक कनस्तर, बोरों को उठा-उठाकर देखा गया |
बोरों को खोला भी गया, पर यह दिल बहलाने की बात थी । भला इतना शातिर हत्यारा बोरों में क्यों छुपता !

छत भी सुनसान पड़ी थी ।

दोनों छत पर आकर ताज़ी हवा फेफड़ों में भरने लगे ।
कि के की

डॉक्टर बासु ने सोचा कुछ खाने-पीने का बंदोबस्त कर लिया जाये । कुछ नहीं तो. । चाय ही बना ली
जाये । बासु को खाना बनाना आता था, लेकिन अभी चाय की तलब महसूस हो रही थी । डॉक्टर बासु किचन
में आ गया । हवेली के इस बड़े किचन में वह पहली बार आया था. । आज सुबह से ही भागमभाग मची थी ।
किसी को भी खाने-पीने की सुध नहीं थी । आज किसी ने चाय तक नहीं पी थी । बासु को ध्यान आया कि
इसी किचन में शंकर को मारा गया था । उस वक़्त जितेश ड्राइंगरूम में बैठा था, जब शंकर किचन में चाय बनाने
आया होगा और फिर वह किचन से बाहर नहीं जा सका । इसी जगह उसकी लाश मिली थी । हवेली के अंदर
से अगर कोई किचन में आता तो उसे देख लिया जाता । तो क्या वह बौना बाहरी दीवार के रास्ते सीधा किचन
में आया था ।

बासु सोच रहा था कि यह सवाल पहले किसी के दिमाग में क्यों नहीं आया कि शंकर को किचन में मारने वाला
किस तरह किचन में आया । शंकर और जितेश पहरा दे रहे थे । अगर कोई हवेली के मुख्य द्वार से अंदर आया
होता तो उनकी नजर में जरूर आ जाता । बौने ने पहले इन दोनों को ही ठिकाने लगाया होगा । उसके बाद उसने
अंदर मूव किया होगा |

अचानक बासु की निगाह किचन के स्लैब के चार फुट ऊपर खुले रोशनदान पर टिक गयी । किसी का भी
ध्यान अब तक उस तरफ नहीं गया था कि इस रोशनदान पर न तो कोई प्रिल है न कोई पट है । वह पूरी तरह
चौपट खुला हुआ था । कोई भी इंसान उसमें से अंदर-बाहर जा सकता था । बासु चाय बनाना तो भूल गया और
स्लैब पर चढ़कर रोशनदान से बाहर झाँकने लगा । बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था. । उसने नीचे निगाह डाली ।
रोशनदान के ठीक नीचे पत्थरों का एक चबूतरा सा बना हुआ था, जिस पर चढ़कर कोई भी उस रोशनदान तक
पहुँच सकता था. । उसने निगाह घुमाई तो वैसा ही एक चबूतरा और दिखाई दिया । किचन की दीवार कॉमन
बाधरूम से जुड़ी हुई थी । यह चबूतरा बाधरूम के नीचे बना हुआ था और वहाँ भी रोशनदान खुला हुआ था |

अब बासु की समझ में आ गया था कि बौना हवेली के अंदर आने के लिये इन्हीं दो रास्तों के प्रयोग करता है ।
वह इस रास्ते से अंदर आया, फिर शंकर का कत्ल करके इसी रास्ते से बाहर निकला होगा और जितेश का कत्ल
करने ने लिये रोशनदान से बाथरूम में एंटर हो गया । शावर चलने के कारण उसकी आवाज बाहर तक नहीं सुनाई
दे सकती थी । शावर चलने की आवाज बासु को भी सुनाई दे रही थी ।

बासु यह बात मधुर और अब्बास को बताने के लिये स्लैब से नीचे उतरा और किचन से बाहर आ गया । खन्ना
अभी तक बाधरूम में ही था ।

के को को

मधुर मुंडेर के पास खड़ा वीरान पूरे गाँव की तरफ देख रहा था. । वह कुछ सोच रहा था. । अब्बास एक
तरफ बैठा योगा का प्राणायाम करने में व्यस्त था । वह अपने शरीर में ऑक्सीजन द्वारा एक नयी एनर्जी का फ्लो
बढ़ाना चाहता था ।

अचानक मधुर मुंडेर से हटकर अब्बास के पास आकर बैठ गया ।

"विराट खन्ना !" वह बड़बड़ाया ।

"क्या हुआ विराट खन्ना को ?" अब्बास ने चौंकते हुए कहा ।

"क्या तुमने यह सोचा कि हम सबको कत्ल करने से किसी को क्या फायदा हो सकता है ?"

"यही गुत्थी तो समझ नहीं आ रही । अगर यह पता चल जाये कि जुर्म करने की वजह क्या है तो मुजरिम की
शिनाख्त बड़ी आसानी से हो जाती है । वह जो कोई भी है, उसने पूरा काम एक मास्टर प्लान बनाकर किया और
वह मास्टरमाइंड हम में से भी कोई हो सकता है ।"

"यस, वह हम में से ही कोई है ।" मधुर बोला, "बहुत सोच-विचार के बाद मैं किसी नतीजे पर पहुँचा हूँ ।"

"कौन है 7"

"विराट खन्ना ।" मधुर ने कहा ।
"दिमाग तो ठीक है तुम्हारा ?"

"पहले मेरी दलील सुन लो । उसके बाद बहस करना ।"

अब्बास खामोश रहा. । उसने प्राणायाम की प्रक्रिया रोक दी ।

"विराट खन्ना की पिछली दो फिल्में लगातार फ्लॉप हुई थी और वह सड़क पर आ गया था । फिर विपुल
भाई को उसने तैयार किया कि उसकी फ़िल्म आखिरी सड़क को फाइनेंस कर दे । विपुल कैसे तैयार हुआ, यह
मेरी जानकारी में नहीं है ।"

"विपुल को विलाशा ने तैयार किया था कि वह खन्ना को फाइनेंस कर दे ।"

"ओके ।"

"उसके बावजूद भी खन्ना ने पूरी यूनिट के कुछ खास लोगों का इन्शुरूस करवाया ।"

"आउट डोर जाने पर सभी करवाते हैं. ।" अब्बास का उत्तर था ।

"मेरी जानकारी के अनुसार यह इन्सुरेंस करीब एक हजार करोड़ का हुआ है । उसमें जूनियर आर्टिस्ट शामिल
नहीं थे और न ही असिस्टेंट शामिल थे । इन्सुरेंस यूनिट के प्रमुख लोगों का करवाया गया । हीरो-हीरोइन,
डायरेक्टर, कैमरामैन, मेकअप वगौरह, हम सबके साइन लिये गये थे ।"

"तुम कहना क्या चाहते हो ?"

"अगर हम सबका कत्ल हो जाये तो खन्ना को फ़िल्म बनाये बिना ही एक हजार करोड़ का क्लेम मिल
जायेगा । दो सौ करोड़ तो मेरा ही है. । सौ करोड़ तुम्हारा है । अब बोलो, क्या यह एक हजार करोड़ का गेम
नहीं है ?"

अब्बास सोच में पड़ गया ।

थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला, "लेकिन वह बौना.... ।"

"बौना एक खतरनाक मुजरिम है ।" मधुर बोला, "हो सकता है, उसका यहाँ कोई गैंग भी हो, जो भूत-प्रेतों
की अफवाह फैलाकर यहाँ लूटपाट करता हो । जो भी इस आखिरी सड़क पर आता है, यह गैंग उसे जिंदा वापस
नहीं जाने देता । अगर वह प्रेत होता तो यहाँ और भी आत्मायें होतीं । रहा इस हवेली का सवाल । चूँकि हवेली
के वारिश पहले ही मर चुके हैं, इसीलिंये इसका कोई उत्तराधिकारी यहाँ नहीं आया होगा । कोई आया भी होगा
तो उसे मार दिया गया होगा । खन्ना ने किसी तरह इस गैंग से सेटिंग करने के बाद यह लोकेशन फाइनल करनी
होगी । वह किसी न किसी माध्यम से बौने को सारी जानकारी देता होगा । वरना बौने को अंदर मौजूद हर
आदमी के बारे में कैसे जानकारी हो सकती है । जैसे कौन किस बैडरूम में अकेला है । उसने अकेले शख्स पर ही
वार किया है । जो किचन में गिरा, वह अकेला था । जो बाथरूम में अकेला था, वह भी अकेला था । भुवन
बाहर अकेला गया था । डैनी छत पर अकेला था । चोटी वाला अकेला था. । जोजफ अपने कमरे में अकेला
था | चोटी वाला अकेला था, जोजफ अपने कमरे में अकेला था, हरीश अकेला था, विपुल अकेला था । उसे
किसने यह जानकारी समय-समय पर दी 7?"

"और इस वक़्त विलाशा और पायल भी अकेली हैं ।"

"विलाशा तो तब तक दरवाजा नहीं खोलेगी जब तक मैं उसे आवाज नहीं दूँगा और फिर विल्ताशा के पास गन
भी है । वह पूरी तरह चौकस है । रहा पायल का सवाल तो वह दरवाजा खोल ही नहीं रही है ।"

"तुम्हारी बात में दम है मघुर ! अब क्या किया जाये ?"

"हमें खन्ना को बंधक बनाना होगा । उसे किसी एक कमरे में बन्द करना होगा । ताकि वह किसी भी सूरत
में बौने से सम्पर्क न कर सके । हम खन्ना से पूछताछ करेंगे । दो-चार हाथ पड़ते ही वह सब उगल देगा ।"

"क्या ऐसा करना मुनासिब होगा ?" अब्बास दुविधा में था ।

"अगर हमें जान बचानी है तो ऐसा करना ही होगा ।"

अमी वह कुछ निर्णय कर ही रहे थे कि किसी के ऊपर चढ़ने की आहट सुनाई दी । दोनों चौकस होकर गुमटी
के पास आ गये और दायें-बायें पोजीशन ले ली ।

हाथ में माउजर लिये विलाशा गुमटी के बाहर आकर इधर-उधर देखने लगी । मधुर और अब्बास आड़ में छिपे
हुए थे । अचानक आहट पाकर विलाशा पलटी । उसकी गन मधुर और अब्बास की तरफ तन गयी । उसने
दोनों हाथों से गन थामे हुई थी ।

गन तो अब्बास और मधुर ने भी तानी हुई थी, पर फिर हाथ नीचे करते हुए गहरी साँस ले ली ।

अरे, यह तुम हो ?" मधुर ने गहरी साँस ली ।

"ओह गॉड ! मैंने उसे देखा था ।"

"किसे ?" अब्बास ने पूछा ।

"शायद वह नीचे किसी कमरे में घुस गया है । पायल, पायल के कमरे में ।" विलाशा बोली, "उसने पहले
मेरा दरवाजा नॉक किया, पर मैंने दरवाजा नहीं खोला । फिर आर्मी के बूटों जैसी आवाज दूर जाती सुनी । वह
सीढ़ियाँ चढ़कर फर्स्ट फ्लोर की तरफ जा रहा था । उसके बूटों की आवाज सुनकर मैं समझ गयी कि वही बौना
है । मैंने सपझा, वह ऊपर चढ़ गया है, इसलिये मैं यहाँ तक आयी, पर... ।"

"कम ऑन अब्बास !" मधुर ने कहा ।

वे लगभग दौड़ते हुए नीचे आये । उन्होंने धाड़-धाड़ करके सभी कमरे खोल डाले, फिर अचानक ठिठक
गये । विलाशा उनके पीछे-पीछे थी |

पायल गुमसुम सी बेड पर लेटी थी । वह जाग रही थी और वह सूनी छत को निहार रही थी । अचानक
दरवाजे पर दस्तक हुई । उसकी निगाहें दरवाजे की तरफ पैन हुई ।

"क... कौन ?" उसने पूछा ।

"जितेश ।" उसे जितेश की आवाज सुनाई दी ।

पायल को ध्यान ही नहीं रहा कि जितेश मर चुका है । वह बेड से उठी और लपककर दरवाजे पर आयी |
फिर उसने दरवाजा खोला ही था कि कोई भद्दी सी चीज उसके कन्धों पर आ चिपकी और उसके मुँह पर एक टेप
चिपक गया. । उसने अपनी गर्दन पर कसी दो टाँगों को देखा, जिसमें आर्मी बूट थी । उसकी गर्दन उन्हीं टाँगों
की गिरफ्त में थी और फिर दरवाजा भी अंदर से बन्द कर दिया गया । पायल लड़खड़ाकर गिर पड़ी । फिर उसने
उस बौने को देखा और खौफ से चीखना चाहा, पर चीख मुँह में ही फँसी रह गयी । बौने ने अपना एक पैर उसके
सीने पर रखा फिर अपने पीठ से एक केन उतारी केन का तरल पायल पर छिड़कने लगा । पायल तो बुरी तरह
काँप रही थी । उसे पेट्रोल की गंध महसूस हुई । पायल ने उस पैर को सीने से हटाना चाहा जो बौने का पैर था
और उसमें आर्मी बूट था । वह अंगद की पैर की तरह जमा हुआ था । बौने ने अपना पैर हटाया और एक ठोकर
पायल के सिर पर मारी । पायल बेहोश हो गयी । वह औंधी हो गयी ।

बौने ने अपने कमर पर लटक रहे केन से एक रस्सी निकाली और पायल के हाथ पीछे की तरफ बाँध दिये, फिर
उसने पेट्रोल बेड पर छिड़का । दूसरे कन्थे पर लटकी लालटेन को उसने पायल पर उलट दिया । पायल के जिस्म
ने आग पकड़ ली । बेड ने भी आग पकड़ ली ।

बौना उसके बाद दरवाजे से बाहर निकलकर प्राउंड फ्लोर पर आया । उस समय बासु किचन में चाय बना
रहा था. । बौना उस बाथरूम में दाखिल हो गया, जहाँ शावर चल रहा था और खन्ना शावर के नीचे बेहोश पड़ा
था. | बौने ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बन्द किया और रोशनदान से बाहर निकल गया |

उन्हें आग की बू महसूस हुई, फिर वह तेजी के साथ फर्स्ट फ्लोर पर आये और उनके छक्के छूट गये । पायल
वाले कमरे में आग के शोले बाहर तक दिखाई दे रहे थे । वे तेजी के साथ उसी कमरे के बाहर आ गये । कमरे
से आग के शोले बुलंद हो रहे थे ।

पायल आग के शोलों में घिरी हुई थी । वह फर्श पर औंधे मुँह पड़ी थी । कमरे में बेड भी आग के शोलों
में घिरा हुआ था ।

मधुर ने कमरे में दाखिल होना चाहा, पर विलाशा ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया |

"हो सकता है, वह अब भी अंदर ही हो ।" विलाशा ने काँपते स्वर में कहा ।

"ऐसी की तैसी ।" मधुर पागलों की तरह फायर करता अंदर घुस गया । वह सीधा बैडरूम में पहुँचा और
वहाँ से पानी की बाल्टी भरकर उसने आग बुझाने का प्रयास शुरू कर दिया ।

अब्बास तेजी के साथ मुड़ा  । वह बैडरूम के दूसरे कमरे में गया और वहाँ बाथरूम से पानी की बाल्टी भरकर
वापस लौटा । उसने भी आग बुझाने की कोशिश शुरू कर दी । अब वे दोनों कमरे में लगी आग को बुझाने के
लिये संघर्ष कर रहे थे । विलाशा ने भी उसकी मदद की । वह तीसरे कमरे से पानी की बाल्‍्टी भर लायी । तीनों
आग बुझाने की कोशिश करने लगे । वरना यह आग पूरी हवेली में फैल सकती थी ।

तीनों की मेहनत से आग पर काबू पा लिया गया |

फिर मधुर पायल के पास पहुँचा । आग तो बुझ चुकी थी, पर पायल बुरी तरह जल गयी थी और अब उसमें
जान बाकी नहीं थी । वह सिर्फ एक जली हुई लाश थी |

"यह बासु और खन्ना कहाँ हैं ?" अचानक अब्बास को उन दोनों का ख्याल आया, "क्या उनको ऊपर नहीं
आना चाहिये था. । अगर वह ड्राइंगरूम से ऊपर आया तो वह दोनों क्या कर रहे हैं ।"

वह दौड़कर फर्स्ट फ्लोर से नीचे भागे ।

बासु किचन में खड़ा था. । उसकी दोनों टाँगें कॉप रही थी । वह रोशनदान की तरफ देख रहा था, जहाँ एक
काला चेहरा चला आरहा था ।
"मरने वाले की लिस्ट में तुम्हारा नाम नहीं है बासु !" वह कह रहा था ।
यह वही बौना था ।

"थोड़ी देर में यह पूरी हवेली जलकर राख हो जायेगी । जान बचानी है तो इसी रोशनदान से बाहर आ
जाओ । अंदर गये तो आग में फेंसकर भस्म हो जाओगे । सब जलकर मरने वाले हैं ।"

"न... नहीं... !"

"तुफ्हें जिंदा रहना है. । आओ दोस्त... बाहर आ जाओ ।"

बासु ने आग की गंध महसूस की । वह किचन में फिर से चाय बनाने आया था. । खन्ना का शावर अब भी
चल रहा था. । पता नहीं वह इतनी देर से बाथरूम में क्या कर रहा था ।

"निकलो बाहर !" बौने ने कहा, "वरना मौत तुम्हारे सामने खड़ी है । तुम गलती से इन लोगों के साथ चले
आये । । मैं चाहूँ तो अभी तुम्हें कत्ल कर सकता हूँ, लेकिन तुम्हारा नाम मरने वालों की सूची में नहीं है, इसीलिये
तुम अभी तक जिंदा हो ।"

ऐसा लगा जैसे बासु को उसने हिप्नोटाइज़ कर दिया है । वह रोशनदान से हट गया । बासु ने अंदर से चीख-
पुकार की आवाज सुनी । कोई आग-आग चिल्ला रहा था ।

बासु तुरंत स्वैब पर चढ़ गया । फिर उसने रोशनदान में अपना सिर डाला और बाहर निकलने की कोशिश करने
लगा । जैसे ही उसने यह कोशिश की उसे किसी ने पकड़कर बाहर खींच लिया और बासु अब बाहर आ गया ।
उसे बौने ने ही पकड़कर बाहर खींचा था । बौना चबूतरे पर खड़ा था ।

बासु ने कॉँपते हुए उसके सामने हाथ जोड़ दिये ।

"मुझसे डरने की जरूरत नहीं । अगर मुझे तुम्हें कत्ल करना होता तो अब तक तुम्हारा सिर काट देता । मैं तुम्हें
मौत की इस हवेली से आजाद करना चाहता हूँ, क्योंकि तुम गुनाहगार नहीं हो । इत्तेफाक से इन लोगों के साथ
आगये । आओ मेरे साथ ।"

बासु उसके साथ-साथ चल पड़ा । बौने की पीठ पर एक बैग फिक्स था ।

बासु को लेकर वह हवेली के गेट की तरफ बढ़ गया जो लोहे का बना था ।

"सबसे पहले यह पत्थर हटाने हैं, जिनकी दीवार चिन दी गयी है । मैं अकेला यह काम करूंगातो घण्टों लग
जायेंगे । चलो, जल्दी करो । हमें पत्थर हटाने है, फिर मैं तुम्हें बाहर मेज दूं  ।"

दोनों तेजी से पत्थर हटाने लगे ।

बौने का डर बासु के मन में कुछ कम हो गया था. । उस वक़्त उसके पैरों में आर्मी के बूट थे और आर्मी जैसे ही
ड्रेस पहन हुए था. । उसका सिर तरबूज की तरह गोल और बड़ा था । नाक भी भद्दी थी । होंठ पतले-पतले थे,
आँखें छोटी-छोटी थीं  ।

"प... पर यह सब क्यों किया तुमने ? क्या तुम भूत नहीं हो ?" बासु ने पत्थर हटाते-हटाते पूछा ।

"लम्बी कहानी है दोस्त ! बाहर चलकर सुनाऊँगा ।" बौने ने जवाब दिया, "यह एक हैरतअंगेज लव-स्टोरी
है । मैं गौरी को बेहद प्यार करता था. ।"

"ग... गौरी... गौरी कौन 7"

"वह इस गाँव में दुल्हन बनकर आयी थी । जिस बस में बारात लौट रही थी, मैं उसकी छत पर चढ़ गया ।
उसका दूल्हा एक अठारह-बीस साल का लड़का था. । बहुत सीधा-सादा, भोला-भाला और मासूम । जब

बारात आई तो वह गौरी के सहेलियों के साथ हैँसी-मजाक भी नहीं कर रहा था. । बड़ा खामोश मिजाज था ।
गौरी को अच्छा दूल्हा मिला था, पर मैं नहीं चाहता था कि मेरे सिवाय कोई और उसका पति बने । ”

वे पत्थर हटाते जा रहे थे ।

कि के की

पायल के हाथ पुश्त की तरफ बंधे हुए थे, जिस रस्सी से बंधे हुए थे, वह भी जल चुकी थी, पर उसकी गठि
अभी नहीं जली थी । पायल के मुँह पर भी कुछ चिपका हुआ था. । वह भी जल चुका था. । वह कोयले की
तरह काली पड़ी थी । करीब ही एक केन उल्टी पड़ी थी. । मधुर ने उसे उठाकर सुँघा  । उसमें पेट्रोल की बू
आरहीथी ।

आग पर काबू पा लिया गया था. । वरना यह आग पूरी हवेली में फैल सकती थी । अगर विलाशा अपने
कमरे से साहस दिखाकर नहीं आती तो आग बेकाबू हो जाती और फिर न जाने इसका क्या अंजाम होता ।

"शैंक्स विलाशा !" अब्बास ने उसका हाथ चूम लिया, "तुमने कम-से-कम हमारी जान तो बचा ली, वरना
आग पूरी हवेली में फैल जाती ।"

"और मैं भी आग में भस्म हो जाती, पर यह सब क्यों हुआ । वह बौना हम सबको क्यों मारना चाहता है ।"
विलाशा बोली, "और पायल ने दरवाजा कैसे खोल दिया ! जब किसी के कहने पर नहीं खोलती तो फिर कैसे
खोल दिया 7"

"पायल, खन्ना की मैनेजर थी ।" मधुर बोला ।

"तो क्या खन्ना ने दरवाजा खुलवाया !"

"यकीनन... और फिर उस बौने को रास्ता दिया. । बौना पेट्रोल लेकर आया था, या पेट्रोल पहले से यहाँ
किसी स्टोर में रखा था. । कमरे में घुसकर पहले तो पायल के हाथ पुश्त से बाँघे गये । उसके मुँह पर मेडिकल
टेप चिपका दिया गया, ताकि वह चीख पुकार न मचा सकें ।" मधुर किसी जासूस की तरह टुकड़े जोड़ रहा था,
"और यह काम खन्ना ने किया होगा । जब वह यह काम कर चुका तो उसने बौने को रास्ता दिया |"

"एक मिनट !" अब्बास ने टोका, "अगर उसने पायल को बेबस कर दिया था तो पेट्रोल उठाकर आग लगाने
के लिये बौने की क्या जरूरत थी | वह खुद भी यह काम कर सकता था ।"

"शायद बौना पेट्रोल की केन लेकर बाहर से अंदर आया था. |"

"लेकिन किस रास्ते अंदर आया ?"

"हो सकता है, खन्ना ने हवेली का मुख्य द्वार खोलकर उसे अंदर बुला लिया हो ।" मधुर बोला ।

"वह अकेला नहीं था मिस्टर मधुर !" अब्बास ने कहा, "उसके साथ डॉक्टर बासुभी था ।"

"यहाँ बहस करने की बजाय क्यों न नीचे ड्राइंगरूम में चलकर देखें ।" विलाशा ने उन्हें टोका ।

"हाँ, यह ठीक रहेगा । एक-दो बाल्‍्टी पानी और डाल दें । कहीं-कहीं से आग अब भी सुलग रही है ।"

उन्होंने कुछ पानी और डाला, फिर जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो गये कि आग पूरी तरह बुझ चुकी है, वह नीचे
की तरफ चल पड़े ।

कि की कि
"तुम पत्थर हटाकर बाहर निकल जाना । गेट खुला है । मैं अभी आया | तुमसे बाहर मिलूँगा ।" बौने ने
कहा और पलट पड़ा |

बौना तेज-तेज दौड़ रहा था । बासु ने पलटकर देखा, वह बहुत तेजी से उस तरफ चल रहा था, जैसे हवा में
उड़ रहा हो । वह हवेली की इमारत की तरफ बढ़ गया । बासु पत्थर हटाने लगा ।

बौना ठीक उस जगह पहुँचा, जहाँ बाथरूम था. । वह चबूतरे पर चढ़ गया । बाधरूम का रोशनदान भी खुला
था. । उसने झांककर अंदर देखा । बाधरूम का शावर चल रहा था. । खन्ना नंगधड़ंग उसके नीचे बैठा था,
लेकिन कोई हरकत नहीं कर रहा था । पानी उसके सिर से होता पूरे बदन पर गिर रहा था । ऐसा लगता था जैसे
खन्ना के जिस्म में जान ही नहीं है, या वह शावर चलाने के बाद बेहोश हो गया था |

और हुआ भी यही था । नहाते समय उसका पाँव फिसला और सिर दीवार से जा लगा । फिर वह चेतनाशून्य
होकर वहीं बैठा रहा । बाधरूम का दरवाजा उसने अंदर से बन्द कर लिया था, जिसे बौने ने अंदर आने के लिये
खोला था ।

बौना रोशनदान के रास्ते दोबारा अंदर आ गया ।

वह धीरे-धीरे चलता हुआ पहले बाथरूम के दरवाजे पर पहुँचा । दरवाजा अंदर से बन्द देखकर वह सन्तुष्ट हो
गया. । उसके बाद उसने खन्ना को ठोकर मारी और फिर झुककर उसके गाल थपथपाये |

बौने ने शावर बन्द नहीं किया । बल्कि खन्ना को उसके नीचे से खींचकर चित्त लिटा दिया. । उसके बाद वह
खन्ना के सीने पर दायें-बायें पैर करके बैठ गया और खन्ना को होश में लाने की कोशिश करने लगा ।

थोड़ी देर में खन्ना को होश आ गया |

बौने को अपने सीने पर सवार देखकर उसकी घिग्गी बन्ध गयी । उसने चीखना चाहा पर चीख नहीं पाया |
बौने के पतले होंठ मुस्कुराहट की शक्ल में फैल गये ।

"अब तू सुनेगा और मैं बोलूँगा ।" बौने ने घीमे स्वर में कहा, "विराट खन्ना है न तेरा नाम 7"

विराट में सिर हिलाकर हामी भरी ।

"चीख-पुकार मत मचाना, वरना...  ।" बौने ने पुश्त की तरफ बैग में हाथ सरकाकर एक खंजर निकाल
लिया । खंजर खन्ना की गर्दन पर रख दिया ।

खन्ना की आँखें फटी हुई थी । जुबान तालू से चिपक गयी थी ।

"अब तू सोच रहा होगा कि मैं तुम सबको यहाँ क्यों लाया और क्यों तुम सबको खत्म करने का प्लान बनाया ।
तो सुन । सबसे पहले मैंने ड्राइवर गुलशन की हत्या की । क्योंकि वह वापस भाग रहा था । मेरा नाम गोलू है
और मेरी डी कंपनी है । मुझे ऐसे लोगों से सख्त नफरत है जो लड़कियों के साथ उसकी इच्छा के बिना उसका
यौन शोषण करते हैं । मेरी गौरी के साथ बलात्कार हुआ था । इसी हवेली में हुआ था ।

दहशत से पीले पड़े खन्ना की आँखें रहम की भीख माँग रही थी ।

"गौरी की शादी एक मासूम नौजवान से हुई थी । इस गाँव की एक बेरहम रस्म थी । हवेली का जमींदार
विष्णु प्रताप बड़ा ही खूंखार इंसान था. । सारा गाँव उसके सामने बेबस था । गाँव की सब जमीनें उसके पास
गिरवी पड़ी थी । वह कभी भी गाँव की गलियों में घुसकर अपने कार्रिदो के साथ जाता और गलती करने वालों
या उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को या तो सरेआम गोली मार देता या कोड़ों से उनकी खाल खींच लेता ।"

इतना कहकर बौना कुछ पल के लिये रुका ।

"थोड़ी देर में यह हवेली आग में जलकर भस्म हो जायेगी और कोई नहीं जान पायेगा कि यहाँ क्या हुआ था ।"
गोलू ने आगे कहा, "हवेली के सामने सड़क का आखिरी छोर है । उसके बाद गाँव के लिये दायें-बायें रास्ते जाते
हैं । मैं गौरी से प्यार करता था और बारातियों के बस में छत पर बैठा था | मैं गौरी से शादी करना चाहता था ।
काश कि ऐसा होता तो आज तुम सब लोग जिंदा होते । हवेली के सामने बारात रुक गयी । बाराती बस से उतरे
लेकिन अपने-अपने घर को चले गये और जिस कार में दूल्हा-दुल्हन थे, वह कार हवेली में दाखिल हो गयी | मैं
बस से उतरकर उसी तरफ आ गया | मैंने गाँव के एक आदमी को रोककर पूछा कि क्या दूल्हा इसी हवेली में रहता
है । जवाब में उसने मुझे रस्म के बारे में बताया । तब मैं हवेली की तरफ दौड़ पड़ा ।

शाम हो चुकी थी, अंधेरा फैलने लगा था. । मैं छिपता-छुपाता गेट के अंदर चला आया | मैंने देखा कि
दुल्हन को वहीं उतारकर दूल्हा वापस लौट रहा है । वह बेहद उदास था और कुछ विरोध भी कर रहा था. ।”

बौने ने गहरी-गहरी साँसें ली । उसकी आँखों में अंगारे से भर से गये थे, जैसे वह दृश्य उसके सामने साकार
हो गयाहो ।

"कार उस दूल्हे को वापस ले जा रही थी ।" बौना कहने लगा, "अचानक दूल्हा कार से उतर पड़ा और हवेली
के मुख्य द्वार की तरफ भागा । दो लठैतों ने उसे रोक लिया । वह जोर से चीखा, 'गौरी, बाहर आजा ।
वह शैतान तेरी इज्जत लूट लेगा... । बाहर लौट आ,.. । गौरी, मैं तेरे साथ यह शैतानी खेल नहीं खेलने दूँगा... ।'

"सच बताऊँ उस वक़्त मेरी टाँगें काँप गयी । मेरे पास इतनी ताकत नहीं थी कि दूल्हे की मदद के लिये उनसे
लड़ पड़ता | बहुत कमजोर था मैं । मैंने देखा, गौरी वापस आ गयी । वह दौड़ती हुई आयी थी । वह दौड़कर
दूल्हे के पास आई और उससे लिपटकर रोने लगी । तभी जमींदार विष्णु प्रताप प्रकट हुआ । वह लम्बे-चौड़े
डील-डौल का इंसान था । बड़ी-बड़ी मूँछें थीं, रोबीले चेहरा था । वह अचकन पहने हुए था । गले में दो-तीन
हीरे-मोती की मालायें पड़ी थीं । लठैत गौरी और दूल्हे को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे ।

इतना कहकर वह थोड़ी देर के लिये रुका |

उसकी आँखों में आँसू डबडबा आये । उसने एक हाथ से आँसू पोंछे ।

जमींदार उन दोनों के पास आया । वह इस तरह से चिपके हुए थे कि लठैत उन्हें छुड़ा नहीं पा रहे थे ।
अलबत्ता दूल्हे पर लात-घूँसे जरूर पड़ रहे थे । तभी जमींदार वहाँ पर आ गया । उसने अचकन की जेब में हाथ
डालकर रिवॉल्वर निकाली और नौजवान को सटाकर गोली चला दी । नौजवान चीखें मारकर लहूलुहान होकर गिर
पड़ा । उसका बंधन ढीला पड़ गया और वह गौरी के कदमों में गिर पड़ा । जमींदार ने गौरी का हाथ पकड़ा और
उसे घसीटता हुआ हवेली के अंदर ले गया । मैं नहीं जानता कि जमींदार सारी रात गौरी को कैसे रौंदता रहा ।
मैं कर भी क्या सकता था । मुझे लठैतों ने देख लिया और इसके पहले कि वह मुझे मार डालते, मैं हवेली के गेट
से निकलकर बाहर भाग गया । उसके बाद मैंने गौरी को कभी नहीं देखा । सिर्फ अफवाहें ही सुनी । गौरी की
तलाश में मैं भटकता रहा और इसी गाँव में रहने लगा ।"

तभी बाहर आहट सुनाई दी ।

मधुर और अब्बास, खन्ना और बासु को तलाश रहे थे ।

के को कि

"अगर गौरी जिंदा हुई तो आगे की दास्तान... ।"

तभी बाथरूम का दरवाजा थपथपाया गया |

"टद्रवाजा खोलो... ।" मधुर चिल्लाया ।

अब्बास ने किचन तोड़ डाला । विलाशा हवेली के मुख्य द्वार की तरफ बढ़ी |

"कौन है अंदर ? बासु या खन्ना ?" मधुर दरवाजा बजा रहा था ।

बौने ने खंजर की घार खन्ना की गर्दन पर फेर दी । फिर उसका पूरा सिर काट डाला । उसने इतने पर ही सब्र
नहीं किया । खन्ना का गुप्तांग भी काट डाला । खन्ना का सिर बालों से पकड़कर वह उछलकर रोशनदान पर
चढ़ गया और बाहर चबूतरे पर कूदकर गायब हो गया |

बौना सीधा डॉक्टर बासु के पास पहुँचा । उसने खन्ना का सिर रास्ते में ही फेंक दिया था ।

बासु अधिकांश पत्थर हटा चुका था. । गोलू उसकी मदद करने लगा |

मधुर ने दरवाजे पर टक्‍करें मारनी शुरू कर दी ।

अब अब्बास भी उसका साथ देने आ गया ।

"अंदर है कौन ? बासु या खना ? या दोनों ही हैं ? शावर चल रहा है और कोई रिप्लाई नहीं है ।"
अब्बास बोला |

अचानक विलाशा ने चिल्लाते हुए कहा, "जरा इधर आओ ।"

दरवाजे पर चोटें बरसाते मघुर और अब्बास ठिठक गये । दोनों एक साथ पल्टें ।

"देखो... इघर,...  ।" विलाशा ने कहा. । वह दरवाजे में बने उस सुराख से बाहर देख रही थी, जो उन्होंने
अंदर आने के लिये दरवाजा तोड़कर बनाया था. । विलाशा की आँखें फटी-फटी-सी थी । वह सुराख के सामने
से हट गयी । अब सबसे पहले मधुर ने बाहर देखा । देखकर उसके चेहरे पर तरह-तरह के रिएक्शन उभरे ।

लोहे के गेट पर उसे डॉक्टर बासु और बौना पत्थर हटाते दिख रहे थे ।

"देखो अब्बास !" मधुर सुराख से हट गया ।

अब्बास ने भी बाहर देखा । फिर मधुर की तरफ देखा ।

"यह मौका हम हाथ से नहीं जाने देंगे ।" अब्बास ने कहा और फिर हवेली का दरवाजा खोल दिया ।

"रुको तो... ।" विलाशा ने उन्हें रोकना चाहा ।

"तुम खन्ना को देखो । बाधरूम में खन्ना ही है ।"

"लेकिन यह बासु, बौने के साथ !" मधुर सोच में पड़ गया |

"इसका मतलब सारे गेम का मास्टरमाइंड बासु ही है । इन दोनों को गोलियों से छत्तनी करना है अभी |

अब्बास दीवानों की तरह गेट की तरफ दौड़ पड़ा । पीछे-पीछे मधुर भी था । उन पर इस कदर पागलपन
सवार था कि बिना सोचे-समझे दोनों ही गेट की तरफ गोलियाँ बरसा रहे थे ।

तभी गेट खुल गया और सबसे पहले बौना कूदकर बाहर भागा ।

बासु भी बाहर जाना चाहता था, पर उसी वक़्त उसकी पुश्त में एक नहीं, दो-दो गोलियाँ पैवस्त हो गयीं और
वह लड़खड़ाकर गेट के बीचोंबीच गिर पड़ा ।
मधुर और अब्बास पगलाये से अब भी गोलियाँ चला रहे थे । डॉक्टर बासु का जिस्म गोलियों से छलनी हो
गया था. । वह बासु का शव लांघकर गेट से बाहर दौड़ पड़े । लेकिन बौना गोलू उन्हें कहीं नजर नहीं आया |
वह काफी देर तक उसे तलाश करते रहे और फिर वापस गेट की तरफ आ गये, लेकिन जब वह गेट की तरफ पल्लटें
तो उनके छक्के छूट गये |

गेट लॉक हो चुका था ।

अब दोनों गेट के अंदर नहीं जा सकते थे और शाम ढलने लगी थी । उनकी मैगनीज़ भी खाली हो गयी थी ।
अब वह किसी पर फायर भी नहीं कर सकते थे ।

वे जोर-जोर से गेट पर लात-घूँसे बरसाने लगे, पर गेट तस से मस नहीं हुआ । दोनों थककर वहीं बैठ गये ।

थोड़ी देर बाद मधुर काँपते हुए बोला ।

"विलाशा की जान खतरे में है ।"

"नहीं । बौना बाहर है और हम इसी गेट पर डटे रहेंगे ।" अब्बास बोला, "उसे अंदर नहीं जाने देंगे ।"

अब उन्होंने अपनी-अपनी गन चेक की । गन की मैगजीन खाली हो चुकी थी । दोनों गहरी-गहरी साँसें लेने
लगे । अब दोनों ही निहत्थे थे ।

"कभी-कभी खाली गन से भी लोग डर जाते हैं ।" अब्बास ने धीमे स्वर में कहा, "मैंने परशुराम शर्मा का एक
नॉवेल पढ़ा है । पिस्तौल खाली है । इसके किरदार खाली पिस्तौल से ही एक गैस स्टेशन लूट लेते हैं ।"

"फालतू के ख्यालात दिमाग से उतार दो. । नॉवेल और हकीकत में बहुत बड़ा फर्क होता है । हमारा यहाँ
जिस फ़ितने से पाला पड़ा है, वह बेहद ही खतरनाक, लोमड़ी की तरह चालाक दिमाग वाला और जल्लाद किस्म
काहै ।"

"यह इंसान का काम नहीं हो सकता मधुर ! जरूर वह कोई शैतानी रूह है ।"

"रात का अंधेरा फैलने लगा है । मुझे तो विलाशा की फिक्र हो रही है । वह हवेली में अकेली है ।"

"जब तक हम इस गेट पर डरे हैं, वह हरामी अंदर नहीं जा सकता । वह बाहर ही है और अंदर जाने का सिर्फ
एक ही रास्ता है. ।” अब्बास बोला, "अगर वह यहाँ आया तो हम दोनों ही निहत्थे उसका मुकाबला करेंगे और
उसे किसी भी सूरत में अंदर नहीं जाने देंगे ।"

"हाँ, जंग होगी । आखिरी सड़क की जंग ।" मधुर की आवाज में हल्की सी गुर्यहट थी । अब्बास को
महसूस हुआ कि मधुर का खौफ अब बिल्कुल खाक हो गया है । दोनों गेट से पीठ टिकाये बैठे थे और सामने
सुनसान पड़ी सड़क को यूर रहे थे ।

"थोड़ी देर में चाँद निकल आएगी । अभी तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा ।"

"चाँद नहीं निकलेगा ।" मधुर बोला, "आज अमावस की रात है ।"

तुम्हें कैसे पता ?"

"मेरी घड़ी में दोनों तरह के कैलेंडर हैं ।" मधुर ने जवाब दिया ।

उसके बाद दोनों खामोश हो गये ।
विलाशा हथौड़े से बाथरूम का दरवाजा तोड़ रही थी । हवेली के भीतर अंघेरा फैलने लगा था, जो तेजी के
साथ गहरा होता जा रहा था. । जब तक विलाशा ने हथौड़े का आखिरी प्रहार किया तब तक अंधेरे ने अपना दामन
फैला लिया था ।

विलाशा ने अपने मोबाइल फोन की टॉर्च ऑन की । वह स्विच बोर्ड के पास पहुँची । उसने ड्राइंगरूम में
रोशनी करने के लिये स्विच ऑन किया, लेकिन रोशनी नहीं हुई । इसका सीधा सा मतलब था । या तो जनरेटर
ऑन नहीं है या फिर उसका तेल खत्म हो गया है और वह ठप्प हो गया है ।

मोबाइल की टॉर्च जलाये विलाशा स्टोर रूम में आ गयी थी वहाँ रखा काठ-कबाड़ उलटने लगी । एक जगह
उसे लालटेन रखी दिखाई दी । फिर उसे एक डिब्बे में कुछ मोमबत्तियाँ भी मिल गयीं ।

उसने जनरेटर चेक किया । जनरेटर ऑन किया, पर वह घरघराकर खामोश हो गया । अब वह समझ गयी
कि जनरेटर का तेल खत्म हो गया है । वह खामोशी के साथ चलती हुई हवेली के उस गेट तक पहुँची जो लोहे
का था और इस वक़्त बन्द था । वहाँ उसे बासु की लाश पड़ी दिखाई दी, जिसके जिस्म पर गोलियों के निशान
थे | बासु पत्थरों के ढेर पर पड़ा था ।

विलाशा ने लालटेन एक पत्थर पर रख दी और उस गेट के पास आकर बाहर की आहरटें सुनने लगी । बाहर
से आने वाली घीमी-धीमी आवाज उसके कानों में पड़ी ।

विलाशा ने एक पत्थर उठाकर लोहे के दरवाजे पर मारा, ताकि बाहर तक आवाज चली जाये ।

फिर चिल्लाकर बोली, "कौन है वहाँ ?"

आवाज बाहर तक चली गयी ।

बाहर से मधुर चिल्लाया, "विलाशा !"

"हाँ, मैं हूँ ।" वह चिल्लाई ।

"तुम यहाँ क्‍यों आ गयी ? गेट नहीं खुल सकता | मैं अब्बास के साथ गेट पर बैठा हूँ ।"

"किसी तरह चारदीवारी पर चढ़ने की कोशिश करो और अंदर आ जाओ । बाहर तुम्हारी जान को खतरा हो
सकता है ।"

"यह मुमकिन नहीं  । वैसे भी रात हो चुकी है । तुम वापस जाओ और अपने बेडरूम को अंदर से बन्द कर
लो । किसी भी सूरत में बाहर मत आना । जाओ प्लीज ! हम उस बौने का खात्मा करके ही आयेंगे । वह
जरूर आयेगा, बस उसके आने का इंतजार कर रहे हैं । जाओ तुम !"

विलाशा जैसे ही पलटी उसे माउथ ऑर्गन की वही चीर-परिचित धुन सुनाई दी, "बहुत प्यार करते हैं, तुमसे
सनम ।"

विलाशा आगे बढ़ती गयी और घुन दूर होती चली गयी ।

घुन सुनते ही दोनों चौकस हो गये ।
उधर विलाशा अपने बेडरूम की बजाय हवेली की छत पर आ गयी | यहां से वह बाहर का नजारा देख सकती
थीं, पर अंधेरे में कुछ नजर नहीं आ रहा था. । वह चाँद निकलने का इंतजार करने लगी ।
तभी कहीं दूर तुरही बजने लगी । ठीक उसी तरह जैसे पुराने जमाने में युद्ध के पहले तुरही बजायी जाती थी ।
विलाशा मुड़कर टेसस की दूसरी तरफ आ गयी । यहाँ से गाँव की तरफ देखा जा सकता था । तुरही की आवाज
उसी तरफ से आ रही थी ।

फिर एकाएक ढोल-नगाड़े बजने लगे । ऐसा लगता था यह नगाड़े हर तरफ बज रहे हैं. । फिर अचानक
मशालें रोशन हो गयी । गाँव के घरों के दरवाजे घाड़-धाड़ खुलने लगे और मशालें लहराने लगीं ।

यह आवाजें मधुर और अब्बास ने भी सुनी । उनके दिल तेज-तेज घड़कने लगे । दोनों खड़े हो गये । ठीक
उन योद्धाओं की तरह जो किसी भी सेना का मुकाबला करने के लिये तैयार खड़े हों ।

"हमें किसी भी कीमत पर इस गेट से नहीं हटना है ।" मधुर बोला ।

"पर यह हो क्या रहा है ! तुरही, ढोल-नगाड़े और अजीब सा शोर है । कुछ मशालें भी जल रही हैं ।"
अब्बास के स्वर में कंपन था |

"जो कुछ भी होगा, सामने आ जायेगा ।"

गाँव के विभिन्‍न गलियों से अजीबोगरीब शक्ल के लोग बरामद हो रहे थे । वे एक जुलूस की शक्ल में आगे
बढ़ रहे थे । सबसे आगे कुछ कंकाल नाचते हुए आ रहे थे । ऐसा लगता था, जैसे वह कोई बारात हो । भूतों
की बारात ।

नन्हें-मुन्ने राही है, गाँव के बाराती हैं,

बोलो मेरे संग जय हिन्द, जय हिन्द |

यह आवाज किसी स्पीकर से सुनाई दे रही थी । कोरसके शक्ल में अनेक आवाजें उभर रही थीं ।

जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द... |

स्पीकर पर फिर आवाज आयी, "आज अमावस की रात है ।"

कोरस, "बात है, क्या बात है ?"

पुनः स्पीकर पर आवाज आई |

"आज मेरी बारात है ।"

कोरस, "बात है, क्या बात है ?"

स्पीकर, "जमकर दावत होगी यारों  !"

कोरस, "इंसानों का माँस है, माँस है ।"

यह आवाजें निकट आती जा रही थी । अब वह जुलूस सड़क पर आ गया था. । आगे कंकाल नाच रहे थे |
पीछे मशालें लिये जुलूस चला आ रहा था और मशाल की रोशनी में उनके बेढंगे जिस्म नजर आ रहे थे । किसी के
हाथ नहीं थे, किसी का सिर ही गायब था । किसी की जटाएं घुटनों तक फैली हुई थी । कोई पतला था, कोई
मोटा, कोई ठिगना था, कोई लम्बा था. । किसी का एक पैर गायब था और वह एक पैर से ही चल रहा था |
उन्होंने अजीबोगरीब लिबास पहने हुए थे । कोई ओवरकोट पहने था । कोई सिर पर कैप लगाये था । किसी
ने काला चश्मा पहना हुआ था, तो किसी की आँखें ही गायब थीं । कोई गंजा था. । कोई बिल्कुल नंगधड़ंग
था. । ऐसी-ऐसी शकक्‍लें थीं कि किसी भी जिंदा दिल इंसान को उन्हें देखते ही गश आ जाता । वह सड़क पर

ढोल-ताशे और तुरही बजाते बढ़ रहे थे । अचानक वह बौना नजर आया जो घोड़ी पर सवार था और दूल्हा बना
बैठा था । उसके सिर पर पगड़ी थी । गले में नोटों की माला थी । वह इस समय पूरी सज-धज के साथ ठसके
से घोड़ी पर बैठा था ।

उसी घोड़ी पर स्पीकर टँगा हुआ था और माइक बौने के हाथ में था । उसके आगे गाजे-बाजे बजाने वाले
थे और वे नाच रहे थे । फिर एक पालकी सी नजर आयी, जिस पर पर्दा सा पड़ा हुआ था । दो लोग पालकी
उठाये हुए थे ।

अब्बास को तो जैसे साँप सुँघ गया था । मधुर ने उसका हाथ मजबूती से थामा हुआ था ।

यह अजीबोगरीब बारात हवेली के फाटक से कुछ दूरी पर आकर रुक गयी । मशालों की रोशनी अब मधुर
और अब्बास पर पड़ रही थी । बौने ने हाथ उठाया और ढोल-ताशे बजाने बन्द हो गये । अब वह घोड़ी से नीचे
उतरा । उसने इस समय भी फौजी बूट पहने हुए थे । वह फाटक की तरफ बढ़ने लगा । अब्बास की घड़कने
तेज होने लगी ।

बौना उन दोनों के पास आकर रुक गया. । उसके हाथ में अब भी माइक था. । शायद स्पीकर ब्लूटूथ से
काम कररहा था ।

"दो... दो जिंदा हैं । दोनों हरामजादे जिंदा हैं ।" उसने माइक पर कहा ।

"दावत की रात है, दावत की रात है ।" कोरस गपूंजा ।

"दो-दो इंसानों का जिंदा खून है. ।" बौना माइक पर बोला |

"रात को कोई ना मून है ।" कोरस सुनाई दिया ।

मधुर ने अपने जिस्म को कठोर बनाया और जोरदार घूँसा उस बौने के सिर पर ऊपर से ठोक मारा । बौना
घड़ाम से गिरा । मधुर ने उसे ठोकरों पर ले लिया । बौना लड़खड़ाता हुआ पीछे लुढ़का और फिर उछलकर
घोड़ी पर सवार हो गया |

"यह तो पृथ्वीराज चौहान वाली बात हो गयी भाइयों  !” उसने माइक पर कहा, "पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध
लड़कर ही संगीता को उठाया था |

"खून पी जाये इनका !" एक भीमकाय स्वर पूँजा ।

"बैठ जाओ सब ! पहले बातचीत से मामला हल करते हैं ।" बौने ने कहा और अब बैठ गये ।

फिर बौना जोर से माइक पर बोला, "यह मेरी पंचायत है, जिसका सरपंच भी मैं हूँ और जल्लाद भी मैं हूँ ।
सुनो, सुनो दोनों शूरवीरों ! लगता है तुम हमसे जंग लड़ने के मूड में हो । पर फैसला तो मुझे ही सुनाना है ।
कुछ कहना है तुमको, बोलो 7"

"एक भी हरामी अगर उधर आया तो जिंदा नहीं छोड़ेंगा !" मधुर ने खाली गन तान दी ।

अरे, यह तो हमें बन्दूक से डरा रहा है !" बौने ने ठहाका लगाया |

"इसे पता नहीं होगा कि मुर्दा लोग गोलियों से नहीं मरते । चलाने दो ससुरे को गोली ।"

"मैं कहता हूँ, आगे मत बढ़ना ।" मधुर चीखा |

"अबे, क्यों मेरी शादी में खलल डाल रहा है । मैं अपनी गौरी से शादी करने आया हूँ । वह हवेली में मेरा
इंतजार कर रही है । ये बेचारे तो सिर्फ अमावस की रात जागते हैं । वरना मुर्दों की तरह पड़े रहते हैं. । इनकी
दावत है आज । ये सिर्फ आदमी का माँस खाते हैं । आदमी का खून पीते हैं, फिर खा-पीकर सो जाते हैं और
फिर अगली अमावस को जागते हैं । हमें हवेली में जाने दे । रास्ते से हट जा ।"

"हटाकर देख । आओ, कौन सा आता है !" मधुर गरजा ।

"ये कैसा आदमी है बॉस !" एक बोला, "हम भूत-प्रेतों से भी नहीं डर रहा ।"

"अबे, यह फ़िल्म का हीरो है । साला, कुछ तो हाथ-पैर मारेगा ही | देखा नहीं, कैसे मुझपर लात-पघूँसे
चलाये ।" बौना बोला, "देख हीरो, तुझे तो यह पता होगा कि तुम दोनों के अलावा मैंने सबको ठिकाने लगा
दिया । मैं तुम दोनों को भी नहीं छोड़ता, पर तुम्हारी किस्मत ने तुम्हें बचा लिया । देखो, रास्ते से हटो | मैं
बारात लेकर आया हूँ । दुल्हन को डोली में बिठाकर ले जाऊँगा और तुम दोनों को कुछ नहीं करना ।"

"कौन सी दुल्हन है हवेली में 7"

"गौरी ! मेरी जान है वह । तुम लोग उसे विलाशा के नाम से जानते हो । पर वह मेरी गौरी है ।"

मधुर को याद आया । विलाशा को एक बार दौरा पड़ा था तो चोटी वाला ने उसका नाम गौरी ही बताया था ।

"तुम लोगों को मारने की दो वजह है ।" बौने ने कहा, "पहली वजह तो यह है कि तुम सबको मारे बिना
गौरी से मेरा ब्याह नहीं हो पाता । तुम सब दीवार बनकर खड़े हो जाते । जैसे अब खड़े हो । दूसरी वजह यह है
कि मुझे बारातियों को दावत भी देनी थी और यह सब सिर्फ आदमी का माँस खाते हैं । आदमी का खून पीते हैं ।"

बहुत से अपने दाँत चमकाये | होंठों पर जुबान फेरी ।

" भाई लोगों, हम जिंदा इंसान नहीं है, जो तुम हमें मार दोगे । हम तो सोन चिड़ैय्या हैं । कभी इस डाल,
कभी उस डाल | सिर्फ मेरे अंदर वह ताकत है, जो मैं रात-दिन काम कर सकता हूँ । ये सब सिर्फ अमावस को
ही जागते हैं. । वरना लुंज-पुंज पड़े रहते हैं ।"

"कुछ भी हो, हम तुम्हें अंदर नहीं जाने देंगे ।" इस बार अब्बास में भी जोश भर गया, "भूत कैसा भी हो,जिंदा
इंसान से टक्कर नहीं ले सकता । इंशाअल्लाह हम टकरायेंगे और ऐसा टकरायेंगे कि सदियों तक भूत हमसे खौफ
खाते रहेंगे ।"

"जे बात है ।" बौने ने इधर-उधर देखा, "चलो रे, शुरू हो जाओ ।"

उसने अपने बारातियों को हुक्म दिया और बाराती दनदनाते हुए आगे दौड़ पड़े । उनके लम्बे-लम्बे नाखून
थे । उनके पास कोई हथियार नहीं था । उनके नाखून ही उनके हथियार थे ।

उनके पैने-पैने तुकीले दाँत चमकने लगे ।

जाहिर था उन पर गोली नहीं चलाई जा सकती थी ।

मधुर खौफनाक जंग लड़ रहा था. । वह लात-पघूँसे बरसा रहा था । कुछ को उसने उठा-उठाकर दूर उछाल
दिया, पर वह पलट-पलटकर फिर से हमलावर हो जाते ।

अचानक अब्बास का पाँव लड़ते-लड़ते फिसला और एक-दो बारातियों ने उसकी टाँगें पकड़कर खींच ली ।
वह अब्बास को घसीटते हुए बारातियों की भीड़ में ले गये । अब्बास का सिर पत्थर से भी टकरा गया था. वह बुरी
तरह जख्मी हो गया था । मधुर, अब्बास को बचाने आगे नहीं बढ़ा । वह किसी भी कीमत पर गेट नहीं छोड़ना
चाहता था. । वह सब अब्बास पर टूट पड़े और पैने-पैने नाखूनों से अब्बास का सीना चाक करने लगे

फिर एक जत्था मधुर की तरफ आया, लेकिन मघुर ने उन्हें लात-घूँसे से मार-मारकर पीछे धकेल दिया ।

अब मधुर ने आसपास से पत्थर उठाकर उन पर बरसाने शुरू कर दिये । अचानक बौने की घोड़ी तेजी से आगे की
तरफ बढ़ी । बौने के हाथ में रस्सी का एक फंदा झूम रहा था. । उसने यह फंदा मधुर पर उछाल दिया । फंदा
मधुर की गर्दन और अटक गया. । मधुर ने उसे दोनों हाथों से पकड़ा, परन्तु तभी फंदा कस गया और बौने की
घोड़ी भी मुड़ गयी ।

मधुर औंधे मुंह गिर पड़ा । अब बौना रस्सी के जरिये उसे खींचता हुआ जा रहा था । उसे रास्ता देने के लिये
बाराती कार्ड की तरह फट गये और उसे रास्ता दे दिया । बौना, मधुर को सड़क पर घसीटता काफी दूर तक ले
गया । एक पत्थर से मधुर का सिर टकरा गया और वह बेहोश हो गया । बौना कुछ देर तक उसे सड़क पर खींचता
रहा, फिर रुक गया. । घोड़ी से उतरकर वह मधुर के पास पहुँचा । दो-तीन मशालची पीछे-पीछे भागते आ रहे
थे | बौने ने मघुर को एक ठोकर जड़ दी । जब उसने कोई हरकत नहीं की तो बौने ने वहीं रस्सी फेंक दी । कुछ
बाराती लपक-झपककर वहीं आ गए |

"जिंदा आदमी का खून है ।" एक नए नारा लगाया ।

"रात को ना मून है ।" कोरस में कुछ बोल पड़े ।

"ठहरो !" बौना बोला, "यह मेरा शिकार है । तुम सब लोग मेरे लिये भी कुछ छोड़ोगे या नहीं!"

"पीछे हटो, पीछे हटो ।" एक नए नारा लगाया ।

"यह दूल्हे राजा का भोजन है. ।" कोरस में सब बोले । फिर मधुर की तरफ बढ़ने वाले रुक गये और पीछे
हटते-हटते चले गये । अब बौने ने घोड़ी को हवेली की बढ़ा दिया ।

गाजे-बाजे फिर बजने लगा ।

सब नाच रहे थे । आगे-आगे चार कंकाल थे ।

बौना माइक पर कह रहा था |

"नन्हे-मुन्ने राही है. । गाँव के बाराती हैं । बोलो मेरे संग, जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द ।"

सब जय हिन्द, जय हिन्द करते नाचते हुए हवेली के गेट की तरफ बढ़ रहे थे ।

ऐसा लगता था जैसे भोले बाबा की बारात चल रही हो । उसमें से कुछ तो चिलम भर-भरकर पी रहे थे ।
फिर बौने ने माउथ ऑर्गन निकाला और उस पर वही चीर-परिचित धुन बजाने लगा, "बहुत प्यार करते हैं, तुमसे
सनम !"

केक के

हवेली के दरवाजे बंद थे । विलाशा ड्राइंगरूम में मौजूद थी ।

एकाएक जनरेटर चल पड़ा और हवेली कि लाइटें ऑन हो गयीं  । विलाशा ने चौंककर देखा । फिर वह
अंदर गयी और उसने दूसरी रोशनियाँ भी ऑन कर दी । अब वह घुन सुन रही थी, 'बहुत प्यार करते हैं तुमसे सनम ।'

बाहर गाजे-बाजे का शोर सुनकर वह एक बार फिर छत पर आ गयी । उसने हवेली के गेट को खुलते देखा ।
बौना एक घोड़ी पर सवार था. । कुछ अजीब-अजीब किस्म के लोग अंदर घुस आये और वह इधर-उधर बिखर
गये ।

अचानक हवेली में रंग-बिरंगी झालरें जगमगा उठीं । शायद यह झालरें पहले से दीवारों पर फिक्स रहती थी
और किसी-किसी विशेष अवसर पर उन्हें रोशन किया जाता होगा |
उसी समय विलाशा को न जाने क्या हुआ । उसने जोरदार ठहाका लगाया । खिलखिलाकर हैँसने लगी ।
वह बौने दुल्हे को देखकर हैँस रही थी, जो घोड़ी पर बैठा माउथ ऑर्गन बजा रहा था । उसके साथी उन जगहों को
खोद रहे थे, जहाँ लाशों को दफनाया गया था ।

दहशत की बजाय विलाशा ठहाके मारकर हँस रही थी ।

उसके बाद वह छत से आकर ग्राउंड फ्लोर पर पहुँची । वह उस कमरे के सामने पहुँची जो हमेशा बन्द रहता
था. । लेकिन इस वक़्त वह ताला खुला रहता था. । विलाशा ने दरवाजा खोलकर कमरे की रोशनी ऑन की ।
वहाँ कई संदूक ऊपर तले रखे हुए थे । उसने सबसे ऊपर रखे सन्दूकों को खोलना शुरू किया । कुछ सन्दुकों पर
ताले पड़े थे और कुछ खुले हुए थे । ऐसे ही सन्दुकों को वह खोल रही थी, जिसमें ताले नहीं थे । तीसरा संदूक
खोलते ही वह रुक गयी । मानों उसे मनचाही वस्तु मिल गयी थी । संदूक में कुछ वस्त्र और आभूषण रखे थे ।
यह दुल्हन का सुर्ख जोड़ा था । सोने का गुलुबन्द था, बालियाँ थीं, चूड़ियाँ थीं और श्रृंगार का कुछ सामान पड़ा
हुआ था । उस कमरे में एक आईना और चेयर भी पड़ी हुई थी ।

विलाशा ने सबसे पहले अपने वस्त्र बदले अब वह दुल्हन के जोड़े में थी । उसने खुद अपना श्रृंगार करना शुरू
किया । अपने बालों का जूड़ा बनाया, आभूषण पहने । होंठों पर लिपस्टिक लगाई नथ पहनी । कानों में मुझ
के डालें । कलाइयों में सोने के कंगन और चुड़ियाँ डाली । फिर अपने आपको आइनें में देखा । वह दुल्हन के
रूप में सज-संवर गयी थी ।

माउथ ऑर्गन की घुन उसे सुनाई दे रही थी ।

"बहुत प्यार करते हैं, तुमसे सनम ।"

उसके बाद उसने माउजर को साड़ी के नीचे अइसा और उठ खड़ी हुई । माउजर की मैगजीन फुल थी ।
उसके पास ग्यारह गोलियाँ थीं । इसके अतिरिक्त भी एक मैगज़ीन और थी । अब बिल्कुल आखिरी वक़्त आ
गयाथा ।

अमावस्या की काली अंधेरी रात में हवेली दुल्हन की तरह चमक रही थी । गाजे-बाजे बज रहे थे । गड्डों में
दबी लाशें निकाली जा रही थी । बाराती उन लाशों को उठा-उठाकर बाहर ले जा रहे थे और दूल्हा माउथ ऑर्गन
बजा रहा था ।

वह अभी घोड़ी से नहीं उतरा था ।

दूल्हा अब घोड़ी से उतरा । उधर विलाशा ने हवेली का दरवाजा खोल दिया था. । वह दरवाजा खोलकर
बैडरूम में आ गयी थी । दूल्हा अकेला ही हवेली में दाखिल हुआ । उसने माउथ ऑर्गन अपनी जेब में सरकाया
और इधर-उधर देखता हुआ सीधा विलाशा के बैडरूम की तरफ बढ़ने लगा । फिर वह कुछ सोचकर रुका, वापस
पलटा ।

हवेली के दरवाजे से बाहर निकला ।

"चलो, अंदर भी दो लाशें पड़ी हैं । सफाई करो यहां !"

कुछ बाराती अंदर आ गये । बौने ने उनको गाइड किया कि वह दोनों लाशें कहाँ पड़ी हैं । एक तो पायल
का जला हुआ शव हैं । दूसरी खन्ना की लाश थी ।
"हवेली को अच्छी तरह घोकर साफ कर दो. ।" उसने हुक्म दिया ।

सब बाराती सफाई में लग गये |

"दुल्हन पहले वाले कमरे में है । वहाँ कोई नहीं जायेगा ।" उसने अगला हुक्म दिया |

हवेली में पानी की बाल्दटियों के द्वारा सफाई अभियान शुरू हो गया । कई बाराती झाड़ू-पोंछा लगा रहे थे ।
उन्होंने दूसरी मंजिल ही नहीं, हवेली की छत भी थो डाली ।

"नन्हे-मुन्ने रही हैं । गाँव के बाराती हैं । बोलो मेरे संग, जय हिन्द, जय हिन्द ।" बौनागारहा था ।

सब कोरस में गा रहे थे, "जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द ।"

कि की की

"जयमाला लाओ, दो जयमाला ।" बौने ने हुक्म दिया । तुरंत ही एक बाराती ने पॉलिथीन में रखी दो
मालाएँ उसे दे दी ।

"फेरे कौन करवायेगा ?" बौने ने पूछा ।

एक चोटी घारी बाराती, जिसके मुंह में दाँत ही नहीं थे, वह मात्र लंगोट पहने था, नंगधड़ंग था, जनेऊ पहने
हुए था और माथे पर तिलक भी लगाये हुए था । वह सीना तानकर आगे बढ़ा |

"अभी सब तैयार कर देता हूँ ।" उसने कहा ।

इस पंडत के साथ उसका चमचा भी था, जो दो बड़े थैले लटकाये हुए था. । उसने कालीन पर ही काम
शुरू कर दिया । बीच में हवन कुंड रखा, फिर सामग्री रखी । रोली से एक घेरा बनाया । उस पर कुछ इत्र
छिड़का | आम के पत्तों का कलश बनाया । चारों कोनों में चार दीपक जलाये और फेरों की तैयारी शुरू कर
दी ।

"अबे सालों, मेरे जूते कौन चुरायेगा 7?" बौने ने अपने बूट उतारते हुए कहा ।

"हम बाराती है ।" एक बोला, "हम जूते क्यों चुरायेंगे ? जूते तो सालियाँ चुराती है और सालियाँ या दुल्हन
की सहेलियां यहाँ नजर नहीं आ रही हैं ।"

"ठीक है. । तुम लोग मेरे जूतों की हिफाजत करना । एक साली तो थी, पर वह तो मर गयी साली!"
बौना बोला, फिर वह जयमाला के दोनों हार लेकर उस बैडरूम की तरफ बढ़ा, जिसमें विलाशा दुल्हन के जोड़े में
सजी-संवरी बैठी थी ।

जब बौना अंदर आया तो दोनों एक-दूसरे को अपलक देखने लगें । कुछ देर तक किसी की भी निगाह नहीं
झुकी ।

फिर बौने की आँखों में आँसू छलक आये । खुली आँखों से टप-टप बुंदें गिरने लगीं ।

"चौदह साल का वनवास !" गोलू बुदबुदाया, "गौरी... ।"

उसने एक माला विलाशा की तरफ बढ़ा दी । विलाशा ने बिल्कुल फिल्‍मी अंदाज में माला ले ली । उसके
चेहरे से ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई इमोशनल शॉट दे रही है ।

जो बीत चुका था, उसका सदमा था, या किसी और बात का. । उसके आँखों में भी आँसू छलक आये |
जयमाला पहनाने के लिये उसे घुटनों के बल बैठना पड़ गया । दोनों ने एक-दूसरे के गले में माला डाल दी ।

"गौरी !" गोलू ने उसे गले लगा लिया और फिर फुट-फुटकर रोने लगा |

विलाशा खामोश थी । उसके होंठ फड़क रहे थे, पर वह कुछ बोल नहीं पा रही थी ।

"फेरों का मुहूर्त निकला जा रहा है. ।" बाहर से आवाज आई ।

दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे बैडरूम से बाहर निकले ।

स्वास्तिक वाचन के साथ ही पंडित ने मंत्र पढ़ने शुरू कर दिये । हवन कुंड में अग्नि दी गयी । आम की सूखी
लकड़ियों में आग प्रज्वलित हुई । दीपक रोशन हो गये । हवन कुंड में थोड़ा घी डालकर सामग्री डाली गयी ।
कुछ बाराती खामोश के साथ हाथ बाँघे बैठे थे ।

"ध्यान रखना, कोई मेरे जूते न चुरा ले ।" बौने ने हँसकर कहा ।

एक बाराती ने उसके जूते सम्माल लिये  । दूल्हा-दुल्हन दोनों ही नंगे पाँव थे । दूल्हे की हल्दी रस्म तो हुई
थी, पस्ततु दुल्हन की नहीं हुई थी । न ही उसके हाथों में मेहंदी थी  । दोनों को बंधन में बाँधा गया और फिर
उन्होंने एक-दूसरे को लड्डू खिलाये । उसके बाद फेरे शुरू हो गये । सात फेरे सम्पूर्ण होने के बाद दूल्हे ने दुल्हन
की माँग में सिंदूर भरा  । अपने हाथों से मंगलसूत्र पहनाया | दुल्हन ने उसे सोने की अंगूठी पहनाई ।

रस्म समाप्त होने के बाद दुल्हन हवेली से विदा हुई । उसे पालकी में बिठाया गया । पालकी दो बारातियों
ने उठा ली । दूल्हा घोड़ी पर सवार हुआ और गाने लगा ।

"नन्हे-मुन्ने राही हैं, गाँव के बाराती हैं ।

बोलो मेरे संग, जय हिन्द ।"

सब कोरस में गा रहे थे, "जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द ।"

सबसे आगे जो बाराती चल रहा था. । उसने सफेद ध्वजा उठायी हुई थी । सफेद शांति का प्रतीक होता
है । इसका मतलब, जो कुछ होना था, वह हो चुका । अब हर तरफ शांति है । अमन है । अब हवेली में
कोई प्रेत नजर नहीं आयेगा । अब वहाँ किसी की मौत नहीं होगी ।"

हवेली के मेन गेट से बारात बाहर निकली । विलाशा ने पालकी का पर्दा हटाकर देखा । हवेली अब भी
दुल्हन की तरह सजी हुई थी । बौना अब माउथ ऑर्गन बजा रहा था ।

जैसे ही बारात गेट से बाहर निकली, हवेली अंधकार में डूब गई । गेट भी बन्द हो गया ।

बारात गाजे-बाजे के साथ आगे बढ़ती रही । विलाशा ने पर्दे को थोड़ा सा हटाया हुआ था ताकि वह बाहर
का दृश्य देख सके । दो मशालची उसके दायें-बायें चल रहे थे ।

फिर कोई बाराती गला फाड़-फाड़कर गाने लगा |

"बाबुल की दुआएँ लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले ।" सब उसके साथ-साथ कोरस में गाने लगें ।

फिर उसने सुर के साथ-साथ गाना बदला |

अब वह गा रहा था, "चल री सजनी, अब क्या सोचे । कजरा न बह जाये रोते-रोते ।" इस गाने को सुनकर
विलाशा सचमुच रो पड़ी । फफक-फफककर रो पड़ी । क्या यही उसकी जिंदगी थी । क्या उसका बीता हुआ
कल हमेशा के लिये खत्म हो गया था । क्या वह अपनी ग्लैमर भरी दुनिया की चकाचौंध में कभी वापस नहीं त्लौट
पायेगी । क्या अब उसे पूरा जीवन गोलू के साथ बिताना होगा । कैसी त्रासदी थी यह ।

दिन का उजाला |
घाटी में हल्की सी घुंध छायी हुई थी । हवेली वीरान और खामोश खड़ी थी । अब वहाँ किसी भी किस्म की
हलचल नहीं थी । हवेली ही क्यों, पूरे गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था । घरों के दरवाजे खुले थे । पस्तु उन
घरों में कोई नहीं था । न जिंदा, न कोई मुर्दा ।

तभी गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दी और आकाश पर एक हेलीकॉप्टर नमूदार हुआ । उसके पीछे-पीछे
एक दूसरा हेलीकॉप्टर भी चला आ रहा था. । पायलट ने नीचे देखा । उसे एक हवेली नजर आयी । उसने
हेलीकॉप्टर उसी जानिंब मोड़ दिया । दूसरा हेलीकॉप्टर उसे फॉलो कर रहा था ।

उसने हवेली का एक राउंड लिया । हवेली की छत काफी बड़ी थी । उसमें बारी-बारी दोनों हेलीकॉप्टर लैंड
हो सकते थे । लेंडिंग के लिये पूरे गाँव में दूसरी कोई जगह नजर नहीं आती थी । दोनों हेलीकॉप्टर ने पहले दो-
तीन चक्कर लगाये । पूरा गाँव गौर आबाद था. | उन्हें अच्छी प्रकार जानकारी थी कि एक गाँव ऐसा है जहाँ
आखिरी सड़क का आखिरी छोर है । और वह आखिरी छोर उन्हें नजर आ रहा था, जो हवेली के गेट तक गया था ।

सड़क पर आधे पड़े मघुर को होश आ गया । उसने कराहते हुए करवट बदली और आसमान की तरफ टकटकी
लगाये देखने लगा । सूरज आसमान पर चढ़ आया था । मधुर भूखा-प्यासा था । उसने गहरी-गहरी साँसें लेकर
प्राणवायु को अपने फेफड़ों में भरा । उसका सिर बुरी तरह दर्द कर रहा था । कदाचित सिर में गूमड़ निकल आया
था. । उसने हाथ फिराकर गूमड़ चेक किया । उसका सिर चकराने लगा । फिर वह आलथी-पालथी मारकर
योगा की एक्सरसाइज और प्राणायाम करने लगा । तभी उसे गड़गड़ाहट सुनाई दी । उसने सिर उठाकर देखा ।
आकाश पर आगे-पीछे दो हेलीकॉप्टर नजर आ रहे थे । वह हवेली के ऊपर मंडरा रहे थे । उसकी गन न जाने
कहाँ गिर गयी थी ।

वह रेंगता हुआ सड़क के किनारे तक गया और एक चड्टान का सहारा लेकर उठ खड़ा हुआ और लंगड़ाता हुआ
आगे बढ़ा । रस्सा अब उसके गले में नहीं था । हेलीकॉप्टर शायद लैंडिंग की जगह तलाश रहे थे । वह हाथ
उठाकर चिल्लाया, पर आवाज में दम ही नहीं था ।

उसने हवेली की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया ।

अचानक उसके मोबाइल फोन पर रिंगटोन आई । वह एकदम से उछल पड़ा और ठिठककर रुक गया |
उसने जल्दी-जल्दी जेब से अपना फोन निकाला | स्क्रीन पर विलाशा का नाम रोशन हुआ । तुरंत ही मधुर ने
कॉल रिसीव कर ली |

"ह...हेलो !" उसने फोन पर कहा और उसका स्पीकर ऑन कर दिया ।

"तुम कहाँ हो मधुर ?" विलाशा ने भर्राये स्वर में पूछा ।

"म... मैं... सड़क पर... हवेली से चार-पाँच सौ मीटर दूर सड़क हूँ...  । तुम कहाँ हो विलाशा 7"

"इन लोगों ने जबरदस्ती मुझे उठा लिया । अगर मैं उन लोगों का कहा न मानती तो वे मुझे जान से मार देते ।
मैं गोलियाँ चलाती तब भी कुछ न होता, क्योंकि वह सब मुर्दे थे ।"

"अब कहाँ हो तुम 7"

"मैं सुबह होते ही उनके चंगुल से निकल भागी हूँ । मैंने ऐसे ही फोन ट्राई किया तो तुम्हारा फोन लग गया ।"

"क्या तुम भागकर सड़क पर आ सकती हो ?"

"हाँ, मैं सड़क के पास ही हूँ । तुम जहाँ हो वहीं रुक जाओ | मैं आती हूँ ।"
फोन कट गया |

मधुर की समझ में नहीं आ रहा था कि फोन कैसे लग गया । अब उसने दूसरी जगह फोन करना चाहा । वह
दीपक को फोन लगाने लगा जो पतली घाटी की लोकेशन का इंचार्ज था, लेकिन फोन नहीं लगा । एक बार
फिर फोन बन्द हो गया ।

हवेली की तरफ जाने का इरादा छोड़कर वह वहीं रुक गया । कुछ ही देर में उसने ढलान पर किसी को उतरते
देखा । वह विलाशा ही थी, लेकिन दुल्हन के सुर्ख जोड़े में थी । वह सड़क पर आ गयी, फिर उसने मधुर को
देख लिया । वह मधुर का हाथ पकड़कर एक तरफ तेज-तेज कदमों से भागने लगी, लेकिन वह हवेली से विपरीत
दिशा थी ।

"मेरे ख्याल से हमें हवेली की तरफ जाना चाहिये ।" मधुर ने कहा, "उस तरफ शायद दो हेलीकॉप्टर लैंड हुए
हैं । जरूर वे लोग हमारी तलाश में आये होंगे ।"

"नहीं, उस तरफ खतरा है । बौना मेरी तलाश में होगा । वह रास्ते में हमें कहीं भी घेर सकता है । वह हमें
हवेली तक नहीं पहुँचने देगा । वह अच्छी तरह जानता है कि भागने के बाद मैं हवेली का रुख करूंगी । क्योंकि
वहाँ हेलीकॉप्टर लैंड हो रहे हैं ।"

"मगर तुम दुल्हन... ।"”

"बाद में बताऊँगी । फिलहाल हमें कोई सुरक्षित जगह तलाश करनी है ।"

विलाशा, मधुर को लेकर ढलान पर उतरने लगी । आगे घना जंगल था. । इतना घना की हेलीकॉप्टर के
जरिये भी उन पर नजर नहीं पड़ सकती थी । कुछ देर बाद ही एक कंदरा दिखाई दी । विलाशा, मधुर को साथ
में लेकर कंदरा में आ गयी । यह गुफा काफी गहरी थी । उसके सामने झाड़-झंखाड़ थे उगे हुए थे ।

"क्या तुम्हें पहले से मालूम था कि यहाँ कोई गुफा है ?" मधुर ने पूछा ।

"नहीं, यह तो इत्तेफाक से मुझे नजर आ गयी ।"

"और अगर वह बौना यहाँ भी आ घमका तो 7"

"हम उसका मुकाबला यहाँ कर सकते हैं ।"

कि की की

सर्च ऑपेरशन के कमांडोज हवेली पर उतर गये । दोनों ही हेलीकॉप्टर बारी-बारी छत पर लैंड हो गये । इस
टीम का एक कमांडर था जो उन्हें निर्देश दे रहा था ।

"हवेली का चप्पा-चप्पा छान मारो ।" उसने हुक्म दिया और मुंडेर के पास खड़ा हो गया । उसने दूरबीन
निकाली और आँखों पर सटा दिया । अब वह दूरबीन से आसपास का इलाका देख रहा था. । उसके गाँव के घरों
को देखा, जो उजाड़ और वीरान पड़े थे ।

चार कमांडोज गन ताने हुए नीचे उतर गये ।. शेष चार छत पर ही थे । अपने साथियों को कवर करने के
लिंये तैयार खड़े थे । अगर एक भी गोली चलती तो वे पलभर में नीचे जा सकते थे । उन सब लोगों के पास
वायरलेस सेट का सिस्टम था, जिसके जरिये वह अपनी रिपोर्ट दे सकते थे । पंद्रह मिनट में सूचना मिली कि हवेली
खाली पड़ी है । सब कमरे खोलकर देख लिये गये । सूचना मिंत्वी कि एक कमरे में कुछ सामान जला हुआ है,
लेकिन कोई बॉडी नहीं है । किसी किस्म का सामान भी वहाँ नहीं मिला । एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला जो इस
बात की पहचान करता हो कि वहाँ फ़िल्म यूनिट के लोग आये होंगे । अलबत्ता हवेली के दरवाजे पर एक बड़ा
सुराख जरूर था, जिसके जरिये कोई भी आदमी अंदर-बाहर जा सकता था |

"हम इमारत से बाहर मूव करने जा रहे हैं ।" एक कमांडो ने सूचना दी ।"

टीम कमांडर ने दूसरे चार कमांडो इमारत में उतार दिये ।

अब चार कमांडो हवेली की इमारत से बाहर खाक छान रहे थे और चार अंदर एक-एक चीज को बारीकी से
देखरहे थे ।

"यह हवेली कब से बन्द पड़ी होगी ?" एक कमांडो ने दूसरे से पूछा ।

"शायद बरसों से ।" दूसरे ने जवाब दिया ।

"नहीं । इसमें कोई रहता जरूर है । देखो तो कितनी साफ-सुथरी है । ऐसा लगता है, आज ही किसी ने
झाड़ू पोंछा लगाया है । वह दोनों एक बैडरूम में थे । फिर अचानक कमांडो नीचे झुका । उसने बेड के नीचे
झांका । उसे एक अधजली सिगरेट मिली । उसने सिगरेट सूंघी ।

"सुवफ़ा है इसमें ।" वह बोला ।

"अरे भाई, हो सकता है कोई सुट्टे बाज यहाँ आकर ठहरा हो । पता नहीं कब की सिंगरेट है !"

ड्राइंगरूम में स्टूल पर एक सिगरेट रखी थी, जो बुझी हुई थी । दो कमांडो किचन और मास्टर बाथरूम में भी
गये. । पर वहाँ भी कोई सूत्र हाथ नहीं लगा । उन्होंने स्टोररूम भी छान मारे । एक कमरे में ताला पड़ा हुआ
था |

"इसे तोड़े ?" एक कमांडो बोला ।

"नहीं । इसकी जरूरत नहीं  ।" दूसरे ने उत्तर दिया, "क्या पता इसमें हवेली वालों का जरूरी सामान रखा
हो ।"

एक कमांडो ने सूचना दी ।

"सर, हवेली में एक लोहे का गेट है, जो बन्द और किसी भी तरह खुल नहीं रहा है ।"

"हो सकता है, वह बाहर से बन्द हो. ।" कमांडर बोला, "जब हवेली में कोई है ही नहीं तो गेट तो बाहर से
ही बन्द होगा ।"

"हम बाहर कैसे  निकलें । चारदीवारी बहुत ऊँची है ।"

"बाहर कुछ मिला ।"

"कुछ नहीं सर !" यहाँ कोई नहीं है ।"

ओके, ऊपर आ जाओ | अंदर भी कुछ नहीं है ।"

ओके सर, आते हैं ।"

तभी एक कमांडो आया और बोला, "यहाँ दो रूम भी बने हैं. । शायद वह सर्वेट क्वार्टर है. । वहाँ भी कोई
नहीं है । अलबत्ता कुछ सामान जरूर पड़ा है ।"

तीसरा कमांडो हवेली के चारों तरफ राउंड लगा रहा था. । वह जनरेटर रूम में पहुँचा  । जनरेटर बन्द था ।
जनरैटर में तेल पड़ा था, जो बिल्कुल समाप्त हो गया था. । पास ही एक डीजल की बड़ी केन पड़ी थी । उसने
केन को उठाया और उसमें तेल चेक किया | केन पूरी तरह खाली थी |
वह जनरेटर रूम से बाहर आ गया. । जनरेटर रूम से डीजल की गंध महसूस हो रही थी । ऐसा तभी होता है
जब उसे चलाया गया हो और तेज खत्म होने की वजह से वह खत्म हो गया हो । हालांकि वह ऑफ था, फिर
गन्ध क्यों आ रही थी ?

कमांडो के एक भाई का जनरेटर का ही काम था, इसीलिये उसे जानकारी थी कि तेल खत्म होने पर जनरेटर तेल
फेंकता है और उसकी गन्ध काफी देर तक बरकरार रहती है । वह आगे बढ़ गया । दूसरा कमांडो दूसरी साइड से
मूव कर रहा था. | वह चलते-चलते एक जगह रुका । उसे कुछ नजर आया । धूल-मिड्री के नीचे कोई चीज
पड़ी थी । उसने फूँककर, धूल हटाकर वह चीज उठायी । वह एक मोबाइल फोन था । उसने इधर उधर देखा,
फिर ऊपर देखा । उसे एक चबूतरा नजर आया. । वह चबूतर पर खड़ा हो गया. । अब वह एक रोशनदान से
अंदर झांक रहा था. । यह किचन का रोशनदान था । वह नीचे उतर गया |

थोड़ी देर में दूसरा कमांडो चक्कर लगाता उसी के पास आकर रुक गया |

"यह मोबाइल फोन मिला है ।" उसने अपने साथी को बताया |

"चीफ को सूचना दे दो ।" दूसरा बोला ।

वायरलेस ऑन करके उसने चीफ को कनेक्ट किया और मोबाइल के बारे सूचना दे दी. । उन्हें इस मोबाइल
फोन के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला । दोनों टीम छत पर पहुँच गयी । कमांडो ने मोबाइल फोन चीफ के हवाले
कर दिया । लेकिन फोन ऑन नहीं हुआ । वह चार्ज नहीं था । उसे ऑन करने के लिये चार्जर की जरूरत थी ।

"मेरे ख्याल से हमें इस गाँव के घरों को भी देखना होगा । "चीफ ने कहा, "आठों कमांडोज यह सर्च करेंगे ।
दोनों हेलीकॉप्टर टेकऑफ किया जाये ।"

कमांडोज फुर्ती के साथ हेलीकॉप्टर में बैठ गये । हेलीकॉप्टर ने बारी-बारी टेकऑफ किया ।

गुफा का द्वार झाड़-झंखाड़ से बन्द कर दिया गया था. । गुफा की स्थिति बता रही थी कि वहाँ कोई रहता
है । उसमें कुछ सामान पड़ा हुआ था |

एक-दो झरोखों से रोशनी अंदर आ रही थी । गुफा में एक चटाई पड़ी थी । एक स्टोव रखा था और कुछ
बर्तन भी पड़े थे । इसके अलावा एक पुराना सा ट्रांजिस्टर भी पड़ा था. । विलाशा ने ट्रांजिस्टर का एक बटन
दबाया |

अरे, यह तो किसी का रिकॉर्ड किया टेप चालू हो गया ।" विलाशा ने चौंककर कहा ।

"मैं गोलू हूँ । एक अदना सा बौना, जिसे हर किसी ने दुत्कार दिया । मैं किसी का प्यार पाने के लिये भटकता
रहा. । जब मैं नहीं रहूँगा तो दुनिया में मेरी आवाज रहेगी । मेरी दास्तान रहेगी । इस बात का अहसास होगा
कि प्यार क्‍या होता है । मैं अलग हूँ । मुझे नहीं मालूम मेरे माँ-बाप कौन थे । जब मैंने होश संभाला तो एक
मिखारन की गोद में खुद को पाया । उसी ने मुझे बताया कि उसने मुझे कचड़े के ढेर में पाया था. । मिखारन ने
ही मेरी परवरिश की  । मैं वहाँ से भाग गया । बरसों-बरस न जाने कहाँ से कहाँ भटकता रहा । फिर एक गाँव
पहुँचा, फिर वहीं का होकर रह गया. । इस गाँव में एक खूबसूरत, गुड़िया जैसी लड़की रहती थी जिसका नाम
गौरी था. । जाने-अनजाने मैं गौरी से प्यार कर बैठा । यह एक-तरफा प्यार था । वह तो जानती भी नहीं थी कि
एक पुरुष जब हमउप्र लड़की से प्यार करता है तो प्यार के मायने क्या होते हैं ।"

गहरी-गहरी साँसों की आवाजें सुनाई दी । फिर गोलू ने आगे कहा, "फिर वह भी मुझे बहुत पसंद करने
लगी । मैं बौना था और शक्‍्ल-सूरत भी बदसूरत थी । भला कौन मुझे प्यार करता । पर गौरी अक्सर मेरे झोंपड़े
में आ जाती । कभी-कभी खाना भी ले आती थी । कभी मिठाई ले आती थी । फिर एक दिन पता चला कि
उसका विवाह होने वाला है. । मेरे दिल पर छुरियाँ सी चल गयी | मैंने अपनी दास्तान इसलिये रिकॉर्ड की है
ताकि मैं दुनिया में न रहूँ तो लोग जान सकें कि हवेली में क्या हुआ । गाँव विक्रमगढ़ कैसे गैर आबाद हुआ |
गौरी को दुल्हन बनाकर विक्रमगढ़ में लाया गया था और वहीं की रस्म के अनुसार हर दुल्हन के साथ पहली रात
वहाँ का जमींदार बिताता था. । सभी दुल्हनें चुपचाप यह जुल्म सह लेती थीं  । लेकिन गौरी ने उसका विरोध
किया । मैं भी इस बारात की बस की छत पर बैठकर विक्रमगढ़ पहुँच गया था । फिर मैंने भी वह नजारा देखा ।
गौरी के दूल्हे ने विरोध किया तो उसे हवेली के प्रांगण में ही अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । मैं गौरी की आबरू
न बचा सका | मैंने कोशिश तो की थी, पर मुझे भी मारपीट कर हवेली के लठैतों ने बाहर फेंक दिया । उस
रात हवेली में गौरी की चीखें गूँजती रहीं  । जमींदार के परिवार का कोई सदस्य उस वक़्त वहाँ नहीं था । उन्हें
इस दौरान दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था । फिर मुझे पता नहीं चला कि गौरी का क्या हुआ । बहुत सी
अफवाहें सुनी, पर मैंने गौरी को जिंदा नहीं देखा । कोई कहता, वह मर गयी । किसी ने उसे एक पगली के
रूप में देखा । मैं विक्रमगढ़ में ही रहने लगा । मुझे गौरी का इंतकाम लेना था । मुझे इस हवेली को ही नहीं,
पूरे गाँव को गिराना था । क्यों उन सब बारातियों ने यह जुल्म होने दिया । उसके कुसूरवार गाँव वाले भी थे ।

कुछ देर के लिये गोलू की आवाज बन्द हो गयी । विलाशा ने विलाशा ने टेप रोककर मधुर की तरफ देखा ।

"क्या यह हैरानी की बात नहीं कि तुम्हारा मोबाइल फोन तुम्हारे पास सलामत रहा, जिसके जरिये मैं तुम तक
पहुँच सकी | मैंने सभी के फोन ट्राई किये पर सबके ही स्विच ऑफ थे, तुम्हारे नहीं ।"

"मैंने उसे बहुत ऐतिहात से शर्ट के अंदरूनी हिस्से में रखा हुआ था. ।" मधुर ने जवाब दिया और जो कुछ भी
हवेली में गुजरा, मैं सबका वीडियो बनाता रहा । इसलिये मैं उसे हमेशा अपने पास रखता था ।"

"मुझे भी यहीं अंदेशा था. । मैंने तुम्हें वीडियो रिकॉर्डिंग करते देखा था, जब तुम मुवन की लाश देखने गये
थे और मैं खिड़की से देख रही थी | बौने ने तो यही समझा कि तुम मर चुके हो, लेकिन मुझे तुम्हारे जीवित होने
की उम्मीद थी ।"

"इसका मतलब, इस गुफा में तुम पहले भी आई हो ?" मधुर ने पूछा ।

"हाँ, वह मुझे दुल्हन बनाकर इसी गुफे में लाया था. । इसे तराशकर बनाया गया है । इसके भीतर भी एक
हिस्सा है, जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीनों और कंप्यूटर सिस्टम से लैस है । उसी के जरिये सारे सिस्टम को
कंट्रोल किया जाता था. । जैसे इस इलाके में फोन ब्लॉक करना, नेट ब्लॉक करना । शायद यहाँ जगह-जगह
जम्पर फिक्स थे । मैंने ब्लॉकिंग खोलकर तुम्हें फोन किया और अब्बास को भी फोन किया । क्योंकि आखिरी
वक़्त मैंने तुम दोनों को जिंदा देखा था । अब्बास का फोन तो स्विच ऑफ था, अलबत्ता तुम्हारा फोन लग गया |

"मैं देख रहा हूँ, तुम्हारी आवाज में किसी किस्म का खौफ नहीं है और तुम दुल्हन के इस जोड़े में स्वर्ग से उतरी
अप्सरा लग रही हो ।"

"चलो, इसी बात पर मैं तुम्हारे लिये चाय बनाती हूँ । मैंने उस बौने को खत्म कर दिया । अब उसका कोई
खौफ नहीं ।" विलाशा स्टोव जलाने लगी ।

"पर तुमने सड़क पर तो कुछ और ही बात कही थी ।"

"यही न कि बौना हमें मार सकता है । मैंने ऐसा इसलिये कहा ताकि तुम्हें यहाँ ल सकूँ । क्योंकि यही सबसे
सुरक्षित जगह है ।"

"हम हवेली की तरफ भी जा सकते थे । वहाँ शायद रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है । वे लोग हमें ही तलाश
रहे होंगे ।"

"बहुत मुश्किल में पड़ जाते हम । वे हमसे लम्बी पूछताछ करते । हमें उन सब लोगों का मुजरिम भी ठहराया
जा सकता था. । हम यह साबित ही नहीं कर पाते कि वहाँ कोई बौना था ।" विलाशा ने बर्तन में चाय के लिये
चम्मच रख दिया था, "यहाँ खाने-पीने का सारा इंतजाम है ।"

"लेकिन उस बौने ने ऐसा किया क्यों 7"

विलाशा ने टेप आन करने का इशारा किया |

मधुर ने टेप आन किया ।

के के की

गाँव में कमांडोज को उतार दिया गया था. । आठों कमांडोज अब प्रत्येक घर की खाक छान रहे थे ।
हेलीकॉप्टर वापस हवेली की छत पर लैंड हो गये और कमांडर दूरबीन से सारी गतिविधि देखता रहा ।

एक-एक घर की तलाशी ली जा रही थी ।

सभी घर के दरवाजे चौपट खुले थे । किसी भी घर में कोई इंसान नहीं था |

कुछ मकानात खंडहर में तब्दील हो चुके थे । उन्होंने सारे मकानों की गहन तलाशी ली । मकानों में कुछ
पुराना काठ-कबाड़ पड़ा हुआ था. । वहाँ कौन लोग रहते थे, इसकी पड़ताल में कोई नतीजा नहीं निकला |
किसी का भी कोई शिनाख्ती कार्ड नहीं मिला । इसीलिये यह जानना मुश्किल था कि इन मकानों के स्वामी कौन
थे | कमांडोज तीन घण्टे तक छानबीन करते रहे । आसपास का इलाका भी देखा, जहाँ से पानी की सप्लाई
थी. । वह टैंक भी देखा । सोते का पानी टैंक में भरता था, फिर पूरे गाँव को पानी की सप्लाई दी जाती थी ।
कमांडोज को खाली हाथ लौटना पड़ा । वे हवेली के मेन गेट तक आये, पर गेट पर बाहर से कोई लॉक नहीं था ।
ऐसा लगता था, बरसों से उसे किसी ने खौला ही नहीं  । उन्होंने वह सड़क भी छानी, जिसका आखिरी छोर हवेली
तक गया था, पर कुछ हाथ नहीं आया । उनका सिग्नल मिलते ही कमांडोज को रस्सी के जरिये ही हेलीकॉप्टर में
चढ़ाया गया. । उसके आधे घण्टे बाद दोनों हेलीकॉप्टर वापस लौट गये । टीम कमांडर की जेब में वह मोबाइल
रखा था, जो बन्द पड़ा था. । फिलहाल उसे चार्ज नहीं किया सकता था । यह उनकी एकमात्र बरामदगी थी ।

कि को कि

विलाशा कुछ बिस्कुट के पैकेट भी अंदर से ले आयी । मधुर चारपाई पर बैठा टेप सुन रहा था ।

"उसके बाद मैंने एक फैसला लिया | गाँव की टंकी में जहर घोल दिया, जहाँ से पूरे गाँव की सप्लाई जाती
थी ।" गोलू की आवाज टेप पर गूँज रही थी, "सब लोग उस जहरीले पानी की वजह से मारे गये । उसके बाद
मैं हवेली में घुस गया । वहाँ मुझे बेशुमार दौलत मिली  । इसी दौलत से मैंने एक कंपनी खड़ी कर दी, जिसका
नाम जी कंपनी था. । एक गिरोह तैयार किया । इस गिरोह का काम यह था कि जो भी इस सड़क पर आयेगा,
वह जिंदा वापस नहीं लौट पायेगा । हवेली के खजाने की तलाश में चोर-उचक्के आते थे लेकिन कोई भी जिंदा
वापस नहीं लौटता था. । हमने अफवाह फैला दी कि यह मूतों का गाँव है. । उसके बाद प्रशासन ने इसे वर्जित
एरिया घोषित कर दिया और सड़क पर परमानेंट बैरियर लगा दिया गया | मैंने कुछ काम और किये । हवेली
के प्रमुख गेट की शक्ल बदलकर उसे इलेक्ट्रॉनिक बना दिया, जो रिमोट से खुलता बन्द होता था. । हमने यहाँ
बहुत सी गुफाएँ अपनी रिहाइश के लिये बना डाली । हवेली में सिर्फ मैं रहता था । वैसे मेरी भी एक गुफा थी,
जहाँ से पूरा सिस्टम कंट्रोल होता था. । सड़क पर गाँव में और हवेली में जम्पर लगा दिये गये थे । ताकि फोन
का कोई नेटवर्क यहाँ काम न करे । एक दिन मैं टीकमगढ़ में एक फ़िल्म देखने पहुंच गया और फ़िल्म की हीरोइन
विलाशा को देखकर मुझे लगा गौरी है । शत-प्रतिशत गौरी । हालांकि वह उसके लिहाज से बड़ी हो गयी थी,
पर मैं उसे पहचान गया ।

अब मैंने मुम्बई के लिये प्रस्थान किया । मैं विलाशा से मिलना चाहता था, पर. अपॉर्टमेंट नहीं मिला |
तब मैंने जी कंपनी का विस्तार किया और फिल्मों को फाइनेंस करने लगा ।"

गोलू रुक-रुककर बोल रहा था ।

'गैंने वहाँ भी एक टीम बना ली और फिर उस फिल्म को फाइनेंस करने लगा जिसमें विलाशा को हीरोइन लिया
जाता था. । उसके बाद मैंने विलाशा की निजी जिंदगी खंगालने के लिये जासूसों की मदद ली । वह कहाँ से
आयी थी, उसका फैमिली बैकप्राउंड क्या था. ? कैसे उसने अपना फिल्‍मी कैरियर शुरू किया ? कौन-कौन
लोग उसके सम्पर्क में आये ? यह सब जानकारियाँ मुझे मिलने लगी । तब मुझे पता चला कि विलाशा को
एक मेकअप पैन मुंबई लेकर आया था । उसके फैमिली बैकप्राउंड की कोई जानकारी नहीं मिली । मेकअप
मैन चोटी वाला ने कभी जुबान नहीं खोली और किसी को नहीं बताया कि वह विलाशा को कहाँ से लाया था ।
सिर्फ वही एक शख्स इस बारे में जानता था. । उसने सबसे पहले विलाशा को अपनी रखैल बनाकर रखा और
महीनों तक अपने पास रखा । तब मुझे पता चला कि यह फिल्‍मी दुनिया गंदगी का सबसे बड़ा ढेर है. । चरस-
गांजा, सुल्फा, हैश वीड सब साले नशेड़ी, जो औरत को सिर्फ सेक्स का जरिया समझते थे । उन्होंने न जाने
कितनी लड़कियों की जिंदगियाँ बर्बाद की होगी । कुछ कोठे पर पहुँची होंगी । कुछ होटलों में सप्लाई होती
हैं । हजारों लड़कियों की यही कहानी हैं. । जो हीरोइन का सपना संजोये मुम्बई आयी थीं, उनमें से कुछ सफल
भी हुई । परन्तु अपने जिस्म से फिल्‍मी लोगों के बिस्तर गरम करने के बाद । विलाशा के साथ भी ऐसा ही हुआ
था. । पायल ने उसे सबसे पहले खन्ना की फ़िल्म दिलवायी । वह पायल ही थी जो उसे खन्ना के पास लेकर
गयी । वह एक तरह से विराट खन्ना की दलाल थी । विराट ने विलाशा को अपने बिस्तर की जीनत बनाकर उसे
हीरोइन के रूप में लांच कर दिया. । उस फिल्म को भी हमारी कंपनी ने फाइनेंस किया, जो बुरी तरह फ्लॉप हो
गयी और हमारी रकम डूब गयी । उसके बाद खन्ना ने विपुल से फाइनेंस करवाया और विपुल ने भी हीरोइन को
अपने बिस्तर पर सजाया । डायरेक्टर अब्बास को लिया गया । तब उसने भी विलाशा की बैंड बजायी । वह
फ़िल्म किसी कारणवश शुरू नहीं हो सकी । डॉक्टर बासु, विलाशा का भी डॉक्टर था. । उसने भी विलाशा को
एक फ़िल्म में साइन करवाया और विलाशा क खूबसूरत जिस्म को भोगा । विलाशा अब इसकी आदी हो चुकी
थी | मेरी एजेंसी इसी काम पर लगी थी । हमने उन सबकी एक लिस्ट बना ली, जिन्होंने प्रमुख रूप से विलाशा
का शोषण किया था, क्योंकि मुझे यकीन था, वह गौरी ही है ।

फ़िल्म हमारी टीम ने एक स्क्रिप्ट तैयार की । हम उस स्क्रिप्ट पर कुछ खर्चा भी करने वाले थे. । हमने
प्रोड्यूसर के रूप में विराट खन्ना को चुना और उसे हमारे मैनेजर ने बताया कि जी कंपनी उन्हें क्या-क्या सुविधा
देगी । लोकेशन का सारा खर्चा उठायेगी । अपनी गाड़ियाँ प्रोवाइड करायेगी । उसका पूरा खर्चा उठायेगी ।
ट्रांसपोर्टेशन पूरा हमारा होगा । कहानी और लोकेशन हम तय करेंगे । मैं कभी किसी के सामने नहीं आया और
न विलाशा से मिला | उसका पूरा सच केवल चोटी वाला जानता था |

मेरा यकीन पुख्ता हो गया कि वह गौरी ही है, जिस गौरी को मैं बेइंतहा प्यार करता था । उसे हीरोइन बनाने
के लिये किस-किसने बिस्तर गर्म किये  । उन सबकी काली सूची मैंने तैयार कर ली । उनमें से कुछ को मैंने
अपनी कम्पनी में डूबने पैसे देकर हायर कर लिया । जैसे सुलेमान का ट्रक हायर किया, जो प्रोडक्शन वालों के
लिंये काम करता था. । शंकर ने भी गौरी को नहीं छोड़ा था. । जिंतेश भी उनमें से एक था. । हमने खन्ना से
कहा कि यूनिट हम तैयार करेंगे और वह मान गया क्योंकि वह सड़क पर आ चुका था । जो लोग मारे गए उनमें से
जरूर कुछ निर्दोष थे, लेकिन गेहूँ के साथ घुन भी पीस जाता है । विलाशा का ब्वॉय, मधुर का ब्वॉय, वैनिटी का
ड्राइवर नायडू । यह लोग निर्दोष थे । जब मधुर को हीरो लिया गया तो मधुर की पसंद विलाशा थी, क्योंकि
मधुर पहले भी विलाशा के साथ काम कर चुका था और उसने भी उसे मोगा था ।"

विलाशा ने मधुर की तरफ देखा । मधुर का रिएक्शन गया ।

टेप जारी था, "लोकेशन हमारी कम्पनी ने फाइनल की । विपुल ने बाकी फाइनेंस किया । उसे भी हमने
ही तैयार किया । हमारे बीच एक एप्रीमेंट हुआ कि अगर फ़िल्म में घाटा होता है तो उसकी भरपाई हमारी कम्पनी
करेगी । विपुल इस शर्त पर तैयार हो गया ।

"सबसे पहले मैंने ड्राइवर गुलशन को मारा, क्योंकि वह वापस भाग रहा था और इस बात की संभावना थी
कि वह राज खोल देगा । जैसा जाल बिछाया गया था, सबकुछ फुलप्रूफ प्लान के तहत हुआ | मेरा इरादा
मधुर को सबसे बाद में मारने का था, क्योंकि वह फ़िल्म का हीरो था । हर फिल्म के अंत में हीरो, विलन को
मार देता है, पर मेरी इस फ़िल्म में हीरो को विलन मारने वाला था । मैं उससे आमने-सामने फाइट करके मारना
चाहता था. । हवेली में गुप्त कैमरे लगे थे, जो सारी जानकारी मुझ तक पहुँचाते थे । मुझे पता था कि कौन,
किस कमरे में है और कहाँ, क्या चल रहा है । काम खत्म होने के बाद हवेली की सारी सफाई होनी थी और एक
भी सबूत रहने वाला नहीं था । मेरे गिरोह के लोगों ने कुछ कंकाल भी डिज़ाइन किये जो नाचते थे । हम लोगों
ने पूरी रिहर्सल पहले ही कर ली थी । उसके बाद बारी-बारी सब मारे जाने वाले थे । मैं जानता था कि रेस्क्‍्यू
ऑपेरशन भी चल सकता है । स्थानीय पुलिस हेडक्‍्वार्टर के रेडियो सेट को फ्रीक्वेंसी हमें पता थी । मेरी टीम में
बेहतरीन सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी थे, जिन्होंने इस एरिया में स्थानीय पुलिस का वायरलेस सेट भी ठप कर दिया |

मुझे मालूम था कि इस यूनिट के लापता होने पर बड़े ऊँचे स्तर पर जांच हो सकती है । यहाँ चप्पा-चप्पा
छाना जा सकता था और वे लोग हमारी बनायी गुफाओं तक भी पहुँच सकते थे ।

"मत गाँव का यह नाटक अधिक समय तक नहीं चल सकता था, क्योंकि आज की टेक्निक बहुत एडवांस
है । वे लोग जम्पर का भी पता लगा सकते हैं, जिनसे फोन ब्लॉक हो सकता है । मेरे प्लान के अनुसार यह सब
सबूत भी नष्ट करे थे । गुफाएँ तो मिलती, पर उनमें कोई सामान नहीं मिलता । जी कम्पनी तो सिर्फ फाइनेंस
का काम करती थी । उसके सिवाय कोई सबूत नहीं मिलता । कम्पनी केवल फ़िल्म आखिरी सड़क फाइनेंस

कर रही थी । लोकेशन खन्ना ने हमारे कहने पर फाइनल की थी और हमने खन्ना को समझाया था कि जब तक
फ़िल्म पूरी नहीं हो जाती, लोकेशन आउट नहीं होनी चाहिये । वरना कोई और उस शानदार लोकेशन यानी पतली
घाटी का यूज़ कर लेगा । खन्ना ने यह बात गोपनीय रखी थी । डायरेक्टर अब्बास के अतिरिक्त किसी को पता
नहीं था कि लोकेशन कहाँ है । सुलेमान को इसकी जानकारी थी, क्योंकि उसे यूनिट के काफिले को लीड करना
था. । प्रोडक्शन का दूसरे आदमी दीपक को आखिरी समय में जानकारी दी गयी थी और उसे प्रोडक्शन टीम के
साथ पहले ही रवाना कर दिया गया था. । दीपक ने आसपास की लोकेशन की जानकारी भी हासिल कर ली
थी और उसे आखिरी सड़क की जानकारी मिल गयी थी, जो स्थानीय लोगों ने उसे बताई थी । ड्राइवर सुलेमान
को हमने गाइड लाइन दी हुई थी कि वह अपना ट्रक किस तरफ ले जायेगा । तब तक उसे भी पता नहीं था
कि आखिरी सड़क पर जाने वाला जिंदा वापस नहीं आता । उसे यह बताया गया था कि वह पतलीधारी तक
पहुँचने का शॉर्ट कट रास्ता है ।" टेप कुछ देर तक सर-सर करता था, जिसका मतलब था कि गोलू ने कुछ देर
तक साँस ली होगी |

"प्लान के अनुसार वैसा ही हुआ जैसा मैंने सोचा था । मुझे इस चीज का आभास था कि ट्रक में आग लगाने
के बाद सुलेमान भड़क जायेगा । वह राज खोल सकता था, इसलिये सबसे पहले उसे ही ठिकाने लगाने का प्लान
था | दूसरा प्लान, चोटी वाला को मारना था, क्योंकि वह विलाशा की असलियत जानता था । वह जानता था
कि विलाशा ही गौरी है, इसीलिये उसने तंत्र-मंत्र का ड्रामा किया | मेरे गैंग का इस्तेमाल तभी तक था जब तक
गौरी से मेरा विवाह नहीं हो जाता ।

विवाह के बाद मुझे एक काम और करना था । वह काम था, अपने गिरोह का खात्मा करना । क्योंकि उनमें
से कोई भी कानून की गिरफ्त से जा सकता था । विवाह के अवसर उनके लिये दावत का इंतजाम था. । यहाँ
एक बड़ी गुफा भी है, जहाँ सब बैठ सकते हैं । दावत का इंतजाम उसी गुफा में रखा गया । उनकी मौत के बाद
मुझे पत्थरों से गुफा का मुख बन्द करना था. । उनकी लाशें गुफा में ही सड़-गल जातीं  । मुम्बई में जो टीम जी
कम्पनी के लिये काम करती थी, उनमें से मुझे सिर्फ एक शख्स जानता था, जो कम्पनी का मैनेजर था, लेकिन
उन लोगों को इस प्लान की जरा भी भनक नहीं थी । मैं उस मैनेजर को खत्म करने के बाद ही यहाँ आया था ।
उसकी मौत एक कार एक्सीडेंट में हुई थी । मैंने ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा कि कानून मुझ तक पहुँच सके ।
कम्पनी के सारे पेपर्स फर्जी थे । उसके मैनेजर के ही दस्तखत होते थे । हर जगह उसी ने डील की थी । मैं उस
प्लान को खत्म करने के बाद अपनी गौरी के साथ एक सादा जिंदगी गुजारना चाहता था । हम दोनों यहाँ से बहुत
दूर निकल जाते । मैं उसे लेकर अपने उस पुश्तैनी गाँव चला जाता, जहाँ एक मिखारन ने मेरी परवरिश की थी ।
वह मेरी माँ नहीं थी । उसने मुझे कूड़े से उठाया था, पर मैंने उसे अपनी माँ का दर्जा दिया था । वह मुझसे बहुत
प्यार करती थी । वह सकता है, आज भी उसकी माँ की आँखें अपने गोलू का इंतजार कर रही होंगी । जब मैं
दुल्हन के साथ वहाँ जाऊँगा तो वह कितना खुश होगी ! मुझे मालूम है, वह अब भी जिंदा है. । अब वह मीख
नहीं माँगती । एक मंदिर की चौखट पर पड़ी रहती है । गौरी, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ ।"

टेप के अंत में माउथ ऑर्गन की वही घुन सुनायी दी ।

'बहुत प्यार करते हैं, तुमसे सनम ।'

टेप बन्द हो गया ।

सर्च ऑपेस्शन की टीम वापस लौट गयी थी । उनके पास सबूत के तौर पर अगर कोई चीज थी तो वह
मोबाइल फोन था । फोन को चार्ज किया गया । फोन के स्टॉरेज में बहुत से वीडियो और कुछ रिकॉडिंग मौजूद
थी । उस फोन से एक नम्बर पंच करके पूछा गया कि यह फोन किसका है । पता चला कि फोन डॉक्टर बासु
का है । उस फोन से बहुत से नम्बरों पर फोन किया गया । कुछ नम्बर तो मिली ही नहीं । फिर एक जगह होम
से नम्बर सेफ किया गया था |

टीम कमांडर ने वही नम्बर पंच किया । फोन रिसीव हो गया ।

"हेललो !" किसी औरत का स्वर सुनाई दिया, "आप कहाँ हो. ? मैं लगातार फोन कर रही हूँ । फोन
मिलता ही नहीं  ।"

"सारी ! मैं डॉक्टर बासु नहीं हूँ । हमें उनका फोन एक ऐसी जगह मिला जहाँ सर्च चल रही है ।"

"क्या मतलब ?" पूछा गया, "बासु कहाँ है ?"

"अभी हम कुछ कहने की स्थिति में नहीं है । क्या आप बता सकती हैं कि डॉक्टर बासु कहाँ के लिये रवाना
हुए थे 7"

"वह शूटिंग पर गये हैं. । खन्ना साहब के फैमित्नी डॉक्टर हैं । खन्ना साहब उन्हें अपने साथ आउटडोर शूटिंग
पर ले गये हैं । जहाँ उनकी कोई फ़िल्म शूट होने वाली है । पर बात कया है ? यह फोन...  ।"

ओके ! फ़िल्म की लोकेशन कहाँ थी ? क्या आप बता सकती हैं ?"

"टीकमगढ़ में कोई पतली घाटी है ।"

"उनका आपको आखिरी फोन कब मिला 7"

"शायद तीन-चार रोज हो गये हैं ।"

"फोन पर क्या बात हुई ? कुछ बताया था उन्होंने ?"

"वह खुश नहीं थे । और बता रहे थे कि बहुत शानदार लोकेशन हैं । पर हुआ क्या ? वह कहाँ हैं ?"

"फिलहाल हम कुछ भी बताने की पोजीशन में नहीं है ।"

"आप कौन बोल रहे हैं ?"

"मैं सर्च ऑपेरशन की टीम का इंचार्ज राघव बोल रहा हूँ । बासु का फोन हमें सर्च ऑपेरशन के दौरान
मिला. । हम उन्हें तलाश कर रहे हैं. । और जल्‍दी ही आपको कोई सूचना देंगे ।"

कहावत है कि मुजरिम चाहे जितना भी शातिर हो, अपने पीछे कोई न कोई सबूत जरूर छोड़ जाता है । यह
एक ऐसा पुख्ता सबूत था, जिससे पता चलता था कि डॉक्टर बासु उसी हवेली में है और अगर वह वहाँ था, तो
खन्ना भी वहीं था । मुमकिन है, यूनिट के दूसरे लोग भी वहाँ मौजूद रहे होंगे । फिर उन सबके साथ क्या हुआ ?

तुरंत राजधानी से एक दूसरी टीम तलब की गयी । किसी शार्प डिटेक्टिव की जरूरत थी और फॉरेंसिक
डिपार्टमेंट वालों की भी जरूरत आन पड़ी थी । धड़ाधड़ फोन की घण्टियाँ बजने लगी ।

उच्च अधिकारियों की टीम दो घण्टे बाद बुलाई गई  । उनमें टीकमगढ़ का पुलिस कमिश्नर और
एस०्एच०ओ० पाण्डे भी शामिल था. । वह विभाग के अधिकारी भी थे । सारा मसला चीफ कमांडर इस उनके
सामने रखा ।

"क्या कहते हैं आप लोग ? क्या उस गाँव में भूत प्रेत रहते हैं. ? अगर वहाँ जाने वाला कोई जिंदा वापस
नहीं लौटता तो फिर हम कैसे लौट आये  ?"

सबने अपने-अपने विचार रखे परन्तु अधिकांश के विचार यही थे कि भूत-प्रेत का अस्तित्व नहीं होता । चूँकि
उस सड़क पर पहले भी दुर्घटनाएं घट चुकी थी, इसीलिये सड़क को ब्लॉक कर दिया गया था ।

"रास्ते में एक बीएमडब्ल्यू का एक्सीडेंट हुआ है और एक मर्सडीज का भी । मिस्टर पाण्डे, आपने आगे
छानबीन क्यों नहीं की । अगर आप उसी समय फ़ोर्स के साथ आगे बढ़कर हवेली में पहुँच जाते तो बहुत सी जाने
बच सकती थी ।"

पाण्डे सकपका गया ।

"जवाब दीजिये ।" चीफ कमांडो ने पूछा ।

"वहाँ बीएमडब्ल्यू कुछ इस तरह तिरछी हो गयी थी कि आगे जाना सम्भव नहीं था ।"

"क्या उसे हटाया नहीं जा सकता था. ?" चीफ ने नागवार स्वर में कहा ।

पाण्डे खामोश हो गया ।

"आप पर विभागीय कार्यवाही होनी चाहिये । आप जैसे पुलिस ऑफिसरों को सस्पेंड कर दिया जाना
चाहिये ।" चीफ गरजा ।

"मैं इसका समर्थन करता हूँ ।" पुलिस कमिश्नर बोला, "इन्होंने तो मुझे रिपोर्ट दी थी कि सब खाई में समा
गये ।"

"तो कया वे हवेली में... ।" वन अधिकारी कहते-कहते रुक गया ।

"सबूत है हमारे पास कि सिर्फ पाँच लोग वैनिटी में मारे गये थे । लेकिन उनकी कुल संख्या पाँच नहीं,
इक्कीस थी. । एक लाश बैरियर के पास मिली तो बाकी के पंद्रह लोग कहाँ चले गये ? जमीन खा गयी
या आसमान निगल गया । उन पंद्रह हीरो-हीरोइन, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, कैमरामैन, मेकअप मैन, फाइनेंसर,
प्रोडक्शन इंचार्ज सब लोग शामिल थे । यह फोन साबित करता है कि उन पंद्रह लोगों की टीम हवेली तक पहुँच
गयीथी ।"

"क्या आप इस फैसले पर पहुँच गये हैं कि वे सब मर चुके हैं ?” पुलिस कमिश्नर ने सवाल किया |

"जब तक उनके शव नहीं मिल जाते तब तक इस पर मुहर लगाना उचित नहीं होगा, लेकिन इतना तय है कि
वे लोग हवेली तक पहुँच गये थे । डॉक्टर बासु अकेला तो वहाँ न जाता । लेकिन इस मोबाइल में कुछ वीडियो
फुटेज भी हैं, जिससे पता चलता है कि वे लोग हवेली में पहुँचे । एक तो हवेली के ड्राइंगरूम का सीन है, जिसमें
कुछ लोग बैठे हैं । एक बात शुरुआती जाँच में साफ हो जाती है कि 22 लोगों की यूनिट इस सड़क की तरफ
मुड़ गयी थी । अलबत्ता बस को बैरियर ने रोक दिया था, जो पटलीघाटी पहुँच गयी । छः शव हमने बरामद
किये । बाकी पंद्रह कहाँ गये!"

इसका जवाब किसी के पास नहीं था ।

"और सबसे बड़ी बात यह है कि हवेली में जो लोहे का गेट है, वह इलेक्ट्रॉनिक गेट है. । उसे किसी रिमोट से
ही खोला और बन्द किया जा सकता है ।"”
"मेरे ख्याल से हमें एक टीम बार्ड रोड हवेली की तरफ रवाना करनी चाहिये ।" पुलिस कमिश्नर ने कहा, "वह
टीम सड़क के आसपास भी देखती चले ।"

"और अगर खोजी कुत्तों की व्यवस्था हो जाये तो बेहतर होगा ।" यह प्रस्ताव वन अधिकारी ने रखा ।

इस पूरी मीटिंग की रिकॉडिंग और सुझाव केंद्र को मेज दिये गये ।

वैसे भी केंद्र पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री का दबाव था लेकिन सरकारी तंत्र ने तो पहले ही रेस्क्यू ऑपेरशन चलाकर
खानापूर्ति कर दी थी । इस केस में अधिक गुंजाइश न देखते हुए केंद्र ने दूसरी टीम और खोजी कुत्ते मेजने के
प्रस्ताव को खारिज कर दिया | रेस्क्यू ऑपेरशन से जो रिपोर्ट आई थी । उसे ही फाइनल समझा गया । बासु
का मोबाइल फोन फोरेंसिक जांच के लिये भेज दिया गया ।

किंतु डॉक्टर बासु की पत्नी ने हंगामा बरपा कर दिया और एक बार फिर फ़िल्म इंडस्ट्री हिल गयी | पंद्रह लोग
कहाँ गये, जो इंडस्ट्री के स्थापित लोग थे । अतः सीबीआई जाँच की माँग की गयी । जवाब मिला कि अभी
स्थानीय पुलिस तफ्तीश कर रही है । उनकी जाँच मुकम्मल होने दी जाये, उसके बाद ही आगे कोई कार्यवाही
होगी ।

कोई भी केस जैसे-तैसे पुराना होता जाता है । उसकी जाँच भी मर जाती है । साक्ष्य मिट जाते हैं और फिर
कुछ नहीं रहता । अदालतों में लम्बे समय तक मुकदमें चलने का अर्थ है, न्याय नहीं, अन्याय । तब तक तो
सिनेरियो ही बदल जाता है । आत्मनिर्भर देश की और यह कड़वा सच है ।

प्रश्न यह उठता है कि जब सब कुछ ही खत्म हो गया तो फिर अब कानून किसे गिरफ्तार करेगा ।

"इतना खौफनाक मुजरिम इतनी आसानी से मारा गया, यकीन नहीं होता ।"

"ऐसे मुजरिम हमेशा या तो औरत के हाथों मारे जाते हैं या औरत के लिये मारे जाते हैं ।" विलाशा ने जवाब
दिया, "आओ  ! मैं तुम्हें उसका पूरा कंट्रोल स्टेशन दिखाती हूँ ।"

मधुर चाय पीने के बाद उठ खड़ा हुआ । उसने विलाशा की कमर में बाँह डाली ।

"आज तुम सचमुच बेहद हसीन लग रही हो । अप्सरा जैसी... ।"

विलाशा चलते-चलते पलटी |

"वैसे भी मैं दुल्हन के जोड़े में हूँ ।"

मधुर ने एक झटके से विलाशा को अपनी बाहों में खींच और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये ।

"जरा रुको तो मेरी जान !" विलाशा ने कहा, "यहाँ एक सुहाग सेज भी है । देखो तो उसने सुहागरात मनाने
के लिये कैसा सजाया है ।"

विलाशा, मधुर को पहले कंट्रोल रूम में ले गयी जहाँ दीवारों पर इलेक्ट्रॉनिक वॉच फिक्स किये गये थे ।

'वहीं से मैंने जम्पर खोल थे और फिर तुम्हें फोन किया था. । उसने मुझे उन यंत्रों की कुछ अहम जानकारी दे
दीथी ।"

"लेकिन इसकी डेड बॉडी कहाँ हैं ?"

"छोड़ो भी । क्या करोगे देखकर | मैंने उसे मिड्ी में दाब दिया । उसके ऊपर एक पत्थर रखकर लिपस्टिक
से लिख दिया, 'आई लव यू गोलू !' विलाशा ने खिलखिंलाकर हँसते हुए कहा ।

फिर विलाशा, मधुर को सुहागकक्ष में ले गयी । उसमें इत्र की सुगंध महक रही थी । सुहागसेज पर फूल
बिखरे हुए थे । बहुत से फूल कुचले हुए थे । एक तरफ गजरा भी बेड पर पड़ा था । बेशक यह सुहाग सेज
पत्थर को तराशकर बनायी गयी थी, लेकिन उसके ऊपर मखमली गद्दे थे । रेशमी चादर थी अंदर दो शमायें रोशन
थीं । एक तरफ स्टूल पर एक प्लेट में मिठाईयाँ रखी थी । उसके पास ही एक सुराहीदार जग रख हुआ था जैसा
आमतौर पर नवाबों के घर मदिरा के लिये रखा जाता है । पिछली दीवार पर रेशमी पर्दा था, जिस पर झूमर लटक
रहे थे । विलाशा ने उन पर हाथ घुमाया तो मधुर घण्टियाँ बजने लगी ।

"क्या दुनिया में कोई इंसान किसी को इस तरह भी प्यार करता होगा !" विलाशा बड़बड़ाई थी ।

"छोड़ो भी । जो बीत चुका, वह बीत गया ।"

"क्या तुमको नहीं लगता कि जो कुछ हुआ वह भयानक सपने जैसा था ? यहाँ पंद्रह लोग आये थे ।"

"पंद्रह नहीं, इक्कीस लोग थे ।" मधुर बोला, पाँच तो वैनिटी में रह गये और एक वापस भाग गया ।"

"क्या वे लोग बच गये होंगे ?" विलाशा ने पूछा ।

"पता नहीं । शायद वह भी किसी हादसे का शिकार हो गये हों  । क्या तुमने उस हरामी बौने से इस बारे में
पूछताछ नहीं की कि जो वैनिटी में थे, उनका क्या हुआ ?"

"नहीं ! पर उसने इतना जरूर बताया कि जो भी इस सड़क पर आ जाता है, वह जिंदा वापस नहीं जा पाता ।
उसने बताया कि सुलेमान के ट्रक में उसने किस तरह आग लगायी थी । दरअसल यह ट्रक जब मुम्बई से रवाना
हुआ था तो उसके फ्यूल टैंक में नीचे एक सुराख कर दिया गया था, जिस पर प्लास्टिक टेप को चिपका दिया गया
था ताकि तेल सड़क पर न बिखर । फिर जब इस सड़क पर उसने ट्रक रोका तो वह ट्रक के नीचे घुस गया और
उस प्लास्टिक टेप को उखाड़कर लालटेन से आग लगा दी  । उसने यह भी बताया कि वह किस तरह हवेली में
आता जाता था. । हवेली के दो रोशनदान ऐसे थे जो खुले थे । वह उसी रास्ते से हवेली की इमारत में आता-
जाता था. । उसने यह भी बताया कि कई साल तक वह हार्ड एक्सरसाइज करके अपने बदन को ठोस और मजबूत
बनाता रहा. । उसके जूतों में स्प्रिंग लगे थे, जिससे वह जम्प मारकर करीब छः फुट उछल सकता था और अपना
कद भी घटा-बढ़ा लेता था. । उसे यह भी पता था कि घाटी में सर्च ऑपेरशन चलाया जायेगा और हमारी तलाश
की जायेगी | मैंने दो हेलीकॉप्टर देखे, जो गाँव के ऊपर चकराते हुए हवेली की छत पर उतर गये  ।"

"फोन कॉल के जम्पर खोलकर तुमने फिर से ब्लॉक क्यों कर दिया?"

"मैंने सिर्फ तुम्हें तलाश करने के लिये उसे अनब्लॉक किया था, क्योंकि उसने तुम्हें जिंदा छोड़ दिया था ।
अब उसकी जरूरत ही क्या है !"

"हम दीपक से बात कर सकते हैं । जो लोग सर्च ऑपेरशन चला रहे हैं और हेलीकॉप्टर से यहाँ आये हैं, उन
तक मैसेज पहुँचाया जा सकता है ।"

"मैं लम्बी पूछताछ से बचना चाहती थी ।"

"पूछताछ तो अब भी होगी और उससे भी लंबी होगी । हम दो ही तो बचे हैं । क्या हम पर शक नहीं किया
जाये ? हमसे पूछा जायेगा कि जब सब कुछ हमने काबू में कर लिया था तो सम्पर्क क्यों नहीं किया | मेरे ख्याल
से बेहतर यही होगा कि हमें उनको सूचना दे देनी चाहिये  ।"

"नहीं, अभी नहीं । अभी कुछ लोग और बाकी हैं । हम सब लोग । जो हवेली में कैद हो गये थे, उनमें से
एक शख्स गुनहगार नहीं था । उसने एक-एक कर सबको ठिकाने लगा दिया । सिर्फ तुम बच गये ।"

"सिर्फ बासु तुम लोगों की गोलियों से छलनी हो गया । अच्छा मधुर, एक बात बताओ ?"

"क्या ?"

"मैं दुल्हन के जोड़े में सजी-संवरी हूँ । पर गोलू मेरे साथ सुहागरात नहीं मना सका | मैं अपने आपको दुल्हन
के रूप में देखकर बहुत भावुक हो गयी हूँ । मुझे अब अहसास हो रहा है कि उस दीवाने आशिंक को नहीं मरना
चाहिये था. । पर अब मैं दूसरा जीवन जीना चाहती हूँ । फिल्मों की गंदगी से बाहर एक साफ-सुथरी दुनिया |
इसी वजह से मैं सर्च ऑपेरशन वालों से सहयोग नहीं कर रही हूँ ।" विलाशा ने गहरी साँस ली । वह सुहाग सेज
पर लेटी हुई थी । मधुर उसके पास बैठा था ।

"मधुर !" वह फिर बोली, "मैंने फैसला किया है कि फिल्‍मी दुनिया की इस गंदगी से बाहर निकलूँगी ।
ग्लैमर की चकाचौंध और दावत से मेरा मन भर गया है ।"

"फिल्‍मी दुनिया से निकलकर क्या करोगी ?"

"ैं अपना एक छोटा सा घर बसाना चाहती हूं ।"

"तो बसा लो, किसने रोका है !"

"मैं शादी करना चाहती हूँ ।"

"वह तो तुम्हारी गोलू से हो चुकी है ।" मधुर ने हँसते हुए कहा, "अगर शादी ही करनी थी तो गोलू कया बुरा
था और तुमने तो फेरे भी लिये । उसने तुम्हारी माँग भी सजाई ।"

"मैं इतनी खूबसूरत और वह उतना ही बदसूरत था. ।"

"लेकिन वह जैसा भी था, उसने मोहब्बत कया चीज होती है, उसकी एक मिशाल पेश की | मैं उसे सेल्यूट
करता हूँ, जिसने तुम्हारे लिये अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया । अपने प्राण भी लगा दिये ।"

"मधुर ! उसकी फिक्र मत करो । मैं... ।" विलाशा ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "क्या तुम मुझसे शादी
करोगे 7"

मधुर ने एक जोरदार ठहाका लगाया ।

"इस हैँसी का क्या मतलब है ?" विलाशा ने पूछा ।

"चील के घोंसले में माँस तलाश कर रही हो ।" मधुर हंसते हुए बोला, "क्या तुम्हें मालूम है, मेरा ताल्‍्लुक
किस घराने से है 7"

"तुम्हारे घराने से मुझे कुछ लेना-देना । मैं तुम्हें पसंद करती हूँ, बस... । हम दोनों कहीं भी अपना घर बसा
लेंगे... ।"

"मं तुम्हें पहले अपने बारे में बताना चाहूँगा  । मेरा ताल्लुक एक खानदानी राजघराने से है । भले ही हमारे
घराने से अब कोई राजा-महाराजा नहीं है, पर मेरे डैडी को लोग राजा साहब ही कहते हैं । मुझे एक्टिंग का शौक
था. । मैंने एनएसडी पास आउट की, पर बात नहीं बनी । मुझे छोटे-मोटे रोल तो ऑफर हुए । टीवी सीरिअल्स
में भी ऑफर मिली, पर मुझे सिर्फ और सिर्फ हीरो बनना था. । एक निर्माता ने मुझसे कहा कि वह मुझे हीरो ले
सकता है, बशर्तें कि मैं बीस करोड़ फाइनेंस कर दूँ  । मैंने यह प्रस्ताव अपने डैडी के सामने रखा । डैडी ने एक
शर्त पर हामी भरी । शर्त यह थी कि मैं कभी भी किसी फिल्‍मी लड़की से शादी नहीं करूंगा । कोई भी फिल्‍मी
हीरोइन हमारे घराने की बहू नहीं बन सकती | मैंने उनकी यह शर्त कुबूल कर ली और इस तरह मैं हीरो बन गया ।
मेरी पहली ही फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई और मेरे कैरियर पर चार चाँद लग गये । मैं अब एक स्टार हूँ ।
मेरी पसंद की वजह से इस फ़िल्म में तुम्हें हीरोइन लिया गया । इसीलिये मैंने यह जुमला बोला कि तुम चील के
घोंसले में मास तलाश कर रही हो ।"

"मतलब कि तुम मेरा प्रस्ताव ठुकरा रहे हो ?”

"अबसल्यूटली, यही बात है ।"

"तुम सब लोग कितने गंदे हो । हो न... । अब भी मुझे उसी नजर से देख रहे हो । जिस्मानी भूख शांत करने
का एक जरिया... । तुम सब लोगों ने मुझे रंडी बना दिया. । मैंने तुम्हारा इम्तेहान लिया. । आखरी सड़क का
आखरी इम्तेहान और उस इम्तेहान में तुम फेल हो गये । पास हो जाते तो मैं तुम्हें जिंदा छोड़ देती ।" विलाशा
का स्वर अचानक गुर्राहट में तब्दील हो गया |

"क्या मतलब 7?" विलाशा ने दुल्हन के सुर्ख जोड़े के ब्लाउज में हाथ सरकाया फिर उसका हाथ बाहर निकला
तो हाथ में माउजर दबा हुआ था |

"हरामजादे, तू मेरा आखरी शिकार है ।" विलाशा एकदम से खड़ी हो गयी और उसने गन मधुर की तरफ
तान दी, "मैंने गोलू से कहा था कि मैं एक इतिहास रचना चाहती हूं । हीरो का खात्मा मेरे हाथों होगा, इसीलिये
उसने तुम्हें जिंदा छोड़ दिया  ।"

"क्या बकवास कर रही हो. ?"

"यह बकवास नहीं है । विलाशा के रूप में तेरे सामने गौरी खड़ी है, जो कभी झूला झूलकर गाया करती थी ।

पीपल की छैया रै,

बाबुल की गलियाँ रै,

छोड़ के जाणा एकदिन

लौट के आणाना |

'गोलू ने जो कुछ किया, मेरे प्लान के अनुसार किया | मैंने इस यूनिट में उन खास लोगों की टीम सेलेक्ट की
जो मेरी बर्बाद जिंदगी का एक वर्का है । चोटीवाला मुझे मुम्बई लेकर आया था. । जब इस हवेली के जमींदार
ने अपनी हवस शांत करने के लिये मेरा खून बहाया था और मुझे वहशी दरिंदों की तरह रौंदा था, तब मैं बहुत बेबस
थी | सुबह उसने मुझे बेहोश हालत में हवेली के बाहर छोड़ दिया | होश में आने के बाद मैं गिरते-पड़ते अपने
गाँव में गयी । जिससे मेरी शादी हुई थी, उसे तो मार दिया था, पर मैं इंसाफ का गुहार लगा रही थी । गाँव के
हर शख्स ने मेरे लिये दरवाजे बंद कर दिये । तब मैंने एक पहाड़ी से कूदकर जान देनी चाही तो चोटी वाला ने मुझे
बचा लिया | मैंने सबकुछ उसे बता दिया ।

उसने कहा कि अगर बदल लेना है तो उसका रास्ता मौत का रास्ता नहीं है। मुझे जीना होगा और एक नयी
जिंदगी शुरू करनी होगी। हवेली की ईंट से ईंट बजाने के लिये ताकत चाहिये और हर ताकत दौलत से हासिल की
जा सकती है। मैंने उसकी बातें मान त्वी और इस तरह उसके साथ मुम्बई चली आयी । मैंने चोटी वाला से कहा कि
वह यहाँ पर मूत-प्रेतों का डर पैदा करेगा। उसने ऐसा ही किया।"

"त... तो क्या... चोटी वाला जानता था कि तुम गौरी हो?" मधुर की आवाज धीमी हो गयी।

"हाँ। वह जानता था। पर उसे यह पता नहीं था कि हवेली में उसकी भी मौत आने वाली है। सबसे पहले
उसी ने मुझे भोगा था। उसी ने मुझे फ़िल्म निर्माताओं से मिलाया। उसी ने मुझे एक फ्लैट दिलवाया था। मैं गौरी
से विलाशा बन चुकी थी। सुलेमान को जी कम्पनी ने हुक्म दिया था कि उसे यूनिट को कहाँ ले जाना है। मेरे ही
कहने पर खन्ना ने काफिले में उस ट्रक को आगे रखा था, क्योंकि सुलेमान वहाँ के सभी रास्ते को वाकिफ था।
उसे यहाँ पहले भेजा गया था, ताकि वह लोकेशन की हर सड़क से वाकिफ हो सके और वह जी कम्पनी जिसका
जिक्र गोलू ने अपने टेप में किया, वह उसकी नहीं, मेरी कम्पनी है, जो अब खत्म हो चुकी है। यहाँ मैं चुन-चुनकर
उन लोगों को लेकर आ गयी, जो मेरी पाकीजा रूह के बदनुमा दाग थे। चोटी वाला से मैंने कहा था कि हम यहाँ
थोड़ा मनोर॑जन करेंगे।

"त... तो तुमने गोलू को क्यों मारा?" मधुर बोला। वह धीरे-धीरे बेड से उठने की कोशिश कर रहा था।

विलाशा, मधुर के सामने गन ताने खड़ी थी। उसके चेहरे पर दहशत और दरिंदगी के भाव थे।

"मैं चुपचाप चला जाऊँगा और किसी को भी नहीं बताऊँगा कि यहाँ क्या हुआ?"

"नहीं, क्योंकि यूनिट की इन्सुरेंस पालिसी में तुम्हारा बीमा दो सौ करोड़ का है। हम सबका बीमा खन्ना ने
करवाया था। मेरा बीमा भी दो सौ करोड़ का है। जिस-जिस को मौत के घाट उतारा गया, उन सबका बीमा करवाया
गया था। वैनिरी में मारे गये पाँचों आदमियों सहित इक्कीस आदमियों का बीमा था और यह हमारी जी कम्पनी के
निर्देश पर हुआ था। उसका प्रीमियर भी हमारी कम्पनी ने भरा था और जानते हो इस बीमे का नॉमिनी कौन था?
जी कम्पनी का एम डी गोलू उसका नॉमिनी है। कुल बीमा दो हजार करोड़ का है। अब अगर हम सबकी मौत एक
दुर्घटना या हत्या मान ली जाये तो दो हजार करोड़ रुपया गोलू को मिलेगा और यदि गोलू भी मर जाता है तो रकम
जी कम्पनी के एकाउंट में चली जायेगी, जिसे मेरी कम्पनी का वारिस उठा लेगा।"

"और वह वारिस कौन है?"

"वह रकम मेरी सेक्रेटरी को मिलेगी। " विलाशा ने उत्तर दिया।

"और तुम्हारी सेक्रेटरी कौन है?"

"गौरी..." विलाशा ठहाका मारकर बोली।

"गौरी...! पर गौरी तो तुम खुद हो। "

"जिस गौरी को चोटी वाला ले गया था, उसकी शक्ल मुझसे काफी हद तक मिलती-जुलती थी। मैंने उसकी
जगह आसानी से ले ली। गौरी को मैंने मुम्बई में एक फ्लैट में रखा हुआ है और वह हर वक़्त मेरी निगरानी में रहती
है।"

अब मधुर ने ठहाका लगाया।

"यह सब बकवास है। तुम ही गौरी हो और तुमने ही एक गौरी को खड़ा किया है। वह भी तुम ही है। तुम्हारी
योजना के अनुसार वह दूसरी गौरी रकम उठा लेगी। फिर गौरी के नाम से पुनः फिल्‍मी पर्दे पएर आ जाओगी और
इंटरव्यू में जाओगी और बताओगी कि विलाशा तुम्हारी जुड़वा बहन थी। लेकिन मेरी जान, आजकल आई डी प्रूफ
के लिये आधार कार्ड का यूज होता है, जिसमें फोटो आँखों की स्कैनिंग और अंगूठा यूज होता है। जो दो इंसानों
का एक जैसा नहीं होगा। जब गौरी के रूप में तुम सामने आओगी तो सारा भेद खुल जायेगा और पता चल जायेगा
कि विलाशा और गौरी एक ही हस्ती है।"

"मेरे नादान हीरो। मेरा आधार कार्ड और आई डी फर्जी। अब तुम्हारी इस बात को कबूल करने में मुझे कोई
एतराज नहीं कि वह गौरी भी मैं ही हूँ, विलाशा भी मैं ही हूँ।"

"पल-पल में रंग बदल रही हो गिरगिट की तरह। परन्तु तुम्हारा मैं यह डबल रोल मैं चलने नहीं दूंगा। क्योंकि
गेम की तुम सिर्फ खिलाड़ी हो। सबसे बड़ा खिलाड़ी कोई और ही हो। "

"मुझे बातों में मत उलझा और मौत के सफर के लिये तैयार हो जा। "

विलाशा के सिर पर ठीक माधे के मध्य भाग में माउजर की नाल टिका दी।

"मुझे पता था कि यह गेम इन्सुरेंस का है, पर मुझे यह भी पता था कि हम सबकी मौत के बाद किसी को दो
हजार करोड़ मिलने वाले हैं और वह तेरा आशिक बेचारा गोलू है। "

"गोलू अब जिंदा नहीं है हरामजादे!" इतना कहकर विलाशा ने ट्रिगर दबा दिया। लेकिन गोली नहीं चली।
उसने दो-तीन बार ट्रिगर दबाया पर गोली फिर भी नहीं चली।

"बस, या और भी कुछ है?" मधुर ने ठहाका लगाया और फायर कर विलाशा का माउजर छीन लिया, "इस
गेम का सबसे बड़ा खिलाड़ी मैं हूँ मेरी जान!" मधुर ने विलाशा को एक धप्पड़ जड़ दिया। विलाशा लड़खड़ाकर
पीछे हटी। तब तक मधुर ने अपनी अंदरूनी जेब से मैगजीन निकालकर माउजर में फिट कर दी।

"तुमने माउजर कब से नहीं चलाया? यह मैगजीन तो मैंने उसी वक़्त निकाल ली थी जब मैं तेरे साथ हवेलीके
बेडरूम में था और माउजर में दूसरी खाली मैगजीन डाल दी, जो तुम्हारे पास एक्स्ट्रा थी। तुमने गोलू को मारा
नहीं। गोलू तुम्हारी कम्पनी का एम डी है। रकम तो वही निकाल सकता है और वह तुम्हारा दीवाना है। तुम्हारा पति
है लेकिन वैधानिक या कानूनी रूप से तुम अभी उसकी पत्नी नहीं हो। तुम्हें अभी यह कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी
है। है ना, यही बात। उसके बाद तुम गोलू का खात्मा कर देती और गोलू की सारी सम्पति गौरी यानी तुम्हें मिल
जाती। यह था तुम्हारा पूरा प्लान। अब तुम सबसे बड़े खिलाड़ी का मास्टर प्लान सुनो। जब गोलू मुम्बई आया था
तो उसकी लाख कोशिश के बावजूद भी तुम उससे नहीं मिली। तब वह मुझसे एक शूटिंग पर मिला, क्योंकि उस
फिल्म में मैं हीरो था और तुम हीरोइन। उसने मुझे गौरी की सारी दास्तान सुना दी और मैंने उससे वादा किया कि
उसे उसकी गौरी दिला दूँगा। बस उसे एक काम करना होगा। मेरे साथ एक अग्रीमेंट साइन करना होगा। मैं उसकी
काबिलियत से वाकिफ था और उसे अपने साथ जोड़ना चाहता था। उसने एप्रीमेंट कर लिया। उस एप्रीमेंट के
अनुसार उसकी हर सम्पति का वारिस मैं हूँ। उसके बाद ही तुम्हारी उससे मुलाकात हुई। मेरी जानकारी के अनुसार
तुम उससे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी। तुम उससे इसलिये मिली ताकि कहीं वह तुम्हारी बैकप्राउंड दास्तान
न खोल दे। अब गोलू तुमसे मिला और तुम जी कम्पनी की चेयरमैन बन गयी। वास्तव में तुमने ही गोलू से यह बातें
रेप करवाई थी, ताकि इससे साबित हो सके कि हवेली में कया हुआ। हो सकता है, तुम्हारे पास और भी टेप हो।
बाद में जब गोलू मर जाता उसकी प्रॉपर्टी गौरी यानी उसकी पत्नी को मिलनी थी, जो विलाशा नहीं होती। क्योंकि
विलाशा तो इसी हादसे में मारी जानी थी। तुमने गोलू से मिलकर सारा प्लान बनाया और गोलू के जरिये मुझे भी
इस प्लान का पता चल गया। हमारे बीच एक सौदा हुआ। उसे गौरी मिल जायेगी और मुझे दौलत। उसे दौलत
का कोई मोह नहीं था। यही वजह थी, जो उसने मुझे जिंदा छोड़ दिया था।"

इतना कहकर मधुर थोड़ा रुका।

"जिस-जिसने उसकी गौरी को भोगा था, उन सबको गोलू ने मार दिया। बस मुझे छोड़ दिया, क्योंकि उसके
काम में मैं सहयोगी था। यह बात तुम्हें बिल्कुल भी पता नहीं थी। अब यहाँ हमारे बीच एक समझौता होगा। तुम
गोलू के साथ अपनी दुनिया बसा लोगी। जहाँ भी वह चाहे तुम्हें ले जायेगा और मैं यह स्टेटमेंट दूंगा कि सब मर चुके
हैं। सिर्फ मैं जिंदा बचा हूँ। मैं तुम्हें माऊँगा नहीं, क्योंकि तुम गोलू की अमानत हो और एप्रीमेंट के अनुसार मैं गोलू
का वारिस। दूसरी गौरी तो है ही नहीं। वह तो तुम खुद ही हो। डबल रोल में।" फिर मधुर ने जोर से आवाज दी,
"गोलू! तुम जहाँ कहीं भी हो बाहर आ जाओ।" उसने दो-तीन बार आवाज दी।

गुफा के ही एक दरवाजा खुला जो बाहर से पत्थर की शक्ल में दिखता था। गोलू उस दरवाजे से बाहर आया।

"तुम्हारी गौरी तुम्हें मुबारक! और दौलत मुझे मुबारक। अब तुम्हें एक काम और करना है। गुफा में डायनामाइट
फिक्स कर दो, जब हम यहाँ से बाहर निकलकर अपनी-अपनी दुनिया के लिये रुखसत होंगे तो यह गुफा बम के
घमाकों से उड़ जाएगी। मैं स्टेटमेन्ट दूँगा कि इसी कंट्रोल सेंटर में तुम दोनों मारे गये। आज के बाद हम जिंदगी के
किसी मोड़ पर नहीं मिलेंगे और भूत-प्रेतों से यह गाँव मुक्त हो जायेगा। ”

"ठीक है बस। मैं अभी डायनामाइट फिक्स करके आता हूँ।" इतना कहकर गोलू अपने काम पर चला गया।

"मैं तुम्हें जीवनदान दे रहा हूँ विल्लाशा। सिर्फ गोलू की खातिर जो कुछ तुमने कहा वह सब भी रिकॉर्ड हो चुका
है। मैं टेप रिकॉर्डर का टेप ऑन करके आया हूँ और वह इसी सुहाग सेज के नीचे रखा है। मैं बाद कि आवाजें उससे
डिलीट कर दूँगा। अगर तुमने कभी मुम्बई आने की कोशिश की तो वह टेप तुम्हें फाँसी के फंदे तक ले जायेगा। "

थोड़ी देर बाद गोलू आ गया। उसके हाथ में रख रिमोट था।

"लो बाँस! जब हम चले जायें तो इस गुफा को उड़ा देना। " गोलू ने सिंगरेट मधुर के हाथ में थमा दिया, "चलो
गौरी!"

फिर गोलू रुककर मुड़ा। मधुर उन्हें जाते हुए देख रहा था।

"हमारे जाने के दस मिनट बाद धमाका करना बॉस। ताकि हम काफी दूर निकल जाये। "

"हाँ, ठीक है। अलविदा! अब हम कभी नहीं मिलेंगे। तुमने वचन निभाया गोलू और मैंने भी वचन निभाया कि
तुम्हें तुम्हारी गौरी मिलेगी गौरी, तुम्हें गोलू जैसा प्रेमी नहीं मिलेगा। इसके प्यार की कद्र करना।

"दो हजार करोड़!" गोलू मुस्कुराया, "यह रकम आपकी हुई। "

"बस उसमें से दो सौ करोड़ कम हो जायेंगे। क्योंकि मैं जिंदा हूँ। " मधुर ने मुस्कुराते हुए कहा, "अलविदा गोलू!
तुम्हें और गौरी को नया जीवन मुबारक ।

गोलू, गौरी के साथ बाहर निकल गया।

अब मधुर ने हर सबूत मिटाने की तैयारी शुरू कर दी।

थोड़ी दुर चलकर वह रुक गये। मधुर गुफा में ही था। गोलू ने जेब से रिमोट निकाला और उसका बटन दबा
दिया।

एक के बाद एक कई धमाके हुए और उन धमाकों में एक इंसानी जिस्म के चिथड़े भी शामिल थे। दूर गोलू
रिमोट लिये खड़ा था। गौरी उसके पास ही खड़ी थी।

"मर गया साला!" गोलू ने कहा, "उसके पास तुम्हारा राज नहीं होता तो मैं उसे वहीं ठिकाने लगा देता, पर तुम
गन पॉइंट पर थी और मैं तुम्हारी जान का खतरा नहीं उठा सकता था।"

विलाशा उर्फ गौरी मुस्कुरा दी, "हाँ, क्योंकि हम एक-दूसरे की जान है। "

दोनों आगे बढ़ने लगे। एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाले। "क्या फिर उसी दुनिया में लौटोगी। " गोलू ने पूछा।

"नहीं रे! अब नहीं। मुझे नहीं चाहिये वह दौलत। मेरी दौलत तो तू है गोलू। प्यार कया होता है, यह तूने साबित
किया और कोई भी दौलत प्यार से बड़ी नहीं होती। हम कहीं दूर एक नई दुनिया बसा लेंगे। जहाँ हम दोनों के
सिवाय कोई नहीं होगा। "

विलाशा की आँखों में आँसू उतर आये।

वह भरे गले से गा रही थी।

पीपल की छैया रै

बाबुल की गलियाँ है

छोड़ के जाणा एक दिन

लौट के आणा ना

वादी में उसकी आवाज गूँज रही थी।

फिर गोलू माउथ ऑर्गन बजाने लगा।

वादी में एक घुन गूँजने लगी।

बहुत प्यार करते हैं तुमसे सनम।

कि को की

तफ्तीश भी हुई। जाँच भी हुई, लेकिन छः शवों के अतिरिक्त किसी का भी शव नहीं मिला, परन्तु एक बात
बिल्कुल साफ थी कि वहाँ इक्कीस लोग गये थे और उनमें से कोई जीवित नहीं मिला। काफी खोजबीन के बाद भी
जब कोई नतीजा नहीं निकला तो उन सबको मृत घोषित कर दिया गया और फाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी। जुर्म
हुआ था, लेकिन मुजरिम कौन था, कोई नहीं जान पाया।

बाद में पूरा विक्रमगढ़ सरकारी कब्जे में ले लिया गया और हवेली के साथ-साथ मकानों और जमीनों की
नीलामी कर दी गयी। विक्रमगढ़ फिर से आबाद हो गया।

समाप्त