राजस्थान का रहस्यमय मंदिर Mayuri .A.Daga द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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राजस्थान का रहस्यमय मंदिर

हेलो दोस्तों आज मैं आपको एक सच्ची कहानी बताने जा रही हूं जो की एक राजस्थान के मंदिर को है।।जो बोहोत डरावनी हैं अगर आप भूतो पे विश्वास नहीं करते तो करने लगोगे।हर इंसान जिंदगी में एक ऐसे पड़ाव पे जरूर आता है जहा पे उसे एक बार डर जरूर लगता है बस उसे महसूस होना चाइए।और डरना भी एक फीलिंग है वो भी महसूस करनी चाइए तभी इंसान को समझता है की वो भी एक इंसान है फिर वो भगवान भी याद कर ही लेता है आपकी इसपे क्या राय है जरूर बताते रहना।।

आशा करती हूं कि आपको पसंद आए।और आपके लिए में ऐसी बोहोत कहानियां लेकर आ सकू और उसपर आपका डेर सारा प्यार मिले।।

भगवान करे आप सब सुरक्षित रहें यही प्रार्थना है मेरी।


मित्रों आज मैं आप सभी लोगों को राजस्थान की एक रहस्यमय जगह के बारे में बताने जा रहा हूं। जिससे लोग आज तक बेखबर हैं।

हम में से कई लोगो ने इसके बारे में सुना ही होगा पर इस मंदिर के बारे में अलग-अलग कहानियां बनाई जाती है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद इस मंदिर में कोई रुकता नहीं.

और इसके आस-पास घूम भी नहीं सकता। क्योंकि जो भी इसके अंदर या आस-पास शाम ढलने के बाद जाता है। तो वह इंसान पत्थर में बदल जाता है।

इसमें कितना झूठ या कितनी सच्चाई है। यह तो आप लोगों को वहां जाकर ही पता चलेगा।

आप लोगों को मैं इस रहस्यमय जगह के इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूं। कि किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के हाथमा गांव में स्थित है।

जिसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का सबसे खूबसूरत मंदिर कहा जाता है।।

लेकिन 900 साल पुराना यह मंदिर की तरफ कई लोगों का ध्यान नहीं गया है।

शिष्यों को बिना बताए रात को कहीं पर निकल गई

उनके जाने के कुछ दिनों बाद सारे शिष्य बीमार हो गए और उन्होंने गांव वालों से मदद मांगी तो गांव वाले लोगों ने उनकी मदद नहीं की।

केवल एक कुम्हारिन ने निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा की। जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक हो जाए। साधु घूमने के बाद उसी जगह पर पहुंचे। तो उन्होंने अपने शिष्यों को कमजोर हालत में देखकर बहुत गुस्सा हो गए।

ऊन्होंने सारे गांव वालों से कहा कि जिस जगह पर इंसान-बनीइंसान की मदद नहीं करता।

तो उनको जीने का क्या हक है. और तभी उन्होंने पूरे गांव को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। शिष्यों की सेवा करने वाली कुम्हारिन को इससे अछूते रखा और शाम ढलने से उसे यहां से बिना पीछे मुड़े इस गांव से निकलने को बोला।


लेकिन उस महिला ने गलती से पीछे देख लिया और वह भी पत्थर की मूर्ति बन गई।


नजदीक गांव वालों के पास आज भी उस कुम्हारी की मूर्ति है। इसलिए प्राचीन समय में लोग हमेशा साधु महात्माओं को खुश रखते थे।


इस श्राप के बाद कोई भी शाम ढलने के बाद उस मंदिर में नही जाता।