फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे - 2 Makvana Bhavek द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे - 2

ब्लांड नंबर दो डेस्क की ओर परेड सी करते हुए बढ़ी, सैंडस्टोन के फर्श पर उसकी हील की टिक-टॉक साफ सुनी जा सकती थी। वह बैठ गई और दोनों अपना काम करने लगीं।

शायद मि. ग्रे यही चाहते हों कि उनका सारा स्टाफ ब्लांड हो। मैं यूं ही सोच रही थी कि क्या ये कानूनी तौर पर मान्य है और तभी ऑफिस का दरवाजा खुलते ही मेरे सामने एक लंबा, शिष्ट कपड़ों में सुसज्जित, आकर्षक अफ्रीकी अमेरिकन आदमी बाहर निकल आया। बेशक मैंने यहां के लिहाज़ से गलत कपड़े पहने थे।

वह मुड़ा और दरवाजे की तरफ देखकर बोला- "ग्रे! इस हफ्ते गोल्फ?"

मैंने जवाब नहीं सुना। वह मुड़ा, मुझे देखा और मुस्कुराया,

उसकी गहरी आंखों के कोनों में चमक दिखाई दी। ओलिविया ने लगभग उछलते हुए लिफ्ट को बुलवाया। शायद वह बार-बार सीट से उछलने के हुनर में परफेक्ट थी। वह तो मुझसे भी ज्यादा घबराई हुई लग रही थी।

"गुड आफ्टरनून लेडीज !" उसने कहा और स्लाइडिंग दरवाजे से बाहर चला गया।

"मि. ग्रे आपसे मिलेंगे, मिस स्टील। आप वहां से जाएं।" ब्लांड नंबर दो ने कहा ।

मैं कांपती टांगों के साथ खड़ी हुई और घबराहट पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। मैंने बैग समेटा, पानी का गिलास वहीं छोड़ा और हल्के खुले दरवाजे की ओर बढ़ी।

"आपको खटखटाने की जरूरत नहीं है। सीधे चली जाइए।" वह बड़े ही दयाभाव से मुस्कुराईं।

मैंने धकेलकर दरवाजा खोला और अपने ही पैरों में उलझकर ऑफिस में जा गिरी। हो गया कबाड़ा! मैं और मेरे दो खुले पांव! मैं मि. ग्रे के ऑफिस के दरवाजे पर हाथों और घुटनों के बल हूं और दो सौम्य हाथ मुझे उठने के लिए सहारा दे रहे हैं। मैं तो शर्म के मारे जमीन में ही गड़ गई। लानत है मेरी बेअक्ली पर! मुझे हिम्मत करके नज़रें उठानी पड़ीं। अरे... ये तो कितना जवान है।

"मिस कैवेना!" मैं उठ गई तो उसने लंबी-लंबी अंगुलियों वाला हाथ मेरी ओर करते हुए कहा- "मैं क्रिस्टियन ग्रे हूं। क्या आप ठीक हैं? क्या आप बैठना चाहेंगीं?"

कितना जवान-आकर्षक, दिलकश। वह काफी लंबा है, एक फाइन ग्रे सूट को सफेद कमीज और काली टाई से पहना हुआ है। गहरे तांबई रंग के बाल और गहरी भूरी आंखें, जो मुझे ही देख रही हैं। मुझे अपनी खोई आवाज़ लौटाने में एक मिनट लग गया।

"ओफ! सच्ची...

अगर ये बंदा तीस से ऊपर का हुआ तो मैं अपना नाम बदल दूंगी। मैंने बेसुधी में ही उससे हाथ मिलाया। हमारी अंगुलियां आपस में मिलीं तो पूरे शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गई। मैंने झट से शर्मिंदा होकर अपना हाथ हटा लिया। मेरी आंखों की पलकें लगातार फड़फड़ा रही थीं और दिल तेजी से भाग रहा था।

"मिस कैवेना नहीं आ सकीं इसलिए उन्होंने मुझे भेजा है। उम्मीद करती हूं कि आप बुरा नहीं मानेंगे, मि. ग्रे !"

"और आप?" उसकी आवाज़ की गरमाहट से भावों का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता था। वह थोड़ा-सा ध्यान दे रहा था और काफी विनम्र भी लगा ।

"एनेस्टेसिया स्टील। मैं केट.... कैथरीन ... मिस कैवेना के साथ डब्लयू एस यू वैंकूवर में इंग्लिश लिटरेचर पढ़ रही हूं।'

"ओह अच्छा!" उसने सादगी से कहा। मुझे लगा कि शायद उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी पर पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते।

"क्या आप बैठना पसंद करेंगी?" उसने एल के आकार में बने सफेद चमड़े के काउच की ओर इशारा किया।

उसका ऑफिस एक आदमी के लिहाज से काफी बड़ा था। सामने लंबी-लंबी खिड़कियां थीं और एक आधुनिक किस्म का ऐसा मेज़ था, जिस पर छह लोग आराम से खाना खा सकते थे। गहरे रंग का यह मेज, काउच के पास पड़े कॉफी टेबल से मेल खाता था, इसके अलावा बाकी सब कुछ सफेद रंग में था । दरवाजे के पास वाली दीवार पर बना मोजैक देखने लायक था, करीब छत्तीस पेंटिंग्स चौरस आकार में लगीं थीं। वे चित्र इस तरह रंगे गए थे कि दूर से देखने पर तस्वीरों जैसे दिखते थे। उन्हें एक साथ देखने का मजा ही कुछ और था।

"एक स्थानीय कलाकार, टन्न्रोटॉन।" ग्रे ने मेरी नज़रों को वहां मंडराते देखकर कहा ।

"ये तो बहुत सुंदर हैं। आम को भी ख़ास बनाकर पेश किया है।" मैं बुदबुदाई और मेरा ध्यान उसकी ओर चला गया। उसने अपनी गर्दन एक ओर करते हुए मुझे देखा ।

"मिस स्टील! मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं।" उसकी आवाज़ मुलायम थी और पता नहीं क्यों पर मैं शरमाने लगी।

पेंटिंग्स के सिवा बाकी ऑफिस ठंडा, साफ और क्लीनिकल सा , दिखता था। मैं सोच रही थी कि क्या इस ऑफिस से उस इंसान का व्यक्तित्व झलकता था, जो इस समय मेरे सामने वाली कुर्सी में धंसा बैठा था।

मैंने अपना सिर हिलाया और बैग से केट के सवाल निकालने लगी। इसके बाद बैग से डिजीटल रिकॉर्डर निकाला और अपनी पूरी बेहाली के साथ उसे दो बार मेज पर गिरा बैठी। मि. ग्रे ने कुछ नहीं कहा, वे इंतज़ार करते रहे और मैं शर्मिंदा होते हुए लजाती रही। जब मैंने उनकी तरफ ताकने की हिम्मत की तो वे मुझे ही देख रहे थे, एक हाथ आराम से गोद में था और दूसरा चिबुक पर टिका था, उनकी तर्जनी होंठों पर थी। मुझे लगा कि वे मुस्कान दबाने की कोशिश में थे।

"सॉ...री। मैं अकबका गई । मैं इन चीजों की आदी नहीं हूं।"

"आप तसल्ली से तैयारी करें। मिस स्टील।" वे बोले ।

"अगर मैं आपके जवाब रिकॉर्ड कर लूं तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?"

"आप इतनी मुश्किल से टेपरिकॉर्डर सेट करने के बाद मुझसे ये बात पूछ रही हैं?"

मैं शरमा गई। वह तो मुझे चिढ़ा रहा था। मैंने कम से कम यही मान लिया। मैंने पलकें झपकाईं हालांकि समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दूं और शायद फिर उसे मुझ पर दया आ गई और उसने कहा- "नहीं, मुझे बुरा नहीं लगेगा । "

"क्या केट यानी मिस कैवेना ने आपको बता दिया कि इंटरव्यू किसके लिए है?"

हां। इस साल मैं ही ग्रेजुएशन समारोह में डिग्रियां देने वाला हूं इसलिए इसे स्टूडेंट न्यूजपेपर के ग्रेजुएशन संस्करण में डाला जाएगा।"

ओह! मेरे लिए तो ये खबर है। मैं कुछ पल के लिए इसी सोच में खो गई कि वह इंसान मुझसे मुश्किल से पांच-छह साल बड़ा होगा, वह एक सफल इंसान होने के नाते मुझे डिग्री देने का हक रखता है। मैंने त्योरी चढ़ाई और खुद को काम करने के लिए कहा।

"गुड!" मैंने घबराहट के साथ पानी निगला । "मेरे पास कुछ सवाल हैं। मि. ग्रे!" मैंने बालों की आगे आई लट को संवारा।

"मैंने सोचा कि तुम्हारे पास होने चाहिए।" वह मेरी हंसी उड़ा रहा था। यह सोचते ही मेरे गाल जैसे जलने लगे। मैं सीधा बैठ गई और संभल कर रिकॉर्डर का बटन दबा दिया। अब मैं मोर्चे पर थी और खुद को उसी तरह पेश किया।

"आपने छोटी-सी उम्र में ही इतना बड़ा एंपायर खड़ा किया है। आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहते हैं?" मैंने उसे ताका। बेशक मुस्कान दिखी पर चेहरे पर मायूसी भी थी।

"मिस स्टील! बिजनेस का सीधा संबंध लोगों से है और मुझे लोगों की बखूबी परख है । मुझे पता है कि उन्हें क्या पसंद है, क्या नापंसद है। वे क्या चाहते हैं, उनकी प्रेरणा क्या है या उनसे काम कैसे लिया जा सकता है। मेरे पास एक असाधारण दल है और मैं उन्हें अच्छा पुरस्कार भी देता हूं।" वह रुका और मुझे अपनी भूरी आंखों से पल-भर के लिए घूरा। "किसी भी स्कीम में सफलता पाने का एक ही मंत्र है कि आपको उसके बारे में छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात की जानकारी होनी चाहिए। मैंने ये सब पाने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं तर्कों और तथ्यों के आधार पर फैसले लेता हूं। मेरे पास एक कुदरतन शक्ति है, जिसके बल पर मैं ठोस विचारों और लोगों को पहचान लेता हूं।"

"हो सकता है कि ये किस्मत का ही खेल हो।" ये केट की लिस्ट में नहीं था पर ये आदमी बड़ा अकड़ू है। उसकी आंखें पल भर के लिए तो जैसे हैरान रह गईं।

"मिस स्टील! मैं चांस या किस्मत में विश्वास नहीं रखता। मैं जितना परिश्रम करता हूं, किस्मत उतना ही मेरे हक में हो जाती है। आपको अपने दल के लिए सही लोगों के चुनाव और उनकी उर्जाओं को सही दिशा में लगाने की कला आनी चाहिए। शायद हार्वे फायरस्टोन ने कहा था- लोगों की वृद्धि और विकास ही नेतृत्व के लिए आवश्यक है।"

"आप तो एक नियंत्रित करने वाले सनकी जैसे लगते हैं। इससे पहले कि मैं खुद को रोक पाती।" मुंह से शब्द निकल ही गए।

"ओह, मिस स्टील! मैंने सब कुछ काबू में रखने का अभ्यास किया है।" उसने चेहरे पर हास्य लाए बिना कहा। मैंने ऊपर देखा और जैसे मेरी नज़र बंध कर रह गई। दिल की धड़कन तेज हो गई और पसीने छूटने लगे।

 

To be continue.....................