अलविदा Bhanuben Prajapati द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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अलविदा

सब कुछ पाकर भी में अकेला हो गया हू।लेकिन तुम्हे बताना चाहता हु दोस्त ,
के मेरे साथ क्या हुआ।और मैने कहा भूल की हे।

सुनील तू मेरा दोस्त हे,तूने हर पल मेरा साथ दिया है,लेकिन में तुम्हे भूल गया,आज तुम मुझे आज मिले इसलिए मेरा दर्द तुम्हे बताना चाहता हूं।

सुनील ने पूछा तुम बताओ तो सही मुकुंद तेरा साथ क्या हुआ था। में जानता हु के तुम ओर रिद्धि एकसाथ प्यारमे मशगुल थे।तुमने तो लव मैरेज की थी।सबकुछ पाकर क्यू अकेले हो गए।

" यार मेरे लिए सिद्धि सबकुछ थी।लेकिन तुम्हे पता है, की रिद्धि और में एक दूसरे के लिए सबकुछ कर जाते थे,में भी इनके बिना अधूरा था।"

" तो यार मुकुंद तुम्हारे साथ क्या हुआ!"

" सुनील मेने सिद्धि को खो दिया है,"

" अरे मुकुंद तूने ऐसा क्यू किया"

" सुनील में भी इनके बिना अकेला हू,लेकिन मेरी गलती की वजह से वो दूर हो गई।"

" मुकुंद तूने ऐसा क्या किया की वो तुम्हे छोड़कर चली गई,मुझे पता ही है की वो तुमको छोड़ने वाली लड़की नहीं थी।तुम्हारे लिए सिद्धि ने अपना घर ,परिवार छोड़ा था," लेकिन ऐसा क्या हुआ तुम मुझे बताओगे?

" सुनील में सिद्धि को गांव से भाग कर सादी की ओर दिल्लीमे बस गया। मेरे पास पैसे नहीं थे।लेकिन सिद्धि थोड़े गहने लाई थी, उन गहनों को बेचकर किराए पर मकान लिया।ओर सिद्धि गृह उद्योग में काम करती,में भी एक डॉक्टर की गाड़ी चलाने लगा। बहोत अच्छी तरह हम दोनो रहते थे,गुजारा भी हो जाता था।"

" मुकुंद तो बात कब बिगड़ी"

" सुनील में डॉक्टर की गाड़ी चलाता था उनकी एक लड़की थी रेश्मा,उनको कभी कभी कॉलेज छोड़ने जाया करता। पता नही चला में भी उनकी बातों में आकर दिल दे बैठा। "

" मुकुंद तुम्हे पता है की तुन्हे क्या किया,जो लड़की तुम्हारे लिए सबकुछ दाव पर लगाकर आई उनका ख्याल नही आया।"

" सुनील प्यार चार दिनमे उतर जाता है,लेकिन जरूरी है पैसे।में भी कितना कमाता ,ओर सिद्धि जो कमाती किराया चुकाते ,ओर में घर।जब रेशमा अकेली थी उनके पास सारे पैसे थे।डॉक्टर की अकेली संतान थी इसलिए मैने सोचा मुझे धनवान बनना हे तो ईसके साथ प्यार करना होगा।मैने सिद्धि के बारे में सोचा ही नहीं,मुझे प्यार के अलावा पैसे ज्यादा दिख रहे थे।इसलिए में डॉक्टर के घर ज्यादा रहने लगा,"

मुकुंद इनको पता नही था तूने सादी की हुई है। "

" नही मैने बताया नही था ।उन्होने पूछा नही था।लेकिन एक दिन में और रेशमा अकेले घर पे थे में रेशमा को कॉलेज छोड़ने के लिए आया था।रेशमा इतनी सुंदर थी मेने उनकी तारीफ की ओर वो मेरे बाहों में समा गई। मेने भी इनके साथ थोड़ा प्यार भरा नाटक किया।लेकिन वो सचमुच मुझे चाहने लगी थी।वो हररोज मुझे कॉलेज का नाम लेकर बुलाती ओर हम दोनो गुमने जाते।में सिद्धि से दूर होता चला ओर सचमुच रेशमा के प्यारमे अंधा होने लगा पहले तो मेने नाटक किया था।लेकिन अब मुझे भी वो शहर की लड़की सिद्धि से ज्यादा अच्छी लगने लगी।

" सिद्धि को कब पता चला मुकुंद?

" सुनील में घर पे ज्यादा नहीं जाता था ए मुझे फोन करती में कह देता डॉक्टर साहब के साथ हू, पगार देते है तो उनकी बात माननी पड़ेगी।ऐसा करके मना लेता।में सारी रात गायब रहेता ओर रेशमा के साथ गूमता डॉक्टर साब को पता था लेकिन उनको भी में पसंद था।वो सादी कराके रेशमा को ओर इसके होने वाले पति को घरजमाई बनाना चाहते थे।इसलिए वो कुछ नहीं बोलते।एक दिन में घर पे था तब सिद्धि को पता चल गया के में किसी लड़की के साथ चक्कर चला रहा हु।मेरी फोन से रेशमा से बात हुई वो सुन ली थी।"

" मुकुंद रेशमा ने कुछ तब बताया,"

" सुनील रेशमा ने मुझे बता दिया तुम सादी की बात किस लड़की से कर रहे हो।" वो लड़की रेशमा हे,मेने उसे कुछ नहीं बताया हे, चिंता मत करना।

" मुकुंद तुम्हारी बात सादी तक आ चुकी थी।

" हा,सुनील ! हम दोनो ने सादी करने का फैसला किया था। " इसलिए मुझे भी बताना था सिद्धि को कि में तुझे तलाक देने वाला हु।पता नही मुझे भी अब सिद्धि में कोई इंट्र्स नही था।मेने सोचा थोड़े दिन के बाद बताऊंगा।में चुप था।लेकिन एक दिन में डॉक्टर साब के घरसे आ रहा था तब रास्ते में मुझे सिद्धि की सहेली मिली ,उन्होंने मुझे तलाक के साहिन वाले कागज दे दिए। मेने पढ़ा और खुश हो गया अच्छी बात है की सिद्धि समझ गई।
दूसरी चिट्ठी में लिखा था,

प्रिय मुकुंद।

में सबकुछ छोड़कर तुम्हारे पास आई थीl में तुम्हे अपने से ज्यादा तुम्हे चाहती थी।मुझे आज पता चला जो माता पिता सोचकर सादी कराते हे इसमें ईश्वर की कृपा होती है।लेकिन मेने सबका दिल दुखाया इसलिए मुझे भी सजा मिल गई है।में आज भी तुम्हे चाहती हू इसलिए तुम्हारी खुशी रेशमा में हे मेने सब पता लगा दिया है।ओर में रेशमा को भी में जानती हु।इसलिए इस लड़की को प्यार से रखना मेरे साथ हुआ इसके साथ मत करना।में सिटी छोड़कर दूर जा चुकी हु मेरी ढूंढने की कोशिश मत करना।में खुदकुशी करने वालो में से नही हु।में भी अपनी अधूरी जिदंगी अपने बच्चे के साथ काट लूंगी।हमारा बच्चा मेरे साथ पेट में लेकर जा रही हु।अलविदा मुकुंद। ओर तुम्हारी नई सादी के लिए मुबारक।

" मुकुंद तूने अच्छा नहीं किया।मुझे भी आज तुम पर नफरत होती है।तुम तो रेशमा के साथ हो, फिर अकेले कैसे"

" सुनील मेरे गुनाह की सजा मुझे मिल गई।मेने सादी तो की रेशमा के साथ लेकिन रेशमा विदेश चली गई है, ओर वही जाकर दूसरी सादी कर ली।रेशमा ने एक कोरे चेक और दूसरी तरफ तलाक के पेपर भेजे तब मुझ सिद्धि का प्यार याद आ गया उसका त्याग और बलिदान याद आ गया।मेरे दिल में जो दर्द था वो दर्द सिद्धि का याद आ गया।लेकिन क्या करू अब देर चुकी है।में कही का नही रहा hit मेरे पास आज सबकुछ है लेकिन में प्यार के बिना अधूरा हु।मुझे सिद्धि याद आती है जो मिल जाए तो उनके साथ मेने किया उनकी माफी मांगना चाहता हु।

" मुकुंद दिल से तुम माफी मांगना चाहते हो"

" हा,सुनील में दिल से माफी मांग लूंगा

" मुकुंद थोड़ी देर रुक "

" सुनील क्या बात है?

" मुकुंद देख सामने वो छोटी बच्ची और इनके साथ कोन है"
" सुनील अरे रिद्धि हे,ओर वो बच्ची मेरी ?

" मुकुंद वो सिद्धि हे लेकिन वो बच्ची मेरी हे।

" सुनील लेकिन सिद्धि ने बताया था वो बच्ची उनके पेटमें थी।

" मुकुंद थी लेकिन अब तेरी नही हे"


मुकुंद बोला तुम सबकुछ जानकर अनजान क्यों बने!
सुनिल ने कहा : मुकुंद में सबकुक तुम्हारे मुख से सुनना चाहता था।

मुकुंद बोला : सुनील बच्ची मेरी हे।तेरी कैसे हो गई।

" रिद्धि ने आकर बोला; सुनील सच बोल रहे है।जब मेने तुम्हारा घर छोड़ा और ट्रेन में चली जा रही थी तब तुम्हारा मित्र सुनील मुझे मिला, उनको देखकर मेरी आंख भर आई तब मैंने सब कुछ सुनील जी को बताया और सुनील जी ने बोला कि तुमको दिल्ली छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है ।आज से तुम मेरे घर पर रहोगी और मैं उनके साथ रहने लगी। हम दोनों के साथ रहकर एक निर्णय ले लिया की बच्ची के लिए शादी कर ले। सुनील जी ने बताया कि मेरे दोस्त ने जो भी किया अच्छा नहीं किया, लेकिन इनमें इन बच्ची का क्या दोस्त है! इसलिए मैं तुम्हारे साथ शादी करना चाहता हूं और मैं सुनिलजी के साथ शादी कर ली ।

और इस बच्चे का बाप सुनील हे। तुम्हारा इसके साथ कोई संबंध नहीं है।

सुनील ने कहा मुकुंद तुम आज भी अकेले हो और कल भी अकेले रहोगे।तुमने जो बोया था उनका फल भुगतना पड़ेगा।तुम माफी मांगना चाहते हो तो मांग लो।

मुकुंद बोला; सुनील ओर सिद्धि मुझे माफ करना मेरे कर्मो का फल मिल गया।तुम खुश रहना और मेरी बच्ची का ख्याल रखना।

रिद्धि बोली अब देर हो चुकी है चलो सुनील जी घर जाते है।

अलविदा मुकुंद।