वो अब मर चुकी है ।
हा संजय वो अब मर चुकी है ।
वो अब नहीं लौट कर आएगी ।
ओर तुम भी यह बात अपने दिल मे उतार दो ।
की अब तुम्हारा ओर उसका मिलना ।
एक ख्वाब के सिवा ओर कुछ नहीं है ।
नहीं अमन वो आएगी ।
मलिका जरूर आएगी ।
तभी उसकी मम्मी वहा आई ओर उसे जगाया ।
ओर बोली उठ संजय ओर ये नींद मे तू किसके सपने देखता रहेता है ।
उसके पापा आए ओर बोले उठ गए हमारे नवाब ।
काम धंधा तो कुछ करता नहीं ।
बस पूरा दिन घर पे पड़ा रहेता है ।
" काम का ना काज का दुश्मन अनाज का "
तेरे साथ पढ़ने वाले सब आगे निकल गए ।
ओर ये भाई साहब अभी भी सपने देखने मे मशगूल है ।
शारदा देवी ने संजय को समजाया देख बेटे ,
किसी के चले जाने से जिंदगी नहीं रुकती ।
ओरो के लिए ना सही पर हमारे लिए तो कुछ सोच ।
विशंभर की तुजसे बड़ी आश है ।
विशंभर संजय के पिता का नाम था ।
वो फिर से रात वाले सपने को याद करता रहा ।
सोचते - सोचते वो अतीत की यादों मे चला गया ।
नेशनल कॉलेज का वो बहुत बड़ा ग्राउंड हजारों की भीड़ ।
आज फिर किंग्स इलेवन टीम हारने की नौबत पे थी ।
190 पे 4 WC जा चुकी थी ओर ये पाँचवी विकेट भी चली गई ।
अब चार बोल मे बिस्स रन चाहिए थे ।
ओर केपटन कुछ रणनीति बनाते हुए ।
सबके मन मे ये सवाल था की अब कौन ये कर पाएगा ।
सामने से सौर सुनाई दिया संजय .. संजय ... संजय ।
ओर इस बंदे ने तो आके ही आग लगादी ।
पहेली गेंद पे छक्का , दूसरी , तिशरी गेंद मे भी छक्का ओर चोथी बोल पे चोका मारके ।
इस बंदे ने अपनी टीम को हारने से बचा लिया ।
उसका सपना था की वो एक क्रिकेटर बने पर घर के बुरे हालात देख उसने भी ये ख्वाब तोड़ दिया ।
जब वो खयाल से बाहर आया तो उसे याद आया की शर्मा जि के यहा ।
एकाउंट देखने जाना है ।
उसने जट से नहा लिया ओर फिर तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया ।
आज शर्मा जि के यहा एक नई अपॉइंट हुई थी ।
उसका नाम था । मलिका ।
यू तो ये नाम सुनकर उसे बड़ा ताजुक हुआ ।
क्युकी उसकी पूरी जिंदगी इसी एक ही नाम के इर्द -गिर्द घूमती रहेति है ।
शर्मा जि ने संजय को बुलाया ओर कहा ये हमारी नई ACCOUNTANT है ।
इन्हे हमारी कंपनी का अकाउंट देखने मे मदद करना ।
अब से यही इस कंपनी का अकाउंट देखेगी ओर तुम हमारी नई कंपनी का अकाउंट देखना ।
इतना कहकर शर्मा जि चले गए ।
अब आगे क्या होगा ।
क्या संजय को इस मलिका से होगा प्यार ।
या फिर वो करता रहेगा बे -इम्तिहान इंतजार ।
जानने के लिए पढे :-
अनकही दास्ता भाग :- २