Raat ki bhooli bisari yadey - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

रात की भूली बिसरी यादें। - 1

Chapter 1: आत्माओं का साया

अंधेरी रात की गहराइयों में, एक पुरानी हवेली खड़ी थी, जिसका चेहरा रात के अंधेरे में और भी खौफनाक लगता था। हवेली के सामने एक खौफनाक नीम का पेड़ था, जिसके पत्ते आतिशकायी लाल रंग के थे, जैसे कि वह किसी भूतों की भटकती रूहों का असर था। हवेली के हर कोने एक राज छुपा रहा था, जिसके अंदर की कहानी कोई सुनाता ही नहीं था।

इस हवेली में रहने वाला अमर, एक अलूफ़ और रहस्यमय आदमी था। वह हमेशा अकेला रहता था और लोगों से दूर भागता था। उसकी आँखों में डर और उदासी का आलम नज़र आता था। हर रात, वह नींद से बेदर होता था, किसी अनजान आवाज़ की तलाश में। उसकी आँखों के सामने हमेशा एक भटकती हुई रूह की तस्वीर सजती थी, जिसका चेहरा उसने कभी देखा ही नहीं था।

अमर के ज़िन्दगी में एक ऐसी घटना घटी थी, जो उसे आज भी डरा देती थी। कुछ साल पहले, वह एक रात को अपनी खोई हुई तस्वीर की खोज में निकला था। उसने कई रास्ते तय किए, लेकिन सब बेकार रहे। रास्ता उसे एक पुराने मज़ार तक ले गया, जहां एक आत्माओं का साया छा गया। उसने साया देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वह भागते हुए वहाँ से निकला, लेकिन उस रात की घटना उसके दिमाग से साफ़ नहीं हो सकी।

उस रात के बाद से, अमर ने अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव किए। उसने अपने आप को एक secluded जगह पे शिफ्ट कर दिया, ताकि कोई उसे नहीं परेशान कर सके। पर डर का एहसास उसके साथ था, जिसे वह भुला नहीं सकता था।

अमर की नई जगह उस पुराने हवेली के पास ही थी। हर रात उसे लगता था कि कोई उसे घूर रहा है, उसके पीछे छुपा हुआ है। उसने कई बार रात को अंधेरे में कुछ आवाज़ें सुनी, जैसे कि किसी ने उसे बुलाया हो, पर जब वह पलट कर देखता तो कोई दिखता ही नहीं था।

एक रात, अमर ने अपनी जगह से बाहर आवाज़ सुनी। वह गहरी रात की अंधेरी सन्नाटे में उस आवाज़ को सुनने के लिए एक कदम आगे बढ़ा। उसने देखा कि हवेली के दरवाजे खुद-ब-खुद खुल गए हैं। उस दरवाजे के अंदर की काली रात ने उसे अपनी गोद में ले लिया था।

हवेली के अंदर का नज़ारा, अमर के दिल को डर से भर गया। अंधेरे में चमकते हुए आतिशबाज़ी, भूतों की भटकती हुई रूह और दरावनी गहराइयों की सिसकियाँ उसे डर से कांपने लगी।

अमर ने हिम्मत जुटा कर अंदर क़दम रखा। उसने रोशनी की तरफ देखा, जहाँ से एक पुरानी मोमबत्ती की ज्योति उस राज भरी हवेली को प्रकाशित कर रही थी। वह मोमबत्ती लाल रंग की थी, जैसे खून से रंगी हुई हो। उसने मोमबत्ती को देखते ही आवाज़ सुनी, जैसे कि किसी ने कहा हो, "अमर, तुम आ गए..."

उसकी रग-रग से भयानक हवा गुजरी, और मोमबत्ती की ज्योति भी अचानक बुझ गई। अमर को अंधेरे में छोड़ दिया गया, और खौफ उसे सारी हदों से बांध लिया।

कुछ देर बाद, अमर की जान निकल गई जब वह एक भटकती हुई आवाज़ सुना, जिसका चेहरा उसने कभी देखा ही नहीं था। आवाज़ के साथ कुछ घंटे तक तरह-तरह की खतरनाक चीजें हुई, लेकिन अमर कोई दिखाई नहीं दी। वह अंधेरी रात में खो गया था, अपनी खोई हुई तस्वीर की खोज में।

जारी रहेगा...

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