भारत से लाहौर भई बस सेवा प्रारंभ !
ख़ुद खों ऊंचों जान के भओ नवाज़ को दंभ !!
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उत लाहौरी लाल सें मिलो अटल को हाथ !
इतें कारगिल में करी घुसपैठिन ने घात !!
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पुंज बटालिक कारगिल हिल्स टाइगर द्रास!
बर्फीली बारूद के अनगिन हो गए ग्रास!!
20
भाजपा बसपा सपा कॉन्ग्रेस तृणमूल!
सबको सत्ता चाहिए सबका एक उसूल !!
21
चोरी में शामिल हुए जब से चौकीदार !
पानी पानी हो गए सारे पानीदार !!
22
रक्षा सौदों में हुए ऐसे अद्भुत खेल!
एक तरफ बोफोर्स है एक तरफ राफेल !!
23
क्या बताएं कैसे हुए अपने यह हालात !
दो दिन से ना हो सकी अपनी कोई बात !!
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वैसे तो सुख-दुख प्रिय नित्य आत और जात !
पर तुमको देखे बिना दिन कटते नहीं रात !!
25
क्या बताएं कैसो लगत जब आवत तुम ध्यान !
एक-एक पल मुश्किल कटत लगत जात अव प्रान !!
26
जासें हम कह देत हैं, तुमसें सच्ची बात !
अब तुमको देखे बिना हमसें नई रओं जात !!
27
जिस मुख को देखे बिना कटे नहीं दिन चार!
चार महीने बीत गए उसे न देखा यार !!
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जिसका दर्द पर वाणी ही है अपना संसार !
बिना उसी के जी रहा जीवन पर धिक्कार!!
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मां वाणी आशीष दे कृपा करें सब संत!
तेरे जीवन में सदा छाया रहे बसंत !!
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दर्द उदासी मुफलिसी और अपनों के बार!
इनसे तुम्हें बचाएगा केवल सच्चा प्यार !!
31
अतुलित अकत असीम है अमित अनंत अपार!
शब्दों में कैसे कहूं तुमसे कितना प्यार !!
32
राह न सूझे जब कोई ऐसी उलझन आए
हर लगे ना फिटकरी मन से ले लो राय
33
इतने कड़वे मत बनो पास न कोई आए
इतने मीठे मत बनो दुनिया चट कर जाए
साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !
किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है ,
सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है !
दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे ,
सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदला है !
मछलियों को तो मुकद्दर में लिखा है फंसना,
बदले मछुआरे मगर जाल नहीं बदला है !
कोई घटना या किसी हादसे पर दफ्तर के ,
साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !
जो भी आता है वही इसको ओढ़ लेता है ,
भेड़िया बदला है मगर हाल नहीं बदला है!!
धीरू भाई अम्बानी को समर्पित
धरती पे धन के धुरंधर थे धीरुभाई
धन धाम धरम धरा पे छोड़ के गए!
धीरे-धीरे धीरज से धन जो कमाया था वो
धंधे में ही धारकों के ध्येय जोड़ के गए!
धवल धनाढ्य धर्म धीरता को धारे रहे
धोखेबाज धूर्तों से मुख मोड़ के गए !
नीति पे चले मुकेश ईशा भी छुए आकाश
आशाएं अनिल में अनंत ओढ़ के गए!!
तेरह दिसंबर को दिन में, छिन में, छल से छै आतंकवादी!
धंसे संसद की हद में , मद में , सद्भाव के भाल पै गोली चला दी!!
भारत के कछु वीरन ने क्षण में छलियान की लाश बिछा दी !
देश की आन पै , शान पै , मान पै प्रान पै खेल के जान गवा दी!
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धन्य जनक जननी जनमें जिनने जन-जान पै खेलन वारे!
धन्य वा भाई के भाग्य भये जाके भ्रात ने भारत भाग्य संवारे !
धन्य वे मित्र सनेही सखा जिनने दिन वीर के संग गुजारे !
धन्य धरा भई भारत की जाके पूत ने रक्त से पांव पखारे!!
16
किस साल बदला है मेरा हाल नहीं बदला है ,
सीता सागर या तरणताल नहीं बदला है !
दिल्ली- पंजाब में जाकर के कोई देखे ,
सिर्फ बदली है दुकान माल नहीं बदला है !
मछलियों को तो मुकद्दर में लिखा है फंसना,
बदले मछुआरे मगर जाल नहीं बदला है !
कोई घटना या किसी हादसे पर दफ्तर के ,
साहब बदले हैं दलाल नहीं बदला है !
जो भी आता है वही इसको ओढ़ लेता है ,
भेड़िया बदला है मगर हाल नहीं बदला है!!