अपनी अपनी ज़िंदगी
( यह कहानी एक औरत जो कम उम्र में विधवा हो जाती है उसकी और उसकी बेटी के रिश्ते के बारे में है … )
Part -1 अपनी अपनी ज़िंदगी
“ देखिये मैं 18 साल की हो गयी हूँ , अब हमें कोर्ट मैरेज करने से कोई नहीं रोक सकता है . अब जल्दी से हम दोनों शादी कर पति पत्नी के रूप में रह सकते हैं . यह जरूरी भी हो गया है “ रेखा ने रवि से कहा
“ हाँ बेबी , मैंने शादी से कब इंकार किया है ? आज ही मैं कोर्ट में 30 दिनों का नोटिस दे देता हूँ .पर जरूरी भी हो गया है , से क्या मतलब है तुम्हारा ? “ रवि ने पूछा
“ अभी मैं श्योर नहीं हूँ पर पीरियड मिस कर गयी हूँ , इस बार . आज टेस्ट कर देखती हूँ . “
“ डोंट वरी , अगले महीने हम कोर्ट मैरेज कर ही रहे हैं . “
रेखा बारहवीं में पढ़ रही थी उसी समस्य उसे अपने साइंस टीचर रवि से प्यार हो गया था . रेखा टेंथ के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में आ गयी थी . रवि का पालन पोषण किसी अनाथालय में हुआ था . कुछ दिनों तक रेखा पी जी में रही थी पर बाद में रवि के साथ रहने लगी . इस बात की सूचना रेखा की सहेली ने उसके माता पिता को कुछ दिन पहले दे दी थी . पर जब वे रेखा से मिल कर उसे समझाने आये तब वह बोली “ मैं 18 साल की हो गयी हूँ . मैं अपना भला बुरा सोच सकती हूँ और अपनी मर्जी से कानूनन शादी कर सकती हूँ . “
उसके पिता ने फिर समझाते हुए कहा “ हाँ कानून तुम्हें इसका अधिकार देता है पर तुमने अभी दुनिया नहीं देखी है . एक ऐसे लड़के से प्यार करती हो जो ऑर्फ़न है , उसके खानदान माँ बाप , जाति , धर्म किसी चीज का पता नहीं है . “
रवि भी पास में खड़ा सब सुन रहा था . उस ने रेखा से कहा “ तुम मेरी तरफ से आजाद हो . जो भी फैसला तुम करोगी मुझे स्वीकार होगा . तुम चाहो तो अपने माता पिता के साथ जा सकती हो . “
“ मेरी कोख में आपका बीज पल रहा है , अब ऐसे में जाने की बात मैं सोच भी नहीं सकती हूँ . “ रेखा ने कहा
इतना सुनते ही रेखा के माता पिता दोनों आग बबूला हो उठे . उसके पिता ने कहा “ अब तुम जैसी कुलटा और कलंकिनी को हम अपने घर ले जाने की बात सोच भी नहीं सकते . अब तुम जो चाहो करो , हमारे लिए तुम मर चुकी हो . “
उसके माता पिता दोनों चले गए . रेखा एक कोने में गुमसुम बैठी रो रही थी . रवि ने कहा “ चिंता न करो , मैं हूँ न . सब ठीक हो जाएगा और जब तुम्हारे माता पिता हमारे बच्चे को देखेंगे तो वे भी मान जायेंगे . “
“ नहीं , मैं अपने पापा को जानती हूँ . वे अब हमें या हमारे बच्चे को कभी नहीं स्वीकार करेंगे . “
“ कोई बात नहीं , दुनिया बहुत बड़ी है . हम कहीं दूर दराज जा कर अपना नया आशियाना बनाएंगे . “ बोल कर रवि ने रेखा को गले से लगा लिया .
एक महीने के बाद रवि और रेखा ने कोर्ट मैरेज कर ली . कुछ महीने के बाद रेखा ने राखी के दिन एक बच्ची की माँ बनी . उसने अपनी बेटी का नाम राखी रखा . दोनों मियां बीबी अपनी बच्ची को बहुत प्यार करते . एक साल के अंदर रवि ने सुदूर नार्थ ईस्ट के प्रान्त में नौकरी ज्वाइन किया और सपरिवार वहीँ रहने लगा .
रेखा पढ़ने लिखने में अच्छी थी , उसे आगे पढ़ने की इच्छा थी . रवि ने भी उसे प्रोत्साहित किया और रेखा प्राइवेट पढ़ने लगी . रवि अपने कॉलेज की लाइब्रेरी से उसे पुस्तकें ला कर देता या जरूरत पड़ने पर खरीद कर भी देता . उसे अपने ही कॉलेज से रेखा को प्राइवेट परीक्षा देने की अनुमति मिल गयी . दोनों मियां बीबी चाहते थे कि उनकी बेटी अच्छे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करे . इसके लिए बेटी को दूसरे शहर में भेजना था . रेखा भी अगर नौकरी करने लगे तो आमदनी बढ़ेगी और बेटी की पढ़ाई में आसानी होगी . यही सोच कर उसने आगे पढ़ना बेहतर समझा .
रेखा अपने परिवार की देखभाल के साथ साथ अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दे रही थी . देखते देखते करीब पांच साल और गुजर गए . रेखा अब अपने पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी कर रही थी . तभी अचानक उसकी जिंदगी में एक ऐसा भूचाल आया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं किया था . एक दिन कॉलेज जाते समय रवि के स्कूटर को एक ट्रक ने टक्कर मारी . टक्कर इतना जबर्दस्त था कि रवि ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया . रेखा को जब यह सूचना मिली तब उसका हाल बहुत बुरा था , वह बिल्कुल खामोश होकर पत्थर की मूर्ती के समान एक जगह बैठ गयी मानो उसे काटो तो भी खून नहीं निकलने वाला हो .इस दुखद घटना को सुन कर पड़ोस की कुछ महिलाएं भी वहां आयीं . उनके बहुत प्रयास करने के बाद रेखा की सुध बुध वापस आयी तब वह लगातार रोये जा रही थी . उसकी बेटी राखी उस से सट कर बहुत सहमी हुई बैठी थी और वह भी रो रही थी .
खैर जो होना था हुआ , होनी को कोई रोक तो नहीं सकता था . रवि की अंतिम क्रिया उसके दोस्तों और छात्रों ने मिल कर सम्पन्न किया . करीब एक महीने बाद रेखा रवि के प्रिंसिपल से मिलने गयी , प्रिंसिपल ने ही उसे बुलाया था . रवि के मित्रों और प्रिंसिपल को उसकी पारिवारिक स्थिति का पता था .
प्रिंसिपल ने रेखा से कहा “ मैं आपका दुःख समझ सकता हूँ . आपके सामने अभी पूरी जिंदगी पड़ी है और साथ में बेटी का भविष्य भी आप ही के हाथ में है . अब आपको हिम्मत से काम ले कर सच्चाई का सामना करना होगा . “
रेखा सिर झुकाये चुपचाप सुन रही थी . प्रिंसिपल ने कहा “ सुना है आप पी जी की परीक्षा की तैयारी कर रहीं थीं . “
रेखा ने धीरे से सिर हिला कर हां का संकेत दिया . प्रिंसिपल फिर बोले “ अगले माह से ही परीक्षा है इसलिए आप मन लगा कर तैयारी करें और परीक्षा दें . जब परीक्षा समाप्त हो जाए तब मुझसे मिलें , हम आपके लिए कॉलेज लाइब्रेरी में हम कोई जॉब दे सकते हैं , उसके बाद आपको अपनी क्वालिफिकेशन और योग्यता के अनुसार बेहतर जॉब मिल जाएगा . “
फिर प्रिंसिपल ने उसे एक चेक देते हुए कहा “ यह राशि कॉलेज की तरफ से आपके लिए है . कुछ दिनों में आप आ कर प्रोविडेंट फण्ड का चेक ले सकती हैं . इसके अलावे युनिवेर्सिटी के ग्रुप इंश्योरेंस का चेक भी जल्द ही मिल जायेगा . हम आपको खबर भिजवा देंगे तब आप आकर चेक ले लेंगी . “
रेख जब जाने लगी तब प्रिंसिपल ने कहा “ आप का घर तो दूर पड़ेगा , आप चाहें तो कॉलेज के स्टाफ क्वार्टर में एक वन रूम का फ्लैट ले सकती हैं . नाममात्र का रेंट लगेगा . “
“ जी , मैं यहीं कॉलेज कैंपस में ही रहना पसंद करूंगी . “ बोल कर रेखा चली गयी
रेखा जी जान से परीक्षा की तैयारी में लग गयी . साथ ही उसने बेटी का भी पूरा ख्याल रखा . राखी निकट के एक इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल में जाने लगी थी . रेखा शाम को दो तीन घंटे लाइब्रेरी में काम करती थी और साथ में वहीँ कुछ पढ़ाई भी हो जाती . देखते देखते छः महीने के अंदर रेखा को पी जी की डिग्री भी मिल गयी . उसे प्रिंसिपल ने बुला कर कहा “ आपने बहुत मेहनत किया जिसका पुरस्कार भी आपको मिला . मुझे आपकी सफलता सुन कर ख़ुशी हुई . जैसा कि आप जानती होंगी लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के जॉब के लिए पी एच डी जरूरी है . अगर आप आगे बढ़ना पसंद करेंगी तब तो पी एच डी करना जरूरी है . वैसे आप लाइब्रेरी का जॉब कर सकती हैं . हाँ , एक और बात लेक्चरर के पोस्ट के लिए एक एड हॉक वेकन्सी है . वह टेम्पररी है सिर्फ छः महीने के लिए . अगर आप चाहें तो मैं रिकमेंड कर सकता हूँ . हाँ तब आपको कॉलेज में ज्यादा टाइम देना होगा , आप सोच कर एक सप्ताह के अंदर मुझे जवाब देंगी . “
क्रमशः