रात का वक्त , रघुवंशी मैंशन इस वक्त खाने की टेबल पर करूणा , जानकी और परी मौजूद थे । राघव अभी तक ऑफिस से वापस नही लौटा था । जानकी इस वक्त परी को खिला रही थी । परी का खाना खत्म होते ही जानकी उसे उसके कमरे में लेकर चली गयी ।
" जानू मुझे कहानी सुनाओ न । " परी ने कहा ।
जानकी उसे बेड पर लिटाकर उसके सिरहाने बैठते हुए बोली " तो आप ही बताइए कौन सी कहानी सुनाऊं ? "
" मैं परी हूं न तो आप मुझे परी वाली कहानी सुनाइए । " परी के इस मासूम भरे जवाब पर जानकी को हंसी आ गई । वो उसे कहानी सुनाने लगी । इधर करूणा भी अपने कमरे में जा चुकी थी । संध्या सारा काम ख़त्म कर अपने क्वार्टर में जाने के लिए हवेली से बाहर आई ही थी की तभी सामने राघव को आता देखकर वो रूक गयी । राघव भी उसके सामने आकर रूक गया ।
" भैया आप बाहर से कुछ खाकर आए हैं या फिर मैं आपके लिए खाना गर्म कर दू । "
" संध्या माना की तुम्हारी दोस्त यहां नयी हैं लेकिन तुम दो साल से इस शहर में रह रही हो और हवेली के तौर तरीके जानती हो । समझाओ अपनी दोस्त को की मेरे काम में टांग न अडाए । ये पहली गलती थी इसलिए वार्निंग देकर छोड रहा हू वरना .... । " राघव अपनी बात अधूरी छोड वहां से अंदर चला गया । संध्या की सांसें तो गले में अटक गयी थी । राघव की वार्निंग साफ इस ओर इशारा कर रही थी , कि उसे सच मालूम पड चुका हैं । संध्या खुद से बोली " बाप रे कही राघव भैया जानकी को न सुना दे । अभी तो वो सो रही होगी । कल सुबह उसका और राघव भैया का सामना ही नही होने दूगी । " ये बोल संधया वहां से चली गई ।
राघव सीढ़ियां चढ ऊपर आया । जानकी भी परी को सुलाकर उसी वक्त कमरे से बाहर निकली थी । राघव तेज कदमों के साथ उसके करीब पहुंचा और उसकी कलाई पकड दूसरी तरफ दीवार से लगाकर खडा हो गया । इससे पहले जानकी चिल्लाती राघव ने अपने हथेली उसके मूंह पर रख दी थी । ये सब इतना अचानक से हुआ की जानकी को कुछ सोचने समझने का मौका ही नही मिला । इस वक्त वहां पर सारी लाइट्स ऑन नही थी । हल्की मध्यम रोशनी ही उन दोनों के चेहरे पर पड रही थी । इस वक्त दोनों का चेहरा काफी करीब था और दोनों ही एक दूसरे को देख पा रहे थे । राघव गुस्से से बोला " मैं हाथ हटा रहा हूं लेकिन खबरदार जो जरा सी चीख मूंह से निकाली तो । " ये बोल राघव ने अपनी हथेली हटा ली । राघव का दूसरा हाथ जानकी की बांह को पकडे हुए था जिससे जानकी को दर्द हो रहा था ।
" ये क्या हरक़त हैं ? छोडे मुझे दूर हटे । "
राघव उसकी बात अनसुनी कर बोला " मिस जानकी झा ये जनकपुर नही अयोध्या है । यहां वही होता हैं जो राघव चाहता हैं । उसके रास्ते में आना वाला शख्स अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठता है । इस शहर में रहना है तो बेहतर होगा ये बात जान लो । दोबारा मुझे शिकायत का मौका मत देना । " इतना बोलकर राघव ने उसे छोड दिया और अपने कमरे की तरफ बढ गया । जानकी हैरान परेशान सी वही दीवार से टिककर खडी रही । उसे तो समझ ही नही आ रहा था अभी उसके साथ हुआ क्या ? राघव ने उससे ऐसे बात क्यों की ? " जानकी ने अपनी बांह को दूसरे हाथ से छुआ जहां पर राघव ने अपनी पकड़ बनाई थी । जानकी अपने कमरे में चली आई । वो तो बस राघव की कही बातों को सोच रही थीं । आखिर उसने ऐसी कौन सी गलती की जिसके लिए राघव ने उसके साथ ऐसे बिहेव किया ।
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अगला दिन , सुबह का वक्त संध्या आज जल्दी हवेली आई थी क्योंकि उसे जानकी और राघव को दूर जो रखना था । संध्या मन में बोली " राम जी ज्यादा न सही कम से कम थोडा तो साथ दे ही सकते हैं मेरा । कही जानकी को न पता चल जाए की राघव भैया को ही यहां को लोग सरकार कहकर बुलाते हैं । अगर ऐसा हुआ तो बहुत बडी प्रोबलम हो जाएगी । " संध्या ये सब सोचते हुए किचन में आई तो देखा जानकी वहां पहले से ही मौजूद थी । संध्या अंदर आते हुए बोली " आज तूं ज्यादा जल्दी नही उठ गयी । "
जानकी ने संध्या की आवाज सुनी तो मुड़कर उसकी ओर देखा । जानकी हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली " मैं तो हर रोज इतने ही बजे उठती हूं । बस तू आज टाइम से पहले जाग गयी हैं । "
" हां अब जल्दी नींद खुल गयी तो चली आई । वैसे क्या कर रही हैं तू ? "
" परी का नाश्ता तैयार कर रही थी । " जानकी ये बोल फ्रिज से दूध निकालने लगी । एक तरफ संध्या के दिमाग में यही सब चल रहा था की कुछ भी करके जानकी को राघव के सामने न जाने दे । वही जानकी अभी तक राघव की बातों को भूल नही पा रही थी । जानकी अपना काम ख़त्म कर परी के कमरे की ओर बढ गई । उसकी नजर राघव के कमरे की ओर गयी जो की बंद था । जानकी उसे इगनोर कर परी के रूम में चली गई । एक तरफ वो परी के रूम में गयी , तो वही दूसरी तरफ राघव अपने कमरे से बाहर निकला ।
राघव नाश्ते की चेयर पर आकर बैठ गया । संध्या किचन से बाहर ही निकल रही थी । राघव को देखकर वो मन में बोली " जानू अभी अभी परी के कमरे में गयी हैं । उसे आने में वक्त लगेगा । अच्छा होगा तब तक राघव भैया नाश्ता करके ऑफिस भी चले जाएंगे । " संध्या राघव का नाशता बाहर ले आई थी । वो जैसे ही उसके प्लेट में नाश्ता रखने लगी वैसे ही राघव का फ़ोन बजा । राघव उसे अटैंड करता हुआ उठकर साइड में चला गया ।
" संध्या जूस तो यहां पर हैं ही नही । "
" अभी लाई भाभी । " ये बोल संध्या किचन में चली गई । जानकी परी को तैयार कर नीचे ले आई थी । उसने ध्यान नही दिया राघव वहां हैं या नही । वो परी को लेकर नाश्ते की टेबल पर आ गयी । राघव भी फोन कट कर वहां चला आया । एक नज़र जानकी को देख वो अपना नाश्ता करने लगा । जानकी ने एक बार भी नजरें उठाकर उसे नही देखा । जानकी ने परी को दूध का गिलास देते हुए कहा " आप इसे फिनिश कीजिए मैं आपक बैग लेकर आती हूं । " परी ने हां में अपना सिर हिला दिया और दोनों हाथों से दूध का गिलास पकड लिया । जब तक जानकी नीचे आई तब तक राघव ऑफिस के लिए निकल चुका था । जानकी ने परी को गोद में उठाया और सबको बाय बोल दोनो बाहर निकल गये ।
जानकी परी के साथ पीछे वाली सीट पर बैठी हुई थी और ड्राइवर गाडी ड्राइव कर रहा था । अचानक से ही ड्राइवर ने गाडी पर ब्रेक लगाई तो जानकी ने पूछा " क्या हुआ भैया आपने गाडी क्यों रोकी ? "
" पता नही दीदी रास्ते में किसी ने पत्थर डाल रखे हैं । ड्राइवर ये बोल गाडी से बाहर निकल गया । वो कुछ कदम चला ही था की तभी दो आदमी उसपर कूद पडे और उसे मारने लगे । वही जानकी ने जब ये देखा तो वो गाडी से बाहर आने लगी , लेकिन तभी दस बारह आदमियों की फौज उनकी गाडी पर टूट पडी । जानकी ने तुरंत गाडी का शीशा ऊपर चढाया और दरवाजे को लॉक कर लिया । वो सभी आदमी गाडी पर पर डंडे से वार करने लगे थे । परी घबराईं हुई सी जानकी के सीने से लग गयी । जानकी ने भी उसे कसकर पकड रखा था । उसने परी का सिर सहलाते हुए कहा ' कुछ नही होगा परी , आप बिल्कुल भी मत डरना । "
बाहर का शोर अंदर आ रहा था । जानकी तुरंत अपना पर्स तलाशने में जुट गयी । जानकी ने अपने पर्स में से फोन निकाला और तुरंत राघव को कॉल लगाया । राघव इस वक्त कार में बैठा लैपटाप पर मीटिंग अटेंड कर रहा था । उसका फ़ोन वाइवरेट हुआ , तो उसने देखा किसी अननोन नंबर से कॉल आ रहा था । राघव ने उसपर ज्यादा ध्यान नही दिया और अपनी मीटिंग अटेंड करता रहा । वही दूसरी तरफ जानकी परेशान हो रही थी । उसने दोबारा फ़ोन लगाया । राघव ने फिर से फ़ोन देखा । उसने मन में कहा "' कौन हैं जो अननोन नंबर से बार बार फ़ोन कर रहा हैं ? " राघव ने फ़ोन रिसीव किया तो दूसरी तरफ से जानकी की आवाज आई " हल्लो ...... हल्लो राघव जी । किसी ने हमपर हमला किया हैं प्लीज हमे बचा लीजिए । "'
राघव को आवाज जानी पहचानी लगी । वो फ़ोन कान से हटाते हुए बोला " कही ये जानकी तों .....
" हल्लो .... हल्लो . .... जानकी की आवाज सुनकर राघव ने फ़ोन तुरंत कान से लगाया । " हल्लो जानकी .... कहां हो तुम इस वक्त ? मुझे अभी अपनी लाइव लोकेशन शेयर करो । " राघव ने अपना लैपटॉप बंद किया और ड्राइवर से गाडी तेज़ चलाने को कहा । वही दूसरी तरफ जानकी उसे लोकेशन शेयर करने की कोशिश कर रही थी कि तभी सामने से किसी ने शीशे से जोर से डंडा मारा । जानकी ये देख चुकी थी इसलिए उसने फोन छोड़कर परी को पूरी तरफ से खुद में छुपा लिया ताकी उसे चोट न लगे । दूसरे आदमी ने खिडकी का शीशा तोडा और अंदर हाथ डाल दरवाजा खोला । उन्होंने खींचते हुए जानकी को गाडी से बाहर निकाला । तीसरा आदमी जबरदस्ती उससे परी को छीनने की कोशिश कर रहा था । परी रोते हुए जानकी कसकर पकडी हुई थी । वही जानकी की पूरी कोशिश थी की वो परी को अपने पास रखे । इसी बीच उस आदमी के सीने पर गोली लगी , जो परी को छीनने की कोशिश कर रहा था । जानकी ने परी के सिर पर हाथ रख लिया और उसका चेहरा अपना कंधे की ओर झुपा लिया ताकी वो ये मंज़र न देख पाए । गोलियों की आवाज दूसरी तरफ से आई । जानकी ने चेहरा घुमाया , तो देखा उसकी बाई तरफ खडा आदमी ज़मीन पर गिरा पडा था । जानकी को दूर से गाडियां आती हुई नज़र आई । जानकी पर हमला करने वाले लोग अब दूर भाग रहे थे , लेकिन गोलियों के वार सै कोई बच नही पा रहा था । जानकी परी को संभालते हुए गाडी के पीछे जा छिपी । गोलियों की तेज आवाज की वजह से उसने अपनी आंखें बंद कर ली । कुछ ही देर में उसे आस पास सिर्फ लाशे नज़र आई । राघव अपने गार्डस के साथ वहां पहुंच चुका था । राघव को देख परी रोते हुए बोली " चाचू .....
राघव भागकर उसके पास आया और जानकी की गोद से लेकर अपने सीने सब लगा लिया । अब कही जाकर राघव की जान में जान आई थी । परी अभी भी रोए जा रही थी । राघव ने एक गहरी सांस ली और जानकी की ओर देखा । इस वक्त राघव की आंखें आग उगल रही थी । वो उसपर गुस्से से बरसते हुए बोला " तुम्हारा दिमाग खराब हो । कहां हैं गार्डस ..... ? किसने कहा था बिना गार्डस के बाहर निकलने के लिए । अभी जो कुछ हुआ उसका जिम्मेदार कौन हैं ? अगर मेरी बच्ची को जरा सी भी खरोंच लगती तो मैं तुम्हारी जान निकाल लेता । "
राघव के इस तरह चिल्लाने से जानकी अंदर तक कांप गई । एक तो ये खून खराबा देखकर वो पहले से ही हैरान थी और ऊपर से अब राघव का गुस्सा ।
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क्या जानकी को पता चल जाएगा की राघव ही सरकार हैं । कैसे रियेक्ट करेगी जानकी ? राघव का गुस्सा जानकी को सिर्फ डराने का काम कर रहा है । ऐसे में वो कैसे वहां टिक पाएगी ? अब देखना ये हैं जानकी केसे खुद को संभालेगी ? जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़ें तब तक के लिए थोडा इंतजार और ।
प्रेम रत्न धन पायो
( अंजलि झा )********