सुनहरा धोखा - 3 Brijmohan sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

सुनहरा धोखा - 3

3

(अवैध सम्बन्ध पकडे गए)

शंका 2

मां ने अनेक बार मोहन को शीला की शंकास्पद गतिविधियों के विषय मे बताने की कोशिस की किन्तु वह कुछ सुनने समझने को तैयार नही था|

उस रात मोहन बहुत देर रात मे घर लौटा | उसने देखा घर के सब लोग घोर चिंता मे मग्न बैठे हुए थे|

मां ने उसे ऐक ओर ले जाते हुए कहा -‘ मोहन ध्यान से सुन,गोपाल क्या कहता है| ’

गोपाल जो उसका ममेरा भाई था बोला- ‘ भैया आज मै भाभी के साथ विशाल इलेक्ट्रानिक गया|

वह विशाल के साथ डार्क रूम मे चली गई और बहुत देर तक मेरे आवाज देने पर भी बाहर नही निकली|

तब मै थक हार कर वापस चला आया | अब आप ही देखलो वह अभी भी वापस नही आई है | मेरे एक चचेरे भाई ने तो अनेक बार उन दोनो को देर रात तक होटल मे जाते देखा है |’

इस पर तो मोहन के ऊपर जेसे वज्रपात ही हो गया | उसे लगा उसके सिर पर आसमान ही गिर पड़ा हो | गोपाल उस घर का सबसे विश्वासपात्र था|

उस पर हर कोई आंख मूंदकर विश्वास करता था|

मोहन ने कहा- तूने यह बात मुझे पहले क्यों नही बताई ?

गोपाल बोला, ‘मुझे आपसे ऐसी बातें कहते हुए शर्म व डर लगता था| बुआ भी आपकी गृहस्थी कही बरबाद न हो जाए इसलिए ज्यादा कुछ नही कहती थी |’

आधा घंटे बाद शीला ने वहां प्रवेश किया |

मोहन ने उसे डांटते हए पूछा- ‘ अब तक कहां मर रही थी ?’

इस पर शीला बुरी तरह कांप उठी|

वह बोली- मै दुकान पर अपना म्यूजिक सिस्टम ठीक करा रही थी|

मोहन ने उसे जोर से थप्पड़ मारते हुए कहा- ‘ तुम दुकानदार के साथ डार्क रूम मे क्यो गई ? ’

शीला समझ चुकी थी कि आज उसका भांडा फूट गया है | वह डर के मारे हकलाने लगी और सदा की तरह बहाने बनाने लगी | किन्तु मोहन कुछ सुनने को तैयार नही था|

उसने कठोर आवाज मे कहा- “ मेरे घर से निकल जा रंडी ! अब यहाँ कभी न आना | मेरा तुझसे कोई सम्बन्ध नहीं है |’ उसने हाथ पकड़ कर उसे सड़क पर धक्का दे दिया|

वह काली घनी रात थी | शीला की जिंदगी भी काली रात में बदलने वाली थी |

उसके पाप का घड़ा भर चुका था |

शीला ने निराश होते हुए मोहन से कहा, “ मुझे अपने पिता के घर छोड़ दो |’

मोहन ने उसे भोपाल की बस मे बिठा दिया|

बस चलने वाली थी तब उसने कहा,‘मै अपने घर फोन करके आती हूं|”

कुछ देर बाद फोन करके वह बस मे लौट आई|

दूसरे दिन मोहन शीला की शिकायत उसके माता पिता से करने भोपाल गया|

वह हैरान था कि रात की निकली हुई शीला वहां पहुंची ही नही थी|

अर्थात रात को वह विशाल के साथ रही थी | मोहन की शंका पक्की होगई |

शीला की मां ने उसे आदर से अंदर बुलाया|

मां ने पूछा- “शीला कहां हे ?”

मोहनः ‘ वह तो रात को ही यहां आने के लिए बस से रवाना हो गई थी|”

मोहन ने विस्तार से शीला के विषय मे बताया | उसे सुनकर वे सब अवाक रह गए|

मोहन ने कहा- ‘अब मै कभी शीला को अपने यहां नही आने दूंगा| मै उसे तलाक दूंगा|”

उसके पिता ने कहा- ‘ इस बार उसे आखरी बार सुधरने का मौका दे दो | अन्यथा आप उसे फिर हमेशा के लिए छोड़ देना| हम भी आपका साथ देगे| ’

इसी बीच शीला ने वहां प्रवेश किया |

मोहन ने कहा – ‘इससे पूछो,रात भर यह कहां रही’ ?

शीला चिल्लाते हुए बोली,’ ये सब लोग मिलकर मुझ पर गलत इल्जाम लगा रहे हैं|

क्या मै इतनी रात को यहां आती ? मै अपनी बउ़ी बहिन के यहां रात को चली गई चाहो तो फोन करके उससे पूछ लो |“

किन्तु अब मोहन को उसकी किसी बात पर विश्वास नही था|’

उसने कहा- ‘मै अब किसी हालत मे तुम्हारे साथ नही रहना चाहता | ’

ऐसा कहकर वह बिना किसी की कुछ सुने वहां से जल्दी से चल दिया| शीला के माता पिता ने उसे रोकने और मनाने का प्रयास किया किन्तु उसने किसी की नही सुनी|

मोहन के जाने के बाद शीला के घर मे रोना पीटना मच गया|

उसकी मां उसे बुरी तरह कोसने लगी- ‘ तू पैदा होते ही मर क्यों नही गई ? तूने हमारे मुह पर कालिख पोत दी| अभी तो तेरी शादी के लिए लिया कर्ज का चौथाई भी नही उतरा है|

तूने यह भी नही सोचा कि ऐसा करने से तेरी अन्य बहनो की शादि नही होगी| ’ ऐसा कहकर मां बेहोश हो गई| घर मे कोहराम मच गया| शीला ने उन्हे बहुत समझाने की कोशिस की किन्तु कोई भी उसकी बात सुनने को तैयार नही था |

पिता ने कहा- ‘ चलो माना उन लोगो को गलत जानकारी है किन्तु यह नौबत आई ही क्यो ? ’

घर मे डाक्टर बुलाया गया | मां के हो्ंश मे आते ही उसने पहली बात अपने पुत्र से यह कही-

“इसे अभी इसी वक्त इसके ससुराल छोड़ कर आ|“

इसका पति इसे मारे या जिंदा रखे हमे कोई मतलब नही|

सुभाष अपनी बहिन को लेकर मोहन के पास आया |

श्यामा ने कहा ‘ हम इस कुलटा को अपने घर में नहीं रखेंगे | इसे वापस अपने साथ ही ले जा सुभाष | ’

इस पर वह धौंस देते हुए बोला ‘ मेरी बहिन को किसी ने हाथ भी लगाया तो उसके हाथ पैर तोड़ दूंगा |’

यह कहकर वह शीला को वहीं छोड़ चला गया | रात हो चुकी थी | भाई की धौंस से सब बुरी तरह डर गए थे | लेकिन उसके जाते ही मोहन का गुस्सा फूट पड़ा | वह शीला को बुरी तरह पीटने लगा | वह एक घंटे तक शीला को निर्दयी होकर पीटता रहा | घर का पूरा फर्श शीला के खून से लाल हो गया | तब घर के अन्य सदस्यों ने शीला को बचाया | उस दिन शीला की जान बड़ी मुश्किल से बची |

अब घर के सभी लोग शीला पर दिन रात नजर रखने लगे | उन्हे डर था कि वह

अपने प्रेमी के खातिर कभी भी भाग सकती थी|

वैसे श्यामा चाहती थी कि शीला घर से चली जाए क्योकि जिस स्त्री को बाहर का टेस्ट लग चुका हो वह कभी घर की सादी रोटी से संतुष्ट नही हो सकती |

ऐसी कहावत है कि - ‘रहे तो आप से,नहीं तो जाए सगे बाप से’ |

सात तालो मे बंद रखने पर भी प्रेमिका अपने प्रेमी के लिए निकल भागती है|

शीला अपने प्रेमी विशाल के लिए दिन रात तड़प रही थी| वह रोज खुले मे आवारा घूमना पसंद करती थी, घर मे उसका दिल नही लगता था | उसे रोज नये लड़कों पर डोरे डालने के रोमांच की आदत थी | वह घर मे पिंजरे मे बंद पंछी की तरह बैचेन होकर फड़फड़ा रही थी|

उसने एक पत्र लिखा व गोपाल को उसे पोस्ट के डिब्बे मे डालने को कहा- ‘यह पत्र मैने अपने पिता को लिखा है|’

गोपाल वह पत्र डिब्बे मे डालने ही जा रहा था कि उसने लिफाफे पर लिखा एड्रेस पढ़ा|

वह पत्र विशाल को लिखा गया था | उसने लौटकर तत्काल पत्र मोहन को दे दिया| मोहन ने उसे जोर से पढ़ा-

‘ प्रिय विशाल,

मै तुम्हारी मोहनी सूरत व मुस्कान के सहारे जिंदा हू| मै एक एक पल बड़ी मु्श्किल से इस नर्क मे बिता रही हूं | ये लोग बड़े गंदे हैं| ये लोग कहते है कि यदि तुम मुझसे शादि करना चाहो तो इन्हे कोई आपत्ति नही है |

सदा तुम्हारी याद मे

शीला

अब यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो चुका था कि शीला विशाल के प्यार मे पागल थी|

मोहन ने शीला से कहा- ‘तुम्हे विशाल से प्यार है मुझे इसमे कोई आपत्ति नही है| तुम मुझे तलाक दे दो और चाहे जहां रहो और चाहे जो करो | ’

शीला ने कहा- मेरी मां ने चाहे जो हो जाए परन्तु मुझे तलाक न देने को कहा है, क्योकि तलाक देने से मेरी अन्य बहनो का भविष्य खतरे मे पड़ जाएगा | तब मोहन ने शीला को अपने रास्ते से हटाने के लिए ऐक गुप्त योजना बनाई |

वह अपनी साजिश को अंजाम देने के विषय में सोचने लगा

जब मां को मोहन की इस भयानक योजना की भनक लगी तो उसने मोहन से दूसरा मकान लेने को कहा क्योकि शीला की हत्या से उसके साथ साथ पूरा परिवार जेल के सीखचो के पीछे बंद होकर बर्बाद हो सकता था|

इस पर मोहन ने दूसरा मकान किराये से ले लिया |

मोहन ने शीला का अपने प्रेमी को लिखे पत्र को पढ़कर उससे छुटकारा पाने का निश्चय कर लिया|

दूसरे दिन उसने शीला से कहा,

‘ शीला मुझे मालूम है तुम्हारा विशाल पर दिल आ गया हैं | यदि वह तुमसे विवाह करने को तैयार हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है| तुम दोनो भी स्वतंत्र रहो और मैं भी स्वतंत्र हो जाऊंगा| यदि वह नहीं राजी हो तो तुम मुझे तलाक दे दो | मैं अब आपके साथ नहीं रह सकता| जब दिल ऐक नही तो साथ रहने से क्या फायदा ? ’

इस पर शीला ने कहा,‘ न् तो विशाल मुझसे शादी करेगा न मैं आपको तलाक दूंगी | मेरी तीन बहिने और है और दोनों ही स्थिति में मेरी बहिनों की शादि में भयानक दिक्कतें आएंगी| अतः चाहे जो हो मैं आपको तलाक नहीं देने वाली |आप चाहें तो दूसरी शादि कर सकते हैं| आप लड़की पसंद करो, आपकी शादि मैं अपने हाथों से करूंगी| ’

मोहन जानता था कि तलाक हुए बिना शीला से छुटकारा पाना मुष्किल है|

अतः वह उससे छुटकारा पाने के लिए उसकी हत्या करने का षड़यंत्र करने लगा|

उसने अपनी योजना अपनी मां को बतला दी कि वह किसी भी कीमत पर शीला से छुटकारा पाकर रहेगा|

मां ने मोहन से कहा, ‘ बेटा ! तू अपने रहने का कोई अन्य इंतजाम करले क्योंकि यदि तूने शीला की हत्या करदी तो घर के सारे लोगों को संदेह के आधार पर जेल हो जाएगी| ’

इस पर मोहन ने कुछ दूरी पर दूसरा मकान किराये पर ले लिया|

जासूसी

ऐक दिन शीला की वास्तविकता का पता लगाने के लिए श्यामा विशाल स्टोर्स पर पहुंची|

उस समय विशाल दुकान पर नही था | उसका नौकर दुकान पर बैठा हुआ था|

शीला ने उससे विशाल के विषय मे पूछा तो उसने कहा –‘मालिक खाना खाने घर गये हुए हैं | कब तक लौटेंगे कुछ कहा नही जा सकता है’ |

इस पर नौकर को पास बुलाकर श्यामा ने शीला व विशाल के संबंध मे पूछा|

इस पर नौकर ने इशारे से उसे दुकान से दूर जाकर अगली गली के मोड़ पर इंतजार करने को कहा |

श्यामा दूर जाकर नौकर का इंतजार करने लगी | कुछ देर मे नौकर वहां आया व श्यामा को एक कोने में लेजाकर  छिपते हुए बात करने लगा |

उसने पूछा- मांजी आप कौन हो ?

‘ मै शीला की सास हूं|

‘’ आपकी बहू जब चाहे यहां क्यो चली आती है ? आप उसे यहां क्यो आने देते है’ ?

‘वह तरह तरह के बहाने बना कर घर से निकल जाती है| उसका पति बहुत सीधा है | वह उसे बेवकूफ बनाकर नये नये गुल खिलाती रहती है |”

‘क्या उसके विशाल से ताल्लुक है’?

‘ वे देानो साथ साथ घूमते रहते हैं | आप खुद उनके संबंध समझ सकते हो’ |

वह डरकर चारों और देखते हुए कहने लगा ‘कृपया,मैने आपको बतलाया ऐसा किसी को मालूम न हो, मेरी नौकरी का सवाल है|”

‘ मै आपके बारे मे कभी ना बताउंगी आप बेफिक्र रहें |

श्यामा को विशाल से शीला के प्यार का प्रमाण मिल गया था|

मोहन ने दूसरा मकान किराये पर ले लिया|

मोहन अब चुपके से शीला की हरकतों पर नजर रखने लगा| वह ऊपर से उसकी तरफ से लापरवाह बने रहने का नाटक करता किन्तु उस पर कड़ी निगरानी रख रहा था|

उधर जैसे ही मोहन कालेज के लिए घर से निकलता शीला विशाल को फोन लगाती | वह उससे जल्दी जल्दी बातें कर लेती | विशाल उसे सदा की भांति दुकान पर आकर मिलने को कहता | कुछ दिन तक तो वह उसे मना करती रही किन्तु फिर वह मौका देखकर जल्दी से उसकी दुकान पर जाती व प्यार की बातें करके मोहन के घर आने के पूर्व ही घर लौट जाती | उधर मोहन चोरी छिपे उसकी जासूसी कर रहा था|

ऐक दिन शीला ने कहा,‘मुझे अपने बीमार पिता को देखने जाना है| आप मुझे भोपाल बस में बिठा दो’ |

मोहन ने कहा, ‘तुम खुद ही रिक्षा करके चली जाओ | मैं बहुत व्यस्त हूं|”

शीला किसी प्रकार से संदेह नहीं छोड़ना चाहती थी | अतः उसने मोहन को बस स्टेंड तक चलने के लिए मना लिया|

मोहन ने उसे बस में बिठा दिया | बस चल पड़ी|

मोहन ने लौटने का अभिनय किया व दूर से चुपके चुपके बस का पीछा करने लगा|

कुछ दूरी पर जाने के बाद शीला गाड़ी से उतर गई | वह ऐक टेलिफोन बूथ पर गई व फोन करने लगी | कुछ देर बाद वहां विशाल कार लेकर आ गया | शीला शीघ्रता से उसमे बैठ गई |

वे दोनों ऐक मंहगे होटल पर जाकर रूके|

मोहन ने समझ लिया था कि प्यार का ज्वार ऐक बार चढ़ने के बाद जीवन भर उतरता नहीं है |

उसने निश्चय किया कि उसे उस बेवफा धोखेबाज पत्नि से किसी भी कीमत पर छुटकारा लेना है| तब उसने ऐक बड़ा कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया|

विशाल अपने पिता के साथ लंच ले रहा था |

उसके पिता ने कुछ कठोर आवाज में उससे कहा,

इन दिनों तुम किसी विवाहिता स्त्री के साथ देखे गए हो |

यह बहुत बुरी बात है| तुम्हारे लिए धनी व इज्जतदार खानदान की लड़कियों से शादी की बात चल रही है| यदि ऐसी बातें फैल गई तो तुम्हारा विवाह अच्छी जगह नहीं हो पाएगा| ’

विशाल समझ चुका था कि शीला की सास उसके पिता को सारी बातें बताकर गई है |

उसने कहा, ‘ आप जिस लड़की की बात कर रहे हो,मैं उसे कहीं नौकरी दिलाने का प्रयास कर रहा हूं| इसके लिए मैं ऐक दो बार उसके साथ होटल में चाय पीने गया था | इतनी सी बात है | उसका सब लोगों ने तिल का ताड़ बना रखा है| उसकी सास मेरे पास आई थी, मैंने उसे वादा किया है कि मैं अब उससे कभी नहीं मिलूंगा| ’

उसके पिता ने उसे किसी भी लड़की से कोई संबंध नहीं रखने की सख्त हिदायत दी|