अपेक्षाएं Roshni Indorkar द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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अपेक्षाएं

✍🏻*अपेक्षाएं*✍🏻

सुरभी घर परिवार से पूर्ण संपन्न थी कमी थी तो एक लड़के🤱🏼 की लड़के की चाहत में सुरभी पागल हो गई थीl ऊपर से सास-ससुर मां-बाप सब भी तो यही चाहते थेl शुभम सुनिए पड़ोस की मीना कह रही थी पास में ही एक बाबा🎅🏼 रहते हैं उनकी जड़ी-बूटी खाने से लड़का ही होता है चलो ना हम वहां जाएंगे... सुरभी तुम पागल हो ऐसा कुछ नहीं होताl मुझे जाना है मतलब जाना है l सुरभि के आगे शुभम हमेशा हार जाता था ना चाहते हुए भी उसे यह सब करना पड़ता थाl कभी घर में निम्बू-मिर्ची🍋🌶️ तो कभी काली पोटली एक बार तो सुरभी ने हद ही कर दी कुत्ते🐶 को घर ले आई किसी ने उससे कहा था कुत्ते🐶 को घर में रखोगी तो जरूर लड़का होगा l शुभम उसकी उटपटांग की हरकतों से परेशान रहता था पर सब की खुशी के खातिर वह हमेशा ही शांत हो जाता थाl एक बार सुरभी की सास ने उससे कहा देख पहला बच्चा तो लड़का ही होना चाहिए यही परंपरा है हमारे घर की तो तू एक काम कर ये ताबीज🏵️ ले एक तू बांध लेना और एक लल्ला को बांध देना ऐसा करने से लड़का ही होता हैl ठीक है माँ जी पर शुभम नहीं मानेंगे फिर भी मैं कोशिश करती हूंl शुभम आप अपने घर परिवार मां-बाप मुझसे सभी से बहुत प्यार करते हैं न तो मेरी एक बात मान लेंगेl हां बोलो नाl यह ताबीज आप बांध लोl पागल हो क्या तुम तुम्हें पता है न मैं यह सब बातें नहीं मानता फिर भीl देखो शुभम यदि इसे बांधने से मुझे खुशी मिलती है तो प्लीज बांध लों l पर सुरभी..... पर-वर कुछ नहीं आपको बांधना ही होगा शुभम बेचारा मज़बूरी मे उसे ये सब करना ही पड़ाl
और अब वह दिन आ ही गया जिसका सभी को इंतजार था सुरभि को OT🏥 में ले जाया गया सभी बाहर बैठे मन्नते कर रहे थे कि तभी नर्स👩🏻‍⚕️ बाहर आई...... मुबारक हो आपके घर लक्ष्मी👼🏻 आई हैl इतना बोलना ही था कि सबके चेहरे पर मातम छा गया परंतु शुभम दौड़ते हुए गया और अपनी बच्ची👨🏻‍🍼 को गोद में लेकर बहुत खुश हुआl सभी देखो मेरे घर लक्ष्मी👼🏻 आई है l पर यहाँ तो सबका मुँह बिगड़ा हुआ थाl माँ, सुरभी आप भी एक औरत 👱🏻‍♀️है यदि आप लोग ही लड़की से ऐसे मुंह फेरेंगे तो कौन इन्हे अपनाएगा इस पितृसत्ता ने आपकी सोच में जंग लगा दी है यदि आप इसे अभी नहीं बदलेंगे तो फिर शायद कभी नहीं बदल पाएंगे आपको तो गर्व होना चाहिए हमारे घर🏡 तो लक्ष्मी👼🏻 आई हैl मैं लड़का हूं पर यह बात समझ गया ओर आप दोनों तो औरतें हैl शुभम की बातें सुनकर सबको अपने किए पर पश्चाताप हुआ और अब सब ने अपने दिल से घर की लक्ष्मी को अपना मान लिया है l आज सुरभी बहुत खुश है जब पहली बार उसने बच्ची को सीने से लगाया तो जो आत्मीय अनुभूति उसे हुई उसे शब्दो मे बयां कर पाना असंभव है l अब वह समझ चुकी है लड़का हो या लड़की कोई फर्क नहीं पड़ता बस वह स्वस्थ होना चाहिए l


स्वरचित
रोशनी डोंगरे