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अमावस्या - 1

वह रात थी, अमावस की रात यह सोचकर तुम्हारे रोंगटे खड़े हो जायेंगे कि कहानी पढ़ते वक़्त पीछे मत देखना वरना खतरनाक हो सकता है पीछे भूत भी हो सकता है!!सोच लो देखना मत! देखोगे तो रह जाओगे मत देखो मत देखो मत देखो चुपचाप कहानी पढ़ते रहो देखो कहा था देखना मत देख लिया न कुछ भी तो नहीं था! मगर डरे ना इसी तरह के भय को ही तो डर कहते हैं!

डर एक ऐसी चीज बनाई है भगवान् ने कि पूछो मत बस हम लोग डर-डर के जीते जा रहे हैं जीते जा रहे हैं जाने कब यह डर ख़तम होगा शायद मरने के बाद क्योंकि मरने के बाद तो सारे डर ख़तम खल्लाश हो जाते हैं!देखो यह सब बकवाश है !बहुत हो गयी यह डर की बाते कहानी पढो चलो डर तो अभी लगेगा जब कहानी पढोगे! एक समय की बात है अकाल गढ़ मैं कभी भी अकाल नहीं पड़ा था तब भी इसका नाम अकाल गढ़ था!और अकाल अब पड़ता है तब भी इस गांव का नाम अकाल गढ़ है!इस गांव के अकाल पड़ने की भी एक कहानी है! सुनाऊ क्या नहीं अरे नहीं सुनाऊंगा तो तुम्हें क्या घंटा समझ मैं आयेगी! चलो अब असली बात पर आते हैं!अकाल गढ़ मैं दो भाई नीरज और राजू अपनी बीवी के साथ बढ़िया रहा करते थे! राजू और नीरज मैं अच्छी बनती थी! नीरज का विवाह नहीं हुआ था! पर होने वाला था! कुछ दिनों बाद नीरज की भी शादी हो गयी! कुछ दिनों तक तो ठीक ठाक चलता रहा! पर उनकी बीवियों मैं आपस मैं नहीं बनती थी!तो उन्होंने अलग-अलग रहने का फेसला किया दोनों अलग-अलग रहने लगे राजू अलग होने पर बहुत कामचोर हो गया था!पहले वह भाई नीरज के साथ थोडा बहुत काम काज कर लिया करता था

वह दिन दिन और काम चोर होता गया और उसकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी और नीरज अपना काम काज सही करता रहा उसने अपनी मेहनत से काफी अनाज खेत से उगाया यह सब देख-देख कर उसका भाई राजू बहुत जलता था! पर नीरज अपनी तरफ से सही था एक दिन राजू और उसकी पत्नी ने मिलकर नीरज की पत्नी को रात मैं मार

दिया नीरज किसी काम से बाहर गया हुआ था!

दोस्तों वह रात अमावश्या की रात थी!चाँद अपनी पूरी रौशनी पर था तारे टिम-टिमा रहे थे!रात बिलकुल शांत थी उन्होंने पहले उन दोनों ने उसके घर कूदकर पहले सारा अनाज चुरा लिया जब नीरज की पत्नी को पता चला कि उसके अनाज कि कोई चोरी कर रहा है उसने उठकर देखा तो राजू और उसकी बीवी अनाज चुराने मैं लगे थे!तब नीरज कि बीवी ने कहा कि आप यह क्या कर रहे हो अपने ही घर मैं चोरी यह सुनकर राजू और उसकी बीवी ने सोचा कि अगर इसने गांव वालों को बता दिया तो वो लोग हमे गांव से ही निकाल देंगे इस डर के मारे उन्होंने उसकी पत्नी को मार डाला और दूर जंगल मैं गाढ़ के आ गए!सुबह जब नीरज घर पहुंचा तो देखा की उसका अनाज नहीं हैं थोडा बहुत बचा था वह बिखरा पड़ा था!

जब उसने अपनी पत्नी को आवाज लगायी पर कोई जवाब नहीं आया उसने सारे घर को छान डाला पर वो कहीं नहीं मिली फिर उसने अपनी भाभी से पूछा कि मेरी बीवी कहाँ गयी तो उसने हडबडा के बोला मुझे नहीं पता कल शाम तक तो घर पर ही थी इतना पूछ कर उसने पड़ोसियों से पूछा तो किसी ने कहा पता नहीं और किसी ने बताया शाम तक तो घर पर ही थी वो बहुत घबरा गया और कुछ लोगों को बताया कि घर का सारा अनाज किसी ने चुरा लिया है और मेरी बीवी का भी पता नहीं है कि कहाँ हे वो उसने घर जाके फिर देखा तो उसे उन गेंहू से एक चाक़ू मिला और कुछ खून भी पड़ा था उसे सब कुछ समझ मैं आ गया कि उसे किसी ने मार के सारा अनाज चुरा लिया है!तब उसने अपनी छत पर जाकर देखा तो उसे कुछ अनाज भी गिरा मिला तो उसे अपने भाई राजू पर शक हुआ पर नीरज वैसे भी अपने भाई राजू कि बहुत इज्जत करता था इसलिए उसने कुछ कहा नहीं! तब एक दिन राजू ने कहा कि तू अकेला मत रह हमारे साथ ही आजा हम साथ ही रहेंगे वह राजू को मना तो नहीं कर सकता इसलिए वह उसके साथ मन मार के रहने लगा! गांव के कुछ लोग उसकी बीवी को गंदी औरत कहने लगे और कहते थे कि सारा अनाज लेकर भाग गयी बेचारा नीरज अकेला रह गया चुड़ैल कहीं कि यह सब बातें उसे सुनने को मिल रही थी! वह बेचारा क्या करता अपने भाई को कुछ नहीं कह सकता था!

एक दिन कि बात है गांव के कुछ लोग जंगल से लकड़ी लेने गए थे! तो वे लकड़ी काट ही रहे थे तब उन्हें किसी स्त्री के रोने कि आवाज सुनाई दी तो उन्होंने कहा कि इस जंगल मैं कौन रो रहा है कहीं कोई रास्ता तो नहीं भटक गया तो वो लोग जिधर से आवाज आ रही थी उसी तरफ चल दिए कुछ दूर चलकर उन्होंने देखा कि एक औरत एक पेड़ के नीचे बेठ कर रो रही है!जबतक वो उसके पास पहुंचते वह गायब हो गयी! उन लोगों ने जब इस तरह का द्रश्य देखा तो वो घबरा गए उनके तो पसीने छूटने लगे तब एक आवाज आई की अब तुम लोग कभी भी इस जंगल से लकड़ी नहीं काटोगे और जो भी यहाँ लकड़ी काटने आएगा वो जिन्दा वापस नहीं जायेगा और तुम लोग मुझे चुड़ैल कहते हो

न तो चुड़ैल सही आज से तुम्हारे गांव मैं कभी पानी नहीं बरसेगा तुम लोग भूखे मरोगे यहाँ सिर्फ अकाल पड़ेगा और अमावाश की रात एक लाश तुम्हारे गांव मैं ज़रूर मिलगी जाओ तुम सब गांव वालों को जा कर बता दो आज से तीन दिन बाद अमावस्या है! एक आदमी की मौत ज़रूर है!जिसने भी मुझे मारा है वो बचेगा नहीं मेरा अनाज खा कर के मुझे चुड़ैल कहते हो गांव वालो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं आज मैंने तुम्हें बख्स दिया जाओ जाओ जाओ चले जाओ मेरे जंगल से मुझे अकेला छोड़ दो जाओ मुझे तैयारी करने दो जाओ और फिर रोने लगी वो लोग डर गए यह सब क्या था स्त्री रोने का कारण क्या था!

एक आदमी बोला अरे वह कह रही तो थी की मेरा अनाज चुरा लिया और मुझे मार दिया इसका मतलब यह नीरज की बीवी थी जिसे किसी ने अनाज के लिए मार डाला है और वह चुड़ैल बन गयी है! तभी एक दम एक भयानक चेहरा उनके सामने आया तुम लोग अभी तक गए नहीं जाओ यहाँ से वरना मैं तुम्हे भी मार दूंगी!उनके तो होश उड़ गए भागो भागो चुड़ैल-चुड़ैल ऐसा कहते हुए वह गांव पहुंचे सारे के सारे ऐसे हांफ रहे थे!जिन्दगी मैं इतना कभी नहीं भागे होंगे गांव वालों ने इस तरह उन्हें भागते हुए देखा तो कहने लगे क्या हुआ चुड़ैल-चुड़ैल बके जा रहे हो आगे भी कुछ बोलो अरे तुम्हें बोलने की पडी है हमारी जान पर बनी है!अरे पर हुआ क्या तुम लोग इस तरह क्योँ हांफ रहे हो बताते हैं!बताते हैं पहले सांस तो लेने दो तब उन्होंने गांव वालो को बताया कि नीरज कि बीवी चुड़ैल बन गयी है!और उसने हम से कहा है कि मेरा अनाज किसी ने चुरा कर किसी ने उसे मार के जंगल मैं दफना दिया है!और वह कह रही थी कि अब तुम्हारे गांव मैं कभी पानी नहीं बरसेगा और हर अमावस्या को एक आदमी कि म्रत्यु होगी जब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिल जाएगी तब तक यूँही वो लोगो को मारती रहेगी!एक आदमी ने पुछा पर नीरज कि बीवी को मारा किसने कुछ लोगो ने कहा पता नहीं कोई तो है इस गांव मैं जिसने यह पाप किया है कि एक हिन्दू औरत को दफना दिया पर जिसने भी यह काम किया है उसकी बजह से सारा गांव मुसीबत मैं पड़ गया है!

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