मिखाइल: एक रहस्य - 26 - अगला कदम Hussain Chauhan द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मिखाइल: एक रहस्य - 26 - अगला कदम

१८२ विधानसभा की सीट वाले गुजरात के चोटिला के एम.एल.ए. रवि कुमार बुटानी ने राजकरण में पिछले कई सालों से अपना स्थान बनाये रखा था। गांव की प्रगति के साथ-साथ उसने पैसा भी खूब कमाया था। जब महेंद्र सिंह ने उसे बैंक में घटी घटना के बारे में बताया तो रविकुमार को लगा कि यह बात उसके लिये फायदेमंद हो सकती है क्योंकि रामदास पासवान उसके विरोधी दल का एक आगेवान नेता था और उसके खिलाफ ऐसा कोई सबूत मिलना मतलब सोने के अंडे देने वाली मुर्गी का हाथ लगना। लेकिन रविकुमार कोई भी काम जल्दबाज़ी में नही करना चाहता था। हाथ मे आयी हुई तक का फायदा उठाने के लिये पहले वह सारे समीकरणों की अच्छे से तुलना करना चाहता था। क्या रामदास के बारे में इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने पर उसकी पार्टी उसे आनेवाले चुनाव में सांसद बनने में मदद करेगी? क्या वह रामदास को इस जानकारी से अवगत करवाएगा तो क्या रामदास पासवान उसे सांसद बनने में मदद करेगा?

वह अच्छे से जानता था कि जल्दबाज़ी में लिये गये फैसले कभी गलत भी हो सकते है। वह बस इतना चाहता था कि, वह जो भी फैसला करे उसे उसका फायदा ही हो। उसने महेंद्र सिंह को इस बात को उन दोनों के बीच ही रखने को कहा। महेंद्र को उसे यह बताने की ज़रूरत ही नही पड़ी की अगर बैंक का मैनेजर और वह केशियर लक्ष्मी उससे कुछ पूछते है तो उसे क्या कहना है। एक करप्ट पुलिस अफसर को कुछ पता हो या न हो लेकिन यह ज़रूर पता रहता है कि बात को घुमाना कैसे है।

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पारुल और कपिल दोनों हरियाणा में जन्मे पढ़े लिखे नौजवान थे जो कुछ ही दिनों में शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे। कपिल के पिता भूपेंद्र जाखड़ एक शिक्षाविद थे और दिल्ही विश्व विद्यालय के कार्यभार को संभाल रहे थे। पारुल और कपिल हरियाणा में जन्मे जरूर थे लेकिन उनकी विचारधारा बिल्कुल ही एक मॉडर्न ज़माने की थी। उच्च स्तरीय शिक्षा लेते-लेते वे लंदन में एक दूसरे के करीब आये, एक दूसरे से जान पहचान बढ़ी और देखते ही देखते एक दूसरे को पसंद आ गये और बात शादी तक पहुंच गई। वैसे हरियाणा की खाप पंचायत की विचारधारा के अनुरूप यह कभी मुमकिन नही था लेकिन उनको यह समस्या सताने वाली नही थी, और इसके दो मुख्य कारण भी थे, पहला तो यह कि उनको शादी के बाद हरियाणा में रहना नही था और दूसरा यह कि दोनों के माता पिता सुशिक्षित थेऔर उन्हें इस शादी से कोई एतराज नही था।

कुछ ही दिनों में बिल्कुल ही साधारण तरीके से दोनों की कोर्ट मैरिज हो गयी, चूंकि, शादी का इतना ज्यादा खर्चा हुवा नही था तो शादी के लिये उन्होंने जो पैसे बचाये थे उन पैसों से उन्होंने मालदीव्स जाने की सोची।

मालदीव्स के लिये उन्होंने नेट पर टूरिज्म के पैकेजेस को सर्च किया जिनमे से सबसे ऊपर एल.एस.डब्ल्यू. के सबसे किफायती पैकेजेस मिले और इसके साथ-साथ वे एक टूर गाइड भी प्रोवाइड करा रहे थे जो टूर में न सिर्फ उनको अलग अलग जगह दिखायेगा बल्कि हर संभव तरीके से उनकी मदद भी करेगा।

काफी छानबीन करने और बहुत से रिव्यु पढ़ने के बाद पारुल और कपिल ने एल.एस.डब्ल्यू. पर पैकेज को बुक करते हुवे जय को अपने गाइड के तौर पर चुन लिया और मालदीव्स जाने की तैयारियां करने लगे।

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"क्या हर बार तुमसे बात करने के लिए मुझे ही कॉल करना होगा?" उसने फेसबुक पर माहेरा को मैसेज भेजा।

बिना कोई रिप्लाई किये अगले ही क्षण माहेरा ने जय को कॉल किया और फेसबुक पर किये गए सवाल का मधुर से जवाब में उतर दिया।

"अच्छा सुनो, तुम्हारी एक मदद चाहिए थी...

"मदद? कैसी मदद?" इससे पहले की जय अपनी बात पूरी कर पाता माहेरा ने बीच मे ही उसकी बात काटते हुवे सवाल कर दिया।

"तुम कुछ बोलने दोगी तो कुछ बताऊंगा न?" माहेरा के उतावलेपन का हंसके जवाब देते हुवे जय ने कहा।

"बताओ न क्या मदद चाहिए थी?" सीधा फिर से वही सवाल माहेरा ने दोहराते हुवे पूछा।

"अभी फ़ोन पर नही बता सकता...

"फ़ोन पर नही बता सकते तो पूछा ही क्यों?" अपने उसी उतावले पन से मजबूर माहेरा ने फिर एक बार जय की बात को बीच मे काट दी।

"जब मिलेंगे तब बताऊंगा विस्तार से...

"क्या? तुम भारत आ रहे हो फिर से?" फिर एक बार उसी उतावलेपन के कारण वो जय की बात बीच मे ही काट बैठी लेकिन इस बार वो उतावलापन जय भारत वापस लौट रहा है यह जानने की खुशी के कारण था।

इससे पहले की जय माहेरा के सवाल का कोई जवाब दे पाता उसके फ़ोन पर फ़ोन आने लगा और उसने माहेरा को बाद में कॉल करता हूँ यह कहकर फ़ोन काट दिया।

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फॉरेंसिक की आयी रिपोर्ट के अनुसार जोहनी डे की मृत्यु रात के करीब 2-4 बजे के बीच मे हुई थी और उसमें साफ साफ कहा गया था कि मौत का कारण हाथ पर हुवे प्रहार से खून का बह जाना था और उसकी ऑटोप्सी रिपोर्ट में उसने अधिक मदिरा का सेवन किया हुआ था यह भी लिखा हुआ था।

अधिक मदिरा के सेवन के चलते वो नशे में लीन हो चुका होगा और फिर उसे बेहोशी की हालत में ही स्वीड हिल पार्क ले जाया गया होगा फिर उसे जिंदा ही मर्डरर ने पेड़ से बांध दिया होगा और फिर ब्लेड से या कोई धारदार चीज़ से उसकी हाथ की नसें काट दी होगी। डग राइस का शातिर दिमाग घटी हुई वारदात के सारे हिस्से सही-सही जोड़ने में उलझा हुआ था, लेकिन अभी तक न उन्हें कोई यथार्थ प्रमाण नही मिला था, मिला था तो बस वो मिखाइल सिविक द्वारा लिखा गया ख़त। मिखाइल सिविक को ढूंढने में डग ने अपनी एक सर्च टीम को काम पर लगा दिया था।

वारदात की जगह पर उसने एक बार और जा कर, घटी हुई सारी घटनाओं को फिर एक बार शांत दिमाग से देखना चाहा उसे यकीन था कि कोई न कोई सबूत उसे ज़रूर मिलेगा लेकिन खूनी इतना शातिर था कि उसने एक भी गलती नही की थी। डग राइस के हाथ सिर्फ और सिर्फ़ असफलता हाथ लगी।

जोहनी डे को बांधने के लिये उपयोग की गई रस्सी पर उन्होंने फिंगरप्रिंट के निशान तराशने चाहे लेकिन कोई फिंगरप्रिंट नही मिला जिससे डग ने यह भी अंदाज़ा लगा लिया था कि, यह केस उतना आसान नही होने वाला जितना वो हर बार आसानी से हल कर देता है।

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