राघव का गुस्सा धीरे धीरे कर शांत होने लगा था । उसने भी अपना हाथ बढ़ाकर हरिवंश जी को कसकर थाम लिया । कुछ पल बाद राघव बोला " वो लोग कौन थे पापा ? आखिर वो लोग क्या चाहते हैं ? "
हरिवंश जी राघव से अलग हुए और उससे बोले " यहां बैठो फिर तुम्हें पूरी बात बतात हूं । " राघव हरिवंश जी के साथ जाकर सोफे पर बैठ गया । समर और कैलाश जी अपनी अपनी जगह पर खडे थे । हरिवंश जी राघव की ओर देखकर बोले " तुम्हें तो मालूम ही हैं की तुम्हारी मां के नाम पर गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए हमने एक अस्पताल बनाने का सपना देखा था । बस उसी सपने को पूरा करने की शुरुआत हमने की । हमने एक जमीन खरीदी जो हॉस्पिटल बनाने के लिए बिल्कुल उचित हैं । सारे पेपर्स रेडी हो चुके थे । तुम उस वक्त अपने दोस्तों के साथ ट्रिप पर स्पेन गए थे । उसी वक्त उस जमीन पर भूमी पूजन किया गया । भूमी पूजन के दिन ठाकुर वीरेन्द्र सिंह ने आकर पूजा रूकवा दी । कहने लगा की ये ज़मींन मेरी हैं । हमने कहा पेपर्स दिखाओ तो उसने कहा उसके कदम जहां पड जाए वो ज़मींन उसकी हो जाती हैं । हमने मानने से इन्कार कर दिया । उसके बाद से वो हर रोज कोई न कोई नयी प्रोब्लम्स क्रियेट करता रहता है । आज भी उसने कुछ ऐसा ही किया । "'
" तो फिर पापा आप लोगों ने पुलिस से बात क्यों नही की ? " राघव ने कहा तो हरिवंश जी बोले ' हमे लगा ये मामला बातों से सुलझ जाएगा , लेकिन अब लगता है पुलिस की इनवोलवमेंट जरूरी हैं । समर तुम आज ही कमिश्नर साहब से मिलो और रिपोर्ट दर्ज करवाओ । कैलाश जी आप एक अच्छा वकील हायर कीजिए । हम आज ही उनसे मिलेंगे । " कैलाश जी और समर दोनों ने ही हरिवंश जी की बातों पर हामी भर दी ।
इधय दूसरी तरफ ठाकुर वीरेंद्र सिंह की हवेली में शोर शराबा मचा हुआ था । ( सबसे पहले इनका परीचय दे दू ये हैं कौन ? नारायण ठाकुर के नाजायज बेटे । नारायण जी के तीनो जायज बेटो से वीरेंद्र बडा हैं । बचपन से ही नारायण जी ने इसे अपना बेटा नही स्वीकरा , इसलिए ये भी उन्हें अपना पिता नही मानता । खून का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों एक दूसरे से परायो जैसा व्यवहार करते हैं । वीरेंद्र की मां एक कोठे वाली थी इसी वजह से नारायन जी ने उसे अपनी पत्नी नही स्वीकारा । )
ठाकुर वीरेन्द्र सिंह की हवेली में शोर शराबे का माहौल था , क्योंकि नाचने गाने वालीया यहां अक्सर आती जाती और रंगीन माहोल हमेशा जमा रहता । वीरेंद्र एक नंबर का अय्याश किस्म का इंसान था । सफेद कुर्ता पजामा पहने और हाथों में शराब की बोतल पकड़े , वो इस वक्त सोफे पर बैठा हुआ था । उसकी आदमी भी वही मौजूद थे । गाने की धुन पे मध्य में खडी लड़कियां भी नाच रही थी । ......
तुम जो पास आ गए हम जो शरमा गए
राज दिल पा गए ...
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
( पूरी हवेली बस जश्न के माहौल में चूर थी । बाहर आदमियों का सख्त पहरा भी था । वीरेंद्र की हवेली में इस तरह नाच गाना वक्त वे वक्त होता ही रहता था । )
जब निगाहें मिली दिल में कलियाँ खिली
जैसा लहरा गए...
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
( एक लडकी वीरेंद्र के पास आकर उसे रिझाते हुए उसकी गोद में अपना सिर रख गाने लगी । वीरेंद्र ने हाथ बढ़ाकर उसकी जुल्फों को पीछे करना चाहा , तो वो उठकर वहां से चली गयी और फिर से उन लड़कियों के साथ नाचने लगी । )
वस्ल की रात में हाथ है हाथ में ,
बात ही बात में बात पोहंची कहा ....
वस्ल की रात में हाथ है हाथ में ,
बात ही बात में बात पोहंची कहा...
एक मुलाक़ात में देखा ये ख्वाब तो
दिल है बेताब तो दोनों घबरा गए....
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
( बाहर कमलेश अपने आदमियों के लेकर पहुंच चुका था । इस वक्त उसके ओर शरीर पर कयी जगह पट्टियां बंधी हुई थी । बाहर खडे गार्ड ने उसे अंदर आने से रोक दिया " रूको रूको.... अंदर कहा घुसे चले आ रहे हो। । कमलेश को रोकने पर वो गुस्से से फूटते हुए बोला " साले तुम हमको रोकोगे । तुम्हारी इतनी हिम्मत । भैयाजी से कहकर तुम्हारी छुट्टी करनी पडेगी । "
कमलेश की आवाज सुनकर वहा खडे आदमी चोक गए । वो माफ़ी मांगते हुए बोले " माफ़ कर देना कमलेश भैया । हम आपको पहचान नही पाया । आपके थोपडे का नक्शा कौन बिगाड़ दिया । "
' रास्ते से हट जाओ वरना तुम्हरा रस्ता हम बिगाड देंगे । " कमलेश ने तुनकते हुए कहा । वो दोनों आदमी दरवाजे से साइड हट गये । कमलेश अंदर चला गया । )
इश्क़ जंजीर है इश्क़ एक तीर है ,
इश्क़ तकदीर है इश्क़ एक ख्वाब है ....
इश्क़ जंजीर है इश्क़ एक तीर है ,
इश्क़ तकदीर है इश्क़ एक ख्वाब है....
इश्क़ ताबीर है जिसका दिल नाम है ,
वो तो एक जाम है जाम छलका गए,
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल
( कमलेश अंदर आया तो देखा वीरेंद्र महफ़िल जमाकर बैठा था । कमलेश खुद से बोला " ई बखत भैयाजी को परेशान किए , तो ऊं हमरी बची हुई हड्डियां तोड देंगे । सलामती इसी में हैं की हम ईहा से निकल जाए । ये बोल कमलेश जैसे ही जाने के लिए मुडा उसे पीछे से एक आवाज सुनाई दी । )
तुम जो पास आ गए हम जो शरमा गए
राज दिल पा गए
तुम भी पहले पहल हम भी पहले
पहल
तुम भी पहले पहल हम भी पहले पहल ....
.............
" रूको ..... "
कमलेश आवाज सुनकर रूक गया । नाचती हुई लड़कियां भी तेज आवाज सुनकर रूक गयी । " इस हालत में भी भैयाजी ने हमको पहचान लिया । " ये सोचते हुए कमलेश पीछे की ओर पलटा और वीरेंद्र के पास चला आया । वीरेंद्र आश्चर्य भरी नजरों से उसे देखते ही बोला " कौन मारा तुमको ? "
" और कौन भैयाजी हरिवंश सिंह का छोटा बेटा राघव सिंह रघुवंशी । "
वीरेंद्र गुस्से से उठते हुए बोला " उस साले की इतनी मजाल । हमरे आदमियों पर हाथ उठाया । लगता हैं दिन पूरे हो गए हैं उसके । अब तक शराफत से पेश आ रहे थे , लेकिन ई लोग चाहते हैं हम अपना असली रंग दिखाए तो फिर ठीक हैं । " वीरेंद्र ने अपने दूसरे आदमी को इशारा किया तो उसने वहां खडी लडकियों को उनके कोठे पर भिजवा दिया । बाहर से एक आदमी भागता हुआ अंदर आया और वीरेंद्र की ओर लिफाफा बढ़ाते हुए कहा " भैयाजी ई आपके लिए कोई देकर गया है । " वीरेंद्र ने लिफाफा खोला तो उसे कुछ समझ नही आया । पढा लिखा था नही तो भला उस लेटर को कैसे पढ पाता ।
" साला कौन सा पैगाम लिखकर भेजा कुछ समझ में ही नही आ रहा । " विरेंद्र उस पेपर को आगे पीछे पलटकर देखते हुए बोला ।
कमलेश अपना सिर खुजलाते हुए बोला" भैयाजी ई शेर का चित्र देखकर लग रहा हैं जैसे कोनों सरकारी कागज हो । "
' अइसा का ..... जाओ रे जल्दी से उठा लाओ पढा लिखा वकील । " वीरेंद्र के आदेश पर सब जुट गए पूरा करने के लिए । अगले आधे घंटे के अंदर उनक फैमली वकील उनके सामने पेश हो गया । वीरेंद्र वकील को पेपर्स देते हुए बोला " जल्दी पढो और पढ़कर बताओ का लिखा हैं इसमे । "
वकील साहब पेपर पकडते हुए मन में बोले " हां अब यही काम रह गया है । इनकी चिट्ठी पत्रियां पढ़कर इन्हें सुनाता रहू । " ये बोलते हुए वकील ने पेपर्स पढे ,तो उनके चेहरे का रंग उड गया । वीरेंद्र उसके चेहरे के हाव भाव देखकर बोला " का बात हैं वकील साहब आपके चेहरे की हवाइयां काहे उड गयी । "
" आपकी भी उडने वाली हैं । " वकील ने धीरे से कहा लेकिन कमलेश ने सुन लिया था । वो वकील को घूरने लगा तो वकील ने उससे नजरें चुरा ली । " तुमहरी बोलती काहे बंद हो गई । बताओ न का लिखा हैं ई में । " वीरेंद्र ने थोडा तेज आवाज में कहा तो वकील गहरी सांस लेकर बोला " कोर्ट के कागजात हैं । जिस जमीन को लेकर उन रघुवंशियों से भिडे हैं न आप , उन्होंने इस मामले को कोर्ट पहुंचा दिया हैं । कोर्ट ने सम्मन भेजा हैं । परसों इस विवाद पर सुनवाई होगी और हाजिरी जरूरी हैं । " वीरेंद्र गुस्से से उन पेपर्स को मरोड़ते हुए बोला " उन रघुवंशियों की इतनी हिम्मत हमसे उलझने की कोशिश कर रहे हैं । हम भी देखते हैं कोर्ट कौन सा फैसला लेते हैं । "
" मैंने तो पहले ही कहा था आपसे मत उलझिए उन रघुवंशियों से । अब क्या करेंगे आप जमीन के पेपर्स तो हैं ही नही आपकज पास । " वकील ने कहा तो कमलेश बोला " किसने कहा नहीं हैं । आज के जमाने में नकली कागजात बनवाना कोन सी बडी बात है । सब भैयाजी पहले से ही तैयार करके रख लिए हैं । अब तुम बस केस लडने की तैयारी करो । "
" सुनो वकील कोनो भी हालत में हम हारने नही चाहिए । वरना तुम्हारी खैर नही । " वीरेंद्र ने कहा । वकील मन में बोला " हमारी बली चढ़ाने का पूरा प्लान कर रखा हैं इन्होंने । "
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शाम का वक्त, District court ayodhya tirahaवीरेंद्र आज कोर्ट की सुनवाई के लिए पहुंचा था । समर , हरिवंश जी और कैलाश जी ही कोर्ट आए थे । राघव को उन लोगों ने इस मामले से दूर रखा था , क्योंकि इन सबकी वजह से उसे गुस्सा बहुत जल्दी आता था । कोर्ट की कारवाई खत्म हुई तो सभी लोग बाहर चले आए । पहली सुनवाई थी कोई खास नतीजा नही निकला । समर कैलाश जी के साथ खडा था । हरिवंश जी वकील से बात कर रहे थे । इसी बीच पीछे से किसी की आवाज आई । " मिस्टर रघुवंशी .....
सब लोगों ने आवाज की ओर नजरें घुमाई , तो देखा वीरेंद्र अपने आदमियों के साथ खडा था । वीरेंद्र उनके पास आकर खडा हो गया और एक अकड भरे लहजे में बोला " मैंने कहा था सीधे सीधे मुझे ये जमीन दे दो लेकिन आप सब नही माने । जिद करके बाद कोर्ट तक खींच लाए । कोर्ट का नतीजा कुछ भी निकले लेकिन मैं इस जमींन को नही छोडूगा । चाहे इसके लिए मुझे लाशे ही क्यूं न बिछानी पडे । "
" तुम यहां हमे धमकी देने आए हो । " समर ने आगे बढ़कर कहा तो वीरेंद्र फीकी मुस्कुराहट के साथ बोला " समझदार हो जल्दी समझ गये । " इतना कहकर वीरेंद्र वहां से चला गया ।
समर उसे जाते देख हरिवंश जी से बोला " पापा ये इंसान बातों की भाषा समझने वाला नही हैं । मैं तो कहता हूं इललीगल तरीके से इससे निपटना चाहिए । "
" बकवास बंद करो , ऐसा कुछ नही होगा और न ही तुम ऐसा कोई कदम उठाओगे । राघव को इस बात की भनक नही लगनी चाहिए । वो पूछे तो कह देना हम सब संभाल लेंगे । " हरिवंश जी ये कहकर आगे बढ गये । समर और कैलाश जी भी उनके पीछे चले गए । हरिवंश जी गाडी के पिछली सीट पर बैठे किसी गहरी सोच में डूबे हुए थे । समर ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा " आप राघव को लेकर परेशान हो रहे हैं न पापा । "
" हां समर ..... उसका गुस्सा बहुत खराब हैं । मैं नही चाहता वो इन झगड़ों में पड़े । उससे टकराने वाला इंसान आगे चलकर बहुत पछताएंगे । राम का दूसरा नाम राघव हैं , लेकिन राम की तरह उसमे सहन क्षमता नही हैं । "
" डोंट वरी पापा सब अच्छा होगा । " ये कहते हुए समर ने उनका हाथ कसकर थाम लिया ।
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क्या होगा आगे ? जमीन का मामला कोर्ट तक जा चुका हैं ? वीरेंद्र पीछे हटने वालों में सेक्स नहीं है क्या हरिवंश जी इस मुसीबत का पार पाएंगे ?क्या होगा जब राघव इन सब मामलों के बारे में जानेंगा । ये देखने के लिए अगला भाग जरूर पढ़ें
प्रेम रत्न धन पायो
( अंजलि झा )*********