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इंस्टालमेंट - 1

इंस्टालमेंट

कमरा छोटा है l एक पलंग, एक कुर्सी, एक तरफ की दीवाल पर बीचो-बीच, दीवाल की अंदर ही शेल्फ बना हुआ है, उस के अंदर कुछ किताबे, घड़ी, कुछ फ्रेम किए हुए फोटोग्राफ, भगवन के कुछ फोटो, सब सही तरीके से जमा कर रखा हुआ है l दुरसी दिवाल पर एक खिड़की है l उस खिड़की से सूरज की रौशनी सीधे कमरे में आती, और दिन चढ़ते चढ़ते कई तरह की आवाज़े खिड़की से कमरे में गूंजती l आज खिड़की बंद है l कमरे के अंदर, बाहर की किसी भी आवाज की भनक तक नही थी l तेजी से घूमता हुआ पंखा-सीलिंग फेन की आवाज अपना अस्तित्व स्थापित किए, खिड़की के पास टंगे कैलंडर के पन्नो को फडफडा रहा है l हल्के गुलाबी रंग वाली कॉटन की साड़ी पहने लड़की, अपने दोनों हाथ के पंजो को एक दुसरे में समेटे पलंग पर बैठी हुई है l सामने कुर्सी पर लड़का बैठा हुआ है l उस अवसर के लिए उचित अवतार धारण कीए हुए है l एक हाथ में Icecream का कप और दुसरे हाथ से चम्मच और मुह का संपर्क बरकरार है l लड़की सिर को झुकाए दाए देख रही है, लड़का ice cream का लुत्फ़ उठाता हुआ, मुस्कुराता हुआ, उसे देखे जा रहा है l Ice cream से लड़के को शायद Ice breaking याद आया, वो खामोश,ठंडे पड़े हुए  उस मोहोल में पहल करते हुए बोला, “तो आप की क्या expectations है?” लड़की जैसे इसी मौके की तलाश में थी l झट से अपनी गर्दन को सीधा कर, लडके से आंख मिलाकर बोली, “आप की salary कितनी है?” रॉब झड़ते हुए लड़का बोला, “40,000!” ये सुनकर लड़की की आंखे चमक उठी l “ठीक है” इतना बोलकर लड़की मुस्कुराई, लेकिन एक बार फिर से पंखे की आवाज ने जोर पकड़ा l एक बार फिर से लड़के ने बात आगे बढ़ाइ, “और कुछ अगर आप पूछना चाहो, तो बेझिझक आप पुच लेना”, लड़की ने सिर हिलाते हुए हामी दर्शाई l लड़का बोला, “आप जॉब करती हो?” “हां” लड़की का बस इतना ही जवाब था l कुछ क्षणों की ख़ामोशी के बाद ऊपर उठी लड़की की आवाज़, “हमारे उपर एक कर्जा है.....”, Ice cream खा रहा लड़का, उसने गोर से इस बात को सुना l लड़की ने बात आगे चलाई, “मेरी दादी के इलाज के लिए पापा ने लोन लिया था, ६ लाख रुपए l एक-एक रुपया खर्च किया लेकिन दादी चल बसी, लोन का इंस्टालमेंट रह गया l मेरी जॉब तो पिछले दो साल से शुरू है, तब तक पापा ही मेनेज कर रहे थे" l लड़का कुछ हेरान सा, जिस उत्साह के साथ वो Ice cream खाए जा रहा था, वो मंद पड़ गया l लड़के ने पूछा, “पर ये सब आप मुझे क्यों बता रहे हो?” लड़की ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में नमी थी l बिखरती हुई आवाज में वो बोली, “अगले साल पापा रिटायर हो रहे हैं” l लड़के ने तुरंत पूछा, “तो?” लड़की जवाब देने से पहले हिचकिचाई, फिर झट से बोल पड़ी, “शादी के बाद मेरी सेलेरी से इंस्टालमेंट चुकते हो, अगर ससुरालवाले मुझे जॉब करने देते है तो l अगर शादी के बाद मुझे जॉब नहीं करने देते, तो मेरा पति लोन चुकते करेगा” l उसकी ये बात सुनकर मुह तक जाता हुआ Ice cream का चम्मच बीच में ही अटक गया l दो घडी के लिए लड़का लड़की की तरफ बस देखता रहा, इस सोच में की उसे जवाब क्या दे? चम्मच वापस कप में रख, दबी हुई आवाज में लड़का ने कहा, “पापा से पूछकर.....जो भी होगा....बता दूंगा” लड़का उठा खड़ा हुआ, Ice cream के कप को कुर्सी पर रख वहां से चल दिया, लड़की से आंखे चुराता हुआ l

खिड़की खुली है l और आसमान में तारे साफ नजर आ रहे है l या शायद, इस कमरे में क्या चल रहा है, उसे देखने के लिए खिड़की से झांक रहे है, या फिर, खिड़की से कान लगाए है, अंदर होने वाली बाते सुनने के लिए l सिएलिंग फेन फिर से कैलेंडर पर रॉब झाड रहा है l लड़की, नाईट गाउन पहने पलंग पर बैठी हुई है, उसी अंदाज में जैसे सुबह के वक्त थी l बगल में, भवो तो ताने हुए उसकी माँ, लड़की तो देखे जा रही है l लड़की के सामने चुप चाप उसके पिता बैठे है l अफ़सोस भरी नजर से लड़की की तरफ देर तक देखने के बाद बोले, “पर तुझे वो सब बोलने की क्या जरूरत थी?” “और नहीं तो क्या? राजा हरिश्चंद की औलाद बनने की क्या जरूरत थी? ये चोथा लड़का था, जो इसकी बात सुनते ही भाग खड़ा हुआ”, लड़की की माँ ने कुछ इस तरह से रूखापन उजागर किया l पर इस रूखेपन की असली वजह जल्द से जल्द अपनी बेटी के हाथ पीले करने की थी l “बाबा, क्या मैं कोई गलत मांग कर थी?” l बाबा ने उसे समझाते हुए कहा, “बेटी, वो लोग तो यही सोचेंगे, की एक बार मदद करदी, फिरर तो हर बार ये लोग हाथ फेलाएँगे” l “लेकिन बाबा, मेरे सिवा है और कोई आपका लोगो का?” लड़की की चिंता साफ झलक रही थी उसके वाक्य से l “अरे....तेरी शर्त सुनने के बाद, कौन हिम्मत करेगा?, अपने कन्धो पर बोझ ओढ़ ले, ऐसा कोई होगा भी क्या?” उसकी माँ ने उसी रूखेपन से समझाने की कोशिश की l “कोई तो होगा....” लड़की उम्मीद बांध रही थी शायद खुदको l “फिर तो हो गई तेरी शादी.....” इतना बोलकर माँ ने लड़की से मुह फेर लिया l पिता समझाते हुए बोले, “बेटी तेरी शादी हमारी जिम्मेदारी है जिसे हमे पूरा करना है” l “बाबा, मेरी भी तो जिम्मेदारी है, जिसे मुझे निभाना है” l लड़की ने अपनी बात को पूरा किया, कैलंडर की फडफडाहट को किसी दूसरी आवाज से स्पर्धा नहीं थी l बाबा की आंखे छलक गई, लडकी की आंखे भी छलक उठी, माँ दोनों से मुह फेरे बैठी थी, पर उसकी आंखे भी दोनों का साथ दे रही थी l

लड़की के परिवार पर कर्जा और लड़की की शर्त, ये बात सारी बिरादरी में फ़ैल चुकी थी l पहले हर हफ्ते पंद्रह दिन में, इतवार के दिन, कोई न कोई लड़का, लड़की को देखने आता, पर अब ये कार्यक्रम घट कर महीने में एक बार का हो गया l हर महीने कोई लड़का उसे देखने आता और लड़की अपनी बात आगे रखती l लड़की के लिए इंस्टालमेंट चुकाने जैसी ही होती थी ये मुलाकात l अपना जीवन साथी चुनने के लिए उसे जेसे हर महीने किसी अनजान लड़के के आगे अपनी व्यथा से भरा हुआ इंस्टालमेंट भरना पड़ता था l शायद कोई उसे उसकी व्यथा के साथ अपना ले l

बिरादरी के सम्पन लोग भी कांपते थे, एक लड़की जो अगर उनके परिवार का हिस्सा बनती, तो उसके परिवार की कुछ जिम्मेदारी उठाने के लिए l वैसे ६ लाख रुपए कोई इतनी बड़ी रकम भी नहीं, लेकिन जब लोन चुकता करना हो तो एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए ६ लाख रुपए किसी पहाड़ से भी बड़ा रूप धारण कर लेता है l हमारे देश में पहले ही लडकियों की कमी है l क्या इस लड़की के नसीब में लम्बा इंतजार लिखा है? क्या इसके लिए कोई तैयार होगा? कोई तो होगा......

कुछ महीनो बाद उस घर में ख़ुशी का माहोल था, लड़की की शादी की तैयारीयां जो चल रही थी l जी हाँ आखिर एक लड़का मान गया उसकी सारी शर्ते l अरे भई लड़कियों की पहले से ही कमी है, रिश्ता थोडा मेहेंगा था लेकिन दोनों पक्षों की अनपी-अपनी मजबूरियां थी l उस लड़की का हाथ थामने वाले लड़के का एक हाथ नहीं था l

 

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