सो ही वाज ए टेरेरिस्ट ABHAY SINGH द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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सो ही वाज ए टेरेरिस्ट

5 अगस्त 1994, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन। सुबह 4 बजे एक बन्दा, कहीं नही जाने के लिए प्लेटफॉर्म में बैठा था।

बम्बई ब्लास्ट का मास्टरमाइंड, साल भर पहले पाकिस्तान भाग गया, पर आज कराची से सुरंग खोद, सीधे दिल्ली स्टेशन में निकला।

ब्रीफकेस में चड्डी बनियान,पाकिस्तानी पासपोर्ट, पाकी ठिकानों के विडीयो कैसेट, दाऊद के साथियों के टेप कैसेट और इंक्रिमिनेटिंग डॉक्युमेंट्स लेकर प्लेटफार्म पर मक्खियां मार रहा था।

ये खबर, मुस्तैद एजेंसियों को लगी। पलक झपकते ही पहुंच गयी, मय माल असबाब, याकूब मेमन गिरफ्तार हो गया।

ये गिरफ्तारी की ऑफिशयल कहानी है।
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एक कहानी और है जो तफसील से हुसैन जैदी की किताब ब्लैक फ्राइडे में आती है। लेकिन किताब के पहले यह कहानी इंडिया टुडे में छपी थी।

तब इंडिया टुडे, सैक्स सर्वे और MOTN के अलावे भी कुछ करती थी, उसकी पत्रकारिता की कद्र थी। 1994 में याकूब की अविश्वसनीय गिरफ्तारी के बाद कवर स्टोरी की थी।

2015 में याकूब की फांसी के बाद भी ढाई पन्नो की रपट में इंडिया टुडे में जो छपा, वो लिख रहा हूँ।
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तो कहानी ये, कि याकूब ने भारतीय एजेंसियों से सम्पर्क किया। अपने और परिवार का नाम क्लियर करने के लिए जांच में सहयोग करने, बड़े भाई के कुकर्मों के सबूत देने और पाकिस्तान के इन्वॉल्वमेंट का गवाह बनने का सौदा किया।

बदले में उसके परिवार के लोगों को आपराधिक चार्जेस से मुक्त करने, या हल्की सजाएं दी जाती।

याकूब की गिरफ्तारी के पीछे-पीछे, बाकी का पूरा मेमन परिवार, फ्लाइट से भारत आया। नई दिल्ली प्लेटफार्म जाने की जरूरत नही पड़ी। हवाई अड्डे पर सभी डिटेन कर लिए गए।
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बॉम्बे ब्लास्ट की ओरिजनल चार्जशीट के अनुसार, ब्लास्ट का मास्टरमाइंड टाइगर था। वो आधे दर्जन भाइयों में सबसे बड़ा था।

तीसरा भाई, याकूब चार्टड एकाउंटेंड था। संदेह था कि जरूर उसी ने बड़े भाई के फंड्स को चैनलाइज किया होगा।

एक बम, मेमन परिवार की एक महिला की रजिस्टर्ड गाड़ी में फोड़ा गया था। उस गाड़ी की ट्रेसिंग से ही पुलिस मेमन्स तक पहुची।

पता चला कि ब्लास्ट के पहले से पूरा परिवार गायब है।
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ब्लास्ट के पहले पूरे खानदान को टाइगर ने बुला लिया। PIA फ्लाइट वे सारे दुबई को निकले। लेकिन कराची स्टॉप में ही उतार लिए गए।

पाकिस्तानी एजेंट्स ने बगैर इमिग्रेशन, एयरपोर्ट से निकालकर सेफ जगहों पर रखा।अगले दिन इंडिया में वो हौलनाक धमाके हुए।

साल भर पूरा खानदान लग्जरी बंगलों में, लगभग हाउस अरेस्ट मे रहे। फिर नए नाम, पाकिस्तानी पासपोर्ट मिले। थोड़ी फ्रीडम मिली।

याकूब को अपने काम धंधों के लिए बाहर आने जाने की इजाजत मिली। हालांकि उस पर ट्रेकिंग रखी जाती।
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मेमन खानदान में याकूब पढ़ा लिखा, प्रेक्टिशनर सीए था। हुसैन जैदी की बुक का यकीन करें तो उसकी टाइगर से पटती न थी, और न ब्लास्ट में इन्वॉल्वमेंट थी।

बहरहाल, अपनी फ्रीडम का लाभ लेकर उसने भारतीय एंजेसियों से सम्पर्क साधा। डील की, जिसमे ब्लास्ट के बारे में दाऊद, टाइगर सहित दूसरे आरोपियों के विरुद्ध सबूत देना, तथा और पाकिस्तान के इन्वॉल्वमेंट को एक्सपोज करना शामिल था।

इस क्रम में उसने वहां वीडियो शूट किए, कुछ रेकॉर्डिंग की। और सब लेकर थाईलैंड उड़ चला। लेकिन उतरा काठमांडू एयरपोर्ट में। वहां से उसे भारत लाया गया। ग्यारह दिन पूछताछ हुई।
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इसके बाद गिरफ्तारी सार्वजनिक की गई। कहानी यही की उसे सुबह 4 बजे, दिल्ली स्टेशन पर पकड़ा गया।

याकूब के दस्तावेज, उसकी सूचनाएं और गवाही बॉम्बे ब्लास्ट मे महत्वपूर्ण रही। ओपन टीवी पर याकूब का इंटरव्यू प्रसारित हुआ।

इंडिया टुडे की वीडियो मैगजीन, न्यूज ट्रेक ने उसका इंटरव्यू लिया था, दूरदर्शन में प्राइम टाइम में प्रसारित हुआ। याकूब ने खुलकर पाकिस्तान का नाम लिया। अपने भाई सहित, ब्लास्ट के दूसरे अपराधियों के बारे में डिटेल्स दी।

पाकिस्तान पहुचने, वहाँ बिताए दिन, जगहों, टाइगर- दाऊद के सम्पर्क के पाकिस्तानी अफसरों और पॉलिटिशियंस की जानकारी दी। यह इंटरव्यू, यू ट्यूब पर उपलब्ध है।

देखना रिकमण्डित है। अगर देखें, तो याकूब की आखों में जरूर झांकिये।
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याकूब की सूचनाओं,गवाही के आधार पर हमने पाकिस्तान को खिलाफ UN और तमाम फोरम पर एक्सपोज किया। मोटे मोटे डोजियर बनाये।

कश्मीर से लेकर भारत मे दूसरे आतंकी घटनाओं पर पाकिस्तानी लिंक एस्टेब्लिश किया।

लेकिन याकूब का क्या???
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तो जनाब इतने बड़े कांड में एक मेमन की बलि तो बनती है। दाऊद- टाइगर का तो हम बाल न उखाड़ सके।

तो खुद चलकर आया याकूब ही सही।

उस पर नए आरोप लगाए गए, जो बॉम्बे ब्लास्ट की ओरिजनल चार्जशीट में उस पर थे ही नही। 2015 याकूब को फांसी पर लटका दिया गया।

हैंग टिल डैथ... बिकॉज
ही वाज ए मेमन..

सो ही वाज ए टेरेरिस्ट।