एक झूठ Shubham Shrivastav द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एक झूठ

आप सोचते होंगे एक झूठ क्यों कहा, क्या है अगर एक झूठ कह दिया तो, एक झूठ तो हर कोई कहता है उसमे क्या हुआ ?

तो आज मैं जो कहानी बताऊंगा उसमे आप खुद ही समझ जाओगे क्या था एक झूठ और उससे क्या फर्क पड़ा जिंदगी में, और क्या हुआ एक झूठ से ।

यह कहानी निशांत नाम के व्यक्ति और उसका परिवार की है, जिसका एक हँसता-खेलता परिवार था।परिवार में माँ, पिताजी, एक बड़ा भाई, बड़े भाई की बीवी, निशांत की बीवी रहती थी।

निशांत के पिताजी का एक बिज़नस था जहाँ दोनों भाई मिल के काम करते थे। दिन अच्छा चल रहा था, बिज़नस में भी तरक्की हो रही थी, सब कुछ अच्छा चल रहा था उस परिवार का।

सुबह उठना, सबका एक साथ बैठ के चाय-नाश्ता करना, निशांत की बीवी सबसे छोटी थी घर में तो सारा काम वो संभालती थी। सुबह उठ के चाय बनाना, सब के लिए नाश्ता बनाना, फिर निशांत को ऑफिस जाना रहता है तो उसके लिए ऑफिस के पेपर्स सब कलेक्ट कर के रख देना, टिफ़िन बनाना फिर उस के बाद जब निशांत चले जाता ऑफिस तो वो घर का सारा काम खत्म कर के, छोटे बच्चो को ट्यूशन पढ़ाती, फिर जैसे शाम को जब सब आ जाते घर तो सबके लिए खाना बनाना, फिर सबको खाना खिला के खुद खाना फिर सोना।

तो ये थी निशांत की परिवार की रोज के काम कहिये या दिन । इसी तरह उनका परिवार हँसता-खेलता गुजरता था। निशांत को शुरू से ही विदेश जाने का बड़ा मन था, उसका सपना था कि, विदेश में एक बड़ी कंपनी में वो एक अच्छे पोस्ट पर काम करे, जिस के लिए वो परिवार का बिज़नस के साथ साथ विदेश जाने के लिए आगे का पढाई भी करता।

दिन बीतता गया और करीब 1 साल निशांत ने रोज अपना काम और पढाई दोनों करता रहा, फिर एक दिन उससे ऑफर आया विदेश के एक कंपनी ने जिसमे निशांत को उस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर के पोस्ट के लिए उसे ऑफर किया था। यह देख निशांत का ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, और साथ ही परिवार में एक अलग ख़ुशी था, जहाँ उस परिवार का पहला व्यक्ति था जो विदेश जाने वाला था काम करने ।

इसी ख़ुशी में निशांत ने अपने सभी परिवार, दोस्त, ऑफिस के लोग सबको उसने पार्टी में आने का न्योता दिया।

फिर पार्टी की शाम हुई, जहाँ सब बहुत खुश थे, कोई नाच रहा था, तो कोई गाना गा रहा था, निशांत ये सब देख बहुत खुश हुआ, और उसकी बीवी ने घर का सारा काम, सबका वेलकम से लेकर खाने तक सब देख - रेख कर रही थी।

तभी निशांत को विदेश की कंपनी से कॉल आता है, घर में शोर होने के कारण निशांत बाहर चले जाता हैं कॉल पे बात करने करने के लिए। निशांत सबसे पेहले अपने बॉस को सुखीर्या कहता है अपने पोस्ट के लिए, लेकिन तभी उसके बॉस उससे कहते हैं, " निशांत ई ऍम सॉरी, तुम्हे मैनेजिंग डायरेक्टर से हटाकर टीम का लीडर बनाया गया है, यह सुनकर निशांत शौक हो जाता है, और वो बॉस से पूछने लगता है, क्यों अचानक से ऐसे, यहाँ मेरे घर में मैनेजिंग डायरेक्टर बनने के खशी में पार्टी चल रही है, और आप अब मुझे कह रहे है, में एक टीम लीडर रहूँगा, बॉस ने कहा कि ये सिर्फ मेरे अकेले का फैसला नहीं हैं, सबने मिल के लिया है, में कुछ नहीं कर सकता, और ये सुनकर निशांत कॉल रख दिया बिना कुछ बोले और बिना कुछ आगे का सुने।

निशांत मानो पूरी तरह टूट गया था, उसे समझ नहीं आ रहा था वो अब क्या करें। तभी वहां निशांत की बीवी आती है, और उसे खाना खाने के लिए कहती हैं।

निशांत बीवी को कहते हुए - तुम सब खा लो में बाद में खालूंगा।

अब उसकी बीवी को क्या पता निशांत के दिल में क्या बीत रही हैं, उसकी निशांत फिर कहने लगती हैं कि आज सब यहां है सब साथ में खाएंगे चलो आप।

निशांत फिर मना कर देता है और कहता है उसे अर्जेंट ऑफिस जाना होगा, एक काम आ गया है उसका वहाँ जो उसका करना जरुरी है, ये सुनकर निशांत की बीवी पूछने लगती है, आज सब घर पे हैं तो ऐसा कोनसा काम आ गया अचानक से, उसने कहा किसी को बताना नहीं सब परेशान हो जायेंगे तुम सबको खाना खिलादो में काम खत्म कर के आऊंगा तब खा लूंगा।

ये कहकर निशांत वहाँ से निकल जाता है, अपनी गाड़ी की और, तभी निशांत की बीवी कहती है, में यहां रुकी हुए हु आप जल्दी से काम खत्म करके आना तब हम साथ में खाएंगे, निशांत उसे देख - हाँ ठीक है में जल्दी आ जाऊंगा काम कर के, ये कह के चले जाता है।

निशांत वहाँ से निकल कर सीधा शराब के दूकान पे जाता हैं, और बैठ कर शराब पीने लगता है, और यहाँ घर में सभी लोग अपने अपने घर चले जाते हैं, तभी निशांत की माँ निशांत की बीवी को कहते हुए - बहु तुम खालो निशांत अपना वहां खा लिया होगा, उसका इंतिज़ार मत करो, ये सुनके के बाद निशांत की बीवी ने कहा - "उन्हीने कहा कि वो जल्दी काम खत्म कर के आएंगे, और मैंने उन्हें कहा भी है, की मैं आपके लिए रुकी रहूंगी, आप आओगे तो दोनों साथ मिल के खाएंगे, ये सुनकर निशांत की माँ ने कहा - "ठीक हैं जैसा तुम्हें ठीक लगे, में जा रही हु सोने " ये बोलके निशांत की माँ और बाकी सब सोने चले गए, और निशांत की बीवी वहाँ सोफे पे बैठ इंतिज़ार करने लगी निशांत की ।

रात के 3 बज गए थे, लेकिन निशांत घर नहीं आया था, और नहीं कॉल उठा रहा था।

उसकी बीवी को जिंता होने लगी और वो कॉल पे कॉल किये जा रही थी, फिर कुछ देर बाद तक कोशिश करने के बाद भी कॉल नहीं उठाया तो उसने ऑफिस में कॉल किया, जहाँ उसे पता चला की वो ऑफिस गया ही नहीं, ये सुनकर निशांत की बीवी और परेशान होने लगी, और वहाँ निशांत शराब पिए जा रहा था, जब एक वेटर ने देखा की वो लगातार कई घंटों से शराब पी रहा है, तो उसने अपने मेनेजर को कहा, फिर मेनेजर ने निशांत को सलाह दी- सर, आपने बहुत पि लिया है, और रात भी बहुत हो चुकी हैं, आपको घर जाना चाहिए, आपके परिवार वाले इंतिज़ार कर रहे होंगे "।

लेकिन निशांत होश में ना होने के कारण वो कुछ नही सुन रहा था, बस पिए जा रहा था, और कुछ देर बाद वो वही सो गया। जब मेनेजर ने उसे वहाँ सोते देखा, तो उसने वेटर से कहा- " वो आदमी जो पि रहा था, एक अच्छे घर का लगता है, एक काम करो उसके मोबाइल से उसके घर में कॉल कर दो, वो परेशान होते रहेंगे, और उसे यहाँ से आकर ले जायेंगे।

ये सुन, वेटर ने निशांत के पॉकेट से मोबाइल निकाला, और जैसे ही स्क्रीन चालू किया, तो देखा एक नंबर से 100 से भी अधिक कॉल आ चुके थे, ये देख वेटर ने उस नंबर पे कॉल लगा दिया, और यहाँ निशांत की बीवी मोबाइल के तरफ देख रही थी की अब कॉल आएगा निशांत का, तभी निशांत का कॉल आता है, और वो तुरंत उठा के बिना कुछ सुने बोलने लगती है, "कहा हो आप ? कैसे हो ? इतने देर से कॉल कर रही थी उठा क्यों नही रहे थे ? तभी वहां से आवाज आता है - " मैडम में वेटर बोल रहा हु, सर ने ज्यादा शराब पि ली हैं इसीलिए वो यहाँ सो गए है, आप आके यहाँ इन्हें ले जाइए। ये सुनकर निशांत की बीवी को मानों झटका सा लग गया हो, वो समझ नहीं पा रही थी, आखिर क्यों? क्यों????

निशांत की बीवी ने पिताजी, और निशांत के बड़े भाई को जगाया, और उन्हें सब कहाँ, ये सुन सब हैरान हो गए, और उसके बड़े भाई उसे लेने चले गए।

कुछ देर बाद निशांत को लेकर घर आते है, और उसे अपने कमरे में सुला देते हैं । लगभग सुबह हो गयी थी, तभी निशांत की माँ किचन जाती है सब के लिए चाय बनाने, तब वो देखती है, खाना सब पड़ा हुआ हैं । तभी वो समझ जाती है कि बहु ने खाना नहीं खाया, और पूरी रात जगी थी । वह जल्दी से नाश्ता बनाकर उस के पास ले जाती है कहती हैं,- "बहु तुमने पूरी रात कुछ नहीं खाया, और पूरी रात बैठे थे सोफा पर लो कुछ खालो और थोड़ा आराम कर लो।

ये सुन निशांत की बीवी ने कहा मुझे बूख नहीं आप सब खा लीजये और निशांत की और देखने लगी।ये देख माँ वहाँ से चले गयी। कुछ देर बाद निशांत उठता है, और वो देखता है कि वो घर में है, तो उसे सब समझ आ जाता हैं कि घर में सबको पता चल गया और कोई उसे वहाँ से लेकर आया।और सामने उसकी बीवी बैठे रहती है वो उसे कुछ कहे की, निशांत की बीवी उठकर वहाँ से चले जाती हैं।

ये देख निशांत सोचता है कि उसे शाम को मना लूंगा,फ़िलहाल ऑफिस चले जाता हूं। ये सोच निशांत तैयार होने चले जाता हैं। जब वो तैयार हो के हॉल में आता हैं, तब वो देखता है कि सारा परिवार वहाँ बैठे रहते हैं। तब निशांत सबके पास जाता है और सबको सारी बात बताता हैं, कैसे उसे पोस्ट से बदल दिया गया, और वह दुःख हो कर शराब पीने चले गया।

और निशांत सबसे माफ़ी मांगने लगता है ।घर वाले उसे कहते हुए - " ये तूने ठीक नहीं किया, तेरे वजह से बहु पूरी रात यहाँ बैठी रही, और बुखी रही, ये इंतिज़ार में की तू आएगा और साथ बैठ वो खायेगी, और तू वहाँ बैठ शराब पी रहा था, क्या यही दिन देखने के लिए तुझे इतना पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया , अगर माफ़ी मांगनी है तो बहु से मांग, कल पुरे दिन उसने काम किया, पार्टी सारा उसने संभाला, यहां तक की पूरा दिन नही खायी, ये सोचकर की तेरे साथ रात में खा लेगी और तू है कि.. " ये कह के सब वहाँ से चले गए । निशांत ये सुनकर अपने बीवी के पास गया और सॉरी कह के, ऑफिस के लिए निकल गया । ये देख उसकी बीवी को समझ नहीं आया कुछ, की यह क्या था, बस एक सॉरी और बात खत्म, पूरा दिन जिस के लिए काम कर रही थी, बुखी रही की उसके साथ खाऊँगी, रोज सुबह उठ के चाय बनाती हूँ, नाश्ता बनाती हूँ, टिफ़िन बनाती हूँ, वोह वहाँ मुझसे झूठ बोलकर पूरी रात बैठ कर शराब पीता रहा और यहाँ में उसका इंतिज़ार कर रही थी। क्या यही प्यार था उसका ? क्या इसे प्यार कहते है ? क्या उसका पोस्ट मेरे से ज्यादा जरूर था ?

यही सब वो पूरा दिन सोचते रह गयी। देखते देखते शाम हो गयी और सब घर आ गए। निशांत आते ही - "माँ बूख लग गयी खाना निकालो जल्दी से, में कपडे बदल के आता हूं "। निशांत कपडे बदल के आके डिनर टेबल पर बैठ गया, फिर बाकी सब भी आये और खाना शुरू हुआ, खाना खाने के बाद रोज की तरह निशांत की बीवी आखिरी में खाना खाने बैठी, वो अपना खा के जब अपने रूम में गयी तो देखा निशांत सो गया था, ये देख वो और अंदर से रूठ गयी की कैसे निशांत इतना जल्दी भूल सकता है सारी बातों को ? कैसे निशांत बिना कुछ ठीक किये रह सकता है ? कैसे उसके मन में नहीं आया एक बार भी की उस रात उसकी बीवी उसका इंतिज़ार कर रही थी बुखे पेट ? क्या निशांत को कुछ फर्क नहीं पड़ता मेरे होने ना होने से ? क्या निशांत के लिए ये सब एक आम बात है ? क्या निशांत को झूठ कहना जरुरी था ? क्या में इतनी भी उसके जरुरत नहीं लगती की वो मुझे सच बता सकता था ? क्या निशांत ऐसे पहले भी झूठ कहा होगा ? कितनी बार मुझसे असेही झूठ बोल कर वो निकला होगा घर से ?

असेही कई सवाल मन में रखे पूरी रात वो सोचते रही और फिर सोचते सोचते सुबह हो गयी, फिर रोज की तरह सबके लिए चाय बनाना, नाश्ता तैयार करना, टिफ़िन देना ये सारे कामों में लग गई । वहाँ निशांत उठके रोज की तरह तैयार होके हॉल में आया । और अपने बीवी से टिफ़िन मांगने लगा ये देख उसकी बीवी सोचने लगी - क्या ये सब भूल गया इतना जल्दी? क्या इसे कुछ याद नहीं उस रात के बारे मैं ? और उसने टिफ़िन दे दिया और सब ऑफिस चले गये । सारा काम खत्म होने के बाद निशांत की बीवी अपने रूम में गयी और उसके मन में आया की यहाँ किसी ने निशांत को दुबारा कुछ नहीं कहा, यहाँ तक की में रोज उदास रहती हूँ ये देख कर भी कोई मुझसे एक बार भी नही पुछा की - " क्या हुआ, ऐसे उदास क्यों हो? क्या निशांत ने नहीं मनाया ? कुछ भी किसी नहीं कहा । अचानक से खड़े होकर उसने अपने आप से कहा जब किसी को यहाँ मेरी जरुरत ही नहीं, जब किसी को फर्क नहीं पड़ता की निशांत ने झूठ बोलकर वहाँ शराब पीने गया, सबको अपना अपना काम दीखता है लेकिन में जो रोज अंदर हजारों सवाल लेकर बिना कोई काम रोके काम करती हूँ ये किसी को नहीं दीखता, अगर ऐसा ही हैं तो मुझे यहाँ रहने का कोई हक़ नही ।

जब किसी को फर्क नहीं पड़ता, किसी को कदर नहीं एक औरत की, वो अपना सब कुछ छोड़कर किसी के घर को सच्चे दिल से अपनाती है, और उसका अपना घर समझ कर सारा टाइम घर को सँभालने में लगा देती है, और बदले में ये उम्मीद, ये चाहत रखती है कि उसका परिवार उसके साथ दे, उसका पति को कभी उसे झूठ बोलने की जरुरत ना पड़े । क्या इतनीसी बात उम्मीद रखना गलत है ? और फिर वो फैसला कर लेती है कि वो अब उस घर में नहीं रहेगी जहां उसकी कदर नहीं । ये सोच वो अपना सामान पैक करना शुरू कर देती है। और फिर वो सारा सामान लेके हॉल में आती है, ये देख निशांत की माँ हैरान हो जाती है, और वो उससे पूछते हुए - " क्या हुआ बहु, सब ठीक है न ? ये सब सामान लेके कहा जा रही हो ? "

निशांत की बीवी कहते हुए - " मुझे यहाँ ठीक नहीं लग रहा में कुछ दिनों के लिए अपने माँ - पापा के घर जा रही हूँ । ये सुन निशांत की माँ खबरा गयी, लेकिन जैसे वो और कुछ केह पाती तब तक निशांत की बीवी वहां से चले गयी । ये देख निशांत की माँ ने तुरंत निशांत को कॉल लगाया और उसे सारी बाते बताई, ये सुन निशांत को थोड़ा समझ आ गया कि उस दिन की बात को लेकर अभी तक वो नाराज हैं, उसने माँ को कहाँ -"आप टेंशन मत लो वो असेही मिलने गयी होगी, शाम को आते वक़्त में उसे लेके घर आ जाऊंगा ।

ये सुन निशांत ने कॉल रख दिया और अपने कामो में लग गया । जब शाम हुए, निशांत ऑफिस से निकल कर अपने ससुराल चला गया अपने बीवी को लाने लेकिन उसकी बीवी आने से मना कर दिया और कहने लगी - " मुझे कुछ वक़्त चाहिए, अकेले रहना है जैसे ही में ठीक हो जाऊंगी में आ जाऊंगी वहां आप चले जाओ", ये सुन निशांत ने अपने बीवी को मनाने की कोशिश करने लगा।

लेकिन कहते है न हर चीज़ का एक वक़्त होता है, अगर वो वक़्त निकल जाए तब आप चाहकर भी कुछ नही कर सकते, कुछ ऐसा ही यहाँ निशांत के साथ हुआ, जब बीवी घर में थी तब निशांत को एक बार भी ख्याल नहीं आया उसे मनाने का, एक बार भी ख्याल नहीं आया उससे बात करने का और आज जब वो घर से चले गई तब उसे होश आया मुझे बात करना चाहिए था ।

बहुत बनाने के बाद जब वो नहीं मानी तब निशांत ने बीवी से पुछा - तुम किस बात को लेकर नाराज हो में शराब पिया इसिलिये न, अगली बार से में नहीं पियूँगा शराब आब माफ़ कर दो और चलो घर ।

ये सुन बीवी ने कहा - " नहीं मुझे इस बात का इतना बुरा नहीं लगा की आपने शराब पिया, मुझे उस बात का बुरा लगा की आपने मुझसे झूठ कहा, आपने मुझसे झूठ कहकर घर से गये एक बार भी आपको मेरा ख्याल नहीं आया, ना जाने आप पेहले भी कितना झूठ बोले होंगे, या आगे कितना बोलेंगे" ये सुन निशांत को गुस्सा आया और उसने कहा तुम बस एक झूठ को लेकर इतना बड़ा हंगामा कर रही हो, एक झूठ ही तो था और कोनसा में किसी लड़की के साथ था पूरी रात जो ऐसे बोल रहे हो आख़री बार कह रहा हूँ चलो घर, मेरे पास इतना वक़्त नही है कि बार बार यहाँ आके तुम्हे समझाते रहूं । ये सुन बीवी ने सीधा कहा आप जा सकते हो मेने आपको नहीं रोका है, खाना बना है खा के जाना । ये सुन गुस्से से वहां से निकल गया बिना खाये ये देख बीवी रोने लगी। वहाँ जब निशांत घर पंहुचा तब सब हॉल में बैठे थे और जैसे ही देखे निशांत आ गया, वो उससे पूछने लगे - अकेला आया ?

बहु कहाँ हैं ?

ये सुन निशांत को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले सबको, उसने फिर भी कह दिया आ जायेगी कुछ दिनों में और केहकर अपने रूम में चले गया।

फिर अगले सुबह हुई तब निशांत के पिताजी बोलने लगे - " बहु, बहु कहा हो अभी तक चाय नहीं मिली मुझे ।"

ये सुन निशांत के माँ ने कहाँ बहु कहा है, आप भूल गए वो अपने मायके चली गयी है ।

ये सुन वो थोड़े उदास हो गए, और फिर उनकी बड़ी बहु कुछ देर बाद चाय लेके आती है। कुछ देर बाद जब नाश्ता का वक़्त होता है, तब घर में नाश्ता बना नहीं रहता है, और वहाँ निशांत को हमेशा उसकी बीवी उठती जो की अब घर में नहीं है, तो वो लेट उठता है । देखते ही देखते घर का सारा माहौल बिगड़ने लगता है । ना किसी को समय पर चाय मिलता, तो ना किसी को समय पर खाना।

उनकी बड़ी बहु जॉब करती थी तो वो भी अकेले कितना कर पाती जितना उससे होता वो कर के अपने ऑफिस चले जाती। ये देख घर के सभी लोग परेशान रहने लगे । वहाँ निशांत का सारा काम, कपडे से लेकर, लैपटॉप, पेपर्स सब उसकी बीवी लाकर देती अब वो घर पे नहीं हैं तो निशांत को सारा काम करना पड़ता, इससे निशांत और परेशान रहने लगा । वक़्त बीतता गया, वहाँ निशांत की बीवी अपने माँ - पापा का ख्याल रखने लगी, और यहाँ निशांत का घर, जो एक हँसता-खेलता परिवार था, वो धीरे - धीरे टूटने लगा था। किसी को आदत थी नहीं, कोई काम करने का, अब सबको काम करना पड़ता था। फिर जब निशांत को समझ आया की वो ज्यादा दिन नहीं रह पायेगा ऐसे तो वो फिर बीवी को मनाने चला गया अपने ससुराल । लेकिन बीवी वापस जाने के लिए मान ही नहीं रही थी ।

उसका बस एक ही बात कहना - " मुझे अब आपपे भरोसा नहीं, आप झूठे हो और में उस इंसान पे अपनी सारी जिंदगी कुर्बान कर दू ये मुझे मेरे मम्मी - पापा ने नहीं सिखाया " ।

तो अब जब तक मुझे यकीन नहीं हो जाता तब तक में अब उस घर नहीं आउंगी । ये सुन निशांत कहने लगा - क्या तुम एक झूठ को लेकर अब तक इतना बड़ा बात बना के रखे हो ? क्या तुम्हारे मम्मी - पापा ने ये सिखाया की अपने पति को अपने परिवार को छोड़ कर अपने मायके आ जाओ ? क्या यही प्यार है तुम्हारा ? ये इतना काम किस के लिए कर रहा हूँ ?

तुम्हारे लिए न हमारे अच्छे जिंदगी के लिए और तुम हो की एक झूठ को लेकर इतना बात बढ़ा रहे हो ?

प्लीज मान जाओ, घर चलो वापस दुबारा ऐसा नहीं होगा ।

लेकिन बीवी नहीं मानी उसने कहा जब तक मुझे मेरा दिल नहीं कहता तब तक मैं नहीं आउंगी आप चले जाओ। और हां खाना बना है खा के जाना । ये सुन वापस निशांत अपने घर के लिए निकल गया । जब वो घर पहुचने ही वाला था तभी, उसे फिरसे विदेश से कॉल आता है, वो साइड में गाडी रोक के कॉल उठता है, तब वहां बॉस उसे कहते बधाई हो निशांत तुम मैनेजिंग डायरेक्टर के लिए अप्पोइंट किये गए हो , ये सुन निशांत खुश नहीं होता और बॉस को कहने लगता- "क्या सर इसबार फिर मुझे हाँ बोल के ना बोल दोगे ? आपके उस दिन के वजह से यहाँ मेरी जिंदगी बर्बाद हो गयी है और आप मुझे ये बोल रहे हो।" ये सुन बॉस ने कहा - मुझे नही पता निशांत तुम्हारे निजी जीवन में क्या हुआ है, उस दिन जब मैने कहा कि तुम्हारा पोस्ट बदल दिया जाता है, वो मेरा अकेले का बात नहीं था, पुरे टीम मिल के तय किया था, और उसके पीछे का भी वजह है, वजह ये है कि तुम्हारा जो प्रोजेक्ट था जो तुमने हमे दिया था वो पूरा नहीं भेजा था, जिस के वजह से तुम्हारा पोस्ट बदलना पड़ा, में तुम्हे आगे बता ही रहा था कि तुमने उस वक़्त कॉल कट कर दिया ।

यह सुन निशांत अपना लैपटॉप ओपन किया और चेक करने लगा, तब उसे पता चला की पार्टी की ख़ुशी में उसने पूरा काम खत्म ही नहीं किया था और उसने बिना कुछ देखे बॉस को दे दिया था । ये देख निशांत ने बॉस को सॉरी कहा और माफ़ी मांगी । और फिर पूछा की सर लेकिन अभी फिर से वो पोस्ट कैसे दिया मुझे ? मैंने तो आगे कोई काम ही नहीं किया, फिर कैसे अभी मिला मुझे ?

फिर बॉस ने कहा - " वो जो आधा काम रह गया था प्रोजेक्ट में वो तुम्हारी बीवी ने कम्पलीट कर के मुझे मेल कर दिया , जिसे देख सारे टीम मेंबर बहुत खुश हुए और तुम्हे फिरसे पोस्ट दे दिया गया। ये सुन निशांत हैरान रह गया और वो सर को थैंक्यू बोल, बाद में बात करता हूँ सर ये बोल के कॉल कट कर दिया । और निशांत बहुत रोने लगा, रोते गया .. जिस बीवी को वो टाइम नहीं देता था, उसे झूठ कहकर चला गया, हमेशा वो घर के काम करती रही लेकिन एक बार भी उसने उससे पूछना जरुरी नहीं समझा की कैसे हो? लाओ में कर देता हूँ काम, या आराम कर लो बाद में कर लेना, हमेशा उसे गलत समझ रहा था, और आज वही बीवी ने उसके झूठ बोलने पर भी, घर छोड़ने पर भी, पूरी रात उसे बुखा रखने तक लेके रोज घर के सुबह से शाम तक काम कराने पर भी, उसने अपने पति का काम किया उसे जरुरी समझा, और वो भले मायके में थी लेकिन काम अपने पति का कर रही थी वहां रहकर भी ताकि उसके पति का विदेश जाने का सपना, मैनेजिंग डायरेक्टर का पोस्ट जी उसके पति, और उसके परिवार का सपना था वो पूरा हो सके ।

जब वो अपने घर पंहुचा तब माँ ने देखा की निशांत के आँखों में आसूं तब माँ ने पुछा - "क्या हुआ निशांत तू रो रहा है ?

निशांत ने कहा माँ में बहुत बुरा हूँ, इतना बुरा की में किसी ने नजरे भी नहीं मिला सकता, खासकर अपने बीवी से "।

ये सुन माँ ने बोली - बेटा हम औरते भले ही कुछ कहते न हो जताते ना हो इसका मतलब ये नहीं की हम इंसान नहीं, हमारे में कोई दिल नहीं, हमे जीने का हक़ नहीं, हमे अपने पूरे सपने करने का हक़ नहीं, आज तक कभीं पुछा अपने बीवी से उसे क्या पसंद है, उसका कोई सपना है, उसकी कोई खुवासिश है जो अधूरी है, एक बार भी बेटा तूने अपने माँ से कहा माँ तुम आज रहने दो में काम कर देता हूँ ।

बेटा निशांत सब कुछ पैसा ही नहीं होता, सारे सपने सिर्फ तुम्हारे ही नहीं होते, तुम्हारे पास जो अपना सब कुछ छोड़कर आयी है उसके भी रहते है । सिर्फ ऊँचा उड़ना मत सीखो, बल्कि साथ में अपने परिवार को भी ऊंचा उड़ाना सिखाओ जो तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़कर आते है । मेरा क्या है, मेरी तो उम्र हो गई है, अभी भी वक़्त है संभल जाओ।

ये सुन निशांत अपने माँ के पैरों पर गिर गया और उनसे माफ़ी मांगने लगा। साथ ही वहाँ खड़े उसके बड़े भाई और पिताजी भी रोने लगे। तभी माँ ने निशांत को कहा -" उठ जा बेटा उठ जा, जा और मेरी बहु को कुछ भी कर के ले आ बहुत याद आ रही है उसकी । ये सुन निशांत रोते रोते अपने ससुराल पहुचा और अपने बीवी के सामने गिर गया तभी बीवी देख - क्या हुआ निशांत ? आप रो क्यू रहे हो ?

सब ठीक है न वहाँ ? तुम्हें कुछ हुआ तो नहीं ?

कुछ बोलो निशांत , मुझे डर लग रहा है," तभी निशांत का रोते रोते कहना -" जरूर पिछले जनम में कुछ अच्छा काम किया रहेगा तो जा के इस जनम में तुम मिले, जो अभी भी मेरी और मेरे परिवार के बारे में पूछ रही है, सोच रही है, क्यों हो तुम ऐसे, क्यों तुम मुझसे इतना प्यार करते हो ?

में लायक नहीं हूं तुम्हारे प्यार के मुझे मारो, मारो मुझे

ये सुन बीवी के आंखो में आसूं आते बोली - निशांत मेरे तो सब कुछ आपसे शुरू होता है और आपपे ही खत्म, ऐसे कैसे आप मुझे बोल रहे हो मारो, मर जाऊंगी लेकिन कभी आपको कुछ होने नहीं दूंगी।

ये सुन निशांत बीवी को अपने बाहों में ले लिया और रोने लगा। कुछ देर बाद बीवी ने कहा कि खाना रखा है खालो चलो, जब निशांत खाने बैठा तो वो देखा जो भी कुछ बना था सब उसके पसंद का बना था ये देख वो फिरसे रो पड़ा और पूछने लगा, बीवी क्या है ये, तुम्हे पता था में फिरसे आऊंगा आज ?

बीवी हसँ के बोली नहीं में तो रोज आपके पसंद का खाना बना के रखती हूं ताकि आप जभी आओ आपको आपके पसंद का खाना खिला सकू, आप जभी भी आते में रोज बोलती खाना खा के जाना, लेकिन आपने कभी खाया ही नहीं। तब निशांत को समझा की हमेसा बोलने का कारन ये था कि बीवी हमेसा मेरे लिए मेरे पसंद का खाना बना के रखती थी। ये सोच निशांत के आसूं रुके नही जा रहे थे, वो फिर बीवी को अपने पास बिठाया और अपने हाथों से उसे खाना खिलाया और बाद में उसने खुद खाया, इतना ही नहीं जब खाना हो गया तो सारा बर्तन उसने उठके भी रखा।

ये देख बीवी रोने लगी और जैसे ही कुछ कहने जाती की निशांत ने उसे चुप करते हुए कहा, शांत आजसे और अभिसे तुम्हारे आँखों में एक आसूं नहीं आने दूंगा। और वहां बैठ गया,कुछ देर बाद बीवी ने कहा-"घर नहीं जाओगे ? तब निशांत हँसते हुई - " जहाँ मेरी बीवी हो वही मेरा घर है " ये सुन उसके चेहरे पर हँसी आगयी और अपने रूम में चले गयी। कुछ देर बाद सारा सामान के साथ रूम से बाहर निकल कर कहने लगी - " चलो निशांत मुझे वो वाला घर जाना है अब, अब मुझे वहाँ लें चलो" . ये सुन निशांत जल्दी से उठा और गाडी में सामान रख दिया, और फिर बीवी के लिए कार का दरवाजा ओपन किया और कहा - " बैठिये मैडम " ये सुन बीवी हँसकर कार में बैठ गयी और थोड़ी दूर जा के निशांत गाडी रोक लेता है।

ओर फिर बीवी को बाहर निकलने के लिए कहता है, जैसे ही वो बाहर निकलती है, वो देखती है निशांत वहाँ आइसक्रीम ले रहा होता है, फिर दोनों एक दूसरे को देखते आइसक्रीम खाते रहते है।

कुछ देर बाद दोनों घर पहुचते है तो देखते सब घर वाले जगे रहते है, और दोनों के लिए एक केक रखा रहता है, ये देख दोनों खुश हो जाते है और केक काटकर एक दूसरे को खिलाने लगते है।कुछ देर बाद निशांत और उसके बड़े भाई दोनों मिल के सबके सामने कहते हुए - " अब से हर हफ्ते में दो दिन हम भाई मिल के खाना बनाएंगे और वो दिन आप सभी को आराम करना होगा।

ये सुन सब हँसने लगते है और माँ दोनों बेटो के सर पे हाथ रख आशीर्वाद देते हुए - " आज मुझे मेरा परिवार फिरसे मिल गया ।"

इसतरह निशांत की हँसता-खेलता परिवार जो निशांत के एक झूठ से टूट गया था, वो फिरसे जुड़ गया।

तो ये था एक झूठ की ताकत जो एक हँसते - खेलते परिवार को तोड़ के रख दिया था और ये था एक औरत और एक प्यार की ताकत जिसे अगर आप नहीं समझेंगे, ख्याल रखेंगे तो आपका हँसता खेलता जीवन बर्बाद हो जायेगा। आखिर कार निशांत की जीवन से जो ख़ुशी चले गयी थी वो उसे वापस मिल गयी ।