Part - 2 अपनी अपनी ज़िंदगी
पहले भाग में आपने पढ़ा कि रेखा की शादी कम उम्र में हुई थी और दुर्भाग्यवश कम उम्र में ही उसके पति का देहांत हो जाता है , . रेखा को प्रिंसिपल ने लेक्चरर का टेम्पररी ऑफर दिया था ,अब आगे पढ़ें .....
“ थैंक्स , बहुत अच्छा सुझाव है आपका . आपने मुझे एक अवसर दिया है देखती हूँ मैं कर पाऊंगी या नहीं क्योंकि बिटिया भी मेरे साथ रहती है . फिर भी मैं एक सप्ताह के अंदर आपको बता दूँगी . “ राखी उन्हें नमस्कार कर चली गयी .
अपने क्वार्टर में आकर सबसे पहले रेखा ने ठंडा पानी पिया और फिर आँखें मूँद कर कुर्सी पर बैठ गयी . उसने मन ही मन कल्पना किया कि वह पी एच डी कर कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफ़ेसर बन गयी है . वह क्लास में लेक्चर दे रही है . उसका मासिक वेतन साठ हजार है और ऊपर से और भी पर्क्स . और जल्द ही सेवंथ पे कमीशन लागू होने जा रहा है तब उसका वेतन कम से कम सवा लाख हो जायेगा . अभी इन्हीं रंगीन सपनों में खोयी थी कि उसकी बेटी भी स्कूल से वापस आयी . तब अचानक उसका सपना टूट गया पर दिमाग में अभी भी वही बातें घूम रहीं थीं . उसका सिर भारी लग रहा था , तभी महरी भी आयी . महरी ही अक्सर खाना भी बनाया करती थी . रेखा ने कहा “ तुम जल्दी से राखी को खाने को दो और मेरे लिए चाय बना लाओ . हाँ , तुम अपने लिए भी बना लेना . “
महरी कुछ देर में चाय ले कर आयी और रेखा को दिया और पूछा “ क्या बात है दीदी , आज बहुत गुमसुम हैं . “
“ कुछ नहीं , तुम भी अपनी चाय लेकर यहीं आ जाओ . “
महरी एक गिलास में अपनी चाय ले कर आयी और रेखा की बगल में जमीन पर बैठते हुए बोली “ क्या बात है दीदी ? तबियत ठीक है न ? “
रेखा ने सिर हिला कर सहमति व्यक्त किया . “ फिर आप रोज की तरह मुझसे बात क्यों नहीं कर रहीं हैं ? “
“ मुझे एक चिंता सता रही है . मुझे फूल टाइम नौकरी करनी पड़ी तब घर कैसे मैनेज करूंगी ? “
“ मैं हूँ न दी , मैं बेबी की देखभाल करती रहूंगी . पर अभी तो आपको नयी नौकरी मिली नहीं है तब अभी से क्यों चिंता कर रहीं हैं ? जब समय आएगा तो भगवान् रास्ता भी दिखाएंगे . “
“ पहली बार तुमने समझदारी वाली बात कही है . मैं भी न जाने कहाँ खो गयी थी ? “
इस बात पर दोनों हँसने लगीं .
रेखा के मन में हमेशा पी एच डी और नौकरी वाली बात घूम रही थी . प्रिंसिपल ने जब से उसे ऐसा कहा उसके मन में महत्वाकांक्षा जागृत हो उठी थी . पर इसके लिए उसे बहुत मेहनत करनी होगी और अगर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बन गयी तब वह बेटी को पूरा समय नहीं दे पाएगी . महरी और आया के भरोसे राखी को छोड़ना भी उसे गवारा नहीं थी , इस तरह बेटी की अच्छी पढ़ाई और आल राउंड डेवलपमेन्ट मुश्किल था . इसी उधेड़बुन में चार दिन बीत गए और तीन दिनों के अंदर उसे प्रिंसिपल को जवाब भी देना था . वह अभी तक फैसलना नहीं कर पा रही थी .
उसी दिन शाम को अचानक रेखा के दरवाजे पर दस्तक हुई . उसने दरवाजा खोला तो सामने एक आदमी हाथ जोड़े खड़ा था . रेखा को वह आदमी जाना पहचाना लगा . तब उसे याद आया कि रवि की दुर्घटना के समय दो तीन बार वह अन्य लोगों के साथ आया था . उस आदमी ने कहा “ मैं प्रोफेसर शर्मा , उमाकांत शर्मा हूँ . “
रेखा ने बरामदे में रखी कुर्सी की ओर इशारा कर कहा “ नमस्कार , प्लीज दो मिनट बैठिये . मैं अभी आयी . “
दरअसल वह किसी मर्द को अंदर नहीं ले जाना चाहती थी . उसने महरी से कहा “ दो कप चाय ले कर बाहर आना . “ इतना बोल कर वह प्रोफ़ेसर के सामने कुर्सी पर बैठते हुए बोली “ बोलिये , कैसे आना हुआ ?”
महरी जल्द ही चाय ले कर आयी , एक छोटे टेबल पर दो कप चाय और एक प्लेट में कुछ बिस्कुट रख कर वह चली गयी . रेखा ने कहा “ सर , चाय लें . “
“ मुझे प्रिंसिपल ने कहा है कि मेरे ही डिपार्टमेंट में एड हॉक वेकेंसी के लिए शायद आप इंटरेस्टेड हैं . “
“ जी सर , प्रिंसिपल साहब ने कहा जरूर है पर मैं अभी तक फैसला नहीं कर सकी हूँ . “
“ क्यों ? एक सुनहरा अवसर आपके द्वार पर खड़ा है और आप उसे आने नहीं दे रहीं हैं . “
“ दरअसल बिटिया की जिम्मेदारी भी मुझ पर है . मैं उसे नजरअंदाज नहीं कर सकती हूँ . “
“ बिटिया को नजरअंदाज करने की बात कहाँ है ? एक तो यह पोस्ट टेम्पोरेरी है , कुछ ही महीनों की बात है . आपको पढ़ाने का अनुभव होगा जो भविष्य में आपके काम आएगा . “
“ यस सर , आपका कहना सही है . जो भी हो तीन दिनों के अंदर मैं प्रिंसिपल साहब को बता दूँगी . “
“ ठीक है , मेरी समझ में यह ऑफर ठीक है . आप इस विषय पर सीरियसली विचार करें . अच्छा , अभी चलता हूँ . “
“ जी , नमस्कार . “ कह कर रेखा ने उन्हें विदा किया
दो दिनों के बाद प्रोफ़ेसर शर्मा फिर रेखा के घर आये , बातचीत के दौरान उन्होंने कहा “ तब रेखाजी आपने जॉब के बारे में क्या सोचा है ? “
“ मैं अभी तक कंफ्यूज्ड हूँ . ये टेम्पोरेरी पोस्ट है , ज्यादा से ज्यादा छह महीने और उसके बाद मेरा लाइब्रेरी वाला भी चला गया तब क्या होगा ? “ रेखा ने पूछा
“ वह जॉब आपका नहीं जायेगा क्योंकि वह अनुशंसा के आधार पर आपको मिला है . पर फिर आप पीछे क्यों जाना चाहती हैं ? आप पी एच डी करें और फिर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के लिए ट्राई करें . वैसे आपको पी एच डी में स्टाइपेंड भी मिलेगा जो अनुशंसा जॉब के वेतन से कम नहीं होगा . “
“ फिर तो मैं कोशिश करूंगी . कल प्रिंसिपल साहब से मिल कर बता दूँगी . “
“ शुभ कार्य में देर नहीं करते हैं . आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है . मैं एक पेपर ले कर आया हूँ , उस पर आप साइन कर दें , मैं इसे प्रिंसिपल को दे दूंगा . “ बोल कर प्रोफ़ेसर शर्मा ने एक पेपर रेखा को दिया और साथ में अपना पेन भी
रेखा ने एक नजर उस पेपर पर दौड़ाया और नीचे में अपना साइन कर प्रोफ़ेसर को दे दिया और कहा “ थैंक्स सर , आप मेरे लिए इतना कुछ कर रहे हैं . मेरे पास आपको शुक्रिया अदा करने के लिए शब्द नहीं हैं . . “
“ शुक्रिया अदा करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है , ठीक है अभी मैं चलता हूँ . “
“ सॉरी सर , मैं बातों में ही रह गयी और आपको चाय के लिए भी पूछना भूल गयी . अभी दो मिनट में मैं चाय ले कर आती हूँ , आप प्लीज बैठिये . “
“ नो थैंक्स , मुझे चलना होगा वरना प्रिंसिपल ऑफिस से निकल जायेंगे . ओके बाय . “
एक सप्ताह के बाद रेखा को टेम्पोरेरी ऑफर मिला . उसने सोचा अब अगले सप्ताह से मुझे कॉलेज जाना होगा . पहले वह बेटी रेखा को ज्यादा टाइम देती थी क्योंकि लाइब्रेरी ड्यूटी अक्सर शाम की होती थी . फ़िलहाल उसने अपनी महरी को बेटी को कुछ और टाइम देने के लिए राजी कर लिया और वह कॉलेज जाने लगी . अक्सर दफ्तर में जूनियर पर लोग ज्यादा हुक्म चलाते हैं . रेखा को कुछ वैसा ही महसूस हो रहा था . सीनियर लोग अक्सर उसे कहते ‘ जरा मेरा क्लास देख लेना , आज कुछ काम से नहीं रहूँगा . खैर रेखा किसी तरह मैनेज कर रही थी .
इसी बीच एक दिन प्रोफ़ेसर शर्मा रेखा के घर आये . रेखा ने कहा “ मैं घर और कॉलेज के बीच बैलेंस नहीं कर पा रही हूँ . परेशानी हो रही है , राखी दिन भर अकेली रहती है . महरी बोलती है उसे भी अपना परिवार देखना होता है . “
“ मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ . “ प्रोफ़ेसर पहली बार उसे तुम कह बैठे , फिर आगे कहा “ माफ़ करना तुम्हें तुम कह बैठा . तुम्हें बुरा लगा क्या ? “
“ नो सर , आप वैसे भी मेरे सीनियर हैं और उम्र में भी बड़े हैं . मुझे तुम सुन कर अच्छा लगा . तुम में ज्यादा अपनापन महसूस होता है . “
“ सही है , तब मेरी बात सुनो . तुम बेटी को बोर्डिंग स्कूल भेज सकती हो ? “
क्रमशः