सुनहरा धोखा - 4 Brijmohan sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सुनहरा धोखा - 4

4

(हत्या का प्रयास)

शिमला

मोहन अपने प्लान के अनुसार गर्मियों की छुटृी मे शीला व अपने पुत्र पप्पू को शिमला की यात्रा कराने ले गया |

बे चंडीगढ़ होते हुए शिमला की और चले | बस का रास्ता बड़ा खतरनाक किन्तु बड़ा ही मनोहारी द्रश्यों से पूर्ण था| शिमला में मनोहारी द्रश्यों को देखने के लिए वे एकांत मे कुछ दूरी पर घूमने निकल गए |

वहाँ बड़ी खतरनाक घाटी थी | नीचे नदी बड़ी तेजी से बह रही थी|

वे नदी के किनारे चल रहे थे | बहुत ठंडी हवा बह रही थी| एक जगह मोहन ने अनजान बनते हुए शीला को घाटी मे नदी की ओर धक्का दे दिया | शीला बड़ी जोरों से घाटी के अन्दर फिसल पड़ी किन्तु कुछ दूरी पर एक वृक्ष में अटक गई | वह दूसरे ही पल वह झट उठ खड़ी हुई | वह वृक्ष की डालियाँ पकड़ते हुए ऊपर आ गई |`````

किन्तु उनका बच्चा पप्पू उसके साथ ही घाटी मे फिसल पड़ा|

वह भी अपनी माता के हाथ से छूटकर कुछ अधिक गहराई में चला गया |

अपने पुत्र को खतरे मे देख मोहन सिहर उठा|

वह अपने प्राण संकट मे डालकर उस खतरनाक फिसलन में नीचे उतरा और अपने पुत्र को बचाकर ऊपर ले आया |

वह बोला - हे भगवान हमारे पुत्र की जान बचाने के लिए तेरा लाख धन्यवाद|

वे शीघ्र हरिद्वार लौट आए|

शिमला से वे हरिद्वार आए |

हरिद्वार मे गंगा बहुत तेज बहती है |

मोहन ने शीला से एक बाटल मे गंगाजल इकठृा करने को कहा |

शीला जैसे ही नदी मे झुकी मोहन ने अनजान बनते हुए उसे अपनी कोहनी से धक्का दे दिया |

शीला पानी मे फिसली किन्तु वह जल्दी बाहर आगई |

किन्तु मोहन खुद फिसलकर तेज घारा मे फंस गया | वह नदी के साथ बहने को था तभी उसने किनारे पर लगी रेलिंग पकड़ ली | उस वक्त उसकी मदद करने वाला वहां पर कोई नही था| वह बहुत देर तक तेज बहती नदी में रेलिंग पकडे हुए वहां फ़सा रहा |

कुछ देर बाद एक मछुहारा गंगा नदी के अंदर पानी में दिखाई दिया | मोहन ने उसे आवाज दी | उसने तत्काल मोहन को एक झटके में बाहर निकाल दिया |

भगवान को धन्यवाद देते हुए वे अपने घर लौटे |

दूसरे के लिए खड्डा खोदने वाला खुद उसमे गिरता है |

एक रात मोहन शीला के लिए मिठाई लाया | उसने वह म्रिठाई शीला को खाने को दी | शीला को मिठाई बहुत अच्छी लगती थी | वह बड़े चाव से मिठाई खाने लगी | शीला ने मोहन को भी मिठाई खाने को कहा किन्तु उसने पहले ही खा चुकने का कहा |

उस समय बच्चा सोया हुआ था | मिठाई खाते ही शीला की तबियत बिगड़ने लगी | उसे उलटी दस्त होने लगे व चककर आने लगे |

मोहन ने कहा ‘ मिठाई मे फुड पाइजनिंग हो गया होगा | मैं दुकानदार की शिकायत थाने पर करके आता हूं | ’

किन्तु शीला ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया |

उसने मिठाई में तीक्ष्ण जहर मिला दिया था | किन्तु शिला उस जहर को पचा गई |

कुछ दिन बाद मोहन फिर मिठाई लाया | दोपहर का समय था |

शीला ने मिठाई खाई | उसने मोहन से भी मिठाई खाने को कहा |

मोहन ने जरा सा टुकड़ा खाया और चुपके से खिडकी से थूक दिया |

उसी समय पप्पू आ गया | शीला ने उसे भी मिठाई खिला दी |

मोहन पप्पू को उल्टी करवा के मिठाई निकलवाने लगा | इस पर शीला को मोहन पर संदेह हो गया |

उसने कहा ‘ तो आप मुझे बहुत दिनों से जहर खिलाकर मेरी हत्या करने का प्रयास कर रहे हो |’

मोहन ने काफी ना नुकुर करने का प्रयास किया किन्तु उसकी पोल खुल चुकी थी |

उसके चेहरे का रंग फीका पड गया |

शीला अब बहुत सावधान होकर रहने लगी |

मोहन शीला को मारने के अन्य उपाय सोचने लगा |

एक रात को वह धीरे से उठा |

शीला और पप्पू गहरी नींद में सोऐ हुए थे |

आधी रात का समय था |

उसने एक तकिया उठाया |

उसने शीला का दम घोंटने के लिए तकिया उसके चेहरे पर रखा ही था कि शीला उठ बैठी | वह तुरंत सारा माजरा समझ गई |

वह जोर से चीखते हुए बोली, ‘तो आप हर हालत मे मेरी हत्या करने का प्रयास कर रहे हो |’

मोहन हक्का बक्का रह गया | उसका जुर्म रंगे हाथ पकड़ा गया था |

उससे जबाब नहीं देते बना |

दूसरे दिन सायं जब मोहन घर लौटा तो उसने घर पर ताला लटका देखा |

उसने पउ़ौस की एक स्त्री सें पूछा, “ शीला कहाँ है ?”

उसने घर की चाबी उसे देते हुए कहा,

‘शीला यह चाबी दे गई है?’

जब मोहन ने उससे पूछा कि शीला कहां गई है तो उसने इस बारे में अपनी अनभिता जाहिर की |

मोहन ने जब घर में प्रवेश किया तो उसने टेबल पर एक पत्र पड़ा हुआ देखा |

उसमें लिखा था

“मैं आपका घर अपनी इच्छा से सदा के लिए छोड़कर जा रही हू | मुझे ढूंढने का प्रयास न करें | आप दूसरा विवाह कर सकते हें |’

यह पढ़कर मोहन का कलेजा धक्क रह गया |

उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई | ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, उसे इसकी कल्पना नहीं थी | जब तक शीला साथ ती तो वह उससे छुटकारा पाने का हर संभव प्रयास कर रहा था किन्तु उस पत्र को पढ़कर उसे लगा जैसे उसका सब कुछ लुट चुका था |

उसने बड़े दुःख से शीला के जाने की बात अपनी मां को बताई |

मां ने खुश होते हुए कहा ‘ यह तो बउ़ी अच्छी खबर सुनाई मैं तेरा विवाह दूसरी लड़की से कर दूंगी |’

किन्तु मोहन का दिल शीला के लिए तड़प रहा था |