मैं पापन ऐसी जली--भाग(२२) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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मैं पापन ऐसी जली--भाग(२२)

कुछ ही देर में बूढ़ी सरदारनी का घर आ गया और उन्होंने सावधानीपूर्वक सरगम को रिक्शे से उतारा,फिर रिक्शेवाले ने दोनों का सामान नीचे उतारा और अपना मेहनताना लेकर चला गया,बूढ़ी सरदारनी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो उनकी नातिन ने दरवाजा खोला,दरवाजा खोलते ही नातिन बोली...
"तुम आ गई नानी और साथ में ये कौन है?",
"मेरा हाल बाद में पूछना,पहले इस बच्ची को भीतर ले जाकर फौरन ही इसका इलाज शुरु कर दें,इसकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है", बूढ़ी सरदारनी बोली...
और फिर बूढ़ी सरदारनी के कहने पर उनकी नातिन ने सरगम का इलाज शुरू कर दिया,कुछ ही देर के इलाज के बाद सरगम को आराम लग गया और वो सो गई,तब तक सुबह के चार बज चुके थे तब सरदारनी जी अपनी नातिन से बोलीं...
"जसवीर!जा तू भी थोड़ा आराम कर लें,तब तक मैं भी अपनी कमर सीधी कर लेती हूँ"
और सुबह के दस बज रहे थे जब सरगम सोकर उठी,तब तक सरदारनी जी की नातिन जसवीर ने नाश्ता भी तैयार कर लिया,सरगम बिस्तर से उठकर आँगन में आई ,जसवीर आँगन के कोने में बनी रसोई में काम कर रही थी और उसने जैसे ही सरगम को देखा तो बोली...
"जाग गई तुम! अब कैसा लग रहा है"?
"हाँ!अब ठीक हूँ",सरगम बोली...
"चलो जल्दी से नहा लो,गरमागरम नाश्ता तैयार है,मुझे तुम्हारी पसंद तो पता नहीं थी,इसलिए मैंनें ज्यादा कुछ नहीं बनाया,आलू-मटर की सब्जी और पराँठे बना दिए हैं,नाश्ता करके तुम्हें दवा भी तो खानी है ", जसवीर बोली....
"मैं सब खा लेती हूँ,मुझे खाने में सब अच्छा लगता है,सरगम बोली..
"तब तो बहुत अच्छी बात है",जसवीर बोली...
"तुम्हारा नाम जसवीर है ना!,क्योंकि रात को नानी तुम्हारा नाम ले रहीं थीं",?सरगम ने पूछा...
"हाँ!और तुम्हारा नाम क्या है? नानी ने तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा और अपने घर भी ले आई,मेरी नानी भी ना बहुत ही ग़जब हैं",जसवीर बोली...
"मैं सरगम हूँ और तुम्हारी नानी ना होती ना, तो कल रात मेरी जान बस जाने ही वाली थी और फिर यहाँ आकर तुमने मेरा इलाज किया,आप दोनों का एहसान मैं कैसे चुका पाऊँगी",?,सरगम बोली...
" मैं एक नर्स हूँ और ये मेरा फर्ज था,इसमें कोई एहसान नहीं किया मैनें तुम पर,",जसवीर बोली...
"लेकिन फिर भी आजकल के जमाने में गैरों के लिए इतना कौन करता है भला"?,सरगम बोली...
"अच्छा! बातें बाद में करना,पहले तुम नहा लो,नहा लोगी तो तुम्हें अच्छा लगेगा,",जसवीर बोली...
"ठीक है,मेरा सामान कहाँ है उसमें मेरे कपड़े होगें",सरगम बोली...
"ऐसी हालत में तुम कोई भी भारी काम मत करो,अभी तुम पूरी तरह ठीक नहीं हो,तुम्हारा सामान मैं उठाकर लाती हूँ",
और ऐसा कहकर जसवीर सरगम का सामान उठाने चली गई,फिर वो सामान उठाकर लाई और सरगम से एक कमरें की ओर इशारा करते हुए बोली...
"जहाँ तुम अभी थी,वो कमरा मैनें मरीजों के लिए बना रखा है,आज से तुम इस कमरें में रह लेना और नाश्ता करके अपनी माँ के लिए ख़त लिख दो कि तुम यहाँ पर हो,मैं अस्पताल जाते समय पोस्ट कर दूँगी", जसवीर बोली...
ये सुनकर सरगम कुछ परेशान सी हो गई लेकिन उस समय कुछ ना बोली,फिर वो नहाने चली गई और जब नहाने के बाद वो उन दोनों के संग नाश्ता करने बैठी तो उसने जसवीर की नानी जिनका नाम मनप्रीत था उनसे बोली...
"नानी! मुझे आपको कुछ बताना है"
"हाँ! बोल पुत्तर" मनप्रीत जी बोलीं....
"आप मेरी बात जानकर मुझ पर नाराज तो नहीं होगीं,घर से तो नहीं निकालेगीं",सरगम ने पूछा...
"नहीं पुत्तर! तू बोल कि क्या कहना चाहती है",मनप्रीत जी बोलीं..
तब सरगम संकोच करते हुए बोली....
"मेरी शादी नहीं हुई है,मैनें आपसे झूठ बोला था",
"तो फिर बच्चा?",जसवीर ने पूछा...
"वो नाजायज़ था",सरगम बोली...
सरगम के मुँह से ऐसी बात सुनकर जसवीर बोली...
"कहना क्या चाहती हो?जरा खुलकर कहो",
तब सरगम बोली....
"मैं जिससे प्यार करती थी उसने मुझसे मंदिर में शादी की और फिर जब उसने मेरी माँ बनने की खबर सुनी तो उसने उस शादी को मानने से इनकार कर दिया",
"ये तो बहुत गलत हुआ तुम्हारे साथ,तुमने ये बात उसके घरवालों को नहीं बताई",जसवीर ने पूछा...
"बताई थी और मैं उन्हीं लोगों के घर में रहकर पढ़ाई कर रही थी इसलिए उन्होंने मुझे रात को ही घर से बाहर निकाल दिया",सरगम बोली...
"ओह...कोई बात नहीं सरगम!तुम चिन्ता मत करो,जब तक तुम ठीक नहीं हो जाती तो यहीं रहो,मैं तुम्हारे खाने पीने और दवाई वगैरह का ख्याल रखूँगी",जसवीर बोली...
लेकिन सरगम की बात से मनप्रीत जी को कोई फरक नहीं पड़ा था,उन्होंने ना तो सरगम से कोई सवाल पूछा और ना ही उसकी सच्चाई सुनकर हैरान हुईं और वें चुपचाप यूँ ही नाश्ता करतीं रहीं,उनके इस बर्ताव से सरगम को भी हैरानी हुई लेकिन वो बोली कुछ नहीं और चुपचाप खाती रही,खाने के बाद जसवीर ने सरगम से अपनी माँ के लिए खत लिखने को कहा जो कि सरगम ने लिख दिया और फिर रात को जब तीनों खाना खाकर अपने अपने कमरें में चलीं गई तो सरगम को नींद नहीं आ रही थीं,तभी उसके कमरे में जसवीर आई और पानी से भरा गिलास और दवा उसकी ओर बढ़ाती हुई उससे बोली...
"मैं तुम्हें रात की दवा देना भूल गई थी,लो तुम दवा खा लो",
फिर सरगम ने दवा खाई तो जसवीर उससे बोली...
"अब तुम आराम करो"
"थोड़ी देर यहाँ बैठो ना! मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,मैं अभी तक उस धोखे को भूल नहीं पा रही हूँ, सरगम बोली....
"सरगम!एक बात कहूँ,बुरा तो नहीं मानोगी",जसवीर बोली...
"नहीं! तुम कहो",सरगम बोली...
"शुकर मनाओ कि तुम्हारा बच्चा नहीं रहा ,नहीं तो तुम किस किस को जवाब देती फिरती", जसवीर बोली...
"हाँ! सही कह रही हो तुम ! ,सरगम बोली...
"मुझे लगता है कि शायद तुम्हें बच्चे के चले जाने का कोई अफसोस भी नहीं है",जसवीर बोली...
"जसवीर! खुशी की बात तो तब होती ना जब एक स्त्री के माँ बनने पर लोंग बधाईयाँ देते हैं,यहाँ मुझे बिन ब्याही माँ बनने पर तो ना जाने क्या क्या कहा गया,जलील किया गया तो मैं कैसें इस बच्चे के आने की खुशी मनाती और अब जब वो चला गया है तो उसके जाने का दुख भी क्यों मनाऊँ,क्योंकि वो रहता तो हमेशा मुझे उसके धोखेबाज पिता की याद आती रहती,कुछ भी हो मैनें उससे प्यार तो किया ही था"?,सरगम बोली....
"लेकिन जरा सोचो जिसका बच्चा बिन ब्याह के रह जाता होगा और वो उसे जमाने की परवाह किए बिना अपने दम पर बड़ा करती होगी तो उस पर क्या बीतती होगी?,जिसे और जिसके बच्चे को समाज ने ना स्वीकारा हो और उल्टा लानत भेजी हो तो जरा ऐसी स्त्री के बारें में सोचकर देखो",जसवीर बोली...
"सच!जमाना तो उसका जीना ही मुहाल कर देता होगा",सरगम बोली...
"हाँ!सच!लेकिन फिर वो समाज से लड़कर उस बच्चे को पैदा करती है और फिर उसे बड़ा भी करती है,जरा सोचो ऐसी स्त्री कितनी शक्तिशाली होगी",जसवीर बोली...
"सच कहा तुमने!,तुम क्या ऐसी किसी स्त्री को जानती हो",?,सरगम ने पूछा...
"हाँ!मैं सालों से उनके साथ रह रही हूँ",जसवीर बोली...
"कहीं तुम मनप्रीत नानी की बात तो नहीं कर रही",सरगम ने पूछा...
"हाँ!मैं उन्ही की बात कर रही हूँ",जसवीर बोली...
"मैं भी उनके बारें में जानना चाहती हूँ ,क्या तुम उनके बारें में मुझे बताओगी",सरगम बोली...
"हाँ! उनके बारें में तो हर एक स्त्री को पता होना चाहिए,जिससे उन स्त्रियों में भी जीने की आशा जागे,वें खुद को अबला नहीं सबला समझें",जसवीर बोली...
"तो मुझे भी बताओ उनके बारें में",सरगम बोली....
और फिर सरगम की बात सुनकर जसवीर ने मनप्रीत जी की कहानी शुरु की....

क्रमशः....
सरोज वर्मा...