मिखाइल: एक रहस्य - 5 Hussain Chauhan द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मिखाइल: एक रहस्य - 5

'तेरा बाप लूज़र था।' पैरी ने जोनाथन के मुंह पे एक घुसा मारते हुए कहा। जोनाथन ने पैरी को मारने की कोशिश की लेकिन पैरी के दो दोस्त जो वहाँ पैरी के साथ खड़े थे उन्होंने उसे पैरी को मारते हुए रोका और जोनाथन के हाथ पकड़ लिए।
'तेरे बाप की कारण हमें शिकागो छोड़ना पड़ा' पैरी ने फिर एक घूंसा जोनाथन के मुंह के ऊपर मारते हुए कहा। अबकी बार जोनाथन के मुंह से खून निकलने लगा था। गुस्से में ही पैरी ने और दो-चार जोनाथन के मुंह पर लगा दिए। जोनाथन बेहोश होने को था।
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पसीने से भीगा हुआ जय सहसा अपने बेड से उठ खड़ा हुआ। उसकी छाती पूरी पसीने से भीगी हुई थी और खिड़की से आ रही सूरज की किरणें उस पर पड़ने के कारण वो चमक भी रही थीं। अपने अतीत के सपने जय को अक्सर परेशान करते थे और वो हर बार कुछ इसी तरह ही डर के मारे नींद से उठ जाता था। कुछ देर के लिए वो अपने दोनों हाथो से अपने सर को पकड़े हुवे बैठा रहा और फिर उसने अपने बेड के पास पड़ा अपना फ़ोन उठाया और चेक करने लगा। थोड़ी ही देर में उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी और उसकी वजह कुछ चंद दिन पहले हुई माहेरा से मुलाक़ात थी। उसने तुरंत ही फेसबुक खोला और सर्च बॉक्स में माहेरा खान टाइप कर के माहेरा को ढूंढने लगा। कुछ ही सेकंड्स में कितनी माहेरा खान की प्रोफाइल एक के बाद एक ऐसे जय की मोबाइल स्क्रीन पर आ चुक थी।
माहेरा का प्रोफाइल फ़ोटो पहचानने में उसे ज़रा भी वक़्त नही लगा और तुरंत ही उसने उसके प्रोफाइल में जा कर उसे फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेज दी साथ ही साथ उसे हाय का मैसेज भी कर दिया।
अगले ही पल बीप के टोन के साथ उसका फोन बज उठा। जय को वो लोग बहुत ही पसंद आते थे जो मेसेज भेजने के अगले ही पल उसे देखले और उसका तुरंत रिप्लाई भी कर दे, यकीनन माहेरा भी उन्ही लोगो मे से थी।
'हाय मिस्टर जय सिवाल' हाथ हिलाने वाले इमोजी के साथ माहेरा ने रिप्लाई किया था।
'अच्छा तो आप हमें पहचान गयी, क्यो मेडम?' जय ने मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा था।
'हां, कैसे नही पहचानेंगे, आप तो वही है जिसे मुझसे कोई भी काम नही था।' उसी मज़ाकिया अंदाज़ में माहेरा ने भी जवाब देते हुए कहा।
कुछ देर तक जय और माहेरा के बीच यूँही बातें चलती रही, और फिर माहेरा के क्लास का भी वक़्त हो गया था तो उसने जय को बाई कहते हुए अंत मे उसकी फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लिया और फिर ऑफलाइन हो गयी।
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आज दिन की शुरुआत कुछ बढ़िया तरीके से हुई थी, इससे पहले जय को कभी इतना अच्छा महसूस नही हुआ था जितना आज माहेरा से बातें कर के हो रहा था, उसे बिल्कुल भी फर्क नही पड़ता था कि वे बातें भले ही कुछ देर के लिए ही क्यो न हुई हो, लेकिन हुई जरूर थी। और जय की इस खुशी का कारण भी था, क्योकि अब तक उसने अपने पिता के रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाने के बाद एक अकेलेपन की जिंदगी जी थी और उसके कोई खास दोस्त भी नही थे, जिनके साथ वो अपनी दिल की बातें साझा कर सके, और अब तो वो जवान भी हो चुका था उसे जिंदगी में किसी हमसफर की तलाश भी थी, और क्या पता आगे जाकर माहेरा भी हमसफ़र बन सकती थी, लेकिन फिलहाल वो कुछ नही कह सकता था, क्योकि वो जानता था, जिंदगी रोमांच से भरी पड़ी है, कोई भी नही जानता कि अगले पल क्या होनेवाला है, ऊपरवाले से बड़ा और कोई जादूगर नही।
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