ANKAHI DASTA - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

अनकही दास्ता - भाग 1

वो  अब  मर  चुकी  है । 

हा  संजय  वो  अब  मर  चुकी  है । 

वो  अब  नहीं  लौट  कर  आएगी  । 

ओर  तुम  भी  यह  बात  अपने  दिल  मे  उतार  दो  । 

की  अब  तुम्हारा  ओर  उसका  मिलना  । 

एक  ख्वाब  के  सिवा  ओर  कुछ  नहीं  है । 

 

नहीं  अमन  वो  आएगी  । 

मलिका  जरूर  आएगी  । 

तभी  उसकी  मम्मी  वहा  आई  ओर  उसे   जगाया । 

ओर  बोली  उठ  संजय  ओर  ये  नींद  मे  तू  किसके  सपने  देखता  रहेता  है । 

उसके  पापा  आए  ओर  बोले  उठ  गए  हमारे  नवाब  । 

काम  धंधा  तो  कुछ  करता  नहीं  । 

बस  पूरा  दिन  घर  पे  पड़ा  रहेता  है  । 

" काम  का  ना  काज  का  दुश्मन  अनाज  का "

तेरे  साथ  पढ़ने  वाले  सब  आगे  निकल  गए  । 

ओर  ये  भाई  साहब  अभी  भी  सपने  देखने  मे मशगूल  है । 

 

शारदा  देवी  ने  संजय  को  समजाया  देख  बेटे  ,

किसी  के  चले  जाने  से  जिंदगी  नहीं  रुकती   । 

ओरो  के  लिए  ना  सही  पर  हमारे  लिए  तो  कुछ  सोच  । 

विशंभर  की  तुजसे  बड़ी  आश  है  । 

विशंभर  संजय  के  पिता  का  नाम  था । 

वो  फिर  से  रात  वाले  सपने  को  याद  करता  रहा । 

 

सोचते  - सोचते  वो  अतीत  की  यादों  मे  चला  गया । 

नेशनल  कॉलेज  का  वो  बहुत  बड़ा  ग्राउंड  हजारों  की  भीड़  । 

आज  फिर  किंग्स इलेवन   टीम  हारने  की  नौबत  पे  थी  । 

190 पे  4 WC जा  चुकी  थी  ओर  ये  पाँचवी  विकेट  भी  चली  गई । 

अब  चार   बोल  मे  बिस्स  रन  चाहिए  थे । 

ओर  केपटन  कुछ  रणनीति  बनाते  हुए । 

सबके  मन मे  ये  सवाल  था  की  अब  कौन  ये  कर  पाएगा । 

सामने  से  सौर  सुनाई  दिया  संजय ..  संजय ... संजय । 

ओर  इस  बंदे  ने  तो  आके  ही  आग  लगादी  । 

पहेली  गेंद  पे  छक्का  , दूसरी  , तिशरी  गेंद  मे  भी  छक्का  ओर  चोथी  बोल  पे  चोका  मारके । 

इस  बंदे  ने  अपनी  टीम  को  हारने  से  बचा  लिया  । 

उसका  सपना  था  की  वो  एक  क्रिकेटर  बने  पर  घर  के  बुरे  हालात  देख  उसने  भी  ये  ख्वाब  तोड़  दिया । 

 

जब  वो  खयाल  से  बाहर  आया तो  उसे  याद  आया  की  शर्मा  जि के  यहा  । 

एकाउंट  देखने  जाना  है । 

उसने  जट से  नहा  लिया  ओर  फिर  तैयार  होकर  ऑफिस  के  लिए  निकल  गया । 

 

आज  शर्मा  जि  के  यहा  एक  नई  अपॉइंट  हुई  थी  । 

उसका  नाम  था  ।  मलिका  । 

यू  तो  ये  नाम  सुनकर  उसे  बड़ा  ताजुक  हुआ । 

क्युकी  उसकी  पूरी  जिंदगी  इसी  एक  ही  नाम  के  इर्द -गिर्द  घूमती  रहेति  है । 

 

शर्मा जि  ने  संजय  को बुलाया  ओर  कहा  ये  हमारी  नई  ACCOUNTANT है । 

इन्हे  हमारी  कंपनी  का  अकाउंट  देखने मे  मदद करना   । 

अब  से  यही  इस  कंपनी  का  अकाउंट  देखेगी  ओर  तुम  हमारी  नई  कंपनी का  अकाउंट  देखना । 

इतना  कहकर  शर्मा जि  चले  गए । 

अब  आगे  क्या  होगा  । 

 

क्या  संजय  को  इस  मलिका  से  होगा  प्यार । 

या फिर  वो  करता  रहेगा  बे -इम्तिहान  इंतजार  । 

जानने  के लिए  पढे  :- 

अनकही  दास्ता  भाग :- २ 

 

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