द हॉन्टेड हाउस - पार्ट 2 Sonali Rawat द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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द हॉन्टेड हाउस - पार्ट 2

राघव ने इधर-उधर देखा पर डॉली इनके बीच नहीं थी। राघव ने घबरा कर सुनीता से पूछा - " कहां गई डॉली ? अभी तो यहीं थी। "

राघव और सुनीता डॉली को चारों तरफ ढूंढने लगे लेकिन डॉली उन्हें कहीं नहीं मिली।

वे दोनों अवाज लगाने लगे - " डॉली ...डॉली. कहाँ हो तुम ? "

पर कोई जवाब नहीं आ रहा था। राघव घबरा गया उसके माथे पर पसीना छलक आया। वह बहुत परेशान हो गया।

उधर सुनीता का दिल धड़कने लगा। उसके मन में एक अनजाना सा डर बैठ गया। उसे लगने लगा कहीं ऐसा तो नहीं कि डाली को कुछ हो गया हो।

आखिरकार वह गई तो कहां गई ? उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।

ऊपर से राघव उसको डांटने भी लगा-" तुम ध्यान नहीं रख सकती थी उसका क्या ?

तुमने उसकी परवाह ही नहीं की। तभी तो वह नहीं मिल रही है।

एक तो सुनीता पहले से ही परेशान थी ऊपर से राघव की इन बातों से और परेशान हो गई।

वह रोने लगी।

अब राघव चुप हो गया। उसने सुनीता को सॉरी बोला।वह चुप हो गई।

दोनों फिर से मिलकर डॉली को ढूंढने लगे। अचानक उन्हें अपने कमरे में रखी अलमारी से किसी के रोने की आवाज आने लगी। राघव और सुनीता उसके पास धीरे-धीरे गए। राघव ने दरवाजा खोला तो देखा कि डॉली उस अलमारी में बैठी थी और वह रो रही थी।

राघव ने उसे गोद में उठा लिया और कहा- "क्या हुआ बेटी? तुम अलमारी में कैसे पहुंची ? "

डॉली कुछ नहीं बोली वह बहुत घबराई हुई थी। राघव और सुनीता भी काफी घबरा गए थे।

उन्होंने डाली से ज्यादा कुछ नहीं पूछा। वह तो पहले से ही बहुत डरी हुई थी,,,, इसलिए वे डॉली और साहिल को सुलाने के लिए कमरे में ले गए

दरअसल उस घर में सबका अपना-अपना एक कमरा था। लेकिन अभी उन्होंने सफाई नहीं की थी इसीलिए वह सभी एक ही कमरे में सोने वाले थे।

जब माहौल थोड़ा शांत हुआ तो सभी लोग बिस्तर पर लेट गए और सोने की कोशिश करने लगे।

डॉली और साहिल को तो तुरंत ही नींद आ गई।राघव भी थोड़ी देर बाद सो गया लेकिन सुनीता अभी भी जाग रही थी।

उसे अभी नींद आई ही थी कि अचानक उसे किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज आने लगी।

सुनीता ने उठकर डॉली और साहिल को देखा। वह दोनों तो सो रहे थे। वह बेड से नीचे उतरी। पूरे घर में अंधेरा फैला हुआ था इसलिए उसने अपनी टेबल लैंप जलाई और देखा कमरे में तो कोई नहीं था। उसे डर लगने लगा।
कांपते हाथों से उसने टॉर्च उठाई और कमरे का दरवाजा खोला। उसने सोचा कि कमरे के बाहर कोई होगा।

लेकिन कमरे के बाहर कोई नहीं था।अब उसे बहुत आश्चर्य लगने लगा। उसके साथ ही साथ उसका डर भी बढ़ता गया। जब कोई आस पास है ही नहीं तो फिर रोने की आवाज किसकी आ रही है?

उसने ध्यान से सुनने की कोशिश की तो उसने सुना कि उस बच्चे की रोने की आवाज पास के बंद कमरे से आ रही थी।

डरते-डरते वह धीरे-धीरे उस कमरे के पास गई। उसने देखा कि उस कमरे में ताला नहीं लगा था। बच्चे की रोने की आवाज और तेज हो गई।

सुनीता ने उस कमरे के दरवाजे को धीरे से खोला और जैसे ही उसके अंदर झांका एक बहुत ही डरावनी औरत उसके ऊपर झपट पड़ी। उस औरत का आधा चेहरा जला था और वह एक हाथ में चाकू पकड़े हुए थी।

वह औरत उसे चाकू मारने ही वाली थी कि वह जोर से चीखी और तभी सुनीता की नींद खुल गई।

वह उठ कर बैठ गई। राघव भी जाग गया।उसने पूछा -" क्या हुआ ?"

सुनीता ने कहा-" कुछ नहीं... बस एक बुरा सपना था। "

सुनीता काफी घबराई हुई थी। राघव ने सुनीता से कहा - "सो जाओ हमें सुबह पूरा घर साफ करना है। " राघव ने सुनीता को सुला दिया और फिर खुद सो गया।

अगली सुबह किसी के जोर -जोर चिल्लाने से उनकी नींद खुली।

" मालिक ...उठिए ....सुबह हो गई है.... घर भी साफ करना है आपको..! "

रामसिंह नीचे से चिल्ला रहा था। राघव और सुनीता उठे उन्होंने बच्चों को भी जगा दिया।

सुनीता ने राघव को अपने सपने के बारे में बताया तो राघव ने उससे कहा - "तुम्हे टेंशन के कारण ही वह सपना आया होगा। तुम चिंता मत करो वह महज एक सपना ही तो था।"
राघव और सुनीता नीचे गए । राघव को ड्यूटी पर जाना था इसलिए सुनीता ने जल्दी से नाश्ता बना दिया। दोपहर के लिए टिफिन बांध दिया। राघव ड्यूटी पर चला गया।

सुनीता ने डॉली और साहिल को नाश्ता कराया और खुद नाश्ता करके घर साफ करने में लग गए।

घर को साफ करते समय सुनीता को एक तस्वीर मिली जिसमें एक औरत अपने बच्चे को गोद में लिए हुई थी। सुनीता ने उस तस्वीर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उसे पोंछ कर फिर से वहीं पर रख दिया।

डाली को बहुत तेज बुखार था इसलिए उसने डॉली को बुखार की गोली खिला दी।

सुबह रामसिंह के साथ एक छोटा सा बच्चा भी आया था।वह बच्चा लगभग दो साल का होगा। रामसिंह भी घर को साफ कराने में उनकी मदद करने लगा।

वह बच्चा इधर-उधर खेलने लगा। सफाई करते समय सुनीता को पता लगा कि उनके घर के नीचे एक तहखाना भी है। जिस पर ताला लगा हुआ था।

सुनीता उसे नजरअंदाज करते हुए दूसरी जगह सफाई करने लगी।

पूरा दिन उसका घर की सफाई करते ही निकल गया। शाम को जब राघव घर आया तब तक सुनीता ने सारे घर की सफाई कर दी थी।

सभी लोगों ने मिलकर शाम का खाना खाया और राम सिंह ने राघब से कहा - " साहब अब मैं कल आऊंगा।"

रामसिंह वहां से चला गया। खाना खाकर सुनीता ने बच्चों को दूसरे कमरे में लिटा दिया और जब बच्चों को नींद आ गई तो वह भी अपने कमरे में आ गई।

राघव पहले से ही कमरे में था। सुनीता जैसे ही कमरे में घुसी उसे फिर से किसी बच्चे की रोने की आवाज आने लगी।उसने जल्दी से राघव को वह आवाज सुनाने की कोशिश की।

राघव को भी उस बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी उन्होंने हिम्मत करके बाहर जाकर देखा। आवाज नीचे से आ रही थी। वे दोनों लोग नीचे उतरे तो उन्होंने देखा कि सामने कुर्सी पर वही छोटा बच्चा बैठा है जो सुबह राम सिंह के साथ आया था।
उन्होंने समझा कि शायद रामसिंह इसे भूल गया होगा लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि भला कोई अपना बच्चा कैसे भूल सकता है ?

सुनीता और राघव उस बच्चे को अपने साथ ले गए और उसे अपने कमरे में जाकर सुलाने की कोशिश करने लगे।थोड़ी देर बाद उस बच्चे को नींद आ गई। थोड़ी देर बाद राघव और सुनीता को भी नींद आने लगी तो वे भी सो गए।

लगभग आधी रात को उन्हें फिर से जोर-जोर से रोने की आवाज सुनाई देने लगी उन्होंने देखा कि वह बच्चा वहां से गायब था।

आवाज नीचे से आ रही थी। वे दोनों नीचे उतर कर देखने गए। राघव और सुनीता ने देखा कि वह बच्चा फिर से उसी कुर्सी पर बैठ रो रहा था। दोनों लोग यह देख कर भौचक्के रह गए। उन्होंने फिर से बच्चे को उठाया और अपने कमरे में ले गए।

वह बच्चा अभी भी रो रहा था । अचानक उस बच्चे को जोर-जोर से खांसी आने लगीं और देखते ही देखते वह खून की उल्टियां करने लगा।

सारा बिस्तर खून से रंग गया। वे दोनों काफी डर गये। राघव पानी लेने के लिए चला गया सुनीता ने अपने बच्चों के कमरे में जाकर देखा तो बच्चे सही सलामत सो रहे थे।

वह फिर से भाग कर अपने कमरे में आई राघव भी नीचे से पानी ले आया लेकिन उन्होंने देखा कि वह बच्चा तो उनके कमरे में नहीं था वह गायब था। उन्होंने उसे बहुत ढूंढा लेकिन वह कहीं भी नहीं मिला।

उनके बेड की चादर खून से रंग चुकी थी इसीलिए वह अपने बच्चों के कमरे में आकर सो गए।

अगली सुबह जब राघव और सुनीता उठे तो उन्होंने देखा कि वे अपने ही कमरे में लेटे थे और उनकी चादर पर जरा सा भी खून का दाग नहीं लगा था।

उन दोनों के कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। थोड़ी देर बाद नीचे से राम सिंह की आवाज आई - " साहब ..उठ जाइए... सुबह हो गई है !.. "

राघव रामसिंह की आवाज़ सुनकर तुरंत नीचे गया और रामसिंह से कहा - " वह तुम्हारा बच्चा कहां है जिसे तुम अपने साथ यहां लाये थे ? "

राम सिंह ने चौक कर कहा - " कौन सा बच्चा साहब ? " मेरी तो शादी ही नहीं हुई। ना ही मेरा कोई बच्चा है। "

अचानक फिर से उन्हें किसी बच्चे की रोने की आवाज आने लगी ......

To be continued.........