अतिथि देवो भव नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अतिथि देवो भव



ढलती शाम धीरे धीरे बढ़ता अंधेरा एक दिवस के अवसान का संदेश ।

अचानक देवरिया रेलवे प्लेट फार्म पर अफरा तफरी एक लंबा चौड़ा लगभग छः फिट लंबा नौजवान गोरा हाफ पैंट औऱ बनियान पहने विक्षिप्त सा पड़ा भीड़ यह कयास लगा रही थी कि शराब आदि के नशे में धुत होगा भाषा उसकी किसी के पल्ले पड़ नही रही थी क्योकि जो भाषा वह बोल रहा था वह किसी भी भरतीय क्षेत्रीय भाषाओं में नही थी अंग्रेजी वह बोल नही रहा था ।

जी आर पी और आर पी एफ कि लाख मथा पच्ची के बाद सिर्फ इतना ही समझ आया कि वह व्यक्ति जर्मन नागरिक है और रेल से कही जाने के लिए यात्रा कर रहा था तभी शरारती तत्वों ने उसे ठग लिया या यूं कहें लूट लिया और नशीला पदार्थ खिला दिया जब उसे कुछ होश आया तो वह देवरिया प्लेटफार्म पर अर्ध चेतन अवस्था मे था ।

जी आर पी एव आर पी एफ सुरक्षा बलों के लिए वह सर दर्द था एक तो वह विदेशी नागरिक ऊपर से उसके साथ देश मे दुर्व्यवहार मामला बहुत गभ्भीर था ज्यो ज्यो उस नौजवान कि चेतना जागती जा रही थी और जहर खुरानी का असर समाप्त होता जा रहा था त्यों त्यों वह बेकाबू होता जा रहा था चीखना चिल्लाना और ऐसी हरकतें करना जिससे कि मानवीय संवेदना भी व्यथित हो जाय ।

खाने पर कुछ खाता नही किसी तरह से जी आर पी ने उसे दो तीन घण्टे अपने थाने में रोके रखा जो बहुत मुश्किल कार्य था देवरिया वैसे भी उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का अंतिम जिला बहुत पिछड़ा सन 1949 में निर्मित इस जनपद को विकास कि मुख्य धारा में लाने के सभी प्रायास ना काफी साबित हुए जबकि सामाजिक एव राजनीतिक एव शैक्षिक स्तर पर बहुत जागरूक जनपद है देवरिया एव बलिया दोनों ही जनपद उत्तर प्रदेश के एक कोने के अंतिम जनपद है और बिहार कि सीमा से लगे है फिर भी इतनी सुविधा शायद आज भी इन जनपदों में नही है कि किसी विदेशी के रहने के योग्य वातावरण या स्थान उपलब्ध हो।

ऐसा लोंगों का मानना है विदेशी कोई स्वर्ग से नही आता उसका रहन सहन अलग होता है जो इन जनपदों उपलब्ध नही है देवरिया जी आर पी उस विदेशी नौव जवान कि निगरानी कर रही थी उंसे हथकड़ी या जबरन नही बैठाया जा सकता था एक तो वह विदेशी नागरिक दूसरा अपने देश मे ठगी लूट का शिकार उंसे मॉन सम्मान के साथ ही जी आर पी थाने में बैठाकर बार बार उपलब्ध एव उसकी पसंद के लगभग सामग्री मंगवाती एव खाने का अनुरोध करती लेकिन वह कोई ध्यान दिए बगैर ठगों द्वारा कि गयी पिटाई के दर्द से बीच बीच मे कराह देता ।

जी आर पी थाने में भीड़ उस विदेशी नागरिक को देखने के लिए एकत्र थी देवरिया जैसे जनपद में ऐसे लोग दस बीस वर्षों में कभी दिख जाए तो बहुत बड़ी बात है अतः वह ठगी का शिकार विदेशी कौतूहल का विषय था ।

माजरा चल ही रहा था कि देवरिया नगर के चर्चित व्यक्ति जो अक्सर विदेश जाते रहते थे खेल जगत से सम्बंधित थे देवरिया रेलवे स्टेशन के जी आर पी थाने पर लगी भीड़ पर पहुंचे खुद भी बहुत अच्छी अंग्रेजी या कोई भाषा बोल पाते हो ऐसा नही था आते जाते भषाओ कि समझ अवश्य थी गोवर्धन ने उस विदेशी नौजवान से कुछ बात चीत किया और जी आर पी को इतना ही बता सके कि यह जर्मन नागरिक है और चले गए गोवर्धन के जाने के बाद भीड़ धीरे छंटने लगी जी आर पी थाने पर बैठा नौजवान एव उसकी खुशामद करती जी आर पी पुलिस वैसे भी जी आर पी पुलिस ने अपने प्रचलित स्वभाव के विपरीत उस नौजवान कि देख रेख चिकित्सा में कोई कमी नही उठा रखी थी सिर्फ इसलिए कि वह एक विदेशी नागरिक था ।

रात में जी आर पी वाले उस नौजवान की देख रेख करते रहे भोर में कब कहा जी आर पी से चूक हुई वह विदेशी पता नही कहां गायब हो गया अब जी आर पी वालो के लिए नई मुसीबत उन्होंने उस विदेशी जर्मन नौजवान को खोजने में कोई कोर कसर नही छोड़ी लेकिन मात्र दो वर्ग किलोमीटर के शहर देवरिया में उसका कही कोई पता नही चल पा रहा था जी आर पी परेशान पूरा दिन बीतने को आया लेकिन उसका कही पता नही लगा।

दिन के चार बजे भयंकर गर्मी का महीना देवरिया बस स्टेशन कचहरी की मुख्य सड़क कुछ बच्चे एक व्यक्ति को पागल पागल कहते दौड़ाते और पत्थर मारते देवरिया में उस दौर में सिंध शंकर होटल था जहां शहर के खास लोग शौकीन तबियत बैठा करते उसमें गोवर्धन भी थे जब बच्चों का शोर होटल के सामने से गुजर रहा था तब गोवर्धन भी निकले उन्होंने देखा कि उसी नौजवान को बच्चे दौड़ा रहे है जिसे वह जी आर पी थाने देख कर आये थे उन्होंने बच्चों को समझा बुझा कर वापस किया और उस जर्मन नौजवान को होटल के अंदर ले गए और उसके पसंद की जो वस्तुएं उपलब्ध थी उंसे मंगाया और उसे खिलाया इसी बीच वहाँ नंदू पहुंचा जो गोवर्धन से भलीभाँति परिचित था नंदू गोवर्धन के पास बैठा कुछ देर बैठने के बाद गोवर्धन बोले नंदू यह जर्मन नौजवान है इसे कुछ शरारती तत्वों ने जहरखुरानी करके लूट लिया है और मारा पीटा इसे तुम अपने घर ले जाओ और सुबह कप्तान गंज की बस में बैठा कर कंडक्टर से बता देना की इसे कप्तान गंज चर्च पर उतार देगा ।

गोवर्धन की इज्जत नंदू के लिए महत्वपूर्ण थी यह जानते हुए की जिस जर्मन नौजवान को गोवर्धन ने जी आर पी थाने में देखा था फिर भी जी आर पी थाने उंसे ना भेज कर उसे मेरे साथ भेज रहे है बेफिक्र नंदू उस जर्मन नागरिक को लेकर अपने घर गया और उसे खाने के लिए पूड़ी एव मिर्चे का अचार दिया जिसे उस जर्मन नौजवान ने बड़े चाव से खाया और पूरी रात घास में भयंकर मच्छरों के बीच मच्छरों को मारते रात बिताई सम्भवत वह सुबह होने का ही इंतजार कर रहा था।

सुबह होने पर नंदू उसके पास पहुंचा जिसे देखते ही वह जर्मन नौजवान पूरी रात मच्छरों को मारता जागते हुये गुजारी थी गुर्राया और उठा चलने लगा वह आगे आगे नंदू पीछे कुछ दूर जाने के बाद वह जर्मन नौजवान कप्तानगंज जाने वाली बस पर सवार हो गया दूसरे दिन पता चला समाचार पत्रों के माध्यम से की जर्मन नौजवान कप्तान गंज चर्च पहुँच गया जहां से सकुसल वह जर्मनी लौट गया ।

नंदू कि संवेदनाएं आज भी उस घटना को जागृत नेत्रों से प्रत्यक्ष देखती है और अनुभव करती है अतिथि देवो भव।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उतर प्रदेश।।